Friday, May 23, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--121

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--121


 स्टेशन पर मौजूद सिक्योरटी फोर्सेज की स्ट्रेंथ अब कम हो गयी थी।

बगल में वेस्टर्न रेलवे हेड क्वार्टस से कुछ सपोर्ट फोर्सेज आई थी।




लेकिन उन के लिएए भी अप्फेन्सिव लांच करना मुश्किल हो रहा था। डिजास्टर रिस्पांस फोर्सेज , इमरजेंसी रिस्पांस टास्क फोर्स को इंफॉरम कर दिया गया था और १० मिनट के अंदर वो पहुंच रहे थे।

चर्च गेट हेडक्वारटर में मजूद एम्बुलेंस को स्टेशन भेज दिया गया था। लेकिन जब तक फायरिंग बंद ना हो हो , उनके लिए घायलों को निकालना मुश्किल था।

सभी हॉस्पिटल्स को एलर्ट इशू कर दिया गया था।

5. 47 - नेवल कमांडो यूनिट तैयार थी और अगले तीन मिनट में निकलने वाली थी। वो लोग चर्च गेट स्टेशन के प्लान , आस पास की बिल्डिंग्स को स्टडी कर रहे थे। 5. 50 पर उन्हें स्टार्ट हो जाना था। 5. 40 पर उन्हें सूचना मिली थी और उनका टारगेट १०-१२ मिनट के अंदर स्टार्ट होने का था।


पुलिस कमिशनर आफिस में अर्जेंट मीटिंग बुलाई गयी थी , जो दो तीन मिनट में शुरू होने वाली थी। रैपिड फोर्स तैयार हो रही थी और 5. 50 तक वो भी निकल जाती।

वेस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधक के कमरे में इमरजेंसी टीम की बैठक चल रही थी। सभी लोकल ट्रेनों को रोक दिया गया। बॉम्ब के लिए उनकी जांच के लिए निर्देश दिए गए थे। महा प्रबंधक , महाराष्ट्र सरकार के चीफ सेक्रेटरी , होम सेक्रेटरी और डी जी पुलिस से बात कर रहे थे।


और उधर घटना स्थल पे , अब उन दोनों ने एक पल के लिए फायरिंग रोक कर चारो और देखा और कुछ फैसला लिया।

अब दोनों एक साथ ग्रेनेड की बौछार कर रहे थे।

सबसे पहले दो इन्सेन्डिएरी ग्रेनेड ऐ एच व्हीलर और उसके पास के बुक स्टाल पे पड़े और वहां आग लग गयी , और आग धीमे धीमे बिजली और टेलीफोन के केबलो , लकड़ी के फर्नीचरों से होते हुए बढ़ने लगी।


एक इन्सेन्डिएरी बॉम्ब ने बगल के बुकिंग में भी आग लगा दी। कुछ ग्रेनेड , ग्लो साइन्स पे पड़े और टूटने के साथ वहां भी शार्ट सर्किट होने से आग लगनी शुरू हो गयी।

इस के साथ ही डीप पेन्ट्रेशन ग्रेनेड वो बिल्डिंग के ज्वायस्ट , जोड़ की जगह , ट्रेन आपरेशन के यूनिट्स पर मार रहे थे। जिससे एक तो बिल्डिंग अन सेफ हो जाय , ट्रेन आपरेशन रिस्टोर करना मुश्किल हो और दूसरे आग के चलते सिक्योरिटी फोर्सेज भी जल्दी स्टेशन बिल्डिंग के अंदर नहीं घुसेगीं।

जहाँ से वो आपरेट कर रहे थे , उसके ओर और सामने आग की दीवाल सी बन रही थी।

करीब तीस सेकेण्ड तक ग्रेनेड के हमले के बाद दूसरे आदमी ने फिर 56 असाल्ट राइफल सम्हाली और दो बर्स्ट उधर चलाये जिधर से उन्हें सिक्योरिटी वालो के होने की आशंका थी।


