Saturday, November 13, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ दोस्त बना साला पार्ट --1



हिंदी सेक्सी कहानियाँ
दोस्त बना साला पार्ट --1
हाई! आज मैं आपको अपनी एक स्टोरी बता रहा हूँ. यह उस वक़्त की बात है जब मैं 20 साल का था. मेरे कॉलेज मैं छुट्टिया थी जिनकी वजह से पूरा दिन घर पर होता था. घर पर सिर्फ़ मैं मुझसे छ्होटी बहन कंचन और मोम-डॅड थे. मेरा एक ख़ास दोस्त था रमेश. मैं उसके साथ फिल्म देखता और गेम खेलता. बस इसी तरह टाइम पास हो रहा था. एक बार जब हम दोनो एक पार्क मैं अकेले बैठे थे तो मैने उससे कहा, "यार आजकल बहुत बोरियत होती है. टाइम नही पास होता." वह मेरी बात सुन बोला, "तू दिन भर क्या करता रहता है?" "करना क्या यार टीवी देखना, मॅगज़ीन और तेरे साथ घूमना बस." वह बोला, "यही सब मैं भी करता हूँ पर बोरियत दूर करने का एक बहुत ही अच्छा रास्ता है मेरे पास जिससे मैं अपनी बोरियत दूर करता हूँ. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है इन छुट्टियो मैं." "यार तू क्या करता है?" "अरे कुच्छ नही बस मज़ा लेता हूँ." "किस का मज़ा?" "यार तू गधा है. मैं एक खूबसूरत लड़की का मज़ा लेता हूँ, उसकी चुचियों का, उसकी चूत का मज़ा." मैं उसकी बात सुन हैरान होता बोला, "यार तू तू सचमुच मज़े ले रहा है. कौन है वह? मेरा भी काम बनवा दे यार." वह बोला, "यार मैं उसके साथ तेरा काम नही बनवा सकता तू खुद कोई लड़की फसा ले. या पैसे खर्च कर." "पर यार मैं कैसे फसाउ कोई लड़की और तू तू जानता है हमलोगों के पास इतने पैसे कहाँ? यार तू अपनी वाली के साथ ही मेरा भी काम बना दे ना." "नही यार ये नही हो सकता." "अरे कौन है वह कि तू मेरा काम नही बनवा सकता?" "अगर तू वादा कर कि तू किसी को नही बताएगा तू मैं तुझे बता सकता हूँ." "मैं वादा करता हूँ." "देख यार किसी को बताना नही. जैसे तुम और तुम्हारी बहन ही हो अकेले वैसे ही मेरी भी सिर्फ़ एक छ्होटी बहन है, सपना. बस यार हम दोनो भाई बहन एक दूसरे की बोरियत मिटाते हैं." मैं हैरान होता बोला, "कैसे?" "अरे कैसे क्या? हम दोनो रात भर खूब मज़ा लेते हैं. तू चाहे तू तू भी अपनी बोरियत मिटा सकता है." "कैसे?" "तेरी भी छ्होटी बहन है. तू उसके साथ मज़ा लेकर अपनी बोरियत दूर कर." मुझे उसकी बात सुन बुरा नही लगा. मैं कुच्छ सोचने लगा तो वह बोला, "क्या सोच रहा है यार" "यही की तू अपनी बहन के साथ…." "तू क्या हुवा इसमे कोई नुकसान नही है. सोच अगर मेरी बहन घर से बाहर किसी से चुदवा लेती तो मेरी कितनी बदनामी होती. घर पर मुझसे चुदवाने मैं उसकी बदनामी भी नही होती और जब चाहे मज़ा लेती है. तू भी अपनी बहन को मज़ा दे दे वरना वह बाहर किसी से चुद गयी तू तू किसी को मुँह दिखाने वाला नही रहेगा." मैं चुप रहा तू वह बोला, "तुझे एक राज़ की बात बताउ. "क्या?" "यही की तू अगर अपनी बहन को नही चोदेगा तू कोई और चोदेगा. अगर बुरा ना मानो तू एक बात बताउ?" "नही मानूँगा बताओ." "जब मैं तुझको बुलाने तेरे घर जाता हूँ तू कभी-कभी तेरी बहन कंचन दरवाज़ा खोलती है. तो मैने एक दो बार तेरी बहन की चुचियों को टच किया था पर उसने ज़रा भी बुरा नही माना. यार तू बुरा ना मान पर आज तुझे जब बुलाने तेरे घर गया था तू भी तेरी बहन ने ही दरवाज़ा खोला था. आज तू मैने उसकी पूरी चूची को पाकर कर दबाया था. तेरी बहन की चुचियाँ तो