Monday, May 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--2

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--2

 जल्द ही शादी का दिन भी आ गया, रश्मि ने तय कर लिया था कि वो अपने इस घर को कभी बेचेगी नहीं, इसलिए उसने अपने एक कज़न को वो घर रहने के लिए दे दिया, क्योंकि वो कहीं किराये पर रह रहा था, उसने सोचा इस तरह से घर कि देखभाल भी होती रहेगी और उसके कज़न का किराया भी बच जाएगा.

शादी कोर्ट में हुई , पर काव्या तो उस दिन भी ऐसे सजी हुई थी जैसे सच में किसी शादी में आयी हो, उसने लहंगा चोली पहना हुआ था, जिसमे उसका सपाट पेट साफ़ दिख रहा था , वो आज बहुत खुश थी, आज उसकी माँ कि जिंदगी बदलने वाली थी, वो भी अपनी माँ के साथ नए घर में जाने वाली थी.

शादी कि रस्मे ख़त्म होने के बाद सभी घर कि तरफ चल दिए, रास्ते से काव्या ने श्वेता को फ़ोन कर दिया कि वो जल्दी पहुंचे, शाम को दोनों ने एक साथ सजने-सँवरने का प्रोग्राम बनाया था.

समीर ने शाम को अपने आलिशान बंगले में रिसेप्शन पार्टी रखी थी, जिसमे काफी मेहमान आये हुए थे , पुरे घर में चहल पहल थी.

और ऊपर काव्य अपने कमरे में बैठ कर श्वेता से बाते भी कर रही थी..

दोनों ने फेस पेक लगा रखा था.

श्वेता : "यार तेरी तो ऐश हो गयी, इतना सेक्सी रूम है तेरा, सुपर्ब ''

काव्या : " थेंक्स यार , मुझे तो खुद भी विश्वास नहीं हो रहा है कि ये मेरा रूम है, मेरा अपना पर्सनल रूम ''

और वो रूम सच में शानदार था, एल ई डी, बालकनी, अटैच बाथरूम, कंप्यूटर और साथ ही एक बड़ी सी अलमारी जिसमे समीर ने पहले से ही काव्या के लिए हर तरह के कपडे भर दिए थे.

वो बहुत खुश थी..

श्वेता : "यार, तेरे पापा ने तेरे लिए इतना कुछ किया है, तुझे भी कुछ करना चाहिए उनके लिए ''

काव्या : "मुझे .... क्या ???"

श्वेता : "आज उनकी सुहागरात है, तेरी मम्मी के साथ , क्यों न हम दोनों मिलकर उनका रूम डेकोरेट करे ''

काव्या ने तो ये बात सोची भी नहीं थी, और कोई भी ऐसा नहीं था जो ये काम करता, उन्हें ही ये करना होगा.

दोनों ने तय किया कि उनके कमरे को गुलाब के फूलो से सजा दिया जाए और इसके लिए श्वेता ने अपने भाई नितिन को फ़ोन किया.

नितिन के बारे में बता दू, वो श्वेता से दो साल बड़ा है और कॉलेज जाता है, और मन ही मन वो काव्या पर मरता भी है..

जैसे ही श्वेता ने नितिन को सारी बात बतायी, वो झट से मान गया, वो काव्या को देखने का एक भी अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.

नितिन मार्किट से जाकर एक फ्लावर शॉप वाले को ले आया और उसने अपने दो साथियो के साथ आकर पूरा कमरा गुलाब से सजा दिया.

नितिन कि नजरे रह रहकर काव्या को घूर रही थी, उसकी नाभि उसने आज पहली बार देखि थी, अंदर कि तरफ धंसी हुई, वो मन ही मन उसे चूसने कि सोच ही रहा था कि श्वेता बोली : "थेंक्स भाई, तुम्हारी वजह से ये सब आसानी से हो सका ''


किसी और चीज कि है ''

काव्या : "किस चीज कि ''

श्वेता : "सुहागरात कि, आज इतने सालो के बाद इन दोनों को कोई मिलेगा, धमाल होगा आज तो इनके कमरे में''

अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर काव्या शरमा गयी, उसके दिमाग में चलचित्र उभरने लगे, जिसमे उसकी माँ और समीर पापा नंगे एक दूसरे के शरीर से लिपटे हुए हैं और प्यार कर रहे हैं.

उसकी आँखों में गुलाबीपन उतर आया..

श्वेता ने उसे शर्माते हुए देखा और धीरे से उसके कान में बोली : "मुझे पता है तू क्या सोच रही है ''

काव्या ने चोंक कर उसकी आँखों में देखा, और उसकी शरारती नजरों में छुपी बात को वो समझ गयी क्योंकि वो जानती थी कि श्वेता इन मामलो में कितनी तेज है , उसने फिर से अपनी नजरें झुका ली..

