Wednesday, September 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI इस प्यार को मैं क्या नाम दूँ ?

FUN-MAZA-MASTI

 इस प्यार को मैं क्या नाम दूँ ?

हाई दोस्तों,

मैं रणवीर आपका तहेदिल से स्वागत करता हूँ और आपके लिए अपने और आँचल के गैर सम्बन्ध ने बारे में लिख रहा हूँ जोकि आखिर में एक सच्चे प्यार के रूप में बदल गए | मैंने जैसे ही अपनी स्कूल की पढाई को छोड़ कॉलेज में कदम रखा तो मुझे पहली बार किसी लड़की ने पसंद करते हुए अपना प्यार का इज़हार किया सो मैं न कैसे कर सकता था | उसका नाम प्रिया था और हम अकसर एक साथ रहते पर कुछ ही महीनो में उसके बंधन ने मुझपर असर दिखाना शुरू कर दिया था | अब तो मेरा दिन का सबसे गन्दा पल वही होता जब मैं उसके साथ होता इसी कारण जब मुझे वो इतनी नापसंद आने लगी तो मैंने उससे कोई शारीरिक सम्बन्ध भी न जोड़े | तभी मेरी दोस्ती एक आँचल नाम की लड़की से हुई जो प्रिया की भी अच्छी दोस्त थी | मुझे अब आँचल के साथ समय गुज़ारना पसंद आने लगा उसमें मुझे वो नज़र आता या यूँ कहो वो भाव दिखाई दिए जो मुझे प्रिया में कभी ना मिले | अब धीरे – धीरे मेरी मुलाकातें आँचल से बढती चली गयीं और मैं कई बार प्रिया से झूट कहकर आँचल से मिलने चला आता था | एक दिन आख़िरकार आँचल ने मुझसे पूछ ही लिया,

आँचल – रणवीर . . तुम्हे नहीं लगता हम दोस्ती से कुछ ज्यादा ही आगे जा रहे हैं . ??

मैं – कहीं नहीं बब्बा . . चलता है . .??

आँचल – नहीं रणवीर . . मुझे सब सच – सच जानना है ..??

मैं – ह्म्म्म . . मैं तुमसे ही प्यार करता हूँ . . सिर्फ तुमसे .. ! ! प्रिया के साथ तो सब दिखावा है और बस यही नहीं समझ आता की उसे कैसे समझाऊ . .!

अब मेरा और आँचल का प्यार चुपके – चुपके चलने लगा और मैंने सोच रखा था की सही वक्त आने पर प्रिया को बता दूँगा | अब जब आँचल के तन की बात करूँ तो वो अच्छे खासे मर्द को अपने पीछे पागल बनाने की काबिलियत रखती है | उसके यूँ उठे हुए ३२ इंच के चुचे पर से मेरी कभी नज़र ही नहीं हटती | मैं कभी कभार आँचल से अकेले में बात करते हुए उसे अपने उप्पर धकेल लेता था और वो हर बार शर्माती हुई नाटक पेलती थी | एक दिन मैं आँचल को अपने कॉलेज के पीछे वाली पहाड़ी के नीचे ले गया और कुछ चुम्मा - चाटी करने लगा पर यह नहीं सोचा था की ऐसे खुले मौहोल में हम चुदाई करेंगे | हम एक दूसरे को वहाँ चुमते हुए कुछ ज्यादा ही बेसबर हो गए और मैंने उसके कुर्ते को उतार दिया | मैंने अपनी शर्ट भी उतारते हुए उसके ब्रा के हुक को खोल दिया और उसके चुचों के निप्पल्स के साथ खेलने लगा |

मैंने कुछ देर बाद उसकी सलवार का नाडा खोलते हुए उसकी पैंटी को भी उतार दिया और उसकी गुलाबी चुत को अपनी जीभ से चाटने लगा | मैंने फिर उसे पीछे मुड़ाया और कुछ नीचे की ओर नौहरने को कहा | जिससे अब उसकी गोरी – गोरी गांड मेरे मुंह के सामने ही थी | मैंने पहले उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरा और फिर उसकी गांड को अपने हाथों से पुचकारते हुए थोड़ी ढील दी और जैसे ही उसके गांड के छेद के नजदीक आया तो थूक लगाकर मलने लगा और फिर अपनी जीभ से उसकी चुत से होता हुआ गांड तक अपने थूक को चाट लेता जिससे आँचल अब बेचैन हो रही थी | मैं इसी मुद्रा में आँचल की चुत में अपनी उँगलियों को देना शुरू कर दिया जिससे थोड़ी हो देर में उसकी चुत गीली हो गयी और मेरा पूरा मुंह गीला हो गया |

अब मैं सीधा खड़ा हुआ और अपने लंड के सुपाडे को उसकी गांड और चुत के उप्पर नचाने लगा और एक दम से भैंसे की तरह झटका मार दिया जिससे पूरा लंड उसकी चूत के बिल में समां दिया | अब मैं अपनी गांड का सारा दम लगाकर उसकी चुत में लंड अंदर – बहार करने लगा और वो भी अपनी कमर उछालके चुदने की लगी | आँचल की चीखें बड़ी तगड़ी थीं पर पहाड़ी के नीचे होने के कारण हमारी आवाजें कोई नही सुन सकता था | यह काम क्रीडा ४५ मिनट लगातार राजधानी एक्सप्रेस की तरह चलते हुए मेरे वीर्य की तूफानी छिडकाव के साथ अंत हो गयी | हमने जैसे ही अपने कपड़े पहने तो फिर कुछ देर एक दूसरे के होठों को चूसा | हमारा प्यार कोई दो पल का नहीं था बस ये बात मैं आज तक प्रिया से ना कह पाया और उसे हम चुपचाप छोड़ वहाँ से पढाई खतम कर चले आये | आपको हैरानी होगी मगर आपको बता दूँ की मेरी और आँचल की २ महीने बाद शादी है |
आपको हमारा हार्दिक स्वागत है . .! !

आप आओगे ना. . .. . ??







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