Friday, May 23, 2014

बदनाम रिश्ते-- हमारा छोटा सा परिवार--32

बदनाम रिश्ते--
 हमारा छोटा सा परिवार--32

 मम्मी प्यार से अक्कू के सुपाड़े को चूस थीं। उन्होंने अक्कू की दोनों झांगो को मोड़ कर चौड़ा कर दिया। मम्मी एक हाथ से अक्कू

के लंड मोटे डंडे को सहला रहीं थी और दुसरे हाथ से उन्होंने अक्कू के गोरे झांट-विहीन अंडकोषों को प्यार से अपने कोमल हाथ

की ओख में लेकर झूला सा झूला रहीं थीं।

मम्मी के गुलाबी होंठ अक्कू के तन्नाये हुए लंड के तने के ऊपर लगे। मम्मी जब अक्कू ले लंड को बहुत ज़्याददा मुंह के भीतर ले लेने

का प्रयास करती थीं तब उनके जैसी आवाज़ निकल पड़ती थी। अक्कू जब मेरे मुंह को बेदर्दी से चोदता था तो मेरी भी वैसे ही

हालत हो जाती थी। अक्कू की घबराहट देख कर मम्मी ने उसको आँखों से प्यार भरा आश्वासन भेज दिया।

मेरी चूत अब रस से भर गयी थी। मैं अब झड़ने के बहुत निकट थी और मैंने अपनी चूत को पापा के लंड के ऊपर और भी ज़ोर से

रगड़ना शुरू कर दिया। पापा मेरी स्थिति समझ गए। उन्होंने ने बहुत निर्मलता से मेरे अविकसित नन्हें भगोष्ठों को चौड़ा दिया जिससे

मेरी मटर के दाने जैसी भग्नाशा अब सीधे पापा के लंड से रगड़ रही थी। मेरी चूत से निकला रस पापा के लंड को नहलाने लगा।

पापा ने मेरे दोनों चूचियों को मसलते हुए मेरी चूत को अपने लंड के ऊपर दबाने लगे। मैं अब आगे पीछे मटकते हुए अपनी चूत और

भग्नासे को अत्यंत व्याकुलता से पापा के लंड के ऊपर रगड़ने लगी।

"पापा, मैं अब झड़ने वाली हूँ," मैं तड़पते हुए फुसफुसाई।

पापा ने मेरे दोनों चूचियों को ज़ोर से मसलते हुए अपने भारी भरकम कूल्हों को उठा कर अपने विशाल लंड के तने से मेरी चूत को

रगड़ने लगे।

पापा की मदद से मैं कुछ ही क्षणों में एक हल्की सी झड़ने लगी।

मम्मी अक्कू के आधे लंड को मुंह में भर कर उसे चूस रही थी। अचानक मम्मी ने अक्कू के लंड के ऊपर से अपना मुंह उठा लिया

और उसकी झांगों को उठा के उसके अंडकोषों के नीचे के भाग को चूमने, चाटने लगीं। अक्कू के सिसकारी ने उसे आनंद की

व्याख्या कर दी।

मम्मी ने अक्कू के चूतड़ों को चौड़ा कर उसकी गांड के छेद को अपनी जीभ की नोक से कुरेदते हुए उसे अपने थूक से लिसलिसा कर

दिया।

अक्कू अब बिस्तर पर आनंद के अतिरेक से। मुझे उस पर थोड़ा तरस आने लगा। कम से कम मैं तो झड़ चुकी थी। मम्मी अक्कू को

झाड़ने के लिए बिलकुल भी उत्सुक नहीं लग रहीं थीं।

मम्मी ने एक बार फिर से अक्कू के लंड को अपने मुंह में भर लिया और धीरे धीरे अपने थूक से भीगी तर्जनी को अक्कू की गांड में

घुसेड़ने लगीं। अक्कू की आनंद भरी सिसकारी कमरे में गूँज उठी , "मम्मी! उउउन्न्न मम्मी और ज़ोर से चूसिये। "

मम्मी ने हौले हुल्ले अपनी पूरी तर्जनी उंगली की गाँठ तक अक्कू की गांड के भीतर डाल दी।

अब मम्मी एक हाथ से अक्कू के लंड के तने को बेसब्री से सहला रहीं थीं, दुसरे हाथ की उंगली से वो अकु की गांड के अंदर कुछ कर

