Saturday, November 13, 2010

Hindi Sexi Stori सेक्स का क्लीनिक पार्ट--14




हिंदी सेक्सी कहानियाँ
 सेक्स का क्लीनिक पार्ट--14
 गतांक से आगे .............
नीलम अब अंजलि को लेके एक कमरे मे आ गयी और कमरे को अंदर से बंद कर दिया ताकि अनिल अंदर ना आ सके. अब वो अंजलि से बात करना शुरू कर दिया. "कैसा लग रहा है यहाँ आके" "अच्छा लग रहा है" अंजलि ने धीरे से कहा "क्या हम लोग दोस्त बन सकते हैं" "जी क्यों नही" "ठीक है फिर अब मुझसे शरमाओ मत और खुल के बात करो" नीलम को फ्रॅंक देख के अंजलि भी अब रिलॅक्स हो गयी थी और लेपटॉप को देख के बोली कि ये कंप्यूटर है ना तो नीलम ने हां मे सिर को हिलाया . फिर नीलम ने अपने कपड़े अंजलि के सामने ही निकालने शुरू कर दिए और थोड़े ही देर मे वो सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी मे थी जिसे देख कर अंजलि ने शर्मा कर नज़रें झुका ली तो नीलम ने कहा की इसमे शरमाने वाली कौन सी बात है हम दोनो ही तो लड़कियाँ हैं तो शरमाना कैसा. अंजलि कुछ रिलॅक्स हुई तो नीलम ने कहा को मैं नहाने जा रही हूँ और अभी नहा के वापस आती हूँ. कहके नीलम अंदर बाथरूम मे चली गयी और वहीं से आवाज़ लगाई की मेरे बॅग मे मेरा मोबाइल पड़ा है उसे निकाल के बंद कर दो तो अंजलि ने उसके बॅग को खोला तो उसकी नज़र उपर रखी किताब पे पड़ी पर अगले ही पल उसने मन को शांत किया और मोबाइल को निकाल के बंद कर दिया और बेड पे बैठ गयी. पर उसका ध्यान बार बार किताब की तरफ जा रहा था जो कि नीलम के बॅग मे थी अगले ही पल उसने किताब निकाल ली और उसे पढ़ने लगी, उधर नीलम ने शवर ऑन करके दरवाजे को हल्के से खोला ताकि अंजलि को पता ना चले तो उसने देखा कि उसकी चाल कामयाब हो गयी थी और अंजलि ध्यान से उस चुदाई की कहानी को पढ़ने लगी. अंजलि ने जैसे ही किताब को निकाला तो उसका ध्यान नाम पे चला गया जो की भाभी की चुदाई था. अंजलि ने पढ़ना शुरू किया…………. मेरा नाम सॅंडी है. मेरी उमर इस समय 24 साल की है. शादी के 3 साल बाद ही एक रोड एक्षसीडेंट में भैया का स्वरगवास हो गया था. मैं भाभी के साथ अकेला ही रहता था. भाभी का नाम रीता है. हमारा अपना खुद का बिज़्नेस था. भैया के ना रहने के बाद मैं ही बिज़्नेस की देखभाल करता था. भाभी बहुत ही खूबसूरत थी. वो मुझे सॅंडी कह कर ही बुलाती थी. पापा और मम्मी का स्वरगवास बहुत पहले ही हो चुका था. मैं एक दम हत्ता कॅट्ता नौजवान था और बहुत ही ताकतवर भी. भाभी उमर में मुझसे 1 साल छ्होटी थी. वो मुझे बहुत प्यार करती थी. भैया के गुजर जाने के बाद मैं भाभी की पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख़याल रखती थी. मैं सुबह 10 बजे ही घर से चला जाता था और फिर रात के 8 बजे ही घर वापस आता था. ये उस समय की बात है जब भैया को गुज़रे हुए 6 महीने ही हुए थे. एक दिन मेरी तबीयत खराब हो गयी तो मैने मॅनेजर से दुकान संभालने को कहा और दोपहर के 1 बजे ही घर वापस आ गया. भाभी ने पुचछा, क्या हुआ सॅंडी. मैने कहा, मेरा सारा बदन दुख रहा है और लग रहा है कि कुच्छ फीवर भी है. मेरी बात सुनकर वो परेशान हो गयी. उन्होने मुझसे कहा, तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो. मैने कहा, मैने मेडिकल स्टोर से कुच्छ मेडिसिन ले ली है. मुझे थोड़ा आराम कर लेने दो. वो बोली, ठीक है, तुम आराम करो. मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूँ. मैने कहा, नहीं, रहने दो, मैं ऐसे ही ठीक हूँ. वो बोली, चुप चाप अपने कमरे में जा कर लेट जाओ. मैं अभी तेल ले कर आती हूँ. मैं कभी भी भाभी की बात से इनकार नहीं करता था. मैं अपने कमरे में आ गया. मैने अपनी शर्ट और पॅंट उतार दी और केवल बनियान और नेकर पहने हुए ही लेट गया. मैं एक दम ढीला था और थोड़ा छ्होटा नेकर ही पहनता था. भाभी तेल ले कर आई. उन्होने मेरे सिर पर तेल लगाया और मेरा सिर दबाने लगी. उसके बाद उन्होने मेरे हाथ, सीने और पीठ पर भी तेल लगा कर मालिश किया. आख़िर में वो मेरे पैर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी. आख़िर मैं भी आदमी ही था. उनके