Tuesday, November 16, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ वो कौन थी ??? पार्ट--2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

वो कौन थी ??? पार्ट--2

गतान्क से आगे...................
गीली चूत मे लंड का सूपड़ा सटा हुआ था और एक धक्का लगाया तो लंड का
सूपड़ा थोड़ा सा अंदर घुस गया. चूत बोहोत ही टाइट लग रही थी. वो मुझ से
ज़ोर से लिपटी हुई थी और टाँगें मेरी कमर से लपेटी हुई थी जिस से उसकी
चूत खुल गई थी. बाहर से आती हुई ठंडी हवा के झोके से सारा दिन काम कर के
थके हुए पॅसेंजर्स और ज़ियादा गहरी नींद सो रहे थे सिर्फ़ एक लंड और एक
चूत जाग रहे थे. ट्रेन की खिड़की जिसपे उसकी गंद टिकी हुई थी ऐसे फर्स्ट
क्लास हाइट पे थी और ऐसी मस्त पोज़िशन पे थी के लंड और चूत दोनो एक ही
लेवेल पे थे. लंड के सूपदे को चूत के सुराख मे रखे रखे मैं उसके खुले
ब्लाउस से उसकी चुचियाँ चूसने लगा जो मेरे मूह के सामने थी.

उसने एक हाथ से मेरा सर पकड़ के अपनी चुचिओ मे घुसाया हुआ था और दूसरे
हाथ से मेरे लंड को पकड़ के गीली और गरम चूत के छोटे से सुराख मे घिस रही
थी. दोनो मज़े से पागल हो रहे थे. ट्रेन के कंटिन्यू हिलने से लंड
ऑटोमॅटिकली उसकी गीली चूत मे आगे पीछे हो रहा था मगर मैं ने फिर भी थोड़ा
सा सूपड़ा बाहर निकाल के अंदर घुसा दिया तो पूरे का पूरा सूपड़ा ट्रेन के
धक्के से चूत के सुराख मे घुस गया और वो मुझ से लिपट गई. ऐसे ही धीरे
धीरे हल्के हल्के धक्को से लंड को ऑलमोस्ट आधा उसकी चूत के अंदर घुसेड
दिया. उसकी चूत बोहोत ही टाइट लग रही थी ऐसे लगता था जैसे किसीने मेरे
लंड को ज़ोर से कस के टाइट पकड़ लिया हो. लंड जैसे जैसे अंदर घुस रहा था
उसकी ग्रिप टाइट हो रही थी.
लंड को अब एक मिनिट के लिए उसकी चूत के अंदर ही छोड़ के उसके चुचिओ को
मसल्ने और चूसने लगा आअहह क्या मज़ा आ रहा था वंडरफुल चुचियाँ थी उसकी
छोटी छोटी जो के मेरे मूह मे पूरी समा गई थी. चुचिओ को चूसना शुरू किया
तो वो और मस्ती मे आ गई और चूस्ते चूस्ते लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर
करने लगा. लगता था के उसका जूस निकल गया इसी लिए उसकी चूत मे मेरा आधा
लंड ईज़िली अंदर बाहर हो रहा था. चूत का जूस लंड पे लगने से लंड चिकना और
स्लिपरी हो गया था तो मैं ने अपना लंड पूरे का पूरा बाहर निकाल के एक
ज़ोर का झटका मारा तो उसके मूह से एक ज़ोर दार चीख निकल गैइ
आआआआआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
आआआआआआआहह
सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
आआआआआआआअहह और मुझ से बोहोत ही ज़ोर से लिपट गई. उसकी चीख ट्रेन की सीटी
की आवाज़ मे डब गई और किसी ने कुछ नही सुना और कोई नींद से उठा भी नही
कियॉंके एंजिन के सीटी की आवाज़ से वो सब वाकिफ़ थे और नींद मे सिटी
सुनने के आदि हो चुके थे.
लंड को चूत की गहराईओं तक घुसेड के मे थोड़ी देर के लिए रुक गया ता के
उसकी चूत मेरे मोटे लोहे जैसे लंड के साइज़ को अड्जस्ट कर ले. उसने मुझे
ज़ोर से पकड़ा हुआ था ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी और उउउउउह्ह्ह्ह्ह
ईईएहह और आआआहह जैसी आवाज़े निकाल रही थी. फिर तकरीबन 2 – 3 मिनिट मे
उसकी साँसें ठीक हुई तो मैने धक्के मार मार के उसको चोदना शुरू कर दिया.
पहले धीरे धीरे आधा लंड गीली और टाइट चूत से निकाल निकाल के चोदने लगा वो
मुझ से लिपटी रही आअहह बोहोत मज़ा था मज़दूर की टाइट चूत मे.
अब मैं अपनी गंद पीछे कर के लंड को पूरा हेड तक बाहर निकाल निकाल के चूत
मे घुसेड के चोद रहा था. लंड उसकी चूत मे बोहोत अंदर तक घुस रहा था. मुझे
महसूस हो रहा था के मेरे जीन्स की चैन उसकी चूत को टच कर रही है तो उसको
और ज़ियादा मज़ा आ रहा था और उसके मूह से आआआहह ऊऊऊऊहह ईईएईईईईईई और ऊऊओह
जैसे सिसकारियाँ निकल रही थी जो सिर्फ़ मेरे कानो मे सुनाई दे रही थी.