मेरी बहन सपना की चुचियों से भी ज़्यादा टाइट हैं. तुझे अपनी बहन के साथ बहुत मज़ा मिलेगा." उसके मुँह से अपनी बहन के बारे मैं ऐसा सुन बुरा नही लगा. मुझे चुप देख वह बोला, "यार तू बुरा ना मान पर सभी लरकियाँ चुदवाना चाहती है और तेरी बहन भी खूबसूरत और जवान है. उसका मंन भी करता होगा वरना वा मुझसे अपनी कभी नही दब्वाती. तू अपनी बहन को चोद." मैं उससे बोला, "पर यार ये कैसे होगा?" "तूने कभी किसी को चोदा है या नही" "नही यार कभी नही." "तब तू कुच्छ नही कर पाएगा और उसे डरा भी देगा." "यार तू ही कुच्छ कर ना." "अच्छा एक काम करते हैं. मैं एक बार तेरी बहन को चोद्कर उसे चुदवाना सिखा दूँ. और तू मेरी बहन को चोद कर चोदना सीख ले." "हां यार यह ठीक रहेगा." "तू ठीक है ऐसा करते हैं पहले तू मेरे घर आजा और मेरी बहन को चोद्कर सीख ले फिर मैं तेरी बहन को चोद कर उसे चोदना सिखा दूँगा." फिर हमलोगो का अगले दिन शाम के 4 बजे का प्रोग्राम बना. घर आया तो मुझे आज अपनी बहन कंचन बहुत प्यारी लगी मैं उसे कनखियों से देख रहा था. मैं रात भर अपनी बहन की चुदाई की कल्पना करता रहा. अगले दिन सोकर उठा और कल की बात सोचता रहा. किसी तरह शाम के 4 बजे और मैं रमेश के घर पहुँचा. बेल बजाई तो रमेश ने दरवाज़ा खोला और मुझे देख खुश होता बोला, "अरे आओ यार मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था." मैं उसके साथ घर के अंदर गया और उसके रूम मैं सोफा पर बैठ गया. वह थोड़ी देर मेरे साथ बैठा बाते करता रहा. मैं उसकी खूबसूरत बहन सपना के बारे मैं सोच रहा था. उसने वही से अपनी बहन सपना को आवाज़ देकर चाइ लाने को कहा. 10 मिनिट बाद उसकी खूबसूरत बहन एक ट्रे मैं चाइ और बिस्किट्स लेकर आई. वह गुलाबी रंग का शलवार कुर्ता पहने थी जिसमे वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसने ट्रे टेबल पर रखी और चाइ कप मैं निकाली फिर चली गयी. मैं उसे ही देख रहा था. वह एकदम नॉर्मल थी. हम दोनो ने चाइ पी. अब तक 4:30 बज गया था. चाइ पीने के बाद रमेश ट्रे लेकर बाहर चला गया. मैं वही बैठ रहा. 3-4 मिनिट बाद कमरे के बाहर से दोनो के हस्ने की आवाज़ आई तो मैं दरवाज़े को देखने लगा. तभी वह दोनो अंदर आए. अब मेरा दिल एकदम से धरकने लगा. रमेश सिर्फ़ लूँगी मे था और उसकी बहन सपना ब्लाक टाइट शर्ट और ब्लच मिनी स्कर्ट पहने थी. शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी दोनो बरी- बरी चुचियाँ से शर्ट फटी जा रही थी. रमेश अपनी बहन के बगल से हाथ डाले उसकी दोनो चुचियों को अपने हाथ से पकरे उसे धक्का देता अंदर ला रहा था और वह खिल-खिलाकर हंस रही थी. तभी उसने मुझे देखा तो चुप हो गयी और मुझे देखती मुस्कराने लगी. वह मुझे जानती थी. मैं भी दोनो को देख रहा था. वह दोनो पास आए और मेरे वाले सोफा पर ही बैठ गये. सपना बीच मैं बैठी थी. उसने एक पल मुझे देखा फिर अपनी भाई की तरफ मूड गयी और फिर खिल- खिलाने लगी. रमेश भी हंसते उसकी चुचियों को टच कर रहा था. दोनो को अपने सामने ऐसा करते देख मैं हक्का-बक्का था. तभी सपना हंसते हुवे बोली, "ओह्ह भाय्या जाओ तुम बहुत मज़ाक करते हो." वह दोनो आपस मैं इसी तरह की हरकत 2-3 मिनिट करते रहे फिर. सपना ने अपनी हँसी रोक कर कहा, "आहह भाय्या अब 3-4 दिन आराम रहेगा. मम्मी पापा तू 4 दिन बाद आएँगे. भाय्या?" "क्या है?" "ये आपके दोस्त तू बहुत