हाथ लगाने से मुझे जोश आने लगा. जोश के मारे मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरा नेकर टेंट की तरह से उपर उठने लगा. धीरे धीरे मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरा नेकर एक दम टेंट की तरह हो गया. मैं जानता था कि नेकर के छ्होटा होने की वजह से भाभी को मेरा लंड थोड़ा सा दिखाई दे रहा होगा. वो मेरे पैरों की मालिश करते हुए मेरे लंड को देख रही थी और उनकी आँखें थोड़ी गुलाबी सी होने लगी थी. उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी थी. मालिश करने के बाद वो चली गयी. उसके बाद मैं सो गया. पढ़ते पढ़ते अंजलि गर्म होने लगी थी और उसे नीलम के आने का डर भी लग रहा था क्योंकि उसे कहाँ पता था कि उसी के लिए वो किताब रखी गयी थी, वो बार बार बाथरूम के दरवाजे की तरफ देख लेती थी कि कहीं नीलम बाहर तो नही आ रही है, पर फिर उसका मन आगे पढ़ने को कर रहा था तो उसने आगे पढ़ना शुरू कर दिया……. शाम के 6 बजे मेरी नींद खुली और मैं उठ गया. भाभी चाय लेकर आई. मैने चाय पी. उसके बाद मैं बाथरूम चला गया. बाथरूम सेजब मैं वापस आया तो भाभी ने कहा, अब लेट जाओ, मैं तुम्हारे बदन की फिर से मालिश कर देती हूँ. मैने कहा, अब रहने दो ना, भाभी.वो बोली, क्या मालिश करने से कुच्छ आराम नहीं मिला. मैने कहा, बहुत आराम मिला है. वो बोली, फिर क्यों मना कर रहे हो. मैने कहा, ठीक है, तुम केवल मेरे पैर की ही मालिश कर दो. वो खुश हो गयी. उन्होनेमेरे पैर की मालिश शुरू कर दी. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. इसबार मेरा नेकर थोड़ा पिछे की तरफ खिसक गया था जिस से भाभी कोमेरा लंड इस बार कुच्छ ज़्यादा ही दिखाई दे रहा था. भाभी मेरे लंड देखते हुए मेरे पैरों की मालिश करती रही. थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मालिश करती हूँ तोतुझे क्या हो जाता है. मैं कहा, कुच्छ भी तो नहीं हुआ है मुझे.उन्होने मेरे लंड पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, फिर ये क्या है. मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लिए तो मैं मना कर रहा था. उन्होने मेरे लंड पर फिर से चपत लगाते हुए कहा, इसे काबू में रखा कर. मैने कहा,जब तुम मालिश करती हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता. वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो. मैं जब उनके पैर की मालिश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे. मैने मज़ाक करते हुए कहा, फिर वो क्या करते थे. वो बोली, बदमाश कहीं का. मैने कहा,बताओ ना भाभी, फिर वो क्या करते थे. भाभी शरमाते हुए बोली,वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं. मैने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिए थी. उन्होने पुचछा, क्यों. मैने कहा, आख़िर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी. वो बोली, परेशानी किस बात की, आख़िर मेरा मन भी तो करता था. मैने कहा, मेरा भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूँ. वो बोली, शादी कर ले. मैने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता. उन्होने मुस्कुराते हुए कहा, फिर बाथरूम में जा कर मूठ मार ले. यहाँ तक आते आते अंजलि की हालत खराब हो चुकी थी और वो उत्तेजित हो चुकी थी और नीलम के डर के बावजूद भी वो अब उस कहानी को अधूरा नही छोड़ना चाहती थी. अंजलि धीरे से उठकर बाथरूम तक गयी और अंदर का हाल जान ने की कोशिश करने लगी, नीलम ने पहले से ही उसे आते देख लिया था तो उसने पहले ही पानी गिराना शुरू कर दिया था जिस से की अंजलि को लगा कि अभी भी नीलम नहा रही है. अंजलि वापस बेड पी आ गयी और कहानी को आगे पढ़ने लगी…………. क्रमशः............. सेक्स का क्लीनिक पार्ट--14 गतांक से आगे ............. Neelam ab anjali ko leke ek kamre me aa gayi aur kamre ko andar se band kar diya taki anil andar na aa sake. Ab wo anjali se baat karna shuru kar diya. "kaisa lag raha hai yahan aake" "achha lag raha hai" anjali ne