उसकी दबी दबी सिसकारियों से मुझे और मज़ा आ रहा था और मैं ज़ोर ज़ोर से
लंड को पूरा सूपदे तक निकाल निकाल के चोद रहा था क्क्हाकच्छाककक
कक्खहाआककचाककक कि फुक्सिंग म्यूज़िक सिर्फ़ हम दोनो ही सुन रहे थे. मेरा
लंड तो ऐसी टाइट चूत मे घुस के पागल ही हो गया था और मैं फुल फोर्स से
चोद रहा था लंड को पूरा बाहर तक निकाल निकाल के चुदाई कर रहा था उसकी
टाइट चूत की लगता था कि मेरा मोटा लोहे जैसा तगड़ा लंड उसकी चूत को फाड़ ही डालेगा.
ट्रेन के हिलने झूलने से और मेरे झटको से और उसके बूब्स डॅन्स कर रहे थे.
मैं फिर से उनको पकड़ के मसल्ने लगा और चूसने लगा. चुदाई फुल स्पीड और
फुल पवर से चल रही थी उसकी चूत के अंदर जब लंड की मार लगती तो वो मेरे
बदन से लिपट जाती थी लंड जॅक हॅमर की तरह से अंदर बाहर हो रहा था और अब
मेरे बॉल्स मे भी हल चल मची हुई थी मेरे झटके और तेज़ हो गये. वो तो मुझ
से लिपटी हुई थी मैं ने हाथ बढ़ा के डोर की खिड़की से आइरन रोड को पकड़ा
हुआ था और उसकी ग्रिप से चूत फाड़ झटके मार रहा था जिस से वो बोहोत मज़े
ले रही थी. मुझे लगा के मेरे बॉल्स मैं मेरी क्रीम उबलने लगी है और देखते
देखते लंड की गरम गरम मलाई बॉल्स मे से ट्रॅवेल करती हुई लंड के सुराख मे
से उसकी गीली चूत मे पिचकी मारने लगी और निकलती ही चली गई और कोई 7 – 8
पिचकारियाँ निकली और उसकी चूत फुल हो गई और ओवरफ्लो होने लगी. मेरी
पिचकारी निकलते ही वो मुझ से ज़ोर से लिपट गई उसका बदन काँप रहा था और
इसी के साथ ही उसकी चूत भी झड़ने लगी.

दोनो पूरी तरह से झाड़ जाने के बाद भी वो मुझ से लिपटी ही रही और फिर
थोड़ी ही देर मे उसकी ग्रिप लूस होने लगी और उसकी गंद डोर की खिड़की से
नीचे स्लिप हो के वो फिर से फ्लोर पे बैठ गई. मैं गहरी गहरी साँसे लेता
हुआ लोहे के रोड को पकड़ के खड़ा अपनी तेज़ी से चलती साँसों को काबू कर
रहा था. 10 मिनिट मे ही ट्रेन एक और छोटे से स्टेशन पे एक या दो मिनिट के
लिए रुकी और फिर से चल पड़ी. यह स्टेशन भी पहले वाले स्टेशन की तरह से
अंधेरा ही था.
जैसे ही ट्रेन फिर से चल पड़ी वो जो नीचे बैठ चुकी थी उसके अंदर कुछ
मूव्मेंट्स हुई और वो अपने पैर मोड़ के ऐसे बैठी के मेरा जीन्स मे से
लटकता हुआ लंड उसके मूह के सामने था और उसने लपक के मेरे लटकते हुए लंड
को अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. आहह क्या गरम गरम मूह था उसका
बिकुल चूत के जैसा गरम और गीला. दोनो की मिक्स मलाई मेरे लंड पे ठंडी हवा
लगने से ड्राइ हो गई थी जो उसके मूह मे लेने से फिर से वेट होने लगी और
उसने दोनो के मिक्स मलाई का मज़ा लेना शुरू कर दिया और मेरा लंड एक बार
फिर उसके मूह मे ही अकड़ने लगा. देखते देखते ही वो फिर से लंबा, मोटा और
लोहे जैसा सख़्त हो गया और अब मैं उसके चूत जैसे गरम मूह की चुदाई कर रहा
था वो मस्ती से मेरे मोटे लंड को लॉली पोप की तरह चूस
रही थी. अपना मूह आगे पीछे कर कर के चूस रही थी तो मैं भी गंद आगे पीछे
कर के उसके मूह की चुदाई कर रहा था. मेरा लंड उसके थ्रोट तक घुस रहा था.
मेरे लिए यह एक अनोखा मज़ा था मुझे बोहोत ही मज़ा आ रहा था. मुझे समझ मे
नही आ रहा था के मैं उसके मूह को चोद रहा हू या वो मेरे लंड को चूस रही
है एक वंडरफुल फीलिंग महसूस हो रही थी. वो ट्रेन के दीवार से टेका लगा के
बैठी थी जिस से उसके मूह को चोदने का मज़ा कुछ और ही आ रहा था. और फिर
सडन्ली मुझे अपने बॉल्स मे हलचल होने लगी और मुझे लगा के अब मेरी मलाई
फिर से निकल ने को रेडी है तो एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरे लंड का
सूपड़ा उसके थ्रोट मे घुस गया और उसके मूह से आअगग्घह आागगघह ऊवगग्गघह की
आवाज़ें निकल ने लगी इस से पहले के वो मेरा लंड अपने मूह से बाहर निकलती
मेरी मलाई की पिचकारी निकल के उसके थ्रोट मे डाइरेक्ट गिरने लगी. उफ्फ
इतनी मलाई निकली कि आइ आम शुवर के उसका पेट भर गया होगा मेरी मलाई से और
उसको घर जा के खाने की ज़रूरत नही पड़ी होगी. मैं हैरान था के आख़िर यह
है कौन और यह मेरे साथ इसने क्या कर डाला. ऐसे ही चुदाई का मज़ा ले लिया
और लंड को चूस के खल्लास कर दिया.
