हिंदी सेक्सी कहानियाँ
सेक्स का क्लीनिक पार्ट--1
अनिल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना खुद का क्लिनिक खोलने का फ़ैसला किया. पेरेंट्स के पास पैसे की कोई कमी नही थी, और वो उनका एकलौता लड़का था. बचपन से ही उसे ब्लू फिल्म्स देखने की आदत सी हो गयी थी और वो फिल्मों को देख के मूठ मार के काम चला रहा था. इसका मतलब ये नही था की वो पढ़ाई में कमजोर था. खैर क्लिनिक खोलने से पहले उसने एक रेसेपटिनिस्ट को ढूँढा. उसका नाम नीलम था, एक दम जवान मस्त लौंडिया थी जिसे देखके बूढ़ों का भी पानी निकल जाए. नीलम के बूब्स का साइज़ 38 था जो उसके कपड़ों कॉप हद के बाहर आने के लिए बेचैन से दिखते थे. अनिल ने उसको देखते ही नौकरी पे रख लिया की अगर मौका मिल जाएगा तो उसे छोड़ भी लेगा. अभी तक अनिल ने अपने जीवन में कभी चुदाई नही कीट ही , केवल मूठ मार के ही काम चला रहा था. उसने नीलम को स्कर्ट और टॉप पहन के आने के कह दिया था. नीलम उसका मतलब समझ गयी थी की वो क्या सोचता है. अब अनिल का क्लिनिक शुरू हो गया था. यूँ तो शुरुवत मे मरीज कम ही आते थे तो वो अक्सर नीलम के पास ही आजाता था और उस से बात करने के बहाने उसके बूब्स को देखता रहता. नीलम अपने चुचियों क्को छुपाने की कोशिश करती थी पर उसका टॉप उन बड़े बड़े आमों को कैसे सम्हलता. अब अनिल ने धीरे धीरे नीलम को गिफ्ट देके बहलाने की कोशिश करने लगा. अनिल ने नीलम की तारीफ करनी भी शुरू कर दी थी , लड़कियों की तो आदत ही होती है की अपनी तारीफ सुनी नही की फ्लर्ट स्टार्ट. अब वो भी अनिल को लाइन देने लगी और जब उसका मान होता तो वो उसके कॅबिन मे भी चली जाती. अब दोनो खुल के बातें करते थे. अनिल- नीलम तुम्हारे ब्रा का साइज़ क्या है? नीलम- ब्रा का या…….? अनिल – हन वही, तुम्हारी चुचियों का नीलम- 38, क्यों? अनिल- तभी तो लगता है की कपड़ों कॉप हद के बाहर आ जाएगा नीलम – तो इसमे मैं क्या करूँ अनिल- क्या मैं इन्हे चू सकता हून नीलम- आज मुझे अभी जाना है कुछ ज़रूरी काम है फजीर कभी उसके जाने के बाद अनिल मार्केट जाके 38 साइज़ की ब्रा और पनटी खरीद के घर चला गया और नीलम का नाम लेके मुति मार के सो गया, अब उसे कल का बेसब्री से इंतेजर था. खैर अगले दिन वो क्लिनिक पहुँचा. नीलम भी आ गयी थी , आज नीलम को देखते ही लंड महाराज ने पंत में ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. बड़ी मुश्किल से अनिल ने लंड महाराज को समझीा. वो अपने कॅबिन मे चला गया. अगले एक घंटे मे दो मरीज आए , और वो उन्हे देखके खाली हो गया. अब बाहर लंच का बोर्ड लगाके नीलम भी अंदर आ गयी. अनिल ने एक गिफ्ट पॅकेट निकल के उसे दिया और उसे खोलने को कहा. नीलम ने देखा की उसमे पिंक कलर के ब्रा उर पनटी थे. ये मेरे किए है सिर, नालाम ने पूछा. और नही तो क्या मैं पहनूंगा, अनिल ने जवाब दिया 'ठीक है मैं घर जाके पहनूँगी' नीलम ने कहा "नही मैं भी तो देखूं की कैसी