पहला आदमी तब तक बचे खुचे ग्रेनेड , एक बैग में रख रहा था और अपनी एच के एम पी ७ को अॉटो मोड़ में सेट कर रहा था।

दूसरे आदमी ने तब तक दो स्मोक बॉम्ब , फेंके , एक प्लेटफार्म की ओर और दूसरा जिधर से ये दोनों आये थे।

सामने के रास्ते को आग की लपटों ने बंद कर रखा था।

और कूद कर नीचे आ गया।

उसके साथी ने अपनी राइफल को स्लो मोड़ में स्टार्ट कर दिया और वो भी नीचे कूद गया।

उसकी राइफल हर दस सेकेण्ड के बाद एक बर्स्ट फायर करती और अगले तीन मिनट तक वो फायर करती रहती। तीन मिनट तक सिक्योरटी फोर्सेज के लोग यही समझते की वह गैलरी में हैं और इतना समय उनके लिए बहुत था। 


गैलरी मेजेनिन फ्लोर पर थी , फर्श से करीब 8 फीट ऊपर और इतने उपर से कूदना , उनके लिए बड़ी बात नहीं थी। और उन्होंने हैवी रबर सोल के जूते पहन रखे थे।

स्मोक बॉम्ब ने भी उन्हें दो मिनट का कम्प्लीट कवर दे दिया था।

5 48 - गैलेरी के ठीक नीचे पब्लिक यूरिनल थे , लेडीज और जेंट्स। दीवाल से पीठ सटाए दोनों यूरिनल में घुसे , एक लेडीज में एक जेंट्स में। घुसने के पहले उन्होंने फिर दोनों दिशाओ में दो स्मोक के कैनिस्टर फर्श पे लुढ़का दिए।

5. 49 - दोनो टॉयलेट से बाहर निकले। ऊपर से गन अभी भी रुक रुक के फायर कर रही थी।
और अब दोनों बदले हुए थे।

पहले आदमी ने टैक्सी ड्राइवर की यूनिफार्म पहनी हुयी थी। और उसके बालों में काफी बाल अब सफेद थे। आँखे भूरी थी। उसकी यूनिफार्म में टैक्सी के पेपर , एक सिनेमा के टिकट , लोकल के टिकट थे।

दूसरा आदमी , सफेद ब्रांडेड शर्ट में था , टाई और डॉर्क पेंट। सिर्फ उसके हाथ में एशियाटिक शाप का बैग अभी भी था। वो एविएटर ग्लासेज लगाए हुए था। उसकी पेंट में एक महंगे वॉलेट में में ५-६ क्रेड कार्ड , उसका अपना ड्राइविंग लाइसेंस और पैन कार्ड था।

ड्रेस बदलने में मुश्किल से दस सेकंड लगे। क्योकिं एक ने मोटरमैन की यूनिफार्म के नीचे टैक्सी ड्रायवर की ड्रेस और दूसरे ने बिजनेस एक्जीक्यूटिव की ड्रेस पहले से पहन रखी थी। अगले दस सेकेण्ड में एक ने आँखों में कांटेक्ट लेंस लगाए और बाल थोड़े सफेद किये और दूसरे ने टाई पहनी और अपने जूते में फाल्स हील लगाकर अपनी ऊंचाई तीन इन्च बढ़ा ली।

इसके बाद के बीस सेंकेंड में उन्होंने अपने उतारे हुए कपडे , गन्स , एम्युनिशन सब कुछ अपने बैक पैक में रख के टॉयलेट में छुपा दिया और जिप को लाक कर टाइमर आन कर दिया।

