Monday, May 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--5

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--5


 समीर : "यार, तेरा टेस्ट न बकवास होता जा रहा है आजकल, कहा से तुझे वो सेक्सी लगती है, बिखरे हुए बाल, कपडे पहनने कि समझ नहीं, सुखा हुआ शरीर, जिसपर पता नहीं कोई फल लगेगा भी या नहीं, और ऊपर से उसकी हरकतें , सिर्फ रश्मि कि वजह से वो मेरे घर पर है, वर्ना .......''और इतना कहकर उसने एक और नीट पेग एक ही बार में निगल लिया.

लोकेश : "अरे , छोड़ न यार, तू भी कौन सी बात लेकर बैठ गया , अच्छा तूने भाभी से बात कि थी या नहीं, हनीमून पर जाने वाली, जो मैंने कही थी तुझे ''..

समीर : "यार, ये भी कोई उम्र है मेरी हनीमून पर जाने कि … वैसे भी टाइम ही नहीं मिला रश्मि से पूछने का , आज पूछता हु ''

लोकेश : "देख, हनीमून कि कोई उम्र नहीं होती … मेरा लोनावला में जो लेक के किनारे रिसोर्ट है, तू वहाँ चला जा भाभी को लेकर ''

समीर : "और साथ में उसका दहेज़ भी तो जायेगा, मुझे याद है, हमारी कोई बात हो रही थी बाहर जाने कि तो रश्मि ने पहले ही बोल दिया था कि जहाँ भी जायेंगे काव्या साथ ही चलेगी, उसे अकेला छोड़कर वो कहीं भी घूमने नहीं जायेगी ''

लोकेश : "अरे, तो ले जा न उसे भी साथ में, वैसे भी हनीमून में तुझे जो भी करना है वो बंद कमरे में करेगा, वो तो दूसरे कमरे में रहेगी न ''

समीर सोचने लग गया और फिर कुछ देर बाद बोला : "तो फिर एक काम कर , तू भी साथ चल, मुझे कौन सा सारा दिन बंद कमरे में रहना है, शाम को तो पेग चाहिए होता है मुझे, और अकेले पीने में वो मजा नहीं है जो तेरे साथ बैठकर पीने में है''..

लोकेश : "अच्छा, अब तेरे साथ दारु पीने के लिए मैं तेरे हनीमून पर भी साथ चलु''.

समीर : "तू अपने रिसोर्ट के एकाउंट्स चेक कर लियो ,इतने महीनो से गया भी तो नहीं है न वहाँ ''..

समीर कि बात में दम था , लोकेश ने वहाँ कि जिम्मेदारी अपने साले को सोंप रखी थी , जो सारा हिसाब किताब रखता था वहाँ का.

लोकेश : "बात तो तू सही कह रहा है, चल ठीक है, तू रश्मि भाभी से बात कर और प्रोग्राम पक्का कर ले, मैं चलने के लिए तैयार हु''.

समीर : "इसमें रश्मि से पूछने वाली क्या बात है, वो मना नहीं करेगी, उसे सिर्फ अपनी बेटी कि चिंता होती है, वो अगर साथ है तो उसे चाँद पर भी ले चलो, वो वहाँ भी चल पड़ेगी … हा हा हा ''

और फिर दोनों दोस्तों ने एक-२ पेग और पीया और इधर-उधर कि बातें करते रहे.

उनकी बाते सुनकर काव्या को बहुत गुस्सा आया था, जब समीर ने उसके बारे में वो सब बोला जो वो उसके बारे में सोचता था.

क्या वो सच में ऐसी है..

वो शीशे के सामने जाकर खड़ी हुई और अपने आप को देखने लगी.

वैसे समीर सच ही तो कह रहा था..

उसके बाल बिखरे से रहते थे हमेशा, अपने शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में वो चिंता भी नहीं करती थी , उसके हाथ अपने आप अपनी छातियों पर चले गए , और उसने अपनी शर्ट के बटन खोलकर अपनी शर्ट उतार दी, अन्दर उसने सिर्फ एक शमीज ही पहनी हुई थी क्योंकि ब्रा पहनने में उसे परेशानी होती थी, वैसे भी उसके अभी इतने बड़े नहीं हुए थे जो वो रोज ब्रा पहना करे.. उसने अपने सारे कपडे उतार दिए और नंगी होकर सोफे पर बैठ गयी, और अपने शरीर को निहारने लगी



फिर उसने अपना फ़ोन उठाया और श्वेता को फ़ोन लगाया और हाय हेल्लो के बाद वो बोली : "एक बात बता मुझे, क्या मैं अट्रेक्टिव नहीं लगती ''..

