Sunday, May 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--2

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--2

 लण्ड अब लगातार सीता की चूत को चीर रही थी। सीता अभी भी दर्द से बेहाल थी।वो लगातार कराह रही थी मगर श्याम तो अब और जोर जोर से पेलने लगा। अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता और एक ही झटके में जड़ तक घुसेड़ देता। वो सीता की कुंवारी चूत की लगातार धज्जियाँ उड़ा रहा था।
कुछ पलोँ में श्याम की रफ्तार तेज हो गई।उसकी मुँह से भी आवाजें निकल रही थी अब।
"आह सीता ओहहहहह मेरी जान। कितनी प्यारी हो तुम। ओफ्फ ओह कितना मजा आ रहा है तुम्हें चोदने में।क्या रसीले होंठ पाई है एकदम मीठी। आहआह आह आह मैं तो धन्य हो गया तुम्हें पाकर।" श्याम ऐसे ही बोलते हुए सीता को अब तेज तेज धक्के लगा रहा था।
अचानक श्याम की चीख निकलनी शुरू हो गई। श्याम अपने गर्म गर्म पानी से सीता की चूत को भर रहा था। उस पानी की गर्मी को सीता बर्दाश्त नहीं कर सकी और वो भी श्याम को जोर से गले लगाती हुई पानी छोड़ने लगी। सीता को लग रहा था जैसे उसकी चूत में पिचकारी छोड़ रहा हो कोई। दोनों झड़ने के काफी देर बाद तक यूँ ही पड़े रहे। फिर श्याम उठकर बाथरूम में साफ करने चला गया। सीता उठ के अपनी चूत की तरफ देखी तो बेहोश होते होते बची।पूरी तरह सूज गई थी और उसमें से खून और लण्ड के पानी का मिश्रण टपक रही थी। बेडसीट भी खून से पूरी तरह लाल हो चुकी थी। बेचारी सीता को अपनी इस हालत को देखकर रोना आ गया और सुबकने लगी। सीता कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे? इतने में श्याम बाथरूम से वापस आ गया। श्याम का लण्ड सिकुड़ गया था फिर भी सीता को डर लग रहा था। सीता को सुबकती देख पूछे,"जान, दर्द तेज हो रही है क्या? पहली बार चुदाई में इतना ही दर्द होता है। मेरा लण्ड भी देखो छिल गया है। चलो बाथरूम साफ करते हैं।"
श्याम ने सीता की बाँह पकड़ उठने में सहायता की। फिर गोद में उठाकर बाथरूम में ले जाकर एक टेबल पर बैठा दिए। फिर पानी से सीता की चूत को अच्छी तरह से साफ किया। बेचारी सीता तो सोची भी नहीं थी कि कोई उसकी चूत को इतना प्यार देगा। वो तो शर्म से मरी जा रही थी। फिर तौलिया से चूत को अच्छी तरह पोँछा। फिर सहारा देकर बेडरूम तक ले आया।सीता की पैर जवाब दे चुकी थी। कोई भी देखता तो जरूर कहता कि इसकी तबीयत से चुदाई हुई है। अंदर आकर श्याम ने सीता को सुला दिया। सीता साड़ी उठाकर पहनना चाह रही थी मगर श्याम ने रोक दिया,"जान, तुम ऐसे ही काफी सुंदर लग रही हो तो कपड़े पहनने की क्या जरूरत?"
सीता शर्मा कर रह गई और फिर दोनों नंगे ही सो गए।


 सुबह 5 बजे मेरी नींद खुली तो अपनी हालत देख खुद शर्मा गई। मैं पूरी मादरजात नंगी श्याम के नंगे जिस्म से चिपकी थी। मैं उठी तो मेरी नजर बेडसीट पड़ी, बेडसीट पर खून और वीर्य के काफी गहरी दाग बन चुकी थी। मैंने अपने कपड़े पहने।फिर श्याम को नींद से जगाई तो वो भी देख मुस्कुरा दिए। मैंने जल्दी से बेडसीट बदली और दूसरी बिछा दी। तब तक श्याम भी अपने कपड़े पहने और फिर सो गए। नींद तो हमें भी आ रही थी किंतु नई जगह थी तो देर तक सोती तो पता नहीं सब लोग क्या सोचते?
