Friday, May 23, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--118

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--118
गतांक से आगे ...........



मुम्बई में आतंक




मीटिंग : रीत


अब तक



मैंने चैन की सांस ली।

एन पी सलामत तो मुम्बई सलामत।

फिर जो पड़ोस के देश में मुम्बई के आपरेशन के बारे में डेटा मिला था सब ट्रांसफर कर दिया।
और मैप भी , जो पडोसी देश में मिला था।

४ साइट्स कामन थीं। लोकेशन के बारे में देर तक बाते हुयी।
फिर मैंने ऑपरेटिव्स के जो नाम के पहले अक्षर मिले थे वो बताये।

और चार एन पी ने तुरंत पहचान लिए। लेकिन गड़बड़ ये था कि इनमे से दो के फ़ोटो कहीं नहीं थे। इसका मतलब वो स्लीपर थे और डीप कवर में और शायद आप्रेशन में उनका शाम को रोल रहेगा।

उन्होंने बोला कि दो बजे पुलिस कमिश्नर के यहाँ वीडियों कांफ्रेंस है और मैं जरुर ज्वाइंन करूँ।

मैंने हामी भर से दी। एक बज रहा था। अभी रीत से बात करनी थी और उसके बाद अब तक के डेटा की फिर ऐनिलिस।

और फिर फाइनल ऐक्शन प्लान। दो बजे की मीटिंग में।




आगे



रीत ताज टावर में सबसे ऊपर सोक रेस्टोरेंट में थी , खाना ख़तम कर के , बकलावा नोश फरमा रही थी। साथ में करन।

महाराजा एक्सप्रेस के पैसनेजर्स को ताज पैलेस में कॉम्प्लीमेंटरी स्यूट मिलता है और करन -रीत भी।

ताज पैलेस के एक डीलक्स स्यूट में दोनों रुके थे।
रीत और करन 'जिस काम ' में महाराजा एक्सप्रेस में बीजी थे , वो ताज पैलेस के डीलक्स स्यूट में भी जारी था।

लेकिन उनके इस रेस्टोरेंट में आने का कई मतलब था।

ये ताज टावर के सबसे ऊपरी मंजिल पे है और यहाँ से न सिर्फ गेट वे का इलाका दिखता है बल्कि , काफी कुछ नेवल डॉक्स भी दीखते है। और समुद्र के रास्ते कैसे ताज , गेट वे को कोई अप्रोच कर सकता है ये भी नजर आता है। और यहाँ से ये दोनों , वल्नरेबिलिटीज देख रहे थे और वो उन्हें ऐ टी एस को बता भी दिया।

रीत ने बोला की सुबह वो लोग ऐ टी एस आफिस गए थे और वहां उनकी मुलाक़ात , एन पी ( नो प्राब्लम ) और एटीस चीफ दोनों से हुयी। जो बाते उन्होंने मुझे बताई थी , वो रीत और करन को भी बताई। उन्होंने वो वीडियो भी देखे , जिसमे सस्पेकेटेड लोग रेकी करते नजर आ रहे थे। रीत ने बॉम्ब मेकर और उसके क्लोज साथियों की फोटो अपने मोबाइल में ले ली। उन्होंने काउंटर मेजर भी देखा जो ऐ टी एस ने प्लान किया था।

वहां से निकल कर , हाईकोर्ट , मंत्रालय सहित वो सारे पोटेंशियल टारगेट भी रीत करन ने एक टूरिस्ट की तरह देखे , और अपना असेसमेंट बताया।

मेरा और रीत का असेसमेंट सेम था था की ४ सबसे ज्यादा पोटेंशियल टारगेट इनमे से कौन है।

और इस बात का भी हमले के इस हिस्से का मुकाबला एन पी और ऐ टी एस कर लेंगे। लेकिन असली बड़ा हमला उसके साथ या कुछ देर बाद होंगा सी की एक्सेसिबिलिटी औरओ समुद्र से होगा। इस हमले का टारगेट बड़ौदा की तरह कोई इकोनॉमिक और फाइनेंसियल इम्पैक्ट वाली चीज होगी जो सिम्बॉलिक नहीं होगी।