श्वेता धीरे से बोली : "एक आईडिया आया है, अगर तू साथ दे तो मजा आएगा "

काव्या : "क्या ??"

श्वेता : "इन दोनों कि सुहागरात देखते हैं , छुप कर, बोल क्या कहती है ''

काव्या कि आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी, उसने सोचा भी नहीं था कि श्वेता ऐसा कुछ कहेगी.

श्वेता आगे बोली : "देख, अभी पार्टी से सब लोग चले जायेंगे, कोई रिश्तेदार रुकने वाला नहीं है रात को, पुरे घर में सिर्फ तेरे मम्मी पापा और तू रहेगी, मैं नितिन को बोल दूंगी कि मैं रात को यहीं रुकूँगी, और फिर रात को हम दोनों मिलकर दोनों कि लाइव सुहागरात देखेंगे , वॉव, कितना मजा आएगा, हमें भी कुछ सीखने को मिलेगा , है न ''

काव्या चुप चाप उसकी बाते सुनती रही..

श्वेता आगे बोली : "और वैसे भी, अपनी माँ कि सुहागरात देखने का मौका मिलता भी किसे है, यु आर लक्की वन''

काव्या कि हंसी निकल गयी और उसने हँसते हुए अपना सर हिला कर उसे अपनी सहमति दे डाली.

वैसे तो उसने इतनी सी देर में काफी कुछ सोच लिया था कि ये सब गलत है, अपनी माँ को ऐसे सेक्स करते हुए देखना गलत होगा, समीर सर भी अब उसके पापा है, अपने पापा को नंगा देखना कितना गलत है ये वो अच्छी तरह से जानती थी, पर उसकी उम्र ही ऐसी थी कि ये सब गलत बातो को दरकिनार करते हुए उसने श्वेता कि बात मान ली.

श्वेता ने नितिन को वापिस घर भेज दिया और मम्मी को भी फ़ोन करके बता दिया कि आज वो वही रुकेगी .

धीरे-२ सभी मेहमान चले गए.

दोनों सहेलिया समीर के बेडरूम में छुपने कि जगह देख रही थी.

बंगले में सभी बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और सभी बेडरूम कि बड़ी सी बालकनी एक दूसरे से मिली हुई थी , बस बीच में छोटी सी दिवार थी, समीर के बेडरूम और काव्या के बेडरूम के बीच एक स्टोर रूम भी था, जिसके पीछे भी एक बालकनी थी.

दोनों सहेलियो ने डिसाईड किया कि काव्या के रूम कि बालकनी से टापते हुए वो उसकी माँ के बेडरूम तक जायेंगे और वहाँ से छुपकर अंदर का नजारा देख्नेगे.

बाहर से अंदर देखने के लिए उन्होंने एक कोने का पर्दा थोडा सा खिसका कर ऊपर कर दिया , वैसे भी बालकनी में काफी अँधेरा था, वहा कोई छुपकर बैठ जाए तो दिखायी ही नहीं देगा

रात का 1 बज रहा था, सभी थक कर अपने-२ कमरे कि तरफ जाने लगे.

अपने कमरे के अंदर जाते हुए काव्या ने रश्मि को देखा तो उसने अपना अंगूठा ऊपर करते हुए कहा : "आल द बेस्ट फॉर यूर न्यू लाईफ ''

और फिर वो अपने कमरे कि तरफ चली गयी, जहा श्वेता बैठी उसका इन्तजार कर रही थी.

और अपने बेडरूम में जाते ही वहाँ कि सजावट देखकर रश्मि और समीर आश्चर्यचकित रह गए, वो समझ गए कि ये सब काव्या ने किया है.

समीर ने दरवाजा बंद कर दिया और रश्मि को अपने पास बुलाया और उसे अपनी बाहों में लपेट कर जोर से हग किया ..

रश्मि का दिल धड़क रहा था, आज ये पहला मौका था जब समीर उसे अपनी बाहों में ले रहा था..

इसी बीच काव्या और रश्मि बालकनी फांद-२ कर वहाँ तक पहुँच गयी थी , और बाहर छुप कर सारा नजारा देख रही थी.

समीर ने अपनी बाहे रश्मि के चारों तरफ लपेट दी और झुक कर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए
रश्मि सिसक उठी..

 समीर के हाथ उसके कुलहो पर फिसल रहे थे , उसने साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया, और कमर में फसी हुई साडी खोल कर नीचे गिरा दी.

