Tuesday, November 16, 2010

गर्मी का मज़ा

FUN-MAZA-MASTI

गर्मी का मज़ा

हेलो दोस्तों,

मैं प्रेमशीर्ष अपनी पहली कहानी लेकर हाज़िर हूँ.यह मेरा पहला सेक्स अनुभव तो नहीं है पर धीरे धीरे मैं आपको अपने सारे अनुभव के बारे में जरुर बताऊंगा. मैं जमशेदपुर शहर में रहता हूँ और मेरा कद ५ फीट १० इंच है और मेरी उम्र २४ वर्ष है.मैं आपको एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ जो कुछ दिन पहले ही हुई है.कहानी में केवल नाम ही काल्पनिक हैं और बाकि एक एक चीज़ अक्षरशः सही है.इसलिए कहानी के सारे भाग जरुर पढ़ें.

मेरे पापा के करीबी दोस्त गुप्ता अंकल को ट्रेनिंग के लिए यूरोप जाना पड़ा तो वो अपने साथ अपनी फैमिली को भी घुमाने ले गए पर उनकी १९ साल की बेटी "कोमल" अपनी स्नातक की परीक्षा के कारण नहीं जा पायी. इसलिए उसकी देखभाल के लिए उन्होंने उसे हमारे घर पर छोड़ दिया.कोमल दिखने में बहुत ही ज्यादा सुन्दर है.५ फीट ७ इंच की शानदार हाईट,दुधिया गोरा रंग,नीली आंखें,लंबे बाल,गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नरम मादक होंठ,संगमरमर जैसा बदन ...अपने नाम के अनुरूप एकदम कोमल..जो भी उसे देखता है देखता रह जाता है.उसके प्रति मेरे मन में आकर्षण तो बहुत था पर कभी उससे बहुत ज्यादा बात नहीं हो पाती थी.यह पहला मौका था जब हमारे पास साथ बिताने के लिए इतना समय था.जाने कितने सालों से कोमल रानी को अपनी कल्पनाओ के तरंगों में महसूस करके मैं अपनी काम ज्वाला हाथों से आहूत करता रहा था पर पहली बार मुझे उम्मीद जगी थी की मेरी वर्षों की इच्छा पूरी हो सकती है.

अब आपको उस हसीन पल के बारे में बताता हूँ .जब वो आई उस समय यहाँ बहुत ही ज्यादा गर्मी पड़ रही थी.घर में सिर्फ एक कमरे में एसी है, तो वो कमरा हमने उसे दिया तो उसने ये कह कर मन कर दिया की मम्मी - पापा को उस कमरे की ज्यादा जरुरत है क्यूंकि उनकी तबियत ठीक नहीं थी.वो दूसरे कमरे में सो गयी और मैं अपने कमरे में आकार सोने की कोशिश करने लगा. पर आँखों में नींद कहा थी.कोमल का नाजुक बदन..मदमस्त जवानी...सब मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे. मैं उठ कर अपने बाथरूम में चला आया और नंगा होकर नहाने लगा और अपने लंड को सांत्वना देने लगा.मैं मन की कल्पना में कोमल को चोदने लगा...और हाथों से लंड की ज्वाला शांत करने लगा....

आह कोमल..मेरी रानी..

तेरी मदमस्त जवानी...

अब चूत चूस रहा हूँ... वह तेरे कठोर स्तन..

ये गया मेरा सुपाडा तेरी चूत के अंदर...

वाह क्या मजा है...अन्दर बाहर ..और तेज.. और तेज....फच्च फच फच...

और लंड ने झूठी कल्पना पर ही अपना लावा उगल दिया.मैं टोवेल लपेट कर अपने कमरे में आया तो देखा ये क्या जाने कब से यहाँ कोमल कड़ी थी. एक बार तो मैं बुरी तरह से डर गया की कहीं इसने कुछ देखा तो नहीं क्योंकि मैंने दरवाजा ठीक से बंद नहीं किया था,पर लगा अगर देखा होगा तो ठीक ही है..