वो मेजर इंफ्रास्ट्रक्चर , सी के किनारे की इंडस्ट्रीज , एटामिक रिसर्च सेंटर या न्यूक्लियर इंस्टालेशन , डिफेंस इंस्टालेशन हो सकते हैं।

रीत ने बताया की सुबह वो नेवल हेडक्वार्टर भी गए थे और उन्होंने लायन गेट , एलिफेंट गेट सब देखा और डॉक्स भी देखे। अभी यहाँ से निकल कर वो फिर नेवल हेडक्वार्टर ही जायंगे और एक घंटे चॉपर से मुम्बई के शोर के चारो और ऊपर से जायजा लेंगे। उसके बाद एक कैटामरान से फिर चारों और से सी की एक्सेसिबिलिटी देखेंगे। इसलिए वो वीडियो कांफ्रेंस में नहीं रहेंगे।

हाँ ३ बजे के करीब वो दोनों कमरे में पहुँच जायंगे लें मैं ४ के पहले रिंग न करूँ।

मैं समझ गया ३ से ४ क्या होना है। थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी।

रीत बोली , उसके बाद वो और करन अलग अलग हो जाएंगे। साढ़े चार बजे से रीत नेवल हेडक्वारटर के आपरेशन रूम में रहेगी , वहाँ आर्मी , आई बी और रा के लोग भी रहेंगे।

लेकिन करन एक किसी पोर्ट पे जाएगा और रात में वहीँ रहेगा।

मेरी समझ में नहीं आया पोर्ट वाली बात लेकिन करन ने फिर , मेजर एक्सप्लोसिव न्यूज दी।

जोर का झटका जोर से ही लगा।
और खबर भी एक्सप्लोजिव्स से ही रिलेटड थी। 


पोर्ट में बॉम्ब


जोर का झटका जोर से ही लगा।
और खबर भी एक्सप्लोजिव्स से ही रिलेटड थी।

एक किसी पोर्ट पे कुछ कंटेनर उतर गए या आज उतर रहे हैं , जिनमें आर डी एक्स है। उसमें टाइमर के साथ मोशन एक्टिवेटेड ट्रिगर डिवाइसेज लगी हैं। अगर उसे खोलने की कोशिश या डिफ्यूज करने की कोशिश की गयी तो वो एक्स्प्लोड कर जायेंगे।

पोर्ट का पता नहीं ,
शिप का पता नहीं ,
शिपिंग लाइन का पता नहीं।

मुम्बई में दो बड़े पोर्ट हैं , मुम्बई पोर्ट और जे एन पी टी। इसके साथ ही जे एन पी टी पे तीन टर्मिनल हैं। दरजनो शिप आतेहैं हजारों कंटेनर उतरते है।

कंटेनर्स की सिर्फ रैंडम चेकिंग होती है।

कौन कंटेनर होंगे ?

करन अपने सोर्सेज से और खबर इकठ्ठा करने की कोशिश कर रहा था।
उम्मीद थी शाम के पहले कुछ और स्पेसिफिक पता चल जाएगा।

मैंने अपनी राय भी बताई। मेरे हिसाब से ये लोकेशन ऐसी होनी चाहिए जहाँ कंटेनर टर्मिनल , पेट्रोलियम टर्मिनल के पास हो या लिक्विड कार्गो जेट्टी के पास। कंटेनर का एक्सप्लोजन , पेट्रोलियम टर्मिनल में अगर आग लगाएगा , तो उसका असर भयानक होगा। दूसरे अगर उससे जेट्टी और क्यू साइड फैसिलिटीज भी प्रभावित हुईं तो उसका लांग टर्म असर होगा।
करन और रीत दोनों ने बोला की वो जब अभी चॉपर से सर्वे करेंगे तो इसको भी देख लेंगे।

