FUN-MAZA-MASTI
सिलसिला चल पड़ा -2
हम सब अंदर बैठे ice cream का मज्जा ले रहे थे। योगी मेरे सामने और विक्की सोनल के सामने बता था। तभी मुझे किसी के पेर अपनी टांग से छुते हुए महसूस हुए। मुझे लगा विक्की ही होगा,इसलिए विरोध नही किया और बेठी रही। आहिस्ते से वो पेर मेरी दोनों टांगो के बिच से घुटनों तक आ गये। पर विक्की तो ऐसी हरकतें करता ही नही था, वह तो बस मेरे भारी भरकम कूल्हों का दीवाना था। खैर हमने ice cream ख़त्म की ओर चल पड़े।
मेरा ध्यान योगी की पेंट की ओर गया तो समझ गयी की मुझे पेर से कोन छेड़ रहा था; योगी की पेंट में टेंट बना हुआ था । मैं मुस्कुरा गयी शर्म के मारे ओर चेहरा लाल हो गया, योगी ने भी मेरी नजर पकड ली थी जब में उसके लिंग को घूर रही थी। वह भी मुझे देख मुस्कुराया ओर एक फ्लाइंग किस चोरी से मेरी ओर भेज दी। मेने भी आंख के इशारे से उसे जता दिया कि मेने उसकी फ्लाइंग किस कबूल करली।
धीरे धीरे योगी मेरे करीब ओर विक्की मुझसे दूर होते जा रहे थे। एक दिन हम चारो विक्की के घर शनिवार के दिन हाफ-डे छुट्टी के बाद गये। वहां हम विकी के मम्मी पापा वाले बेडरूम में बैठे थे जहाँ विकी ने कोई 20 बार मेरी गांड ली होगी। बातों बातों में ही ब्लू-फिल्मो पे आ गये तो पता चला की सोनल प्रीत को xxx फिल्म्स देखते हुए 2 साल हो चुके थे, ओर यह बात भी पता चली की विकी ने सोनल को भी इस कमरे में बुला के फिल्मे देखी हैं।
धीरे धीरे माहोल गरम हो गया। सोनलप्रीत ने बताया की जब पहले पहले विकी उसकी लेता था तो दर्द कितना हुआ करता था, इस बात पे मैंने भी अपने दर्द भरे एहसास को बता दिया। फिर बात योगी ओर विकी के लिंग के साइज़ की हुई तो दोनों ने जल्दी से अपने कपडे उतार के तन्ने हुए लंड सामने करते हुए बोला बताओ कोन किसका पसंद करती हे। सोनालप्रीत ने झट से विकी का 6इंची काला लम्बा लंड पकड़ लिया। मेरी नज़रें योगी के 5इंची गोरे चिट्टे लंड पे टिक्की हुई थी। पर शर्म के मारे मेने कोई हरकत नही की ओर चुप चाप बेठी रही। तभी योगी सोनलप्रीत की ओर बढ़ा और उसके होंठों को अपने मूंह में भर के रसपान करने लगा। सोनल को उन दोनों के साथ खुल के अय्याशी करते देख मुजे विकी की दिखाई हुई ब्लू-मैगज़ीन याद आई जिस में एक लड़की 2 या 3 मर्दों के साथ लगी होती थी। तभी विक्की ने पुछा किसे किसे ब्लू-फिल्म देखनी हे। हम सब ने एक स्वर में हामी भर दी।
विक्की ने अलमारी से एक cd निकाली ओर dvd player में डाल दी। फिल्म शुरू हो गयी ओर साथ ही साथ उन तीनो की अय्याशी भी।
विक्की ने अलमारी से एक cd निकाली ओर dvd player में डाल दी। फिल्म शुरू हो गयी ओर साथ ही साथ उन तीनो की अय्याशी भी।
... अब आगे ...
सोनल उन दोनों को बड़ी आसानी से संभाले हुए थी। एक तरफ विक्की का लंड हाथों में सहलाते सहलाते और तगड़ा कर रही थी दूसरी तरफ योगी से अपने होंठो को चुसवा चुसवा के मदमस्त कर रही थी। ब्लू-फिल्म on हो चुकी थी ओर मेरा सारा ध्यान उसमे होने वाले हवस के प्रदर्शन पे चला गया। एक इंडियन सी दिखने वाली लड़की को दो अंग्रेजो ने घेर रखा था ओर बारी बारी से उसके जिस्म से खिलवाड़ कर रहे थे। कभी मम्मे चूसते तो कभी होंठो का मदिरापान करके उसकी मदहोशी बढ़ाते। इधर विक्की ओर योगी पूरे नंगे हो के सोनलप्रीत को भी नग्न करने में जुट गये।
यह सब देख के मेरे दिल-o-दिमाग पे गहरा असर पढ़ रहा था। प्यार ओर हवस के बीच का फर्क अब बेमानी हो गया था। जिस विक्की से पहले मुझे प्यार हुआ ओर जिस योगी के लिए मेरे दिल में नये जज्बात उभर रहे थे वह दोनों मेरी आँखों के सामने मेरी सहेली ओर स्कूल की सबसे चालू ओर बदनाम सरदारनी के साथ हवस का नंगा नाच खेल रहे थे।
पर मैं भी तो सोनल प्रीत कौर की राह पे चल पड़ी थी, अब मेरे लिए पीछे हटना संभव नही था। दो-दो हवस भरे नज़ारे देख के मेरा दिमाग मेरे काबू से बाहिर होता जा रहा था। मैंने भी अब अयाशी के समुन्द्र में डुबकी लगाने की ठान ली ओर उन तीनो के देखते देखते अपने जिस्म से स्कूल यूनिफार्म की स्कर्ट ओर शर्ट उतार के बिस्तर पे उनके साथ जा मिली।
हम चारों नंगे बेड पे ब्लू-फिल्म का आनंद ले रहे थे। मुझे नंगी देख योगी ने सोनल को छोड़ के मेरे पास आ गया था। ओर फिर मेरी नंगी कमर में हाथ डाल के अपने चिकने नंगे गोरे बदन से चिपका लिया। मैं भी शरम लाज की सभी सीमओं को लाँघ के योगी से चिपक गयी। फिर योगी ने मेरे रसीले होंठो का रसपान शुरू किया, ओर निचे से एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मेरी चीख निकली ओर तभी विक्की ओर सोनलप्रीत का ध्यान मेरी ओर गया।
मैं योगी से अलग हो के अपनी योनि को पकडे हुए लेटी थी, योगी परेशान ओर विक्की हैरान था। योगी ने पुछा की तेरी इतनी टाइट क्यों हे, विक्की तो बोलता हे की खूब ली हे। इस्पे मेने कहा की सामने से कुवारी हूँ, विक्की पीछे से लेता हैं। सोनल यह बात सुन के हस दी ओर बोली, विक्की तो बस पीछे से लेने का शोकीन हे, सामने से योगी ही लेगा तेरी। यह सुन के मैंने योगी की ओर देखा तो वोह चमकती आँखों से मेरी ओर देख के बोला, तयार हो जा अपनी सील तुडवाने को। मैं थोडा सा घबरा गयी ओर प्रेगनेंसी के डर से उनको अवगत करवाया। मुझे माँ नही बनना था इसलिए मेने उनसे बता दिया जो मेरे दिल में था।
सोनल ने हस्ते हुए कहा की घबरा मत कुछ नही होगा, में भी तो चूत देती हूँ इनको, मैं कभी प्रेग्नेंट नही हुई। मेने पुछा केसे तो वो बोली की हम लडकियों के पेट से होने के चांस महवारी के 7 दिन बाद बोहत कम होते हैं, उन दिनों में चूत मरवाया करना। मेरे दिल में ओर जितने सवाल थे में उनसे पूछती गयी, वीर्य को लेके या कंडोम को लेके, माला-डी और एबॉर्शन, शादी ओर बच्चे, प्यार और हवस.... हर मुद्दे पे हमने खुक के बात की ओर जब मुझे संतुष्टि हो गयी तो में भी योनी संभोग के आनंद का मज़ा लेने को व्याकुल हो गयी
मैंने योगी के लिंग को हाथों में लेके मसलना शुरू किया। उधर सोनल प्रीत झुक के विक्की के लंड को चूस रही थी जेसे ब्लू-फिल्म में हो रहा था। योगी ने मुझे इशारा किया चूसने का, मैं भी झुक गयी ओर मूह खोल के उसके गोरे लंड का सुपाडा मूंह में ले के स्वाद किया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्� �़ .... क्या नज़ारा था। मोहल्ले की दो सबसे हसीन ओर सेक्सी कुडियां झुक के अपने मुंह में लंड लिए हुए थीं, ओर दोनों एक दुसरे से आगे बढ़ना चाहती थी। सोनल प्रीत अनुभवी थी ओर लिंग को धीमी लय से चूस रही थी, वहीँ मैं जोश से भरी हुई तेज़ी से लिंग-मुंड पे अपने रसीले होंठ चला रही थी।
विकी ओर योगी दोनों की हालत खराब थी ओर किसी भी समय झड सकते थे। तभी विक्की ने अपना लंड सोनल प्रीत के मुंह से खीँच लिया, ओर मेरे पीछे आ गया। मैं योगी का लंड चूसने में व्यस्त थी की तभी मेरे गोरे चिट्टे भारी चुतड के बीच विकी का फनफनाता लंड महसूस हुआ। मेने योगी के लिंग को मुंह से निकाल के पीछे देखा तो विकी तयार था ओर तभी मेरी गांड में तेज़ दर्द के साथ उसका मोटा सुपाडा मेरी गुदा में प्रवेश कर गया। मेरे मुंह से चीख निकली,"हाय रब्बा ...ओउह ओह आओह ... दर्द हो रहा विक्की निकाल लो प्लीज़" परन्तु विक्की पे हवस का भूत सवार था ओर वो अपने फूले हुए लंड को मेरी गांड की गहराइयों में अंदर ओर अंदर करता गया तेज़ धक्कों से।
उधर योगी ने फिरसे मेरे मुंह में अपने लिंग को ठूस दिया ओर अब सोनी दो दो लंड अपने अंदर ले के निहाल हुए जा रही थी। विक्की के धक्के तेज़ होते गये ओर कुछ ही पलों बाद उसका कामरस मेरी गुदा में बहने लगा। में भी विक्की को झड़ते हुए महसूस कर रही थी, उसके लंड की नस्सें फूल ओर सिकुड़ के मेरी चिकनी गांड में वीर्य का सैलाब भर रही थी। मुझे गरम लावा अपने अंदर बहता हुआ महसूस हो रहा था।
अब विक्की निढाल हो के बिस्तर पे गिर गया पर मुझे आज़ादी नही मिली क्युकी योगी मेरे मुंह में हलकी लैय बना के धक्के देता हुआ मेरा मुंह चोद रहा था। तभी पीछे से विक्की ने अपनी ऊँगली मेरी योनी में घुसा दी, मुझे महसूस हुआ की इस बार मेरी चूत योंन-रस से पूरी भीग चुकी थी ओर विक्की की ऊँगली सरक के बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी। विक्की मेरी चूत को ऊँगली से चोद रहा था जबकि योगी मेरे लम्बे केश पकड़ के तेज़ी से मेरा मुख-मैथुन कर रहा था। मेरी योनी में विक्की की ऊँगली नये नये करतब करती हुई मुझे अपने चरम की ओर ले के जा रही थी।
