Saturday, May 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI कामुक संध्या--2

FUN-MAZA-MASTI

 कामुक संध्या--2


 किशोर- स्वाती आओ मेरी जान अपनी चूत मेरे मूह पे रख दो. देख तेरे अंकल का लंड कितना मस्त हो चला है
किरण- हाँ अंकल आपका लौडा बड़ा मस्त है आंटी तो इससे चुद के मस्त हो जाती होगी मेरे चोदु अंकल
किशोर-आंटी की छोड़ अपनी चूत की बात कर मेरी कच्ची कली स्वाती तेरी चूत बड़ी चिकनी है
किरण- मेरी चूत अभी बुर है अंकल
किशोर-मतलब
किरण- अनचुडी हूँ आप मेरे पहले लौडे होंगे बताया था ना मैने
किशोर- हां आजा स्वाती नंगी तो तू है ही नंगी ही आगे बढ़के अपने मर्द अंकल के लौडे की सैर कर
किरण- लो अंकल स्वाती की नर्म उरोज मसल दो उसे उसकी जवान छाती पकड़ के छोड़ो उसकी चुची के निपल नोंच के खेलो स्वाती से
किशोर- साली स्वाती तू बड़ा नर्म गोस्त है तुझे मज़े ले ले के खाऊंगा, तेरे सिने पर उगे अमरुदों से खेलूँगा फिर तेरी मस्त नाभि मे लौडे का सुपाड़ा डालूँगा जब तू खिलखिलाएगी तेरे होंठ का रस पियुंगा और तेरी जीभ चुसूंगा तेरी गोरी चिकनी मक्खन सी बुर मारूँगा स्वाती मेरी चुदासी बुर.
किरण- हाए रे लौडा बहुत टनटना गया है अंकल इससे आज अपनी स्वाती की बुर की नथ उतार दो
किशोर- आओ स्वाती मेरे लौडे से खेलो
किरण- (लंड को मूह से सहलाते हुए) हाए अंकल कैसा लग रहा है स्वाती के साथ
किशोर-मस्त लग रहा है तू एक नंगी अप्सरा है और मैं उसे चोद रहा हूँ और खेल मेरे लौडे से
किरण- देखो झड़ मत जाना अंकल
किशोर- तू चिंता मत कर तेरी अनचूडी बुर् चोदे बिना नही झडुन्गा. तू मेरा वीर्य पिएगी
किरण- हाँ अंकल यह तो अमृतपान है
किशोर-हाँ स्वाती मर्दो का वीर्य लड़कियों का अमृत है उनकी जवानी मे ताज़गी भरी रहती है
आओ मेरे लौडे को चूसो झड़ गया तो फिर खड़ा करके चोद दूँगा.........
इधर संध्या की चूत पूरी तरह पानी छोड़ चुकी थी वो स्वाती और डैड के बीच की बाते सुनके हैरत मे थी की उसकी मोम स्वाती का रोल कर रही है और उसका डैड उसकी नयी सहेली की चूत के दीवाने थे. क्या वो उसकी चूत भी.............. छि..........शायद ज़्यादा सोच गयी थी.
किरण-अंकल एक बात बोलू
किशोर- पूछ ना पहले तू मुझे एक बात बता
किरण-क्या अंकल
क़ीःसोर-स्वाती तू मेरी नंगी रंडी है ना
किरण- आपके सामने मदरजात नंगी होके चुद्ने को तय्यार हूँ और क्या बोलू, हाँ हूँ आपकी पर्सनल रंडी जब बोलोगे तब चुड़ूंगी जिससे बोलॉगे उसका लौडा ले लूँगी अपनी बुर मे
किशोर- तू पूछ क्या पूछ रही थी
किरण-अंकल क्या आप संध्या को भी पेल चुके हो
संध्या ने डैड के इस उत्तर को सुनने को कान अड़ा दिए क्या किशोरे संध्या की भी चूत का प्यासा है .............................
किशोर- हाँ मैं उसकी चूत भी मार चुका हूँ.
संध्या का दिमाग़ सन्नाटा खा गया. तो डैड का उस पर क्रश है वो उसके भी दीवाने है. पर मोम कैसे इसे मानती है यह तो वो पूछ के रहेगी. स्वाती तक तो ठीक था पर उसके बारे मे भी सेम सोच इस बारे मे मोम से बात करनी ही होगी.
