FUN-MAZA-MASTI
सविता भाभी--1
दोस्तों कहानी पढ़ने से पहले मेरा आप सब से परिचय करवा दूँ | मेरा नाम है शालिनी राठौर यानि लेडी रावड़ी राठौर | मेरे महोल्ले के लड़के मुझे सविता भाभी के नाम से जानते है | क्योंकि मैं एक दम मस्त मौला हूँ और अपनी मर्जी से करती हूँ सब कुछ | लड़को की हिम्मत नहीं होती मेरे आसपास भी फटकने की | उम्र है मेरी... हट लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछी जाती जी | इतना तो है की मैं बहुत सुन्दर हूँ और मेरे एरिया के लड़के तो क्या बुड्ढे भी लाइन में खड़े होकर मेरे लिए आहें भरते है | पर मैं किसी को भी घास नहीं डालती | भगवान ने मेरा शरीर भी फुरसत से बनाया है | एक दम हरा भरा | मेरी चुचियाँ की ऊंचाई देख कर तो बुड्ढो का लण्ड टपक जाता है | भरपूर गोलाई लिए ऊपर को तनी हुई चुचियाँ है मेरी | पतली सी कमर और गाण्ड की तो पूछो ही मत ना जाने कितने घायल होकर गिर पड़ते है मेरी मटकती गाण्ड देख कर | तो ऐसी हूँ मैं | अब आगे मेरी कहानी | इस कहानी को आप लोगो के बीच मेरे एक मित्र राज शर्मा लेकर आ रहे है |
तो अब कहानी शुरू होती है |
मेरी शादी को तब दो महीने ही हुए थे | मेरे चाचा की लड़की की शादी थी तब | मैं भी शादी में गई थी | क्या बताऊ उस समय क्यूंकि मेरी नयी नयी शादी हुई थी या अगर खुले शब्दों में कहे तो मुझे नया नया लण्ड का मज़ा मिला था तो लण्ड के पानी ने मेरी जवानी को और निखर दिया था | आप लोगो की भाषा में “क़यामत” हो गई थी मैं | शादी में जिसने भी मुझे देखा मेरी तारीफ किये बिना ना रह सका |
सभी की जुबान पर एक ही बात थी – “हाय छोरी तने किसी की नजर ना लगे... तू तो बहुत निखर गई है शादी के बाद”
भाभियाँ भी मजाक करने से नहीं चुकी – “ननद सा... लागे हमारे ननदोई सा पुरा रगडा लगावे है... रूप निखार दियो तेरी तो...”
दिन बिता और शादी की रात भी आई और शादी हो गई | हमारे राजस्थान में शादी के बाद एक रात दूल्हा दुल्हन एक साथ लड़की के घर पर ही रहते है | रात को दूल्हा दुल्हन को उनके कमरे में छोड़ दिया | मेरी एक भाभी कुछ शरारती टाइप की है तो वो मुझ से बोली – “शालू... देक्खा तो सही की ननदोई सा रात ने कुछ करेंगे भी की नहीं” मैं शरमाई पर फिर मेरा भी दिल किया की देखा जाए | हम दोनों ने जैसे तैसे कमरे में अंदर झाँकने का रास्ता ढूँढा | अंदर देखा तो मेरे तो कान लाल हो गए | पुरे बदन में झुरझुरी सी फ़ैल गई | सुमन मेरी चाचा की लड़की बेड पर नंगी बैठी थी शरमाई सी | उसके सामने ही मेरे नए जीजा जी जिनका नाम राज है वो खड़े थे बिलकुल नंगे | उनका मुँह दूसरी तरफ था | मैं उनका लण्ड नहीं देख पा रही थी जिसको देखने की लालसा में मैं भाभी के साथ यहाँ बैठी थी | वो आपस में धीरे धीरे कुछ बोल रहे थे पर समझ नहीं आ रहा था की क्या बात कर रहे है |
तभी राज जीजा हमारी तरफ घुमे तो उनका लण्ड देखते ही मेरी चुत ने तो पानी छोड़ दिया | मस्त मुसल सा लण्ड था राज जीजा का | एक दम तन कर खड़ा हुआ |
“भाभी आज सुमन की तो खैर नहीं... जीजा इस मुसल से फाड़ डालेंगे सुमन की”यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
भाभी ने मुझे चुप करवा दिया और खुद भी चुपचाप अंदर देखते हुए अपनी चुचियाँ मसलती रही | जीजा तेल की शीशी उठाकर फिर से सुमन के पास गए और सुमन को लेटा कर उसकी चुत पर अच्छे से तेल लगाया | सुमन भी मदहोश होकर मज़ा ले रही थी | तेल लगा कर जीजा ने सुमन की चुत पर लण्ड रखा और जोर से धक्का लगा दिया | सुमन जोर से चींख उठी | लण्ड चुत को चीरता हुआ अंदर धस गया | राज जीजा ने बिना तरस खाए जोर जोर से दो तीन धक्के और लगा दिए | लण्ड अंदर की तरफ घुसता चला गया जैसे कोई कील गाड़ दी गई हो | सुमन चीखती जा रही थी | पर जीजा पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था | वो तो अपनी ही मस्ती में धक्के पर धक्के लगा रहे थे | सुमन छटपटाती रही और जीजा चोदते रहे | जीजा ने करीब आधा घंटा तक सुमन को रगड़ रगड़ कर चोदा था | उनकी चुदाई देख कर मेरी तो चुत पेंटी पेटीकोट सब गीले हो गए थे | मेरी चुत ने पानी ही इतना छोड़ दिया था |
फिर भाभी और मैं नीचे अपने कमरे में आकर लेट गए | भाभी की हालत भी खस्ता हो रही थी | सुमन और राज जीजा की चुदाई देख कर उसकी चुत में भी कीड़े कुलबुलाने लगे थे | तभी कमरे के बाहर भाई नजर आये और उन्होंने भाभी को इशारा किया | भाभी तो इसी इशारे में इन्तजार में थी | वो उठ कर चली गई अब कमरे में मैं अकेली थी | चुत मेरी भी लण्ड लेने को छटपटा रही थी पर मैं भला किस से चुदवाती | मैं कुछ देर ऐसे ही लेटी रही और फिर उठ कर दुबारा सुमन और जीजा की सुहागरात देखने खिड़की के पास पहुँच गई | जीजा अब दूसरी बार सुमन को चोद रहे थे और सुमन पहले की तरह ही चींख रही थी | सुमन की चींखो को समझ पाना मुश्किल था क्यूंकि उसकी चींखे कभी तो मस्ती भरी महसूस हो रही थी तो कभी दर्द भरी | पर अब वो मस्त हो कर चुदवा रही थी | जीजा का गठीला बदन देख कर मेरी चुत फिर से पानी पानी हो गई | मैं बहुत देर तक अकेली वह बैठी सुमन और जीजा की चुदाई देखती रही |
फिर जब नींद ज्यादा आने लगी तो जाकर सो गई | सुबह उठते ही मैं सीधा सुमन के कमरे के पास पहुँची | इतेफाक ही था की जैसे ही मैं कमरे के बाहर पहुँची जीजा ने अंदर से दरवाजा खोला | जीजा बाहर आ रहे थे तो मुझे शरारत सूझी |
“जीजा तुम तो चींखें बहुत निकलवाते हो ...”
“तुने कब सुनी...”