विक्की की ऊँगली मेरी योनी में एक तूफ़ान सा ले आई थी। जेसे जेसे विक्की ऊँगली अंदर बाहर करता वेसे वेसे मैं अपने चरम के पास पुहंच रही थी। विक्की तेज़ तेज़ ऊँगली चलाने लगा, मेरी भी अब बर्दाश्त करने की शकती समाप्त होती जा रही थी। मेने अपने मुंह से योगी का लंड निकाल लिया ओर अपने चेहरे को तकिये में धंसा के योनी में उठने वाली तरंगों का आनंद लेने लगी। फिर कुछ ही देर बाद वह पल आ गया जब पेट की गहराई में कुछ टूटता हुआ महसूस हुआ, ओर फिर एक भावनात्मक शारीरिक ओर मानसिक तौर पे जिंदगी का सबसे हसींन एहसास जो एक उफनते हुए सैलाब की भांती सारे बाँध तोड़ के बाहिर निकल आया । मेरे जीवन का यह पहला सखलन था, पर यह कुछ ऐसा नशा था जिसकी लत्त पहली ही बार में लग गयी ।
अगले कुछ मिनटों तक में यूँही बेसुध सी बिस्तर में पड़ी हुई झटके खा रही थी, जब मुझे होश आया तोह योगी मेरी टांगो के बीच आ चूका था ओर अपने लिंग को मेरी करारी योनी पे रगड़ रहा था। में जानती थी अब क्या होने वाला था, पर अपना कुवारापन खोने का डर तो हर भारतीये लड़की को होता ही हे। मेने योगी से रुकने को कहा, पर इस से पहले की में कुछ समज पाती, योगी ने तीर निशाने पे छोड दिया। तीखे दर्द से में एकदम दोहरी हो गयी ओर चीख चीख के योगी को मेरी योनी से अपना लिंग निकालने की गुजारिश करने लगी। पर मेरी किसी बात का असर नही हुआ ओर वो मुझे बिस्तर में दबा के मेरी योनी की गहराई नापने में जुट गया।
दूसरी ओर सोनल प्रीत doggy पोज में झुकी हुई थी और विक्की उसकी चूत पीछे खड़ा हो के मार रहा था। उसके लम्बे केश विक्की ने लगाम की तरह पकड रखे थे ओर खींच खींच के लंड पेल रहा था अंदर बाहर। हम दोनों अपने रब को याद करके "हायो रब्बा हायो रब्बा" का जाप कर रही थी, जब की योगी ओर विक्की दोनों अपने अपने लंड से हमारी सेवा में जुट गये थे। मेरे दर्द में अब कुछ कमी होने लगी क्योंकि चूत पानी पानी हो चुकी थी जिस से लंड को अंदर बाहर करना में आसानी ही रही थी। योगी ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा ली ओर दूसरी तरफ विक्की ने तो शताब्दी रेल की भांति सोनल प्रीत की चूत में तूफ़ान भर दिया था । आखिरकार वह पल आ ही गया , ओर हम चारों एकसाथ अपने चरम पे पहुँच गये । मैं ओर सोनल प्रीत "... हाय रब्बा.. ओह हाय वाहेगुरु ... आह् मार सुटेया..." कहती हुई झड़ने लगी तो दूसरी तरफ योगी ओर विक्की " ओह गॉड... फ़क यू... बहनचोद मज़्ज़ा आ गया सरदारनी ... ओर ले और ले " जेसे शब्द बोल के हमारे अंदर ही झड गये
योगी द्वारा योनी कोमार्य भंग करवाने के बाद विक्की ने मोर्चा संभाला । सोनल प्रीत ने चूस चूस के उसका लंड लोहे की रॉड जेसा सख्त कर दिया था ओर लगातार योंन क्रीडा करने से उसका रंग बैंगनी सा हो गया था । विक्की ने मेरी कमर उठा के चुतड के नीचे तकिया टिकाया ओर फिर मेरी चिकनी गोरी झांघों के बीच पोजीशन बना के बैठ गया। तब तक योगी भी अपना लिंग धो के बाथरूम से निकला ओर बिस्तर का नजारा देख के उतेजित हो के मेरे पास आ गया। उसने मुझसे कहा कि मुझ में सोनल से बढ़ के मज़ा हे। फिर उसने विकी की ओर देख के कुछ इशारा किया ओर मेरे होंठो पे अपना मुंह रख के जबरदस्त किसिंग करने लगा। मैं उसके किस करने के अंदाज की कायिल थी ओर कुछ ही पलों में उसके किस में खो गयी।
पर यह खुमारी ज्यादा देर की नही थी, विक्की ने अपने बड़े से लंड को मेरी योनी में थास के धकेल दिया ... मेरी चीख भी योगी ने निकलने नही दी अपने मुंह को मेरे मुंह पे दबा के । विक्की ने आव देखा ना ताव ओर जंगली सांड की तरह मेरी कमसिन करारी चूत में ताबड़ तोड़ अपना लौडा पेलता चला गया ।मेरे निचले पेट में हर धक्के से तेज़ दर्द का एहसास हो रहा था, पर विक्की था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था। मैं अपनी मजबूर हालत को समझते हुए अपने रब्ब को याद करने लगी। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ तो योगी ने मेरे मुंह से अपना मुंह हटा लिया। अब मैं खुल के अपने एहसास को बयान करती हुई चुदवाने लगी।
पीड़ा की जगह अब आनंद ने ले ली थी ओर में बढ़ चढ़ के उनका साथ देने लगी। योगी ने मेरे निम्बू जितने उरोज को हाथों से मसलना शुरू किया ओर विक्की ने मेरी दोनों चिकनी गोरी टांगो को उठा के अपने कंधो पे रख लिया । अब तो चुदवाने में मुझे जन्नत का मज़ा आने लगा, में अब " ओह येस फ़क मी हार्ड " और "जोर से विक्की ओर अंदर ओर अंदर" जेसी बातें बोल के विक्की को उकसाने लगी। विक्की भी मेरे इस बदले हुए रूप को देख के बोखला गया ओर एकदम वेह्शी बन के मेरी चूत मरने लगा। कुछ देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया ओर मैं झड गयी। मेरे बाद ही विक्की भी झड गया ओर मेरे उपर निढाल सा हो के गिर गया ।
मेरी योनी सूझ गयी थी । उसका रंग लाल सुर्ख हो गया था । विक्की और योगी बाहर सोनल प्रीत से गप्पें मार रहे थे और में अंदर बिस्तर पे पड़ी हुई अपनी हालत पे रो रही थी। फिर जेसे तेसे में कड़ी हुई, कांपती टांगो से चल के बाथरूम गयी और खुद को शावर के नीचे खड़ी कर के नहा धो के साफ़ करने लगी ।
फिर नहा के यूनिफार्म पहनी और बाहर निकली, मुझे देख के उन तीनो ने बातें बंद करदी। में बड़ी मुश्किल से चल रही थी, सोनल मेरे पास आयी और बोली की ऐसे घर जायगी तो सब शक करेंगे। वो मुझे फिरसे अंदर ले गयी और विक्की से बोली की दूध गरम कर दे । फिर उसने योगी को बाज़ार से पैन किलर लाने को कहा। अब मेरे साथ बैठ के सोनल ने अपने पहले योंन अनुभव के बारे में बताया। आज से 3 साल पहले उसका कोमार्य ट्यूशन वाले सर ने किया था, और तभ भी उसकी येही हालत हुई थी। फिर उन्होंने गरम दूध और पैन किलर टेबलेट दी थी जिस से बोहुत आराम मिला था। मेने सोनल से पूछा कि प्रेगनेंसी का कोई खतरा तो नही? वह बोली अगर तेरी माहवारी हफ्ता पहले आयी थी तो कोई टेंशन नही।
तब तक योगी टेबलेट ले आया था और विक्की ने अपने हाथों से गरम दूध से वह टेबलेट खिल दी। करीब आधे घंटे बाद मुझे काफी फर्क पढ़ गया और में घर जाने की स्थिथि में थी।
उस रात मुझे नींद नही आई। एक तरफ कुंवारापन खोने का दुःख, दूसरी और जिंदगी में पहली बार स्वर्ग का एहसास कराता योंन सखलन । एक तरफ लिंग से मिलने वाला दर्द तो दूसरी और उस्सी लिंग से मिलने वाला सुख। एक तरफ हवस में डूबे तीन खुदगर्ज़ लोग तो दूसरी तरफ मेरी तकलीफ का हल ढूँढ़ते हुए वोही तीन दोस्त । बस इसी कशमकश में सारी रात निकल गयी और सुबह 4 बजे कहीं जा के थोड़ी सी नींद की
अगले एक महीने मेरी खुल के चुदाई हुई । योगी ओर विक्की ने मुझे योंन क्रीडा में निपुण बना दिया था, सोनल प्रीत तो थी ही एक्सपर्ट एडवाइस के लिए । अब मेरे लिए दुनिया बदल चुकी थी । मर्दों को देखने का नजरिया भी बदल चूका था । पहले कभी कोई अंकल जब मुझे गोद में बिठाता या गाल चूमता तो सामान्य लगता तगा, पर अब वोही हरकत जिस्म में योंन वासना से भरी सिरहन पैदा कर देती। ओर ऐसा भी नही की सब अंकल लोग मुझे बच्ची की नजर से देखते हों। कुछ ऐसे भी थे जो मुझे आसान शिकार के रूप में देख रहे थे।
ऐसे ही एक इन्सान थे मुश्ताक । वह पापा के दोस्त थे ओर अक्सर उनका हमारे घर आना जाना था। में महसूस करती थी की जब भी वह घर आते तो उनकी आंखें मुझे ही ढूँढ रही होती । वह बाहर लॉबी में बेठ के अक्सर मेरे बारे में पूछते, फिर पापा मुझे आवाज़ लगा के बुलाते और कहते कि मुश्ताक अंकल आये गें। ओर जब में उनके सामने जाती तो उनकी आँखों की चमक से शर्मा जाती। फिर वह चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा करते, में पास जाती तो वह हस के मुझे अपनी गिरफ्त में लेके गाल पे थपकी लगा के गोद में बिठा देते ओर फिर चॉकलेट देते। में महसूस करती की नीचे मेरे नितंबो पे कोई चीज चुभ रही हे, और वह चीज अब मेरे दिलो दिमाग पे छाया हुआ मर्दों का औज़ार था जिससे हम लिंग लंड लौड़ा इत्यादि के नाम से जानते हैं ।
