Saturday, November 13, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ दोस्त बना साला पार्ट --3



हिंदी सेक्सी कहानियाँ
दोस्त बना साला पार्ट --3

 वह चुप रही तो मैं बोला, "बताओ ना कंचन." मेरी बात सुन वह अपने चेहरे को ऊपर की उठा मुझे देख मुस्कराते हुवे बोली, "ओह्ह भाय्या आप बड़े वैसे हैं." "मैं बड़ा कैसे हूँ?" "अच्छे." "तो फिर तुम सच बताओ सुबह से तुम ऐसी हरक़त कर रही थी या नही?" वह पलट कर भागी और अपने रूम मैं चली गयी. मैं उसके पिछे गया. वह अपने बेड पर लेटी हुई थी. मैं उसके पास गया और उसके चेहरे को अपनी ओर किया तो वह मुस्करा रही थी. "भाय्या." "आए शरमाती क्यों है पगली बता ना." "हां भाय्या आप सही कहते हैं." "तो तुम क्यों दिखा रही थी?" "आप ने आज सुबह जब मेरी चुचियों को झारू लगाते हुवे गौर से देखा था मुझे बहुत अच्छा लगा था. तभी मैने सोचा कि भाय्या मेरी चुचियों को देख रहे हैं तो क्यों ना इनको सताया जाए इसीलिए सुबह से आपको दिखा-दिखा कर सता रही थी." "ओह्ह अच्छा एक बात तो बताओं इनको दिखाने के अलावा तुम और क्या करती?" "और क्या भाय्या और कुच्छ भी ना करती." "पगली इनको दिखाने के बाद ही तो सारा काम होता है." वह शरमाते हुवे बोली, "धात्ट भाय्या आप भी." मैं इतनी जल्दी काम बनते देख खुश हो गया और एक बार फिर उसकी दोनो चुचियों को पकड़ कर कहा, "कंचन मेरी प्यारी बहन अगर तुम इनको दिखाना चाहती थी तो अब क्यों शर्मा रही हो. घर पर तो हमारे सिवा कोई है नही, अब तुम आराम से जी भरकर दिखाओ." "हटो भाय्या अब बस, इतना बहुत देख लिया." "मैं जानता हूँ तुम मुझे सता रही हो." "नही भाय्या ऐसी बात नही." "तो फिर दिखाओ ना ठीक से." मेरी बात सुन उसने कुच्छ देर सोचा फिर बोली, "ओह्ह भाय्या आप बड़े वो हैं. पर भाय्या किसी को पता ना चले." "पगली पता कैसे चलेगा." "ठीक है भाय्या." फिर वह उठकर बैठ गयी और धीरे-धीरे अपनी कसी शर्ट के सभी बटन खोल दिए. उसकी दोनो चुचियाँ अभी भी उसकी शर्ट मैं च्छूपी थी. उसने अपनी शर्ट के दोनो साइड्स को पकड़ा और मुझे देखते हुवे धीरे-धीरे अलग करने लगी. शर्ट हटी तो दोनो गोरी-गोरी टाइट चुचियों नंगी हो गयी जिसे देख मैं अपने दोस्त की बहन सपना की चुचियों को भूल गया. उसकी तो मेरी बहन की चुचियों के आगे बिल्कुल बेकार थी. एकदम टाइट और गोल थी कंचन की. मैने दोनो चुचियों पर हाथ रख सहलाया तो मेरे मुँह से निकल ही गया कि, "हाए कंचन तुम्हारी तो सपना से बहुत अच्छी हैं." उसने मेरी बात सुन मुझे देखते हुवे कहा, "भाय्या यह सपना कौन है?" मैं चौंका पर खुलकर खेलने की नियत से उसे बताया, "वह मेरा दोस्त रमेश है ना उसी की छ्होटी बहन है. तुम्हारी उमर कीही है." "ओह्ह तू मेरे भाय्या अपने दोस्त की बहन की चुचियों को देख कर आ रहे हैं." "अरे कंचन देखकर नही बल्कि खा कर आ रहा हूँ." "क्या मतलब भाय्या?" "अब तुमसे क्या च्छुपाना, कल मैने उसकी चुचियों को खूब पिया और उसकी च.." वह मेरी बात सुन झेपते हुवे बोली, "और क्या भाय्या?" "और उसकी चूत भी चटा और उसकी चुदाई भी की." मैं खुलकर बोल रहा था क्योंकि मैं जान गया था कि अब कंचन बुरा नही मानेगी. वह हैरान होते बोली, "हाए भाय्या आप यह सब करते हैं अगर रमेश को पता लग गया तो?" "तो कुच्छ नही होगा मेरी जान. वह खुद अपनी बहन को चोद्ता है." "हाए आप क्या कह रहे हैं भाय्या आपका दोस्त अपनी बहन को…." "हां और कल हम दोनो ने साथ मिलकर सपना को चोदा था." वह