Monday, May 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--11

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--11


 उसके पास आते ही समीर ने अपने पैर की उंगलियों से उसके चेहरे की बूँदो को मसलना शुरू कर दिया और फिर उसके होंठों के अंदर अपना अंगूठा डाल दिया, जिसे वो बड़े भयानक ढंग से चूसने लगी, जैसे वो पैर का अंगूठा ना हो उसका लॅंड हो.

फिर अपने गीले अंगूठे को वो रश्मि के मुम्मों तक ले गया और उसके निप्पल को अंगूठे और उंगली के बीच फँसा कर नीचे की तरफ खींच दिया.

रश्मि दर्द से कराह उठी : "अहह उम्म्म्मममम ''..

पर साथ ही उसकी चूत से भी गर्म हवा के भभके निकलने लगे..

समीर का लॅंड उसके पेट पर ठोकरे मार रहा था, समीर ने उसे आँखो से इशारा किया तो वो झपटकर उपर आई और उसके लॅंड को अपने मुँह मे लेकर उसका रस पीने लगी.

आज तो वो ऐसे बिहएव कर रही थी जैसे वो उसके लॅंड को उखाड़ कर खा जाएगी

झटके लगने से उसका पेग भी छलक रहा था

उसने गिलास और सिगरेट को साईड मे रखा और फिर दोनो हाथों से उसके बालों को पकड़कर ज़ोर-2 से अपने लॅंड के उपर मारने लगा

और जब उसे लगने लगा की अब ज़्यादा नही रोक पाएगा तो उसने अपना लॅंड छुड़ा लिया और रश्मि को अपनी गोद मे खींच कर उसकी चूत के अंदर अपना लॅंड पेल दिया

वहीं सोफे पर बैठे -2 वो रश्मि को अपनी गोद मे बिठा कर चोदने लगा

और यही वो समय था जब काव्या अपने कमरे से निकल कर नीचे जा रही थी, लोकेश के पास, अपने मा बाप के कमरे से आ रही उत्तेजना से भरी चुदाई की आवाज़ों को सुनकर वो समझ गयी की ये उसके जलवे का ही कमाल है जो समीर उसकी मा को ऐसे चोद रहा है

वो मुस्कुराती हुई नीचे उतर आई, क्योंकि अब खुजली उसकी चूत मे भी हो रही थी


 इसी बीच, समीर ने रश्मि को बेड पर लेजाकर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत मे दाखिल हो गया

और अगले दस मिनट तक वो उसे बुरि तरह चोदता रहा

और जैसे ही उसके लॅंड का पानी निकल कर रश्मि की चूत मे जाने लगा, उसके मुँह से अनायास ही निकल गया : "ओह काव्य्ाआआआअ''..

वैसे तो उसने सिर्फ़ बुदबुड़ाए थे वो शब्द पर रश्मि के तेज कानो ने उन्हे सुन ही लिया..

और उन्हे सुनते ही उसके पुर शरीर मे एक सनसनाहट सी दौड़ गयी...

उसे समझते देर नही लगी की समीर की गंदी नज़रें उसकी जवान बेटी पर है, इसलिए वो उसे चोदते हुए अपनी आँखे बंद करके उसकी बेटी का नाम ले रहा है...पर वो कर भी क्या सकती थी...उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की वो अपनी बेटी को जितना हो सकेगा , समीर से दूर रखेगी..अभी उसे पता चल गया है, ऐसा उसने शो ही नही किया..

चुदाई के बाद समीर ने अपना जाम ख़त्म किया और दस मिनट मे ही गहरी नींद के आगोश मे चला गया, और पीछे रह गयी अपनी बेटी की चिंता मे उसकी माँ रश्मि, जिसकी आँखो से नींद कोसो दूर थी.

पर उस बेचारी को ये पता नही था की जिस बेटी को बचाने के लिए वो अपनी नींद खराब कर रही है वो खुद इस समय क्या करने गयी हुई है..

लोकेश के कमरे के बाहर पहुँचकर काव्या ने धीरे से दरवाजा खड़काया.