डर रहे हैं. ये इतना डर क्यों रहे हैं?" "क्या पता तुम ही पूछ लो." वह मेरी तरफ मूडी और मेरे कंधे पर हाथ रख बोली, "आप घबरा क्यों रहे हैं?" "ज्ज्ज जी नही नही मैं मैं न.. नही तो." वह फिर खिल-खिलाकर हस्ने लगी. मैं उसकी उठती बैठती चुचियों को देखने लगा. मंन किया कि पकड़ लूँ पर डर गया. वह कुच्छ देर हँसती रही फिर मेरे दोनो हाथो को पकड़ मेरी आँखो मैं देखती बोली, "आप मेरे भाय्या के सबसे आछे दोस्त हैं. भाय्या आपकी बहुत तारीफ्फ करते हैं. कहते थे कि मेरा दोस्त बेचारा लल्लू है. कभी किसी लड़की को टच नही किया. कोई बात नही लो मेरी टच कर लो." और इतना कह उसने मेरे दोनो हाथो को अपनी चुचियों पर रख लिया. उसकी चुचियों पर हाथ रखते ही मेरी धड़कन तेज़ हो गयी. मेरा गला सूख गया. मैं चुपचाप हाथ रखे रहा तो वह फिर खिल- खिलाकर हासणे लगी. हंसते-हंसते बोली, "भाय्या आप सच कहते थे कि आपका दोस्त लल्लू है. लो अब हाथ मैं दे दिया तू भी चुप बैठा है कुच्छ करता ही नही." उसकी बात सुन हिम्मत कर मैने धीरे से उसकी चुचियों को दबाया तो मैं मज़े से भर गया. फिर दो तीन बार दोनो को दबाया तो वह अपने हाथ से अपनी शर्ट के बटन को खोलने लगी. शर्ट खुलते ही उसकी दोनो खूबसूरत कसी चुचियाँ नंगी हो गयी. वह शर्ट के नीचे कुच्छ भी नही पहने थी. मैं उसकी चुचियों को देखने लगा तो उसका भाई और मेरा दोस्त रमेश आगे आ दोनो चुचियों को पकड़ मसल्ते हुवे बोला, "लो यार अब तुम चुप बैठे हो और फिर कहोगे की बोर होते रहते हो. लो करो जो मंन मैं आए. मैं तो अपनी बहन की चुचियों को चूस-चूस कर पीता हूँ." इतना कह वह मेरे सामने अपनी बहन की एक चूची को अपने मुँह मैं लेकर पीने लगा तो सपना ने मुझे दूसरी वाली को पीने का इशारा किया. मैं भी झुककर उसकी दूसरी चूची को पीने लगा. वह एक को अपने भाई के मुँह मैं दे दूसरी चूची को अपने भाई के दोस्त के मुँह मैं देकर चुस्वकार मज़ा ले रही थी. मुझे अनोखा मज़ा मिल रहा था और मैं उसकी चूची को चूस्ते हुवे सोच रहा था कि सच यह तो बहुत मज़ा देने वाली चीज़ है. दो तीन मिनिट बाद रमेश अलग हुवा और मुझे कुच्छ देर अपनी बहन की चूची को पीते देखने के बाद बोला, "चल सपना बेड पर चलते हैं." "चलो भाय्या." वह उठी और अपने भाई के बेड पर आकर लेट गयी. हम दोनो भी उसके पास आए तो रमेश ने सपना का स्कर्ट खींचकर उतार दिया. वह नीचे ब्लॅक पॅंटी पहने थी जिसमे से उसकी चूत उभरी हुई थी. मैं उसे देखने लगा तो वह बोली, "उम्म क्या देख रहे हैं आप? क्या कभी देखी नही किसी की?" "श न्न्न नही." "इतने बड़े हो गये और किसी की नही देखी. अपनी बहन कंचन की भी नही?" "हाए नही." "ओह्ह कैसे भाई हो? मेरे भाय्या तू मुझे एक साल से चोद रहे हैं और एक तुम हो की अपनी बहन की चूत भी नही देखी. हाए आपके ऊपर बहुत तरस आ रहा है. कंचन बहुत खूबसूरत है उसकी तो मुझसे भी अच्छी होगी." वह खुलकर बिना शरम के बोल रही थी. उसका बड़ा भाई चुपचाप उसकी चुचियों को चूस और मसल रहा था. उसे जैसे मतलब ही नही था कि उसकी बहन मुझसे क्या बात कर रही है. वह मेरे गाल पर हाथ फेर बोली, "आप मेरे भाई के सबसे अच्छे दोस्त हैं इसलिए मैं आपको अपनी दिखाउन्गी. लीजिए चड्डी हटाकर देख लीजिए मेरी चूत." उसकी बात सुन खुश हो गया. काँपते हाथों से उसकी काली चड्डी को एक तरफ किया तो उसकी चिकनी बिना बॉल वाली गोरी-गोरी चूत मेरी आँखो के