चुप रही तो मैने कहा, "कंचन बहुत मज़ा आता है चुदवाने मैं, आज तुम भी चुदवाकर देखो. एक बार चुद जाओगी तो रोज़ तर्पोगी." "नही भाय्या हाए मुझे यह नही करवाना." "पगली इतनी बड़ी हो गयी है. अब तो चुदने लायक हो गयी है, और कब चुडवाएगी." "भाय्या जाइए, मुझे शादी से पहले नही करवाना. बदनामी होगी तो?" "पगली बदनामी कैसे होगी, कोई जान नही पाएगा कि हम दोनो भाई बहन घर पर क्या करते हैं. हमलोग रात मैं सुहागरात मनाया करेंगे और सुबह फिर भाई बहन बन जाएँगे." वह सोचने लगी तो मैने कहा, "डरो मत मज़ा आएगा. रमेश तो रोज़ अपनी बहन को चोद्ता है. हम सब लोग साथ मैं चुदाई किया करेंगे." "नही भाय्या साथ मैं नही. केवल आप ही चोदना मुझे तो मैं चुदवा लूँगी पर कोई और नही." "अरे तो क्या हुवा मैने भी तू उसकी बहन चोदि है, बदले मैं वह तुम्हारी यानी मेरी बहन चोद लेगा तो क्या हो जाएगा." "मैं कुच्छ नही जानती. मैं आपके सिवा किसी दूसरे को छूने भी नही दूँगी." मैने सोचा कोई बात नही. कुँवारा माल मिल रहा तो क्यों छोड़ा जाए. दोस्त को कुच्छ बता दूँगा कि राज़ी नही हो रही है और मोम-डॅड से बताने की धमकी दे रही है. यह सोच मैने उससे कहा, "कोई बात नही मेरी प्यारी बहन. अच्छा है कि तुम सिर्फ़ मेरी रहोगी. साले को समझा दूँगा वरना उससे दोस्ती ख़तम. चल आजा." "अभी भाय्या?" "हां क्यों?" "भाय्या रात मैं." "अरे अभी कोई है नही एक बार कर लेते हैं." "ठीक है मेरे प्यारे भाय्या." उसके बाद मैने उसे बेड पर लिटा दिया और शर्ट को उसके हाथो से अलग कर दिया. दोनो चुचियाँ ऊपर की ओर उठी थी और बहुत टाइट थी. झुककर एक को मुँह मैं लिया और दूसरी को दबाते हुवे पीकर मज़ा लेने लगा. 5 मिनिट बाद दूसरी को मुँह मैं लेकर जो चूस्कर पीना शुरू किया तो वह मछली की तरह तड़पने लगी. वह हाए हाए कर रही थी और मैं ज़ोर-ज़ोर से मसल मसल चूस रहा था. जी भरकर अपनी बहन की कुँवारी चुचियों का रस पीने के बाद उसके स्कर्ट को अलग किया. स्कर्ट के नीचे वह चड्डी नही पहने थी. उसकी नंगी बिना बाल की चिकनी चूत चमकने लगी. इसकी चूत भी सपना की चूत से ज़्यादा प्यारी लग रही थी. खूबसूरत चूत देख रहा ना गया और झुककर चूत को चाटने लगा. चूत के फाँक को 7-8 बार चटा फिर हाथ से दोनो फाँक खोलकर गुलाबी छेद को जीभ पेलकर चाटना शुरू किया तो वह मज़े से मदहोश सी हो गयी. उसे कुच्छ भी होश ना रहा बस वह बार बार हाए हाए उई अफ भाय्या भाय्या करने लगी. मस्त हो 6-7 मिनिट चॅटा और फिर जीभ बाहर की तो निढाल होकर लेटी रही. मैं भी उसकी बगल मैं लेट गया. 2 मिनिट बाद वह नॉरमोल हुई और मुझे प्यार से देखने लगी तो मैने कहा, "कंचन अब पेल दूं?" "भाय्या पेल देना पर पहले अपना दिखाओ तो." मैं जानता था कि वह क्या दिखाने को कह रही है फिर भी बोला, "क्या दिखाउ?" "भाय्या आप भी. वही जो पेलना है." मैं हस्ते हुवे उठा और अपनी पॅंट खोलने लगा. पॅंट अलग कर अंडरवेर को नीचे किया तो मेरा सख़्त मोटा और लंबा लंड एक झटके से बाहर आ गया. वह कुच्छ देर देखती रही फिर पास आ मेरे लंड को पकड़ बोली, "ओह्ह भाय्या आपका कितना प्यारा है." फिर वह झुकी और मेरे लंड को मुँह मैं भर लिया. मैं उसके खुलेपन पर दंग हो रहा था पर चुपचाप मज़ा लेता रहा. वह बहुत ही प्यारे तरीके से लंड चाट रही थी. कुच्छ देर चॅटा फिर बेड पर लेट बोली, "आओ भाय्या डालो अपनी बहन की कुँवारी चूत मैं." मैं उसकी गुदाज़ रानो के बीच गया और झुककर 7-8 बार चूत को चाट फिर लंड को उसकी गीली चूत के च्छेद पर लगा दबाया तो लंड अंदर सरकने लगा. 