Friday, May 23, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --12

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --12

 मालती भागती हुई सीधे लल्लन जी के कमरे में घुस गई...अन्दर लल्लन जी मिनी बार के पास खड़े होकर पेग बना रहे थे, मालती की आहट सुन वो मुड़े... उसे नंगी देखकर मुस्कुराए... और फिर पेग बनाने लगे... मालती ने अल्मिरा खोली और उसमे से बाथरोब निकाल कर पहन लिया.. और फिर लल्लन जी के करीब जाकर उन्हें पीछे से अपनी बाहों में ले लिया... अपनी चूचियां लल्लन जी की पीठ पर दबा दी! “इतनी नाराजगी किस लिए लल्लन जी... कोई गुस्ताखी हो गई मुझसे?” मालती ने प्यार से पूछा...
“अरे नहीं मालती... वो तो बस कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो गईं...” शराब का घूँट लेते हुए लल्लन बोला!
“कैसी यादें लल्लन जी...? मुझे भी बताइये न... मन हल्का हो जाएगा आपका...” मालती अपने हाथ लल्लन जी के सीने पर फिराती हुई बोली!
“पहले तू वो अब्दुल को फोन कर दे... कि कल-परसों में जो कार्यक्रम करवाना है करवा ले... उसके बाद हम फ्री नहीं हैं...” लल्लन ने मालती को याद दिलाया कि वो उसकी बीवी नहीं सेकेटरी है...!
मालती ने अपने फोन से अब्दुल को फोन किया...
“हेलो... अस्सलाम वालेकुम अब्दुल जी...” प्यारी सी आवाज में मालती बोली!
“वालेकुम अस्सलाम... जी आपकी तारीफ़?” अब्दुल ने पूछा!
“जी मैं लल्लन जी की सेकेटरी.... मालती मिश्रा... वो आपने उन्हें फोन किया था सुबह.. उसी सिलसिले में मैंने काल की आपको”
“ओह हाँ हाँ... तो क्या बोले लल्लन जी...”
“लल्लन जी कल और परसों के लिए तैयार हैं... उसके बाद वो फ्री नहीं हैं... तो आपको जो भी रोड शो या जनसभा करवानी है वो इन दो दिनों में ही करवा लीजिये...”
“कल और परसों... पर इतनी जल्दी...” अब्दुल थोड़ा परेशानी भरी आवाज में बोला!
“अरे अब्दुल जी... लल्लन जी बिजी आदमी हैं... शुकर मनाइए उन्होंने आपके लिए इतना टाइम भी निकाल लिया... खैर.. ये सब छोडिये... तो फिर हम लोग कल सुबह मिलते हैं....” मालती ने बात थोड़ा जल्दी में निपटाई...
“हां जी क्यों नहीं... और लल्लन जी को हमारी तरफ से शुक्रिया कह दीजियेगा...
और मोहतरमा आपकी आवाज में नशा है.. शाम बन गई हमारी...”
“हाहा... जी अब इजाज़त दीजिये”
“जी बिलकुल...” और फिर अब्दुल ने फोन काट दिया!

“लल्लन जी और कोई काम बचा है मेरे लिए? या फिर मैं जाऊं?” मालती ने थोड़े प्रोफेशनल अंदाज में पूछा...
“काम तो बहुत बाकी है अभी... पर अगर तुम्हारी रुकने की इच्छा नहीं है तो तुम जा सकती हो” लल्लन भी अकड़ू अंदाज में बोला....
“बुरा मत मानियेगा... पर आज आप कुछ अलग लग रहे हैं...” मालती बोली..
“तुम जाओ अभी यहाँ से और मुझे अकेला छोड़ दो... वरना हमारे हाथों आज अनहोनी हो जायेगी” लल्लन बोला!
मालती ने फिर वहां से जाना ही ठीक समझा... उसने अल्मिरा से कपडे निकाल कर पहने और फिर फार्महाउस से सीधे अपने घर निकल गई...!
शाम हो चली थी.... वो थक भी गई थी... घर जाकर वो यूं ही सो गई....!