है" अनिल ने कहा "पर मैं यहाँ आप के सामने नही बदल सकती"नीलम ने कहा "क्यों" अनिल ने पूछा "मुझे शर्म आएगी" "मैं कुछ नही जनता, मुझे देखना है वरना मुझे और बहुत सी लड़कियाँ मिल जाएँगी इस जॉब के लिए" अनिल की ये धमकी काम कर गयी, नीलम इतना अच्छा जॉब नही चोरना चाहती थी क्योंकि अनिल ने उसकी सॅलरी कुछ ज़्यादा ही रखी थी. "ठीक है सिर, पर आप अपनी आँखें बंद रखेंगे" "ठीक है" नीलम जानती थी की अनिल मान ने वाला नही है वो ज़रूर देखेगा. उसने पहले अपने टॉप को उतरा, अफ क्या नज़ारा था लगता था की जैसे उसके माममे ब्रा को फाड़ देंगे और बाहर निकल आएँगे. अब उसने अपने स्कर्ट को भी निकल दिया. अब वो केवल ब्रा पनटी मे थी. अब उसे तोड़ा धर्म भी आ रहा था. अब उसने अपनी पीठ अनिल की तरफ कर लिया जिस से की उसकी चुचियाँ अनिल को दिखाई ना दे फिर नीलम ने अपने ब्रा के हुक को खोल दिया और अपने दोनो कबूतरों को आज़ाद कर दिया. अब उसने पिंक ब्रा को उठाया और उसे पहन ने लगी. उसके कबूतर फिर से क़ैद मे आ गये थे. अब उसने अपने को टेबल की आगे कर लिया जिस से की अनिल उसके शरीर के निचले हिस्से को ना देख सके. वो सामने चेर पे बैठ गयी और झुक के अपनी पनटी निकल लिया. क्या मस्त छूट थी लौंडिया की, बिल्कुल वर्जिन और कोरी. अब उसने पिंक पनटी को पहन लिया और चेर पे सीधे होके बैठ गयी. अनिल कनखियों से सब देख रहा था पर उसने अंजन बनके पूछा की क्या हुआ. नीलम ने कहा की उसने नये वेल ब्रा और पनटी को पहन लिया है और अब अनिल अपनी आँखें खोल सकता है. अनिल ने अपनी आँखें खोली तो सामने कयामत देखके आश्चर्या चकित हो गया, उसने आज तक इतना सेक्सी फिगर ब्फ मे भी नही देखा था, उसका मान हुआ की उसके सामने ही मूठ मार ले. अनिल आयेज बढ़ के उसके सामने खड़ा हो गया और उसके पुर बदन को गौर से देखने लगा, नीलम को ये सब देखके शर्म आ रही थी. उसने अपने दोनो हाथों से अपने कबूतरों को छुपा लिया तो जैसे अनिल को होश आया और उसने उसके हाथों को पकड़ के नीचे कर दिया और उसके दोनो कबूतरों को पकड़ लिया. नीलम को झटका सा लगा क्योंकि किसी ने पहली बार उसकी चूचियों को पकड़ा था. अभी तक उसने इन सब के बारे मे केवल दूसरी लड़कियों से सुना था. अनिल ने दोनो को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया . नीलम को मस्ती चाड़ने लगी और उसकी आँखे बंद हो गयी तीन. अब अनिल ने अपने हाथ को नीलम के पीठ के पीछे ले जाके उसके ब्रा के हुक को खोल दिया और उसके ब्रा को निकल दिया. अब उसके दोनो कबूतर फिर से आज़ाद हो गये थे और जैसे की अनिल को सलामी दे रहे हों. अनिल ने एक चुचि को मुँह मे ले लिया और उसे चूसने लगा, और साथ मे दूडरे वेल को हाथ से दबाने लगा. अब तो नीलम जैसे ंसती की दुनिया मे पहुँच गयी ती, बिल्कुल ही नया अनुभव था उसके लिए. अनिल का लंड पंत मे एकद्ूम खंभे की तरह हो गया था जैसे की पंत फाड़ के बाहर आ जाएगा. उधर नीलम