“रात को, जब तुम सुमन को रगड़ रहे थे और वो चींख रही थी तब सुनी”
“अजी हमारे कमरे में तो रात को जो भी रहेगा उसकी ऐसे ही चींखे निकलेगी... क्यों तुम्हारे वाले नहीं निकलवाते तुम्हारी चींखे”
“हमारी चींखे निकलवाने वाला तो अभी पैदा ही नहीं हुआ जीजा जी” कह कर मैं हँस पड़ी |
“और अगर हमने तुम्हारी चींखे निकलवा दी तो ???” जीजा ने भी अपना तीर मुझ पर चलाया | अगर मैं सतर्क ना होती तो शायद पहली ही बार में घायल हो जाती | पर मैंने अपने ऊपर काबू रखा |
“रहने दो जीजा... मैं सुमन नहीं हूँ”
इस पर जीजा बोले “तो लगी शर्त”? अगर मैंने तुम्हारी चींखे निकलवा दी तो |”यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
मैं भी बिना सोचे समझे बोल पड़ी तो ठीक है लगी शर्त | जीजा तो जैसे तैयार ही बैठा था मेरी बांह पकड़ कर बोला तो चलो तुम्हारी चींखे निकलवाते है | जीजा के मुँह से ये सुनते ही जैसे मैं स्वप्न से जागी | मैं तो शर्म के मारे लाल हो गई थी | मेरी तो समझ में ही नहीं आया की क्या करू | पर फिर भी मैंने हिम्मत दिखाई और बोली – “जीजा समय आने दो देख लेंगे तुम्हे भी की कितनी चींखे निकलवा सकते हो” और मैं हँस कर वहाँ से भाग गई | जीजा और मेरे बिच का संवाद आगे क्या रंग दिखा सकता है ये तो मैंने सोचा ही नहीं था | पर रात को जीजा ने सुमन को जैसे चोदा था उसको देख कर तो दिल किया की एक बार जीजा मेरी चुत में भी ठोक दे अपना किल्ला |
उसके बाद जीजा से उस दिन दो बार आमना सामना हुआ | जीजा ने पूछ ही लिया आखिर शर्त क्या होगी | मैं दोनों बार शर्मा गई | कुछ बोल ही नहीं पाई | जब जीजा सुमन को लेकर विदा होने लगे तो गाड़ी के पास जीजा ने फिर से पुछा तो मैंने भी कह दिया अगर तुमने मेरी चींखे निकलवा दी तो सारी उम्र तुम्हारी बन कर रहूंगी | जीजा खुश हो गए और शगुन में मुझे चांदी की अंगूठी देकर विदा हो गए |
सुमन की विदाई के बाद मैं भी विदा होकर अपने पति देव के साथ अपने ससुराल आ गई | ससुराल आने के बाद अब हर रात जब भी मेरे पति मुझे चोदते तो एक दम से जीजा की याद आ जाती | कुछ दिन ऐसे ही बीत गए | अब पति देव भी अपनी नौकरी में ज्यादा व्यस्त हो गए | पहले तो महीने में एक दो बार वो बाहर रहते थे पर अब तो वो हफ्ते में भी एक दो दिन बाहर रह जाते थे | मुझे अब अकेलापन महसूस होने लगा था | इस अकेलेपन में मुझे पति के साथ साथ अब जीजा की भी याद सताने लगी थी | बार बार उनका वो सुमन को रगड़ रगड़ कर चोदना आँखों के सामने फिल्म की तरह घूमने लगता था | चुत की खुजली जब मिटाए ना मिटे तो फिर जीजा भी पति से ज्यादा प्यारा लगने लगता है और पति देव के पास तो चुत की खुजली मिटाने का समय ही नहीं था तो क्या करती फ़िदा हो गई जीजा के लण्ड पर और चुत भी चुलबुलाने लगी जीजा का लण्ड लेने को |
पर जीजा से मिला कैसे जाए | अब तो पति देव के गैर हाज़री में मैं बस यही सोचती रहती | कहते है सच्ची लगन से अगर मांगो तो भगवान भी मिल जाते है | बस एक दिन जीजा हमारे घर पर आये | उन्हें जयपुर में कुछ काम था | उनको तीन चार दिन रुकना था | मेरी जब जीजा से आँख मिली तो जीजा ने आँख मार दी | मेरे दिल में हलचल सी मच गई थी | पति देव और जीजा बैठ कर बाते कर रहे थे और मैं खाना बना रही थी | जीजा ने बताया की उन्होंने होटल में कमरा बुक करवा लिया है तो मेरे पति बहुत नाराज हुए | बोले की घर के होते हुए होटल में रहो तो हमारे यहाँ होने का क्या फायदा | और उन्होंने जीजा को घर पर रहने के लिए मना लिया | मेरी तो बांछे खिल उठी | जीजा जो रहने वाले थे तीन चार दिन मेरे पास | रात को काफी देर तक बाते होती रही और फिर मैं जीजा का बिस्तर लगा कर कमरे में अपने पति के पास सो गई | सच कहूँ तो दिल नहीं था पति के पास सोने का | जीजा का लण्ड दिमाग में घूम रहा था |
सुबह होते ही मैं नाश्ता बनाने लगी | तभी मेरे लिए एक खुशखबरी आई | पति देव को अचानक टूर पर जाना पड़ गया था | मेरे तो दिल की धड़कन सिर्फ ये खबर सुन कर ही बढ़ गई थी | पति जब जाने लगे तो जीजा बोला की शालू अकेली है तो मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं है तो मैं भी होटल में चला जाता हूँ | पर इन्होने जीजा को बोल दिया की चाहे कुछ भी हो आपको घर पर ही रहना है | और फिर अब तो और भी ज्यादा जरुरी है क्यूंकि शालू अकेली है |
खैर जीजा मान गए तो मेरी जान में जान आई |
ये अपना सामन लेकर करीब दस बजे घर से चलने लगे तो जीजा भी इनके साथ ही चले गए अपने काम से | सबके जाने के बाद मैं नहा धोकर तैयार हो गई और सोचने लगी की जीजा ने तो अब तक कुछ भी ऐसा नहीं जताया है की वो मुझ से सेक्स करना चाहते है तो मैं क्यों इतनी उतावली हो रही हूँ उनसे चुदवाने को | पर दिल तो कर रहा था ना जीजा से चुदवाने का | मैं सोचने लगी की कैसे जीजा के साथ चुदाई का मज़ा लिया जाए | इसी उधेड़बुन में दोपहर हो गई | तभी जीजा का फोन आया की वो कुछ देर में घर पर आ रहे है तो मैं उठ कर उनके लिए खाना बनाने लगी |
जब तक खाना तैयार हुआ तब तक जीजा भी आ गए | बाहर गर्मी बहुत थी तो वो नहा कर केवल बनियान और लुंगी में खाने की मेज पर आ गए | मैं उनको खाना परोसने लगी तो मैंने देखा की जीजा की नजर मुझ पर जमी हुई थी | मैं आपको बता दूँ की मैंने उस दिन कपडे भी खुले खुले से पहने थे जो जीजा को उतेजित करने के लिए ही थे | मेरे बड़े गले के ब्लाउज में से मेरी चुचियाँ जो की सभी कहते है की क़यामत है झांक रही थी | मैं खाना परोस रही थी और जीजा अपनी आँखे सेक रहे थे |
हम दोनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया | खाने के दौरान कोई खास बात नहीं हुई | खाना खत्म होने के बाद जीजा अंदर कमरे में लेट गए | रसोई का काम निपटा कर मैं जान बुझ कर जीजा के पास कमरे में गई और पुछा – जीजा कुछ और चाहिए क्या...?
जीजा तो जैसे इसी सवाल को सुनने के लिए तैयार बैठे थे | बोले – हाँ... चाहिए तो पर...