 लल्लन जी आज फिर से वही पुराने वाले लल्लन जी थे... एकदम मस्त- बकैत-ठरकी!
मालती उनके साथ वाली सीट पर बैठी थी... कल के लिए लल्लन जी ने मालती से माफ़ी भी मांग ली थी...पर मालती तो कभी उनसे नाराज़ हुई ही नहीं थी! ड्राइवर आगे गाड़ी चला रहा था और दोनों पीछे बैठे हुए थे...रास्ते में फिर जादा बातचीत नहीं हुई दोनों में! करीब डेढ़ घंटे के बाद लल्लन जी का काफिला अब्दुल खलीफा के बंगले में प्रवेश किया! अब्दुल खलीफा पिछली दो बार से चुनाव जीत रहा है... और अबकी बार उसकी हैट्रिक लगने की पूरी उम्मीद है! गोरी चमड़ी, तराशी हुई दाढ़ी, और छोटे बाल! लल्लन सिंह जी लम्बाई में दो इंच पीछे थे अब्दुल से! उसकी नीली आँखें किसी के भी खून को जमा सकती थीं!
पर भौकाल और पावर के मामले में अब्दुल को लल्लन जी की शरण में ही आना पड़ता था! पिछली बार भी लल्लन जी की वजह से ही जीता था वो... और अबकी बार भी अब्दुल इसी आस में लल्लन जी की शरण में गया था!
गाड़ी से उतरते ही अब्दुल ने लल्लन जी का अपने हाथो से स्वागत किया, और फिर दोनों अन्दर चले गए! मालती भी पीछे-पीछे उनके साथ ही अन्दर चली गई!
“मोहतरमा .... आप!... मालती मिश्रा... आपही से बात हुई थी शायद मेरी?” अब्दुल ने मालती की आँखों में देखते हुए पूछा!
उफ्फ्फ... मालती की तो हालत ही खराब हो गई.... अब्दुल की नीली आँखों ने उसके दिल की धड़कने बढ़ा दी!
“जी...जी... मैंने ही फोन किया था आपको...” अपने आप को सम्भालते हुए बोली!
“लल्लन जी मान गए आपको... हमें भी दिलवा दीजिये एक आध सेक्रेट्री...” लल्लन जी की तारीफ़ करते हुए अब्दुल ने कहा!
“क्या अब्दुल मियां चार-चार शादिया करके रखी हुई हैं और फिर भी....” हँसते हुए लल्लन जी बोले!
“अरे भाईजान आप तो जानते है... जो मजा बाहरवाली में है वो घर वाली में कहाँ” हाहाहा... दोनों ठहाके मार कर हंसे...मालती चुपचाप लल्लन जी के बगल में खड़ी दोनों का मजाक बन रही थी, और कोई चारा भी नहीं था उसके पास!
थोड़े बहुत हंसी मजाक के बाद सब रोड शो के लिए निकल गए! और फिर सारा दिन ऐसे ही बीत गया!
सारा दिन अब्दुल मियां की नज़रें मालती के जिस्म में जन्नत तलाशती रहीं! मालती भी उनके इरादे से वाकिफ हो चुकी थी जब अब्दुल मियां ने बहाने से उसकी गांड पर अपना हाथ फिराया! नजरो ही नजरों में इशारे हो रहे थे... मालती की मुस्कान ये बयान कर रही थी कि उसे अब्दुल का छेड़ना अच्छा लग रहा है..!
और इस मुस्कान ने अब्दुल मियां के इरादों को ठोस बना दिया...! वैसे भी बेवफाई तो मालती के खून में थी! लल्लन जी इस सब से अनजान अपने कार्य में व्यस्त थे... इलाके के लोगों की दिलचस्पी देख कर लल्लन जी का सीना चौड़ा हो रहा था, और पूरे जोश से अब्दुल खलीफा के लिए वोट मांग रहे थे वो! उधर अब्दुल खलीफा एक अलग मिशन पर निकल चुके थे!
मिशन था मालती मिश्रा! बस एक रात गुजारना चाहता था वो इस बला के साथ बस एक रात! लल्लन जी न होते तो वो भरी महफ़िल में चोद देता मालती को! पर लल्लन जी के होते हुए ये नामुमकिन सा था!