दोनों के बैग के बेस में आधा किलो आर डीक्स और सेमटेक्स का मिक्सचर था।


दोनों ने टाइमर दो मिनट के इंटरवल पे सेट किया था।

अगर कोई बैग को खोलने की कोशिश करता तो ये अपने आप डिटोनेट कर जाता।

ये टॉयलेट उस गैलरी के ठीक नीचे था जहाँ से वो फायरिंग कर रहे थे।

उनके कपडे ,एम्युनिशन , गन्स सब कुछ उस एक्सप्लोजन के साथ खत्म और साथ में वो गैलरी भी। बल्कि ऊपर के एक दो फ्लोर।
वहां से निकलते समय , एक ने एक स्मोक बॉम्ब फिर फेंका और दूसरे ने एक इन्सेन्डियरी डिवायस टॉयलेट के बगल के आफिस में फेंकी।
5 50 - दोनों स्टेशन के बाहर थे। दोनों ३० सेकेण्ड के अंतर पे निकले। पहले टैक्सी ड्राइवर और फिर बिजनेस एक्जीक्यूटिव।

धुंए और आग के बीच में इन्हे किसी ने नोटिस नहीं किया।

टैक्सी ड्राइवर टैक्सी में जा के बैठ गया। और 30 सेकेंड के बाद , वो बिजनेस एक्जीक्यूटिव उसी टैक्सी में बैठ गया।

वहां पचासों टैक्सियां खाली खड़ी थी।

ये गेट अवे वेहिकल उन्होंने पहले से खड़ी कर रखी थी। बल्कि वो दोनों आये इसी टैक्सी से थे।
थे और एशियाटिक के बैग पे
रुक रुक कर फायरिंग की आवाज अभी भी चर्च गेट स्टेशन से आ रही थी।

अब पश्चिम दिशा में भी स्टेशन बिल्डिंग आग तेज हो गयी थी। फायर ब्रिगेड , एम्बुलेंस की गाड़ियां उस ओर आ रही थीं।

जब वो ए रोड से मैरीन ड्राइव की ओर मुड़े , तो पुलिस वाले नाकाबंदी की तैयारी कर रहे थे। चर्च गेट की ओर जाने वाली गाड़ियों को रोका जा रहा था।


उन्हें मालूम था की रास्ते में दो चार जगह नाकाबंदी जरूर मिलेगी। उन्होंने कोई भी वेपन नहीं रखा था। टैक्सी की सीट पे कंपनी के कुछ कागज़ और एशियाटिक के बैग में कुछ रूटीन शॉपिंग।

उन्हे कुल १५ मिनट लगा , अंदर घुसने से बाहर निकलने तक।

उन्हें मालूम था की वहां पर मौजूद फोर्सेज , का रिएक्शन टाइम कम से कम ३ -४ मिनट होगा और तब तक उन्होंने अपनी साइट सिक्योर कर ली , अप्रोचेज बंद कर लिए और पहला शाक दे दिया।

मुश्किल होता स्पेशल फोर्सेज से निपटना। वो सारे आऊटर पेरिमीटर पहले सिक्योर करतीं , और फिर ग्रिड बना के एक एक एरिया काम्ब करतीं।

लेकिन उन्हें भी कम से कम १० मिनट समय लगता है, सब कुछ असेस करने , तैयार होने में। कम से कम , ४-५ मिनट का समय किसी इन्सिडेंस होने पे , उसके बारे में उन तक सूचना पहुंचने में लगेगा। और उसके बाद वारदात की जगह पहुंचने में कम से कम ५ से १० मिनट लगेंगे।


यानी सब जोड़के २० मिनट। ५ मिनट सेफटी फैक्टर के निकाल के , १५ मिनट में आपरेशन पूरा हो जाना चाहिए। ठीक १५ मिनट में वो दोनों इसी लिए स्टेशन से बाहर आ गए।


उसी समय नेवल कमांडो , रैपिड फोर्स के लोग अपने हेडक्वार्ट्स से निकल गए थे।

एम्बुलेंस और फयरब्रिगेड की गाड़ियां भी पहुँच रही थी।

मीडया की कुछ गाड़ियां पहुँच रही थी लेकिन अब पुलिस ने वीर नरीमन स्ट्रीट को ब्लाक कर दिया था और सिर्फ पुलिस , फायरब्रिगेड की गाड़ियां उधर से जा रही थीं। मीडया की गाड़ियों को मैरीन ड्राइव दिया गया था। इसी प्रकार इन्कम टैक्स आफिस के सामने ब्लॉकेड कर दिया गया था।