उसको शाएद पता था के अब उसका स्टेशन आने वाला है वो मेरे सामने से उठ कर
दूसरी तरफ चली गई अंधेरे मे मुझे पता भी नही चला के वो किधर गई और कब
स्टेशन आया और वो दूसरे मज़दूरों के साथ बाहर निकल के चली गई.
तकरीबन 20 या 25 मिनिट के बाद ही ट्रेन गुंटकाल जंक्षन पोहोच गई और मैं
उतर के दूसरी ट्रेन मे बैठ के अपने शहेर की ओर चला गया. आज भी सोचता हू
तो वो उसकी मस्त चुचियाँ का टेस्ट अपने मूह मे महसूस करता हू और उसकी
टाइट चूत की ग्रिप मेरे लंड पे महसूस होती है और उसके मूह की गर्मी मैं
अभी भी लंड पे महसूस करता हू और हमेशा यह सोचता रहता हू के आख़िर वो कौन
थी ????
दोस्तो ये तो थी पहली अजनबी की चुदाई मेरे साथ फिर दूसरा हादसा हुआ उसे भी आप सुनो
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बस मैं
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साइन्स ग्रॅजुयेशन कर ने के बाद मैं ने एक लॅडीस का फॅन्सी स्टोर्स खोल
लिया था जिसका समान लाने के लिए मुझे कभी हैदराबाद तो कभी बॉम्बे तो कभी
मद्रास जाना पड़ता था. लॅडीस का फॅन्सी स्टोर होने की वजह से मेरे दुकान
पे आछे शरीफ घर की लड़कियो से ले के प्रॉस्टिट्यूट्स तक सब आते थे. जिन
से बात करते करते मुझे लॅडीस के सोचने के ढंग का पता चल गया था. मैं उनसे
बात करके उनकी तबीयत के बारे मे समझ जाता था और मुझे अछी तरह से पता चल
जाता था के लॅडीस के दिल मे क्या होता है और वो क्या चाहती हैं. कौनसी
लड़की प्राउडी है तो कौनसी लड़की अपनी तारीफ सुन के खुश होती है और किस
लड़की को अपने चुचियाँ दिखाने का शौक होता है वाघहैरा वाघहैरा यही
साइकॉलजी मेरे काम आई.

उन्न दिनो मैं हैदराबाद से मेरे शहेर को जाने वाली बस रात 10:30 बजे को
निकलती थी जो अर्ली मॉर्निंग मेरे शहेर को पहुँचती थी. मैं परचेसिंग ख़तम
हो जानेके बाद यूष्यूयली इसी बस से निकलता था ता के सुबह सुबह वापस आ
जाऊं और अपनी दुकान को अटेंड कर सकूँ.
यह घटना एक ऐसे ही सफ़र की है. मैं अपना काम ख़तम कर के रात 10:30 बजे
वाली बस मे बैठ गया लैकिन वो तकरीबन एक घंटा लेट निकली 11:30 को बस
स्टॅंड से निकली और शहेर क्रॉस करने करने तक ऑलमोस्ट रात के 12 बज गये
थे. मोस्ट्ली पॅसेंजर्स तो बस स्टॅंड पे ही टिकेट खरीद चुके थे तो
कंडक्टर सिर्फ़ रुटीन चेक कर के अपनी सीट पे बैठ गया और शहेर से बाहर बस
निकलते ही बस की लाइट्स बंद कर दी गई. बाहर तो बोहोत ही अंधेरा था. शाएद
चंद्रमा आज आसमान से नाराज़ थे इसी लिए नही पधारे थे. बाहर का मौसम बोहोत
अछा था हल्की सी ठंडी हवा चल रही थी. बस के ऑलमोस्ट सारे ग्लास विंडोस
बंद थे. किसी किसी पॅसेंजर ने थोड़ी थोड़ी विंडो खोली हुई थी तो उससी से
ठंडी हवा आ रही थी.
लग्षुरी और एक्सप्रेस बस मे जनरली एक रो मे 2 और 2 सीट्स एक एक तरफ से
होती है टोटल 4 सीट्स होती हैं और मैं जनरली बस मे विंडो सीट को प्रिफर
नही करता आइल ( विंडो वाली नही बलके पॅसेज वाली सीट ) वाली सीट को प्रिफर
करता हू ता के पैर लंबे कर के आराम से सफ़र कर सकु. मुझे ऐसे ही सीट बस
के तकरीबन पीछे वाले हिस्से मे मिल गई थी और मैं सारा दिन काम कर के थक
चुक्का था और जल्दी ही सो गया.
पता नही रात का क्या टाइम हुआ था मेरी आँख खुली तो देखा के बस किसी स्टॉप
पे रुकी है और पॅसेंजर्स बस मे चढ़ रहे हैं खिड़की से बाहर देखा तो
पता चला पॅसेंजर्स और उनके लगेज को देखा तो ऐसे लगा जैसे शाएद कोई मॅरेज
पार्टी वाले इस बस मे चढ़ रहे हैं और फिर एक ही मिनिट मे फिर से सो गया.
बस फिर से चलने लगी तो जो पॅसेंजर्स उस स्टॉप से चढ़े थे वो अपनी अपनी
जगह बना रहे थे और अपना अपना लगेज बस के अंदर ही अड्जस्ट कर रहे थे. यूँ
तो वो बस नाम की ही एक्सप्रेस थी कंडक्टर और ड्राइवर्स एक्सट्रा पैसे बना
ने के चक्कर मे बस को जहा कोई पॅसेंजर किसी भी छोटे से स्टॉप पे खड़ा
दिखाई देता उसको पिक कर लेते और बस ओवरफ्लो होने तक भरते ही रहते.