और फिर हुआ भी ऐसा ही... ख्वाब-ख्वाब ही रह गए अब्दुल मियां के! शाम हुई... प्रचार का कार्यक्रम समाप्त हुआ... और लल्लन जी वापस अपने घर हो लिए!
मालती को लल्लन जी का सिड्यूल पहले से ही पता था, और इसी लिए वो अब्दुल के इरादों को हवा दे रही थी और मजे ले रही थी! लल्लन जी ने रास्ते में ही मालती को उसके घर ड्राप किया और फिर अपने घर चले गए!
और फिर मालती को भी बिन चुदवाये सोना पड़ा!
ठाकुर को बिज़नेस की वजह से 6 महीनो के लिए यूरोप जाना पड़ गया जिसकी वजह से मालती को काफी स्पेस मिल गया, लल्लन जी के लिए! वरना बेचारी द्वंद्व में फंसी हुई थी... पर अब डिसीजन ले लिया था उसने... लल्लन जी ही सब कुछ हैं उसके! ये बात उसने अपने दिलो दिमाग में बसा ली थी!
पर मालती अभी भी लल्लन जी के लिए एक चूत के सिवा और कुछ नहीं थी! लल्लन जी को इंतज़ार था अफरोज का... अफरोज जब तक मालती की सारी हिस्ट्री पता नहीं लगा लेता तब तक मालती पर विश्वास नहीं कर सकता था लल्लन!
उधर अफरोज ने इन 10-15 दिनों में लगभग सब कुछ पता लगा लिया था मालती मिश्रा के बारे में! कॉलेज लाइफ से लेकर उसकी सेक्स लाइफ तक! कॉलेज के किस्से, और फिर शादी के बाद के किस्से... सब कुछ!
रमीज से लेकर ठाकुर तक! सब कुछ! कॉलेज से ही मालती सोशली काफी एक्टिव थी... काफी लोग जानते थे उसे... तो इसलिए देर नहीं लगी अफरोज को! मालती का सारा महल ताश के पत्तों की तरह खुल गया परत दर परत... एक एक करके सारी बातें अफरोज के सामने थीं!
पूरी फ़ाइल बनाई अफरोज ने मालती की!



“सरकार.. सारी कुंडली निकाल ली हमने इस मालती की... और ये रही उसकी जनम पत्री!” मालती के किस्सों की फ़ाइल अफरोज ने लल्लन को पकडाते हुए कहा!
“शाबाश मेरे शेर... तो मैडम पास हुई या नहीं?”
“अरे अब आप ही देख लीजिए... हमें तो कुछ समझ नहीं आ रहा है!” अफरोज नज़रें चुराते हुए बोला!
लल्लन जी ने सरसरी निगाह में फ़ाइल पलती... मालती की कुंडली बिलकुल वैसी ही थी जैसी लल्लन जी ने एक्स्पेक्ट की थी...वो पहली नजर में ही पहचान गए थे कि कितनी बड़ी वाली है ये औरत!

“ अब तो अग्नि परीक्षा देनी पड़ेगी साली को... पास हुई तो ठीक वरना शोभा बढ़ाएगी किसी रण्डीखाने की” लल्लन ने हँसते हुए कहा!
“हाँ सरकार” अफरोज बोला!
“लगाओ फोन साली को... बुलाओ फार्महाउस” लल्लन बोला!

अफरोज ने मालती को फोन किया और उसे बोला की जरा सज संवर के फार्महाउस पहुचे... लल्लन जी का आदेश है!
मालती तैयार हुई और फार्महाउस के लिए अपनी मर्सडीज़ में निकल ली...!
फार्महाउस के नौकर ने बताया कि ऊपर टेरेस पे हैं लल्लन जी!
शाम का समय था... हलकी हलकी हवा चल रही थी... ऊपर टेरेस पर लल्लन और अफरोज मालती का इंतज़ार कर रहे थे!
लल्लन नारंगी लंगोट में था... अभी अभी मालिश करके गया था मालिश वाला.... तेल से चमक रहा था उसका बदन!