किशोर- आओ स्वाती अपनी बुर मेरे लौडे पे रख दो
किरण- लो अंकल चोदो अपनी स्वाती को
किशोर- आआआआआहह बड़ी गर्म है तेरी नर्म बुर
किरण- आआआआआआआवउुुुुुुुुुुुुुुुउउ अंकल आपका लौडा बड़ा गर्म और मोटा है
किशोर- स्वाती सब्र कर पूरा मज़ा आएगा तेरे को मेरी जान मेरी कामुक कुतिया
किरण-अंकल प्ल्ज़ बाहर निकालो मेरी बुर दर्द कर रही है मुझे नही चूद्ना आप संध्या , मुस्कान, रिचा को चोद के काम चलाओ
हाए रे संध्या ने बाहर खड़े खड़े सोचा उसके डैड उसके स्वाती के साथ साथ रिचा और मुस्कान की भी सवारी कर चुके है
किशोर- रुक साली कहाँ जाएगी आज तेरी नथ उतरूँगा जैसे रिचा मुस्कान संध्या की उतरी थी तेरी आंटी भी अनचुदी मिली थी
किरण- अंकल स्वाती की बुर बहुत छोटी है फट जाएगी
किशोर-इसी फटने मे चुदाई का मज़ा है. इतना कहके उसने लौडे का ज़ोर लगाया
किरण- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ
आहह मार गयी बचाओ कोई इस लौडे से साले ने बुर चिर दी
किशोर- स्वाती और चिल्ला आज तेरी नथ उतरने को मैं अकेला हूँ कल पूरे मोहल्ले वाले चोदेन्गे
किरण-क्यों
किशोर- यहीं यहाँ का नियम है मोहल्ले की हर चूदी चूत को सब मिल बाँट के खाते है
किरण- तभी मैं कहूँ अंकल कोई दीदी की शादी होती है तो आप सब क्यों खुश होते हो क्योंकि वो आप सब से चुद्ति है
किशोर-हाँ स्वाती अब अगर मैने किसी को बोल दिया की तेरी नथ उतार गयी है तो तू मोहल्ले की रानी, रंडी बन जाएगी, बोल, बोल दूं या चुपचाप चुदेगि मुझसे
किरण – प्ल्ज़ अंकल सिर्फ़ आप चोदो मुझे अभी इस छोटी उमर मे रंडी नही बनना पहले मेरा पति मुझे चोद ले फिर जिसका मर्ज़ी लौडा लूँ कोई ऐतराज़ नही
किशोर- फिर आजा मेरे लौडे को मस्त कर और अपनी चूत मरवा
इसके बाद किशोरे ने किरण की छूट को स्वाती की चूत समझ के चोदा परंतु हमारी कहानी संध्या के साथ चलती है इसलिए हम वापस लौटते है. यहाँ संध्या के मूह से उसके डैड द्वारा अपनी फॅंटॅस्टिक चुदाई की बाते सुन के स्वाती का मूह खुला का खुला रह गया. वो शर्म से लाल पड़ गयी और उसने संध्या के मूह पर हथेली रखके बोला
स्वाती-संध्या प्ल्ज़ और मत सुना नही सुना जाता की अंकल मेरी चट रोज़ मारते है और अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ते है
संध्या- उनका बस चले तो मेरे को भी चोद दे
स्वाती- हाए इतना तुझे कैसे यकीन है यहाँ तो तू उनका निक्कर का लंड वाला हिस्सा चूस रही है इससे लगता है तू खुद उनसे चूद्ना चाहती है

संध्या- तूने अभी मेरी और मोम की बातें कहाँ सुनी है वो पता चले तो तू जान जाएगी कौन चूद्ना चाहता है और कौन चोद्ना वैसे भी मेरी कच्ची चूत तुझे एक बार लौडे का चस्का लग जाए तो तू रंडी बन जाएगी चुदाई के पीछे पागल हो जाएगी, अपने यार का लंड पकड़ पकड़ के उससे बोलेगी चोद दे.