की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी . अनिल ने अचानक अपने हन्ठों को नीलम के होंठो पे रख दिया और उन्हे चूसने लगा, पहले तो नीलम ने अपने होंठो को हटाने की कोशिश की पर उत्तेजना की वजह से उसे अच्छा लगने लगा और उसने भी अनिल के होंठोंको चूसना शुरू कर दिया. अब तो दोनो बुरी तरह से एक दूसरे को चूस रहे थे. अनिल ने फिर से उसके चुचियों पे धावा बोल दिया, करता भी क्यों नही अभी तक तो केवल थियरी पढ़ा था और आज प्रॅक्टिकल करने का मौका जो मिल गया था. उसने अपने शर्ट को निकल दिया और अपने पंत को भी निकल दिया , अब वो सिर्फ़ अंडरवेर मे था, अनिल ने अपने हाथों को नीलम की पनटी पे ले गया और उसे सहलाने लगा, नीलम की बेचैनी बढ़ने लगी और वो सिसकने लगी. अनिल ने झुक कर उशजे झांतो से भारी छूट को पनटी के उपर से ही चूम लिया. अनिल ने उसके पनटी को निकल ने के लिया जैसे ही नीचे खींचा तो नीलम ने पनटी को पकड़ लिया की नही. पर अनिल आज कहाँ रुकने वाला था, उसने ज़बरदस्ती पनटी को नीचे कर दिया. आन नीलम पूरी तरह से नंगी हो गयी थी, पर उत्तेजना मे उसे कुछ पता ही नही चला. अब तो उसके सामने किताबों मे लिखी हुई बातें दिखाई देने लगी, जो कितबे उसकी सहेलियाँ लेक देती थी.अनिल ने अपने अंडरवेर को भी निकल दिया और खुद भी नंगा हो गया. अब दोनो नंगे थे. अब अनिल ने नीलम का हाथ पकड़ के अपने लंड महाराज को पकड़ाया तो नीलम सिहर उठी, बहुत ही भयानक लग रहे थे लंड महाराज गुस्से मे . उसने अपना हाथ हटाना चाहा पर अनिल ने हटाने ना दिया. अनिल ने उसके हाथ को पकड़े हुए ही खुद आयेज पीछे होने लगा जैसे की छूट छोड़ रहा हो. थोड़ी ही देर मे नीलम भी मस्ती मे आ गयी और अपने हाथ को लंड के उपर हिलने लगी. अब तो जैसे अनिल जन्नत मे पहुँच गया था. उसने अपना हाथ बढ़के छूट को सहलाना शुरू कर दिया, जिस से नीलम और भी मस्ती मे आ गयी थी. अब अनिल ने नीलम को मरीज को चेक करने वेल बेड पे लिटा दिया और उसके उपर उल्टा लेट गया जिस से की उसका मुँह छूट की तरफ हो गया और लंड नीलम के मुँह के तरफ. अब उसने अपने लंड को नीलम के मुँह मे डालने की कोशिश करी तो नीलम ने माना कर दिया तो अनिल ने हाथ से ही सहलाने को कहा तो नीलम ने हाथ से ही सहलाना शुरू कर दिया. उधर अनिल ने अपने होंठों को नीलम के छूट के होंठो से लगा दिया तो नीलम की सिसकारी छूट गयी. अनिल ने अपने जीभ से चाटना शुरू कर दिया , नीलम के मुँह से आवाज़ निकलनी शुरू हो गयी. नीलम को अपने बदन मे सनसनी सी होने लगी. वो अनिल का लंड और तेज़ी से हिलने लगी , उधर अनिल ने भी अपने जीभ की स्पीड बढ़ा दी. नीलम का शरीर ऐंठने लगा और उसके छूट ने रस चोर दिया, अनिल ने प्यार से उसे छत लिया. उसने वापस नीलम की चुचियों पे धावा बोल दिया और उन्हे चूसने लगा. नीलम अब शांत सी हो गयी थी. पर अनिल का अभी झारा नही था , इसीलिए वो अभी भी पूरे जोश मे था. उसने नीलम से उसका हाथ तेज़ी से चलाने के लिए कहा, जिस पर नीलम ने