Sunday, May 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--1

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--1
 ट्रेन से उतरते ही सीता की जान में जान आ गई। वो भगवान का शुक्रिया अदा की। बिहार की ट्रेन में भीड़ ना हो ये कभी हो नहीं सकता। इसी भीड़ में गाँव की बेचारी सीता को अपने पति श्याम के साथ आना पड़ा। श्याम जो कि T.T.E. है। हालाँकि वो भी गाँव का ही है मगर नौकरी लगने के बाद उसे शहर रहना पड़ा। 6 महीने पहले दोनों की शादी हुई थी। शादी के बाद श्याम ज्यादा दिन तक अकेला नहीं रह पाया । काम के दौरान वो काफी थक जाता था। फिर घर आकर खाना बनाने का झंझट। मन नहीं करता खाना बनाने का पर क्या करता? होटल में अच्छा खाना मिलता नहीं । कभी कभी तो भूखा ही रह जाता। ऐसा नहीं है कि वो महँगे होटल में नहीं जा सकता था। मगर सिर्फ पेट की भूख रहती तब ना। उसे तो नई नवेली पत्नी सीता की भी भूख लग गई थी। आखिर क्यों नहीं लगती? सीता थी ही इतनी सुंदर । पूरे गाँव में तो उतनी सुंदर कोई थी ही नहीं। तभी तो उसकी शादी एक नौकरी वाले लड़के से हुई । श्याम जब सीता को पहली बार देखा तो देखता ही रह गया। एकदम चाँद की तरह चमकती गोरी रंग, नशीली आँखें, गुलाबी होंठ,कमर तक लम्बे लम्बे बाल,नाक में लौंग, कान में छोटी छोटी बाली, गले में पतली सी Necklace जिसमें अँगूठी लटकी थी।सफेद रंग की समीज-सलवार में सीता पूरी हुस्न की मल्लिका लग रही थी। दोनों के परिवार वाले देख चुके थे, पर सबकी इच्छा थी कि ये दोनों भी एक-दूसरे को देख लें तो अच्छा रहेगा। सीता अपने भैया-भाभी के साथ श्याम को देखने गाँव से 5 किलोमीटर दूर एक मंदिर में गई थी।गाँव में शादी से पहले लड़के का घर पर आना तो दूर, बात करना भी नहीं होता है। पर श्याम के परिवार वाले की जिद के कारण एक मुलाकात हो सकी ।
तय समय पर श्याम अपने एक दोस्त के साथ सीता से मिलने गाँव के बाहर मंदिर पर पहुँच गया था। अभी तक सीता नहीं पहुँची थी। दोनों वहीं बाहर बने चबूतरे पर बैठ कर सीता के आने का इंतजार करने लगे। श्याम के मन में काफी सवाल पैदा हो रहे था। अजीब कशमकश था, पता नहीं गाँव की लड़की है कैसी होगी? रंग तो जरूर सांवली होगी। खैर रंग को गोली मारो, अगर शारीरिक बनावट भी अच्छी मिली तो हाँ कर दूँगा। पर अब हाँ या ना करने से क्या फायदा। जब माँ-बाबूजी को रिश्ता मंजूर है तो मुझे बस एक आज्ञाकारी बेटा की तरह उनकी बात माननी थी। सब कह रहे हैं अच्छी है तो अच्छी ही होगी।अच्छा
वो आएगी तो मैं बात क्या करूँगा? साथ में उसके भैया-भाभी भी होंगे तो ज्यादा बात भी नहीं कर पाऊंगा।अगर पसंद आ भी गई तो बात नहीं कर पाऊंगा।फिर तो शादी तक इंतजार करना पड़ेगा। शहर में ही ठीक था। आराम से मिल सकते थे,बात करते, date पर जाते वगैरह वगैरह। पर यहाँ बदनामी की वजह से कुछ नहीं कर सकते भले ही आपकी उससे शादी क्यूँ ना हो रही हो।