स्वाती- अरी मरी कैसे कैसे गंदे शब्द यूज़ करती है तू चल हट
संध्या- स्वाती मेरी जान नंगी है मेरे आगे और गीली भी क्यों नखरे करती है आजा तुझे मर्द की तरह चोद दूं
स्वाती-क्या करेगी तू मेरी चूत की गर्मी उतारने को
संध्या- देखती जा क्या क्या करती हूँ मैं
संध्या मे आगे बड़के अपने डैड के निक्कर का लंड वाला गीला हिस्सा स्वाती की ओर बढ़ा दिया
संध्या- ले चूस इसे देख मेरे दाद का लंड कैसी खुश्बू देता है
स्वाती- मुझसे नही होगा वो अंकल है मेरे
संध्या- मेरे तो डैड है जब मैं नही हिचक रही तो तू क्यों ऐसा करती है देख इस पर उन्होने अपना वीर्य भी लिपटा रखा है
स्वाती ने निक्कर पर एक सफेद सी लाइन पड़ी देखी. वो वीर्य का सुखी पार्ट थी. संध्या उस पार्ट का कुच्छ हिस्सा गीला करके साफ कर चुकी थी. बाकी हिस्से के लिए उसने निक्कर स्वाती को दे दिया. स्वाती ने और विरोध किए बिना संध्या का साथ दिया और दोनो सहेलियों ने निक्कर पर से सूखा वीर्य साफ कर दिया.
स्वाती- संध्या अंकल को पता चल गया तो
संध्या- यही तो चाहती हूँ ताकि मैं वो और गर्म होके और वीर्यपात करेंगे और तुझे उनका और वीर्य मिलेगा. हो सकता है वो उत्तेजित होके एक दिन तुझे सच मे चोद दे.
स्वाती-चल हट ऐसा कभी नही होगा
पर उसका मन कर रहा था की ऐसा जल्द ही हो जाए और वो मोटे असली लौडे से चुद जाए. इधर संध्या ने मूली को पकड़ के चूसना शुरू किया
स्वाती- अब इस मूली से क्या करोगी
संध्या- यह मूली तेरी और मेरी चूत की गर्मी उतरेगी
स्वाती- संध्या नही यह बहुत मोटी है मैं आज तक सिर्फ़ उंगलियों से करती आई हूँ
संध्या- मेरी जान एक ना एक दिन तो लंड भी लेगी क्यों ना उसीकि प्रॅक्टीस करले.
स्वाती-प्यार से डालना जैसे अंकल चोद्ना चाहते हो वैसे ही
संध्या-अरे डैड की स्टाइल से चुदेगी तो तेरी बुर् फट जाएगी
स्वाती-क्यों
संध्या-वो ज़ोर से धक्का मार के पूरी मूली एक बार मे चूत मे पेल देंगे
स्वाती-हाए री ऐसा क्या वो इतने उतावले है मेरी बुर चोद्ने को
संध्या- हाँ री मैने उस रात के बारे मे मोम से बात की थी तू वो सुनेगी तो तेरी गान्ड फट जाएगी. तू खुद सोच एक औरत अपने मर्द को खुद नयी नयी लड़की बनके चुदाई का स्वाद दे और वो भी राज़ी राज़ी क्या यह हो सकता है तू अपने मर्द को किसी और से या मेरे से शेयर करेगी बिस्तर पर?
स्वाती- पर वो तो सिर्फ़ सोच रहे थे कौन सा अंकल ने मेरी या तेरी या रिचा, मुस्कान की चूत असली मे मारी
संध्या-मेरी जान जब मर्द नंगा होके अपना लौडा हाथ मे लेता है और फिर जिस चूत का नाम लेके उसे चोद्ने की बात करता है तो समझ ले उसी चूत के नज़ारे उसकी आँखों के आगे होते है और वो भूल जाता है कि उसके बिस्तेर मे कौन नंगी लेटी है वो उसकी बीवी है या कोई रांड़ बस जिसके बारे मे सोचा उसकी गीली चूत की कल्पना करके उसके ख़यालों मे उसे चोद दिया चाहे वो तू हो या रिचा या मैं
स्वाती-ऐसा क्या मैं तो इस बारे मे ज़्यादा जानती नही
संध्या- तू समझ ले अब जब भी तू डैड के सामने होगी वो तुझे आँखों ही आँखों मे चोद रहे होंगे भले मूह से स्वाती बेटी स्वाती बेटी बोलते रहे पर मन मे यही होगा की स्वाती नंगी मिल जाए तो चोद दूं या आज स्वाती को नंगी करके इसके कपड़े फाड़ के चूत मार लूँ और अपनी फॅंटेसी पूरी कर लूँ
स्वाती- हाए रे तब तो मैं तेरे घर अंकल के सामने कैसे आऊँगी?