जीजा ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया | तभी जीजा ने बात को बदलते हुए एक दम से मुझे शर्त की याद दिलाई | पर मैं तो भूली ही नहीं थी वो बात | फिर भी मैंने ऊपर के मन से कहा की जीजा ऐसी बाते तो शादी बियाह में होती रहती है |
“पर हम तो जब एक बार शर्त लगा ले तो पुरी करके ही छोड़ते है” जीजा ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया | मैं उठ कर बाहर जाने लगी तो जीजा ने मेरा हाथ पकड़ लिया | मेरा पुरा बदन झनझना गया | आखिर चाहती तो मैं भी यही थी | पर मैं हाथ छुड़वा कर अपने कमरे में भाग गई | मेरी सांसे तेज तेज चल रही थी अब | तभी जीजा मेरे कमरे के बाहर आये और मुझे दरवाजा खोलने को कहने लगे और बोले की शर्त लगाती हो और पुरा भी नहीं करती | ये तो गलत बात है | हम भी तो देखे की हमारी साली चुदाई में चिल्लाती है या नहीं |
“नहीं जीजा ये ठीक नहीं है...” सच कहूँ तो मेरे दिल में ये भी था की मैं अपने पति के साथ कैसे धोखा कर सकती हूँ पर एक बार जीजा से चुदवाने के लिए चुत भी फडक रही थी | जीजा कुछ देर दरवाजे पर खड़े खड़े मुझे मानते रहे पर मैंने दरवाजा नहीं खोला | कुछ देर बाद जब जीजा जाने लगे तो मैं अपने दिल पर काबू नहीं रख पाई और मैंने दरवाजा खोल दिया | मेरे दरवाजा खोलते ही जीजा एक दम खुश हो गए |
मैं दरवाजा खोल कर साइड में खड़ी हो गई | जीजा कमरे में अंदर आये और मेरे चेहरे को ऊपर उठा कर बोले की शालू... सच में तुम एक क़यामत हो | जब से तुम्हे देखा है मेरा लण्ड बस तुम्हारी याद में ही सर उठाये खड़ा रहता है | बस एक बार अपनी खूबसूरती का रसपान करने दो |
मेरी तो जैसे आवाज ही बंद हो गई थी | तभी जीजा ने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए तो दिल धाड़ धाड़ बजने लगा | जीजा ने होंठ चूसते चूसते चुचियाँ मसलनी शुरू कर दी | मेरी तो हालत खराब हो गई थी | पहली बार किसी गैर मर्द का हाथ मेरी जवानी पर था | जीजा ने अपनी बाहों में मुझे उठाया और बेड पर लेजा कर लेटा दिया | बेड पर लेटा कर जीजा ने अपनी लुंगी खोल कर साइड में फैंक दी | जीजा का लण्ड अंडरवियर में भी बहुत खतरनाक लग रहा था | फिर जीजा बेड पर आकर मुझ से लिपट गया और मेरे बदन को चूमने लगा | मैं मदहोश होती जा रही थी | जीजा ने मेरा ब्लाउज खोल दिया और ब्रा में कसी चुचियों को चूमने लगा | फिर जीजा ने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार दी और मेरी चुचियों को मुँह में भर भर कर चूसने लगा | मेरी चुत पानी से सराबोर हो गई और उसमे लण्ड लेने के लिए खुजली होने लगी थी | दिल कर रहा था की जीजा का लण्ड पकड़ कर घुसा लू अपनी चुत में और चुद जाऊ अपने सपनो के लण्ड महाराज से |
जीजा ने धीरे धीरे मेरे कपडे मेरे बदन से अलग कर दिए | अब मैं जीजा के सामने बिलकुल नंगी पड़ी थी | मेरी शर्म के मारे आँख नहीं खुल रही थी | तभी जीजा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया तो अहसास हुआ की जीजा भी बिलकुल नंगा हो चूका था और जीजा का मुसल जैसा लण्ड सर उठाये खड़ा था | मैंने भी अब शर्म करना ठीक नहीं समझा और पकड़ लिया जीजा का लण्ड अपने हाथ में और लगी सहलाने | एक गर्म गर्म लोहे की रोड जैसा लण्ड था जीजा का | हाथ में पकड़ कर ही महसूस हो रहा था की ये मेरी चींखे निकलवा देगा |
मुझे आईडिया हो गया था की आज तो मैं शर्त हारने वाली हूँ पर मैं तो चाहती ही यही थी की जीजा मेरी चींखे निकलवाए | वैसे मेरे पति का लण्ड भी कुछ कम नहीं था पर वो तो मुझे समय ही नहीं दे पाते थे | जब भी मुझे उनके लण्ड की जरुरत होती तो वो टूर पर गए होते थे और मैं अकेली चुत में ऊँगली डाल कर उनको याद करती रहती |
जीजा ने मेरे पास आकर लण्ड को मेरे मुँह के पास कर दिया | मैंने आज से पहले कभी भी लण्ड मुँह में नहीं लिया था | पर जीजा ने लण्ड मेरे मुँह से लगा दिया तो मैंने जीभ से टेस्ट करके देखा | उसका नमकीन सा स्वाद मुझे अच्छा लगा तो मैंने लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी | जीजा का मुसल सा लण्ड गले तक जा रहा था | जीजा मस्ती में उसको अंदर धकेल रहे थे | कई बार तो वो मुझे अपने गले में फसता हुआ महसूस हुआ | पहली बार था तो उबकाई सी आने लगी | जीजा ने मेरी हालत देखी तो लण्ड बाहर निकल लिया |
जीजा ने अब मुझे लेटाया और मेरी चुत के आस पास जीभ से चाटने लगे | मैं आनन्दसागर में गोते लगाने लगी | तभी जीजा की जीभ मेरी चुत के दाने को सहलाते हुए चुत में घुस गई | मैं तो सिहंर उठी | पहली बार चुत पर जीभ का एहसास सचमुच बहुत मजेदार था | पति देव ने ना तो कभी मेरी चुत चाटी थी और ना ही कभी अपना लण्ड चुसवाया था | ये दोनों ही एक्सपीरियंस नए थे मेरे लिए | बहुत मज़ा आ रहा था और मैं मस्ती के मारे आह्हह्ह उह्ह्ह्ह म्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कर रही थी |
जीजा ने अपना लण्ड मेरे हाथ में दे दिया था और मैं उस लोहे की रोड जैसे लण्ड को अपने हाथ से मसल रही थी | तभी जीजा बोला की अब चींखने के लिए तैयार हो जाओ | मैं कुछ बोल नहीं पाई बस जवाब में थोड़ा मुस्कुरा दी | अब तो मेरी चुत भी लण्ड मांग रही थी | जीजा मेरी टांगो के बीच में आ गया और अपना मोटा लण्ड मेरी चुत पर घिसने लगा | मेरी चुत पानी पानी हो रही थी | डर भी लग रहा था | मैं सोच में ही थी की जीजा अब क्या करेगा मेरी चींखे निकलवाने के लिए की जीजा ने लण्ड को चुत पर सेट करके एक जोरदार धक्का लगा दिया और लण्ड चुत को लगभग चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया और मेरे मुँह से एक जोरदार चींख निकल गई | अभी पहले धक्के का दर्द खत्म भी नहीं हुआ था की जीजा ने दो तीन धक्के एक साथ लगा दिए और मैं दर्द से दोहरी हो गई | सच में बहुत खतरनाक लण्ड था जीजा का |
लगभग पुरा लण्ड अब चुत में था बस थोड़ा सा ही बाहर नजर आ रहा था | तभी जीजा ने सुपाडे तक लण्ड को बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्के के साथ वापिस चुत में घुसेड़ दिया | लण्ड अंदर जाकर सीधा बच्चेदानी से टकराया | मैं मस्ती और दर्द दोनों के मिलेजुले एहसास में चींख उठी | पति का लण्ड था तो मस्त पर बच्चेदानी तक नहीं पहुँच पाया था आज तक | ये एहसास भी मेरे लिए बिलकुल नया था |
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद जीजा ने पहले धीरे धीरे धक्के लगाये और फिर पुरी स्पीड में शुरू हो गया | लण्ड बार बार अंदर बच्चेदानी तक जा रहा था और मैं अपने आप को रोक नहीं पायी चींखने से | मैं शर्त हार चुकी थी पर इस शर्त को हारने का मुझे अफ़सोस बिलकुल नहीं था | मैं तो अब खुद ही चाह रही थी की जीजा जोर जोर से धक्के लगा कर फाड़ डाले मेरी चुत को | सच में बहुत मस्त चुदाई हो रही थी मेरी | इतना टाईट लण्ड पहली बार मेरी चुत में था | कुछ देर बाद लण्ड ने अपनी जगह चुत में बना ली थी और अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था पर मैं अब भी मस्ती के मारे चींख चिल्ला रही थी |
“आह्ह्ह जीजा जोर से... फाड़ दे आज तो... तुने तो मेरी सच में चींखे निकलवा दी मेरे राजा |”
मैं मस्ती के मारे बडबडा रही थी | जीजा चुप चाप अपने काम में लगा था और मेरी चुत का भुरता बना रहा था | जीजा पसीने से तार हो चूका था | दस मिनिट हो चुके थे उसको मुझे चोदते हुए | मुसल सा लण्ड और मस्त धक्के खाने के बाद अब मेरी चुत अब उलटी करने वाली थी | और फिर वो ज्यादा देर अपने आप को रोक नहीं पाई और झर झर झड़ने लगी | पानी छुटने से चुत फच फच करने लगी | जीजा अब भी पुरे जोश के साथ चुदाई कर रहा था | कमरे में मादक आवाजे गूंज रही थी |
पानी निकलने के बाद मेरा बदन कुछ देर के लिए ढीला हुआ था पर जीजा की जोरदार चुदाई ने मुझे एक बार फिर से गर्म कर दिया | और मैं गाण्ड उठा उठा कर लण्ड चुत में लेने लगी | जीजा ने मुझे अब घोड़ी बनाया और पीछे आ कर लण्ड मेरी चुत में डाल दिया | जीजा का लण्ड इतना टाईट था की मैं उस पर टंगी हुई सी लग रही थी | जीजा ने फिर से अपनी पुरी ताकत के साथ मेरी चुदाई शुरू कर दी और फिर पुरे आधा घंटा तक वो मुझे चोदता रहा | मैं दो बार झड गई थी इस बीच |
आधे घंटे के बाद जीजा का बदन अकड़ने लगा और उसके धक्को की स्पीड भी चरम पर थी | तभी जीजा के लण्ड ने गर्म गर्म माल मेरी चुत में पिचकारी बन कर झड़ने लगा | जीजा का वीर्य की गर्मी से मेरी चुत भी एक बार फिर पानी पानी हो गई थी | जीजा ने ढेर सारा माल मेरी चुत में भर दिया |
