Monday, May 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--7

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--7

 उसे अब भी विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उसके जिगरी दोस्त कि बेटी उसके सामने नंगी होकर बैठी है और मास्टरबेट कर रही है..

उसने भी अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, उसका सुपाड़ा स्किन के नीचे छिप जाता और फिर निकल आता, ये देखकर काव्या के अंदर कि मस्ती बढ़ती ही जा रही थी..

दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, काव्या कि नजरे लोकेश के लंड पर थी और लोकेश कि नजरें उसकी जूसी पुस्सी पर ।

लोकेश ने देखा कि काव्या कि चूत में से गीलापन निकल कर बाहर रिसने लगा है, जिसे वो अपनी चूत के चेहरे पर मलकर उसे निखार रही थी , लोकेश के लंड से भी प्रीकम निकला, जिसे उसने अपने पूरे लंड पर मलकर उसे चिकना बना लिया, दोनों कि साँसे तेज होने लगी थी , दोनों के अंदर एक तूफ़ान जन्म ले चुका था

और अचानक लोकेश के थरथराते हुए लंड को देखकर काव्या के मुंह से निकला : "ओह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

और उसके साथ ही उसने अपनी दो और उँगलियाँ अपनी चूत में उतार दी, ऐसा सीन और उसकी सेक्सी आवाज लोकेश के लिए बहुत थी, उसके ज्वालामुखी को बाहर निकालने के लिए ....

वो थोडा आगे खिसक आया और एक जोरदार हुंकार के साथ उसके लंड से गर्म -२ दूध निकलकर काव्या के ऊपर गिरने लगा .

वो तो उसकी तपन से जल सी गयी..

ढेर सारा रस नाव पर भी गिरा , जिसे देखकर और महसूस करते हुए काव्या कि उँगलियाँ भी तेज हो उठी और वो बुदबुदाने लगी

''अह्ह्ह्हह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स अंकल अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आई ऍम आल्सो कमिंग ..........'''''

और इसके साथ ही उसकी चूत से भी एक गर्म पानी कि बौछार बाहर कि तरफ निकल आयी , और एक बड़ी सी बूँद लोकेश के माल पर भी जाकर गिरी..

काव्या ने गहरी साँसे लेते हुए अपनी ऊँगली से अपने और लोकेश के रस को मिलाया और अपनी ऊँगली में लपेट कर उसे अपने मुंह के अंदर धकेल लिया और एक गहरी सांस लेते हुए उसे चूसने लगी

लोकेश ने तो सोचा भी नहीं था कि उसकी जिंदगी में ऐसा कुछ भी हो सकता है.

वो बेचारा अपनी साँसों पर काबू पाने कि कोशिश करता हुआ काव्या को अपना और उसका खुद का रस चाटते हुए देख रहा था..

उसने अपनी घडी देखि, अभी तो सिर्फ आधा घंटा ही हुआ था, लोकेश ने फिर से चप्पू चलाना शुरू कर दिया

काव्या तो मास्टरबेट करने के बाद वहीँ टावल पर लेट कर अपनी चूत कि परतों को मसल रही थी , उसके सेक्सी बदन को देखकर कब उसके लंड ने दोबारा अकड़ना शुरू कर दिया उसे भी पता नहीं चला



 और लोकेश के लंड कि अकड़न काव्या से भी ज्यादा देर तक छुपी ना रह सकी

काव्या : " वाव अंकल , मानना पड़ेगा, इतनी उम्र में भी आप जवानो से कम नहीं हो …लगता है अभी-२ जो प्रतियोगिता आपने जीती है, उसका इनाम देने का समय आ गया है ''

इतना कहते हुए वो अपने घुटनो और हाथों पर किसी कुतिया कि तरह चलती हुई लोकेश कि तरफ बढ़ने लगी..

अभी भी आधा घंटा था वापिस जाने में, कहाँ तो लोकेश पहले सोच रहा था कि एक घंटे तक क्या करेगा नदी में, और अब सोच रहा है कि एक घंटे से ज्यादा ठहर सकते तो कितना अच्छा होता पर वो ज्यादा देर तक ठहर कर समीर और रश्मि के मन में कोई शक़ भी पैदा करना नहीं चाहता था, आखिर उनकी जवान बेटी के साथ आया हुआ था वो.