उसके मोटे-२ मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे समीर को, उसने अपने हाथों को उसके उरोजों के नीचे रखा और धीरे से बोला : "इन्ही दशहरी आमों ने मुझे तुम्हारा दीवाना बनाया है ''

उसकी बात सुनकर रश्मि शर्माती हुई समीर के सीने से लिपट गयी..

समीर ने एकदम से रश्मि के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगा..

समीर के हाथ रश्मि के शरीर पर फिसल रहे थे, उसके मुम्मो को मसल रहे थे,

उसने रश्मि को चूमते-२ ही उसके ब्लाउस के हुक खोल दिए ,और उसकी ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसके स्तनों को नंगा कर दिया..

और फिर अपना चेहरा नीचे करते हुए उसने एक-२ करते हुए रश्मि के नन्हे बच्चो को बेतहाशा प्यार किया .

उसके हाथ रश्मि के कूल्हों को मसल रहे थे , उसके पेटीकोट को ऊपर करते-२ उसे कमर तक ले आये, और एक ही झटके से समीर ने रश्मि कि पेंटी को दोनों तरफ से खींच कर उसकी चूत और गांड के बीच ऐसे फंसा दिया जैसे कोई पतली सी रस्सी , अपनी दरारों पर पेंटी का दबाव पड़ते ही रश्मि तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म ''

पर समीर से अब सब्र नहीं हो रहा था, इतने सालो तक अपनी पत्नी से अलग रहने के बाद उसने आज तक बाहर मुंह नहीं मारा था, और आज उससे सब्र नहीं हो रहा था ..


रश्मि का भी लगभग यही हाल था, उसे आज लगभग पांच साल बाद किसी मर्द ने इस तरह से पकड़ा था, वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी , और उसके मुंह से अजीब -२ सी आवाजें भी निकल रही थी..

और ये सब नजारा बाहर छुपी हुई दो जवान लड़कियां अपना मुंह फाड़े देख रही थी..

श्वेता तो रश्मि के मुम्मे देखकर बुदबुदा उठी : "वाव, क्या ब्रेस्ट है तेरी माँ कि, उम्म्म्म्म्म्म्म ''

उसका मन कर रहा था कि अंदर जाए और उन्हें चूस डाले.

समीर ने एक ही झटके में रश्मि का पेटीकोट भी नीचे गिरा दिया, और फिर नीचे बैठते हुए उसकी पेंटी भी नीचे तक उतार दी..

अब वो रश्मि कि चूत के आगे घुटनो के बल बैठा हुआ था , उसकी चकनी चूत को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उसने अपना मुंह वहाँ लगा दिया..

रश्मि का पूरा शरीर थरथरा उठा.... 

उसके पति ने भी आज तक उसकी चूत नहीं चूसी थी, ये पहला मौका था जब उसकी चूत को किसी के होंठों ने छुआ था

उसने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना एक पैर उठा कर समीर के कंधे के पीछे कर दिया, और अपनी खुली हुई चूत के अंदर समीर कि जीभ को पूरी तरह से महसूस करने लगी..

काव्या को ऐसा लगने लगा कि उसकी चूत के अंदर चींटियाँ रेंग रही है, उसने हाथ फेरा तो पाया कि वहाँ से कुछ गीला -२ निकल रहा है.

और यही हाल श्वेता का भी था, उसने तो अपने पायजामे के अंदर हाथ डालकर अपनी चूत सहलानी भी शुरू कर दी थी..

रश्मि से अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था , वो पीछे कि तरफ होती गयी और पलंग पर जाकर पीठ के बल लेट गयी, गुलाब कि पंखुड़ियों से सजी उस सेज पर एक तूफ़ान सा आ गया जब समीर ने रश्मि कि दोनों टांगो को फेला कर अपनी जीभ को किसी लंड कि तरह उसकी चूत के अंदर उतार दिया और बुरी तरह से ऊपर नीचे होकर उसे चोदने लगा..

बालकोनी में छुपी हुई श्वेता और काव्या का बुरा हाल था , काव्या तो नीचे बैठी थी, और श्वेता उसकी पीठ के पीछे खड़ी थी, श्वेता ने ना जाने कब अपने पायजामे को नीचे खिसका कर अपनी चूत को नंगा कर लिया था, इस बात का काव्या को भी अंदाजा नहीं था..

अंदर का माहोल और भी गर्म हो गया जब समीर ने उठ कर अपना कोट पेंट उतार फेंका और अपने लंड को निकाल कर रश्मि के सामने लहरा दिया

और उस लंड-भसंद को देखकर रश्मि के साथ -२ काव्या और श्वेता कि आँखे भी फट गयी .

लगभग आठ इंच का लंड था समीर का और तीन इंच मोटा..