फिर हम ने मिस्टिरीअस शिप का जिक्र किया , जो सी इन जी से लोडेड था और आज ही डाक करने वाला था।

कोस्ट गार्ड ने उसे चेक किया था हाई सी में जा के लेकिन कुछ भी अनुजुअल नहीं मिला।

काफी देर तक रीत , करन और मैंने इस बात पे बात की , की समुद्र के रास्ते हमला कैसे हो सकता है।

मेरे सामने , मुम्बई का डिटेल्ड मैप था।

हैकर्स से मिली जानकारी भी हम ने डिस्कस की।

तब तक डेढ़ बज गया था और मंजू ने बोला भाभी खाने के लिए बुला रही हैं।


मैंने उसे समझाया की भूख नहीं है और मैं काम में फंसा हूँ
लेकिन मंजू , मंजू थी। थी तो भाभी ही।

बोली एक दिन गुड्डी नहीं है तो खाना पीना सब छोड़ दिया। अरे लाला , औरत के लिए मर्द में बहुत ताकत चाहिए और नया माल हो तो फिर , और अबहीं तो तुम्हे उ रंडी , मतलब रंजी पे भी नंबर लगाना है।

और वो वहीँ कंप्यूटर के सामने खाना रख गयी।

मैं खाता रहा और रिपोर्ट बनाता रहा।

दो बजने के पांच मिनट पहले रिपोर्ट खतम हो गयी। और मंजू थाली ले गयी।

घर में नीचे बस मैं और मंजू थे। भाभी ऊपर भैया के पास , और गुड्डी रंजी के यहाँ गयी थी।

तब तक जोर से पिंग हुयी। कुछ बड़े स्टार्टलिंग फैक्ट्स मेरे हैकर फ्रेंड ने भेजे थे।

जो मेन फ्रेम कंप्यूटर इन लोगो ने हैक किया था वहीँ से पेरीफेरल कंप्यूटर के लिंक थे। उन्होंने उसे में भी ट्रॉजन वेयर भेजे और पता चला की दो पेरीफेरल कंप्यूटर जो अलग अलग शहरों में आपरेशन मुम्बई से डील कर रहे थे। जो सी वाले हमले से जुड़ा था , उसका पेरीफेरल कंप्यूटर अबोटाबाद में था। वो वहां के कम्युनिकेशन डाटा हैक कर रहे थे और चार बजे के पहले कुछ काम की चीज निकलनी थी।

जो डाटा मिला था उसे डी क्रिप्ट कर के उन्होंने भेजा था।

तब तक स्काइप पे पिंग हुआ वीडियो कांफ्रेंस शुरू हो गयी थी।


वीडियो कांफ्रेंस




तब तक स्काइप पे पिंग हुआ वीडियो कांफ्रेंस शुरू हो गयी थी।

कांफ्रेस में मुम्बई के सभी अधिकारियों ( डी जी पुलिस , मुम्बई पुलिस कमिशनर। ऐ टीस के हेड ,होम सेक्रेटरी , आर्मी और नेवी के रिप्रेजेन्टेटिव, पोर्ट्स के सी एम डी , एयर पोर्ट सेक्योरिटी के हेड , वेस्टर्न और सेन्ट्रल रेलवे के हेड , इत्यादि ) के साथ दिल्ली ( होम सेक्रेटरी , आई बी के हेड , नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी के चीफ ) गांधीनगर और पुणे से एन डी आर फ ( नेशनल डिजास्टर रिस्पान्स फोर्स के चीफ ) और मानेसर से नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के हेड भी थे।