लोकेश कि नजरें काव्या के लटक रहे थनों पर पड़ी, जो नीचे लटकने कि वजह से कुछ ज्यादा ही बड़े नजर आ रहे थे, अब काव्या ही अपनी तरफ से पहल कर रही थी, इसलिए लोकेश ने भी ज्यादा भाव खाना सही नहीं समझा , उसने अपने पैर को आगे किया और ऊपर करते हुए उसने उसके लटक रहे मुम्मे के निप्पल को अपने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली के बीच फंसा कर नीचे कि तरफ खींचा.

काव्या के मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी : "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीईरे। ……… दर्द होता है न ''...

उसने बड़े ही प्यार से अपनी गोल आँखे नचाते हुए लोकेश से कहा.

ये उसकी जिंदगी का पहला स्पर्श था, किसी मर्द का …

लोकेश ने फिर से चप्पू चलना छोड़ दिया और अपने दूसरे पैर को भी खिसका कर उसकी दूसरी ब्रेस्ट पर ले आया और अपने अंगूठे से उसके निप्पल को खुरचने लगा.

उसने अपने दोनों अंगूठों का दबाव ऊपर कि तरफ डाला जिसकी वजह से उसके दोनों लम्बे -२ निप्पल मुम्मों के मांस के अंदर घुस गए , वहाँ के गुदाजपन को अपने पैरों पर महसूस करके लोकेश को एक अलग ही आनंद प्राप्त हो रहा था , काव्या के दोनों निप्पल उसके अंगूठे पर किसी कील कि तरह चुभ रहे थे.

काव्या के लिए भी ये अलग किस्म का मजा था, उसका तो मन कर रहा था कि उसके पैर को पकड़ कर अपनी चूत पर रखे और उसकी सारी उँगलियाँ अंदर धकेल डाले , पर आज के लिए वो अपनी सीमा जानती थी, वो सिर्फ उतनी लिमिट तक ही जाना चाहती थी, जहाँ तक के लिए उसने और श्वेता ने डिसकस किया था.


 वो सीधी होकर अपने घुटनों को मोड़कर उसके सामने किसी दासी कि तरह बैठ गयी और अपने दोनों हाथों को लोकेश के पैरों के ऊपर रखकर उनका दबाव अपनी छातियों पर डाला और उनसे मिल रही सिहरन का मजा महसूस करके सिसकने लगी.

उसने सिसकारी मारते हुए उसके अंगूठे को पकड़कर अपने मुंह कि तरफ किया और उसके मोटे से अंगूठे को पकड़कर अपने रसीले होंठों के अंदर रखा और उसे किसी लंड कि तरह से चूसने लगी.

अब अपनी आँखे बंद करके सिसकने कि बारी लोकेश कि थी, उसे ऐसा अनुभव हो रहा था कि जैसे काव्या उसका अंगूठा नहीं बल्कि लंड चूस रही है , दूसरे पैर से वो उसके निप्पल को पकड़कर बाहर कि तरफ खींचने लगा जैसे वो उसके बदन से उखाड़कर अलग ही कर देना चाहता हो , काव्या को भी दर्द हो रहा था पर उस दर्द का भी अलग ही मजा मिल रहा था उसे …

अपने दूसरे पैर को उसकी छाती को मसलने के बाद वो उसे नीचे कि तरफ ले गया और सीधा लेजाकर काव्या कि धधक रही चूत के ऊपर रख दिया , वो पहले से ही इतनी गीली थी कि लोकेश के पैर का अंगूठा घप्प से उसके अंदर घुस गया और काव्या अपनी कमर हिला-हिलाकर उसकी अकड़न को अपनी क्लिट के दाने पर मसलकर उसका आनंद उठाने लगी.

अब काव्या से सहन करना मुश्किल हो रहा था, उसने लोकेश के दोनों अंगूठों को अपने मुंह और चूत से बाहर निकाला और खिसक कर और आगे आयी और झपट कर उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ में ले लिया और सड़प करके उसे अपने मुंह के अंदर धकेल लिया..


ये था काव्या कि जिंदगी का पहला लंड , जिसे उसने अपने हाथों में पकड़ा था, और अब उसे अपने मुंह के अंदर ले कर उसे किसी लोलीपोप कि तरह चूस रही थी..