रहीं थीं जिससे अक्कू के चूतड़ बिस्तर के ऊपर कूदने लगे। मम्मी अब सिर्फ अक्कू के सुपाड़े को ज़ोर ज़ोर से चूस रहीं थी।

अक्कू का पूरा शरीर अकड़ गया और वो बुदबुदाने लगा , "मम्मी, मैं आह मम्मी और ज़ोर से चूसिये आह मम्मी ई ई। "

मुझे पता था की अब अक्कू आने वाला है। मैं ठीक थी। मम्मी के गाल अचानक फूल गए। मैं समझ गयी की अक्कू ने मम्मी का मुंह

अपने मीठे नमकीन गाड़े वीर्य से भर दिया था।

मम्मी ने जल्दी से उस मकरंद को निगल लिया। अक्कू ने न जाने कितनी बार मम्मी के मुंह को अपने अमृत पराग से भर दिया।

मम्मी मेरी तरह उसके अमृत को बिना एक बूँद किये निगल गयीं।

मेरी तरह मम्मी ने अक्कू के लंड को चूसना बंद नहीं किया। मुझे पता था की झड़ने के बाद अक्कू का सुपाड़ा बहुत संवेदन शील हो

जाता था। पर मम्मी ने उसके कसमसाने के बावजूद भी उसके लंड को लगातार चूसते रहीं। थोड़ी देर में अक्कू एक बार फिर से

सिसकने लगा। उसका तनतनाता हुआ लंड और भी बड़ा लम्बा और मोटा लग रहा था।

मैं अपनी खुली नन्ही चूत पापा के लंड के तने से रगड़ रही थी। पापा मेरी दोनों चूचियों को कस कर मसल। मेरी मटर के

भगनासा लगातार पापा के लंड की रगड़ सूज गयी थी। पर मैं बार चरमानंद के द्वार पर झटपटा रही थी। पापा मेरी स्थिति को

गए और वो भी अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैं हलके से चीख मार कर गयी , "पापा आह पापा मैं उउन्न्न आअह

अन्न्न्ग्ग्ग्गह आअह्ह्ह। "

पापा ने मेरा तपतपाया हुआ लाल चेहरा अपनी तरफ मोड़ कर मेरे खुले मुंह को चूमने लगे। मैंने भी अपनी झीभ पापा की झीभ से

भिड़ा दी। पापा ने मेरे मुंह के हर कोने को अपनी जीभ से सहलाया और मैंने भी मादकता के ज्वर से जलते हुए अपनी जीभ से पापा

के मीठे मुंह की और भी मीठी राल का रसास्वादन करने लगी।

पापा के हांथों ने एक क्षण के लिए भी मेरे स्तनों का मर्दन बंद नहीं किया । मेरी दोनों चूचियाँ एक मीठे दर्द से कुलबुलाने लगीं थीं।

मैं अपने रति-विसर्जन के बाद कुछ शिथिल हो गयी थी।

मम्मी ने अपना मुंह अक्कू के लोहे जैसे सख्त लंड के ऊपर से उठाया। अक्कू का पूरा लंड मम्मी के सुहाने थूक से लतपथ हो कर

चमकने लगा था। मम्मे ने अपने गदराई जांघें अक्कू की दोनों जांघों के दोनों ओर दीं।

मम्मी ने नीचे झुक कर अपना मुंह अक्कू के अद्खुले मुंह के ऊपर कस कर दबा कर एक लम्बा लार का आदान-प्रदान करने वाला

गीला रसीला चुम्बन जो शुरू किया तो बहुत देर तक उन दोनों की घुटी घुटी चूमने चटकारने के मीठे स्वर कमरे में गूंजते रहे।

मम्मी के भारी मुलायम गदराये चूतड़ अक्कू के थरथराते तन्नाये हुए लंड के ऊपर कांप रहे थे।

"अक्कू बेटा क्या तुम्हे मम्मी की चूत चाहिये ?" मम्मी ने अक्कू से कामुक छेड़छाड़ के स्वरुप में पूछा। अँधा क्या चाहे दो आँख!