श्वेता भी उसकी बात सुनकर हैरान हो गयी और बोली : "नहीं बैबी , ऐसा नहीं है, किसने कहा कि तू अट्रेक्टिव नहीं है ''.

उसके बाद काव्या ने वो सारी बाते श्वेता को बता दी जो उसने छुप कर सुनी थी..


 उन्हें सुनकर श्वेता कुछ देर तक चुप रही , जैसे कुछ सोच रही हो, और फिर बोली : "देख, अगर वो लोग ऐसा कह रहे हैं तो हो सकता है कि वो सही भी हो, क्योंकि मैं तो एक दोस्त कि नजर से तुझे देखती हु और तू मुझे अच्छी लगती है, और उन्होंने तुझे देखा एक आदमी कि नजर से देखा और हर आदमी लड़की को जब देखता है तो उसका चेहरा ही नहीं बल्कि पुरे शरीर को देखता है और उसके हिसाब से ही अपनी राय कायम करता है उसके बारे में ''.

फिर थोडा रूककर वो बोली : "तेरा चेहरा किसी फ़िल्मी हिरोइन से कम नहीं है, पर आदमी कि नजर चेहरे के नीचे पहले जाती है, जहाँ का वजन देखकर वो उसकी असली तारीफ करता है , लड़की के हर अंग में सही मात्रा में भराव होना चाहिए, बस यही तरीका है उनका हॉटनेस नापने का ''..

काव्या उसकी बाते सुनती रही, और फिर बोली : "पर इसमें मेरी क्या गलती है, मैं जैसी हु,वैसी हु, अपने आप को कैसे बदलू मैं ?".

श्वेता : "वो काम तू मुझपर छोड़ दे, आज के बाद जैसा मैं कहूँगी तो वैसा ही करेगी और कपडे भी मेरी मर्जी से पहनेगी। ओके ''..

काव्या : "हम्म्म्म ''.

उसके बाद आधे घंटे तक श्वेता उसे समझाती रही कि क्या खाना है, क्या नहीं, क्या पहनना है, कैसे पहनना है, कैसे चलना है, झुकना है, समीर और लोकेश के सामने कैसे बिहेव करना है, लोनावला में जाकर क्या करना है जिससे समीर और लोकेश कि उसके बारे में धारणा बदल जाए.

और सब कुछ सुनने के बाद उसने फ़ोन रख दिया.

उसने सोच लिया था कि वो अपनी इमेज बदल कर रहेगी.

जो उसके बारे में सोचा जाता है, जैसी वो दिखती है , वो सब बदल देगी..

और अपने आप को बदलने के लिए उसके सामने पहला मिशन था उसकी मम्मी का हनीमून, जहाँ जाकर वो अपने आप को बदलने कि शुरुवात कर सकती थी.


शाम को रश्मि ने खुश होते हुए काव्या को जब बताया की वो सभी लोग घूमने जा रहे हैं तो काव्या ने ऐसे जताया जैसे उसके लिए ये बात सर्प्राइज़ है, रश्मि ने उसे ये भी बताया की अगले दिन वो शॉपिंग करने चलेंगे. वैसे शॉपिंग पर जाने का एक और कारण भी था, काव्या का 18वा बर्थडे आने वाला था, और उस वक़्त वो सभी लोग लोनावला में ही होंगे ..

काव्या ने भी सोच लिया था की इस बार वो ऐसे कपड़े पहनेगी जो उसने आज तक नही पहने, आख़िर उसके बाप को भी तो पता चले की वो चीज़ क्या है.

अगली सुबह , समीर के ऑफीस जाने के बाद , दोनो मा-बेटी शॉपिंग करने निकल पड़ी, अंधेरी के एक बड़े से माल मे जाकर दोनो शॉपर्स स्टॉप के शोरुम मे घुस गये, रश्मि अपने लिए कपड़े निकालने लगी और काव्या अपने लिए, काव्या ने काफ़ी रंगो मे छोटी-2 निक्कर यानी हॉट पेंट्स ली, जीन्स, स्कर्ट, केप्री, और साथ मे नूडल स्ट्रेप वाले टॉप, हॉल्टर टॉप, स्किन टाईट टॉप, स्ट्रेप लेस टॉप, उसे जो भी सेक्सी ड्रेस मिलती गयी, वो लेती गयी, पैसो की तो चिंता ही नही थी, समीर ने एक लाख रुपय दिए थे रश्मि को शॉपिंग के लिए ...