सामने चमकने लगी. मैं ललचाया सा देखने लगा तो वह बोली, "लो मज़ा जैसे चाहो." मैने उसकी चूत पर हाथ रखा तो मेरा लंड झटके खाने लगा. दो तीन बार हाथ फिराने के बाद उसकी चूत की दोनो फांको को खोलकर अंदर का गुलाबी च्छेद देखा तो मुँह मैं पानी आ गया. वह बोली, "चाट कर देखो मज़ा आ जाएगा." मैं कई स्टोरी मैं लिखा देख चुक्का था कि चूत चाटने मैं बहुत मज़ा मिलता है इसलिए उसकी बात सुन चाटने को तैय्यर हुवा.. रमेश उसकी चुचियों मैं खोया हुवा था. मैने उसकी चड्डी को एकदम अलग कर दिया और अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी. चूत की सोंधी खुश्बू से नाक मस्त हो गयी. पूरी चूत पर ऊपर से नीचे तक जीभ चलाकर चाटने लगा. सच लड़की मैं बहुत मज़ा भरा होता है. रमेश सच कह रहा था कि वह कभी बोर नही होता. अभी 3-4 मिनिट ही चॅटा था कि वह अपने पैरों से धक्का दे मुझे अपनी चूत से अलग कर बोली, "हटो दूर, तुमको तो कुच्छ भी नही आता." Hi! Aaj main aapko apni aike story bata raha hun. Yah us waqt ki baat hai jab mai 20 saal ka tha. Mere college main chhuttiyan thi jinki wajah se poora din ghar par hota tha. Ghar par sirf main mujhse chhoti bahan Kanchan aur mom-dad the. Mera ek khaas dost tha Ramesh. Main uske saath film dekhta aur game khelta. Bas isi tarah time pass ho raha tha. Ek baar jab ham dono ek park main akele baithe the tu maine usse kaha, "Yaar aajkal bahut boriyat hoti hai. Time nahi paas hota." Wah meri baat sun bola, "Tu din bhar kya karta rahta hai?" "Karna kya yaar TV dekhna, magazine aur tere saath ghoomna bas." Wah bola, "Yahi sab main bhi karta hun par boriyat door karne ka ek bahut hi achha raasta hai mere paas jisse main apni boriyat door karta hun. Mujhe tu bahut maza aa raha hai in hhuttiyon main." "Yaar tu kya karta hai?" "Are kuchh nahi bas maza leta hoon." "Kiss ka maza?" "Yaar tu gadha hai. Main ek khoobsurat larki ka maza leta hoon, uski chuchiyon ka, uski choot ka maza." Main uski baat sun hairan hota bola, "Yaar tu tu sachmuch maze le raha hai. Kaun hai wah? Mera bhi kaam banwa de yaar." Wah bola, "Yaar main uske saath tera kaam nahi banwa sakta tu khud koi larki fasan le. Ya paise kharch kar." "Par yaar main kaise fasaun koi larki aur tu tu jaanta hai hamlogon ke paas itne paise kahan? Yaar tu apni wali ke saath hi mera bhi kaam bana de na." "Nahi yaar ye nahi ho sakta." "Are kaun hai wah ki tu mera kaam nahi banwa sakta?" "Agar tu wada kar ki tu kisi ko nahi batayega tu main tujhe bata sakta hoon." "Main wada karta hoon." "Dekh yaar kisi ko batana nahi. Jaise tum aur tumhari bahan hi ho akele waise hi meri bhi sirf ek chhoti bahan hai, Sapna. Bas yaar ham dono bhai bahan ek doosre ki boriyat mitate hain." Main hairan hota bola, "Kaise?" "Are kaise kya? Ham dono raat bhar khoob maza lete hain. Tu chahe tu tu bhi apni boriyat mita sakta hai." "Kaise?" "Teri bhi chhoti bahan hai. Tu suke saath maza lekar apni boriyat door kar." Mujhe uski baat sun bura nahi