मुश्ताक अंकल मुझे गोद में बिठाने का कोई मोका नही छोड़ते। में वेसे तो उनके साथ विक्की योगी वाला सम्बन्ध नही सोच रही थी पर फिर भी मेरे दिमाग में ये सवाल अक्सर आता था कि मुश्ताक अंकल के इरादे क्या हैं , क्या वह बस यूँही गोद में बिठा के खुश रहेंगे या फिर किसी दिन मुझे विक्की योगी की तरह टांगें उठा रौंद डालेंगे।
मेने अब महसूस करना शुरू कर लिया था कि में जहाँ भी जाती हूँ, मर्दों और लड़कों की नज़रे मुझे जरूर घूरती हैं। चाहे स्कूल हो या ट्यूशन, बाजार हो या पार्क, पार्टी फंक्शन हो या सत्संग, यहाँ तक की गुरद्वारे जाते हुए बाहर खड़े लड़के भी मेरे जिस्म को ताड़ रहे होते। धीरे धीरे मेरी समझ में ये बात आने लगी थी कि जगह कोई भी हो, समय कोई भी हो, मर्द मर्द ही रहेंगे। वह किसी भी धर्म जाती के हो, जो मर्जी उम्र हो उनकी, जो मर्जी काम धंधा हो उनका, मर्दों को हम लडकियों की अजब सी ना भुझने वाली प्यास रहती हे ।
एक दिन स्कूल बस में घर आ रही थी, सीट खाली नही थी इसलिए खड़ी थी। साथ बैठे कंडकटर ने मुझे अपने पास जगह बना के बेठने का इशारा किया, में भी थकी हुई थी सो बैठ गयी। बस रस्ते पे दौड़ रही थी और उस कमीने के हाथ की उँगलियाँ मेरी चिकनी गोरी ओर स्कर्ट से बाहर झांक रही सुडोल झांघों पे । में पहले तो चौंक के ठिठक गयी, फिर आगे पीछे नजरें घुमा के देखी कहीं किसी ने देखा तो नही। कोई नही देख रहा था, मुझे ऐसा लगा, और फिर मेने उस कमीने की आँखों में ग़ुस्से से देख के उसको डराने की कोशिश की पर उसने आगे से कमीनी मुस्कुराहट से जवाब दिया। मुझे लगा कि में और झेल नही सकूँगी इसलिए सीट से खड़ी हो गयी। उसने हाथ हटा लिया और मेने राहत की सांस ली।
ऐसी ऐसी घटनाएं अब आये दिन मेरे साथ होने लगी थी। कोई दिन ऐसा नही जाता जब मुझे अपने नितम्बों उरोजों झांघों कमर इत्यादी पे मर्दों के फिसलते हाथ ना महसूस हों। ओर सबसे खतरे वाली बात थी के मुझे इसकी आदत सी होती जा रही थी।
फिर एक दिन जब में घर पे अकेली थी की तभी बेल बजी। मेने दरवाजा खोल तो सामने मुश्ताक अंकल खड़े थे
सामने मुश्ताक अंकल को देख मेरी हवाइयां उड़ गयी। वह सीधे अंदर आ गये और पूछा की मम्मी पापा कहाँ हैं, जब की उनको पता था की इस वक़्त घर पे कोई नही होता। मेने कहा बाहर हैं बस आते ही होंगे। पर मुश्ताक जनता था कि कोई नही आने वाला अगले कई घंटो तक सो वह अंदर आ के लॉबी में बैठ गया।
मेने उनके लिए पानी पुछा पर उन्होंने चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा किया। में अकेली थी घर पे इसलिए थोडा घबराई हुई थी, सो मेने चॉकलेट नही ली। मुश्ताक ने जब देखा की में पास नही आ रही तो वह खुद खड़े हो के मेरे पास आने लगे। में झट से लॉबी के बाहर निकल गयी ओर अपने आप को उनसे दूर करने लगी। पर वो मेरा नाम लेते हुए पीछे आ रहे थे। "सोनी बेबी कहाँ जा रही हो.... अंकल के पास आओ ... में आपके लिए गिफ्ट लाया हूँ..."
गिफ्ट का नाम सुनते ही में खड़ी हो गयी, मुश्ताक भी पास पोहंच गये ओर मुझे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढाया पर में भी कच्ची गोलियां नही खेली थी सो झट से दूर हो गयी। अंकल ने अब अपना अगला दाव चला, और जेब में हाथ दाल के मुझसे कहा की गिफ्ट यहाँ हे आ के लेलो। मेरी नजर उनकी पेंट की जेब पे पड़ी परन्तु मेरा ध्यान उनके गुप्तांग वाली जगह पे बने टेंट पे गयी । कितना बड़ा लग रहा था अंकल का लिंग, विक्की ओर योगी तो बच्चे थे उनके सामने। मेरे अंदर एक अजीब सी लहर पैदा हुई जिसने मेरे पक्के इरादों को कमजोर कर दिया, में अंकल से दूरी बना के रखना चाहती थी पर उनका खड़ा लंड मुझे उनके पास जाने को मजबूर करने लगा।
में इसी कशमकश में खड़ी थी की तभी मुश्ताक ने एक झपटे में मेरी नाज़ुक कलाई पकड़ ली ओर हस्ते हुए एकदम पास आ गया। उनकी आँखों में जीत की चमक थी, वेसी ही जेसी किसी योधा को जंग जीत की होती होगी। मुश्ताक ने जंग तकरीबन जीत ली थी, बस अब सरदारनी के किले में झंडा गाड़ने की देर थी। उन्होंने मेरा हाथ अपनी पेंट की जेब में डाला और कहा की गिफ्ट लेलो। मेने हाथ अंदर टटोला तो गिफ्ट नही था, पर वो चीज हाथ में आ गयी जो दुनिया की सबसे अच्छी गिफ्ट हो सकती हे किसी भी सेक्सी सिखनी के लिए।
मुश्ताक मुझे पीछे करते हुए बेडरूम की तरफ ले गये। मैं घबराई हुई उनकी और देखती हुई रह गयी ओर वह मुझे बिस्तर पे फेंक के मेरे उपर सवार हो गये, ऐसा लग रहा था जेसे एक भैंसा किसी बकरी पे चढ़ गया हो। मैं उनके अगले कदम के बारे में सोच रही थी कि उन्होंने मेरी दोनों कलाइयाँ थाम के सर के उपर कर दी ओर अब मेरे गले गरदन ओर गालों को चूमने लगे। उनकी आँखों में हवस का अशलील साया साफ़ दिखाई दे रहा था, पर में बेसहारा लाचार सी उनके निचे पड़ी हुई उनकी हवस का शिकार बन रही थी।
फिर धीरे धीरे उन्होंने अपने कूल्हों को हिलाना चालू किया, मेरी योनी पेट ओर झांघों पे उनके मोटे औजार की रगड़ साफ़ महसूस होने लगी। बीच बीच में वह मेरी चूत में हमला करने की कोशिश करते जिस से मुझे उनका लंड चुभन का एहसास देता, कपडों के उपर से ही। मेने हरे रंग की फ्रॉक पहनी थी जो की अब काफी उपर तक उठ चुकी थी ओर मेरी गोरी चिट्टी झंघें मुश्ताक को दीवाना बना रही थी। वह मेरी झांघों को जोर जोर से मस्सल के लाल करने में जुट गये, में भी एक वयस्क मर्द के हाथों की कलाकारी का आनंद लेना शुरू कर चुकी थी। विक्की ओर योगी तो नोसिखिये थे, पर मुश्ताक अंकल एक परिष्कृत खिलाडी जिसने न जाने कितने किले फ़तेह किये हुए थे। एक कमसिन सिखनी को जीत के उसे अपनी हवस मिटाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नही था ।
अब 10 मिनट हो गये थे मुश्ताक को मेरे उपर चढ़े हुए, ओर अब तक मेरी प्रतिरोध करने की क्षमता ख़त्म हो चुकी थी, उलटे अब में भी अंकल का खुल के साथ देने लगी थी। मेरी सिस्कारियां बेडरूम में गूँज रही थी, मेरा तन्ना हुआ जिस्म उनके नीचे मछली की तरह मचल रहा था, ओर मेरे हाथ उनके बालों को सहला रहा थे। अंकल को शायद अंदाजा नही होगा की यह कमसिन सी दिखने वाली सरदारनी कितने बड़े कारनामे कर चुकी थी, इसलिए जब मेने खुल के उनका साथ देना चालू किया तो वो थोडा हैरान जरुर हुए, पर फिर दोगुना जोश के साथ मुझ पे टूट पड़े ओर मेरे योवन रस का सवाद लूटने लगे
मुश्ताक मेरे उपर चढ़ के मुझे रगड़ रहे थे। उनके मरदाना स्पर्श से में एकदम मस्त हो गयी थी ओर खुल के उनका साथ दे रही थी। अब वह थोडा सीधे हुए ओर अपनी ज़िप खोल के अपने विशालकाय लंड को बाहर निकाल लिए। विक्की योगी के लंड ले ले के मुझे चुदने का चस्का लग गया था, पर अंकल के 8इंची लम्बे ओर मेरी कलाई जितने मोटे लंड को देख के चुदवाने की इच्छा गायब हो गयी।
अंकल ने मेरी फ्रॉक उपर उठा दी ओर फिर पेंटी नीचे खीँच के मुझे नंगी कर दिया। मेने कुछ दिनों से सफाई नही की थी इसलिए योनी पे बाल उग आये थे, अंकल ने मेरी योनी अपनी हथेली में ले के मस्सल डाली जिस कारण मेरी चीख निकल गयी।
मुश्ताक ने पुछा तुम सफाई नही करती हो क्या, टी मेने कहा हाँ करती हूँ पर पिछले हफ्ते नही कर पायी अब इस एतवार को करूंगी
यह सुन के मुश्ताक जोश से भर गये और मेरे होंठों गालों को मुंह में भर के पीने लगे। में भी मस्ती में उनका साथ दे के अपने योवन रस को लुटवाने लगी। अब उन्होंने मेरी गोरी चूत को फैलाया और घप से एक ऊँगली अंदर घुसा दी। में इस अचानक हुए हमले के लिए तयार नही थी, मेरी चीख निकल गयी
में : हायो रब्बा ओऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्� � आह्ह्ह्ह्ह ऊईईईईई
मुश्ताक : क्या हुआ बेबी?
में : अंकल प्लीज़ बाहर निकालो ना ..... मुझे दर्द हो रहा हे
मुश्ताक : बेबी तुम तो गीली हो गयी हो, देखो कितने आराम से ऊँगली खा रही हे तुमारी चूत
यह बोल के अंकल ने ऊँगली अंदर बाहर करना चालू करदी। सही में बड़े आराम से अंदर बाहर ही रही थी।
मुश्ताक: बेबी तुमारी चूत अंदर से बड़ी गरम भी हे; एकदम तंदूर जेसी
में : हायो रब्बा ऊई आह ओह ओह उह्ह उह्ह उह्ह
मुश्ताक : बेबी मेरा लंड चूसोगी ?