तभी मोटरगाड़ी की तेज आवाज से श्याम हड़बड़ा गया।सामने देखा सीता अपने भैया-भाभी के साथ पहुँच गई ।सीता को देखते ही श्याम को जैसे करंट छू गया हो। उसके मन में अब एक ही सवाल रह गया था," गाँव की लड़की इतनी सुंदर कैसे? मैं तो बेकार में ही इतना सोच रहा था"
तभी उसे अपने दोस्त का ख्याल आया। उसकी तरफ देखा तो उसे तो एक और झटका लगा। साला मुँह फाड़े एकटक देख रहा था, मन तो किया दूँ साले को एक जमा के। पर चोरी से ही एक केहुनी दे दिया तो लगा वो भी सो के उठा हो। फिर मेरी तरफ देख के शैतानी मुस्कान दे रहा था साला। खैर हमने उसे एक तरफ करके भैया भाभी को प्रणाम किया। फिर भैया कुछ बहाने से गाड़ी से 5 मिनट में आ रहा हूँ बोल के चले गए।
"आपका नाम?" भाभी मेरे दोस्त की तरफ देखते हुई पूछी
"जी..मैं... मैं... रमेश। श्याम की दोस्त।" आशा के विपरीत हुए सवाल से साला अपना Gender भी भूल गया।
पर भाभी मुस्कुराती हुई बोली,
"रमेश जी, इन्हें कुछ देर के लिए अकेले बात करने देंगे तो अच्छा रहेगा।तब तक हम दोनों कहीं एकांत में चलते हैं।"
रमेश चुपचाप भाभी की तरफ बढ़ने लगा।
"और हाँ श्याम जी... अभी सिर्फ बात करना और कुछ नहीं । मैं पास में ही हूँ, बातें नहीं सुन सकती पर देख जरूर रहुँगी ही..ही...ही" भाभी हँसती हुई रमेश के साथ मंदिर के बाहर निकल गई।
अब मैं भला क्या बात करता? सामने साक्षात परी जैसे लड़की खड़ी जो थी। मैं सिर्फ नाम ही पूछ सका। आवाज भी इतनी मीठी कि कोयल भी शर्मा जाए। बाकी के 10 मिनट तो बस सीता को देखता ही रहा। गजब की थी सीता। ऊपर से नीचे तक देखा पर कहीं से भी मुझे कमी नजर नहीं आई।वो अपनी नजरें नीची किए हुए मंद मंद मुस्कुराती रही। कभी कभी जब मेरी तरफ देखती तो लगता अपने आँखों से ही मुझे घायल कर देगी।
तभी मुझे भाभी और रमेश आते हुए दिखे। मुझे तो उम्मीद ना की ही थी, फिर भी फोन के लिए पूछ लिया। वो ना में गर्दन नचा दी। पर मैं फिर भी काफी खुश था।
"क्यों श्याम जी, बात तो कुछ किए नहीं! लगता है आपको हमारी सीता पसंद नहीं आई। घर जाकर बाबूजी को मना कर दूँ क्या?" भाभी आते के साथ ही पूछ बैठी।
"नहीं..नहीं.. भाभी जी। मुझे तो पसंद है बाकी इनसे पूछ लो" हड़बड़ाते हुए मैंने कहा जैसे किसी बच्चे से टॉफी माँगने पर बच्चा हड़बड़ा जाता हो।
मेरी बात सुनते ही सब ठहक्का लगा कर हँसने लगे। मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ तो मैं भी शर्मा के मुस्कुरा दिया।
"तब तो लगता है कि जल्द ही आप दोनों फँसोगे क्योंकि सीता को भी आप पसंद आ गए" भाभी बोली
"पर भाभी जी आपने तो इनसे पूछा ही नहीं फिर कैसे आप समझ गई?" तभी रमेश बोल पड़ा।
"क्यों ? आपके दोस्त के पास क्या कमी है जो पसंद नहीं आएँगे? अच्छे खासे गबरु जवान लग रहे हैं। बॉडी भी काफी अच्छा है। दिखने में भी अच्छे हैं। सरकारी नौकरी करते हैं। मैं अगर कुवांरी रहती तो मैं ही शादी कर लेती इनसे।" एक बार फिर हम सबको हँसी आ गई भाभी की बात पर। तभी मोटरगाड़ी की आवाज सुनाई दी। भैया भी तब तक आ गए। हमें एक अच्छे लड़के की तरह घर जाना ठीक लगा अब। मैंने उन लोगों से इजाजत ले कर रमेश के साथ निकल गया।