अपना स्पीड बढ़ा दिया, अब अनिल को भी मंज़िल करीब ही दिखाई देने लगा. थोड़ी ही देर ने उसका वीर्या नीलम के हाथों पे ही गिर गया. आज अनिल को जैसे का आनंद मिल रहा था, इतना आनंद तो उसे आज तक नही मिला था. दोनो अब शांत हो गये थे और एक दूसरे को चूम रहे थे. अनिल अब उसे छोड़ने के बारे मे सोच रहा था. उसने नीलम के छूट को सहलाना शुरू कर दिया ताकि वो नीलम को और भी गर्म कर सके. पर नीलम चुदाई के लिए तैयार नही थी. वो उठकर अपने कपड़ों को उठा लिया , ये देख के अनिल बोला की क्या हुआ तो उसने कहा की कुछ नही अब तो दोनो का काम हो ही गया है. पर अनिल आज ये मौका कहाँ चॉर्ने वाला था, उसने आयेज बढ़कर नीलम के हाथों से कपड़ों को चीन लिया. आज वो उसका बलात्कार भी करने के लिए तैयार था बाद मे भले ही कुछ भी हो जाए. नीलम को कुछ समझ मे नही आ रहा था की वो क्या करे, तब अनिल ने फिर से उसके चुचियों को मसलना शुरू कर दिया. पर अब नीलम को अच्छा नही लग रहा थॉ ओ तो अब बाहर जाना चाहती थी. पर अनिल उसके कपड़े देने को तैयार ही नही था, नीलम अब वहाँ रुकने के लिए मजबूर थी. उधर अनिल नीलम के शरीर से खेलने मे लगा हुआ था की अचानक अनिल के मोबाइल की घंटी बाज उठी. अनिल ने कॉल रिसीव की तो पता चला की कोई मरीज बाहर वेट कर रहा था और लंच की वजह से डिस्टर्ब नही कर रहा था. अनिल ने उसे वेट करने को कहा और कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और उस मरीज के पुर खंडन की मया बहन कर डाली की साला कुछ देर के बाद नही आ सकता था. जल्दी से दोनो ने अपने अपने कपड़े पहने और अपनी अपनी जगह आके बैठा गये. नीलम ने अपना लंच बॉक्स लेके बाहर आई थी ताकि किसी को शक ना हो. उसने मान ही मान उस मरीज को धन्यवाद दिया. दिन भर इक्का दुक्का मरीज आते रहे और क्लिनिक के बंद होने का समय हो गया और दोनो अपने घर चले गये . अनिल का तो बुरा हाल था खड़े लंड पे धोका जो हो गया था. उसके आँखों के सामने नीलम के कबूतर घूम रहे थे. उसको बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया तो उसको सोचते हुए मूठ मारने लगा और कुछ ही देर मा उसका काम हो गया. उधर नीलम भी दिन के बारे मे ही सोच रही थी, अनिल का उसके माममे दबाना उसे अच्छा लगा था, उसको सोच के उसके हाथ अपने आप माममे पे चले गये और वो उन्हे अपने ही हाथो से मसालने लगी, पर उसे दिन वाला मज़ा नही मिल रहा था. अब उसे अपने छूट का ध्यान आया की कैसे अनिल उसे छत रहा था, क्या उसे घिन नही आ रही थी. वो अपने छूट को सहलाने लगी लेकिन कुछ ही देर मे वो समझ गयी की अपने हाथों से वो मज़ा नही मिल सकता . उसे अपने छूट मे हुलचूल सी मचती हुई लगी. उसने एक उंगली अपने छूट के अंदर डालने की कोशिश की तो उसे दर्द सा महसूस होने लगा. खैर उसने अपने छूट को उपर से ही सहलाना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर मे वो झाड़ गयी और शांत हो गयी. अब उसे अपने छूट का ध्यान आया और वो