अक्कू ने तड़प कर अपना सर बड़े तेज़ी से कई बार हिलाया।

मम्मी ने हल्की सी मेथी हंसी के साथ अपनी घने घुंघराले झांटों से ढकी चूत के द्वार को अक्कू के लंड के मोटे सुपाड़े के ऊपर टिका

दिया।

उनके भारी विशाल कोमल उरोज़ अक्कू की छाती के ऊपर लटक रहे थे।

"अक्कू बेटा अपने मम्मी की चूचियों से नहीं खेलोगे ?" मम्मी ने अक्कू के सुपाड़े पर अपनी धधकती चूत के प्रवेश द्वार को कई बार

रगड़ा। अक्कू सिसक कर मम्मी के दोनों उरोज़ों को अपने हांथो में भर कर मसलने लगा और एक मोटे लम्बे चूचुक को मुंह में भर

कर चूसना प्रारम्भ कर दिया।

मानो उसके मुंह ने मम्मी के चूचुक के रास्ते उनके सारे शरीर में बिजली दौड़ा दी।

"हाय, अक्कू। मैं तो मर गयी थी जब तूने अपनी माँ की चूचियाँ चूसना छोड़ दिया था। मुझे तो कभी सपने में भी विचार नहीं

आता की एक दिन एक बार फिर से मेरा नन्हा बेटा अपने माँ के स्तन को फिर से चूसेगा। और ज़ोर से चूसो अक्कू अपनी माँ की

चूचियों को। बेटा और ज़ोर से मसलो, " मम्मी की साँसे भारी हो चली थीं।

मम्मी धीरे धीरे अपनी गीली रसीली चूत को अक्कू के लंड के ऊपर दबाने लगीं। इंच इंच कर के अक्कू का मोटा लम्बा लंड मम्मी के

चूत में गायब होने लगा। अक्कू उन भाग्यशाली बेटों में शामिल हो गया जिन्हे अपनी जननी के मातृत्व-मार्ग को एक बार फिर से

पारगमन करने का सौभाग्य मिल पाया।

अक्कू ने मम्मी के चूचुक को दांतों में कस कर दबा लिया और उसके हांथों ने मम्मी के कोमल दैव्य स्तनों को मसलते हुए उन्हें

मड़ोड़ना भी शुरू कर दिया। मम्मी के ऊंची सिसकारी कमरे में गूँज उठी। पता नहीं की वो अक्कू के उनके सुंदर चूचियों के निर्मम

मर्दन की वजह से थीं या उनकी यौनी में समाते हुए अपने बेटे के लंड के आनंद के अतिरेक के कारण उत्पन्न हुई थी।

आखिरकार मम्मी की चूत ने अक्कू का पूरा लंड अपनी स्वगंधित कोमल चूत में छुपा लिया।

अक्कू ने सिसक कर अपने कूल्हों को बिस्तर के ऊपर उछाला। मम्मी ने अपने सुकोमल सुरुचिकर हाथों को अक्कू के सीने के दोनों

तरफ बिस्तर पर टिका कर और भी अक्कू के मुंह की तरफ झुक गयीं। अकु को अब मम्मी के दोनों उरोज़ों के ऊपर पूरा अभिगम

था।

अक्कू उस पहुँच का पूरा इस्तमाल करने लगा। मम्मी के दोद्नो उरोज़ अक्कू के निर्मम पर प्यार भरे मर्दन से लाल हो गए।

मम्मी अपने गोल भारी चूतड़ों को घुमा घुमा कर अक्कू के लंड को अपने चूत से मसल रहीं थीं। कुछ देर तक अक्कू को तरसा

तड़पा कर मम्मी अपनी चूत को हौले हौले अक्कू के लंड के ऊपर से उठाने लगीं।

अक्कू का मम्मी के रति रस से लतपथ तन्नाया हुआ लंड मम्मी की चूत में से उजागर हो चला। मम्मी ने अक्कू के सिर्फ सुपाड़े को

अपनी तंग चूत में जकड कर अपने चूतड़ों को गोल गोल हिलाने लगीं। अक्कू की सिस्कारियां मम्मी को आनंद दे रहीं थीं। आखिर

कोई भी माँ अपने बेटे के साथ पहले रति-क्रिया को कैसे भूल सकती है? और हर माँ उस सम्भोग को जितना हो सके उतना

अविस्वर्णीय बनाने का भरसक प्रयास करेगी। अक्कू तो मम्मी का लाडला है।

अक्कू को तरसता नहीं देख सकी मम्मी। उन्होंने एक तेज़ झटके से अक्कू का पूरा लंड अपने चूत में समां लिया। और बिना रुके

उनके चूतड़ तेज़ और जोरदार झटकों से अक्कू के लंड से अपनी चूत को चोदने लगीं।










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