इतना मोटा, लम्बा और मुलायम त्वचा का लंड, कितनी अकड़ थी उसके अंदर , वो तो पागल सी हुई जा रही थी उसे अपने हाथों और मुंह के अंदर महसूस करते हुए , उसने अपनी जिंदगी के लगभग 18 साल निकाल दिए थे बिना किसी लंड को टच किये बिना और अब वो उन सभी सालों का हिसाब जल्द से जल्द चुकता कर देना चाहती थी.

वो अपनी जीभ से लोकेश अंकल के लंड के सुपाड़े को किसी आइसक्रीम कोन कि तरह चाट रही थी, और उसपर अनगिनत किस्सेस भी कर रही थी..

अपने लंड को मिल रही इतनी इज्जत से लोकेश भी खुश हो गया..

उसने एक हाथ से काव्या के बालों को पकड़ा और दूसरे से उसकी गर्दन दबोच ली और उसके सर को ऊपर नीचे करता हुआ अपने लम्बे लंड से उसके मुंह को चोदने लगा..

ये बेशक काव्या कि जिंदगी कि पहली लंड चुसाई थी, पर वो कर ऐसे रही थी कि लोकेश को भी लग रहा था कि वो काफी खेली खायी लड़की है..


 और लोकेश मन ही मन हैरान भी हो रहा था कि इतनी सी उम्र में ही उसने लंड चूसने कि ऐसी महारत हासिल कर ली है , पर जो भी था, वो इन पलों का पूरा आनंद लेता हुआ अपना लंड चुस्वा रहा था ...

और जल्द ही उसके लंड ने जवाब दे दिया और एक के बाद एक कई रॉकेट उसके लंड से निकलकर काव्या के मुंह के अंदर पहुँच गए..

और वो अंत तक उसे चूसती रही..

जब वो पीछे हुई तो उसके दोनो गाल फूले हुए थे, यानि उसने लोकेश का माल अपने मुंह के अंदर ही इकठ्ठा किया हुआ था..

उसने लोकेश कि तरफ बड़े ही सेक्सी अंदाज में देखा और झील कि तरफ झुककर अपने होंठों को गोल करके एक पिचकारी मारी, और सारा माल बाहर निकाल दिया.

काव्या : "सॉरी, मुझे इसका स्वाद पसंद नहीं है, इसलिए निकाल दिया ''.

काव्या ने अपनी जिंदगी में आज पहली बार किसी के रस को अपने मुंह से चखा था, और थोडा अजीब सा स्वाद था वो ,इसलिए अंदर नहीं निगल पायी , शायद आने वाले टाइम में निगल पाये, पर आज नहीं …

गहरे नीले रंग के पानी पर लम्बी सी लकीर खिंच गयी सफ़ेद रंग कि, जो धीरे-२ पानी के अंदर विलीन हो गयी..

लोकेश : "यहाँ इतनी जगह नहीं है कि मैं ढंग से तुम्हारे इस अहसान का बदला चुका सकू ''.

काव्या : "कोई बात नहीं अंकल, अभी तो हमारे पास काफी दिन हैं यहाँ , शायद रात तक ही कोई रास्ता निकल आये ''.

अभी भी पंद्रह मिनट बचे थे, और ये बात काव्या भी जानती थी, उसने लोकेश को जल्द से जल्द वापिस चलने को कहा.

उसे पता था कि समीर और उसकी माँ पीछे से क्या करेंगे और वो देखना चाहती थी कि वहाँ क्या हो रहा है ....

लोकेश ने भी कोई बहस नहीं कि, वैसे भी, बेटी के बाद माँ के जलवे देखने के लिए वो भी उत्सुक था.
पर उन्हें क्या पता था कि जो आज वो देखने जा रहे हैं वो उन दोनों कि जिंदगी हमेशा के लिए बदल देगा


 दूसरी तरफ, जैसे ही लोकेश और काव्या नाव पर बैठकर समीर कि नजरों से ओझल हुए, उसने नीचे खड़े-२ ही रश्मि को आवाज लगायी

समीर : "रश्मि …… रश्मि ....... जल्दी से नीचे आओ ''

रश्मि ने खिड़की से अपना सर बाहर निकाला और बोली : "क्या हुआ जी , क्यों इतने उतावले हो रहे हो ''

समीर ने अपनी केप्री नीचे खिसका दी और अपना खड़ा हुआ लंड उसकी आँखों के सामने लहरा दिया ..

रश्मि ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और बोली : "हाय , तुम्हे कोई शर्म है या नहीं, लोकेश भाई साहब और काव्या यहीं है अभी ....''