बस खचा खच भर चुकी थी. मेरे बाज़ू वाली सीट पे कोई मोटा पॅसेंजर ऑलरेडी
बैठा हुआ था जिस से मेरी सीट मुझे छोटी पड़ रही थी. उस बस स्टॅंड पे कौन
उतरा और कौन चढ़ा मुझे नही मालूम. देखा तो पता चला के मेरी सीट और दूसरी
वाली डबल सीट के बीच मे एक लोहे का ट्रंक रखा हुआ है. मैं अपना पैर उस
ट्रंक के ऊपेर रख दिया और अपनी सीट से थोड़ा और ट्रंक के तरफ हट गया ता
के जो मेरी सीट मेरे मोटे को-पॅसेंजर ने ले ली है थोड़ा सा हॅट के ठीक से
बैठ जाउ. ट्रंक बड़ा था और ऑलमोस्ट सीट की ही हाइट का था तो पैर रखने मे
आराम मिल रहा था. उस ट्रंक पे कोई दूसरी तरफ मूह कर के बैठा था. अब
पोज़िशन ऐसे थी के मैं आराम से ऑलमोस्ट हाफ ट्रंक पे और हाफ अपने छोटी सी
सीट पे था. ऐसे बैठने से पॅसेज के दूसरी तरफ का बैठा हुआ पॅसेंजर मेरे
करीब हो गया था जैसे ऑलमोस्ट साथ साथ ही बैठा हो. मैं बोहोत देर से सो
रहा था और इसी अड्जस्टमेंट मे मेरी नींद चली गई और मैं जाग गया. देखा तो
अंदाज़ा हुआ के दूसरी तरफ बैठी हुई कोई फीमेल है अब पता नही के औरत है या
लड़की खैर कोई फीमेल बाज़ू मे बैठी हो और राजशर्मा खामोशी से देखता रहे
और उसका लंड ना अकड़ जाए ऐसे तो मुमकिन नही है ना तो बस लंड मे मीठी मीठी
सरसराहट महसूस होने लगी.
मुझे अपनी दुकान के लॅडीस के साथ के साइकोलॉजिकल एक्सपीरियेन्सस याद आने
लगे और मैं सोचने लगा के अब क्या करना चाहिए. टाइम देखा तो पता चला के
रात का डेढ़ बज चुक्का है और पता नही वो लोग कितनी देर बस के इंतेज़ार मे
स्टॉप पे ठंड मे खड़े रहे होंगे और कितना थक चुके होंगे इसी लिए वो सब
लोग अपना समान बस मे अड्जस्ट कर के गहरी नींद सो रहे थे. उनके खर्रातो की
गूँज बस मे सुनाई दे रही थिया गग्ग्घहर्र्ररर ग्ग्गहररर. मैं मन ही मन
मुस्कुराने लगा के चलो अंधेरे का और नींद का लाभ प्राप्त करना ही चाहिए.
पहले तो मुझे यह देखना था के उस फीमेल का क्या मूड है और अगर मैं कुछ करू
तो उसका क्या रिक्षन होगा सोचते सोचते मुझे एक आइडिया स्ट्राइक कर गया.

मैं अपनी दाहने ओर थोड़ा और खिसक के उस महिला के करीब हो गया और अपना हाथ
उसकी सीट के पीछे लगे हुए लोहे के रोड पे रख दिया. उस के बाज़ू मे कोई
दूसरी औरत जो कुछ मोटी भी थी सो रही थी इसी लिए मेरे बाज़ू वाली फीमेल
मेरे कुछ और करीब आ गई थी. उसकी सीट के पीछे वाले आइरन पाइप पे ऐसे हाथ
रखा के मेरे फिंगर्स के टिप्स उसके नेक से टच हो रहे थे. उसने कोई विरोध
नही किया. हिम्मत जुटाई और अपनी फिंगर्स थोड़ी और नीचे स्लिप की ऐसे के
मेरी उंगलियाँ उसके नेक को अछी तरह से टच कर रही थी उसने कोई विरोध नही
किया तो थोड़ी देर तक ऐसे ही रखने के बाद कुछ और नीचे स्लिप कर के
फिंगर्स को उसके ब्लाउस के करीब बूब्स के उपर पोर्षन तक ले गया फिर भी
उसने कोई विरोध नही किया. अभी तक मैं कोई निर्णय नही ले सका था के वो सच
मे सो रही है और उसको मेरे फिंगर्स का टच महसूस ही नही हो रहा है या वो
जाग रही है और वेट कर रही है के मैं कुछ और करूँगा और मेरे फिंगर्स को
अपने बदन पे लगा हुआ महसूस कर के एंजाय कर रही है.
कुछ देर तक हाथ को ऐसे ही बस की सीट के लोहे के पीपे से गिराते हुए उसके
बूब्स के पास तक फिंगर्स ले गया और थोड़ी देर वेट किया .. उसने कोई विरोध
नही किया अब थोड़ा सा और नीचे कर के उसके बूब्स पे टच करने लगा और धीरे
धीरे उसके निपल को एक फिंगर से आगे पीछे करने लगा .. उसने फिर भी कोई
विरोध नही किया .. वाउ अब तो मैं समझ गया के उसको मज़ा आ रहा है और मैं
कुछ और भी कर सकता हू.