“अरे कोमल इस वक्त यहाँ?

“प्रेम, गर्मी इतनी ज्यादा है कि मुझे बिलकुल भी नींद नहीं आ रही है, प्लीज़ कुछ करो न....

मैंने कहा चलिए छत पर सोते हैं और वो मान गयी.मैंने छत पर अगल बगल दो बिस्तर लगा दिए. हम दोनों बहुत देर तक बातें करते रहे और फिर वो सोने की कोशिश करने लगी. वो अब भी परेशान थी. मैंने पूछा तो वो बहुत हिचकते हुए बोली..

“ मुझे इतने ज्यादा कपडों में सोने की आदत नहीं है..मैं अपने कमरे में बहुत कम कपड़ों में सोती हूँ”

मैंने कहा “अगर ऐसी बात तो आप जैसे चाहे सो सकती है.मुझे कोई परेशानी नहीं और इसमे शर्माने की कोई बा

मैंने उसके तरफ पीठ कर ली ताकि उसे दिक्कत न हो.पर मन उत्साह से भर गया कि अब कगता है रास्ता साफ़ होने वाला है.थोड़ी देर बाद मैंने पलट कर देखा तो वो सच में सो गयी थी.पर मेरी तो नींद उड़ा दी थी उसने. मैं प्यासा अपना लंड हिलाता रह गया.चूत का भूत ऐसा सवार था की उसे देखते देखते सुबह हो गयी.गुलाबी ब्रा और पैन्टी में वो गोरा बदन रात की चांदनी को चौगुना कर रहा था.कितनी बेदाग मखमली देह थी उसकी. खैर अब हल्की रौशनी हो गयी थी और मैं उठ कर बैठा कोमल को एक टक निहार रहा था कि तभी उसकी आंख खुली और उसने मुझे इस तरह से देखते हुए देख लिया और उठ कर बैठ गयी पर कुछ बोली नहीं.हम नीचे चले आये.

मुझे खबर नहीं थी पर मेरे लंड के उतावलेपन के सपंदन ने शायद उसके चूत की पंखुड़ियों में भी सिहरन पैदा कर दी थी. रात को हमलोग फिर सोने छत पर आये. तब उसने मुझसे पूछा

“सुबह क्यूँ देख रहे थे मुझे इस तरह से”

मैंने टालना चाहा पर वो नहीं मानी तो मैंने एक शेर मार दिया

"आपको देख कर देखता रह गया, क्या कहें कहने को अब क्या रह गया".

शेर काम कर गया.अब शायद मेरे लंड की चाहत भी उसकी चूत पर छाने लगी थी.उसने मुझे बड़े प्यार से एक रोमांटिक गाना गाने की जिद की तो मैं समझ गया की यही वक्त है गरम लोहे पर चोट करने का.मैंने उसे सुनाया

““रात कली एक ख्वाब में आई...और गले का हार हुई ..सुबह को जब हम नींद से जागे, आंख उन्ही से चार हुई.......बाँहों में ले लूं ऐसी तमन्ना एक नहीं कई बार हुई ....”

मुझे महसूस होने लगा कि मेरा गाना उस पर सही असर कर रहा है. फिर मैंने उससे गाने की जिद की तो दोस्तों पता है उसने क्या गाया?

“ज़रा ज़रा बहकता है..दहकता है आज तो मेरा तन बदन...

बस मैं समझ गया की मेरी तपस्या आज वरदान बन के बरसने वाली है...ये तो हरी झंडी है अपनी प्यास बुझाने की....

“मैं प्यासी हूँ...मुझको भर लो अपनी बाँहों में”

....और मैंने बिना देर किये उसे खींच कर सीने से लगा लिया..उसकी सांसे तेज हो गयीं..मेरी भी...