समीर : "नहीं , वो दोनों तो गए एक घंटे के लिए ''

इतना कहकर उसने दूर जाती हुई नाव कि तरफ इशारा किया..

अब रश्मि समझ गयी थी कि ये समीर का ही प्लान होगा शायद, काव्या और लोकेश को भेजकर वो खुलकर जंगल में मंगल करना चाहता था.

समीर ने उसे फिर से नीचे बुलाया और वहीँ से चिल्ला कर बोला : "जल्दी से नीचे आओ, और सुनो, बिना कपड़ो के ही आना ''.

इतना कहकर उसने अपने बचे हुए कपडे भी उतारकर साईड में रख दिए.

रश्मि ने आज तक समीर को किसी भी बात के लिए मना नही किया था, इसलिए अब भी नही करना चाहती थी, उसने सकुचाते हुए अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए, और मन ही मन वो सोच भी रही थी की कैसे वो इतनी बेशरम हो सकती है की खुले मे नंगी होकर वो समीर के पास जाएगी, पर करना तो पड़ेगा ही, आख़िर उसके बॉस और पति का हुक्म जो था.

वैसे दोस्तो, पति को हमेशा ऐसी ही पत्नियाँ पसंद आती है, जो सेक्स के वक़्त उसकी बात को बिना सोचे-समझे मान ले,ये सब उसके मन में बसी हुई इच्छाये या फेंटसी होती है, जो वो अपनी पत्नी से पूरा करवाना चाहता है .. चाहे वो बात ग़लत हो या सही, तभी वो व्यक्ति अपनी पत्नी से पूरा संतुष्ट रह पाता है, वरना कब बाहर मुँह मारने लग जाए, उसे खुद भी पता नही चलता.

अपने मुम्मे छलकाते हुए वो नीचे आ रही थी जिसे देखकर समीर के लंड ने उसके पेट के ऊपर अपना सर दे मारा , वो भागकर उसके पास गया और उसके नंगे बदन से लिपट गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा


चूमते-२ वो उसे झील के किनारे बिछायी हुई चादर के ऊपर ले आया और उसे नीचे लिटा कर उसकी छाती पर बैठ गया , और अपने लंड को उसके मुंह के सामने लहरा दिया, और बोला : "खोलो, मुंह खोलो जल्दी से …''

उसकी बेचैनी देखकर रश्मि कि भी हंसी निकल गयी, वो भी मजे लेते हुए बोली : "अगर ना खोलू तो …''

समीर ने झुक कर उसके बालों को पकड़ा और बेदर्दी से उसे ऊपर कि तरफ खींच कर थोडा ऊपर उठाया और बोला : "तो तकलीफ तुझे ही होगी, जल्दी कर अब ....''

रश्मि को भी समीर का ये मर्दाना अंदाज पसंद आ रहा था, वो तो हमेशा चाहती थी कि उसे बिस्तर पर कोई ऐसा मिले जो उसपर किसी दासी कि तरह हुक्म चलाये, उसे रोंदे, उसे मसले, उसकी फाड़ कर रख दे , और आज समीर के इस रूप को देखकर उसके मन को इतना सकून मिल रहा था ये समीर को भी नहीं पता चल पा रहा था..

उसने मुंह खोल दिया.

समीर ने अपने दूसरे हाथ में अपने लंड को पकड़कर उसके खुले हुए मुंह के अंदर धकेल दिया और अपनी आँखे बंद करके उसमे धक्के मारने लगा , रश्मि ने भी अपने होंठों के फंदे में अपने मालिक के लंड को जकड़कर उसे चूसना और चुभलाना शुरू कर दिया.

रश्मि ने समीर के घुटनों को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचकर धक्को में एक लय सी बाँध ली और समीर भी तेजी से धक्के मारता हुआ उसके मुंह को बुरी तरह से चोदने लग गया.


 एक बार तो उसने इतना तेज धक्का मारा कि रश्मि के गले के अंदर तक उसका लंड घुस गया और उसे सांस लेने में भी मुश्किल होने लगी, समीर ने थोड़ी देर के लिए अपना हथियार बाहर निकाला और फिर जब वो ठीक हुई तो दोबारा अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसके मुंह के अंदर पेल दिया.