मालती की चूड़ियों की खनखनाहट सुनकर दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा और मुस्कुराए! मालती जब ऊपर तेरे पहुची तो दोनों एक साथ बोल पड़े- “आइये मोहतरमा आइये... आपही का इंतज़ार हो रहा था”
मालती मुस्कुराई... और लल्लन जी को केवल लंगोट में देखकर शर्मा गई!
“हाहा... देखो तो शर्मा तो आइसे रहीं हैं जैसे अभी अभी शादी हुआ हो” लल्लन जी बोले... और फिर दोनों ठहाके मार कर हंसे...
“देखो आज हमको कहानी सुनने का दिल हो रहा है... सुनाओगी न?” लल्लन ने चुटकी लेके कहा..
“जी कहानी... आपको कहानियों का शौक कब से लग गया” मालती बोली!
“अरे हमारे शौक तुम क्या जानो... शौक बड़ी चीज है...” लल्लन जी बोले!
मालती मुस्कुराई...
“तुम्हारी कहानी सुननी है आज हमको...” लल्लन बोला!
“मेरी कहानी... समझी नहीं मैं कुछ...” मालती बोली!
“समझ जायेगी.. समझ जाएगी...गांड में डंडा घुसेगा तो सब समझ जायेगी” लल्लन की इस बात पर फिर से अफरोज ने हंस कर साथ दिया!
“देख हमने तेरी सारी कुंडली बनवा ली है... सारा किस्सा साफ़ है हमरे सामने अब.... ये फ़ाइल देख रही है अफरोज के हाथ में? तेरे काले कारनामों की फ़ाइल है... अब देख सब तेरे हाथ में है आज.... अगर तू सब सच सच बता देती है तो ये फ़ाइल यही जला दूंगा मैं... और अगर तूने होशियारी दिखाई तो तू जानती है अफरोज को... साली कसाई खाने में नुचवाऊंगा तेरा जिस्म” लल्लन पूरे रुतबे के साथ बोला!
ये सुन कर मालती लल्लन के घुटनों पे आ गई...”क्या जानना चाहते है आप... आपसे कुछ छुपाया है मैंने आजतक?”
“छुपाया नहीं तो बताया भी तो नहीं! चल अब ढोंग बंद कर और जो सवाल पूछू उसका सही सही जवाब दे... समझी...!”“तो अफरोज मियां कहाँ से शुरू किया जाए...?” लल्लन मुस्कुराते हुए बोला!
“सरकार आप को जहाँ से सही लगे” अफरोज बोला!
“चल ये खुद ही बताएगी...चल शुरू हो जा...” लल्लन बोला!
“जी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है..”
“साली तू है कौन... कहा पैदा हुई थी... बाप कौन है... माँ कौन है...”
मालती सहम गई... उसे अभी तक लग रहा था कि लल्लन जी उसके साथ कोई खेल खेल रहे हैं... पर लल्लन जी के तेवर देख कर अब उसे डर सा लगने लगा था...
“जी... किशोरीनंदन... किशोरीनंदन नाम है मेरे पिता जी का... गाँव के ही स्कूल में प्रिंसिपल थे पिता जी...” मालती इतना बोल ही पाई थी कि लल्लन बोल पड़ा.... “अफरोज भाई... सही जानकारी लाये हो... ये प्रीतमपुरा वाले मास्टर की ही बेटी है...” अफरोज हंसा...- “हाहा... ओफिशियाली तो उसी की बेटी है...”!
“हाँ.. पता नहीं किसके लौड़े के स्पर्म से पैदा हुई हो साली...” लल्लन और अफरोज दोनों हंसे!
“चल ये सब छोड़ ये बता कि ये रमीज कौन था?” लल्लन थोड़ा गर्माते हुए बोला!
रमीज का नाम सुनते ही सकपका गई मालती... पर वो माहिर थी.... उसने कहानी शुरू की... कहानी लगभग सच थी... पर कुछ चीजें उसने अपने अनुसार बदल दी... मालती का साथ उसके खूबसूरत चेहरे पर बह रहे आंसू दे रहे थे... उसकी बताई कहानी ने अफरोज और लल्लन दोनों को लगभग पिघला दिया...