मैं इस चुदाई से परमसुख का एहसास कर रही थी | शर्त हार कर भी मैं बहुत कुछ जीत गई थी |”यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
कुछ ही देर बाद जीजा फिर से मेरे पास आ गए और फिर से मेरे बदन को चूमने चाटने लगे | मैं हैरान थी की अभी अभी ये इंसान आधे घंटे तक चोद कर हटा है और इतनी जल्दी फिर से तैयार हो गया | मैंने जोर देकर अपनी आँखे खोली तो देखा की जीजा का लण्ड अब फिर शबाब पर आ गया था | मेरी चुत को कपडे से साफ़ करके जीजा ने फिर से अपना लण्ड चुत में घुसा दिया | मैं चींखती रही और जीजा चोदता रहा | फिर तो सारी रात मेरी चींखे कमरे के अंदर गूंजती रही |
जैसा की मैंने आपको बताया की जीजा वो दूसरा इंसान था जिसका लण्ड मैंने अपनी चुत में लिया था | पहला मेरा पति और दूसरा मेरा जीजा | जीजा ने मेरे घर में आकर मेरी जो चींखे निकलवाई की मैं तो जीजा की और जीजा के लण्ड की दीवानी हो गई | उस चुदाई के बाद तो जीजा का अक्सर मेरे घर पर आना जाना हो गया और मेरे पति और जीजा की भी अच्छी दोस्ती हो गई | जीजा जब भी आता तो मुझे चोदने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था या यूँ कहो की मैं चुदवाए बिना जीजा को जाने ही नहीं देती थी |
जब भी जीजा आता और मुझे चोदता तो मेरी गाण्ड की इतनी तारीफ करता की पुछो मत | हर बार वो मुझे लण्ड गाण्ड में डलवाने के लिए मनाता पर मुसल जैसे लण्ड को देख कर मेरी हवा टाईट हो जाती और मैं किसी न किसी बहाने जीजा को टाल देती | एक दो बार जीजा ने अपनी ऊंगली घुसाई भी मेरी गाण्ड में जिस से मुझे बहुत दर्द हुआ | मैं डर गई की जब पतली सी ऊंगली से ही इतना दर्द होता है तो जब मोटा मुसल जैसा लण्ड इसमें जाएगा तो मेरी तो जान ही निकल जायेगी |
कुछ महीने बीते और तभी जीजा की बहन यानि मेरी चचेरी बहन सुमन की ननद की शादी तय हो गई | जीजा ने हमें भी न्यौता दिया था | जीजा जब शादी का कार्ड देने आया था तो मुझे कह गया था की शादी में जब आओ तो अपनी गाण्ड पर अच्छे से तेल लगा कर आना | मैंने सोचा की जीजा मजाक कर रहा है और मैंने वो बात हँस कर टाल दी |
आखिर शादी में जाने का दिन भी आ गया | मैं अपने पतिदेव के साथ बनठन कर जीजा के घर के लिए रवाना हो गई | जब मैं तैयार हो रही थी तो मुझे एक दम से जीजा की बात याद आई तो मेरी गाण्ड में गुदगुदी होने लगी | अनजाने में ही मेरा हाथ पहले चुत पर और फिर गाण्ड पर चला गया | मैं मन ही मन हँस पड़ी | मैंने कुछ सोचा और फिर एक ऊंगली भर कर गाण्ड पर तेल लगा लिया | रास्ते भर मैं इसी बात को सोच सोच कर मंद मंद मुस्कुराती रही | पतिदेव ने एक दो बार पुछा भी पर मैंने बातों बातों में टाल दिया |
सफर जैसे जैसे खत्म हो रहा था मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी | और फिर हम जीजा के घर पर पहुँच ही गए | जीजा भी जैसे मेरे ही इन्तजार में दरवाजे पर खड़ा था | मुझे देखते ही उसने आँख दबा कर मेरा स्वागत किया तो मैंने भी जवाब में आँख दबा दी | घर पहुँच कर सबसे मिलना जुलना हुआ और जीजा ने मेरे पति को अपने किसी दोस्त के साथ पास के शहर में कुछ सामन लाने भेज दिया | कुछ ही देर बाद जीजा आये और मुझे बुला कर अपने साथ चलने को कहा |
“जीजा...सब लोग क्या सोचेंगे... अच्छा नहीं लगेगा ऐसे जाना””यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
पर जीजा मुझे घर के पीछे वाले दरवाजे पर आने का बोल कर चले गए | मैं कुछ देर तो सोचती रही पर फिर अपने आप को जाने से नहीं रोक पाई | दरवाजे से निकली तो पीछे एक गाड़ी खड़ी थी | जीजा उसमे पहले से ही बैठा था | मैं भी जाकर बैठ गई तो जीजा ने गाड़ी एक सड़क पर दौड़ा दी |
इस बीच मैंने जीजा से दो तीन बार पुछा की कहाँ ले जा रहे तो पर जीजा ने कोई जवाब नहीं दिया और बस बोले की तुम्हे जन्नत की सैर करवाने ले जा रहा हूँ | कुछ देर के सफर के बाद जीजा ने खेतों में बने एक मकान की तरफ गाड़ी घुमा दी | मकान के गेट पर ताला लगा था | जीजा ने ही ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए |
अंदर जाते ही जीजा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए | मैं तो खुद जीजा की दीवानी थी तो भला मैं अपने आप को कैसे रोक सकती थी तो मैंने भी जीजा का साथ देने लगी | जीजा दीवानों की तरह मुझे चूम रहा था | उसके हाथ मेरी चुचियों को टटोल रहे थे | कुछ देर बाद जीजा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और अंदर एक कमरे में ले गए जहाँ एक डबलबेड था | जीजा ने मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद अपने कपडे उतारने लगे |
मैंने पुछा तो जीजा ने बताया की ये उनके एक दोस्त का मकान है और वो दोस्त मेरे पति को लेकर शहर गया है ताकि मैं तुम संग मज़ा कर सकूँ | मेरी हँसी छूट गई जीजा की मेरे प्रति दीवानगी देख कर |
खुद के कपडे उतारने के बाद जीजा मेरे पास आया और मेरे कपडे मेरे शरीर से अलग करने लगा | देखते ही देखते जीजा ने मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं छोड़ा और मुझे बिलकुल नंगी करके ही दम लिया | जीजा ने अभी भी अंडरवियर पहना हुआ था जिसमे जीजा का लण्ड एक गाँठ की तरह लग रहा था | मैंने भी देर नहीं की और लण्ड महाराज को अंडरवियर की कैद से आजाद करवाया | बाहर निकलते ही लण्ड अपने पुरे शबाब के साथ तन कर खड़ा हो गया | मैं तो दीवानी थी इस लण्ड की | नौ इंच लम्बा और तीन इंच से ज्यादा मोटा लण्ड देख कर तो किसी भी औरत की चुत पानी पानी हो जाए तड़प उठे उसे अपने अंदर लेने को |
जीजा ने लण्ड मेरे मुँह की तरफ किया तो मैंने धीरे धीरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और सुपाडे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी | फिर कुछ देर तक लण्ड को चूसा और जीजा को मस्त कर दिया | जीजा ने मुझे सीधा लेटाया और लण्ड मेरी चुत में उतार दिया | जीजा का लण्ड अंदर घुसते ही मेरी आह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गई |
जीजा जबरदस्त चुदाई करने लगा | चुदाई करते करते उसने एक ऊँगली मेरी गाण्ड पर लगाईं तो उसे चिकनाई का एहसास हुआ |
जीजा हँस पड़ा और बोला की साली साहिबा अपने जीजा का कितना ख्याल रखती है... गाण्ड पर तेल लगा कर आई है | मेरी भी हँसी छूट गई | जीजा ने स्पीड बढ़ा कर चुदाई करनी शुरू की तो आठ दस धक्को के बाद ही मेरी चुत से झरना बह निकला | मैं झड गई थी |
क्रमशः
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सविता भाभी--1
दोस्तों कहानी पढ़ने से पहले मेरा आप सब से परिचय करवा दूँ | मेरा नाम है शालिनी राठौर यानि लेडी रावड़ी राठौर | मेरे महोल्ले के लड़के मुझे सविता भाभी के नाम से जानते है | क्योंकि मैं एक दम मस्त मौला हूँ और अपनी मर्जी से करती हूँ सब कुछ | लड़को की हिम्मत नहीं होती मेरे आसपास भी फटकने की | उम्र है मेरी... हट लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछी जाती जी | इतना तो है की मैं बहुत सुन्दर हूँ और मेरे एरिया के लड़के तो क्या बुड्ढे भी लाइन में खड़े होकर मेरे लिए आहें भरते है | पर मैं किसी को भी घास नहीं डालती | भगवान ने मेरा शरीर भी फुरसत से बनाया है | एक दम हरा भरा | मेरी चुचियाँ की ऊंचाई देख कर तो बुड्ढो का लण्ड टपक जाता है | भरपूर गोलाई लिए ऊपर को तनी हुई चुचियाँ है मेरी | पतली सी कमर और गाण्ड की तो पूछो ही मत ना जाने कितने घायल होकर गिर पड़ते है मेरी मटकती गाण्ड देख कर | तो ऐसी हूँ मैं | अब आगे मेरी कहानी | इस कहानी को आप लोगो के बीच मेरे एक मित्र राज शर्मा लेकर आ रहे है |
तो अब कहानी शुरू होती है |
मेरी शादी को तब दो महीने ही हुए थे | मेरे चाचा की लड़की की शादी थी तब | मैं भी शादी में गई थी | क्या बताऊ उस समय क्यूंकि मेरी नयी नयी शादी हुई थी या अगर खुले शब्दों में कहे तो मुझे नया नया लण्ड का मज़ा मिला था तो लण्ड के पानी ने मेरी जवानी को और निखर दिया था | आप लोगो की भाषा में “क़यामत” हो गई थी मैं | शादी में जिसने भी मुझे देखा मेरी तारीफ किये बिना ना रह सका |
सभी की जुबान पर एक ही बात थी – “हाय छोरी तने किसी की नजर ना लगे... तू तो बहुत निखर गई है शादी के बाद”
भाभियाँ भी मजाक करने से नहीं चुकी – “ननद सा... लागे हमारे ननदोई सा पुरा रगडा लगावे है... रूप निखार दियो तेरी तो...”