5-6 बार मैं ही पूरा घुस गया. वह होन्ट कसे थी. पूरा डालने के बाद धीरे-धीरे अंदर बाहर करते हुवे चुदाई शुरू कर दी. 30-35 धक्को के बाद स्पीड तेज़ करने लगा तो वह भी तेज़ी से हाए हाए करने लगी. 7-8 मिनिट की दमदार चुदाई के बाद वह झारकर ढीली हुई. मैं भी झरने वाला था और हाए हाए करने लगा तू उसने कहा, "भाय्या बाहर निकाल कर झरना." उसकी बात सुन लंड को उसकी चूत से निकाल लिया तो उसने फ़ौरन मेरा लंड अपने मुँह मैं ले लिया और बोली, "भाय्या झारो अपना लंड मेरे मुँह मैं." अगले ही पल तेज़ शॉट के साथ मैं अपना सारा पानी उसके मुँह मैं उंड़ेलने लगा. वह बिना लंड बाहर किए सारा पानी पीती रही. झाड़ा लंड मुँह से चाटकार सॉफ करने के बाद वह निढाल होकर लेट गयी. फिर जब हमलोग नॉरमोल हुवे तो मैने उससे कहा, "कंचन एक बात तो बताओ?" "क्या भाय्या?" "यही कि तू चुदी तो पहली बार है पर जानती सबकुच्छ है." "क्या मतलब भाय्या?" "अरे यही कि तू लंड चाटना भी जानती है चुदवाना भी जानती है और तुमने तो मेरा सारा पानी भी पी लिया." "वह मुस्कराते हुवे बोली, "भाय्या आप मेरी सहेली ज़राइना को जानते हैं?" "हां." "वह अपने बड़े भाई से फँसी है और रोज़ रात को चुदवाती है. उसने मुझे सब कुच्छ बताया और सिखाया है. भाय्या पिच्छले संडे मैं उसके घर गयी थी तो उसने मुझे अपने रूम मैं च्छूपा दिया था. फिर अपने भाई से चुदवाया था तो मैने दोनो को ऐसे ही चुदाई करते देखा था. वह भी अपने भाई के लंड को खूब चूसती है, अपनी चूत खूब चत्वती है और अपने मुँह मैं ही झारती है." "साली तू बहुत ग्रेट निकली. मैं तो समझ रहा था कि तू कुच्छ जानती ही नही है." "ओह्ह भाय्या जब से अपनी सहेली को उसके भाई से चुदवाते देखा है तभी से मैं आपसे चुदवाना चाहती थी. तभी तो आज सुबह से आपको अपनी चुचियों को दिखाकर ललचा रही थी. भगवान का शूकर है कि उसने मेरी सुन ली और आपने…" "आए अब तो हमलोग भी खूब मज़ा लिया करेंगे." "हां भाय्या आप बहुत अच्छे हैं पर भाय्या आपको एक काम करना होगा." "क्या?" "जैसे ज़राइना ने मुझे अपनी चुदाई दिखाई थी वैसे ही मुझे भी उसे अपनी चुदाई दिखानी होगी." "तो क्या तुम उसे भी अपने कमरे मैं छुपओगि?" "नही भाय्या वह च्छुपेगी क्यों वह तो साथ रहेगी और खुलकर देखेगी. वह उस चेर पर बैठकर देखेगी. और भाय्या अगर आप चाहे तो उसे आप चोद भी सकते है पर इसके लिए मुझे भी उसके भाई से चुदवाना पड़ेगा." मैं उसकी बात सुन बोला, "तू रमेश से चुदवाने को मना कर रही है पर ज़राइना के भाई से चुदवाने को तैय्यार है. ऐसा क्यों?" "भाय्या मुझे आपका दोस्त रमेश ज़रा भी पसंद नही." "ठीक है तो कब लाओगी अपनी सहेली को?" "जल्दी ही." फिर हमलोग नहाने के लिए बाथरूम मैं घुस गये. समाप्त Wah chup rahi tu main bola, "Batao na Kanchan." Meri baat sun wah apne chehre ko oopar ki utha mujhe dekh muskarate huwe boli, "Ohh Bhaiyya aap bare waise hain." "Main bara kaise hoon?" "Achhe." "Tu fir tum sach batao subah se tum aisi harqat kar rahi thi ya nahi?" Wah palat kar bhagi aur apne room main chali gayi. Main uske pichhe gaya. Wah apne bed par leti huyi thi. Main uske paas gaya aur uske chehre ko apni oor kiya tu wah muskara rahi thi. "Bhaiyya." "Ae sharmati kyon hai pagli bata na." "Haan Bhaiyya aap sahi kahte