बिल बनवाते हुए रश्मि ने जब देखा की काव्या ने किस तरह के कपड़े लिए है तो उसने बोला भी, पर काव्या को मना करके वो उसका मूड खराब नही करना चाहती थी, इसलिए उसने सभी की पेमेंट कर दी,उसके बाद दोनो एक लिंगरी शोरुम मे भी गये, और वहा से भी काव्या ने अपनी पसंद के इन्नर वेयर खरीदे, जो आजतक उसकी माँ ही खरीदा करती थी..वहाँ पर भी उसका बिल अपनी मा से ज़्यादा ही आया ..

उसके बाद दोनो लंच करके घर आ गयी.

शाम को उसने श्वेता को घर पर बुला लिया और उसे सारी बात बतायी, और साथ ही अपनी खरीदी हुई ड्रेसेस भी दिखायी, जिन्हे देखकर श्वेता कि भी आँखे फटी रह गयी..

श्वेता : "यार, मुझे नहीं पता था कि मेरी बातों का तुझपर इतना असर पड़ेगा, तूने तो आज तक ऐसी ड्रेसेस पहनी भी नहीं, मुझे भी देखनी है, कैसी लगेगी तू इनमे, प्लीज ना , मुझे पहन कर दिखा ....''

काव्या भी तो यही चाहती थी की जो ड्रेसस वो लाई है, उन्हे पहन कर देखे, उसने श्वेता के सामने ही अपने कपड़े उतारे और पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी.

तब श्वेता ने गौर किया की उसने तो अपने पूरे शरीर के बॉल भी सॉफ नही किए है, अंडर आर्म्स , लेग्स और चूत सभी जगह बाल थे, ख़ासतौर पर उसकी चूत पर, वहा पर तो पूरा जंगल था...



श्वेता : "रुक जा, कपड़े पहनने से पहले तेरी मरम्मत भी करनी है ''.

काव्या : " वो कैसे ??".


 श्वेता उसके पास आई और सीधा उसकी चूत के उपर हाथ रख दिया और उसके बालों को अपनी मुट्ठी मे भींच कर खींच लिया..

काव्या के मुँह से एक चीख निकल गयी ....

''अहह ssssssssssssssssss''.

श्वेता : "ये जंगल सॉफ करना है, आजकल बालों वाली चूत किसी को भी पसंद नही आती''

काव्या : "पर वहाँ तक दिखाना किसे है ?? ''..

श्वेता ने जैसे पहले से ही सब कुछ सोच कर रख लिया था काव्या के लिए , वो मुस्कुराती हुई उसके पास आई और बोली : "मेरी बन्नो, तू कितनी भोली है, ये जिस्म की आग जब जलेगी ना, तो सामने कौन है, वो नही देख सकेगी तू, हमारे प्लान के अनुसार तुझे अपना सब कुछ दिखा कर ही सामने वाले को बस मे करना है, फिर वो चाहे तेरा ये सोतेला बाप समीर हो या उसका जिगरी दोस्त लोकेश ..''

काव्या हैरानी से उसे देखने लगी ..

श्वेता : "देख, हमने पहले ही डिसाइड कर लिया है की तू अपने अपमान का बदला लेने के लिए कुछ भी करेगी, मैं भी तेरी मदद करूँगी, और देखना, हम दोनो मिलकर, तेरे अकड़ू बाप को अपने सामने झुकाएँगे, और वो भी पूरा नंगा ''..

उसकी बात सुनकर काव्या के चेहरे पर भी हँसी आ गयी और दोनो ने एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर हाइ फाईव किया ..

श्वेता : "देख, तुझे सबसे पहले अपने बाप के दोस्त लोकेश को बस मे करना है, क्योंकि समीर सिर्फ उसकी बात ही मानता है, उसे शीशे मे उतारकर ही हम तेरे बाप को कंट्रोल कर सकते हैं, और इसके लिए तुझे उसके सामने अपने हुस्न के जलवे बिखेरने होंगे ''.

काव्या : "वो कैसे करूँगी मैं ?".