सबसे पहले ऐ टी एस ने थ्रेट परसेप्शन पर अपनी रिपोर्ट रखी। मुझसे जो बाते हुयी थी उसमें एक चीज और जुडी थी , ब्रिजेज। ( एन पी ने कांफ्रेंस शुरू होने के पहले मेसेज में इसका हिंट दिया था ). ऐ टी इस चीफ ने बताया की केनेडी ब्रिज के पास से कुछ ह्यूमनिट ( ह्यूमनही एन इंटेलिजेंस , ये भी एन पी के ही सोर्सेज रहे होंगे। कैनेडी ब्रिज के पास काफी ' सामाजिक गतिविधियाँ ' होती हैं और एन पी के वहां जबरदस्त कॉन्टेक्ट्स हैं ). लेकिन बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड ने वहां और सारे ब्रिजेज डिस्क्रिटली चेक किये लेकिन कुछ नहीं मिला। लेकिन उनके सोर्सेज परफेक्ट है। और जो सी सी टीवी के फूटेज है उनसे भी सारे साउथ बॉम्बे को कनेक्ट करने वाले ब्रिजेज पे जो सस्पेकेटेड कैरेकटर्स है , वो रेकी करते हुए दिखे।

पुलिस कमिश्नर ने बोला की सभी सेंसिटिव ब्रिजेज को अंडर आब्जर्वेशन ले लिया जाय। और उसके दो सौ मीटर तक के सारे सी सी टीवी कैमरे की फीड पुलिस कंट्रोल रूम में सीधे आये। दूसरी बात उन्होंने ये बोली की उन रास्तों पे नाकाबंदी लगा दी जाय , और मोटर साइकिल वालों को चेक किया जाय। ये आदेश उन्होंने वही से ट्रैफिक पुलिस को दे दिया। ये तय हुआ की चार बजे से नाकाबंदी और कड़ी होगी और सारी गाड़िया चेक कर ली जाएंगी। इसके साथ ही बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के लोग भी सस्पेकेटड ब्रिजेज के आस पास रहेंगे। केनेडी ब्रिज के साथ , फ्रेंच ब्रिज , जे जे फ्लाईओवर , केम्पस कार्नर ब्रिज , ईस्टर्न एक्सप्रेस फ्लाईओवर और सी लिंक के नाम थे। उसके अलावा सबरब्स की लिस्ट बननी थी।

सब लोगो ने अपने अपने व्यूज दिए।

मैंने सिरफ ये कहा की ये मेरे ख्याल से नाटक का पहला अंक है। दूसरा ज्यादा भयानक अंक समुद्र वाला होगा। तो हमें ये ध्यान रखना होगा की डिजास्टर मैनेजमेंट , फायर ब्रिगेड , एम्बुलेंस कही उसी में फँस के न रह जाए। ब्रिजेज पे हमला , मुम्बई को कई हिस्सों में काटने की भी कोशिश है।

ये तय हुआ की २० % फायर ब्रिगेड और अम्बुलेंसेज रिजर्व में रखी जाएंगी और नेवी भी अपनी सी बेस्ड अम्बुलेसेज और फायर ब्रिगेड रेड़ी रखगी।

एक बार फिर से सस्पेटेड साइट्स के प्रोटेक्शन की बात चेक हुयी और पुलिस ने बताया की चार बजे से वो गिरफ़्तारियां चालु कर देंगे।

ये तय हुआ की पौने चार बजे से सात बजे तक कम्प्लीट रेडियो साइलेंस रहेगी। जो भी बात होगी कंट्रोल रूम से होगी और आपस में कोई भी बात नहीं करेगा। क्योंकि ये पूरी आशंका है की होसकता है कोई काल ट्रैक या ट्रेस करे।