में : अंकल यह भी कोई चूसने की चीज हे ... छी छी
पर मुश्ताक पे हवस का भूत सर चढ़ के बोल रहा था, वह मेरी चूत से ऊँगली निकाल के मेरी छाती पे चढ़ गये और अपने विशाल कड़क लिंग को मेरे मूंह पे मरने लगे।
में : अंकल आपका बोहोत बड़ा हे
मुश्ताक (सवालिया आँखों से) : नही बेबी यह तो नार्मल साइज़ हे
में : नहीं अंकल यह बोहत बड़ा हे, इतना बड़ा मेने कभी नही देखा।
मुश्ताक (मुस्कुराते हुए) : सोनी बेबी तुमने कितने लंड देखे हैं?
में अपनी गलती देर से समझी पर तब तक देर हो गयी थी। मेरा राज़ खुल गया था ओर अब मुश्ताक अंकल मुझ पे हावी होते चले गये
मुश्ताक मेरे जिस्म को नोच नोच के निशान डाल रहे थे, ख़ास करके झांघ चुतड उरोज ओर टांगों पे। में घबरा रही थी कहीं कोई आ गया तो क्या होगा। मेरे अंदर डर और उतेजना का मिला जुला भाव उफान भर रहा था। फिर तभी मुश्ताक ने मेरी टांगें ओर चोड़ी करके खोली अपनी एक ओर ऊँगली घप से घुसेड दी, मेरी चीख निकल गयी पर मुश्ताक ने कोई रहम नही दिखाया ओर अब उनकी दो ऊँगलीयां मेरी टाइट चूत की गहराई ओर चोडाई नापने में जुट गयी।
धीरे धीरे हवस का मज़ा मेरे डर पे हावी होने लगा था, मुश्ताक भी एक कलाकार की भांति मेरे अंदर की चालू कुड़ी को बाहर निकाल रहा था।
मुश्ताक : बेबी बोलो ना तुमने कितने लंड देखें हैं
में : अंकल वो वो एह वो एह एह ह्म्म्म ....
( मेरी बोलती बंद हो गयी थी, मेरा राज़ खुल चूका था ओर इसीलिए मुश्ताक मुझ पे जोश से सराबोर होके टूट पड़े थे।)
में : अंकल वो एह वो बस एक ही देखा हे।
मुश्ताक : किसका ?
में : है कोई स्कूल का सीनियर।
मुश्ताक : उसी ने तुमारी चूत मारी हैं क्या ?
में शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। पर में जितना शरमाती मुश्ताक उतना ही हावी हो के मेरी चूत में ऊँगली करते। अब तो उनकी 2 उँगलियाँ भी सटासट अंदर बाहर हो रही थी जिस कारण में अपने चरम के करीब पुहंच गयी थी। में अपने चूतड उठा उठा के उनकी उँगलियाँ लेने लगी। यह देख के मुश्ताक के चेहरे की हैरानी ओर उनकी आँखों में हवस की चमक साफ़ नजर आ रही थी। उन्होंने मेरे होंठों को अपने मूह में भर दिया ओर रस चूस चूस के मेरे होंठ पीने लगे, साथ ही निचे उनकी उंगलियों ने अपनी करामात दिखाते हुए मेरा काम कर दिया। में तेज़ तेज़ झटके खाती हुई झड़ने लगी ओर अपना योनी-रस मुश्ताक की उंगलियों ओर हाथो पे फेंकने लगी
में बिस्तर पे निढाल पड़ी हुई थी। मेरी योनी ओर झंघें भीग चुकी थी मेरे कामरस से। मेरी आंखें बंद थी ओर में मंद मंद मुस्कुराते हुए ओरगास्म का मज़ा ले रही थी की तभी एक कठोर झटके ने मेरे होश उड़ा दिए। मुश्ताक ने अपने तन से सारे कपडे जुदा करके साइड को रख दिए थे ओर उनका मूसल समान लंड मेरे अंदर था। मेरी चीख निकली पर उन्होंने मेरा मूह बंद करके एक करारा शॉट मारा जिस से उनका मशरुम जेसा सुपाडा मेरी टाइट चूत में घुस गया। मैं दर्द से तड़प रही थी, ओर मुश्ताक को धक्के दे के पीछे हटाने की कोशिश करने लगी।
मुश्ताक पक्का खिलाडी था, उसने भी आव देखा ना ताव और लंड को अंदर घुसेड के ही रुका । पूरा लंड मेरी कमसिन चूत में ठेल लेने के बाद वो रुका और अपनी सांसें सँभालने लगा। मेरी हालत बोहत खराब थी, ऐसा लग रहा जेसे कोई छुरी कलेजे में उतार दी हो, जेसे कील ठोक दी हो दिल की गहराई में। कुछ देर यूँही पड़े रहने के बाद मुश्ताक ने लंड बाहर खिंचा, मेरे अंदर फिरसे दर्द की लहरें पैदा होने लगी और मेने मुश्ताक से लंड बाहर न निकालने की गुज़ारिश की पर उसने मेरी एक न सुनी। पूरा लंड बाहर निकाल के वह मेरी चूत को निहारने लगे, फिर मुस्कुरा के पुछा...
मुश्ताक : बेबी तुम अब लडकी से औरत बन गयी हो, केसा लगा मेरा लंड ले के?
में : स्स्स्स्स्स्स्स्� � उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्� �़्फ़ अंकल मुझे बोहत तेज़ जलन हो रही हे, लगता मेरी फट गयी हे
मुश्ताक : बेबी तुमारी तो पहले से थोड़ी फट्टी हुई थी, आज पूरी फाड़ के तुम्हे औरत बना दिया हैं। अब तुम किसी भी मर्द को खुश कर सकोगी
में : ऊ ऊ ऊ ऊह्ह जलन हो रही हे अंकल , कुछ करो भी अब
मुश्ताक ने मेरी हालत को समझा और मेरी टांगों के बीच झुक गये, फिर अपना मूह मेरी योनी पे ले जा के अपनी लम्बी जीभ निकाली ओर मेरी जलती हुई चूत पे रख दी
मेरी चूत को जलन से आराम मिला जब मुश्ताक अंकल ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना शुरू किया। मेरे लिए एक नया एहसास था यह, ओर कुछ ही पलों में मेरी जलन खत्म हो चुकी थी। अब में अंकल की इस अत्यंत रोमांचित हरकत से मंत्रमुग्ध हो गयी , मेरे अंदर फिर से एक नये चरम तक पहुँचने की लालसा जाग गयी। अंकल मेरी चूत के सुराख में जीभ घुसेड के दाएं बाएँ घुमा के मुझे पागलपन की हद तक मज़ा दे रहा थे, फिर जीभ को चूत से बाहर निकाल के मेरे क्लाइटोरिस की सेवा करने में जुट गये।
में : ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अंकल अह्ह्ह्ह आह ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मर गयी हाय रब्बा
मुश्ताक : ऊम्म्म्म्म्म बेबी तुम तो जन्नत हो, खुदा की कसम तुम ने मेरा दिल जीत लिया है। मुझे उम्मीद नही थी की इतनी नादान सी दिखने वाली सिखनी इतना मज़्ज़ा देगी
में : अंकल आप ने मुझे जितना मज़ा दिया आजतक किसी ने नही दिया था। में हर वक़्त तरसती थी कोई मुझे ऐसा प्यार करे जेसा अभी आप कर रहे हो
मुश्ताक अंकल ने फिर मेरी आँखों में देखा, और दोबारा जीभ से मेरी चूत के हर हिस्से को चाटने में जुट गये। में भी खुल के सिस्कारियां भरती हुई जीभ ओर योनी के मिलन से उठने वाली तरंगों में झूमने लगी। में अब चरम के पास पहुँच गयी थी, मेरी सांसें गहरी ओर तेज़ हो गयी, पेट की गहराई में ज्वारभाटा बढ़ने लगा, आँखों के सामने सतरंगी सितारे चमकने लगे, ओर फिर बाँध टूट गया । में झड़ रही थी, मेरा जिस्म ऐसे झटके खा रहा था मानो 440 वोल्ट की करंट लगी हो। मेरी योनी से कामरस बहने लगा जिसे मुश्ताक ख़ुशी ख़ुशी चाटने लगे।
मेरी योनी से बहते कामरस की आखरी बूँद चाट लेने के बाद मुश्ताक सीधे हुए और अपना पत्थर जेसा सख्त लंड मेरी लिसलिसी चूत के मुंह पे लगा के बोले
मुश्ताक : बेबी अब तुमको इतना मज़ा आयेगा कि मानो जन्नत की सैर कर रही हो।
में : अंकल मैं झूम रही हूँ, ऐसा लगता हे जेसे हवा में उड़ रही हूँ।
मुश्ताक ने लम्बी सांस भरी और मरदाना लंड को कमसिन चूत में उतारने लगा, और तब तक उतारता रहा जब तक पूरा लंड जड़ तक अंदर ना समा गया । मुझे पहली बार के मुकाबले कम दर्द हुआ, ओर इस बार मस्ती से लंड लेके मुश्ताक के पेट और छाती से खुद को चिपका ली मानो छिपकली छत से चिपक गयी हो। मेरी टांगें मुश्ताक की कमर के आसपास लिपटी हुई थी और बाहों का हार उनके गले में था, मेने अपने हलके जिस्म को मुश्ताक के कठोर बदन से ऐसे चिपका लिया कि सिर्फ मेरे पैर ओर सिर बिस्तर से लगे हुए थे, बाकी का नंगा जिस्म मुश्ताक से चिपका हुआ था।
मुश्ताक मेरी हरकत देख परेशान हुए, पर जल्दी खुद को सँभालते हुए पूरे जोश से लंड बाहर खींच के जबरदस्त धक्का मारते हुए मुझे बिस्तर में धंसा दिया और लंड फिर से जड तक मुझ में समा गया। फिर से एक बार दोबारा लंड बाहर खींचते हुए मुश्ताक ने जबरदस्त तरीके से मेरी रसीली चूत में प्रहार किया जिस से उनका मशरुम जेसा सुपाडा मेरी कमसिन कोख से जा टकराया। मेरी चीख निकल गयी, और आँखों के सामने अँधेरा छा गया।
में बेहोश हो गयी, पर जब होश आया तो मुश्ताक मुझे बुरी तरह रौंद रहे थे । में चुदती रही ,मुश्ताक चोदते रहे। मुझे अब एहसास होने लगा की में जल्दी अपने चरम तक पहुँच जाउंगी, सो मेने भी मुश्ताक की ताल से ताल मिलाते हुए नीचे से कुल्हे उचका उचका के अपनी चूत में लंड लेना प्रारम्भ किया। जल्दी वो घडी आ गयी जब मुश्ताक अपने अंडाशय में उबलते हुए ज्वालामुखी को रोक नही पाए और जल्दी से लिंग बाहर खींच के मुझे अपने गाढे सफ़ेद गरम वीर्य से नहलाने लगे। में भी आंखें बंद करके अपने नंगे जिस्म पे गिरती वीर्य की बूँदों को महसूस करती अपने चरम को प्राप्त हुई
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सिलसिला चल पड़ा -2