laga. Main kuchh sochne laga tu wah bola, "Kya soch raha hai yaar" "Yahi ki tu apni bahan ke saath…." "Tu kya huwa isme koi nuksaan nahi hai. Soch agar meri bahan ghar se bahar kisi se chudwa leti tu meri kitni badnami hoti. Ghar par mujhse chudwane main uski badnami bhi nahi hoti aur jab chahe maza leti hai. Tu bhi apni bahan ko maza de de warna wah bahar kisi se chud gayi tu tu kisi ko munh dikhane wala nahi rahega." Main chup raha tu wah bola, "Tujhe ek raaz ki baat bataun. "Kya?" "yahi ki tu agar apni bahan ko nahi chodega tu koi aur chodega. Agar bura na mano tu ek baat bataun?" "Nahi manuga batao." "Jab main tujhko bulane tere ghar jata hoon tu kabhi-kabhi teri bahar Kanchan darwaza kholti hai. Tu maine ek do baar teri bahan ki chuchiyon ko touch kiya tha par usne zara bhi bura nahi mana. Yaar tu bura na maan par aaj tujhe jab bulane tere ghar gaya tha tu bhi teri bahan ne hi darwaza khola tha. Aaj tu maine uski poori choochi ko pakar kar dabaya tha. Teri bahan ki chuchiyan tu meri bahan Sapna ki chuchiyon se bhi zyada tight hain. Tujhe apni bahan ke saath bahut maza milega." Uske munh se apni bahan ke bare main aisa sun bura nahi laga. Mujhe chup dekh wah bola, "Yaar tu bura na maan par sabhi larkiyan chudwana chaahti hai aur teri bahan bhi khoobsurat aur jawan hai. Uska mann bhi karta hoga warna wah mujhse apni kabhi nahi dabwati. Tu apni bahan ko chod." Main usse bola, "Par yaar ye kaise hoga?" "Tune kabhi kisi ko chhoda hai ya nahi" "Nahi yaar kabhi nahi." "Tab tu tu kuchh nahi kar payega aur use dara bhi dega." "Yaar tu hi kuchh na." "Achha ek kaam karte hain. Main ek baar teri bahan ko chodkar use chudwana sikha doon. Aur tu meri bahan ko chod kar chodna seekh le." "Haan yaar yah theek rahega." "Tu theek hai aisa karte hain pahle tu mere ghar aaja aur meri bahan ko chodkar seekh le fir main teri bahan ko chod kar use chudwana sikha dunga." Fir hamlogo agle din shaam ke 4 baje ka program bana. Ghar aaya tu mujhe aaj apni bahan Kanchan bahut pyari lagi main use kankhiyon se dekh raha tha. Main raat bhar apni bahan ki chudai ki kalpana karta raha. Agle din sokar utha aur kal ki baat sochta raha. Kisi tarah shaam ke 4 baje aur main Ramesh ke ghar pahuncha. Bell bajayi tu Ramesh ne darwaza khola aur mujhe dekh khush hota bola, "Are aao yaar main tumhara hi intezaar kar raha tha." Main uske saath ghar ke andar gaya aur uske room main sofa par baith gaya. Wah thodi der mere saath baitha baate karta raha. Main uski khoobsurat bahan Sapna ke bare main soch raha tha. Usne wahi se apni bahan Sapna ko awaz dekar chai lane ko kaha. 10 minute baad uski khoobsurat bahan ek tray main chai aur biscuits lekar aayi. Wah gulabi rang ka shalwaar kurta pahne thi jisme wah bahut khoobsurat lag rahi thi. Usne tray table par rakhi aur chai cup main nikali fir