दिन बिता और शादी की रात भी आई और शादी हो गई | हमारे राजस्थान में शादी के बाद एक रात दूल्हा दुल्हन एक साथ लड़की के घर पर ही रहते है | रात को दूल्हा दुल्हन को उनके कमरे में छोड़ दिया | मेरी एक भाभी कुछ शरारती टाइप की है तो वो मुझ से बोली – “शालू... देक्खा तो सही की ननदोई सा रात ने कुछ करेंगे भी की नहीं” मैं शरमाई पर फिर मेरा भी दिल किया की देखा जाए | हम दोनों ने जैसे तैसे कमरे में अंदर झाँकने का रास्ता ढूँढा | अंदर देखा तो मेरे तो कान लाल हो गए | पुरे बदन में झुरझुरी सी फ़ैल गई | सुमन मेरी चाचा की लड़की बेड पर नंगी बैठी थी शरमाई सी | उसके सामने ही मेरे नए जीजा जी जिनका नाम राज है वो खड़े थे बिलकुल नंगे | उनका मुँह दूसरी तरफ था | मैं उनका लण्ड नहीं देख पा रही थी जिसको देखने की लालसा में मैं भाभी के साथ यहाँ बैठी थी | वो आपस में धीरे धीरे कुछ बोल रहे थे पर समझ नहीं आ रहा था की क्या बात कर रहे है |
तभी राज जीजा हमारी तरफ घुमे तो उनका लण्ड देखते ही मेरी चुत ने तो पानी छोड़ दिया | मस्त मुसल सा लण्ड था राज जीजा का | एक दम तन कर खड़ा हुआ |
“भाभी आज सुमन की तो खैर नहीं... जीजा इस मुसल से फाड़ डालेंगे सुमन की”यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
भाभी ने मुझे चुप करवा दिया और खुद भी चुपचाप अंदर देखते हुए अपनी चुचियाँ मसलती रही | जीजा तेल की शीशी उठाकर फिर से सुमन के पास गए और सुमन को लेटा कर उसकी चुत पर अच्छे से तेल लगाया | सुमन भी मदहोश होकर मज़ा ले रही थी | तेल लगा कर जीजा ने सुमन की चुत पर लण्ड रखा और जोर से धक्का लगा दिया | सुमन जोर से चींख उठी | लण्ड चुत को चीरता हुआ अंदर धस गया | राज जीजा ने बिना तरस खाए जोर जोर से दो तीन धक्के और लगा दिए | लण्ड अंदर की तरफ घुसता चला गया जैसे कोई कील गाड़ दी गई हो | सुमन चीखती जा रही थी | पर जीजा पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था | वो तो अपनी ही मस्ती में धक्के पर धक्के लगा रहे थे | सुमन छटपटाती रही और जीजा चोदते रहे | जीजा ने करीब आधा घंटा तक सुमन को रगड़ रगड़ कर चोदा था | उनकी चुदाई देख कर मेरी तो चुत पेंटी पेटीकोट सब गीले हो गए थे | मेरी चुत ने पानी ही इतना छोड़ दिया था |
फिर भाभी और मैं नीचे अपने कमरे में आकर लेट गए | भाभी की हालत भी खस्ता हो रही थी | सुमन और राज जीजा की चुदाई देख कर उसकी चुत में भी कीड़े कुलबुलाने लगे थे | तभी कमरे के बाहर भाई नजर आये और उन्होंने भाभी को इशारा किया | भाभी तो इसी इशारे में इन्तजार में थी | वो उठ कर चली गई अब कमरे में मैं अकेली थी | चुत मेरी भी लण्ड लेने को छटपटा रही थी पर मैं भला किस से चुदवाती | मैं कुछ देर ऐसे ही लेटी रही और फिर उठ कर दुबारा सुमन और जीजा की सुहागरात देखने खिड़की के पास पहुँच गई | जीजा अब दूसरी बार सुमन को चोद रहे थे और सुमन पहले की तरह ही चींख रही थी | सुमन की चींखो को समझ पाना मुश्किल था क्यूंकि उसकी चींखे कभी तो मस्ती भरी महसूस हो रही थी तो कभी दर्द भरी | पर अब वो मस्त हो कर चुदवा रही थी | जीजा का गठीला बदन देख कर मेरी चुत फिर से पानी पानी हो गई | मैं बहुत देर तक अकेली वह बैठी सुमन और जीजा की चुदाई देखती रही |
फिर जब नींद ज्यादा आने लगी तो जाकर सो गई | सुबह उठते ही मैं सीधा सुमन के कमरे के पास पहुँची | इतेफाक ही था की जैसे ही मैं कमरे के बाहर पहुँची जीजा ने अंदर से दरवाजा खोला | जीजा बाहर आ रहे थे तो मुझे शरारत सूझी |
“जीजा तुम तो चींखें बहुत निकलवाते हो ...”
“तुने कब सुनी...”