हम सब अंदर बैठे ice cream का मज्जा ले रहे थे। योगी मेरे सामने और विक्की सोनल के सामने बता था। तभी मुझे किसी के पेर अपनी टांग से छुते हुए महसूस हुए। मुझे लगा विक्की ही होगा,इसलिए विरोध नही किया और बेठी रही। आहिस्ते से वो पेर मेरी दोनों टांगो के बिच से घुटनों तक आ गये। पर विक्की तो ऐसी हरकतें करता ही नही था, वह तो बस मेरे भारी भरकम कूल्हों का दीवाना था। खैर हमने ice cream ख़त्म की ओर चल पड़े।
मेरा ध्यान योगी की पेंट की ओर गया तो समझ गयी की मुझे पेर से कोन छेड़ रहा था; योगी की पेंट में टेंट बना हुआ था । मैं मुस्कुरा गयी शर्म के मारे ओर चेहरा लाल हो गया, योगी ने भी मेरी नजर पकड ली थी जब में उसके लिंग को घूर रही थी। वह भी मुझे देख मुस्कुराया ओर एक फ्लाइंग किस चोरी से मेरी ओर भेज दी। मेने भी आंख के इशारे से उसे जता दिया कि मेने उसकी फ्लाइंग किस कबूल करली।
धीरे धीरे योगी मेरे करीब ओर विक्की मुझसे दूर होते जा रहे थे। एक दिन हम चारो विक्की के घर शनिवार के दिन हाफ-डे छुट्टी के बाद गये। वहां हम विकी के मम्मी पापा वाले बेडरूम में बैठे थे जहाँ विकी ने कोई 20 बार मेरी गांड ली होगी। बातों बातों में ही ब्लू-फिल्मो पे आ गये तो पता चला की सोनल प्रीत को xxx फिल्म्स देखते हुए 2 साल हो चुके थे, ओर यह बात भी पता चली की विकी ने सोनल को भी इस कमरे में बुला के फिल्मे देखी हैं।
धीरे धीरे माहोल गरम हो गया। सोनलप्रीत ने बताया की जब पहले पहले विकी उसकी लेता था तो दर्द कितना हुआ करता था, इस बात पे मैंने भी अपने दर्द भरे एहसास को बता दिया। फिर बात योगी ओर विकी के लिंग के साइज़ की हुई तो दोनों ने जल्दी से अपने कपडे उतार के तन्ने हुए लंड सामने करते हुए बोला बताओ कोन किसका पसंद करती हे। सोनालप्रीत ने झट से विकी का 6इंची काला लम्बा लंड पकड़ लिया। मेरी नज़रें योगी के 5इंची गोरे चिट्टे लंड पे टिक्की हुई थी। पर शर्म के मारे मेने कोई हरकत नही की ओर चुप चाप बेठी रही। तभी योगी सोनलप्रीत की ओर बढ़ा और उसके होंठों को अपने मूंह में भर के रसपान करने लगा। सोनल को उन दोनों के साथ खुल के अय्याशी करते देख मुजे विकी की दिखाई हुई ब्लू-मैगज़ीन याद आई जिस में एक लड़की 2 या 3 मर्दों के साथ लगी होती थी। तभी विक्की ने पुछा किसे किसे ब्लू-फिल्म देखनी हे। हम सब ने एक स्वर में हामी भर दी।
विक्की ने अलमारी से एक cd निकाली ओर dvd player में डाल दी। फिल्म शुरू हो गयी ओर साथ ही साथ उन तीनो की अय्याशी भी।
विक्की ने अलमारी से एक cd निकाली ओर dvd player में डाल दी। फिल्म शुरू हो गयी ओर साथ ही साथ उन तीनो की अय्याशी भी।
... अब आगे ...
सोनल उन दोनों को बड़ी आसानी से संभाले हुए थी। एक तरफ विक्की का लंड हाथों में सहलाते सहलाते और तगड़ा कर रही थी दूसरी तरफ योगी से अपने होंठो को चुसवा चुसवा के मदमस्त कर रही थी। ब्लू-फिल्म on हो चुकी थी ओर मेरा सारा ध्यान उसमे होने वाले हवस के प्रदर्शन पे चला गया। एक इंडियन सी दिखने वाली लड़की को दो अंग्रेजो ने घेर रखा था ओर बारी बारी से उसके जिस्म से खिलवाड़ कर रहे थे। कभी मम्मे चूसते तो कभी होंठो का मदिरापान करके उसकी मदहोशी बढ़ाते। इधर विक्की ओर योगी पूरे नंगे हो के सोनलप्रीत को भी नग्न करने में जुट गये।
यह सब देख के मेरे दिल-o-दिमाग पे गहरा असर पढ़ रहा था। प्यार ओर हवस के बीच का फर्क अब बेमानी हो गया था। जिस विक्की से पहले मुझे प्यार हुआ ओर जिस योगी के लिए मेरे दिल में नये जज्बात उभर रहे थे वह दोनों मेरी आँखों के सामने मेरी सहेली ओर स्कूल की सबसे चालू ओर बदनाम सरदारनी के साथ हवस का नंगा नाच खेल रहे थे।
पर मैं भी तो सोनल प्रीत कौर की राह पे चल पड़ी थी, अब मेरे लिए पीछे हटना संभव नही था। दो-दो हवस भरे नज़ारे देख के मेरा दिमाग मेरे काबू से बाहिर होता जा रहा था। मैंने भी अब अयाशी के समुन्द्र में डुबकी लगाने की ठान ली ओर उन तीनो के देखते देखते अपने जिस्म से स्कूल यूनिफार्म की स्कर्ट ओर शर्ट उतार के बिस्तर पे उनके साथ जा मिली।
हम चारों नंगे बेड पे ब्लू-फिल्म का आनंद ले रहे थे। मुझे नंगी देख योगी ने सोनल को छोड़ के मेरे पास आ गया था। ओर फिर मेरी नंगी कमर में हाथ डाल के अपने चिकने नंगे गोरे बदन से चिपका लिया। मैं भी शरम लाज की सभी सीमओं को लाँघ के योगी से चिपक गयी। फिर योगी ने मेरे रसीले होंठो का रसपान शुरू किया, ओर निचे से एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मेरी चीख निकली ओर तभी विक्की ओर सोनलप्रीत का ध्यान मेरी ओर गया।
मैं योगी से अलग हो के अपनी योनि को पकडे हुए लेटी थी, योगी परेशान ओर विक्की हैरान था। योगी ने पुछा की तेरी इतनी टाइट क्यों हे, विक्की तो बोलता हे की खूब ली हे। इस्पे मेने कहा की सामने से कुवारी हूँ, विक्की पीछे से लेता हैं। सोनल यह बात सुन के हस दी ओर बोली, विक्की तो बस पीछे से लेने का शोकीन हे, सामने से योगी ही लेगा तेरी। यह सुन के मैंने योगी की ओर देखा तो वोह चमकती आँखों से मेरी ओर देख के बोला, तयार हो जा अपनी सील तुडवाने को। मैं थोडा सा घबरा गयी ओर प्रेगनेंसी के डर से उनको अवगत करवाया। मुझे माँ नही बनना था इसलिए मेने उनसे बता दिया जो मेरे दिल में था।
सोनल ने हस्ते हुए कहा की घबरा मत कुछ नही होगा, में भी तो चूत देती हूँ इनको, मैं कभी प्रेग्नेंट नही हुई। मेने पुछा केसे तो वो बोली की हम लडकियों के पेट से होने के चांस महवारी के 7 दिन बाद बोहत कम होते हैं, उन दिनों में चूत मरवाया करना। मेरे दिल में ओर जितने सवाल थे में उनसे पूछती गयी, वीर्य को लेके या कंडोम को लेके, माला-डी और एबॉर्शन, शादी ओर बच्चे, प्यार और हवस.... हर मुद्दे पे हमने खुक के बात की ओर जब मुझे संतुष्टि हो गयी तो में भी योनी संभोग के आनंद का मज़ा लेने को व्याकुल हो गयी
मैंने योगी के लिंग को हाथों में लेके मसलना शुरू किया। उधर सोनल प्रीत झुक के विक्की के लंड को चूस रही थी जेसे ब्लू-फिल्म में हो रहा था। योगी ने मुझे इशारा किया चूसने का, मैं भी झुक गयी ओर मूह खोल के उसके गोरे लंड का सुपाडा मूंह में ले के स्वाद किया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्� �़ .... क्या नज़ारा था। मोहल्ले की दो सबसे हसीन ओर सेक्सी कुडियां झुक के अपने मुंह में लंड लिए हुए थीं, ओर दोनों एक दुसरे से आगे बढ़ना चाहती थी। सोनल प्रीत अनुभवी थी ओर लिंग को धीमी लय से चूस रही थी, वहीँ मैं जोश से भरी हुई तेज़ी से लिंग-मुंड पे अपने रसीले होंठ चला रही थी।
विकी ओर योगी दोनों की हालत खराब थी ओर किसी भी समय झड सकते थे। तभी विक्की ने अपना लंड सोनल प्रीत के मुंह से खीँच लिया, ओर मेरे पीछे आ गया। मैं योगी का लंड चूसने में व्यस्त थी की तभी मेरे गोरे चिट्टे भारी चुतड के बीच विकी का फनफनाता लंड महसूस हुआ। मेने योगी के लिंग को मुंह से निकाल के पीछे देखा तो विकी तयार था ओर तभी मेरी गांड में तेज़ दर्द के साथ उसका मोटा सुपाडा मेरी गुदा में प्रवेश कर गया। मेरे मुंह से चीख निकली,"हाय रब्बा ...ओउह ओह आओह ... दर्द हो रहा विक्की निकाल लो प्लीज़" परन्तु विक्की पे हवस का भूत सवार था ओर वो अपने फूले हुए लंड को मेरी गांड की गहराइयों में अंदर ओर अंदर करता गया तेज़ धक्कों से।
उधर योगी ने फिरसे मेरे मुंह में अपने लिंग को ठूस दिया ओर अब सोनी दो दो लंड अपने अंदर ले के निहाल हुए जा रही थी। विक्की के धक्के तेज़ होते गये ओर कुछ ही पलों बाद उसका कामरस मेरी गुदा में बहने लगा। में भी विक्की को झड़ते हुए महसूस कर रही थी, उसके लंड की नस्सें फूल ओर सिकुड़ के मेरी चिकनी गांड में वीर्य का सैलाब भर रही थी। मुझे गरम लावा अपने अंदर बहता हुआ महसूस हो रहा था।
अब विक्की निढाल हो के बिस्तर पे गिर गया पर मुझे आज़ादी नही मिली क्युकी योगी मेरे मुंह में हलकी लैय बना के धक्के देता हुआ मेरा मुंह चोद रहा था। तभी पीछे से विक्की ने अपनी ऊँगली मेरी योनी में घुसा दी, मुझे महसूस हुआ की इस बार मेरी चूत योंन-रस से पूरी भीग चुकी थी ओर विक्की की ऊँगली सरक के बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी। विक्की मेरी चूत को ऊँगली से चोद रहा था जबकि योगी मेरे लम्बे केश पकड़ के तेज़ी से मेरा मुख-मैथुन कर रहा था। मेरी योनी में विक्की की ऊँगली नये नये करतब करती हुई मुझे अपने चरम की ओर ले के जा रही थी।