श्वेता : "सब हो जाएगा, वैसे भी वो तुम्हारे साथ लोनवला जा रहा है, तेरी मा और बाप तो अपने हनिमून मे बिज़ी होंगे, तू मौका देखकर इस लोकेश को पटा ले बस, और इसके लिए तुझे चाहे उसके सामने नंगा भी होना पड़े तो हो जा, बस वो सब मत करने दियो उसको ....''..

काव्या समझ गयी की वो सब का मतलब चुदाई से है...

उसकी बाते सुनकर उसकी चूत मे से गर्म पानी निकलकर उसकी जाँघो से होता हुआ नीचे तक आने लगा , जिसे देखकर श्वेता समझ गयी की काव्या भी ये सब करने के लिए तय्यार है..

वो भागकर बाथरूम से हेयर रिमोवर क्रीम एन्न फ्रेंच ले आई,और उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी बाजू, टाँगो और चूत पर क्रीम लगा दी

आधे घंटे के बाद उसने वो सब सॉफ कर दिया ...

तब काव्या ने देखा की श्वेता ने उसकी चूत के बीचो बीच एक लकीर छोड़ दी है, उसने श्वेता की तरफ देखा.

श्वेता : "ये आजकल का फेशन है, ऐसी ट्रिम की हुई लाइन या शेप देखकर मर्द बहुत उत्तेजित हो जाते हैं ''.

काव्या उससे पूछना तो चाहती थी की उसे इतना सब कैसे पता है, पर उसकी पूरी बॉडी मे बहुत इचिंग हो रही थी, सो वो भागकर बाथरूम मे चली गयी और नहाकार वापिस आ गयी, ऐसे ही, नंगी , उसका पूरा बदन पूरे शबाब पर था और चमक रहा था..



श्वेता भागकर आई और उसके नंगे शरीर से लिपट गयी और बोली : "यार, मैं अगर लड़का होती ना, तो तुझे आज ही कली से फूल बना देती ''.


 उसकी ये बात सुनकर काव्या की साँसे तेज हो गयी, जिसे श्वेता ने भी महसूस किया, और उसने ये भी देखा की काव्या अपनी चूत वाले हिस्से को उसकी जाँघ पर रगड़ रही है ..

वो समझ गयी की आज तो उसके साथ कुछ करना ही पड़ेगा.

उसने अपने दाँये हाथ की उंगली उसकी बह रही चूत के अंदर खिसका दी, वो सिसक कर उसके और पास आ गयी और अपने छोटे-2 स्तनो को उसकी गोल-गोल छातियों से घिसने लगी..

श्वेता ने अपने दोनो हाथो मे उसके लंबे निप्पल पकड़े और उन्हे अपनी तरफ खींच लिया और झटके से आगे आई काव्या के होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर उसने उन्हे चूसना शुरू कर दिया..

''पुछ्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्मममममम अहह''.

और फिर अपनी उंगली और अंगूठे के बीच उसके निप्पल फँसा कर हथेली से उसकी दोनो ब्रेस्ट को मसाज करने लगी.

श्वेता : "ये देख, जब भी खाली बैठी हुआ कर तो ऐसे ही अपनी ब्रेस्ट की मालिश करती रहा कर , तभी मोटी होंगी ये, मेरी तरहा .....तेरी मा की तरहा .....''

वो आगे बोली : "जैसे वो योग गुरु बताते है ना टीवी पर, अपने नाख़ून एक दूसरे पर घिसने से बॉल आ जाते हैं, वैसे ही इन्हे घिसने पर ये भी बड़ी हो जाएँगी ...इसलिए जब तक कोई रोज इन्हे दबाने वाला तेरा कोई बाय्फ्रेंड नही आता, तुझे ही ये काम करना होगा''..

काव्या ने समझते हुए हाँ मे सिर हिला दिया ...

पर अभी ये समय शिक्षा लेने-देने का नही था, उसे तो अपनी चूत की आग शांत करनी थी अभी ..

उसने श्वेता के सिर को पकड़ा और उसे नीचे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया , वो समझ गयी की काव्या क्या चाहती है, वो भी उसकी ताज़ा छिली चूत को अपने मुँह मे लेकर उसे चूसना चाहती थी..

वो धीरे-2 नीचे होती गयी और अंत मे आकर वो उसकी चूत के बिल्कुल सामने बैठ गयी..