“जी मेरे पति की सारी मेहनत की कमाई हड़प ली उस कमीने ने...अब मैं ठाकुर जी के पास नौकरी के लिए नहीं जाती तो मर जाती क्या? या फिर किसी फुटपाथ पर भीख मांगती? दो बच्चे हैं मेरे... उनका पेट कौन पालता” मालती ने अपनी कहानी ख़तम की!
लल्लन और अफरोज के लिए अब वो एक अबला नारी थी... जो समाज से लडती हुई अब अपने पैरों पर खड़ी थी! लल्लन अब उससे अकेले में बात करना चाहता था... उसने अफरोज को नीचे भेज दिया! अब लल्लन और मालती अकेले थे टेरिस पर... खुले आसमान के नीचे...!
लल्लन ने मालती को अपने पास बुलाया और अपने बगल में बैठा लिया... और उसका हाथ अपने हाथो में लिया और चूम लिया- “देखो करना पड़ता है ये सब राजनीति में... इसलिए हमने भी हिस्ट्री निकलवाई तुम्हारी... काहेकी ऐसे पूछते तुमसे तो तुम बताती नहीं... और सब्र हमसे होता नहीं है...” मालती के हाथ को सहलाते हुए वो बोला!
“कोई बात नहीं लल्लन जी हक है आपको जानने का...” मालती बोली!
“ये हुई न बात...”- लल्लन बोला....
“चलो अब बहुत हुआ... अब तुम हमरी हो... मौका दे रहे हैं तुमको ये जानते हुए भी कि तुम कितनी बड़ी रांड हो.. गुस्ताखी माफ़ करेंगे नहीं अबकी बार... ध्यान रखना”
“जी और गुस्ताखियाँ करने की हिम्मत अब मुझमे नहीं... और आपके साथ? सोच भी नहीं सकती...” मालती बोली!
लल्लन मुस्कुराया.... उसके दिमाग में कुछ चल रहा था...कुछ नहीं बहुत कुछ चल रहा था...!
मालती कुछ और बोलती इसके पहले ही लल्लन ने उसे निर्वस्त्र होने का इशारा कर दिया! निर्वस्त्र होती मालती को अफरोज आड़ से देख रहा था... जिस औरत की हिस्ट्री जानने के लिए उसने इतनी मशक्कत की थी, उसे देखने का हक तो बनता था उसका! चाहता तो वो चोदना था पर लल्लन जी के होते हुए वो ऐसा करने की सोच भी नहीं सकता था! निर्वस्त्र होते ही लल्लन ने मालती को अपने मर्दाने जिस्म से लगा लिया... और फिर मालती की जवानी को एक बार फिर निचोड़ लिया! प्यार इंसान को कमजोर बना देता है... मालती भी लल्लन के प्यार में इमोशनली थोड़ी कमजोर हो गई थी... आज की रात भी लल्लन के बिस्तर पर ही गुजारी उसने!


सुबह लल्लन जी उठे और फिर क्लब चले गए! वीकेंड पर क्लब जाना और अपने ख़ास दोस्तों के साथ बैडमिन्टन खेलना, और फिर थोड़ी तैराकी- ये नियम रहता था लल्लन का! शहर के नामी गिरामी लोग यहीं मिलते थे लल्लन से!
मालती उठी, और लल्लन को अपने साथ लेटा न पाकर उसने भी कपडे पहने और सीधे अपने घर चली गई! घर जाकर उसने अपने दोनों बच्चों से फोन पर बात की और उनसे जल्दी ही मिलने आने का बोला! आज उसे मानसी और वरून दोनों की बहुत याद आ रही थी! कल लल्लन और अफरोज ने उससे जो कुछ कहा था... वो सब भी याद आ रहा था उसे! अपने बाबूजी... अपनी माँ और वो सब कुछ जिसे वो लगभग भुला चुकी थी! वो पहली चुदाई... वो पहला प्यार.... सब कुछ! वो होली जब पहली दफा चोली फटी थी उफ्फ... आज भी मचल जाती है वो उस दिन को याद करके! यादों के झरोखों में खो चुकी थी वो... तभी फोन की घंटी बजी...