अब अपने हाथ को थोड़ा सा वापस ऊपेर खेच के उसके ब्लाउस के ऊपेर से अपना
हाथ ब्लाउस के अंदर स्लिप किया और वेट किया के क्या रिक्षन होता है. उसने
फिर भी कोई विरोध नही किया. हाथ को और अंदर ले गया तो वाहा ब्रस्सिएर थी
पहले ब्लाउस के अंदर ओर ब्रस्सिएर के ऊपेर से ही उसके बूब्स को पकड़ लिया
तो भी उसने कोई विरोध नही किया ऐसे ही दबा ता रहा और फिर एक मिनिट के
अंदर ही अंदर उसके ब्रस्सिएर के अंदर मेरा एक हाथ चला गया और मैं उसके
नंगी चुचिओ को अपने हाथ से दबाने लगा और मसल्ने लगा. वाउ क्या मस्त
चुचियाँ थी उसकी सख़्त. चूचियो को पकड़ के पता चला के वो कोई बड़ी औरत
नही बल्कि कोई लड़की है. टेन्निस बॉल्स के साइज़ के मस्त कड़क चुचियाँ
हाथ मे मस्त दिख रही थी मसल ने मे मज़ा आ रहा था लगता था कोई रब्बर की
मज़बूत गेंद को दबा रहा हू.
हाथ को दोनो चुचिओ के बीच मे कर के दोनो चूचियों को एक साथ मसल रहा था.
चुचिओ को हाथ लगा ते ही लंड का बुरा हाल हो गया और बोहोत ज़ोर
से अकड़ गया अपने दूसरे हाथ से पॅंट की ज़िप खोल के लंड को बाहर निकाल
दिया तो बाहर की ठंडी हवा लगते ही वो ऐसे हिल रहा था जैसे शराबी फुल नशे
मे हिलने लगता है. एक मिनिट के लिए अपना हाथ उसके ब्लाउस से निकाल के
उसकी थाइस पे रख दिया और उसके थाइस का मसाज करने लगा. बस के अंदर और बाहर
अंधेरा था किसी को कुछ नज़र नही आ रहा था. मुझे महसूस हुआ कि उसकी साँसें
तेज़ी से चल रही है और उसकी टाँगें थोड़ा और खुल गई है मुझे हिंट मिल गया
और डाइरेक्ट उसकी चूत पे हाथ रख दिया. उसके बाज़ू मे बैठी बुढ़िया गहरी
नींद सो चुकी थी. उसने अपना पैर सामने वाली सीट के कॉर्नर आप ऐसे रखा था
के थोड़ा सा पोर्षन ट्रंक पे भी आ रहा था और इस पोज़िशन मे उसके लेग्स
अच्छे ख़ासे खुल गये थे.
क्रमशः.......................

Woh Koun Thi ???  paart--2

gataank se aage...................
Geeli choot mai lund ka supada sata hua tha aur ek dhakka lagaya to
lund ka supada thoda sa ander ghus gaya. choot bohot hi tight lag rahi
thi. woh mujh se zor se lipti hui thi aur tangein mere kamar se lapeti
hui thi jis se uski choot khul gai thi. Baher se aati hui thandi hawa
ke jhoke se sara din kaam kar ke thake hue passengers aur ziada gehri
neend so rahe the sirf ek lund aur ek choot jaag rahe the. Train ki
khidki jispe uski gand tiki hui thi aise first calss height pe thi aur
aisi mast position pe thi ke Lund aur choot dono ek hi level pe the.
Lund ke supade ko choot ke surakh mai rakhe rakhe mai uske khule
blouse se uski chuchian choosne laga jo mere muh ke samne thi.

Usne ek hath se mera sar pakad ke apni chuchion mai ghusaya hua tha
aur doosre hath se mere lund ko pakad ke geeli aur garam choot ke
chote se surakh mai ghis rahi thi. Dono maze se pagal ho rahe the.
Train ke continue hilne se lund automatically uski geeli choot mai
aage peeche ho raha tha magar mai ne phir bhi thoda sa supada baher
nikal ke ander ghusa dia to poore ka poora supada train ke dhakke se
choot ke surakh mai ghus gaya aur woh mujh se lipat gai. Aise hi
dheere dheere halke halke dhakko se lund ko almost aadha uski choot ke
ander ghused dia. Uski choot bohot hi tight lag rahi thi aise lagta
tha jaise kisine mere lund ko zor se kass ke tight pakad lia ho. Lund
jaise jaise ander ghus raha tha uski grip tight ho rahi thi.
Lund ko ab ek minute ke liye uski choot ke ander hi chor ke uske
chuchion ko masalne aur choosne laga aaahhhhh kia maza aa raha tha
wonderful chuchian thi uski choti choti jo ke mere muh mai poori sama
gai thi. chuchion ko choosna shuru kia to woh aur masti mai aa gai aur
chooste chooste lund ko dheere dheere ander baher karne laga. lagta
tha ke uska juice nikal gaya isi liye uski choot mai mera aadha lund
easily ander baher ho raha tha. choot ka juice lund pe lagne se lund
chikna aur slippery ho gaya tha to mai ne apna lund poore ka poora
baher nikal ke ek zor ka jhatka mara to uske muh se ek zor daar cheekh
nikal gaii aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii
ooooooooooooffffffffffffffffff aaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhh
Ssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssss aaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhh
aur mujh se bohot hi zor se lipat gai. Uski cheekh train ki seeti ki
awaaz mai dab gai aur kisi ne kuch nahi suna aur koi neend se utha bhi
nahi kiyonke engine ke seeti ki awaz se woh sab wakif the aur neend
mai siti sunne ke aadi ho chuke the.