लंड ने खड़े होकर उसकी चूत का अभिवादन किया और उसकी चूत की पंखुड़ियों ने फडक कर उसे स्वीकार किया...

मैंने उसके होठ अपने मुंह में ले लिए और जोर जोर से चूसने लगा...वो साथ देने लगी. क्या नरम होठ थे..गजब का एहसास था...दोनों पर नशा छाने लगा था.मेरे हाथ उसके मम्मों पर चले गए... वो कसमसा गयी...कसे हुए ३७ के साइज के मम्मे...मैं उन्हें मसलने लगा तो वो सिस्कारियां लेने लगी...कितना मजा आ रहा था...

अब मैंने उसकी नाईटी उतार दी और ब्रा के हुक भी खोल दिए..अब उसके दोनों मम्मे आजाद थे...उस खूबसूरती पर मैं फ़िदा हो गया और उन्हें देखता रह गया...वो शरमा गयी और अपना सर उसने मेरे कंधे पर रख दिया.मैंने उसे बाँहों में कस कर भर लिया और आई लव यू कह दिया..वो मुस्कुराई और फिर से शरमा गयी . फिर उसने मेरे शर्ट के बटन खोल दिए और मेरे सीने के बालों को सहलाने लगी.मैं भी उसकी चुच्चियों से खेलने लगा और उन्हें चूसने लगा और फिर एक हाथ सरकाते हुए उसकी सलवार के अंदर उसकी चूत तक पंहुचा दिया..उसके मुह से आह निकली और उसने फिर मुझे जकड लिया...मैं उसकी बिना बाल की चूत सहलाने लगा...उसकी चूत गीली हो चुकी थी. मैंने उसकी दोनों पंखुड़ियों के बीच से एक उंगली अंदर डालनी चाही पर उंगली गयी नहीं. मैं समझ गया की कोमल की कोमल चूत अब तक कुंवारी है. मन हर्ष से भर उठा और मैंने देर न करते हुए उसका सलवार खोल दिया. उसने शरमा कर अपना चेहरा ढक लिया.वो शर्म से एकदम लाल हो गयी थी. उसकी शर्माने की अदा मुझे भा गयी...

मैंने उसकी नाभि पर एक चुम्मा दे दिया..वो बिलकुल मचल उठी..उसके हाथ मेरे बाल सहलाने लगे...और मैं उसकी नाभि की गोलाईयों को अपनी जीभ से नापने लगा.मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो चुका था और पैंट में दबे रहने के कारण उसमे दर्द होने लगा था. इसलिए मैंने अपना निकर उतार दिया और चढ्ढी में आ गया.मुझे भी शर्म आ रही थी इसलिए मैंने पहले कोमल की पैंटी उतारने का फैसला किया...और उसकी पैंटी को धीरे से नीचे सरका दिया... वाह क्या नजारा था... मध्यम सी चांदनी में उसकी चूत की गुलाबी पंखुडियां गजब की जानलेवा लग रहीं थी. मैं अपने को और नहीं रोक सकता था. मैं उसकी चूत चाटने लगा..क्या मादक स्वाद था...क्या नशा था.... उसके चूत के होठो को मुह में भर कर मैं जोर जोर से चूसने लगा और वो सिस्कारियां लेनें लगी.. उसकी चूत से कामरस की बूँदें निकल रहीं थी जो मेरी उत्तेजना को और तीव्र कर रहीं थीं.मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की दरार में डाल दी. बहुत मजा आ रहा था. वो भी अपनी कमर को मेरे चेहरे पर दबा कर समर्थन देने लगी...उससे भी अब नहीं रहा जा रहा था. उसने अपनी शर्म त्याग कर एक झटके में मेरी चढ्ढी को नीचे कर दिया और मेरे ७” लंबे और बहुत ही मोटे लंड को आज़ाद कर दिया...उसे देख कर वो चकित रह गयी...मेरा लंड शायद उसकी उम्मीद से कहीं ज्यादा विकराल था...वो बोली यह तो बहुत मोटा और बड़ा है.... शायद मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा है...मेरी चूत जिसमे एक उंगली नहीं जा सकती ये कैसे जायेगा...उसकी मासूमियत मार मुझे हंसी आई और बहुत प्यार भी आया...मैंने कहा धीरे धीरे सब सीख जाओगी मेरी जान ..