मीटिंग खत्म होते होते तीन बज गया था।
मैंने डेस्कटॉप , लैपटॉप सब बंद किया।

और अपनी सोचने की टोपी पहन ली।
 


मीटिंग खत्म होते होते तीन बज गया था।
मैंने डेस्कटॉप , लैपटॉप सब बंद किया।

और अपनी सोचने की टोपी पहन ली।

बॉम्ब मेकर , साउथ मुम्बई में ही टिका था।

ज्यादातर रेकी के वीडियो उसी इलाके के थे।

२६/११ का हमला वहीँ हुआ था।


लेकिन मुम्बई में हर टेररिस्ट हमला पहले से अलग होता है , तरीके अलग होते हैं और फोकस अलग होता है।

पहला हमला जो मुम्बई दंगो के बाद डी कम्पनी के सौजन्य से हुआ था , उसमें कार बाम्ब्स का इस्तेमाल किया गया और ज्यादातर , इकोनॉमिक इम्पोर्टेंस की बिल्डिंग के आसपास हुआ।

उसके बाद कई छोटे मोटे हमले हुए , फिर ट्रेन में और सबसे बड़ा २६/११ , २००८ में।


साउथ मुम्बई में रोज सुबह ५ से ७ लाख लोग लोाकाल ट्रेनों से , चर्चगेट और वीटी स्टेशनों पे उतरते हैं , और इसके अलावा , बस , कार।

मुम्बई में रोज करीब ८० लाख लोग लोकल ट्रेनों से यात्रा करते हैं और सुबह सुबह , जब बाकी शहरों में लोग अखबार पढ़ते हैं , सुबह का नाश्ता करते हैं , वो ट्रेनों में बैठ चुके होते हैं। और साढ़े नौ , दस के पहले स्टेशनों पे उतर के शेयर्ड टैक्सी , बस , पैदल अपने आफिस के लिए चले जाते हैं।

और इसका उल्टा शाम को साढ़े पांच से साढ़े सात के बीच होता है जब , फोर्ट, कफ परेड , नरीमन प्वाइंट से लोग बसों , पैदल या शेयरड टैक्सी से निकल के थके हारे , चर्च गेट या वि टी से ट्रेन पकड़ने चल पड़ते हैं।


इस तरह मैक्सिमम भीड़ , शाम छ से सादे सात तक उन स्टेशनों पे और आसपास रहती है।

फिर ये भीड़ आगे बढती है और जाम भी।

सात बजे तक दादर ,

आठ बजे अँधेरी

और नए आफिस काम्प्लेक्स बी के सी के बनने के बाद , अँधेरी बांद्रा , कुर्ला के बीच भी यही हालत रहती है।


इसका मतलब अगर कोई ४०-४२ आदमी इस्तेमाल कर रहा है तो ये उस भीड़ को निशाना बनाएगा।

इतनी भीड़ में सारे सिक्यॉरिटी अरेंजमेंट , चेकिंग , मेटल डिटेकटर , सब चरमरा जाते है।

और हमले का टारगेट साउथ मुम्बई के साथ कुछ सबअर्ब के भी प्वाइंट्स होंगे।

दुशमन दो दांव बड़ौदा और बनारस के हार चूका है , इसलिएएक खीजे हुए जुआरी की तरह अबकी सब कुछ वो बॉम्बे पे लगाएगा। और उसके जितने स्लीपर सेल बॉम्बे या आसपास होंगे सब उसने खोल दिए होंगे।

ब्रिजों पर हमला भी इसी बात का हिस्सा है , वो ज्यादा कंजेशन और कन्फ्यूजन पैदा करेगें। और फिर उन भीड़ों पे हमला कर मैक्सिमम नुक्सान होगा।

इसके पहले मुम्बई में बॉम्ब और फायरिंग दोनों का इस्तेमाल ही चूका है। बॉम्ब का फायदा दुश्मन को ये मिलता है की उसके आदमी कम से कम तुरंत नहीं पकडे जाते और फायरिंग का फयदा ये ही की वो ज्यादा लोगों को मार सकते हैं , होस्टेज बना सकते हैं और देर तक मिडिया की निगाह में रह सकते हैं।

मुझे पूरा यकीं था की इस बार वो दोनों का मिक्स इस्तेमाल करेंगे। और कुछ नए तरीके भी।