5. 55 - नेवल कमाडो यूनिट और पुलिस के स्पेशल फोर्स के लोग चर्च गेट स्टेशन पहुँच गए थे। सत्कार होटल के सामने से उनका एक दस्ता अंदर घुसने के लिए तैयारी कर रहा था।


उसी समय जोरदार धमका हुआ और टॉयलेट ब्लाक पूरा उड़ गया।

तीन मिनट के अंदर दूसरा धमाका हुआ और बिल्डिंग का कुछ हिस्सा चरमरा कर गिर पड़ा। अंदर से गोलियों की आवाजें तीन मिनट पहले बंद हो चुकी थीं। लग रहा था , टेरर ग्रुप ने सुसाइड अटैक किया है।


चरनी रोड के पास एक नाकाबंदी में टैक्सियां चेक की जा रही थीं। धीमे धीमे टैक्सियां क्लियर की गयीं।

वो टैक्सी भी चेक की गयी। डिक्की में , अंदर कुछ भी नहीं मिला। गाडी के पेपर भी ठीक थे। वो टैक्सी प्रार्थना समाज चौराहे की और मुड़ गयी और और आगे एक पतली सी गली में घुस गयी।

6. 00 -
वो दोनों चौथी मंजिल पे एक दो कमरे के फ्लैट में पहुँच गए जहाँ के लिए उन्हें इंस्ट्रक्शन था। वहां उनके नए पेपर एयर टिकेट और कपडे थे।

उसी समय बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के लोग चर्च गेट स्टेशन पर घुस रहे थे। पूरा एरिया कार्डन कर लिया गया था। फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस के लोग भी अंदर घुस रहे थे।


आधे घंटे के अंदर दोनों नए रूप में थे और बाइक से उन्हें बारी बारी से मुम्बई सेंटरल स्टेशन के पास छोड़ दिया गया था। जहाँ से दोनों अलग अलग टैक्सियों से एयर पोर्ट के लिए रवाना हो गए।

एक की फ्लाइट 9 बजे लखनऊ के लिए थी और दूसरी की साढ़े नौ बजे पटना के लिए।

बारह बजे के पहले दोनों वहां पहुँच जाते। वहां से कार से नेपाल बार्डर के पास के गाँव , और फिर छोटे रास्ते से सुबह तक नेपाल के अंदर। अगले दिन शाम को एक की फ्लाइट दुबई के लिए और दूसरे की साउथ एशिया के एक देश के लिए।

लेकिन उनका एक और एस्केप प्लान था जिसके बारे में उन्हें भी नहीं मालूम था।

जैसे ही वो दोनों स्टेशन के अंदर घुसे , उनकी टैक्सी के पेट्रोल की टंकी में सेमटेक्स का एक बड़ा टुकड़ा , प्लास्टिक में लिपटा , जिसमें डिटोनेटर भी था , एक मोटर साइकिल वाले ने डाल दिया। जब वो स्टेशन से बाहर निकल कर टैक्सी में गए , मोटर साईकिल उनके पीछे पीछे।

हर नाकाबंदी पे वो उन्हें देख रहा था।

अगर पुलिस उन्हें गिरफतार करती , तो तुरंत वो मोटर साइकिल वाला रिमोट दबा देता।

पूरी टैक्सी ब्लास्ट कर जाती और उसके २० मीटर के दायरे में कोई जिन्दा नहीं बचता।

किसी भी हालत में उन्हें जिन्दा गिरफतार नहीं होने देना था। 

और बच गयी मुम्बई



लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ क्योंकि 5. 36 पर वो दोनों पकड़ लिए गए थे।