“रात को, जब तुम सुमन को रगड़ रहे थे और वो चींख रही थी तब सुनी”
“अजी हमारे कमरे में तो रात को जो भी रहेगा उसकी ऐसे ही चींखे निकलेगी... क्यों तुम्हारे वाले नहीं निकलवाते तुम्हारी चींखे”
“हमारी चींखे निकलवाने वाला तो अभी पैदा ही नहीं हुआ जीजा जी” कह कर मैं हँस पड़ी |
“और अगर हमने तुम्हारी चींखे निकलवा दी तो ???” जीजा ने भी अपना तीर मुझ पर चलाया | अगर मैं सतर्क ना होती तो शायद पहली ही बार में घायल हो जाती | पर मैंने अपने ऊपर काबू रखा |
“रहने दो जीजा... मैं सुमन नहीं हूँ”
इस पर जीजा बोले “तो लगी शर्त”? अगर मैंने तुम्हारी चींखे निकलवा दी तो |”यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
मैं भी बिना सोचे समझे बोल पड़ी तो ठीक है लगी शर्त | जीजा तो जैसे तैयार ही बैठा था मेरी बांह पकड़ कर बोला तो चलो तुम्हारी चींखे निकलवाते है | जीजा के मुँह से ये सुनते ही जैसे मैं स्वप्न से जागी | मैं तो शर्म के मारे लाल हो गई थी | मेरी तो समझ में ही नहीं आया की क्या करू | पर फिर भी मैंने हिम्मत दिखाई और बोली – “जीजा समय आने दो देख लेंगे तुम्हे भी की कितनी चींखे निकलवा सकते हो” और मैं हँस कर वहाँ से भाग गई | जीजा और मेरे बिच का संवाद आगे क्या रंग दिखा सकता है ये तो मैंने सोचा ही नहीं था | पर रात को जीजा ने सुमन को जैसे चोदा था उसको देख कर तो दिल किया की एक बार जीजा मेरी चुत में भी ठोक दे अपना किल्ला |
उसके बाद जीजा से उस दिन दो बार आमना सामना हुआ | जीजा ने पूछ ही लिया आखिर शर्त क्या होगी | मैं दोनों बार शर्मा गई | कुछ बोल ही नहीं पाई | जब जीजा सुमन को लेकर विदा होने लगे तो गाड़ी के पास जीजा ने फिर से पुछा तो मैंने भी कह दिया अगर तुमने मेरी चींखे निकलवा दी तो सारी उम्र तुम्हारी बन कर रहूंगी | जीजा खुश हो गए और शगुन में मुझे चांदी की अंगूठी देकर विदा हो गए |
सुमन की विदाई के बाद मैं भी विदा होकर अपने पति देव के साथ अपने ससुराल आ गई | ससुराल आने के बाद अब हर रात जब भी मेरे पति मुझे चोदते तो एक दम से जीजा की याद आ जाती | कुछ दिन ऐसे ही बीत गए | अब पति देव भी अपनी नौकरी में ज्यादा व्यस्त हो गए | पहले तो महीने में एक दो बार वो बाहर रहते थे पर अब तो वो हफ्ते में भी एक दो दिन बाहर रह जाते थे | मुझे अब अकेलापन महसूस होने लगा था | इस अकेलेपन में मुझे पति के साथ साथ अब जीजा की भी याद सताने लगी थी | बार बार उनका वो सुमन को रगड़ रगड़ कर चोदना आँखों के सामने फिल्म की तरह घूमने लगता था | चुत की खुजली जब मिटाए ना मिटे तो फिर जीजा भी पति से ज्यादा प्यारा लगने लगता है और पति देव के पास तो चुत की खुजली मिटाने का समय ही नहीं था तो क्या करती फ़िदा हो गई जीजा के लण्ड पर और चुत भी चुलबुलाने लगी जीजा का लण्ड लेने को |
पर जीजा से मिला कैसे जाए | अब तो पति देव के गैर हाज़री में मैं बस यही सोचती रहती | कहते है सच्ची लगन से अगर मांगो तो भगवान भी मिल जाते है | बस एक दिन जीजा हमारे घर पर आये | उन्हें जयपुर में कुछ काम था | उनको तीन चार दिन रुकना था | मेरी जब जीजा से आँख मिली तो जीजा ने आँख मार दी | मेरे दिल में हलचल सी मच गई थी | पति देव और जीजा बैठ कर बाते कर रहे थे और मैं खाना बना रही थी | जीजा ने बताया की उन्होंने होटल में कमरा बुक करवा लिया है तो मेरे पति बहुत नाराज हुए | बोले की घर के होते हुए होटल में रहो तो हमारे यहाँ होने का क्या फायदा | और उन्होंने जीजा को घर पर रहने के लिए मना लिया | मेरी तो बांछे खिल उठी | जीजा जो रहने वाले थे तीन चार दिन मेरे पास | रात को काफी देर तक बाते होती रही और फिर मैं जीजा का बिस्तर लगा कर कमरे में अपने पति के पास सो गई | सच कहूँ तो दिल नहीं था पति के पास सोने का | जीजा का लण्ड दिमाग में घूम रहा था |
सुबह होते ही मैं नाश्ता बनाने लगी | तभी मेरे लिए एक खुशखबरी आई | पति देव को अचानक टूर पर जाना पड़ गया था | मेरे तो दिल की धड़कन सिर्फ ये खबर सुन कर ही बढ़ गई थी | पति जब जाने लगे तो जीजा बोला की शालू अकेली है तो मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं है तो मैं भी होटल में चला जाता हूँ | पर इन्होने जीजा को बोल दिया की चाहे कुछ भी हो आपको घर पर ही रहना है | और फिर अब तो और भी ज्यादा जरुरी है क्यूंकि शालू अकेली है |
खैर जीजा मान गए तो मेरी जान में जान आई |
ये अपना सामन लेकर करीब दस बजे घर से चलने लगे तो जीजा भी इनके साथ ही चले गए अपने काम से | सबके जाने के बाद मैं नहा धोकर तैयार हो गई और सोचने लगी की जीजा ने तो अब तक कुछ भी ऐसा नहीं जताया है की वो मुझ से सेक्स करना चाहते है तो मैं क्यों इतनी उतावली हो रही हूँ उनसे चुदवाने को | पर दिल तो कर रहा था ना जीजा से चुदवाने का | मैं सोचने लगी की कैसे जीजा के साथ चुदाई का मज़ा लिया जाए | इसी उधेड़बुन में दोपहर हो गई | तभी जीजा का फोन आया की वो कुछ देर में घर पर आ रहे है तो मैं उठ कर उनके लिए खाना बनाने लगी |
जब तक खाना तैयार हुआ तब तक जीजा भी आ गए | बाहर गर्मी बहुत थी तो वो नहा कर केवल बनियान और लुंगी में खाने की मेज पर आ गए | मैं उनको खाना परोसने लगी तो मैंने देखा की जीजा की नजर मुझ पर जमी हुई थी | मैं आपको बता दूँ की मैंने उस दिन कपडे भी खुले खुले से पहने थे जो जीजा को उतेजित करने के लिए ही थे | मेरे बड़े गले के ब्लाउज में से मेरी चुचियाँ जो की सभी कहते है की क़यामत है झांक रही थी | मैं खाना परोस रही थी और जीजा अपनी आँखे सेक रहे थे |
हम दोनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया | खाने के दौरान कोई खास बात नहीं हुई | खाना खत्म होने के बाद जीजा अंदर कमरे में लेट गए | रसोई का काम निपटा कर मैं जान बुझ कर जीजा के पास कमरे में गई और पुछा – जीजा कुछ और चाहिए क्या...?
जीजा तो जैसे इसी सवाल को सुनने के लिए तैयार बैठे थे | बोले – हाँ... चाहिए तो पर...