कुछ देर बाद घर के सारे सदस्य भी जग चुके थे। मैं भी नहा-धो कर फ्रेश हो गई और नाश्ता कर अपने रूम में आ गई।
सुबह 11 बजे तक श्याम सोते रहे। फिर उठ कर फ्रेश हुए और बाहर अपने दोस्तों के साथ निकल गए। उनके जाते ही हमारी ननद पूजा आ धमकी। सुबह से तो श्याम थे तो शायद इसीलिए नहीं आई।
"भाभी, भैया को सोने नहीं दिए क्या रात में जो इतनी देर तक सोते रहे?"पूजा हँसती हुई बोली।
उसकी बात सुन मुझे भी हँसी आ गई।
पूजा सबकी लाडली थी घर में। अभी वो 12वीं की परीक्षा दी थी।दिखने में भी सुंदर थी काफी। हमेशा हँसती हुई रहती थी। शारीरिक संरचना भी अच्छी थी।
पूजा अब बेड पर चढ़कर मुझे पीछे से बाँहों में भर ली। फिर अपनी गाल मेरी गाल से सटाते हुए बोली,"भाभी बताओ ना प्लीज, रात में क्या सब की?"
"आप अपने भैया से पूछ लीजिए कि रात में क्या सब किए ?" मैं हँसती हुई कह दी
"क्या...भाभी....? भैया से कैसे पूछ सकती।बताओ ना प्लीज।"
"नहीं पूछ सकते तो रहने दीजिए। आपकी भी शादी होगी तो खुद जान जाइएगा।"
"1 मिनट भाभी। ये आप आप क्या लगा रखी है। मैं अपनी भाभी से दोस्ती करने आई हूँ और आप हैं कि....?"
"ओके पूजा।"
"Thanks भाभी। अच्छा ये तो बताओ मेरी बेडसीट कहाँ है जो कल बिछाई थी"
"क्या? वो तुम्हारी बेडसीट थी।"
"हाँ मेरी सीता डॉर्लिँग। जरा दिखाओ तो क्या हालत कर दी।" कहते हुए पूजा मेरी गालोँ को चूम ली
"नहीं, अभी वो देखने लायक नहीं है। मैं साफ कर दूंगी तब देखना"
"सीता भाभी, तुम तो अभी कपड़े साफ करोगी नहीं। अगर जल्दी साफ नहीं होगी तो दाग ज्यादा आ जाएँगे। सो प्लीज हमें दे दो मैं साफ कर दूंगी। प्लीज निकालो।"
"ठीक है मगर किसी को दिखाना नहीं वर्ना सब हँसेगे।"मैंने खुद को पूजा की बाँहों से अलग होते हुए कहा।
"क्या? देखेंगे नहीं तो कैसे समझेंगे कि दुल्हन संस्कारी है।"
"पागल कहीं की मरवाएगी हमें।जाओ हमें नहीं साफ करवानी।" मैं पलंग पर बैठते हुए बोली।
"ही ही ही ही ही। मजाक कर रही थी भाभी। वो सब दिखाने वाली चीज होती है क्या। अब दो" पूजा जोर से हँसती हुई बोली।
मैंने अपनी सूटकेस खोल के ज्योंही बेडसीट निकली, पूजा लपक के ले ली और फूर्ति से बेडसीट पलंग पर फैला दी और चिल्ला पड़ी।
"हाय! मेरी प्यारी भाभी की कितनी धुनाई हुई है पूरी रात । बेडसीट देख कर तो हम जैसी तो डर से शादी भी नहीं करूँगी।.....भाभी, रात में ज्यादा फटी तो नहीं ना।"
मैं शर्म से लाल हो गई और फिर जल्दी से बेडसीट समेटने की कोशिश करने लगी।पूजा तेजी से मेरे दोनों हाथ पकड़ ली और मुझे पलंग की धक्का देती हुई खुद भी मेरे शरीर पर गिर पड़ी। मैं नीचे पड़ी थी और पूजा ऊपर से दबाये थी।
"भाभी, रात में जब मजे ले रही थी तब तो शर्म नहीं आई, फिर अभी शर्म क्यूँ आ रही है।" पूजा अपना चेहरा मेरे चेहरे से लगभग सटाती हुई बोली।
"पागल मरवाएगी हमें अगर आपके भैया को मालूम पड़ेगी तो पता है क्या होगा?" मैं भी आराम से पूजा को समझाने की कोशिश की।
"कुछ नहीं होगा क्योंकि हम दोनों में से कोई भैया को कुछ नहीं कहने वाले हैं। वैसे भाभी आपकी होंठ काफी मस्त हैं। मन तो होती है चिपका दूँ...."