Lund ko choot ki gehraion tak ghused ke mai thodi der ke liye ruk gaya
taa ke uski choot mere mote lohe jaise lund ke size ko adjust kar le.
Usne mujhe zor se pakda hua tha zor zor se saans le rahi thi aur
uuuuuhhhhh eeeeehhhh aur aaaaaahhhhhhh jaisi awazain nikal rahi thi.
Phir takreeban 2 – 3 minute mai uski saansein theek hui to mai dhakke
maar maar ke usko chodna shuru kar dia. Pehle dheere dheere aadha lund
geeli aur tight choot se nikal nikal ke chodne laga woh mujh se lipti
rahi aaahhhhh bohot maza tha mazdoor ki tight choot mai.
Ab mai apni gand peeche kar ke Lund ko poora head tak baher nikal
nikal ke choot mai ghused ke chod raha tha. Lund uski choot mai bohot
ander tak ghus raha tha. Mujhe maehsoos ho raha tha ke mere jeans ki
chain uski choot ko touch kar rahi hai to usko aur ziada maza aa rha
tha aur uske muh se aaaaaahhhhhh oooooooohhhhhhhh eeeeeiiiiiii aur
ooooohhhhhhhhh jaise siskariyan nikal rahi thi jo sirf mere kano mai
sunai de rahi thi.
Uski dabi dabi siskariyon se mujhe aur maza aa raha tha aur mai zor
zor se lund ko poora supade tak nikal nikal ke chod raha tha
kkhhaacchhaakkk kkkhhaaaccchhhaakkk ki fukcing music sirf ham dono hi
sun rahe the. Mera Lund to aisi tight choot mei ghus ke pagal hi ho
gaya tha aur mai full force se chod raha tha lund ko poora baher tak
nikal nikal ke chudai kar raha tha uski
tight choot ki lagta tha ke mera mota lohe jaisa tagda lund uski choot
ko phaad hi dalega.
Train ke hilne jhulne se aur mere jhatko se aur uske boobs dance kar
rahe the. Mai phir se unko pakad ke masalne laga aur choosne laga.
Chudia full speed aur full power se chal rahi thi uski choot ke ander
jab Lund ka maar lagta to woh kere badan se lipat jati thi Lund jack
hammer ki tarah se ander baher ho raha tha aur ab mere balls mai bhi
hal chal machi hui thi mere jhatke aur tez ho gaye. Woh to mujh se
lipti hui thi mai ne hath badha ke door ki khidki se iron rod ko
pakada hua tha aur uski grip se choot phaad jhatke mar raha tha jis se
woh bohot maze le rahi thi. Mujhe laga ke mere balls mai meri cream
ubalne lagi hai aur dekhte dekhte Lund ki garam garam malai balls mei
se travel karti hui lund ke surakh mai se uski geeli choot mai pichaki
marne lagi aur nikalti hi chali gai aur koi 7 – 8 pichkarian nikli aur
uski choot full ho gai aur overflow hone lagi. Meri pichkari nikalte
hi woh mujh se zor se lipat gai uska badan kaanp raha tha aur isi ke
sath hi uski choot bhi jhadne lagi.

Dono poori tarah se jhad jane ke baad bhi woh mujh se lipti hi rahi
aur phir thodi hi der mai uski grip loose hone lagi aur uski gand door
ki khidki se neeche slip ho ke woh phir se floor pe baith gai. Mai
gehri gehri saanse leta hua lohe ke rod ko pakad ke khada apni tezi se
chalti saanson ko kaboo kar raha tha. 10 minute mai hi train ek aur
chote se station pe ek ya do minute ke liye ruki aur phir se chal
padi. Yeh station bhi pehle wale station ki tarah se andhera hi tha.
Jaise hi train phir se chal padi woh jo neeche baith chuki thi uske
ander kuch movements hui aur woh apne pair mod ke aise baithi ke mera
jeans mai se latakta hua lund uske muh ke samne tha aur usne lapak ke
mere latakte hue lund ko apne muh mai le lia aur choosne lagi. Aahhh
kia garam garam muh tha uska bikul choot ke jaisa garam aur geela.
Dono ki mix malai mere lund pe thandi hawa lagne se dry ho gai thi jo
uske muh mai lene se phir se wet hone lagi aur usne dono ke mix malai
ka maza lena shuru kar dia aur mera lund ek bar phir uske muh mai hi
akadne laga. dekhte dekhte hi woh phir se lamba, mota aur lohe jaisa
sakht ho gaya aur ab mai uske choot jaise garam muh ki chudai kar raha
tha woh masti se mere mote lund ko lolly pop ki tarah choos
rahi thi. Apna muh aage peeche kar kar ke choos rahi thi to mai bhi
gand aage peehce kar ke uske muh ki chudai kar raha tha. Mera lund
uske throat tak ghus raha tha. mere liye yeh ek anokha maza tha mujhe
bohot hi maza aa raha tha. Mujhe samajh mai nahi aa raha tha ke mai
uske muh ko chod raha hu ya woh mere lund ko choos rahi hai ek
wonderful feeling mehsoos ho rahi thi. woh train ke deewar se teka
laga ke baithi thi jis se uske muh ko chodne ka maza kuch aur hi aa
raha tha. Aur phir suddenly mujhe apne balls mai halchal hone lagi aur
mujhe laga ke ab meri malai phir se nikal ne ko ready hai to ek zor ka
dhakka mara aur mere lund ka supada uske throat mai ghus gaya aur uske
muh se aaaggghhhhh aaaaggghhhhh ooogggghhhhhh ki awazein nikal ne lagi
is se pehle ke woh mera lund apne muh se baher nikalti meri malai ki
pichkari nikal ke uske throat mai direct girne lagi. Uff itni malai
nikli ke I am sure ke uska pet bhat gaya hoga meri malai se aur usko
ghar ja ke khane ki zaroorat nahi padi hogi. Mai hairan tha ke aakhir
yah hai koun aur yeh mere sath isne kia kar dala. Aise hi chudai ka
maza le lia aur lund ko choos ke khallas kar dia.