 दोनों की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। श्याम अपने सुहागरात को ले काफी व्याकुल था। आखिर क्यों ना हो इतनी सुंदर बीबी जो मिली ।लाल जोड़ों में तो सीता और भी कहर ढा रही थी। सुहागरात के लिए सीता कोई खास सोची नहीं थी।
थोड़ी सी डर जरूर थी कि पहली बार सेक्स करूँगी तो पता नहीं कितना दर्द होगा। भाभी कहती थी कि पहली बार दर्द होती है, मैं सह भी पाऊंगी या नहीं। अगर ना सह पाई तो कहीं नाराज हो गए तो क्या करूँगी।हमें तो ठीक से मनाना भी नहीं आता।इसी उधेड़बुन में खोई सीता पलंग पर बैठी थी।
तभी हल्की आहट से दरवाजा खुला और श्याम अंदर आ गए।सीता देखते ही उठ के खड़ी हो गई।
"अरे ! खड़ी क्यों हो गई?" श्याम प्यार भरी व्यंग्य से सीता से पूछा।
कुछ सोचने के बाद सीता फिर से बैठ गई और श्याम को हल्की नजरों से देखने लगी।
श्याम तो बेसब्र था ही अपने मिलन को लेकर, पर सीता को महसूस नहीं होने देना चाहता था कि मैं व्याकुल हूँ। उसने एक गंजी और तौलिया पहन रखा था। वो सीता के पास आकर बैठ गया और सीता को देखने लगा। सीता अपने तरफ देखते देख शर्मा कर अपनी नजरें दूसरी तरफ कर ली।
"क्या हुआ? डर लग रहा है क्या?" श्याम धीरे से पूछा
कोई जवाब ना पाकर श्याम बोला," मैडम, हम दोनों शादी किए हैं।कोई प्रेमी नहीं हैं जो डर रही हैं। आज हमारी पहली रात है तो थोड़ी शर्म हमें भी आ रही है।अगर आपकी इजाजत हो तो हम ये शर्म दूर कर लें।" श्याम ने सलाह और सवाल दोनों एक साथ कर दिए।
अब बेचारी सीता क्या कहती? श्याम कुछ जवाब ना पाकर सीता के और निकट हो गया और गले से लगा लिया। सीता का चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया था। आज जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने छुआ था। मर्द की बाँहेँ औरत को कितना आनंद देती है, बेचारी सीता को क्या मालूम? अभी तो वो बस श्याम के सीने में सहमी सटी हुई थी।
सीता की तरफ से कोई Response ना पाकर श्याम थोड़ा परेशान होने लगा, मगर आज पहली मुलाकात की वजह से ज्यादा कुछ करना ठीक नहीं समझा। उसने सीता के दोनों कंधे पकड़ कर हल्के से अलग किया। फिर अपना चेहरा सीता के काफी निकट ले जाकर धीमी आवाज में कहा," I Love you सीता ! पता है पहली बार तुम्हें देखते ही मुझे प्यार हो गया था। उस दिन से मैं तुम्हारा पल-पल इंतजार कर रहा हूँ।अपने दिल का हाल कहना था तुमसे।ढेर सारा प्यार करना चाहता हूँ तुमसे और तुम्हारी ढेर सारी बातें सुननी थी हमें।"
सीता नजरें नीची किए मूक बनी बैठी थी


 सीता के बगल में बैठा श्याम कंधों पर हाथ रखकर सीता के गालोँ को सहलाने लगा। स्पर्श पाकर सीता अजीब रोमांच से भर गई। श्याम अब अपना चेहरा सीता के कंधों पर रख दिया जो कि सीता के गालोँ से सट रही थी। सीता का रोम रोम श्याम के गर्म साँसोँ से सिहर गया। सीता के जिस्म की खुशबू श्याम को मदहोश कर रही थी। श्याम अपना दूसरा हाथ बढ़ाकर सीता के चेहरे को अपनी तरफ किया जिससे सीता के होंठ श्याम के होंठ के काफी निकट हो गए। दोनों की गर्म साँसें टकरा रही थी। सीता आगे होने वाली का चित्रण को याद कर तेज साँसें लेने लगी और उसके होंठ कंपकंपाने लगे। श्याम ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और होंठ सीता के तपते होंठों से चिपका दिए।