जीजा ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया | तभी जीजा ने बात को बदलते हुए एक दम से मुझे शर्त की याद दिलाई | पर मैं तो भूली ही नहीं थी वो बात | फिर भी मैंने ऊपर के मन से कहा की जीजा ऐसी बाते तो शादी बियाह में होती रहती है |
“पर हम तो जब एक बार शर्त लगा ले तो पुरी करके ही छोड़ते है” जीजा ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया | मैं उठ कर बाहर जाने लगी तो जीजा ने मेरा हाथ पकड़ लिया | मेरा पुरा बदन झनझना गया | आखिर चाहती तो मैं भी यही थी | पर मैं हाथ छुड़वा कर अपने कमरे में भाग गई | मेरी सांसे तेज तेज चल रही थी अब | तभी जीजा मेरे कमरे के बाहर आये और मुझे दरवाजा खोलने को कहने लगे और बोले की शर्त लगाती हो और पुरा भी नहीं करती | ये तो गलत बात है | हम भी तो देखे की हमारी साली चुदाई में चिल्लाती है या नहीं |
“नहीं जीजा ये ठीक नहीं है...” सच कहूँ तो मेरे दिल में ये भी था की मैं अपने पति के साथ कैसे धोखा कर सकती हूँ पर एक बार जीजा से चुदवाने के लिए चुत भी फडक रही थी | जीजा कुछ देर दरवाजे पर खड़े खड़े मुझे मानते रहे पर मैंने दरवाजा नहीं खोला | कुछ देर बाद जब जीजा जाने लगे तो मैं अपने दिल पर काबू नहीं रख पाई और मैंने दरवाजा खोल दिया | मेरे दरवाजा खोलते ही जीजा एक दम खुश हो गए |
मैं दरवाजा खोल कर साइड में खड़ी हो गई | जीजा कमरे में अंदर आये और मेरे चेहरे को ऊपर उठा कर बोले की शालू... सच में तुम एक क़यामत हो | जब से तुम्हे देखा है मेरा लण्ड बस तुम्हारी याद में ही सर उठाये खड़ा रहता है | बस एक बार अपनी खूबसूरती का रसपान करने दो |
मेरी तो जैसे आवाज ही बंद हो गई थी | तभी जीजा ने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए तो दिल धाड़ धाड़ बजने लगा | जीजा ने होंठ चूसते चूसते चुचियाँ मसलनी शुरू कर दी | मेरी तो हालत खराब हो गई थी | पहली बार किसी गैर मर्द का हाथ मेरी जवानी पर था | जीजा ने अपनी बाहों में मुझे उठाया और बेड पर लेजा कर लेटा दिया | बेड पर लेटा कर जीजा ने अपनी लुंगी खोल कर साइड में फैंक दी | जीजा का लण्ड अंडरवियर में भी बहुत खतरनाक लग रहा था | फिर जीजा बेड पर आकर मुझ से लिपट गया और मेरे बदन को चूमने लगा | मैं मदहोश होती जा रही थी | जीजा ने मेरा ब्लाउज खोल दिया और ब्रा में कसी चुचियों को चूमने लगा | फिर जीजा ने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार दी और मेरी चुचियों को मुँह में भर भर कर चूसने लगा | मेरी चुत पानी से सराबोर हो गई और उसमे लण्ड लेने के लिए खुजली होने लगी थी | दिल कर रहा था की जीजा का लण्ड पकड़ कर घुसा लू अपनी चुत में और चुद जाऊ अपने सपनो के लण्ड महाराज से |
जीजा ने धीरे धीरे मेरे कपडे मेरे बदन से अलग कर दिए | अब मैं जीजा के सामने बिलकुल नंगी पड़ी थी | मेरी शर्म के मारे आँख नहीं खुल रही थी | तभी जीजा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया तो अहसास हुआ की जीजा भी बिलकुल नंगा हो चूका था और जीजा का मुसल जैसा लण्ड सर उठाये खड़ा था | मैंने भी अब शर्म करना ठीक नहीं समझा और पकड़ लिया जीजा का लण्ड अपने हाथ में और लगी सहलाने | एक गर्म गर्म लोहे की रोड जैसा लण्ड था जीजा का | हाथ में पकड़ कर ही महसूस हो रहा था की ये मेरी चींखे निकलवा देगा |
मुझे आईडिया हो गया था की आज तो मैं शर्त हारने वाली हूँ पर मैं तो चाहती ही यही थी की जीजा मेरी चींखे निकलवाए | वैसे मेरे पति का लण्ड भी कुछ कम नहीं था पर वो तो मुझे समय ही नहीं दे पाते थे | जब भी मुझे उनके लण्ड की जरुरत होती तो वो टूर पर गए होते थे और मैं अकेली चुत में ऊँगली डाल कर उनको याद करती रहती |
जीजा ने मेरे पास आकर लण्ड को मेरे मुँह के पास कर दिया | मैंने आज से पहले कभी भी लण्ड मुँह में नहीं लिया था | पर जीजा ने लण्ड मेरे मुँह से लगा दिया तो मैंने जीभ से टेस्ट करके देखा | उसका नमकीन सा स्वाद मुझे अच्छा लगा तो मैंने लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी | जीजा का मुसल सा लण्ड गले तक जा रहा था | जीजा मस्ती में उसको अंदर धकेल रहे थे | कई बार तो वो मुझे अपने गले में फसता हुआ महसूस हुआ | पहली बार था तो उबकाई सी आने लगी | जीजा ने मेरी हालत देखी तो लण्ड बाहर निकल लिया |
जीजा ने अब मुझे लेटाया और मेरी चुत के आस पास जीभ से चाटने लगे | मैं आनन्दसागर में गोते लगाने लगी | तभी जीजा की जीभ मेरी चुत के दाने को सहलाते हुए चुत में घुस गई | मैं तो सिहंर उठी | पहली बार चुत पर जीभ का एहसास सचमुच बहुत मजेदार था | पति देव ने ना तो कभी मेरी चुत चाटी थी और ना ही कभी अपना लण्ड चुसवाया था | ये दोनों ही एक्सपीरियंस नए थे मेरे लिए | बहुत मज़ा आ रहा था और मैं मस्ती के मारे आह्हह्ह उह्ह्ह्ह म्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कर रही थी |
जीजा ने अपना लण्ड मेरे हाथ में दे दिया था और मैं उस लोहे की रोड जैसे लण्ड को अपने हाथ से मसल रही थी | तभी जीजा बोला की अब चींखने के लिए तैयार हो जाओ | मैं कुछ बोल नहीं पाई बस जवाब में थोड़ा मुस्कुरा दी | अब तो मेरी चुत भी लण्ड मांग रही थी | जीजा मेरी टांगो के बीच में आ गया और अपना मोटा लण्ड मेरी चुत पर घिसने लगा | मेरी चुत पानी पानी हो रही थी | डर भी लग रहा था | मैं सोच में ही थी की जीजा अब क्या करेगा मेरी चींखे निकलवाने के लिए की जीजा ने लण्ड को चुत पर सेट करके एक जोरदार धक्का लगा दिया और लण्ड चुत को लगभग चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया और मेरे मुँह से एक जोरदार चींख निकल गई | अभी पहले धक्के का दर्द खत्म भी नहीं हुआ था की जीजा ने दो तीन धक्के एक साथ लगा दिए और मैं दर्द से दोहरी हो गई | सच में बहुत खतरनाक लण्ड था जीजा का |
लगभग पुरा लण्ड अब चुत में था बस थोड़ा सा ही बाहर नजर आ रहा था | तभी जीजा ने सुपाडे तक लण्ड को बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्के के साथ वापिस चुत में घुसेड़ दिया | लण्ड अंदर जाकर सीधा बच्चेदानी से टकराया | मैं मस्ती और दर्द दोनों के मिलेजुले एहसास में चींख उठी | पति का लण्ड था तो मस्त पर बच्चेदानी तक नहीं पहुँच पाया था आज तक | ये एहसास भी मेरे लिए बिलकुल नया था |
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद जीजा ने पहले धीरे धीरे धक्के लगाये और फिर पुरी स्पीड में शुरू हो गया | लण्ड बार बार अंदर बच्चेदानी तक जा रहा था और मैं अपने आप को रोक नहीं पायी चींखने से | मैं शर्त हार चुकी थी पर इस शर्त को हारने का मुझे अफ़सोस बिलकुल नहीं था | मैं तो अब खुद ही चाह रही थी की जीजा जोर जोर से धक्के लगा कर फाड़ डाले मेरी चुत को | सच में बहुत मस्त चुदाई हो रही थी मेरी | इतना टाईट लण्ड पहली बार मेरी चुत में था | कुछ देर बाद लण्ड ने अपनी जगह चुत में बना ली थी और अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था पर मैं अब भी मस्ती के मारे चींख चिल्ला रही थी |
“आह्ह्ह जीजा जोर से... फाड़ दे आज तो... तुने तो मेरी सच में चींखे निकलवा दी मेरे राजा |”
मैं मस्ती के मारे बडबडा रही थी | जीजा चुप चाप अपने काम में लगा था और मेरी चुत का भुरता बना रहा था | जीजा पसीने से तार हो चूका था | दस मिनिट हो चुके थे उसको मुझे चोदते हुए | मुसल सा लण्ड और मस्त धक्के खाने के बाद अब मेरी चुत अब उलटी करने वाली थी | और फिर वो ज्यादा देर अपने आप को रोक नहीं पाई और झर झर झड़ने लगी | पानी छुटने से चुत फच फच करने लगी | जीजा अब भी पुरे जोश के साथ चुदाई कर रहा था | कमरे में मादक आवाजे गूंज रही थी |