hain." "Tu tum kyon dikha rahi thi?" "Aap ne aaj subah jab meri chuchiyon ko jharoo lagate huwe gaur se dekha tha mujhe bahut achha laga tha. Tabhi maine socha ki Bhaiyya meri chuchiyon ko dekh rahe hain tu kyon na inko sataya jaye isiliye subah se aapko dikha-dikha kar sata rahi thi." "Ohh achha ek baat tu bataon inko dikhane ke alawa tum aur kya karti?" "Aur kya Bhaiyya aur kuchh bhi na karti." "Pagli inko dikhane ke baad hi tu saara kaam hota hai." Wah sharmate huwe boli, "Dhatt Bhaiyya aap bhi." Main itni jaldi kaam bante dekh khush ho gaya aur ek baar fir uski dono chuchiyon ko pakar kaha, "Kanchan meri pyaari bahan agar tum inko dikhana chaahti thi tu ab kyon Sharma rahi ho. Ghar par tu hamare siwa koi hai nahi, ab tum araam se ji bharkar dikhao." "Hato Bhaiyya ab bas, itna bahut dekh liya." "Main jaanta hoon tum mujhe sata rahi ho." "Nahi Bhaiyya aisi baat nahi." "Tu fir dikhao na theek se." Meri baat sun usne kuchh der socha fir boli, "Ohh Bhaiyya aap bare wo hain. Par Bhaiyya kisi ko pata na chale." "Pagli pata kaise chalega." "Theek hai Bhaiyya." Fir wah uthkar baith gayi aur dhire-dhire apni kasi shirt ke sabhi button khol diye. Uski dono chuchiyan abhi bhi uski shirt main chhupi thi. Usne apni shirt ke dono sides ko pakra aur mujhe dekhte huwe dhire-dhire alag karne lagi. Shirt hati tu dono gori-gori tight chuchiyon nangi ho gayi jise dekh main apne dost ki bahan Sapna ki chuchiyon ko bhool gaya. Uski tu meri bahan ki chuchiyon ke aage bilkul bekaar thi. Ekdam tight aur gol thi Kanchan ki. Maine dono chuchiyon par haath rakh sahlaya tu mere munh se nikal hi gaya ki, "Haye Kanchan tumhari tu Sapna se bahut achhi hain." Usne meri baat sun mujhe dekhte huwe kaha, "Bhaiyya yah Sapna kaun hai?" Main chaunka par khulkar khelne ki niyat se use bataya, "Wah mera dost Ramesh hai na usi ki chhoti bahan hai. Tumhari umar hi ki hai." "Ohh tu mere Bhaiyya apne dost ki bahan ki chuchiyon ko dekh kar aa rahe hain." "Are Kanchan dekhkar nahi balki kha kar aa raha hoon." "Kya matlab Bhaiyya?" "Ab tumse kya chhupana, kal maine uski chuchiyon ko khoob piya aur uski ch.." Wah meri baat sun jhenpte huwe boli, "Aur kya Bhaiyya?" "Aur uski choot bhi chata aur uski chudai bhi ki." Main khulkar bol raha tha kyonki main jaan gaya tha ki ab Kanchan bura nahi manegi. Wah hairan hote boli, "Haye Bhaiyya aap yah sab karte hain agar Ramesh ko pata lag gaya tu?" "Tu kuchh nahi hoga meri jaan. Wah khud apni bahan ko chodta hai." "Haye aap kya kah rahe hain Bhaiyya aapka dost apni bahan ko…." "Haan aur kal ham dono ne saath milkar Sapna ko choda tha." Wah chup rahi tu maine kaha, "Kanchan bahut maza aata hai chudwane main, aaj tum bhi chudwakar dekho. Ek baar chud jaogi tu roz tarpogi." "Nahi Bhaiyya haye mujhe yah nahi karwana." "Pagli itni bari ho gayi hai. Ab tu chudne layak ho gayi hai, aur kab chudwayegi." "Bhaiyya jaiye, mujhe