हाँ अगर वो न पकडे जाते तो वही होता जो ऊपर लिखा है।
................
वो कैसे पकड़े गए , किसने उन पे नजर रखी , उन्होंने ये स्ट्रेटेजी क्यों चुनी थी , ये सब बाते बाद में ,

उसके पहले , उनके पकड़े जाने के बाद की टाइम लाइन , क्या हुआ अगले आधे घंटे में।


5 . 3 5 -


वो दोनों धर दबोचे गए थे।

चार कमांडो , ए टी एस ( ऐंटी टेरर स्क्वाड ) के। दोनों टेररिस्ट जब रेस्ट रूम में थे तभी पीछे से वार हुआ , कराते का जोरदार सीधे गर्दन पे और वो दोनों लड़खड़ाये , उसी समय क्लोटोफार्म से भीगी पट्टी उन दोनों के नाक पे , वो दोनों छटपटाते रहे पर , कमांडो की पकड़ मजबूत थी।


5 36 =


दोनों बेहोश हो चुके थे।

लेकिन कमांडो पूरी तरह साइलेंस बरत रहे थे। उन्होंने अपने सेंटर मेसेज टेक्स्ट किया


, दोनों मुर्गे पकड़े गए।

उसके बाद वो अपन काम में लग गए , कपडे उतारने के , अपने नहीं मुर्गों के।

पहले तो मोटर मेन की यूनिफार्म , और उसके अंदर से , टैक्सी ड्राइवर और बिजनेस एक्जीक्यूटिव के कपडे और फिर केवलार वेस्ट , बुलेट प्रूफ। सब उन्होंने अपने दूसरे बैग में रख लिया , फिर छान बीन करने के लिए।

फोरेंसिक वालों के लिए कपडे तो दूर कपड़ों में लगा पसीना भी बहुत काम का होता है। डी एन ए का उससे पता चल जाता है। इसलिए सब कुछ उन्होंने दस्ताने लगे हाथों से किया और एविडेंस बैग में ज़िपलाक कर दिया।


5. 37 -

उन्होंने सरसरी तौर पे बैग को चेक किया। पूरी आर्मरी थी। स्मोक गैस , साइक्लोसारिन गैस , इनसेंडियरी ग्रेनेड , फ्रेग्मेंटेशन ग्रेनेड , टाइप 56 राइफल , एच के एम पी 7 राइफल , क्या क्या नहीं था। अगर एक बार दोनों चालू हो जाते तो ,

कपड़ों और बैग में उन्हें ट्रैकिंग और लिसेनिंग डिवाइसेज मिली।


यानी कोई है जो ट्रैक कर रहा है की वो कहाँ है।

और सबसे खतरनाक थी लिसेनिंग डिवाइसेज , उन दोनों के २० मीटर के अंदर की फुसफुसाहट भी कही कम्युनिकेट हो रही थी , जो जगह किलोमीटर के अंदर थी।

एक लिसेनिंग पोस्ट की तरह , और वहां सेवो किसी पावरफुल ट्रांसमीटर से सात से दस किलोमीटर के बीच कम्युनिकेट हो रही थी।

इसीलिए उन्हें निर्देश थे की वह इस तरह न्यूट्रलाइज करें की एक भी आवाज न निकले , और न ही वो लोग कोई बात करें सब कुछ कोडेड मेसेज के थ्रू टेक्स्ट से भेजें /

5 38 -


दो स्ट्रेचर आ गए थे।

स्ट्रेचर लाने वाले भी कमांडो थे। उन दोनों को फिर एक इंजेक्शन लगा दिया गया। ये एनस्थीसिया मेजर आपरेशन में दिया जाता था और अब अगले पांच मिनट टका कुछ भी उठा पटक हो , उन की बेहोशी पक्की।

दोनों को वस्त्र विहीन अवस्था में ही , स्ट्रेचर पर लिटा दिया गया और सफेद चादर से ढक दिया गया।