श्याम तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया सीता के अनछुई होठोँ का रस पाकर। सीता के तो अंग अंग सिहर गए अपने जीवन की पहली चुंबन से। अंदर से वो भी काफी उत्तेजित हो गई थी मगर शर्म की वजह से बर्दाश्त कर रही थी। मगर बकरा कब तक अपने जीवन की खैर मनाती। श्याम जैसे ही सीता के चुची पर अपना हाथ रखा, सीता चिहुँक के श्याम को दोनों हाथों से जकड़ ली। श्याम तो अब और कस के होठोँ को चुसने लगा और चुची को धीमे धीमे दबाने लगा।कुछ ही देर में जोरदार चुंबन से सीता की साँसे उखड़ने लगी थी। मगर श्याम इन सब से अनभिज्ञ लगातार चूसे जा रहा था। अंततः सीता बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने होंठ पीछे खींचने लगी तब श्याम को महसूस हुआ। श्याम के होंठ अलग होते ही सीता जोर जोर से साँस लेने लगी और सामान्य होने की कोशिश करने लगी। श्याम के हाथ अभी भी सीता के चुची को सहला रहा था।
कुछ सामान्य होने पर श्याम ने सीता को प्यार से पूछा," जान, तुम इतनी मीठी हो कि हमें पता ही नहीं चला कि अब ज्यादा हो गया है और तुम्हें दिक्कत हो रही है।"
अब तक शायद सीता में भी कुछ हिम्मत आ गई थी। वो शर्माती हुई बोली," कम से कम साँस भी तो लेने देते।"
"ओह जान सॉरी ! आगे से ख्याल रखूँगा।"कहते हुए सीता को अपनी बाँहो में समेट लिया। सीता भी मुस्कुराती हुई श्याम के सीने से चिपक गई।
"जान! जब होंठ इतने रसीले हैं तो और चीज कितनी रसीली होगी।" श्याम थोड़ा मजाकिया मूड में पूछा
सीता शर्म से कुछ बोल नहीं पा रही थी,बस मुस्कुरा रही थी।
कुछ देर चिपके रहने के बाद श्याम हटा और अपना गंजी खोलते हुए कहा,"जान अब इन कपड़ों का कोई काम नहीं है सो अब तुम भी हटाओ अपने कपड़े।" श्याम अब सिर्फ अंडरवियर में था जिसमें उसका लण्ड अंगराई ले रहा था। सीता तिरछी नजरों से देखी तो एक बारगी डर गई मगर चेहरे पर भाव नहीं आने दी।श्याम सीता के पास आ कर साड़ी के पल्लू खींच दिया। सीता की तो सिसकारी निकल गई।अगले ही पल साड़ी जमीन पर बिखरी पड़ी थी। सीता की पीठ पर एक हाथ रख अपने से चिपका लिया और ब्लाउज के हुक खोलने लगा। ब्लाउज खुलते ही मध्यम आकार की चुची बाहर आ गई जो कि सफेद रंग की ब्रॉ में कैद थी।श्याम ब्रॉ के ऊपर से ही चुची जोर से मसल दिया। सीता की उफ्फ निकल गई।
अगले ही क्षण तेजी से श्याम ने पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। सीता तो शर्म से मरी जा रही थी। श्याम पति है मगर पहली बार पति के साथ भी लड़की को काफी शर्म आती है। यही हाल सीता की भी थी। बेचारी शर्म से श्याम के सीने से चिपक गई। श्याम ने भी मौका मिलते ही ब्रॉ भी अलग कर दिया। अब दोनों सिर्फ पेन्टी में चिपके थे।