 लोकेश अपने बाथरूम मे था , अपने शरीर कि गर्मी को वो नहा कर निकाल रहा था

उसने टॉवल लपेटा और दरवाजा खोलने के लिये बाहर आया

दरवाजा खोलते ही काव्या जल्दी से लोकेश को धक्के देते हुए अन्दर आ गयी और दरवाजा बंद कर दिया

लोकेश का टॉवल गिरते-2 बचा.…

लोकेश : "क्या हुआ, इतनी जल्दी किस बात की है ''

काव्या : "वो.....मुझे लगा की शायद कोई मुझे यहा आते हुए देख रहा है''.

लोकेश (हंसते हुए) : "इस वक़्त कोई नही जाग रहा होगा, और तुम्हारे मम्मी-पापा तो मस्ती का खेल खेलकर आराम कर रहे होंगे...उनकी आवाज़ें नीचे तक आ रही थी''

काव्या उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी

उसकी नज़रें लोकेश की बॉडी से होती हुई उसके उभार तक जा पहुँची

काव्या ने एक झटके मे उसका टॉवल खींच कर नीचे गिरा दिया

लोकेश को इस बात की आशा भी नही थी, वो अपने लॅंड को अपने हाथों से ढक कर उसे छुपाने की कोशिश करने लगा

काव्या (हंसते हुए) : "हा हा, आप तो ऐसे शरमा रहे है, जैसे मैने इसे पहले देखा ही नही , भूल गये, कैसे आप मेरे सामने पुर नंगे होकर बैठे थे ''

तब तक लोकेश भी संभल चुका था, क्योंकि उसे भी पता था की रात के इस समय काव्या उसके रूम मे क्या करने के लिए आई है और जब उसने टॉवल खींच कर गिरा दिया तो वो समझ गया की आज की रात उसकी चाँदी होने वाली है

वो बोला : "वहाँ नाव मे तो तुम भी पूरी नंगी थी ''

उसकी बात सुनकर काव्या की मुस्कान गायब हो गयी और उसकी जगह कामुक हाव भाव ने ले ली, उसने अपनी टी शर्ट को पकड़ा और उसे उतार दिया और अपनी छोटी सी निक्कर को भी पकड़ कर नीचे खिसका दिया

अब वो सिर्फ़ अपनी ब्रा और पेंटी मे थी

वो मदहोशी वाली चाल मे चलती हुई आगे आई और लोकेश के पास जाकर रुक गयी , दोनो एक दूसरे की साँसे अपने चेहरे पर महसूस कर पा रहे थे

काव्या ने लोकेश के हाथों को पकड़ा और उन्हे अपनी कमर के उपर की तरफ रख दिया और उपर खिसकाने लगी उन्हे

लोकेश समझ गया की वो अपनी ब्रा उसके हाथों से खुलवाना चाहती थी

उसने भी धीरे-2 हाथ खिसका कर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और वो फिसलकर नीचे जा गिरी

फिर उन्ही हाथों को पकड़कर काव्या ने अपनी पेंटी पर रख दिया

लोकेश फिर समझ गया की वो अपनी पेंटी भी उतरवाना चाहती है

लोकेश का लॅंड इस समय तक झटके मारता हुआ काव्या के पेट पर ज़ोर-2 से दस्तक दे रहा था

काव्या की पिंक पेंटी को भी खिसका कर लोकेश ने नीचे कर दिया

और अब थी काव्या पूरी नंगी, जैसे की लोकेश था इस समय

काव्या : "अब तो ठीक है ना, मैं भी पूरी न्यूड हो गयी हू अब तो , चलो अब शुरू हो जाओ, तुमने कहा था की मेरे एहसान का बदला उतरोगे''


 लोकेश को याद आ गयी अपनी बात , जब नाव मे काव्या ने उसका लॅंड चूसा था तो उसने ये बात कही थी

लोकेश ने काव्या को अपनी बाहों मे भरा और उसके नन्हे से शरीर को अपनी बलिष्ठ बुझाओं मे दबा कर निचोड़ डाला

उसके छोटे-2 बूब्स उसकी सख़्त छाती से दबकर नीचूड़ से गये

लोकेश के हाथों मे काव्या की गोल-मटोल गाँड थी, जिसे दबाने मे उसे बहुत मज़ा आ रहा था

काव्या तो पागल हुई जा रही थी, उसकी साँसे इस समय रेल के इंजन की तरह तेज और गर्म थी