5 . 39 -

सम्हाल कर स्ट्रेचर सीढ़ियों से उतार कर स्टेशन के बाहर लाया गया। स्टेशन पर कभी कभार ऐसे हादसे होते रहते थे की कोई ट्रेन की चपेट में आ गया। इसलिए दो स्ट्रेचर देख कर किसी ने कोई सवाल नहीं किया। वैसे भी शाम को चर्चगेट स्टेशन पर लोग भागते ही नजर आते हैं। ऐसे हादसों के लिए एक एम्बुलेंस हमेशा चर्च गेट स्टेशन के बाहर खड़ी रहती थी और आज भी एक स्टेशन पर खड़ी थी। 


5. 40 -

लेकिन आज जो एम्बुलेंस खड़ी थी , वो एंटी टेरर सेंटर की थी और एम्बुलेंस से ज्यादा वो मोबाइल आपरेशन सेण्टर थी। दोनों स्ट्रेचर उसी में लाद दिए गए और चारों स्ट्रेचर बियरर या कमांडो भी बैठ गए।

5. 41 -5. 44 -

आज कल ट्रामा सेंटर में ले जाने से पहले , फर्स्ट एड एम्बुलेंस में ही दी जाती है। इसलिए , उन दोनों की फर्स्ट एड शुरू हो गयी।

पहले फिंगर प्रिंट्स, फोटोग्राफ और बाड़ी के डिटेल्स लिए गए जिन्हे सिक्योर कम्युनिकेशन से एंटी टेरर सेंटर ( ए टी एस ) भेज दिया गया। इस 'एम्बुलेंस ' में कम्युनिकेशन और कम्युनिकेशन ट्रैक करने की अच्छी व्यवस्था थी मरीज को 'डिसइंफेक्ट ' करना जरुरी था , क्योंकि ढेर सारे बग्स उसके पास से मिले थे।


कम्युनिकेशन एक्सपर्ट्स ने उन बग्स को एनलाइज किया और दो मिनट में लोकेशन आइडेंटिफाई हो गयी।

वह एक मोटर साइकिल वाला था वहां से मुश्किल से 400 मीटर दूर , ला कालेज के सामने खड़ा।

और कुछ ही देर में दो पुलिस वाले आये , और मोटर साइकिल वाले का कागज चेक करने लगे।

और उसे पकड़ कर पास के पुलिस वान में बिठा लिया।

उसकी गलती ये थी की उसके सारे पेपर सही थे , टैक्स जमा किया हुआ था। पीछे एक टो करने वाली गाडी ने उसकी मोटर साइकिल भी उठा ली। और उसे 'दूसरे हॉस्पिटल ' फोरेंसिक लैबोरेटरी ले गए।

पुलिस वान एम्बुलेंस के आगे निकल गयी।

5. 45 -47 -


अम्बुलेन्स में अब उन दोनों की बाड़ी सर्च जारी थी , डीप कैवटी सर्च और वहां से भी दो बग निकले , लोकेशन ट्रांस्मिटिंग डिवाइस।

अगर ये उसे बिना निकाले ले जाते तो जो भी उन्हें ट्रैक कर रहा होता , उसे मालुम हो जाता की वो दोनों अब स्टेशन से निकल गए हैं। और सबसे खतरनाक बात ये होती की , उन की सहायता से उन्हें ऐंटी टेरर सेण्टर का पता भी मालूम चल जाता।

उन का डेण्टल एक्स रे किया गया। इसके पहले बनारस और बड़ौदा के दोनों आपरेशन में 'स्लीपर एजेंट ' के दांत खोखले थे और उनमे सायनाइड भरा था।

यहाँ ऐसा कुछ नहीं मिला सिवाय तीन चार कैविटी के।

एक एजेंट को उन ट्रैकिंग डिवाइसेज के साथ उतार दिया गया और वो फिर स्टेशन वापस चला गया। जिससे जो भी ट्रैक कर रहे हों , वो यही समझे की दोनों मुर्गे स्टेशन पर ही है।