संध्या-वैसे जैसे मैं आती जाती हूँ तू सोच डैड तो मेरे को भी चोद्ते है अपनी उस कामुक फॅंटेसी मे, मैं क्या वो नाज़ुक कली मुस्कान, वो रसीली रिचा, तू चिकनी स्वाती, वो नर्म अवन्तिका, वो मादक शालिनी, वो गर्म अदिति, वो मस्त माती, वो छुदासी महिमा या मैं कामुक संध्या, सब उनके लौडे के नीचे आ चुके है रात मे.
स्वाती-हाए रे अंकल बड़े मस्त है पर यह बता तू कैसे उनके सामने आती जाती है दिन मे
संध्या- मेरी मस्त कली मैं यह सोच के गीली हो जाती हूँ की घर मे ही एक मस्त मर्द मुझे दिन रात चोद्ने के सपने लेता है और उसके सामने मैं कुछ भी पहनु वो मेरी नंगी तस्वीर आँखों मे बिठा लेता है. मैं डैड के सामने अपने आप को हमेशा नंगा महसूस करती हूँ. इसलिए मुझे हिचक नही होती की वो मेरा कौनसा कामुक आंग घूर रहे है. बस उनका ताना लौडा महसूस होता है तो जान जाती हूँ की वो ख़यालों मे मेरी जवानी का भोग लगा रहे है.
स्वाती- तो तेरा कहना है की जब भी तेरे डैड मुझे देखेंगे वो मुझे नंगी सोचेंगे चोद्ने वाली निगाह से देखेंगे.
संध्या- हाँ री इसलिए बोल रही हूँ तू फ़िक्र छोड पूरा एंजाय कर लाइफ को, हो जाने दे जो होता है. चाहे डैड चोदे या कोई और मर्द तुझे अपनी चिकनी चूत किसी ना किसी को देनी ही है ना या साबूत बचा के वापस ले जाएगी भगवान के पास
स्वाती- अरी नही रे साबुत कैसे रहेगी कोई ना कोई इसकी मस्ती लूट ही लेगा मेरी चिकनी चूत को कई लंड मिलेंगे तो देखती जा
संध्या- आजा मैं तेरी चूत मे मूली डाल के तुझे लंड वाला मस्त मज़ा दूं
स्वाती- एक बात बता
संध्या- बोल
स्वाती- तेरी मों से बात हुई उस बारे मे
संध्या-किस बारे मे साफ साफ बोल इशारे छोड़
स्वाती- वोही अंकल के साथ नयी नयी लड़कियों का रूप लेके चुदाई करवाने के बारे मे. वो ऐसा क्यों करती है और अंकल क्या हम सबको वाकई मे चोद्ना चाहते है या सिर्फ़ सोच है
संध्या- हाँ मैने मों से बात की थी अभी सुनना चाहेगी या पहले तेरी चूत मे मूली उतार दूं, आजा मेरी चूत भी तो गर्म हो रही है. पहले क्या सुनेगी राजू ने मुझे कैसे चोदा या मोम स्वाती बनके क्यों राज़ी राज़ी चुदी.
प्ल्ज़ आप लोग गाइड करो स्वाती क्या जवाब दे

संध्या-स्वाती आजा तेरी नरम चूत मे पहले मैं मूली उतार दूं फिर बताऊँगी की मोम स्वाती बनके क्यों डैड से राज़ी राज़ी होके चुद रही थी
स्वाती- संध्या मैं बैचैन हूँ मेरी नज़र मे आंटी एक नया अनोखा काम कर रही थी क्योंकि तेरे हिसाब से कोई भी औरत ऐसा नही कर सकती कि उसका पति उसके सामने किसी और को चोदे और यहाँ तो खुद ही कोई और गरम चूत बनके पति के लौडे से चूद्ना वाकई आश्चर्य की बात है
संध्या- चल इस बात को छोड़ आ मेरी चिकनी स्वाती मैं आज नये तरीके से तेरी चूत का मज़ा लूटती हूँ
स्वाती-कैसे
संध्या- मैं इस मूली का 4 इंच का भाग अपनी कामुक चूत मे डालूंगी और बचे हुए 5 इंच को तेरी चिकनी चूत मे देखना तुझे ऐसा लगेगा जैसे कोई मर्द तुझे चोद रहा है.