dheere se kaha "kya hum log dost ban sakte hain" "ji kyon nahi" "theek hai fir ab mujhse sharmao mat aur khul ke bat karo" Neelam ko frank dekh ke anjali bhi ab relax ho gayi thi aur paptop ko dekh ke boli ki ye computer hai na to neelam ne haan me sir ko hilaya . fir neelam ne apne kapde anjali ke saamne hi nikalne shuru kar diya aur thode hi der me wo sirf bra aur panty me thi jise dekh kar anjali ne sharma kar najrein jhuka li to neelam ne kaha ki isme sharmane wali kaun si baat hai hum dono hi to ladkiyan hain to sharmana kaisa. Anjali kuch relax hui to neelam ne kaha ko main nahane ja rahi hoon aur abhi naha ke wapas aati hoon. Kahke neelam andar bathroom me chali gayi aur wahin se aawaj lagai ki mere bag me mera mobile pada hia use nikal ke band kar do to anjali ne uske bag ko khola to uski najar upar rakhe kitab pe padi par agle hi pal usne man ko shant kiya aur mobile ko nikal ke band kar diya aur bed pe baith gayi. Par uska dhyan bar bar kitab ki taraf ja raha tha jo ki neelam ke bag me tha agle hi pal usne kitab nikal liya aur use padhne lagi, udhar neelam ne shower on karke darwaje ko halke se khola taki anjali ko pata na chale to usne dekha ki uska chal kaamyaab ho gaya tha aur anjali dhayan se us chudai ke kahani ko padhne lagi. Anjali ne jaise hi kitab ko nikala to uska dhyan naam pe chala gaya jo ki bhabhi ki chudai tha. Anjali ne padhna shuru kiya…………. Mera naam Sandy hai. Meri umar is samay 24 saal ki hai. Shadi ke 3 saal baad hi ek road excident mein bhaiya ka swargwas ho gaya tha. Main bhabhi ke saath akela hi rahta tha. Bhabhi ka naam Reeta hai. Hamara apna khud ka business tha. Bhaiya ke na rahne ke baad main hi business ki dekhbhal karta tha. Bhabhi bahut hi khoobsurat thi. Wo mujhe Sandy kah kar hi bulati thi. Papa aur mummy ka swargwas bahut pahle hi ho chuka tha. Main ek dam hattha kattha naujawan tha aur bahut hi takatwar bhi. Bhabhi umar mein mujhse 1 saal ki chhoti thi. Wo mujhe bahut pyar karti thi. Bhaiya ke gujar jane ke baad main bhabhi ki poori dekhbhal karta tha aur wo bhi mera bahut khayal rakhti thi. Main subah 10 baje hi ghar se chala jata tha aur phir raat ke 8 baje hi ghar wapas aata tha. Ye us samay ki baat hai jab bhaiya ko gujre huye 6 mahine hi huye the. Ek din meri tabiyat kharab ho gayi to maine manager se dukan sambhalne ko kaha aur dopahar ke 1 baje hi ghar wapas aa gaya. Bhabhi ne puchha, kya hua Sandy. Maine kaha, mera saara badan dukh raha hai aur lag raha hai ki kuchh fever bhi hai. Meri baat sunkar wo pareshan ho gayi. Unhone mujhse kaha, tum mere saath doctor ke paas chalo. Maine kaha, maine medical store se kuchh medicine le li hai. Mujhe thoda aaram kar lene do. Wo boli, theek hai, tum aaram karo. Main tumhare badan par tel laga kar malish kar deti hoon. Maine kaha, nahin, rahne do, main aise hi theek hoon. Wo boli, chup chap apne kamre mein ja kar let jao. Main abhi tel le kar aati hoon. Main kabhi bhi bhabhi ki baat se inkar nahin karta tha. Main apne kamre mein aa gaya. Maine apni shirt aur pant utar di aur kewal baniyan aur nekar pahane huye hi let gaya. Main ek dam dheela tha aur thoda chhota nekar hi pahanta tha. Bhabhi tel le kar aayi. Unhone mere sir par tel lagaya aur mera sir dabane lagi. Uske baad unhone mere haath, seene aur peeth par bhi tel laga kar malish kiya. Aakhir mein wo mere pair par tel laga kar malish karne lagi. Aakhir m ain bhi aadmi hi tha. Unke haath lagane se