पूजा आगे कुछ करती उससे पहले ही मैंने धक्का देते पूजा को अपने से दूर किया। पूजा अलग होते हुए जोर से हँसने लगी। मैं भी मुस्कुरा दी।
फिर पूजा बेडसीट समेट ली और अपने साथ लाई बैग में डाल ली।
"भाभी, अपने दोस्त के यहाँ जा रही हूँ। वहीं दोस्त के यहाँ साफ कर दूंगी। चिन्ता मत करना किसी को नहीं दिखाऊँगी। शाम तक आ जाऊंगी।" पूजा बैग कंधे पर टिकाती हुई बोली।
मैं भी मुस्कुरा दी और बोली,"ठीक है। जल्दी आना, अकेले बोर हो जाऊंगी।"
फिर पूजा बाय कह कर निकल गई।
11 बज गए थे। अब हमें भी नींद आने लगी थी। बेड पर पड़ते ही मुझे नींद आ गई और मैं सो गई........।


 रात की थकावट से मैं सोई तो बेसुध सोती रही। अचानक मुझे अपने होंठ पर कुछ गीला सा महसूस हुआ मगर मेरी नींद नहीं खुली। तभी मेरी होंठ में तेज दर्द हुई जिससे मैं हड़बड़ा के नींद से जगी।
ओह....गॉड, एक लड़की मुझे अपनी बाँहों में जकड़ी होंठ चुस रही थी। मैं पहचान नहीं सकी। किसी तरह उसे धक्का दे कर अपने से अलग किया। अलग होते ही वो और पूजा जोर से हँसने लगी। मुझे तो गुस्सा भी आ रही थी मगर पूजा को देख अपने आप पर कंट्रोल की।
"भाभी, ये लो बेडसीट। पूरी तरह साफ हो गई।ये मेरी दोस्त है, इसी के यहाँ साफ करने गई थी। काफी मेहनत करनी पड़ी हम दोनों को तब जाकर साफ हुई है।" पूजा हँसती हुई बोली।
"वो तो ठीक है मगर ये गंदी हरकत क्यों की तुम दोनों।" मैंने लगभग डाँटते हुए पूछा।
"भाभी, इतनी मेहनत से साफ की आपकी बेडसीट तो क्या बिना कुछ लिए थोड़े ही छोड़ दूंगी। पिँकी तो अपना हिस्सा ले ली, अब हमें भी जल्दी से दे दो।"पूजा मेरी पलंग पर चढ़ते हुए बोली।
मैं कुछ बोलती उससे पहले ही पिँकी बोल पड़ी," भाभीजी, सोते हुए आप इतनी प्यारी लग रही थी कि मैं बर्दाश्त नहीं कर सकी और चिपका डाली। वो तो पूजा ही लेने वाली थी मगर मैंने ही रोक दी वर्ना और बुरी हालत कर देती ये"
दोनों की चुहलबाजी सुन के मेरी भी गुस्सा शांत हो गई।
"तुम दोनों पागल हो गई हो। कम से कम जगा तो देती।"मैंने हँसते हुए दोनों से एक साथ सवाल कर दी।
इतना सुनते ही पूजा झट से मेरी तरफ लपकी। मैं कुछ समझती या करने की सोचती, तब तक मैं पलंग पर पड़ी थी और पूजा मेरे दोनों हाथ जकड़ी चढ़ी थी मुझ पर। हम सब को हँसी आ गई पूजा की इस हरकत से। पूजा की हरकतेँ अच्छी लगने लगी थी हमें सो मैं भी बिना कुछ किए पूजा के नीचे पड़ी थी।
पूजा की चुची मेरी चुची को दबा रही थी। फिर पूजा मेरी गालोँ को चूमते हुए बोली,"सीता डॉर्लिँग, आप मना भी करती तो मैं ले ही लेती। मगर मान गई ये आपके लिए अच्छी बात हुई वर्ना वो हाल करती जो भैया भी नहीं किए हैं....."