बेहोशी उतारने की दवा का इंजेक्शन लगा दिया गया।

और फिर उसके एक मिनट बाद सोडियम पेंटाथाल का।

5 . 48 -

एम्बुलेंस , 'हॉस्पिटल 'के लिए निकल पड़ी। वो एक लम्बे घुमावदार रास्ते से गयी जिससे , पता चल जाय कोई उनका पीछा तो नहीं कर रहा है।


5. 49 -5 52 -

सोडियम पेंटाथाल का असर शुरू हो गया था। दोनों के बीच सत्य बोलने की प्रतियोगिता हो रही थी। और ये सारी बातें 'हॉस्पिटल और वहां के मुख्य सर्जन के पास विडीओ कांफ्रेस के जरिये पहुँच रही।

5 . 53 -

एम्बुलेंस 'हास्पिटल ' या ऐंटी टेरर सेंटर के गैरेज में पहुँच गयी।

ये अंडर ग्राउंड गैरेज था। वहां से सिक्योर लिफ्ट के जरिये वो दोनों सीधे , इंट्रोगेशन रूम में पहुंचा दिए गए , जहाँ फिर उन्हें लाक कर , सोडियम पेंटाथाल की दूसरी डोज दे दी गयी और उनका बयान चालू था। अब सीधे सर्जन जनरल उनसे पूछताछ कर रहे थे।


5. 54 -


तबतक सी एस टी एम स्टेशन से सूचना आई की वहां बीमारों की तादाद ज्यादा है तो ये एम्बुलेंस वहां के लिए रवाना हो गयी।



5. 55 -

ट्रैकिंग डिवाइसेज को ट्रैक कर के , ट्रैकिंग सेंटर का पता चल गया था , नागपाड़ा में। एक टीम उसे न्यूट्रलाइज करने निकल गयी।

5. 56 -


मोटर साइकिल वाला आदमी भी आ चूका था और उसे भी इंजेकशन लगा दिया गया था। काफी कुछ उन की पृष्ठ भूमि मालुम हो गयी थी।


सवाल ये उठता है की उन दोनों आतंकवदियो को अगर पुलिस ट्रैक कर रही थी तो उन्हें ऊपर तक जाने क्यों दिया। स्टेशन में घुसते ही या में हाल में क्यों नहीं पकड़ लिया ?

ये सवाल मेरे मन में भी उठा था उसका जवाब भी मिल गया।
 
 
 

ये शक था की शायद कोई उन दोनों को , हाल में वाच कर हो।


और पकड़े जाने पर उनकी गिरफतारी देख ले या , या कुछ भी अनयूजुअल नोटिस करने पे , वो दोनो ही उस आदमी को इशारा करते और वो पूरा आपरेशन एबार्ट कर देते।

आज ऐंटी टेरर सेंटर का टारगेट था की ज्यादा से ज्यादा आपरेटिव को जिन्दा पकड़ा जाय जिससे टेरर के तार जहाँ से उनका खुलासा दुनिया के सामने हो सके। दूसरे उनके नेटवर्क का भी पता चल सके।

इसलिए जब वो ऊपर बाथरूम में गए तो वहां उन्हें धर दबोच लिया गया।

दोनों के इंट्रोगेशन और सोडियम पेंटाथाल के इस्तेमाल से ये पताचला की दोनों है तो भारतीय , लेकिन पहले एक्सपोर्ट किये गए फिर इम्पोर्ट।

उन दोनों ने हिन्दुस्तान से बाहर , अफगानिस्तान , चेचन्या , मिडल इस्ट , बोस्निया कई जगहों पे आपरेशन में हिस्सा लिया।

इस आपरेशन के लिए वो करीब १० दिन पहले नेपाल आये थे। वहां नेपाल हिंद्स्तान सीमा पर एक गाँव में एक ट्रेनिंग सेंटर में उन्हें आपरेशनल ट्रेनिंग दी गयी।