सीता तो साक्षात काम देवी लग रही थी। पैरों में पायल, हाथ में मेँहदी, कलाई में चूड़ी, गले में मंगलसूत्र जो चुची तक लटक रही थी, नाक में छोटी सी रिंग, कान में झुमका,माथे पे माँगटीका, कपड़ों में मात्र एक छोटी सी पेन्टी। कुल मिलाकर इस वक्त सीता किसी मुर्दे का भी लण्ड खड़ा कर देती। श्याम तो जिन्दा था। उसे तो लण्ड के दर्द से हालत खराब थी। अब अंडरवियर के अंदर रखना मुश्किल था तो उसने बाहर कर दिया और सीता के नरम हाथों में थमा दिया। सीता तो चौंक पड़ी लण्ड की गरमी से। उसे तो लग रहा थी कि हाथ में छाले पड़ जाएँगे।
"जान, अपना हाथ आगे-पीछे करो ना।"गालोँ को काटते हुए श्याम बोला
सीता तो इन सब से अनजान थी तो भला वो क्या करती। फिर भी अनमने ढंग से करने लगी।
कुछ ही क्षण में लण्ड के दर्द से श्याम कुलबुलाने लगा। सीता का हाथ हटा दिया और गोद में उठा बेड पर सुला दिया। बेड के नीचे से ही श्याम ने पेन्टी को निकाला। ओफ्फ ! चूत देखते ही श्याम को नशा लग गया। एकदम चिकनी गुलाबी रंग, हल्की हल्की बाल, कसी हुई फाकेँ, पूरी मदहोश करने वाली थी।एक जोरदार चुंबन जड़ दिया श्याम ने। सीता तड़प उठी। श्याम ने चुंबन के साथ ही अपना जीभ चलाने लगा।सीता अपना सर बाएँ दाएँ करके तड़पने लगी। श्याम के बाल पकड़ के हटाने लगी मगर श्याम तो चुंबक की तरह चिपका था। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी। नमकीन पानी मिलते ही और जोर जोर से चुसने लगा। सीता ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकी।
चंद मिनट में ही सीता की चीख निकल गई और झड़ने लगी। श्याम सारा पानी जल्दी जल्दी पीने लगा। जीभ से पानी की एक एक बूँद श्याम ने चाट के साफ कर दिया। सीता बदहवास सी आँखे बंद कर जोर जोर से साँसे ले रही थी। श्याम मुस्कुराता हुआ उसके बगल में आ के लेट गया और सीता को अपनी बाँहो में भर के उसके माथे को चूमने लगा।


 श्याम का लण्ड अभी भी पूरा तना हुआ था। उसने एक पैर सीता के पैरों पर चढ़ा दिया, जिससे लण्ड सीधा सीता की गुलाबी चूत पर दस्तक दे रही थी। श्याम सीता को चूमते हुए कहा,"जानू, तुम तो इतनी जल्दी खल्लास हो गई। अभी तो असली मजा तो बाकी ही है।"
सीता बस मुस्कुरा कर रह गई।
श्याम उठ के सीता के मुँह के पास बैठ गया जिससे उसका तना लण्ड सीता के होंठ के काफी नजदीक ठुमके लगा रहा था।पर सीता आँखें बंद की अभी भी पड़ी थी।
श्याम ,"जान, अब मैं तुम्हें एक पूरी औरत का एहसास दिलाना चाहता हूँ, अपनी आँखें खोलो और इसे प्यार करो।"
सीता सुनते ही एकबारगी तो चौंक पड़ी। फिर आँखें खोली तो सामने लण्ड देख जल्दी से अपना मुँह दूसरी तरफ कर ली।
श्याम,"अरे! क्या हुआ? जब तुम मेरे लण्ड को प्यार नहीं करोगी तो मैं इसे तुम्हारी चूत में कैसे डालूँगा और तुम्हें पूरी औरत कैसे बनाऊंगा।"
सीता शर्माती हुई बोली,"गंदा मत बोलो ना और आप नीचे हो जाओ मैं हाथ से कर देती हूँ।"
श्याम,"हाथ से नहीं डॉर्लिँग मुँह से प्यार करना है और गंदा क्या है लण्ड को लण्ड ना बोलूँ तो क्या बोलूँ?"