shadi se pahle nahi karwana. Badnami hogi tu?" "Pagli badnami kaise hogi, koi jaan nahi payega ki ham dono bhai bahan ghar par kya karte hain. Hamlog raat main suhagrat manaya karenge aur subah fir bhai bahan ban jayenge." Wah sochne lagi tu maine kaha, "Daro mat maza ayega. Ramesh tu roz apni bahan ko chodta hai. Ham sab log saath main chudayi kiya karenge." "Nahi Bhaiyya saath main nahi. Kewal aap hi chodiye mujhe tu main chudwa lungi par koi aur nahi." "Are tu kya huwa maine bhi tu uski bahan chodi hai, badle main wah tumhari yani meri bahan chod lega tu kya ho jayega." "Main kuchh nahi jaanti. Main aapke siwa kisi doosre ko chhone bhi nahi dungi." Maine socha koi baat nahi. Kunwara maal mil raha tu kyon chhora jaaye. Dost ko kuchh bata dunga ki razi nahi ho rahi hai aur mom-dad se batane ki dhamki de rahi hai. Yah soch maine usse kaha, "Koi baat nahi meri pyaari bahan. Achha hai ki tum sirf meri rahogi. Saale ko samjha dunga warna usse dosti khatam. Chal aaja." "Abhi Bhaiyya?" "Haan kyon?" "Bhaiyya raat main." "Are abhi koi hai nahi ek baar kar lete hain." "Theek hai mere pyare Bhaiyya." Uske baad maine use bed par lita diya aur shirt ko uske haatho se alag kar diya. Dono chuchiyan oopar ki oor uthi thi aur bahut tight thi. Jhukkar ek ko munh main liya aur doosri ko dabate huwe pikar maza lene laga. 5 minute baad doosri ko munh main lekar jo chooskar pina shuru kiya tu wah machhli ki tarah tarapne lagi. Wah haye haye kar rahi thi aur main zor-zor se masal masal choos raha tha. Ji bharkar apni bahan ki kunwari chuchiyon ka ras pine ke baad uske skirt ko alag kiya. Skirt ke niche wah chaddi nahi pahne thi. Uski nangi bina baal ki chikni choot chamkane lagi. Iski choot bhi Sapna ki choot se zyada pyari lag rahi thi. Khoobsurat choot dekh raha na gaya aur jhukkar choot ko chaatne laga. Choot ke phaank ko 7-8 baar chata fir haath se dono phaank kholkar gulabi chhed ko jeebh pelkar chaatna shuru kiya tu wah maze se madhosh si ho gayi. Use kuchh bhi hosh na raha bas wah baar baar haye haye uii uff Bhaiyya Bhaiyya karne lagi. Mast ho 6-7 minute chaata aur fir jeebh bahar ki tu nidhal hokar leti rahi. Main bhi uski bagal main let gaya. 2 minute baad wah normol huyi aur mujhe pyaar se dekhne lagi tu main kaha, "Kanchan ab pel doon?" "Bhaiyya pel dena par pahle apna dikhao tu." Main jaanta tha ki wah kya dikhane ko kah rahi hai fir bhi bola, "Kya dikhaun?" "Bhaiyya aap bhi. Wahi jo pelna hai." Main haste huwe utha aur apni pant kholne laga. Pant alag kar underwear ko niche kiya tu mera sakht mota aur lamba lund ek jhatke se bahar aa gaya. Wah kuchh der dekhti rahi fir paas aa mere lund ko pakar boli, "Ohh Bhaiyya aapka kitna pyaara hai." Fir wah jhuki aur mere lund ko munh main bhar liya. Main uske khulepan par dang ho raha tha par chupchaap maza leta raha. Wah bahut hi pyaare tareeke se lund chaat rahi thi. Kuchh der