उसके हाथ अब मेरे लोहे जैसे लंड पर थे....और वो उसे सहला रही थी...उसने मेरे सुपाडे पर किस किया और फिर उसे मुह में लेकर चूसने लगी...मुझे बहुत मजा आ रहा था...इतनी उत्तेजना को रोक पाना अब संभव नहीं था..मैं झडने वाला था...६ मिनट बाद मैं उसके मुंह में ही झड गया....उसे शायद इसकी उम्मीद नहीं थी पर फिर भी बेहिचक वो सारा वीर्य पी गयी..

मैंने उसे उठाया और गले से लगा लिया...उसकी सांसे अब भी बहुत तेज चल रही थीं. मैं उसे लिटाकर उसके ऊपर आ गया और उसे किस करने लगा. फिर उसके मम्मे चूसने लगा...फिर धीरे धीरे नीचे की ओर बढते हुए नाभि से होता हुआ चूत तक पहुच गया.

....क्या गरम चूत थी..रस से भरी..थोड़ी देर चूत का स्वाद चखने के बाद मैंने धीरे अपनी एक उंगली अंदर डाल दी..उसकी चूत बहुत टाईट थी..उसे दर्द हुआ..उसने अपनी जांघे भींच लीं..ताज़ी चूत को देखकर मेरा लंड फिर से उफान मारने लगा...वो भी चुदने के लिए तड़प रही थी और अब मैं भी उसकी खूबसूरत चूत का उदघाटन करना चाहता था...पर बिना क्रीम के इतने मोटे लंड का अंदर जाना नामुमकिन था...सो मैंने उसे मेरे लंड को थूक से पूरी तरह गीला करने को कहा...वो मेरा लौडा चूसने लगी और उसने उसे अच्छी तरह गीला कर दिया...अब मैंने भी उसकी चूत चाटी और थूक से उसे गीला कर दिया...मैंने उसकी दोनों टाँगे फैलाई और उसके बीच में आ गया और उसके चूत के होठों को खोल कर अपने लंड का सुपाडा लगा दिया और दबाने लगा...अंदर जाने में परेशानी हो रही थी...पर जोश अपने चरम पर था...जी तो कर रहा था की जोर का झटका मारूं और सारा लंड गहरे तक धंसा दूं, पर सिर्फ अपने मजे के लिया अपनी जान को कैसे दुखी कर सकता था...

खैर इस बार मैंने थोडा ज्यादा जोर लगाया तो घप्प से सुपाडा अंदर चला गया.. उसे तेज दर्द हुआ और वो तडपने लगी. उसने मुझे निकालने को कहा पर मैं ऐसा नहीं कर सकता था. मैंने महसूस किया की मेरे लंड से उसकी झिल्ली कुछ हद तक या तो फट गयी थी या तन कर फटने के कगार पर थी. मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे चूमने लगा...एक हाथ से उसकी कमर को पकड़े रखा और दूसरे से उसकी चुच्ची मसलने लगा. उसे थोड़ी राहत मिली. अब वो मजे लेने लगी... मैंने मौका देख कर जोर लगाया और मेरा लंड आधे से ज्यादा अंदर चला गया.. उसकी झिल्ली फट चुकी थी... वो चिल्लाई और मुझसे बाहर निकालने की मिन्नतें करने लगी... पर ऐसे में लंड को बाहर निकालने का मतलब था सारे किये कराये पर पानी फेरना. उसकी चूत घायल रह जाती और अगले कई दिनों तक उसमे वो उंगली भी घुसाने नहीं देती...मैंने उसे प्यार से समझाया..