स्वाती-संध्या मैं तेरी हर बात मनुगी बस तू मुझे प्यार से भोग ले. मेरी कमसिन चूत का नंगा नाच तेरे आगे करूँगी. मैं तेरे बिस्तर पर नंगी बिच्छने को तय्यार हूँ.
संध्या- तू मेरे आगे नंगी लेटी है एक कुतिया की तरह अब तुझे चोदून्गि. पूरा मज़ा लूँगी तेरी जवानी से
स्वाती- हाए संध्या बस बोल मत अपने इस अनमोल और अनोखे लौडे को मेरी मदमाती चूत मे उतार दे
संध्या- ऐसे नही रानी इसको चूस पहले इसे लौडे की तरह महसूस कर सिसकारी मारक आवाज़े निकाल मुझे उकसा कि मैं भड़क के तेरी बुर मे एक बार मे पूरी मूली उतार के तेरी नथ उतार दूं
स्वाती- संध्या आजा मेरी जान देख तेरे सामने तेरी स्वाती बिल्कुल ननन्गी लेटी है और देख मैं अपनी चिकनी चूत सहला रही हूँ मेरी चूत से निकलता पानी भी तुझे बुला रहा है मेरी चूत चूस ले और मेरी चूत को अपने मादक लौडे से चिर दे मेरी जान देख मैं अपनी नथ उतरवाने को बेताब हूँ
संध्या- तो जिससे कहूँगी उसका लौडा चुसेगी बोल कुतिया
स्वाती- हाँ संध्या मैं हर एक से चूत मरवाने को राज़ी हूँ
संध्या- सोच ले हो सकता है तेरे घर के ड्राइवर से तेरी चूत मरवा दूं
सवती – हाँ संध्या तू जिससे बोलेगी उसके आगे नंगी होके लेट जाऊंगी. चुद लूँगी मेरी जान मेरी चूत की गर्मी उतार दे. चोद दे मेरी जान संध्या तुझे तेरे राजू के लौडे की कसम
संध्या-अब मेरे यार राजू की कसम खाई है तो तेरी चूत मारती हूँ वरना अभी एक घंटा और तेरी चूत को तड़पाती फिर चोद्ति
संध्या ने इतना कहके मूली का 4 इंच हिस्सा अपनी कामुक चूत मे घुसेड लिया और सफेद लॅंड की तरह दिखती हुई मूली का बाकी 5 इंच के हिस्से का अगला भाग स्वाती की चूत के उपर टीका दिया.
स्वाती- अहह धीरे से मेरी जान मैने पहले भी कहा है मैं अभी कच्ची चूत हूँ
संध्या- कोई बात नही मेरी रानी आज रात को तेरे को सब से मस्त रंडी बना दूँगी
स्वाती- हाए संध्या तू आइसा कैसे बोल लेती है मैं तो यह सब सोच भी नही पाती
संध्या धीरे धीरे मूली को स्वाती की चिकनी लसलसाई चूत मे उतरते हुए बोलती है
संध्या- मेरी जान जब तुझे कई कई मर्द चोदेन्गे और गंदी गंदी बाते बोलने को बोलेनेगे तो तू सब सिख जाएगी ऐसा नही है मैं कोई शुरू से ही यह सब बोलना नही सीखी मुझे भी इस समाज ने मस्त छुदासी बना दिया है
स्वाती और संध्या ने अब मूली को लंड समझ कर उसका उपयोग करना शुरू किया. संध्या मे स्वाती के दोनो नंगे संतरे पकड़ लिए और उनको दबा दबाके रस निकालने लगी. इधर स्वाती भी मस्ती मे आ गयी उसने संध्या के तोड़ अनार अपनी मुट्ठी मे दबोच लिए और चूतड़ हिला हिला के मर्द की तरह धक्के लगाने लगी काफ़ी देर तक स्वाती और संध्या का यह खेल चलता रहा. संध्या को महसूस होने लगा की अब और साथ देना मुश्किल है तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और स्वाती की चूत को ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगी. स्वाती का बदन भी ऐंठ गया उसने संध्या को जकड लिया और संध्या के साथ साथ स्वाती को भी ऑर्गॅज़म मिलने लगा.