और अपनी साँप जैसी जीभ को लपलपाकर जैसे ही उसने काव्या की चूत की औस की बूँदों को पिया, उसने अपनी आँखे बंद करते हुए एक जोरदार चीत्कार मारी और अपनी चूत को बुरी तरहा से झटका देकर अपनी सहेली के चेहरे पर दे मारा..

''आआयययययययीीईईईईईईई .........अहह उम्म्म्मममममममम''.


और खुद पीछे होती हुई अपने बिस्तर पर जाकर लेट गयी ....

और अपने पैरों को श्वेता के सिर के चारों तरफ फँसाकर उसे अपनी चूत के थ्रू पीने लगी , या यूँ कहलो कि अपना जूस उसे पिलाने लगी ...

श्वेता को ऐसा लगा की उसकी साँस ही घुट जाएगी, उसने बड़ी मुश्किल से अपने सिर को उसके चुंगल से छुड़ाया और उपर देखते हुए बोली : "साली, देखने मे तो कितनी भोली सी लगती है, पर तेरे अंदर इतनी आग भरी पड़ी है .....संभालकर इस्तेमाल कर इसका , तभी तू सामने वाले को अपने इशारों पर नचा सकेगी, वरना पहली बार मे ही कोई भी तेरी चूत के परखच्चे उड़ा कर निकल लेगा और तू देखती रह जाएगी ''..

श्वेता की सेक्स क्लास अभी तक चालू थी ....

उसके समझाने के बाद काव्या ने अपने उपर थोडा कंट्रोल किया और आराम से लेटकर उसकी जीभ को अपने तालाब मे किसी मछली की तरह महसूस करने लगी..

और कुछ ही देर के बाद उसकी उबलती हुई चूत मे से गरमा गरम लावा निकालकर बाहर आ गया, तब जाकर उसके शरीर का तापमान सामान्य हुआ..


 उसके बाद एक-एक करके काव्या ने अपनी सारी ड्रेसेस उसे पहन कर दिखायी , और उसकी हर ड्रेस पर श्वेता ने तालियां और सिटी मारकर उनको सराहा ...

काव्या को कुछ और बातें समझाने के बाद श्वेता अपने घर चली गयी..और साथ ही ये भी बोल गयी की कोई भी बात पूछनी हो तो तुरंत फोन कर लिया करे..

अगला पूरा दिन पेकिंग करने मे निकल गया। …

और अगली सुबह सभी लोनवाला के लिए निकल पड़े .

आज समीर खुद ड्राइव कर रहा था, उसकी फॉर्चूनर की अगली सीट पर रश्मि बैठी थी और पीछे वाली सीट पर काव्या थी.

और समीर का ध्यान आज बार-2 उसकी तरफ ही जा रहा था.

कारण था उसके कपड़े, जो उसने खास तौर पर वहाँ जाने के लिए पहने थे..

एक टाईट सी टी शर्ट और नीचे एक छोटी सी हॉट पेंट..

जिसमे उसके मोटी गांड के उभार सॉफ नज़र आ रहे थे...

थोड़ी देर मे ही लोकेश का घर भी आ गया और उसको पीकप करने के बाद वो लोग लोनवला की तरफ निकल पड़े, वहाँ का रास्ता डेड घंटे का था.

पीछे वाली सीट पर बैठते ही लोकेश की नज़र काव्या की चिकनी टाँगो पर पड़ी , उसके पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये, उसने भी आज तक उसे बुरी नज़र से नही देखा था, वो तो उसे बच्ची समझ रहा था, पर उसे क्या मालूम था की ये बच्ची उन ढीले-ढाले कपड़ो के अंदर छुपा हुआ एक बॉम्ब है ..

काव्या ने भी मुस्कुराते हुए लोकेश अंकल से हाथ मिलाया और उनसे सट कर बैठ गयी ... और इधर-उधर की गप्पे मारने लगी..

बातों ही बातों मे कब लोनवाला आ गया, उन्हे पता ही नही चला, पुर रास्ते समीर का ध्यान पीछे की तरफ ही था, उसे लोकेश से ईष्र्या भी हो रही थी की वो क्यो उसकी जवान बेटी के पास ऐसे चिपक कर बैठा है, पर वो कुछ कर भी तो नही सकता था

पर ये तो अभी शुरुवात थी, अगले चार दिनों में क्या होने वाला था ये शायद समीर भी नहीं जानता था ...


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