सीता के शरीर में तो मानो 1000 वोल्ट का करंट लग गया।आज तक बेचारी एक किस तक नहीं की थी उसे मुँह में लण्ड लेने को कहा जो जा रहा था।सीता सकुचाते होते हुए बोली,"छीः! मुँह में गंदा नहीं लूँगी।"
"कुछ गंदा नहीं है मेरी रानी। मुँह में लोगी तो और मस्त हो जाओगी। आज मना कर रही हो अगली बार खुद ही लपक कर लोगी।"
"नहीं आज नहीं प्लीज।और जो करना है कर लीजिए मगर ये नहीं कर सकती" सीता बोली।
अब श्याम ज्यादा दबाव नहीं देना चाहता था क्योंकि आज पहली रात थी दोनों की।
"OK. बस एक किस ही कर दो और ज्यादा कुछ नहीं प्लीज" श्याम अब और ज्यादा प्यार से कहा।
सीता भी श्याम को नाराज नहीं करना चाहती थी।हल्की मुस्कान के साथ बोली," केवल एक किस।"
श्याम को तो जैसे मन की सारी इच्छा इतनी में ही पूरी हो गई पूरा चहकते हुए बोला," हाँ हाँ डॉर्लिँग बस एक किस ।"
"ठीक है तो अपनी आँखें बंद कीजिए ।मुझे शर्म आएगी" सीता बोली।
श्याम अब ये मौका जाने नहीं देना चाहता था तो उसने जल्दी से अपनी आँखें बंद कर ली। सीता अभी भी लण्ड को मुँह से नहीं लगाना चाहती थी मगर हाँ कर दी थी तो क्या करती? अब अगर मना करती है तो कहीं श्याम नाराज हो गए तो? फिर भी काफी हिम्मत करके एक हाथ से लण्ड पकड़ी और अपने होंठ लण्ड के निकट ले जाने लगी। श्याम की तो सिर्फ छूने से ही सिसकारी निकल रही थी। जैसे ही सीता के होंठ लण्ड को छुआ श्याम की आह निकल पड़ी। सीता श्याम को मस्ती में देख कुछ देर तक अपना होंठ लण्ड पर चिपकाए रखी।सीता को अच्छा नहीं लग रहा था मगर वो श्याम के लिए ऐसा कर रही थी।कुछ देर बाद सीता हटने की सोची तो उसने पूरा सुपाड़ा अपने होठोँ में ले किस की आवाज के साथ हटा ली और जल्दी से अपना चेहरा हाथ से ढँक ली।
श्याम को तो ऐसा लग रहा था कि उसका लण्ड अब पानी छोड़ देगा। किसी तरह रोक के रखा और सीता की गालोँ पर चुंबन के साथ शुक्रिया अदा किया।
श्याम अब उठा और सीता के मेकअप बॉक्स में से क्रीम निकाला और अपने लण्ड पे मलने लगा। फिर वो सीता की चूत को चूमते हुए उसकी चूत में भी क्रीम लगाने लगा। सीता को ठंड महसूस हुई तो हल्की नजरो से देखने लगी कि क्या लगा रहे हैं। अपनी तरफ देखती पाकर श्याम बोला,"डॉर्लिँग, क्रीम लगा रहा हूँ ताकि आपको दर्द कम हो।" और श्याम मुस्कुरा दिया।
सीता शर्माती हुई एक बार फिर चेहरा ढँक ली।