“जान.. थोडा सा बर्दाश्त करो... यकीं करो मेरा बस थोड़ी देर में बहुत मजा आने लगेगा ...”

वो चुप तो हो गयी पर उसके आँखों के आंसू उसका दर्द बयां कर रहे थे... मैंने अपना ध्यान उसके मम्मों पर लगाया और उन्हें जोर जोर से चूसने लगा...दूसरे हाथ से उसके दूसरे मम्मे को मसलने लगा... मैंने उसके निप्पल को दांतों से काटा तो वो मचल उठी और सी सी की आवाज़ निकालने लगी.. अब उसे मजा आने लगा था.. उसने अपनी गांड उठा कर चुदाई शुरू करने का आगाज़ किया और मैं धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगा... उसे अब बहुत मजा आ रहा था... अपनी गांड उचका उचका कर वो मेरा साथ देने लगी.

एक बार उसने नीचे से जोर लगाया और मैंने ऊपर से... और लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में समा गया...

क्या गजब का एहसास था... उस अनुभूति के सामने सारे सुख बेकार लगे...इससे बेहतर जन्नत क्या हो सकती है भला... दोनों की मस्ती चरम पर थी और अब मैंने उसे पीठ के नीचे से जकड लिया और अपने सीने से चिपका लिया..उसने भी मुझे ऊपर से पकड़ लिया और जोश में एक हाथ से मेरे बाल खींचने लगी... मैंने स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से धक्के देने लगा... वो भी सी सी की आवाज़ निकालने लगी और मेरा साथ देने लगी... हम दोनों अब मस्ती में एक दूसरे से बातें करने लगे...

“मेरी जान आज तुम्हे अपना बना कर जन्नत पा ली”

“जानू मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था की चुदाई में इतना मजा आता है”

उसके मुह से निकले चुदाई शब्द ने मेरी जुबान का ताला खोल दिया...मैं शुरू हो गया...

“अरे मेरी रानी ...मेरी जान ...अभी तुमने देखा ही क्या है.. चुदाई की कला तो ऐसी है की जितने प्रयोग करो और जितनी बार करो एक नया ही आनंद मिलाता है....”

“वाह क्या चूत है तेरी मेरी रानी...आज तो मैं तुम्हारे चूत का भोंसड़ा बना दूंगा...”

“जानू जम कर चोद मुझे..बना दे भोसड़ा मेरी कुंवारी चूत का...जोर से चोद मुझे...और जोर से... और जोर से चोद...”....जी कर रहा है खा जाऊं तेरे लौड़े को...”

“अरे जानेमन लंड खा जायेगी तो फिर चुदेगी कैसे... अभी तो तुझे बहुत चोदना है मुझे.... अभी तेरी गांड भी फाडनी है...तेरे चूत का भूत उतारना है....कहा छुपी थी रे जानेमन अब तक...ऐसी दहकती जवानी को क्यूँ छुपा रखा था...अब देख तुझे चोद चोद कर तेरे रूप को और कैसे निखारता है मेरा मोटा लंड..”

“ओह लगता है बड़ा घमंड है लंड पे तुझे...चोद मुझे कितनी देर तक चोदता है...”

“ अरे जान हर आदमी को अपने लंड पर घमंड होता है... फिर मेरा लंड तुझे भी तो इतना भा रहा है”

जोरदार चुदाई जारी थी...उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था पर अब भी वो मेरा साथ पूरे जोश के साथ दे रही थी. फच्च फच्च के साथ पूरा वातावरण गरम था...वो बोली...

“ हाँ जानू बड़ी ज़ालिम लंड है तेरा... मेरे चूत का कीमा बना दिया रे...जी करता है यूँ ही चुदती रहूँ तुझसे जिंदगी भर....पहले क्यूँ नहीं चोदा रे... और जोर से धक्का मार....ये ले मैंने भी धक्का मारा... चोद रे जान...जोर से चोद...”