उसने आवेश मे आकर लोकेश की गर्दन, छाती गाल और फिर एकदम से उसके होंठों को चूमना और चूसना शुरू कर दिया

काव्या के शरीर को जब लोकेश ने ज़ोर से दबा कर अपनी छाती से लगाया तो उसका बदन टूटने सा लगा, लोकेश ने उसे उपर हवा मे उठा कर ज़ोर से स्मूच करना शुरू कर दिया

''उम्म्म्मममममम मुकक्चह अहह''

ये काव्या की लाइफ का पहला स्मूच और किस्स था


उसकी चूत का गीलापन उसे बाहर निकलता हुआ महसूस हो रहा था

और साथ ही एक-दो ठोकरे लोकेश के लॅंड की भी लग चुकी थी वहाँ, इसलिए कुछ ज़्यादा ही गीली हो गयी थी वो

और लोकेश ने जब काव्या के होंठों को चूसा तो उसमे से निकलने वाली मिठास का वो कायल हो गया, ऐसी ठंडक और मीठापन उसने आज तक किसी को भी किस करते हुए महसूस नही की थी, उसका मन कर रहा था की उसके मोटे होंठों की मदिरा वो पूरी तरह से पी जाए

लोकेश ने उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और खुद उसके पीछे जाकर उसकी उभरी हुई गांड के बीच अपने लँड को फंसा कर घिस्से मारने लगा , और साथ ही साथ उसकी चूचियाँ भी रोंदने लग आपने कठौर हाथोँ से


लोकेश ने काव्या को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके कसमसाते हुए जिस्म को देखकर अपने होंठों पर जीभ फिराने लगा


 वो उसपर पूरी तरह से लेट गया , और नीचे झुककर उसके फूल चुके मुम्मों को अपने हाथोँ से दबाकर उन्हे बड़ा करने लगा और साथ ही उसके निप्पल चूसकर उसका दुध निचोड़ने लगा

उसे तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था की एक 18 साल की कच्ची कली को वो आज चोदने जा रहा था

उसकी नज़र काव्या की रस उगलती चुत पर पड़ी, जो अपने ही रंग मे नहाकर चमक रही थी

उसने एक बार और अपने होंठों पर जीभ फेराई और नीचे झुक कर उसकी चूत के सामने भिखारी की तरह बैठ गया

काव्या समझ गयी थी की अब उसके साथ क्या होने वाला है, उसने अपनी साँसे रोक ली, अपनी कोहनियों के बल आधी लेट कर वो लोकेश की तरफ देखने लगी

लोकेश ने जैसे ही अपना सिर उसकी चूत पर झुकाया और अपनी जीभ से उसे छुआ, काव्या ने तड़प कर अपनी चूत वाला हिस्सा आगे किया और उसके मुँह पर दे मारा और अपनी टाँगो से लोकेश की गर्दन लपेट ली और उसकी गर्म जीभ को अपनी लाल भट्टी के अंदर महसूस करते हुए जोरों से सिसकारियाँ मारने लगी

''अहह उम्म्म्मममममममम वाआआव अंकल .........मज़ा आ गया ''

अपनी कुँवारी चूत की पहली चुसाई लोकेश से करवाते हुए वो मचल रही थी, उसके शरीर मे लहरें उठ रही थी, उसने लोकेश के बालों को पकड़ लिया और अपनी चूत पर घिसाई करने लगी उसके मुँह से

लोकेश के लिए साँस लेना भी मुश्किल हो गया था

पर उसकी चूत का गरमा गरम मीठा रस इतना मजेदार था की वो अपना मुँह वहाँ से हटा ही नही पा रहा था

लोकेश की खुरदूरी जीभ जब काव्या की वेल्वेट जैसी चूत के उपर चली तो वहाँ से निकल रही सारी चिकनाहट को सॉफ करती चली गयी

अब तक काव्या का मुँह भी सूखने लगा था

उसने बड़ी मुश्किल से अपनी चूत से जोंक की तरहा चिपके लोकेश को पीछे हटाया और उन्हे बेड पर आकर लेटने को कहा, और जैसे ही लोकेश वहाँ लेटा , काव्या ने उसके रॉकेट को अपने मुँह के अन्दर रखा और उसे ऊंची उड़ान पर भेज दिया और उसके लॅंड को आइस्क्रीम की तरह चूसने लगी