विक्की की ऊँगली मेरी योनी में एक तूफ़ान सा ले आई थी। जेसे जेसे विक्की ऊँगली अंदर बाहर करता वेसे वेसे मैं अपने चरम के पास पुहंच रही थी। विक्की तेज़ तेज़ ऊँगली चलाने लगा, मेरी भी अब बर्दाश्त करने की शकती समाप्त होती जा रही थी। मेने अपने मुंह से योगी का लंड निकाल लिया ओर अपने चेहरे को तकिये में धंसा के योनी में उठने वाली तरंगों का आनंद लेने लगी। फिर कुछ ही देर बाद वह पल आ गया जब पेट की गहराई में कुछ टूटता हुआ महसूस हुआ, ओर फिर एक भावनात्मक शारीरिक ओर मानसिक तौर पे जिंदगी का सबसे हसींन एहसास जो एक उफनते हुए सैलाब की भांती सारे बाँध तोड़ के बाहिर निकल आया । मेरे जीवन का यह पहला सखलन था, पर यह कुछ ऐसा नशा था जिसकी लत्त पहली ही बार में लग गयी ।
अगले कुछ मिनटों तक में यूँही बेसुध सी बिस्तर में पड़ी हुई झटके खा रही थी, जब मुझे होश आया तोह योगी मेरी टांगो के बीच आ चूका था ओर अपने लिंग को मेरी करारी योनी पे रगड़ रहा था। में जानती थी अब क्या होने वाला था, पर अपना कुवारापन खोने का डर तो हर भारतीये लड़की को होता ही हे। मेने योगी से रुकने को कहा, पर इस से पहले की में कुछ समज पाती, योगी ने तीर निशाने पे छोड दिया। तीखे दर्द से में एकदम दोहरी हो गयी ओर चीख चीख के योगी को मेरी योनी से अपना लिंग निकालने की गुजारिश करने लगी। पर मेरी किसी बात का असर नही हुआ ओर वो मुझे बिस्तर में दबा के मेरी योनी की गहराई नापने में जुट गया।
दूसरी ओर सोनल प्रीत doggy पोज में झुकी हुई थी और विक्की उसकी चूत पीछे खड़ा हो के मार रहा था। उसके लम्बे केश विक्की ने लगाम की तरह पकड रखे थे ओर खींच खींच के लंड पेल रहा था अंदर बाहर। हम दोनों अपने रब को याद करके "हायो रब्बा हायो रब्बा" का जाप कर रही थी, जब की योगी ओर विक्की दोनों अपने अपने लंड से हमारी सेवा में जुट गये थे। मेरे दर्द में अब कुछ कमी होने लगी क्योंकि चूत पानी पानी हो चुकी थी जिस से लंड को अंदर बाहर करना में आसानी ही रही थी। योगी ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा ली ओर दूसरी तरफ विक्की ने तो शताब्दी रेल की भांति सोनल प्रीत की चूत में तूफ़ान भर दिया था । आखिरकार वह पल आ ही गया , ओर हम चारों एकसाथ अपने चरम पे पहुँच गये । मैं ओर सोनल प्रीत "... हाय रब्बा.. ओह हाय वाहेगुरु ... आह् मार सुटेया..." कहती हुई झड़ने लगी तो दूसरी तरफ योगी ओर विक्की " ओह गॉड... फ़क यू... बहनचोद मज़्ज़ा आ गया सरदारनी ... ओर ले और ले " जेसे शब्द बोल के हमारे अंदर ही झड गये
योगी द्वारा योनी कोमार्य भंग करवाने के बाद विक्की ने मोर्चा संभाला । सोनल प्रीत ने चूस चूस के उसका लंड लोहे की रॉड जेसा सख्त कर दिया था ओर लगातार योंन क्रीडा करने से उसका रंग बैंगनी सा हो गया था । विक्की ने मेरी कमर उठा के चुतड के नीचे तकिया टिकाया ओर फिर मेरी चिकनी गोरी झांघों के बीच पोजीशन बना के बैठ गया। तब तक योगी भी अपना लिंग धो के बाथरूम से निकला ओर बिस्तर का नजारा देख के उतेजित हो के मेरे पास आ गया। उसने मुझसे कहा कि मुझ में सोनल से बढ़ के मज़ा हे। फिर उसने विकी की ओर देख के कुछ इशारा किया ओर मेरे होंठो पे अपना मुंह रख के जबरदस्त किसिंग करने लगा। मैं उसके किस करने के अंदाज की कायिल थी ओर कुछ ही पलों में उसके किस में खो गयी।
पर यह खुमारी ज्यादा देर की नही थी, विक्की ने अपने बड़े से लंड को मेरी योनी में थास के धकेल दिया ... मेरी चीख भी योगी ने निकलने नही दी अपने मुंह को मेरे मुंह पे दबा के । विक्की ने आव देखा ना ताव ओर जंगली सांड की तरह मेरी कमसिन करारी चूत में ताबड़ तोड़ अपना लौडा पेलता चला गया ।मेरे निचले पेट में हर धक्के से तेज़ दर्द का एहसास हो रहा था, पर विक्की था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था। मैं अपनी मजबूर हालत को समझते हुए अपने रब्ब को याद करने लगी। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ तो योगी ने मेरे मुंह से अपना मुंह हटा लिया। अब मैं खुल के अपने एहसास को बयान करती हुई चुदवाने लगी।
पीड़ा की जगह अब आनंद ने ले ली थी ओर में बढ़ चढ़ के उनका साथ देने लगी। योगी ने मेरे निम्बू जितने उरोज को हाथों से मसलना शुरू किया ओर विक्की ने मेरी दोनों चिकनी गोरी टांगो को उठा के अपने कंधो पे रख लिया । अब तो चुदवाने में मुझे जन्नत का मज़ा आने लगा, में अब " ओह येस फ़क मी हार्ड " और "जोर से विक्की ओर अंदर ओर अंदर" जेसी बातें बोल के विक्की को उकसाने लगी। विक्की भी मेरे इस बदले हुए रूप को देख के बोखला गया ओर एकदम वेह्शी बन के मेरी चूत मरने लगा। कुछ देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया ओर मैं झड गयी। मेरे बाद ही विक्की भी झड गया ओर मेरे उपर निढाल सा हो के गिर गया ।
मेरी योनी सूझ गयी थी । उसका रंग लाल सुर्ख हो गया था । विक्की और योगी बाहर सोनल प्रीत से गप्पें मार रहे थे और में अंदर बिस्तर पे पड़ी हुई अपनी हालत पे रो रही थी। फिर जेसे तेसे में कड़ी हुई, कांपती टांगो से चल के बाथरूम गयी और खुद को शावर के नीचे खड़ी कर के नहा धो के साफ़ करने लगी ।
फिर नहा के यूनिफार्म पहनी और बाहर निकली, मुझे देख के उन तीनो ने बातें बंद करदी। में बड़ी मुश्किल से चल रही थी, सोनल मेरे पास आयी और बोली की ऐसे घर जायगी तो सब शक करेंगे। वो मुझे फिरसे अंदर ले गयी और विक्की से बोली की दूध गरम कर दे । फिर उसने योगी को बाज़ार से पैन किलर लाने को कहा। अब मेरे साथ बैठ के सोनल ने अपने पहले योंन अनुभव के बारे में बताया। आज से 3 साल पहले उसका कोमार्य ट्यूशन वाले सर ने किया था, और तभ भी उसकी येही हालत हुई थी। फिर उन्होंने गरम दूध और पैन किलर टेबलेट दी थी जिस से बोहुत आराम मिला था। मेने सोनल से पूछा कि प्रेगनेंसी का कोई खतरा तो नही? वह बोली अगर तेरी माहवारी हफ्ता पहले आयी थी तो कोई टेंशन नही।
तब तक योगी टेबलेट ले आया था और विक्की ने अपने हाथों से गरम दूध से वह टेबलेट खिल दी। करीब आधे घंटे बाद मुझे काफी फर्क पढ़ गया और में घर जाने की स्थिथि में थी।
उस रात मुझे नींद नही आई। एक तरफ कुंवारापन खोने का दुःख, दूसरी और जिंदगी में पहली बार स्वर्ग का एहसास कराता योंन सखलन । एक तरफ लिंग से मिलने वाला दर्द तो दूसरी और उस्सी लिंग से मिलने वाला सुख। एक तरफ हवस में डूबे तीन खुदगर्ज़ लोग तो दूसरी तरफ मेरी तकलीफ का हल ढूँढ़ते हुए वोही तीन दोस्त । बस इसी कशमकश में सारी रात निकल गयी और सुबह 4 बजे कहीं जा के थोड़ी सी नींद की
अगले एक महीने मेरी खुल के चुदाई हुई । योगी ओर विक्की ने मुझे योंन क्रीडा में निपुण बना दिया था, सोनल प्रीत तो थी ही एक्सपर्ट एडवाइस के लिए । अब मेरे लिए दुनिया बदल चुकी थी । मर्दों को देखने का नजरिया भी बदल चूका था । पहले कभी कोई अंकल जब मुझे गोद में बिठाता या गाल चूमता तो सामान्य लगता तगा, पर अब वोही हरकत जिस्म में योंन वासना से भरी सिरहन पैदा कर देती। ओर ऐसा भी नही की सब अंकल लोग मुझे बच्ची की नजर से देखते हों। कुछ ऐसे भी थे जो मुझे आसान शिकार के रूप में देख रहे थे।
ऐसे ही एक इन्सान थे मुश्ताक । वह पापा के दोस्त थे ओर अक्सर उनका हमारे घर आना जाना था। में महसूस करती थी की जब भी वह घर आते तो उनकी आंखें मुझे ही ढूँढ रही होती । वह बाहर लॉबी में बेठ के अक्सर मेरे बारे में पूछते, फिर पापा मुझे आवाज़ लगा के बुलाते और कहते कि मुश्ताक अंकल आये गें। ओर जब में उनके सामने जाती तो उनकी आँखों की चमक से शर्मा जाती। फिर वह चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा करते, में पास जाती तो वह हस के मुझे अपनी गिरफ्त में लेके गाल पे थपकी लगा के गोद में बिठा देते ओर फिर चॉकलेट देते। में महसूस करती की नीचे मेरे नितंबो पे कोई चीज चुभ रही हे, और वह चीज अब मेरे दिलो दिमाग पे छाया हुआ मर्दों का औज़ार था जिससे हम लिंग लंड लौड़ा इत्यादि के नाम से जानते हैं ।