उसके बाद दो बार और वही हुआ तो समीर ने आखिरकार अपना लंड बाहर ही निकाल लिया, रश्मि कि हालत खराब हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि उसे उलटी आ जायेगी, पर पति को मना भी नहीं कर रही थी वो, ये देखकर समीर को काफी अच्छा लगा, उसने रश्मि को उसका इनाम देने कि सोची और धीरे से खिसक कर नीचे कि तरफ जाने लगा.

रश्मि समझ गयी कि अब क्या होने वाला है, उसकी साँसे तेज होने लगी, और जैसे ही समीर ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जलती हुई जीभ रखी,

वो तड़प उठी और अपना ऊपर का हिस्सा हवा में उठाकर समीर के सर को अपनी चूत कि भट्टी में झोंक दिया.

वो भी किसी पालतू कुत्ते कि तरह उसकी चूत से रिस रहे गर्म और मीठे पानी को चाट रहा था , उसकी नाक चूत कि लकीर पर घिसाई कर रही थी जिसका एक अलग ही आनंद रश्मि को मिल रहा था

समीर ने उसकी चूत के होंठों को अपने हाथ से फैलाया और अंदर बैठी हुई क्लिट को अपने होंठों के बीच फंसा कर बाहर कि तरफ खींचा , रश्मि को तो ऐसा लगा जैसे उसकी आत्मा को बाहर निकाल रहा है कोई, उसने खुले हुए मुंह से समीर के सर को पकड़कर उसे पीछे कि तरफ धकेला, पर समीर ने उसके दाने को नहीं छोड़ा, वो उसे चूसता ही रहा, चूसता ही रहा

पेड़ो के बीच , रश्मि कि तेज चीखें गूँज रही थी, उसे अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल नहीं रह गया था, वो पागलों कि तरह समीर से अपनी चूत चुसवाती हुई सिस्कारियां मार रही थी

और अचानक उसने वो पल महसूस किया जिसके लिए ये सब हो रहा था, उसके अंदर का ओर्गास्म एक जोरदार आवाज के साथ बाहर निकल आया और वो निढाल सी होकर अपनी साँसों पर काबू पाने कि कोशिश करने लगी

"उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म मजा आ गया, थेंक यू … '' रश्मि ने बड़े ही प्यार से समीर के बालों में हाथ फेरते हुए कहा .

''अभी तो और भी बहुत कुछ बाकी है '' इतना कहते हुए वो उसकी जांघो , पेट और नाभि को चूमता हुआ ऊपर आने लगा, बीच में उसकी पहाड़ियों पर भी अपने गीले होंठों के निशान छोड़ता हुआ, उसके निप्पल को मुंह में चूसकर, दूसरे को अपनी उंगलिओं से दबता हुआ, और आखिर में उसके चेहरे को अपनी जीभ से साफ़ करते हुए, उसके होंठों को चूसने लगा, रश्मि को उसके होंठों से अपनी चूत के रस कि खुशबु आ रही थी

वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को चूसते रहे , रश्मि का हाथ समीर के लंड पर किसी पिस्टन कि तरह चल रहा था

रश्मि ने समीर कि आँखों में देखते हुए धीरे से कहा : "यानि, अब आप मुझे चोदोगे ??"

आज पहली बार रश्मि ने चुदाई शब्द का इस्तेमाल किया था, और वो भी इसलिए कि उसे पता था कि समीर को ऐसी भाषा में बोलना और सुनना पसंद है, वो तो पहले से ही उत्तेजित था, रश्मि के मुंह से चुदाई शब्द सुनकर वो उत्तेजना के मारे हकलाने सा लग गया और बोला : " हआ न। … मेरी जान .... सालि रांड .... अब मैं चोदुंगा ते.... ते.... तेरी चू.. चूत को , अच्छी तरह से लूँगा तेरी मैं अब ....''

रश्मि जानती थी कि ऐसी बातें करके वो समीर को और भी ज्यादा उत्तेजित कर सकती है, उसकी उत्तेजना और मर्दानगी को बढ़ाने के लिए उसने समीर से कहा : "आप मेरी चूत मारोगे और मैं मारने दूंगी, ऐसा हर बार तो होगा नहीं, मेरा काम तो हो चूका है, मैं अब आपको अपनी चुदाई नहीं करने दूंगी ''.

उसकी आँखों में एक शरारत भी थी, जिसे समीर देख भी पा रहा था और उसकी बातों को समझकर वो जान भी गया था कि वो ऐसा क्यों कह रही है.



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