श्याम ने सीता के दोनों पैरों को मोड़कर सीने से सटा दिया। अब सीता की फाकेँ काफी हद तक खुल रही थी काफी कसी चूत के कारण पूरी नहीं खुली थी वर्ना इस मुद्रा में तो अक्सर की चूत खुल जाती है।सीता की तो साँसें अब रुक रही थी आगे होने वाले स्थिति को सोचकर।श्याम ने अपनी उँगली से चूत की दरार को फैला कर अपना लण्ड टिका दिया और हल्का धक्का लगाया। मगर लण्ड फिसल गया। पुनः उसने चूत और ज्यादा से खोल कर थोड़ा जोर का धक्का लगाया।
सीता जोर से अपनी आँखें भीँचते हुए चिल्ला पड़ी," आआआआआआहहहहह..... ओह ओहओफ्फ ओफ्फ ई ई ईईईईईईई मर गईईईईईई प्लीज निकालीए बाहरररर आहआह..."
"बस रानी थोड़ा बर्दाश्त कर लो फिर मजा आएगा" श्याम पुचकारते हुए कहा।
श्याम का लण्ड 2 इंच तक घुस गया था।
श्याम ने अपना लण्ड खींचते हुए एक और झटका दे दिया। इस बार 4 इंच तक घुस गया।
"ओफ्फ....माँआआआआईईईईईईई मरररर गईईईईईईईई अब और नहीं सह पाऊंगी। प्लीज बाहर निकालीएएएए" सीता रोनी सूरत बनाते हुए बोली।
"अच्छा अब नहीं करूँगा।" श्याम कहते हुए सीता की होंठ चुसने लगे और चुची मसलने लगे। कुछ देर चुसने के बाद जब सीता थोड़ी नॉर्मल हुई तो श्याम ने सीता के होठोँ को कस के चुसते हुए अपना लण्ड पीछे खींचा और बिना कहे पूरी ताकत से धक्का दे मारा।
"आआआआआआआ मम्मी मर गईईईईईईई आह आह ओफ्फ ओह प्लीज मैं आपके पैर पकड़ती हूँ बाहर निकाल लीजिए आआआआइसइस" सीता की आँखें आँसू से भर गई थी और छूटने की प्रयास कर रही थी।जिंदगी में पहली बार उसे इतना दर्द हुआ था वो भी चुदाई में, कल्पना भी नहीं की थी बेचारी। ऐसा लग रहा था मानो चाकू से किसी ने उसकी चूत चीर दिया हो।श्याम का पूरा लण्ड सीता की छोटी सी चूत में समा गया था और उसके बॉल सीता की गांड के पास टिकी थी।श्याम सीता के होंठ चूमते हुए कहा," बधाई हो सीता रानी। अब आप लड़की से पूरी औरत बन गई हैं।"
सीता बेचारी कुछ ना बोल सकी।श्याम लण्ड पेले ही सीता की चुची मसल रहा था और होंठ लगातार चूसे जा रहा था। काफी देर बाद जब दर्द थोड़ी कम हुई तो श्याम ने अपना पूरा लण्ड बाहर निकाला और जोर से पेल दिया।
"आहहहहहह उम्मउम्मउम्म" सीता एक बार फिर कराह उठी।
"बस रानी। आज पहली बार है ना इसलिए दर्द ज्यादा हो रहा है।आज सह लो फिर पूरी जिंदगी मजे लेती रहना।"श्याम ने कहा और कहकर सीता को पेलने लगा।





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