Usko shaed pata tha ke ab uska station aane wala hai woh mere samne se
uth kar doosri taraf chali gai andhere mei mujhe pata bhi nahi chala
ke woh kidhar gai aur kab station aaya aur woh doosre mazdooron ke
sath baher nikal ke chali gai.
Takreeban 20 ya 25 minute ke bad hi train Guntakal junction pohoch gai
aur mai utar ke doosri train mai baith ke apne sheher ki or chala
gaya. Aaj bhi sochta hu to woh uski mast chuchian ka taste apne muh
mai mehsoos karta hu aur uski tight choot ki grip mere lund pe mehsoos
hoti hai aur uske muh ki garmi mai abhi bhi lund pe mehsoos karta hu
aur hamesha yeh sochta rehta hu ke aakhir WOH KOUN THI ????

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Bus Mai
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Science Graduation kar ne ke bad mai ne ek Ladies ka Fancy Stores khol
lia tha jiska samaan laane ke liye mujhe kabhi Hyderabad to kabhi
Bombay to Kabhi Madras jana padta tha. Ladies ka fancy store hone ki
wajah se mere dukan pe ache shareef ghar ki ladkion se le ke
Prostitutes tak sab aate the. Jin se baat karte karte mujhe ladies ke
sochne ke dhang ka pata chal gaya tha. Mai unse bat karke unki tabiat
ke bare mai samajh jata tha aur mujhe achi tarah se pata chal jata tha
ke ladies ke dil mai kia hota hai aur woh kia chahti hain. Kounsi
ladki proudy hai to kounsi ladki apni tareef sun ke khush hoti hai aur
kis ladki ko apne chuchian dikhane ka shouk hota hai waghaira waghaira
yehi psychology mere kaam aaii.

Unn dino mai Hyderabad se mere sheher ko jaane wali bus raat 10:30
baje ko nikalti thi jo early morning mere sheher ko phonchati thi. Mai
purchasing khatam ho janeke baad usually isi bus se nikalta tha taa ke
subah subah wapas aa jaoon aur apni dukan ko attend kar sakun.
Yeh ghatna ek aise hi safar ki hai. Mai apna kaam khatam kar ke raat
10:30 baje wali bus mai baith gaya laikin woh takreeban ek ghanta late
nikli 11:30 ko bus stand se nikli aur sheher corss karne karne tak
almost raat ke 12 baj gaye the. Mostly passengers to bus stand pe hi
ticket khareed chuke the to conductor sirf routine check kar ke apni
seat pe baith gaya aur sheher se baher bus nikalte hi bus ki lights
band kar di gai. Oh baher to bohot hi andhera tha. Shaed chandrama aaj
aasman se naraz the isi liye nahi padhare the. Baher ka mousam bohot
acha tha halki si thandi hawa chal rahi thi. Bus ke almost saare glass
windows band the. Kisi kisi passenger ne thodi thodi window kholi hui
thi to ussi se thandi hawa aa rahi thi.
Luxury aur Express Bus mai generally ek row mai 2 aur 2 seats ek ek
taraf se hoti hai total 4 seats hoti hain aur mai generally bus mai
window seat ko prefer nahi karta aisle ( window wali nahi balke
passage wali seat ) wali seat ko prefer karta hu taa ke pair lambe kar
ke araam se safar kar saku. Mujhe aise hi seat bus ke takreeban peeche
wale hisse mai mil gai thi aur mai sara din kaam kar ke thak chukka
tha aur jaldi hi so gaya.
Pata nahi raat ka kia time hua tha meri aankh khuli to dekha ke bus
kisi stop pe ruki hai aur passengers bus mai chadh rahe hain khidki se
baher dekha to
pata chala passengers aur unke luggage ko dekha to aise laga jaise
shaed koi marriage party wale iss bus mai chadh rahe hain aur phir ek
hi minute mai phir se so gaya.
Bus phir se chalne lagi to jo passengers uss stop se chadhe the woh
apni apni jagah bana rahe the aur apna apna luggage bus ke ander hi
adjust kar rahe the. Yun to wo bus naam ki hi Express thi conductor
aur drivers extra paise bana ne ke chakkar mai bus ko jaha koi
passenger kisi bhi chote se stop pe khada dikhai deta usko pick kar
lete aur bus overflow hone tak bharte hi rehte.