इस समय सारे हमलावर अपनी बिलो में छुपे होंगे , लेकिन हमले के पहले उन्हें निकलना ही पड़ेगा और फिर उन्हें धर दबोचा जाएगा।

ऐ टी एस के लोगों के साथ मुम्बई के आधे लोगों की निगाहें उन्हें तलाश रही होंगी।

सबसे बढ़ कर को कमांड और कंट्रोल सिस्टम से मैप मिला है , वो सारी जगहें एक अदृश्य , अभेद्य दुर्ग की तरह होंगी।

एक बार फिर मैंने लेटेस्ट रिपोट्र्स पढ़ीं , और फिर एन पी को फोन लगाया। उससे और ऐ टी एस चीफ से बात की। उनकी तैयारी पूरी थी और कम से कम दो बैक आप प्लान थे हर साइट के लिए।

मैंने उन लोगो को विश किया।

बस थोड़ी देर में रेडियो साइलेंस चालु होने वाला था और आपरेशन भी।
मेरे एक मोबाइल पे मेरे हैकर फ्रेंड की जोरदार ब्रेकिंग न्यूज का मेसेज था। मैंने तुरंत लैपटॉप खोला और क्लाउड सरवर पर रखी सिक्योर रिपोर्ट पढ़ी।

उनके ट्रॉजन वेयर ने सारे सिक्योर पासवर्ड और स्क्रेम्बलर के कोड खोज लिए थे। और उसी के जरिये वो पेरीफेरल कम्प्यूटर जो अबोटाबाद ,में था उससे पता चला कंटेनर के बॉम्ब का।

बल्कि पोर्ट का।

मैंने सबसे पहले उसे करन और रीत को फारवर्ड किया। फिर खोल कर पढ़ा।

जे एन पी टी ( जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट ) पर वो कंटेनर आज सुबह करीब दस बजे उतरा था।

मेरे फ्रेंड्स उस समय के सारे शिप्स के फोन रिकार्ड , कार्गो मैनिफेस्ट , ई डी आई रिपोर्ट चेक कर रहे थे।

और उन्हें उम्मीद थी की , वो दो घंटो में शिपिंग लाइन का नाम पता कर लेंगे।

रिपोर्ट में एक्सप्लोजन टाइम भी साढ़े आठ से दस के बीच का था।

अगर छ सात बजे तक कंटेनर ट्रेस हो जाता है तो उसे डिफ्यूज करना होगा , घंटे से डेढ़ घंटे के बीच।

रेडियो साइलेंस शूरु होने में सिर्फ पन्दरह मिनट बचा था।

और चार बजे से कमांड सेंटर का भी कम्युनिकेशन ब्लैक आउट होना था।

यानी अगले तीन साढ़े तीन घंटे तक मुझे सिर्फ इन्तजार करना था।

मैंने फोन लगाया तो रीत ने उठाया।

वो नेवल आपरेशन रूम में थी।

उसने बोला की मेरा मेसेज मिलते ही , एक कैटमरान से करन जे एन पी टी के लिए निकल पड़ा है। उसके साथ नेवल इंटेलिजेंस के लोग और बॉम्ब एक्सपर्ट्स है।
उसने बोला था की वो रस्ते में रिपोर्ट पढ़ लेगा और फिर मुझे कांटेक्ट करेगा।

रीत सबके साथ मुंबई के १०० नॉटिकल किलोमीटर में सभी शिप्स , छोटे जहाजों पे नजर रखे हुए थी।

एक तूफान की वानिंग इशू कर दी गयी जिससे सारे फिशिंग वेसेल्स छ बजे तक आ जायँ।

सभी मच्छीमार इलाकों में लोकल पुलिस के लोग सभी बोट्स की अटेंडेंस चेक कर रहे थे।

मैंने रीत को बेस्ट ऑफ लक बोला , और फोन बंद कर दिया। दूसरे फोन पे करन था।


उसने मेरी रिपोर्ट पढ़ ली थी। सारी शिपिंग लाइंस को भी मेसेज दे दिया गया था और पोर्ट पे उनके साथ वो लोग इनबाउंड कंटेनर की रिपोर्ट्स देखेंगे।