mujhe josh aane laga. Josh ke mare mera Lund khada hone laga aur mera nekar tent ki tarah se upar uthne laga. Dheere dheere mera Lund poori tarah se khada ho gaya aur mera nekar ek dam tent ki tarah ho gaya. Main janta tha ki nekar ke chhota hone ki wajah se bhabhi ko mera Lund thoda sa dikhayi de raha hoga. Wo mere pairon ki malish karte huye mere Lund ko dekh rahi thi aur unki aankhein thoda gulabi si hone lagi thi. Unke chehre par halki si muskan bhi thi. Malish karne ke baad wo chali gayi. Uske baad main so gaya. padhte padhte anjali garm hone lagi thi aur use neelam ke aane ka dar bhi lag raha tha kyonki use kahan pata tha ki usi ke liye wo kitab rakhi gayi thi, wo bar bar bathroom ke darwaje ki taraf dekh leti thi ki kahin neelam bahar to nahi aa rahi hai, par fir uska man aage padhne ko kar raha tha to usne aage padhna shuru kar diya……. Sham ke 6 baje meri neend khuli aur main uth gaya. Bhabhi chaye lekaraayi. Maine chaye pi. Uske baad main bathroom chala gaya. Bathroom sejab main wapas aaya to bhabhi ne kaha, ab let jao, main tumhare badanki phir se malish kar deti hoon. Maine kaha, ab rahne do na, bhabhi.Wo boli, kya malish karne se kuchh aaram nahin mila. Maine kaha, bahutaaram mila hai. Wo boli, phir kyon mana kar rahe ho. Maine kaha, teekhai, tum kewal mere pair ki hi malish kar do. Wo khush ho gayi. Unhonemere pair ki malish shuru kar di. Mera Lund phir se khada ho gaya. Isbaar mera nekar thoda pichhe ki taraf khisak gaya tha jis se bhabhi komera Lund is baar kuchh jyada hi dikhayi de raha tha. Bhabhi mere Lundko dekhte huye mere pairon ki malish karti rahi. Thodi der baad wo boli, main jab tere pair ki malish karti hoon totujhe kya ho jata hai. Main kaha, kuchh bhi to nahin hua hai mujhe.Unhone mere Lund par halki si chapat lagate huye kaha, phir ye kyahai. Maine kaha, jab tum malish karti ho to mujhe gudgudi si hone lagti hai, isi liye to main mana kar raha tha. Unhone mere Lund par phir se chapat lagate huye kaha, ise kabu mein rakha kar. Maine kaha,jab tum malish karti ho to ye mere kabu mein nahin rahta. Wo boli, tum bhi apne bhaiya ki tarah hi ho. Main jab unke pair ki malish karti thi to wo bhi ise kabu mein nahin rakh pate the. Maine mazak karte huye kaha, phir wo kya karte the. Wo boli, badmash kahin ka. Maine kaha,batao na bhabhi, phir wo kya karte the. Bhabhi sharmate huye boli,wahi jo sabhi mard apni biwi ke saath karte hain. Maine kaha, tab to tumhein bhaiya ke pairon ki malish nahin karni chahiye thi. Unhone puchha, kyon. Maine kaha, aakhir baad mein pareshani bhi tumhein hi uthani padti thi. Wo boli, pareshani kis baat ki, aakhir mera man bhi to karta tha. Maine kaha, mera bhi kabu mein nahin hai, ab tum hi batao ki main kya karoon. Wo boli, shadi kar le. Maine kaha, main abhi shadi nahin karna chahta. Unhone muskurate huye kaha, phir bathroom mein ja kar muth mar le. Yahan tak aate aate anjali ki halat kharab ho chuki thi aur wo uttejit ho chuki thi aur neelam ke dar ke bawjood bhi wo ab us kahani ko adhura nahi chorna chahti thi. Anjali ne dheere se uthkar bathroom tak gayi aur andar ka haal jaan ne ki koshish karne lagi, neelam ne pahlle se hi use aate dekh liya tha to usne pahle hi pani girana shuru kar diya tha jis se ki anjali ko laga ki abh bh neelam naha rahi hai. Anjali wapas bed pea a gayi aur kahani ko aage padhne lagi…………. kramashah............. 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