"चल चल...बड़ी आई हालत खराब करने वाली। आपके भैया भी इसी तरह बोलते थे मगर थोड़ी तकलीफ के बाद सब ठीक हो गई।" मैं भी ताने देते हुए बोली।
हम दोनों की बातें सुन पिँकी भी हँसती हुई पास आई और बोली," भाभीजी,अब तो आपकी खैर नहीं। पूजा वो सब करती है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकती और आपकी ऐसी हालत कर देगी कि आप तड़प तड़प के छोड़ने की भीख मांगोगी।"
तभी बाहर से मम्मी जी की आवाज सुनाई दी। पूजा जल्दी से उठी, मैं भी जल्दी से उठी और और अपने कपड़े ठीक की।
"पूजा, केवल बात ही करोगी। बहु सुबह ही खायी थी,अभी कुछ नाश्ता बना दो और पिँकी को भी खिला दो।काफी दिन बाद आई है।"मम्मी आती हुई बोल पड़ी।
"ठीक है मम्मी।"पूजा बोली
इतना आदेश दे कर मम्मी जी चली गई।शायद उन्हें कहीं जाना था।
"पूजा,मैं अब लेट हो जाऊंगी। मैं भी चलती हूँ" पिँकी भी हम दोनों की तरफ देखते हुए बोली।
"क्यों, इतनी जल्दी क्या है? नाश्ता कर लीजिए फिर चले जाइएगा।"मैंने पिँकी से पूछ बैठी।
"नहीं भाभीजी, फिर आऊंगी तो खाना ही खाऊंगी आपके साथ। आज मम्मी को कुछ काम है इसलिए जाना होगा।पूजा से पूछ लीजिए।"पिँकी अपनी सफाई देते हुए बोली। मैं पूजा की तरफ देखने लगी। पूजा भी हाँ बोली और पिँकी को छोड़ने बाहर निकल गई।
कुछ देर बाद पूजा के बैग से मोबाइल के कंपन की आवाज आने लगी। मैंने पूजा को बुलाने गेट की तरफ लपकी मगर तब तक दोनों बाहर निकल चुकी थी। मैं बाहर जा नहीं सकती थी।खिड़की से बाहर देखी तो दोनों सड़क किनारे बात कर रही थी। अब तो मेरी आवाज निकल भी नहीं सकती थी। इधर तब तक मोबाइल कट चुकी थी। मैं बैग से मोबाइल निकाली और देखने लगी कि किसका फोन था। कोई नया नम्बर था। तभी फिर से फोन आने लगी।बाहर पूजा को देखी तो वो अभी भी बात कर रही थी। मैं सोची उठा कर देखती हूँ कि कौन है और कह दूंगी कि कुछ देर बाद बात कर लेना पूजा से।
मैंने फोन रिसीव की और कान में लगाई।
"क्यों शाली, फोन क्यों नहीं उठाती हो"
मैं तो सन्न रह गई।किसी मर्द की आवाज थी। मर्द तक तो बर्दाश्त करने लायक थी मगर उसकी ऐसी भाषा। से तो मेरी गले से नीचे नहीं उतर रही थी।फिर मैंने थूक निगलते हुए पूछी,"आप कौन बोल रहे हैं और कहाँ फोन किए हैं?"