कंटेनर कार्पोरेशन के ग्रूप जनरल मैनेजर और पोर्ट के सी एम डी भी पोर्ट पे पहुँच रहे थे।

उसे उम्मीद थी की दो घंटे में कंटेनर्स आइडेंटिफाई हो जाएंगे।

पौने चार बज गए थे और मैंने फोन बंद कर दिया।

मेरे नान सिक्योर फोन पे ११ मेसेज गुड्डी के और चार रंजी के थे।

मैंने बोला की अब मैं साढे सात पे फोन करूँगा और फोन रख दिया।



रंजी , गुड्डी

अब तक



रीत सबके साथ मुंबई के १०० नॉटिकल किलोमीटर में सभी शिप्स , छोटे जहाजों पे नजर रखे हुए थी।

एक तूफान की वानिंग इशू कर दी गयी जिससे सारे फिशिंग वेसेल्स छ बजे तक आ जायँ।

सभी मच्छीमार इलाकों में लोकल पुलिस के लोग सभी बोट्स की अटेंडेंस चेक कर रहे थे।

मैंने रीत को बेस्ट ऑफ लक बोला , और फोन बंद कर दिया। दूसरे फोन पे करन था।


उसने मेरी रिपोर्ट पढ़ ली थी। सारी शिपिंग लाइंस को भी मेसेज दे दिया गया था और पोर्ट पे उनके साथ वो लोग इनबाउंड कंटेनर की रिपोर्ट्स देखेंगे।

कंटेनर कार्पोरेशन के ग्रूप जनरल मैनेजर और पोर्ट के सी एम डी भी पोर्ट पे पहुँच रहे थे।

उसे उम्मीद थी की दो घंटे में कंटेनर्स आइडेंटिफाई हो जाएंगे।

पौने चार बज गए थे और मैंने फोन बंद कर दिया।

मेरे नान सिक्योर फोन पे ११ मेसेज गुड्डी के और चार रंजी के थे।

मैंने बोला की अब मैं साढे सात पे फोन करूँगा और फोन रख दिया।




आगे


गुड्डी के ११ मेसेज में एक ही बात थी मैं साढ़े ४ बजे रंजी के यहाँ , जरूर पहुँच जाऊं। हाँ बस ११वेन मेसेज में एक लम्बी चौड़ी सामान भी उसने पकड़ा दी थी।

गुड्डी का मेसेज हो और मेरे लिए कुछ काम न हो , ये मुश्किल था।

रंजी के चार मेसेज अलग अलग थे।

पहले में उसने भी साढ़े चार बजे बुलाया था। दूसरा बड़ा इतराता हुआ सा था ,

" भैया , एकदम टाइम पे आना , आपके लिए एक सरप्राइज गिफ्ट है। "

तीसरा , थोड़ा द्विअर्थी , एक ख़ास 'काम ' है जो अधूरा रह गया था कल शाम , उसे पूरा करना है।


और चौथा , एकदम खुल्लम खुल्ला दावत , " आओ न , तड़पाओ न , करती हूँ तुमसे वादा , भैया , ठीक साढ़े चार बजे। "

मेरी आँखों के सामने टाइट टॉप फाड़ता रंजी का गद्दर जोबन , उसके बड़े बड़े चूतड़ घूम गए और जंगबहादुर ९० डिग्री।

मैंने मन को समझाया। वैसे भी अब अगले सवा तीन घंटे मुम्बई , मुम्बई वालों के हवाले। मैं उनसे बात भी नहीं कर सकता। जो मेरे हैकर दोस्तों ने रिपोर्ट सौंपी थी , जो मेरी ऐनेलिसिस थी सब मैंने बता दी। इस समय वहां घटाटोप ऐक्शन चल रहा होगा। और मेजर आपरेशन तो रात में होगा।