यहाँ उन्हें स्टेशन के ४० घंटे के वीडियो दिखाए गए। हेडली ने जो रेकी की थी तबसे आज के लेटेस्ट रेकी के , वेपन्स ट्रेनिंग दी गयी। मुम्बई के मैप , सड़कों, गलियों के बारे में बताया गया। जो आर्म्स एम्युनिशन उन्होंने इस्तेमाल किये थे वो दिए और वन टाइम वाले चार मोबाइल , कुछ सिम।

सीमा पार कर एक छोटे स्टेशन से वो गोरखपुर - मुम्बई ट्रेन के जनरल डिब्बे में बैठे।


उस डिब्बे में इतनी भीड़ थी की कोई चेकिंग होना मुश्किल था। उतरते समय भी वो कल्याण के पहले एक छोटे से स्टेशन पर उतर गए। उन्हें सही आशंका थी की हर स्टेशन जहाँ पर रेगुलर स्टापेज होगा वहां ज्यादा इंटेंस चेकिंग होगी। उन्हें इंस्ट्रक्शन थे की वो वहां से भिवंडी चले जायँ।


वहां पे एक छोटे से होटल में उनके लिए कमरे बुक थे।


कल दोपहर को उन्हें वन टाइम फोन पे इंस्ट्रक्शन मिले थे की वो मुम्बई में ग्रांट रोड पहुँच जाए।


और वहां पहुँचने पे उन्हें प्रार्थना समाज के पास एक गली में एक कमरे का मैप मिला। चाभी दरवाजे के ऊपर थी। कमरे में पहुंचने के बाद उन्हें आज के आपरेशन के सारे डिटेल्स मिले और ये भी इंस्ट्रक्शन थे की वो कमरे से बाहर नहीं निकले। और सारे इस्तेमाल किये हुए फोन और बचे हुए सिम समुद्र में डाल दें। उन्होंने वही किया।

आज तक कोई आपरेशन उन्होंने बिना खुद साइट रेकी किये हुए नहीं की थी , इसलिए सुबह आठ बजे के आसपास , वो चर्च गेट आये थे और एक घंटे उन्होंने सारा इलाका अच्छी तरह देखा , उन्हें नहीं पता था की यही गलती उनके पकडे जाने में सहायक सिद्ध हुयी।

इस पूरे आपरेशन में हिन्दुस्तान में घुसने के बाद से वो किसी से नहीं मिले।


उनको तीन बार इंस्ट्रक्शन मिले थे और तीनो बार फोन पे। डिटेल्ड इंस्ट्रक्शन मेल पे थे और फाइनल सिर्फ एक बार एक एडल्ट चैट रूम में , एक प्राइवेट चैट रूम में उन्होंने बात की थी लेकिन ये चैट भी उन्होंने वन टाइम फोन पे की थी। जो उन्होंने समुद्र में फ़ेंक दिया।

उनकी गेट अवे वेहिकल काली पीली टैक्सी भी मिल गयी। और बॉम्ब एक्सपर्ट्स ने उसके पेट्रोल टैंक में सेमटेक्स होने की भी पुष्टि कर दी। उसे डिफ्यूज किया जा रहा था।

प्रार्थना समाज के पास गली में जिस कमरे में ये थे वहां भी फोरेंसिक टीम पहुँच गयी थी। लेकिन वो कमरा पूरी तरह साफ था , यानी किसी के फिंगर प्रिंट्स तक नहीं थे। वो उस इलाके में था जहाँ कमरे रेड लाइट टाइप एक्टिविटीज़ के लिए ४ घंटे , आठ घंटे के लिए मिलते थे , इसलिए कोई नोटिस नहीं करता था की कौन आ रहा है कौन जा रहा है। यहाँ तक की गली के बाहर स्ट्रीट लाइट भी हमेशा खराब रहती थी।

लेकिन ये दोनों प्राइसलेस असेट्स थे और उनकी तलाश कई देशो की क्राइम एजेंसीज कर रही थीं और डिटेल्ड इंट्रोगेशन से बहुत से राज बाहर आते।




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