"तुम पूजा ही हो ना?" उधर से आवाज आई।
अब तो मेरा दिमाग काम करना लगभग बंद हो चुकी थी।मैंने पूजा को देखी तो वो अब वहाँ पर नहीं थी। शायद बातें करते हुए आगे निकल गई। मैंने अपने आप पर काबू पाने की कोशिश की और सोचने लगी कि क्या कहूँ? कुछ देर सोचने के बाद मैंने फैसला ले ली और फोन को कान में सटा ली।
"हाँ मैं पूजा ही हूँ,मगर आपको पहचान नहीं पा रही।"
"शाली नाटक मत कर वर्ना तेरे घर आकर इतना चोदूँगा कि नानी याद आ जाएगी"
मैं तो इतना सुन के पानी पानी हो गई। फिर भी हिम्मत कर बोली,"सच कह रही हूँ, आपकी आवाज चेँज है सो नहीं पहचान पा रही हूँ।" मैं उसका नाम जानने की कोशिश कर रही थी।
"हाँ रात में कुछ ज्यादा ही शराब पी लिया था तो आवाज थोड़ी भारी हो गई।"
अब मेरी तीर निशाने पर लग रही थी। मैंने थोड़ी रिक्वेस्ट करते हुए बोली,"हाँ तभी तो नहीं पहचान रही हूँ कि कौन बोल रहे हैं।"
"शाली लण्ड तो अँधेरे में भी पहचान लेती है और लपक के चुसने लगती है। आवाज क्यूँ नहीं पहचान रही है।"
मैं तो ऐसी बातें सुन के शर्म के मरी जा रही थी मगर कुछ कुछ मजे भी आने लगी थी। हल्की मुस्कान आ गई मेरे चेहरे पर।


 "प्लीज बता दीजिए ना!"
"बता दूँगा मगर मेरी एक शर्त है। वो माननी पड़ेगी तुम्हें"
"कैसी शर्त?"
"कल शाम में मैं घर आ रहा हूँ तो तुम अपने दोस्त पिँकी के साथ मेरा लण्ड लेने के लिए तैयार रहेगी।"
मेरी तो हलक सूख गई।ये पूजा और पिँकी क्या क्या गुल खिलाती है। मुझे तो गुस्सा भी आ रही थी। मगर मैं नाम जानना चाहती थी और थोड़ी थोड़ी मजे भी आ रही थी।मैं ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहती थी,
"मैं तो तैयार हूँ मगर पिँकी से पूछ के कहूँगी।"
"तो ठीक है उस रण्डी से जल्दी पूछ के बताना।"
"अब तो नाम बता दीजिए।"
"शाली चूत मरवाने के लिए हाँ कैसे कह दी बिना पहचाने। एक नम्बर की रण्डी हो गई है।"
मुझे भी हँसी आ गई इस बात पर।क्यों नहीं आती आखिर वो सही ही तो कह रहे थे। हँसते हुए मैंने पुनः रिक्वेस्ट की नाम बताने की।
फिर उन्होंने अपना नाम बताया। नाम सुनते ही मैं तो बेहोश होते होते बची।मैं तो पूजा को मन ही मन गाली देना शुरू कर दी थी। शाली पूरे गाँव में और कोई नहीं मिला अपनी चूत मरवाने के लिए। मैंने फोन काट दी। मगर फोन फिर से बजने लगी। मैं उठा नहीं रही थी। फोन लगातार आ रही थी। मैं बाहर पूजा को देखी तो अभी भी पूजा कहीं नहीं दिखाई दे रही थी। कुछ देर बाद मैंने पुनः फोन रिसीव की।



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