मुश्ताक अंकल मुझे गोद में बिठाने का कोई मोका नही छोड़ते। में वेसे तो उनके साथ विक्की योगी वाला सम्बन्ध नही सोच रही थी पर फिर भी मेरे दिमाग में ये सवाल अक्सर आता था कि मुश्ताक अंकल के इरादे क्या हैं , क्या वह बस यूँही गोद में बिठा के खुश रहेंगे या फिर किसी दिन मुझे विक्की योगी की तरह टांगें उठा रौंद डालेंगे।
मेने अब महसूस करना शुरू कर लिया था कि में जहाँ भी जाती हूँ, मर्दों और लड़कों की नज़रे मुझे जरूर घूरती हैं। चाहे स्कूल हो या ट्यूशन, बाजार हो या पार्क, पार्टी फंक्शन हो या सत्संग, यहाँ तक की गुरद्वारे जाते हुए बाहर खड़े लड़के भी मेरे जिस्म को ताड़ रहे होते। धीरे धीरे मेरी समझ में ये बात आने लगी थी कि जगह कोई भी हो, समय कोई भी हो, मर्द मर्द ही रहेंगे। वह किसी भी धर्म जाती के हो, जो मर्जी उम्र हो उनकी, जो मर्जी काम धंधा हो उनका, मर्दों को हम लडकियों की अजब सी ना भुझने वाली प्यास रहती हे ।
एक दिन स्कूल बस में घर आ रही थी, सीट खाली नही थी इसलिए खड़ी थी। साथ बैठे कंडकटर ने मुझे अपने पास जगह बना के बेठने का इशारा किया, में भी थकी हुई थी सो बैठ गयी। बस रस्ते पे दौड़ रही थी और उस कमीने के हाथ की उँगलियाँ मेरी चिकनी गोरी ओर स्कर्ट से बाहर झांक रही सुडोल झांघों पे । में पहले तो चौंक के ठिठक गयी, फिर आगे पीछे नजरें घुमा के देखी कहीं किसी ने देखा तो नही। कोई नही देख रहा था, मुझे ऐसा लगा, और फिर मेने उस कमीने की आँखों में ग़ुस्से से देख के उसको डराने की कोशिश की पर उसने आगे से कमीनी मुस्कुराहट से जवाब दिया। मुझे लगा कि में और झेल नही सकूँगी इसलिए सीट से खड़ी हो गयी। उसने हाथ हटा लिया और मेने राहत की सांस ली।
ऐसी ऐसी घटनाएं अब आये दिन मेरे साथ होने लगी थी। कोई दिन ऐसा नही जाता जब मुझे अपने नितम्बों उरोजों झांघों कमर इत्यादी पे मर्दों के फिसलते हाथ ना महसूस हों। ओर सबसे खतरे वाली बात थी के मुझे इसकी आदत सी होती जा रही थी।
फिर एक दिन जब में घर पे अकेली थी की तभी बेल बजी। मेने दरवाजा खोल तो सामने मुश्ताक अंकल खड़े थे
सामने मुश्ताक अंकल को देख मेरी हवाइयां उड़ गयी। वह सीधे अंदर आ गये और पूछा की मम्मी पापा कहाँ हैं, जब की उनको पता था की इस वक़्त घर पे कोई नही होता। मेने कहा बाहर हैं बस आते ही होंगे। पर मुश्ताक जनता था कि कोई नही आने वाला अगले कई घंटो तक सो वह अंदर आ के लॉबी में बैठ गया।
मेने उनके लिए पानी पुछा पर उन्होंने चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा किया। में अकेली थी घर पे इसलिए थोडा घबराई हुई थी, सो मेने चॉकलेट नही ली। मुश्ताक ने जब देखा की में पास नही आ रही तो वह खुद खड़े हो के मेरे पास आने लगे। में झट से लॉबी के बाहर निकल गयी ओर अपने आप को उनसे दूर करने लगी। पर वो मेरा नाम लेते हुए पीछे आ रहे थे। "सोनी बेबी कहाँ जा रही हो.... अंकल के पास आओ ... में आपके लिए गिफ्ट लाया हूँ..."
गिफ्ट का नाम सुनते ही में खड़ी हो गयी, मुश्ताक भी पास पोहंच गये ओर मुझे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढाया पर में भी कच्ची गोलियां नही खेली थी सो झट से दूर हो गयी। अंकल ने अब अपना अगला दाव चला, और जेब में हाथ दाल के मुझसे कहा की गिफ्ट यहाँ हे आ के लेलो। मेरी नजर उनकी पेंट की जेब पे पड़ी परन्तु मेरा ध्यान उनके गुप्तांग वाली जगह पे बने टेंट पे गयी । कितना बड़ा लग रहा था अंकल का लिंग, विक्की ओर योगी तो बच्चे थे उनके सामने। मेरे अंदर एक अजीब सी लहर पैदा हुई जिसने मेरे पक्के इरादों को कमजोर कर दिया, में अंकल से दूरी बना के रखना चाहती थी पर उनका खड़ा लंड मुझे उनके पास जाने को मजबूर करने लगा।
में इसी कशमकश में खड़ी थी की तभी मुश्ताक ने एक झपटे में मेरी नाज़ुक कलाई पकड़ ली ओर हस्ते हुए एकदम पास आ गया। उनकी आँखों में जीत की चमक थी, वेसी ही जेसी किसी योधा को जंग जीत की होती होगी। मुश्ताक ने जंग तकरीबन जीत ली थी, बस अब सरदारनी के किले में झंडा गाड़ने की देर थी। उन्होंने मेरा हाथ अपनी पेंट की जेब में डाला और कहा की गिफ्ट लेलो। मेने हाथ अंदर टटोला तो गिफ्ट नही था, पर वो चीज हाथ में आ गयी जो दुनिया की सबसे अच्छी गिफ्ट हो सकती हे किसी भी सेक्सी सिखनी के लिए।
मुश्ताक मुझे पीछे करते हुए बेडरूम की तरफ ले गये। मैं घबराई हुई उनकी और देखती हुई रह गयी ओर वह मुझे बिस्तर पे फेंक के मेरे उपर सवार हो गये, ऐसा लग रहा था जेसे एक भैंसा किसी बकरी पे चढ़ गया हो। मैं उनके अगले कदम के बारे में सोच रही थी कि उन्होंने मेरी दोनों कलाइयाँ थाम के सर के उपर कर दी ओर अब मेरे गले गरदन ओर गालों को चूमने लगे। उनकी आँखों में हवस का अशलील साया साफ़ दिखाई दे रहा था, पर में बेसहारा लाचार सी उनके निचे पड़ी हुई उनकी हवस का शिकार बन रही थी।
फिर धीरे धीरे उन्होंने अपने कूल्हों को हिलाना चालू किया, मेरी योनी पेट ओर झांघों पे उनके मोटे औजार की रगड़ साफ़ महसूस होने लगी। बीच बीच में वह मेरी चूत में हमला करने की कोशिश करते जिस से मुझे उनका लंड चुभन का एहसास देता, कपडों के उपर से ही। मेने हरे रंग की फ्रॉक पहनी थी जो की अब काफी उपर तक उठ चुकी थी ओर मेरी गोरी चिट्टी झंघें मुश्ताक को दीवाना बना रही थी। वह मेरी झांघों को जोर जोर से मस्सल के लाल करने में जुट गये, में भी एक वयस्क मर्द के हाथों की कलाकारी का आनंद लेना शुरू कर चुकी थी। विक्की ओर योगी तो नोसिखिये थे, पर मुश्ताक अंकल एक परिष्कृत खिलाडी जिसने न जाने कितने किले फ़तेह किये हुए थे। एक कमसिन सिखनी को जीत के उसे अपनी हवस मिटाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नही था ।
अब 10 मिनट हो गये थे मुश्ताक को मेरे उपर चढ़े हुए, ओर अब तक मेरी प्रतिरोध करने की क्षमता ख़त्म हो चुकी थी, उलटे अब में भी अंकल का खुल के साथ देने लगी थी। मेरी सिस्कारियां बेडरूम में गूँज रही थी, मेरा तन्ना हुआ जिस्म उनके नीचे मछली की तरह मचल रहा था, ओर मेरे हाथ उनके बालों को सहला रहा थे। अंकल को शायद अंदाजा नही होगा की यह कमसिन सी दिखने वाली सरदारनी कितने बड़े कारनामे कर चुकी थी, इसलिए जब मेने खुल के उनका साथ देना चालू किया तो वो थोडा हैरान जरुर हुए, पर फिर दोगुना जोश के साथ मुझ पे टूट पड़े ओर मेरे योवन रस का सवाद लूटने लगे
मुश्ताक मेरे उपर चढ़ के मुझे रगड़ रहे थे। उनके मरदाना स्पर्श से में एकदम मस्त हो गयी थी ओर खुल के उनका साथ दे रही थी। अब वह थोडा सीधे हुए ओर अपनी ज़िप खोल के अपने विशालकाय लंड को बाहर निकाल लिए। विक्की योगी के लंड ले ले के मुझे चुदने का चस्का लग गया था, पर अंकल के 8इंची लम्बे ओर मेरी कलाई जितने मोटे लंड को देख के चुदवाने की इच्छा गायब हो गयी।
अंकल ने मेरी फ्रॉक उपर उठा दी ओर फिर पेंटी नीचे खीँच के मुझे नंगी कर दिया। मेने कुछ दिनों से सफाई नही की थी इसलिए योनी पे बाल उग आये थे, अंकल ने मेरी योनी अपनी हथेली में ले के मस्सल डाली जिस कारण मेरी चीख निकल गयी।
मुश्ताक ने पुछा तुम सफाई नही करती हो क्या, टी मेने कहा हाँ करती हूँ पर पिछले हफ्ते नही कर पायी अब इस एतवार को करूंगी
यह सुन के मुश्ताक जोश से भर गये और मेरे होंठों गालों को मुंह में भर के पीने लगे। में भी मस्ती में उनका साथ दे के अपने योवन रस को लुटवाने लगी। अब उन्होंने मेरी गोरी चूत को फैलाया और घप से एक ऊँगली अंदर घुसा दी। में इस अचानक हुए हमले के लिए तयार नही थी, मेरी चीख निकल गयी
में : हायो रब्बा ओऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्� � आह्ह्ह्ह्ह ऊईईईईई
मुश्ताक : क्या हुआ बेबी?
में : अंकल प्लीज़ बाहर निकालो ना ..... मुझे दर्द हो रहा हे
मुश्ताक : बेबी तुम तो गीली हो गयी हो, देखो कितने आराम से ऊँगली खा रही हे तुमारी चूत
यह बोल के अंकल ने ऊँगली अंदर बाहर करना चालू करदी। सही में बड़े आराम से अंदर बाहर ही रही थी।
मुश्ताक: बेबी तुमारी चूत अंदर से बड़ी गरम भी हे; एकदम तंदूर जेसी
में : हायो रब्बा ऊई आह ओह ओह उह्ह उह्ह उह्ह
मुश्ताक : बेबी मेरा लंड चूसोगी ?