स्वाती- हाए री संध्या मेरी चूत को यह क्या हो रहा है कुच्छ बारिश का सा अनुभव
संध्या- होने दे स्वाती यह चूत की झडान है जो मर्द से चूद्ने पर और किसी लड़की के कामुक साथ मिलने पर मिलती है होने दे यह सुखद अनुभूति. और संध्या ने स्वाती के नर्म उरोजो मे मुँह घुसेड दिया और दोनो सहेलियाँ रति क्रिया का आत्मसुख पाने लगी. जब स्वाती की साँस मे साँस आई तो उसने कहा
स्वाती – संध्या अब बता तेरी मोम डैड से स्वाती बनके राज़ी राज़ी क्यों चुद रही थी
संध्या- स्वाती मेरी जान मैने मोम से उस रात के बाद अपनी इंटिमेसी बढ़ा दी. धीरे धीरे उनको अपनी चूत खोल के कभी यह कहती इसमे खुजली है कभी यह कहती यह अंदर से सिकुड फूल रही है ताकि मोम मुझसे मर्दो के साथ सेक्स की बाते करे और मैं उस रात का राज़ जान सकूँ. धीरे धीरे एक महीना गुजर गया फिर वो लम्हा आ ही गया जब मैने मोम से उस रात के बारे मे पूछा इसे तू मोम और मेरी कहानी उन्ही के शब्दों मे समझ के सुन.
किरण-संध्या इधर आना ज़रा
संध्या- क्या है मोम आती हूँ
किरण- कल तू बोल रही थी की तेरी पॅंटी मे खराश पड़ गयी है ला मुझे दिखा
संध्या- मोम देखो ना मेरी पॅंटी मे हमेशा गीलापन भी रहता है
संध्या ने एक सेकेंड मे ही किरण के आगे ड्रॉयिंग रूम मे ही अपनी स्कर्ट खोल के पॅंटी नीचे सरका दी.
किरण- इतनी बड़ी हो गयी है अभी भी बच्चो की तरह मेरे सामने नंगी हो गयी चल रूम मे कोई और होता तो यहाँ पे तो
संध्या- तो क्या होता मोम
किरण- चल रूम मे सब समझाती हूँ
किरण ने अधनंगी संध्या का हाथ पकड़ा और उसे रूम की तरफ ले गयी और बोली की वो एक मिनिट मे मैं डोर बंद करके आती है. इधर संध्या ने तब तक अपने सारे कपड़े खोल दिए और मदरजात नंगी हो गयी उसका प्लान था की वो आज किरण से पूछेगी की वो रातों मे स्वाती, अदिति, मेरी, शालिनी, रिचा. अवन्तिका या संध्या बनके क्यों चुद्वाती है. किरण रूम मे आती है और संध्या को पूरी तरह से नंगी देखती है. उसकी चूत मे भी पानी की लहर आ जाती है वो सोचती है की काश संध्या उसे कामसुख दे तो कितना अच्छा होगा.
किरण- यह क्या संध्या तू तो पूरी नंगी हो गयी सिर्फ़ तेरी चूत को ही तो देखना था मुझे
संध्या- मों मेरी चूत के साथ साथ मेरी चुची भी दर्द करती है टीस मारती है देखो मोम कुच्छ हो तो नही गया मेरी चुची को यह दोनो बड़ी जकड़न का अहसास करती है
इतना कहके संध्या ने अपनी ठोस और चिकनी चुची दबोच ली. किरण की चूत मे पानी की और लहरें दौड़ने लगी उसने अपनी जांघे आपस मे सटा ली ताकि चूत मे भरा हुए पानी का रिसाव ना होने लगे. परंतु पानी कहाँ ठहरता वो उसकी चूत का बाँध तोड़कर उसके घुटनो की तरफ़ बढ़ने लगा. मस्ती की वजह से किरण की आँखे बोझिल हो गयी यही हाल संध्या का भी था. उसकी गोरी चूत पानी से भर गयी थी यह बात किरण को साफ साफ दिख रही थी. उसने तुरंत डिसाइड किया की वो आज संध्या को लड़की से औरत बनने का खेल बताएगी ताकि संध्या अपनी इस जवानी का आनंद उठा सके.
किरण- संध्या मेरे पास आ मैं देखती हूँ क्या हुआ है तेरे को
संध्या- देखो मोम मेरी चुची दबाने पर चूत से लेकर दिमाग़ तक सनसनी की लहर उठ रही है और मन होता है कि....