तो उस के पहले मुझे दिमाग एकदम फ्रेश कर लेना होगा। और मैं जा के छ बजे आऊंगा। दो घण्टे में दिमाग भी एकदम फ्रेश ,

अभी चार बस बज रहे थे।

और मैंने कपडे बदले , गुड्डी की लिस्ट का कुछ सामान इकठ्ठा किया , बाइक उठाई और रंजी के घर की और।

रास्ते में दस मिनट और लगा , गुड्डी की लिस्ट का बचा खुचा समान लेने में। ठीक साढ़े चार बजे मैंने रंजी के घर की बेल दबा दी।

और जैसे वो वेट ही कर रही दरवाजे के उस पार , दरवाजा खुला रंजी सामने।

एकदम जिल्ल्ला टॉप माल , बल्कि यूपी टॉप माल।

एकदम टनाटन।

टाइट टॉप को फाड़ते , टीन उभार और टॉप भी बहुत छोटा सा। गोरे गोरे कबूतरों के साथ साथ उसकी चोंचे भी साफ साफ टॉप से झाँक रही थी। बस मन कर रहा था था कचकचा के दबा लूँ उन गदराते जोबन को।

और मौका रंजी ने खुद दिया।

"भैया " बोल के उसने खुद मुझे अपनी बाँहों में भींच लिया , दबोच लिया और अपने छोटे छोटे , कड़े कड़े उभार मेरे सीने पे रगड़ने लगी। उसका


एक हाथ मुझे पीठ पर भींच रहा था दबा रहा था , अपनी ओर खींच रहा था और दूसरा हाथ , दरवाजे की सिटकनी बंद कर रहा था।

मेरे तो दोनों हाथ खाली थे। एक सीधे टॉप के अंदर घुस और दूसरा बेताब , बेसबरा , टॉप के ऊपर से ही।

क्या मस्त उरोज थे। रुई के फाहे ऐसे मुलायम , जैसे लगता था मेरे सपने ही मेरे मुट्ठी में आ गएँ हों। मैं सहला रहा था , दबा रहा था , मसल रहा था।

और अब रंजी के भी दोनों हाथ खाली थे। और घर का दरवाजा भी अंदर से बंद था।

और उसके दोनों हाथ अब मेरे सर को पकडे थे और वो पागलों की तरह ,सारी दुनिया को भूल के मुझे चूम रही थी , चूमे ही जा रहे थी।


पहले आँखों पे , फिर गालों पे और फिर उसके रसीले होंठ , जिन्हे देखने छोड़िये , जिसके बारे में सोच के मेरे जंगबहादुर तन जाते थे , आज अपने आप मेरे होंठो से चिपक गए थे।


पहले तो वो मेरे होंठो को चूसती रही फिर जैसे ही मेरे होंठ खुले , उसकी जीभ मेरे होंठ के अंदर , और वो मेरे निचले होंठ को दबा के चूस रही थी. और साथ ही में पूरी ताकत से अपनी चूंचियों को मेरे सीने से दबा रगड़ रही थी। जैसे उसे भी मालुम हो की मैं रंजी के उठते , उभरते जोबन का कितना दीवाना हूँ।

हम दोनों जल्दी में थे

मैंने दोनों हाथों से उसका टॉप उठा दिया और उछल के परफेक्ट टीन बूब्स बाहर।

और रंजी , नदीदी ने भी अपने दोनों हाथों से पहले तो मेरे जींस फाड़ते बल्ज को रगड़ा और एक हाथ से दिया।

लेकिन उस से उस का क्या होना था। दूसरे हाथ ने बेल्ट खोली और फिर जींस घुटने तक

जंगबहादुर बाहर ,




हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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