में : अंकल यह भी कोई चूसने की चीज हे ... छी छी
पर मुश्ताक पे हवस का भूत सर चढ़ के बोल रहा था, वह मेरी चूत से ऊँगली निकाल के मेरी छाती पे चढ़ गये और अपने विशाल कड़क लिंग को मेरे मूंह पे मरने लगे।
में : अंकल आपका बोहोत बड़ा हे
मुश्ताक (सवालिया आँखों से) : नही बेबी यह तो नार्मल साइज़ हे
में : नहीं अंकल यह बोहत बड़ा हे, इतना बड़ा मेने कभी नही देखा।
मुश्ताक (मुस्कुराते हुए) : सोनी बेबी तुमने कितने लंड देखे हैं?
में अपनी गलती देर से समझी पर तब तक देर हो गयी थी। मेरा राज़ खुल गया था ओर अब मुश्ताक अंकल मुझ पे हावी होते चले गये
मुश्ताक मेरे जिस्म को नोच नोच के निशान डाल रहे थे, ख़ास करके झांघ चुतड उरोज ओर टांगों पे। में घबरा रही थी कहीं कोई आ गया तो क्या होगा। मेरे अंदर डर और उतेजना का मिला जुला भाव उफान भर रहा था। फिर तभी मुश्ताक ने मेरी टांगें ओर चोड़ी करके खोली अपनी एक ओर ऊँगली घप से घुसेड दी, मेरी चीख निकल गयी पर मुश्ताक ने कोई रहम नही दिखाया ओर अब उनकी दो ऊँगलीयां मेरी टाइट चूत की गहराई ओर चोडाई नापने में जुट गयी।
धीरे धीरे हवस का मज़ा मेरे डर पे हावी होने लगा था, मुश्ताक भी एक कलाकार की भांति मेरे अंदर की चालू कुड़ी को बाहर निकाल रहा था।
मुश्ताक : बेबी बोलो ना तुमने कितने लंड देखें हैं
में : अंकल वो वो एह वो एह एह ह्म्म्म ....
( मेरी बोलती बंद हो गयी थी, मेरा राज़ खुल चूका था ओर इसीलिए मुश्ताक मुझ पे जोश से सराबोर होके टूट पड़े थे।)
में : अंकल वो एह वो बस एक ही देखा हे।
मुश्ताक : किसका ?
में : है कोई स्कूल का सीनियर।
मुश्ताक : उसी ने तुमारी चूत मारी हैं क्या ?
में शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। पर में जितना शरमाती मुश्ताक उतना ही हावी हो के मेरी चूत में ऊँगली करते। अब तो उनकी 2 उँगलियाँ भी सटासट अंदर बाहर हो रही थी जिस कारण में अपने चरम के करीब पुहंच गयी थी। में अपने चूतड उठा उठा के उनकी उँगलियाँ लेने लगी। यह देख के मुश्ताक के चेहरे की हैरानी ओर उनकी आँखों में हवस की चमक साफ़ नजर आ रही थी। उन्होंने मेरे होंठों को अपने मूह में भर दिया ओर रस चूस चूस के मेरे होंठ पीने लगे, साथ ही निचे उनकी उंगलियों ने अपनी करामात दिखाते हुए मेरा काम कर दिया। में तेज़ तेज़ झटके खाती हुई झड़ने लगी ओर अपना योनी-रस मुश्ताक की उंगलियों ओर हाथो पे फेंकने लगी
में बिस्तर पे निढाल पड़ी हुई थी। मेरी योनी ओर झंघें भीग चुकी थी मेरे कामरस से। मेरी आंखें बंद थी ओर में मंद मंद मुस्कुराते हुए ओरगास्म का मज़ा ले रही थी की तभी एक कठोर झटके ने मेरे होश उड़ा दिए। मुश्ताक ने अपने तन से सारे कपडे जुदा करके साइड को रख दिए थे ओर उनका मूसल समान लंड मेरे अंदर था। मेरी चीख निकली पर उन्होंने मेरा मूह बंद करके एक करारा शॉट मारा जिस से उनका मशरुम जेसा सुपाडा मेरी टाइट चूत में घुस गया। मैं दर्द से तड़प रही थी, ओर मुश्ताक को धक्के दे के पीछे हटाने की कोशिश करने लगी।
मुश्ताक पक्का खिलाडी था, उसने भी आव देखा ना ताव और लंड को अंदर घुसेड के ही रुका । पूरा लंड मेरी कमसिन चूत में ठेल लेने के बाद वो रुका और अपनी सांसें सँभालने लगा। मेरी हालत बोहत खराब थी, ऐसा लग रहा जेसे कोई छुरी कलेजे में उतार दी हो, जेसे कील ठोक दी हो दिल की गहराई में। कुछ देर यूँही पड़े रहने के बाद मुश्ताक ने लंड बाहर खिंचा, मेरे अंदर फिरसे दर्द की लहरें पैदा होने लगी और मेने मुश्ताक से लंड बाहर न निकालने की गुज़ारिश की पर उसने मेरी एक न सुनी। पूरा लंड बाहर निकाल के वह मेरी चूत को निहारने लगे, फिर मुस्कुरा के पुछा...
मुश्ताक : बेबी तुम अब लडकी से औरत बन गयी हो, केसा लगा मेरा लंड ले के?
में : स्स्स्स्स्स्स्स्� � उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्� �़्फ़ अंकल मुझे बोहत तेज़ जलन हो रही हे, लगता मेरी फट गयी हे
मुश्ताक : बेबी तुमारी तो पहले से थोड़ी फट्टी हुई थी, आज पूरी फाड़ के तुम्हे औरत बना दिया हैं। अब तुम किसी भी मर्द को खुश कर सकोगी
में : ऊ ऊ ऊ ऊह्ह जलन हो रही हे अंकल , कुछ करो भी अब
मुश्ताक ने मेरी हालत को समझा और मेरी टांगों के बीच झुक गये, फिर अपना मूह मेरी योनी पे ले जा के अपनी लम्बी जीभ निकाली ओर मेरी जलती हुई चूत पे रख दी
मेरी चूत को जलन से आराम मिला जब मुश्ताक अंकल ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना शुरू किया। मेरे लिए एक नया एहसास था यह, ओर कुछ ही पलों में मेरी जलन खत्म हो चुकी थी। अब में अंकल की इस अत्यंत रोमांचित हरकत से मंत्रमुग्ध हो गयी , मेरे अंदर फिर से एक नये चरम तक पहुँचने की लालसा जाग गयी। अंकल मेरी चूत के सुराख में जीभ घुसेड के दाएं बाएँ घुमा के मुझे पागलपन की हद तक मज़ा दे रहा थे, फिर जीभ को चूत से बाहर निकाल के मेरे क्लाइटोरिस की सेवा करने में जुट गये।
में : ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अंकल अह्ह्ह्ह आह ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मर गयी हाय रब्बा
मुश्ताक : ऊम्म्म्म्म्म बेबी तुम तो जन्नत हो, खुदा की कसम तुम ने मेरा दिल जीत लिया है। मुझे उम्मीद नही थी की इतनी नादान सी दिखने वाली सिखनी इतना मज़्ज़ा देगी
में : अंकल आप ने मुझे जितना मज़ा दिया आजतक किसी ने नही दिया था। में हर वक़्त तरसती थी कोई मुझे ऐसा प्यार करे जेसा अभी आप कर रहे हो
मुश्ताक अंकल ने फिर मेरी आँखों में देखा, और दोबारा जीभ से मेरी चूत के हर हिस्से को चाटने में जुट गये। में भी खुल के सिस्कारियां भरती हुई जीभ ओर योनी के मिलन से उठने वाली तरंगों में झूमने लगी। में अब चरम के पास पहुँच गयी थी, मेरी सांसें गहरी ओर तेज़ हो गयी, पेट की गहराई में ज्वारभाटा बढ़ने लगा, आँखों के सामने सतरंगी सितारे चमकने लगे, ओर फिर बाँध टूट गया । में झड़ रही थी, मेरा जिस्म ऐसे झटके खा रहा था मानो 440 वोल्ट की करंट लगी हो। मेरी योनी से कामरस बहने लगा जिसे मुश्ताक ख़ुशी ख़ुशी चाटने लगे।
मेरी योनी से बहते कामरस की आखरी बूँद चाट लेने के बाद मुश्ताक सीधे हुए और अपना पत्थर जेसा सख्त लंड मेरी लिसलिसी चूत के मुंह पे लगा के बोले
मुश्ताक : बेबी अब तुमको इतना मज़ा आयेगा कि मानो जन्नत की सैर कर रही हो।
में : अंकल मैं झूम रही हूँ, ऐसा लगता हे जेसे हवा में उड़ रही हूँ।
मुश्ताक ने लम्बी सांस भरी और मरदाना लंड को कमसिन चूत में उतारने लगा, और तब तक उतारता रहा जब तक पूरा लंड जड़ तक अंदर ना समा गया । मुझे पहली बार के मुकाबले कम दर्द हुआ, ओर इस बार मस्ती से लंड लेके मुश्ताक के पेट और छाती से खुद को चिपका ली मानो छिपकली छत से चिपक गयी हो। मेरी टांगें मुश्ताक की कमर के आसपास लिपटी हुई थी और बाहों का हार उनके गले में था, मेने अपने हलके जिस्म को मुश्ताक के कठोर बदन से ऐसे चिपका लिया कि सिर्फ मेरे पैर ओर सिर बिस्तर से लगे हुए थे, बाकी का नंगा जिस्म मुश्ताक से चिपका हुआ था।
मुश्ताक मेरी हरकत देख परेशान हुए, पर जल्दी खुद को सँभालते हुए पूरे जोश से लंड बाहर खींच के जबरदस्त धक्का मारते हुए मुझे बिस्तर में धंसा दिया और लंड फिर से जड तक मुझ में समा गया। फिर से एक बार दोबारा लंड बाहर खींचते हुए मुश्ताक ने जबरदस्त तरीके से मेरी रसीली चूत में प्रहार किया जिस से उनका मशरुम जेसा सुपाडा मेरी कमसिन कोख से जा टकराया। मेरी चीख निकल गयी, और आँखों के सामने अँधेरा छा गया।
में बेहोश हो गयी, पर जब होश आया तो मुश्ताक मुझे बुरी तरह रौंद रहे थे । में चुदती रही ,मुश्ताक चोदते रहे। मुझे अब एहसास होने लगा की में जल्दी अपने चरम तक पहुँच जाउंगी, सो मेने भी मुश्ताक की ताल से ताल मिलाते हुए नीचे से कुल्हे उचका उचका के अपनी चूत में लंड लेना प्रारम्भ किया। जल्दी वो घडी आ गयी जब मुश्ताक अपने अंडाशय में उबलते हुए ज्वालामुखी को रोक नही पाए और जल्दी से लिंग बाहर खींच के मुझे अपने गाढे सफ़ेद गरम वीर्य से नहलाने लगे। में भी आंखें बंद करके अपने नंगे जिस्म पे गिरती वीर्य की बूँदों को महसूस करती अपने चरम को प्राप्त हुई
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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