chali gayi. Main use hi dekh raha tha. Wah ekdam normal thi. Ham dono ne chai piya. Ab tak 4:30 baj gaya tha. Chai pine ke baad Ramesh tray lekar bahar chala gaya. Main wahi baith raha. 3-4 minute baad kamre ke bahar se dono ke hasne ki awaz aayi tu main darwaze ko dekhne laga. Tabhi wah dono andar aaye. Ab mera dil ekdam se dharakne laga. Ramesh sirf lungi main tha aur uski bahan Sapna blak tight shirt aur blach mini skirt pahne thi. Shirt itni tight thi ki uski dono bari- bari chuchiyan se shirt phati ja rahi thi. Ramesh apni bahan ke bagal se haath dale uski dono chuchiyon ko apne haath se pakre use dhakka deta andar la raha tha aur wah khil-khilakar hans rahi thi. Tabhi usne mujhe dekha tu chup ho gayi aur mujhe dekhti muskarane lagi. Wah mujhe jaanti thi. Main bhi dono ke dekh raha tha. Wah dono pass aaye aur mere wale sofa par hi baith gaye. Sapna beech main baithi thi. Usne ek pal mujhe dekha fir apni bhai ki taraf mud gayi aur fir khil- khilane lagi. Ramesh bhi hanste uski chuchiyon ko touch kar raha tha. Dono ko apne saamne aisa karte dekh main hakka-bakka tha. Tabhi Sapna hanste huwe boli, "Ohh Bhaiyya jao tum bahut mazak karte ho." Wah dono aapas main isi tarah ki harkat 2-3 minute karte rahe fir. Sapna ne apni hansi rok kar kaha, "Aahh Bhaiyya ab 3-4 din aaram rahega. Mummy Papa tu 4 din baad ayenge. Bhaiyya?" "Kya hai?" "Ye aapke dost tu bahut dar rahe hain. Ye itna dar kyon rahe hain?" "Kya pata tum hi pooch lo." Wah meri taraf mudi aur mere kandhe par haath rakh boli, "Aap ghabra kyon rahe hain?" "jjj ji nahi nahi main main nn.. nahi tu." Wah fir khil-khilakar hasne lagi. Main uski uthati baithati chuchiyon ko dekhne laga. Mann kiya ki pakar loon par dar gaya. Wah kuchh der hansti rahi fir mere dono haatho ko pakar meri aankho main dekhti boli, "Aap mere Bhaiyya ke sabse ache dost hain. Bhaiyya aapki bahut tariff karte hain. Kahte the ki mera dost bechara lallu hai. Kabhi kisi larki ko touch nahi kiya. Koi baat nahi lo meri touch kar lo." Aur itna kah usne mere dono haatho ko apni chuchiyon par rakh liya. Uski chuchiyon par haath rakhte hi meri dhadkan tez ho gayi. Mera gala sookh gaya. Main chupchaap haath rakhe raha tu wah fir khil- khilakar hasne lagi. Hanste-hanste boli, "Bhaiyya aap sach kahte the ki aapka dost lallu hai. Lo ab haath main de diya tu bhi chup baitha hai kuchh karta hi nahi." Uski baat sun himmat kar maine dhire se uski chuchiyon ko dabaya tu main maze se bhar gaya. Fir do teen baar dono ko dabaya tu wah apne haath se apni shirt ke button ko kholne lagi. Shirt khulte hi uski dono khoobsurat kasi chuchiyan nangi ho gayi. Wah shirt ke niche kuchh bhi nahi pahne thi. Main uski chuchiyon ko dekhne laga tu uska bhai aur mera dost Ramesh aage aa dono chuchiyon ko pakar masalte huwe bola, "Lo yaar ab tum chup baithe ho aur