Bus khacha khach bhar chuki thi. Mere bazu wali seat pe koi mota
passenger already baitha hua tha jis se meri seat mujhe choti pad rahi
thi. Uss bus stand pe koun utra aur koun chadha muje nahi malum. Dekha
to pata chala ke meri seat aur doosri wali double seat ke beech mai ek
lohe ka trunk rakha hua hai. Mai apna leg us trunk ke ooper rakh dia
aur apni seat se thoda aur trunk ke taraf hat gaya taa ke jo meri seat
mere mote co-passenger ne le li hai thoda sa hatt ke theek se baith
jaun. Trunk bada tha aur almost seat ki hi height ka tha to pair
rakhne mai araam mil raha tha. Us trunk pe koi doosri taraf muh kar ke
baitha tha.  Ab position aise thi ke mai aaraam se almost half trunk
pe aur half apne choti si seat pe tha. aise baithne se passage ke
doosri taraf ka baitha hua passenger mere kareeb ho gaya tha jaise
almost sath sath hi baitha ho. Mai bohot der se so raha tha aur isi
adjustment mai meri neend chali gai aur mai jaag gaya. Dekha to
andaaza hua ke doosri taraf baithi hui koi female hai ab pata nahi ke
aurat hai ya ladki khair koi female bazu mai baithi ho aur Raj
khamoshi se dekhta rahe aur uske lund na akad jaye aise to mumkin nahi
hai na to bas lund mai meethi meethi sarsarahat mehsoos hone lagi.
Mujhe apni dukan ke ladies ke sath ke psychological experiences yad
aane lage aur mai sochne laga ke ab kia karna chahiye. Time dekha to
pata chala ke raat ka dedh baj chukka hai aur Pata nahi woh log kitni
der bus ke intezar mai stop pe thand mai khade rahe honge aur kitna
thak chuke honge isi liye woh sab log apna saman bus mai adjust kar ke
gehri neend so rahe the. Unke kharrato ki goonj bus mai sunai de rahi
thia gggghhhhhhhrrrrr ggghhhrrr. Mai man hi man muskurane laga ke
chalo andhere ka aur neend ka laabh prapt karna hi chahiye. Pehle to
mujhe yah dekhna tha ke uss female ka kia mood hai aur agar mai kuch
karu to uska kia reaction hoga sochte sochte mujhe ek idea strike kar
gaya.

Mai apni daahne or thoda aur khisak ke us mahila ke kareeb ho gaya aur
apna hath uske seat kr peeche lage hue lohe ke rod pe rakh dia. Us ke
bazu mai koi doosri aurat jo kuch moti bhi thi so rahi thi isi liye
mere bazu wali female mere kuch aur kareeb aa gai thi. Uski seat ke
peeche wale iron pipe pe aise hath rakha ke mere fingers ke tips uske
neck se touch ho rahe the. Usne Koi virodh nahi kia. Himmat jutai aur
apni fingers thodi aur neeche slip ki aise ke meri unglian uske neck
ko achi tarah se touch kar rahi thi usne koi virodh nahi kia to thodi
der tak aise hi rakhne ke baad kuch aur neeche slip kar ke fingers ko
uske blouse ke kareeb boobs ke upper portion tak le gaya phir bhi usne
koi virodh nahi kia. Abhi tak mai koi nirnay nahi le saka tha ke woh
sach mai so rahi hai aur usko mere fingers ka touch mehsoos hi nahi ho
raha hai ya woh jag rahi hai aur wait kar rahi hai ke mai kuch aur
karunga aur mere fingers ko apne badan pe laga hua mehsoos kar ke
enjoy kar rahi hai.
Kuch der tak hath ko aise hi bus ki seat ke lohe ke pipe se giraate
hue uske boobs ke pas tak fingers le gaya aur thodi der wait kia ..
usne koi virodh nahi kia ab thoda sa aur neeche kar ke uske boobs pe
touch karne laga aur dheere dheere uske nipple ko ek finger se aage
peeche karne laga .. Usne phir bhi koi virodh nahi kia .. wow ab to
mai samajh gaya ke usko maza aa raha hai aur mai kuch aur bhi kar
sakta hu.
Ab apne hath ko thoda sa wapas ooper khech ke uske blouse ke ooper se
apna hath blouse ke ander slip kia aur wait kia ke kia reaction hota
hai. usne phir bhi koi virodh nahi kia. hath ko aur ander le gaya to
waha brassier thi pehle blouse ke ander aor brassier ke ooper se hi
uske boobs ko pakad lia to bhi usne koi virodh nahi kia aise hi daba
ta raha aur phir ek minute ke ander hi ander uske brassier ke ander
mera ek hath chala gaya aur mai uske nangi chuchion ko apne hath se
dabane laga aur masalne laga. wow kis mast chuchian thi uski sakht.
Chochion ko pakad ke pata chala ke woh koi badi aurat nahi balke koi
ladki hai. tennis balls ke size ke mast kadak chuchian hath mai mast
dikh rahe the masal ne mai maza aa raha tha lagta tha koi rubber ki
mazboot gend ko daba raha hu.
Hath ko dono chuchion ke beech mai kar ke dono chochion ko ek sath
masal raha tha. chuchion ko hath laga te hi lund ka bura haal ho gaya
aur bohot zor
se akad gaya apne doosre hath se pant ki zip khol ke lund ko baher
nikal dia to baher ki thandi hawa lagte hi woh aise hil raha tha jaise
sharaabi full nashe mai hilne lagta hai.  Ek minute ke liye apna hath
uske blouse se nikal ke uski thighs pe rakh dia aur uske thighs ka
massage karne laga. Bus ke ander aur baher andhera tha kisi ko kuch
nazar nahi aa raha tha. mujhe mahsoos hua ke uski sansein tezi se chal
rahi hai aur uski tangein thoda aur khul gai hai mujhe hint mil gaya
aur direct uski choot pe hath rakh dia. Uske bazu mai baithi budhia
gehrei neend so chuki thi. usne apna pair samne wali seat ke corner ap
aise rakha tha ke thoda sa portion trunk pe bhi aa raha tha aur iss
position mai uske legs ache khase khul gaye the.
kramashah.......................

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