chaata fir bed par let boli, "Aao Bhaiyya dalo apni bahan ki kunwari choot main." Main uski gudaz raano ke beech gaya aur jhukkar 7-8 baar choot ko chata fir lund ko uski gili choot ke chhed par laga dabaya tu lund andar sarakne laga. 5-6 baar main hi poora ghus gaya. Wah hont kase thi. Poora daalne ke baad dhire-dhire andar bahar karte huwe chudai shuru kar di. 30-35 dhakko ke baad speed tez karne laga tu wah bhi tezi se haye haye karne lagi. 7-8 minute ki damdaar chudai ke baad wah jharkar dhili huyi. Main bhi jharne wala tha aur haye haye karne laga tu usne kaha, "Bhaiyya bahar nikal kar jharna." Uski baat sun lund ko uski choot se nikaal liya tu usne fauran mera lund apne munh main le liya aur boli, "Bhaiyya jharo apna lund mere munh main." Agle hi pal tez shot ke saath main apna sara pani uske munh main undelne laga. Wah bina lund bahar kiye sara pani piti rahi. Jhara lund munh se chaatkar saaf karne ke baad wah nidhal hokar let gayi. Fir jab hamlog normol huwe tu maine usse kaha, "Kanchan ek baat tu batao?" "Kya Bhaiyya?" "Yahi ki tu chudi tu pahli baar hai par jaanti sabkuchh hai." "Kya matlab Bhaiyya?" "Are yahi ki tu lund chaatna bhi jaanti hai chudwana bhi jaanti hai aur tumne tu mera sara pani bhi pi liya." "Wah muskarate huwe boli, "Bhaiyya aap meri saheli Zarina ko jaante hain?" "Haan." "Wah apne bare bhai se fansi hai aur roz raat ko chudwati hai. Usne mujhe sab kuchh bataya aur sikhaya hai. Bhaiyya pichhle sundey main uske ghar gayi thi tu usne mujhe apne room main chhupa diya tha. Fir apne bhai se chudwaya tha tu main dono ko aise hi chudai karte dekha tha. Wah bhi apne bhai ke lund ko khoob choosti hai, apni choot khoob chatwati hai aur apne munh main hi jhaarti hai." "Sali tu bahut great nikli. Main tu samajh raha tha ki tu kuchh jaanti hi nahi hai." "Ohh Bhaiyya jab se apni saheli ko uske bhai se chudwate dekha hai tabhi se main aapse chudwana chaahti thi. Tabhi tu aaj subah se aapko apni chuchiyon ko dikhakar lalcha rahi thi. Bhagwan ka shukar hai ki usne meri sun li aur aapne…" "Ae ab tu hamlog bhi khoob maza liya karenge." "Haan Bhaiyya aap bahuit achhe hain par Bhaiyya aapko ek kaam karna hoga." "Kya?" "Jaise Zarina ne mujhe apni chudai dikhayi thi waise hi mujhe bhi useapni chudai dikhani hogi." "Tu kya tum use bhi apne kamre main chhupaogi?" "Nahi Bhaiyya wah chhupegi kyon wah tu saath rahegi aur khulkar dekhegi. Wah us chair par baithkar dekhegi. Aur Bhaiyya agar aap chahe tu use aap chhod bhi sakte hai par iske liye mujhe bhi uske bhai se chudwana parega." Main uski baat sun bola, "Tu Ramesh se chudwane ko mana kar rahi hai par Zarina ke bhai se chudne ko taiyyar hai. Aisa kyon?" "Bhaiyya mujhe aapka dost Ramesh zara bhi pasand nahi." "Theek hai tu kab laogi apni saheli ko?" "Jaldi hi." Fir hamlog nahane ke liye bathroom main ghus gaye. 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