fir kahoge ki bore hote rahte ho. Lo karo jo mann main aaye. Main tu apni bahan ki chuchiyon ko choos-choos kar pita hoon." Itna kah wah mere saamne apni bahan ki ek choochi ko apne munh main lekar pine laga tu Sapna ne mujhe doosri wali ko pine ka ishara kiya. Main bhi jhukkar uski doosri choochi ko pine laga. Wah ek ko apne bhai ke munh main de doosri choochi ke apne bhai ke dost ke munh main dekar chuswakar maza le rahi thi. Mujhe anokha maza mil raha tha aur main uski choochi ko chooste huwe soch raha tha ki sach yah tu bahut maza dene wali cheez hai. Do teen minute baad Ramesh alag huwa aur mujhe kuchh der apni bahan ki choochi ko pite dekhne ke baad bola, "Chal Sapna bed par chalte hain." "Chalo Bhaiyya." Wah uthi aur apne bhai ke bed par aakar let gayi. Ham dono bhi uske paas aaye tu Ramesh ne Sapna ka skirt khinchkar utar diya. Wah niche black panty pahne thi jisme se uski choot ubhri huyi thi. Main use dekhne laga tu wah boli, "Umm kya dekh rahe hain aap? Kya kabhi dekhi nahi kisi ki?" "shh nnn nahi." "Itne bare ho gaye aur kisi ki nahi dekhi. Apni bahan Kanchan ki bhi nahi?" "Haye nahi." "Ohh kaise bhai ho? Mere Bhaiyya tu mujhe ek saal se chod rahe hain aur ek tum ho ki apni bahan ki choot bhi nahi dekhi. Haye aapke oopar bahut taras aa raha hai. Kanchan bahut khoobsurat hai uski tu mujhse bhi achhi hogi." Wah khulkar bina sharam ke bol rahi thi. Uska bara bhai chupchap uski chuchiyon ko choos aur masal raha tha. Use jaise matlab hi nahi tha ki uski bahan mujhse kya baat kar rahi hai. Wah mere gaal par haath fer boli, "Aap mere bhai ke sabse achhe dost hain isliye main aapko apni dikhaungi. Lijiye chaddi hatakar dekh lijiye meri choot." Uski baat sun khush ho gaya. Kaanpte haathon se uski kali chaddi ko ek taraf kiya tu uski chikni bina baal wali gori-gori choot meri aankho ke saamne chamakne lagi. Main lalchaya sa dekhne laga tu wah boli, "Lo maza jaise chaho." Maine uski choot par haath rakha tu mera lund jhatke khane laga. Do teen baar haath firane ke baad uski choot ke dono faanko ko kholkar andar ka gulabi chhed dekha tu munh main pani aa gaya. Wah boli, "Chaat kar dekho maza aa jayega." Main kai story main likha dekh chukka tha ki choot chaatne main bahut maza milta hai isliye uski baat sun chaatne ko taiyyar huwa.. Ramesh uski chuchiyon main khoya huwa tha. Maine uski chaddi ko ekdam alag kar diya aur apni jeebh uski choot par rakh di. Choot ki sondhi khushboo se naak mast ho gayi. Poori choot par oopar se niche tak jeebh chalakar chaatne laga. Sach larki main bahut maza bhara hota hai. Ramesh sach kah raha tha ki wah kabhi bore nahi hota. Abhi 3-4 minute hi chaata tha ki wah apne pairon se dhakka de mujhe apni choot se alag kar boli, "Hato door, tumko tu kuchh bhi nahi aata." 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