अब लोकेश का लॅंड पूरी तरहा से बग़ावत पर उतार आया था, स्टील जैसा कड़ा हो चुका था वो, उसने सोचा यही वक़्त है कुँवारी चूत का उद्घाटन करने का



उसने अपने आप को छुड़ाना चाहा पर काव्या ने उसे छोड़ा ही नही, उसका लॅंड चूसती ही रही

अब लोकेश को भी लगने लगा की वो ज़्यादा देर तक अपने आप पर कंट्रोल नही कर सकेगा, क्योंकि काव्या किसी रंडी की तरह उसके लॅंड को चूस रही थी

अपनी जीभ और दांतों का हल्क़ा इस्तेमाल और होठो से किसी मशीन कि तरह उसके लंड को चूसते हुए काव्या क चेहरा तमतमा उठा , इतनी उत्तेज़ना उसे आज तक महसूस नहि हुई थी

और फिर अचानक लोकेश के मुंह से अजीब - २ सी आवाजें निकलने लगी

काव्या समझ गयी कि उसका निकलने वाला है

वो उठकर बैठ गयी और लोकेश को अपने सामने खड़ा करके अपनी जीभ निकाल कर उसके लंड को मसलने लगी

और आखिर लोकेश ने अपने लंड का माल उगल ही दिया उसके चेहरे पर

लोकेश के रस कि लँबी -२ लकीरे निकल कर काव्या के चेहरे और होंठों पर गिरने लगी



और इस बार काव्या ने उस रस का अपमान नही किया उसे बाहर फेंक कर, बल्कि एक ही झटके मे वो सारा रस अपने गले से नीचे उतार कर पी गयी

लोकेश ने पूछा : "तुम हटी क्यो नही, मुझे ये अंदर डालना था तुम्हारे''

उसने अपने लॅंड की तरफ इशारा करते हुए कहा

वो मुस्कुरा कर रह गयी

उसने लोकेश की तरफ देखते हुए अपनी चूत की तरफ इशारा किया, यानी वो चाहती थी की वो उसे भी चूस कर झड़ने मे मदद करे..

वो उठा और उसके सामने फिर से उसी पोज़ मे आ गया जिसमे पहले चूस रहा था उसकी नर्म चूत को

उसने चूसना शुरू किया, और साथ ही साथ अपने लॅंड को भी मसल कर फिर से खड़ा करने लगा, ताकि उसकी चूत को फाड़ सके

और अगले पाँच मिनट मे वो खड़ा हो भी गया

उसने उसकी चूत को चाटना छोड़ दिया और अपने लॅंड को मसलते हुए आगे की तरफ आया

पर तभी काव्या बोल पड़ी : "नही अंकल .....ये नही...''

लोकेश बेचारा उसका चेहरा देखता रह गया

एक जवान लड़की उसके साथ सब कुछ कर रही है, पर अपनी चूत मरवाने से मना कर रही है, ऐसा क्यो..

उसकी तो के एल पी ड़ी हो गयी

काव्या ने उसे फिर से अपनी चूत चाटने को कहा

और वो बेचारा मन ही मन उसे गालियाँ देता हुआ उसे फिर से चाटने लगा

और काव्या उत्तेजना के शिखर पर पहुँचकर जब झड़ने लगी तो मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी

की किस तरहा से लोकेश उसके इशारे पर नाच रहा है

उसने अपने जिस्म का इस्तेमाल करके उसे अपना दीवाना बना लिया था

पर जो काम वो करवाना चाहती थी, उसके लिए अपने पास एक हुक्म के इकके को बचाकर रखना ज़रूरी था

और वो हुक्म का इक्का था उसकी कुँवारी चूत

कुँवारी चूत एक ऐसी चीज़ होती है जिसे मारने के लिए आदमी कुछ भी कर सकता है

और यही हाल इस वक़्त लोकेश का हो रहा था, उसके मन मे पता नही क्या-2 चल रहा था, की ये क्यो अपनी चूत बचा कर रख रही है, इतना कुछ तो कर ही चुकी है, तो इसके लिए क्यो मना कर रही है

पर वो कर भी क्या सकता था, ज़बरदस्ती वो कर नही सकता था

सिर्फ़ उस समय का वेट कर सकता था जब वो इसके लिए राज़ी हो जाए


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