बातरूम मे जाके अपने झांतों को सॉफ करने लगी, जब सारे बॉल सॉफ हो गये तो अपने छूट को देखके वो खुद डांग रह गयी. छूट बिल्कुल ही पहचान मे नही आराही थी. वो अपने छूट को देखके खुद पे नाज़ करने लगी और सोचने लगी की अनिल जब देखेगा तो पागल ही हो जाएगा. उसे तो सुबह का इंतेजर था की जल्दी से सुबह हो जाए. सुबह होते ही अनिल क्लिनिक जाने के लिए तैयार हो गया और सोच लिया की आज तो लौंडिया को छोड़ना ही है किसी भी कीमत पे. आज उसने अपना लॅपटॉप भी ले लिया. वो क्लिनिक पहुँचा तो नीलम ने उसे मुस्कुरा के गुड मॉर्निंग कहा. अनिल ने भी मुस्कुरा के उसे जवाब दिया. आज नीलम ने पिंक कलर वाली ब्रा औट पनटी पहना हुआ था. आज तो जैसे दोनो को ही लंच का इंतेजर था,खैर लंच का टाइम भी आगेया और वो अपना लंच बॉक्स लेके अनिल के कॅबिन मे चली गयी. अनिल ने नीलम को देखते ही अपना लॅपटॉप निकल लिया और उसे ओं करके टेबल पे रख दिया और नीलम को अपने बगल मे बैठने का इशारा किया तो वो उसके बगल मे जाके बैठ गयी. अनिल ने अब एक अडल्ट मोविए लगा दी जिसमे शुरू मे एक लड़का और एक लड़की एक कमरे मे जाते हैं और जाते ही दोनो एक दूसरे को चूमने लगते हैं और थोड़ी ही देर मे दोनो एकदम नंगे हो जाते हैं, अब वो लड़की झुक के लड़के का लंड अपने जीभ से चाटना शुरू कर देती है. थोड़ी देर लंड को चाटने के बाद वो लड़की लंड को अपने मुँह मे ले लेती है और उसे चूसना शुरू कर देती है. ये सब देख के नीलम भी गर्म होने लगती है और उत्तेजना मे वो उस फिल्म को गौर से देखने लगती है की क्या सच मे लंड चूसने मे इतना मज़ा आता है. अब उसे अपने अंदर एक बेचैनी सी लगने लगती है और उसे अपने छूट मे कुछ होता सा महसूस होने लगता है. अब लड़की लंड को और तेज़ी से चूसने लगती है और वो लड़का मस्ती मे आके उसके सिर को और ज़ोर से अपने लंड पे दबाने लगता है, अब नीलम के हाथ अपने आप छूट पे पहुँच जाते हैं और वो अपने छूट को सहलाने लगती है. उधर अनिल का लंड भी पंत के अंडात तंबू बन गया था. दोनो फिल्म देखने मे मशगूल हो गये थे और पूरी तरह से फिल्म मे खो गये थे जैसे की वो सब उनके आँखों के सामने हो रहा हो. अब लड़के ने अपने लंड को लड़की के मुँह से निकल लिया था और लड़की के छूट को चाटने लगा था बिल्कुल उसी तरह जैसे कल अनिल ने उसकी छूट को चटा था. लड़की मस्ती मे आगाय थी और आवाज़ निकल रही थी. अनिल ने अपने लंड को पंत से बाहर निकल लिया था और उसे सहला ताहा था. उधर नीलम ने भी अपने छूट को सहलाना जारी रखा. थोड़ी देर छूट चाटने पे लड़की की छूट ने पानी चोर दिया तो लड़के ने लड़की को लिटा के अपने लंड को उसकी छूट मे डाल दिया और उसका लंड छूट के अंदर पूरा चला गया था. अब दोनो चुदाई मे मगन हो गये थे. अचानक अनिल ने लॅपटॉप को बंद कर दिया तो जैसे नीलम का सपना टूट सा गया , वो पूरी तरह फिल्म मे डूबी हुई थी. क्रमशः...........
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