वो वापस होश में आई और फोन उठाया.... हेलो....
“हेल्लो....” दूसरी तरफ से आवाज आई...
“जी आप कौन?” मालती ने पूछा!
“जी हम तो बस आपके दीवाने हैं” मर्दानी आवाज में किसी ने अर्ज किया!
मालती पहचान नहीं पा रही थी...
“जी पहचाना नहीं आपको...” मालती बोली!
“हमारी आवाज़ इतनी जल्दी भूल गई? ”
“ओह अब्दुल जी... आप! माफ़ कीजियेगा पहचान नहीं पाई आपकी आवाज, सो सॉरी!”
“अरे माफ़ी वाफी छोड़ो... ये बताओ लल्लन जी से मुलाकात हो सकती है?”
“उम्म्म... ये तो लल्लन जी ही बता सकते हैं”
“और तुमसे...?”
“मुझसे? मुझसे क्यों मिलना है आपको?”
“बस तुम्हारी खूबसूरती का दीदार चाहिए था इन आँखों को...”
“तस्वीर लगा लीजिये हमारी.... हीही...” मालती हँसते हुए बोली!
“अच्छा अच्छा ठीक है मैं लल्लन जी से पूछ कर आपका अपॉइंटमेंट सेट करती हूँ”
“शुक्रिया जानेमन” अब्दुल खलीफा ने अपनी वजनदार आवाज में आशिकाने अंदाज में कहा!
और फिर फोन काट दिया!
“....जानेमन... हुह... जान न पहचान... मैं तेरा मेहमान” मालती बडबडाई!
और फिर मुस्कुराई... शायद उसे उस दिन वाली शरारतें याद आ गई जो उसने अब्दुल के साथ इशारों में की थी!
उधर लल्लन जी क्लब से वापस लौट कर सीधे पार्टी ऑफिस पहुचे, ऑफिस में अब कुछ काम वाम था नहीं तो सन्नाटा ही पसरा हुआ था! ऑफिस पहुच कर लल्लन जी ने कुछ इम्पोर्टेंट फोन काल्स कीं और फिर ऑफिस से निकल कर सीधे मालती के घर की ओर निकल लिए!
घर में कोई नहीं है ऐसा सोंच कर मालती बदन पर सिर्फ तौलिया लपेट कर बाथरूम से बाहर आ गई....
“ओह मैं तो डर ही गई...... आप कब आये?” मालती बोली!
“बस अभी अभी” मालती के भीगे बदन को निहारते हुए लल्लन ने कहा!
मालती मुस्कुराई और अपने बदन को उसी तौलिये से पोंछने लगी.... लल्लन उसे यूं ही देख रहा था! उसकी आँखों से लार टपक रही थी.... बिस्तर की कल रात की सलवटें अभी तक ठीक नहीं की थी मालती ने... और अब शायद फिर से वो चुदवाने के लिए लल्लन को अपने हुस्न के जलवे दिखा रही थी!
“क्या बात है बड़ी जवानी चढ़ रही है सुबह सुबह?” लल्लन बोला!
“जी ये तो आपका कमाल है... वरना ये जवानी किस काम की...” मुस्कुराते हुए मालती बोली!
“हाहाहा.... तेल लगाना तो कोई तुमसे सीखे...” लल्लन बोला!
“अभी कपड़े पहन ले...” लल्लन ने कहा!
मालती मुस्कुराई... और फिर कपड़े पहन लिए... सच ही कहते हैं लोग... लंड के गुरूर के आगे औरत को झुकना ही पड़ता है...!
मालती किचन में चली गई और लल्लन अखबार पढ़ने लगा!
खाना खाया और फिर से काम क्रीड़ा.... दिल खोल के चुदाई का कार्यक्रम चल रहा था! लल्लन जैसे मर्द को भी मालती ने अपने हुस्न का दीवाना बना ही लिया! दिन में दो-चार लोगों से मिलना... और फिर घर आकर मालती के जिस्म को रौंदना.... अगले कुछ दिन तक यही चला!


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