किरण- कैसा मन करता है तेरा
संध्या- कि अपनी चुची खुद ही मसल लूँ और इस निगोडी चूत मे कुच्छ डाल लूँ
किरण- पता है तुझे ऐसा क्यों होता है
संध्या- नही मोम
किरण- क्योंकि तू बड़ी हो गयी है तेरा शरीर मे बदलाव आ रहा है और तू अब बच्ची नही रही अब तू इतनी बड़ी हो गयी है की तू मर्द और औरत के बीच का अंतर समझ सके रुक पहले मैं भी अपने सारे कपड़े नोंच दूं अपने जिस्म से फिर तुझे सब कुच्छ खुल के समझाती हूँ.
इतना कहके किरण ने भी अपने आप को नंगी कर दिया. अब दोनो रूम मे पूरी तरह मदरजात नंगी खड़ी थी. किरण की चूत मे पानी का प्रवाह देखके संध्या बोल ही पड़ी
संध्या- मोम आपको भी छूट से पानी का प्रवाह होता है
किरण- हाँ री आजा तुझे सब कुच्छ बताती हूँ. तुझे औरत और मर्द के रिश्तों का पता है या नही यह बता कोई तेरी सहेली शालिनी, अदिति, रिचा, अवन्तिका, माटी, स्वाती, मुस्कान कोई इस बारे मे बात करती है या नही
संध्या- कुच्छ ज़्यादा नही मगर .................
किरण- समझ गयी तुझे नालेज तो है पर पूरी नही
संध्या- कौन बताएगा सब की सब खुद आधा अधूरा ज्ञान लिए रहती है कोई अपनी भाभी से कोई चाची से कोई मामी से कोई मौसी से कोई बुआ से ऐसे ही सब ज्ञानवान बनी फिरती है
किरण- वास्तव मे इसका ज्ञान का भंडार बहुत बड़ा है सारा मुझे भी नही आता पर तुझे जितना चाहिए वो बता सकती हूँ पुच्छ तू क्या पुच्छना चाहती है
संध्या ने सोचा की आज उसका काम बन गया आज वो सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा पर उसे थोड़ा धैर्य से काम लेना होगा. जल्दबाज़ी मे हो सकता है मोम उसे बताए ना.
संध्या- मोम सब, मेरे लिए जो भी ज़रूरी है प्ल्ज़ आप बताओ मैं सब जानना चाहती हूँ
किरण- संध्या जब कोई लड़की जवान होने लगती है तो उसके जिस्म मे ज़रूरी बदलाव आने लगते है जैसे उसके सीने पर छोटे छोटे संतरों का उगाना उसकी कमर मे बाल आना उसकी चूत पे बाल बढ़ना उसकी आवाज़ मे सेक्सीनेस आना मर्दों का उसके जिस्म को घुरना उसमे शर्म आना उसको यह पता चलता कि वो लड़को से अलग है और अनमोल है
संध्या- यह सब किस एज से होता है
किरण- इसकी कोई एज नही है यह 12 से लेकर 16 तक हर लड़की के खानपान और आचार विचार पर निर्भर है कोई लड़की 12 साल मे ही 16 साल का यौवन ले आती है कोई 18 साल तक 12 साल के जिस्म को ओढ़े रहती है
सांध्य- मोम तुम सबसे अलग और दिलचस्प बाते बता रही हो और बोलो मोम क्या होता है लड़की के साथ और कैसे इसे पचाना या अवॉइड किया जा सकता है अगर कोई नॉनसेन्स सिचुयेशन हो तो
किरण- मैं यह बताने की कोशिश मे थी की लड़कों के साथ साथ सभी मर्द लड़की के जिस्म को देख के जान जाते है कि वो जवानी की दहलीज़ पर आ चुकी है या नही. वो उनके बिस्तर को गर्म कर सकती है या नही.
संध्या- यह बिस्तर गर्म करना क्या होता है
किरण – तुझे सब कुच्छ खुलके बोलना होगा. इसका अर्थ होता है मर्द के द्वारा लड़की को भोगा जाना इसमे वो लड़की की चूत मे लौडा डाल के उसे चोद्ता है और उसको लड़की से औरत बना देता है.जब पहली बार कोई मर्द किसी लड़की को चोद्ता है तो उसे नाथ उतरा कहते है या कौमार्य भंग या प्रथम सहवास.
संध्या- सब समझ गयी जो तुमने बोला वो भी और जो नही बोला वो भी पर यह बताओ नथ उतरवाई क्यों कहते है इस चोदन क्रिया को






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