रश्मि ने आज तक लंड नहीं चूसा था पर अपनी चूत चुस्वा कर आज उसे इतना मजा आया था कि उसने झट से उसके लंड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी..

समीर के मुंह से एक लम्बी आआअह निकल गयी.  

थोड़ी देर तक अपना लंड चुस्वाने के बाद समीर असली काम पर आ गया , उसने अपने बाकी के बचे खुचे कपडे उतार फेंके और रश्मि को भी पूरा नंगा कर दिया..

और एक ही झटके में उसकी चूत के अंदर अपना लंड पेलकर उसे चोदने लगा.. उसके रसीले और थरथराते हुए चूतड़ अपनी जांघ पर महसूस करते हुए समीर कि मस्ती कि कोई सीमा ही नहीं रही  


दोनों को नंगा देखकर एक पल के लिए तो काव्या भी शरमा गयी..

अपनी माँ को हालाँकि उसने कई बार नहाते हुए या कपडे बदलते हुए देखा था, पर इस तरह से नहीं, पूरी नंगी होकर वो किस तरह से बिहेव कर रही थी

और श्वेता ने तो सोचा भी नहीं था कि सेक्स करते हुए एक दूसरे के साथ इतने मजे आते हैं, उसने आज तक सिर्फ अपने बी ऍफ़ के साथ शोकिया तौर पर किस्स वगेरह ही कि थी, अपनी ब्रैस्ट और चूत पर तो उसने किसी को हाथ भी नहीं लगाने दिया था

पर आज इतनी तरह से सेक्स कि कार्यवाही देखकर उसके मन कि भी कई शंकाए मिट सी गयी थी..

समीर का लंड अंदर - बाहर होता जा रहा था और अचानक रश्मि को अपने अंदर एक गुबार बनता हुआ महसूस होने लगा और अगले ही पल वो गुबार फूट गया और वो बिलबिलाती हुई सी झड़ने लगी ..

''अययययीईईईईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्हह्हह्हह्हह ''

और उसने अपनी चूत के मुहाने पर चिपचिपा सा द्रव्य छोड़ दिया, उसकी चिपचिपाहट को अपने लंड पर महसूस करके समीर ने भी आखिरी मौका आते ही अपना लंड बाहर निकाला और पिचकारी बना कर उससे रश्मि के शरीर को पूरा रंग दिया 

और उसके मुम्मों के गद्दे पर गिरकर गहरी साँसे लेने लगा..

काव्या और श्वेता वहाँ से निकल कर अपने कमरे में आ गए..

पर समीर को पता था कि अभी तो ये शुरुवात है, इतने सालो से जमा कि हुई एनेर्जी से कम से कम तीन - चार बार चोदना था उसे आज रात रश्मि को ...

काव्या के कमरे में पहुँचते ही श्वेता ने अपना पायजामा और पेंटी उतार फेंकी और अपनी बीच वाली ऊँगली अपनी चूत के अंदर डाल कर जोर - २ से हिलाने लगी

काव्या आँखे फाड़े उसे देखने लगी

दोनों ने पहले भी कई बार मास्टरबेट किया था और एक दूसरे को बताया भी था कि कैसे और किसे सोचकर वो सब किया, पर एक दूसरे के सामने उन्होंने कभी नहीं किया था, ये पहला मौका था जब काव्या ने श्वेता को ऐसे देखा था, नीचे से नंगी ....

और उसकी सुनहरी चूत को देखकर वो मंत्रमुग्ध सी हो गयी , बिलकुल सफाचट चूत, बिना बालो के उसकी चूत ऐसे लग रही थी मानो चेहरे के होंठ चिपके हो वहाँ , रसीले और मोटे ..

वो बोली : "श्वेता, कुछ शर्म है या नहीं, मेरे सामने ही शुरू हो गयी तू ''

श्वेता अपनी ऊँगली अंदर करते हुए बड़ी मुश्किल से बोली : "यार, मुझसे तो वहाँ सब्र ही नहीं हो रहा था, मास्टरबेट करते हुए मेरे मुंह से चीखे निकलती है वर्ना वहीँ शुरू हो जाती मैं ''

इतना कहते हुए उसने एक जोरदार चीख मारी

'''आआयययययययययीईईईईई स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

काव्या : "धीरे चीख पागल , तू तो मरवाएगी मुझे, मम्मी पापा ने अगर सुन लिया तो क्या सोचेंगे ''

तभी उनके कमरे से भी मम्मी कि चीख आयी......

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह गोड ……''

और वो भी काफी तेज....

श्वेता (मुस्कुराते हुए) : "ये बात जब वो नहीं सोच रहे तो तुझे क्या जरुरत है ''

उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी..
 
 
 
 


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