पानी निकलने के बाद मेरा बदन कुछ देर के लिए ढीला हुआ था पर जीजा की जोरदार चुदाई ने मुझे एक बार फिर से गर्म कर दिया | और मैं गाण्ड उठा उठा कर लण्ड चुत में लेने लगी | जीजा ने मुझे अब घोड़ी बनाया और पीछे आ कर लण्ड मेरी चुत में डाल दिया | जीजा का लण्ड इतना टाईट था की मैं उस पर टंगी हुई सी लग रही थी | जीजा ने फिर से अपनी पुरी ताकत के साथ मेरी चुदाई शुरू कर दी और फिर पुरे आधा घंटा तक वो मुझे चोदता रहा | मैं दो बार झड गई थी इस बीच |
आधे घंटे के बाद जीजा का बदन अकड़ने लगा और उसके धक्को की स्पीड भी चरम पर थी | तभी जीजा के लण्ड ने गर्म गर्म माल मेरी चुत में पिचकारी बन कर झड़ने लगा | जीजा का वीर्य की गर्मी से मेरी चुत भी एक बार फिर पानी पानी हो गई थी | जीजा ने ढेर सारा माल मेरी चुत में भर दिया |
मैं इस चुदाई से परमसुख का एहसास कर रही थी | शर्त हार कर भी मैं बहुत कुछ जीत गई थी |”यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
कुछ ही देर बाद जीजा फिर से मेरे पास आ गए और फिर से मेरे बदन को चूमने चाटने लगे | मैं हैरान थी की अभी अभी ये इंसान आधे घंटे तक चोद कर हटा है और इतनी जल्दी फिर से तैयार हो गया | मैंने जोर देकर अपनी आँखे खोली तो देखा की जीजा का लण्ड अब फिर शबाब पर आ गया था | मेरी चुत को कपडे से साफ़ करके जीजा ने फिर से अपना लण्ड चुत में घुसा दिया | मैं चींखती रही और जीजा चोदता रहा | फिर तो सारी रात मेरी चींखे कमरे के अंदर गूंजती रही |
जैसा की मैंने आपको बताया की जीजा वो दूसरा इंसान था जिसका लण्ड मैंने अपनी चुत में लिया था | पहला मेरा पति और दूसरा मेरा जीजा | जीजा ने मेरे घर में आकर मेरी जो चींखे निकलवाई की मैं तो जीजा की और जीजा के लण्ड की दीवानी हो गई | उस चुदाई के बाद तो जीजा का अक्सर मेरे घर पर आना जाना हो गया और मेरे पति और जीजा की भी अच्छी दोस्ती हो गई | जीजा जब भी आता तो मुझे चोदने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था या यूँ कहो की मैं चुदवाए बिना जीजा को जाने ही नहीं देती थी |
जब भी जीजा आता और मुझे चोदता तो मेरी गाण्ड की इतनी तारीफ करता की पुछो मत | हर बार वो मुझे लण्ड गाण्ड में डलवाने के लिए मनाता पर मुसल जैसे लण्ड को देख कर मेरी हवा टाईट हो जाती और मैं किसी न किसी बहाने जीजा को टाल देती | एक दो बार जीजा ने अपनी ऊंगली घुसाई भी मेरी गाण्ड में जिस से मुझे बहुत दर्द हुआ | मैं डर गई की जब पतली सी ऊंगली से ही इतना दर्द होता है तो जब मोटा मुसल जैसा लण्ड इसमें जाएगा तो मेरी तो जान ही निकल जायेगी |
कुछ महीने बीते और तभी जीजा की बहन यानि मेरी चचेरी बहन सुमन की ननद की शादी तय हो गई | जीजा ने हमें भी न्यौता दिया था | जीजा जब शादी का कार्ड देने आया था तो मुझे कह गया था की शादी में जब आओ तो अपनी गाण्ड पर अच्छे से तेल लगा कर आना | मैंने सोचा की जीजा मजाक कर रहा है और मैंने वो बात हँस कर टाल दी |
आखिर शादी में जाने का दिन भी आ गया | मैं अपने पतिदेव के साथ बनठन कर जीजा के घर के लिए रवाना हो गई | जब मैं तैयार हो रही थी तो मुझे एक दम से जीजा की बात याद आई तो मेरी गाण्ड में गुदगुदी होने लगी | अनजाने में ही मेरा हाथ पहले चुत पर और फिर गाण्ड पर चला गया | मैं मन ही मन हँस पड़ी | मैंने कुछ सोचा और फिर एक ऊंगली भर कर गाण्ड पर तेल लगा लिया | रास्ते भर मैं इसी बात को सोच सोच कर मंद मंद मुस्कुराती रही | पतिदेव ने एक दो बार पुछा भी पर मैंने बातों बातों में टाल दिया |
सफर जैसे जैसे खत्म हो रहा था मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी | और फिर हम जीजा के घर पर पहुँच ही गए | जीजा भी जैसे मेरे ही इन्तजार में दरवाजे पर खड़ा था | मुझे देखते ही उसने आँख दबा कर मेरा स्वागत किया तो मैंने भी जवाब में आँख दबा दी | घर पहुँच कर सबसे मिलना जुलना हुआ और जीजा ने मेरे पति को अपने किसी दोस्त के साथ पास के शहर में कुछ सामन लाने भेज दिया | कुछ ही देर बाद जीजा आये और मुझे बुला कर अपने साथ चलने को कहा |
“जीजा...सब लोग क्या सोचेंगे... अच्छा नहीं लगेगा ऐसे जाना””यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं
पर जीजा मुझे घर के पीछे वाले दरवाजे पर आने का बोल कर चले गए | मैं कुछ देर तो सोचती रही पर फिर अपने आप को जाने से नहीं रोक पाई | दरवाजे से निकली तो पीछे एक गाड़ी खड़ी थी | जीजा उसमे पहले से ही बैठा था | मैं भी जाकर बैठ गई तो जीजा ने गाड़ी एक सड़क पर दौड़ा दी |
इस बीच मैंने जीजा से दो तीन बार पुछा की कहाँ ले जा रहे तो पर जीजा ने कोई जवाब नहीं दिया और बस बोले की तुम्हे जन्नत की सैर करवाने ले जा रहा हूँ | कुछ देर के सफर के बाद जीजा ने खेतों में बने एक मकान की तरफ गाड़ी घुमा दी | मकान के गेट पर ताला लगा था | जीजा ने ही ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए |
अंदर जाते ही जीजा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए | मैं तो खुद जीजा की दीवानी थी तो भला मैं अपने आप को कैसे रोक सकती थी तो मैंने भी जीजा का साथ देने लगी | जीजा दीवानों की तरह मुझे चूम रहा था | उसके हाथ मेरी चुचियों को टटोल रहे थे | कुछ देर बाद जीजा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और अंदर एक कमरे में ले गए जहाँ एक डबलबेड था | जीजा ने मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद अपने कपडे उतारने लगे |
मैंने पुछा तो जीजा ने बताया की ये उनके एक दोस्त का मकान है और वो दोस्त मेरे पति को लेकर शहर गया है ताकि मैं तुम संग मज़ा कर सकूँ | मेरी हँसी छूट गई जीजा की मेरे प्रति दीवानगी देख कर |
खुद के कपडे उतारने के बाद जीजा मेरे पास आया और मेरे कपडे मेरे शरीर से अलग करने लगा | देखते ही देखते जीजा ने मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं छोड़ा और मुझे बिलकुल नंगी करके ही दम लिया | जीजा ने अभी भी अंडरवियर पहना हुआ था जिसमे जीजा का लण्ड एक गाँठ की तरह लग रहा था | मैंने भी देर नहीं की और लण्ड महाराज को अंडरवियर की कैद से आजाद करवाया | बाहर निकलते ही लण्ड अपने पुरे शबाब के साथ तन कर खड़ा हो गया | मैं तो दीवानी थी इस लण्ड की | नौ इंच लम्बा और तीन इंच से ज्यादा मोटा लण्ड देख कर तो किसी भी औरत की चुत पानी पानी हो जाए तड़प उठे उसे अपने अंदर लेने को |
जीजा ने लण्ड मेरे मुँह की तरफ किया तो मैंने धीरे धीरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और सुपाडे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी | फिर कुछ देर तक लण्ड को चूसा और जीजा को मस्त कर दिया | जीजा ने मुझे सीधा लेटाया और लण्ड मेरी चुत में उतार दिया | जीजा का लण्ड अंदर घुसते ही मेरी आह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गई |
जीजा जबरदस्त चुदाई करने लगा | चुदाई करते करते उसने एक ऊँगली मेरी गाण्ड पर लगाईं तो उसे चिकनाई का एहसास हुआ |
जीजा हँस पड़ा और बोला की साली साहिबा अपने जीजा का कितना ख्याल रखती है... गाण्ड पर तेल लगा कर आई है | मेरी भी हँसी छूट गई | जीजा ने स्पीड बढ़ा कर चुदाई करनी शुरू की तो आठ दस धक्को के बाद ही मेरी चुत से झरना बह निकला | मैं झड गई थी |
क्रमशः
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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