अब मैं पोजिशन बदलना चाहता था... वो शायद इसे भांप गयी...मैं जैसे ही उतर कर नीचे लेटा वो मेरे ऊपर आ कर बैठ गयी और मेरा लंड पकड़ कर अपने चूत के द्वार पे लगा लिया...दोनों ने धक्के लगाये और लंड चूत में धंस गया...वो उछल उछल कर मजे लेने लगी और मुझे भी स्वर्ग का सुख देने लगी...मैंने दोनों हाथ से उसकी चुच्चियाँ पकड़ लीं और उन्हें मसलने लगा...लगभग १५ मिनट ऐसे ही चुदाई चली फिर मैंने उसे खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया औए नीचे से धक्के देने लगा और उसके होंठो को चूसने लगा...५ मिनट ऐसे ही बीते...

चूँकि मैं एक बार झड चुका था इसलिए ये दौर तो लंबा चलना ही था.मेरा रिकॉर्ड रहा है की दूसरी पारी मैंने हमेशा कम से कम ४५ मिनट की तो खेली ही है....खैर अपनी पहली चुदाई इतनी लंबी होने पर कोमल बहुत संतुष्ट दिख रही थी. पर अब चुदाई महायज्ञ में पूर्णाहुति देने का समय था... मैंने उसे घोड़ी बन जाने को कहा... और मैंने उसके चूत में पीछे से लंड का प्रवेश करा दिया. मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोर जोर से धक्के देने लगा.... वो मस्ती में बडबडाने लगी... मैने भी जोश में अपनी गति बढ़ा दी... रोम रोम काम की ज्वाला से धधकने लगा...

“ले गया लंड तेरी चूत के अंदर तक... ले अब इसे संभाल मेरी जान... अब ये ले.. और तेज ले... ये ले...”

“चोद रे मेरे राजा... और जोर से धक्के मार... फाड़ के रख दे अपनी जान की चूत को.... आह ...कितना मजा आ रहा है....गिरा दे अपना सारा माल चूत में

मेरी स्पीड से उसे अंदाज़ा हो गया था कि अब मैं झडने वाला हूँ....वो दो बार पहले ही झड चुकी थी ...और फिर मेरा लंड चूत की गहराइयों में जा गडा और वीर्य की आहूति पूर्ण हो गयी.... मैं उसके ऊपर निढाल हो गया... कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे... फिर मैं उठा और कोमल को अपनी बाँहों में भर लिया और थैंक्स कहा... उसने भी मुझसे थैंक्स कहा.

दोस्तों उस रात हमने दो बार और चुदाई का खेल खेला. अगले दिन उसकी परीक्षा थी. रात भर चुदने का उसपर उल्टा असर हुआ.उसकी परीक्षा बहुत अच्छी हुई. वो बहुत खुश थी. उस दिन रात में हमने एक अनूठा अनुभव लिया..दोस्तों हमने मानसून की पहली बारिश में भीगते हुए चुदाई का मजा लिया जिसे अपनी अगली कहानी में लिखूंगा..पर तभी जब आपलोगों का मेल मुझे मिलेगा.

आज मेरा कोमल के साथ पांचवा दिन है.. मेरा मतलब है रात है..छत पर ही हूँ... अभी उसे एक बार चोदने के बाद ही मैं ये कहानी लिखने बैठा... हालाँकि अभी वो सो रही है पर उसके चूत मेरे लंड को मौन निमंत्रण दे रहे हैं... वो एक बार फिर से उतावला है कोमल की चूत मर्दन के लिए... तो आप कीजिये मुझे मेल...मुझे करने दीजिए पेलम पेल....

जरुर बताएं मेरी कहानी कैसी लगी....और अगर कोई भी महिला मेरे साथ मजे करने चाहती हों तो निः संकोच मेल करें... आपका प्रेमशिर्ष .











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