FUN-MAZA-MASTI
नौकरी हो तो ऐसी--22
गतान्क से आगे…………………………………….
मैं उठ के दिवानखाने मे गया. सेठ जी उधर नही थे लगता है वह सो गये होंगे.
मैं उधर से निकला और सीडिया चढ़के पहली मज़िल पे आ गया.
जैसे ही मैं दूसरी मंज़िल की सीडिया चढ़ने जा रहा था मुझे कुछ हल्की सी आवाज़ सुनाई दी..
मैं नीचे उतर गया और एक कमरा जहाँ अक्सर कबाड़ रखा जाता है वहाँ देखा आवाज़ उधर से ही आ रही थी.. कबाड़ का कमरा और उसके बाजुवाला कमरा इन दोनो मे बहुत सारी जगह थी क्यू कि उधरसे हवेली की बाल्कनी मे जा सके….
मैं चुपकेसे कबाड़ के रूम की तरफ गया और जहाँ वो खाली जगह थी वहाँ खड़ा होगया…. आवाज़ अभी थोड़ी स्पस्ट आ रही थी पर कुछ समझ नही आ रहा था
मैने इधर उधर देखा कि अंदर कैसे देखा जाए… आवाज़ की गर्मी ने मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर दिया… मैने उपर देखा …एक छोटिसी खिड़की बनी थी…पर वो बहुत ज़्यादा उपर थी… मैने आगे देखा ….मुझे उधर कुछ समान के बक्से दिखाई दिए….
मैं धीरे कदम डाल बक्से को उठा लाया और तीन चार बड़े बक्से एक के उपर एक रख दिए…
आरामसे हलकसे थोड़ी भी आवाज़ ना करते हुए मैं उपर चढ़ा और अंदर देखा…. अंदर अंधेरा बहुत था और समान भी भरा पड़ा था तो कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था.. थोड़ी देर बाद मैने वहाँ रखी बॅटरी की लाइट का पीछा किया और देखा तो अंदर कॉंट्रॅक्टर बाबू और नलिनी थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को पीछे से पकड़ा था उसे पीछे से घिस रहे थे…
इसका मतलब आज कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपना इरादा आज साधने का पूरा इन्तेजाम किया था… नलिनी की राव साब, वकील बाबू जो खुद उसके पिता है, पंडितजी ने पहली ठुकाई करी थी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू को मौका नही मिला था….
कॉंट्रॅक्टर बाबू: “उस दिन तू गाड़ी मे बच गयी मेरी ठुकाई से… आज तो मैं तुझे कस के चोदुन्गा वो भी बार बार “
नलिनी कुछ नही बोल रही थी… और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी… कॉंट्रॅक्टर बाबू उसे दबोच के उसकी गान्ड पे अपना लॉडा घिसे जा रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी सलवार का नाडा खोल दीया और सलवार नीचे गिर गयी…. और अब उसकी चड्डी भी निकाल दी…
नलिनी सामने देख ही नही पा रही थी… और कॉंट्रॅक्टर बाबू उसके सामने आके उसे कस के पकड़े और मस्ती मे अपनी जीब उसके मूह मे घुसा का मस्त चुम्मि लेने लगे…
नलिनी के गोल मटोल चुचे दब रहे थे और और ज़्यादा घुमावदार दिख रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की हरी भरी काले बालो वाली चूत मे उंगली डाल दी और ज़ोर्से अंदर बाहर करने लगे …. नलिनी के मूह से आहह आहह निकलने लगी…..
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट फटाक से नीचे कर दिया उसका लॉडा देख के नलिनी बोली
नलिनी: नही चाचा जी ये बहुत बड़ा है ….. बहुत बड़ा है इतना बड़ा अंदर जाएगा तो मुझे कल चलने को नही होगा चाचा
कॉंट्रॅक्टर बाबू: अरे मेरी प्यारी गुड़िया रानी ये तो कुछ नही है तेरे लिए…… तुझे मस्त रंडी बनाना है मुझे …..इसी तरह तुझे आदत लगेगी ना मेरी प्यारी खूबसूरत रंडी
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपने काले बड़े नाग के सूपदे की चमड़ी को पीछे खिचा ….. नलिनी को उसपे थूकने को कहा…
लंड अब मस्त चिकने और खूटे की तरह और मोटा बनके फूल गया…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को अपने तरफ खिचा और खड़े खड़े ही उसकी बुर के छेद को ढूँढ लिया
गुलाबी बुर के छेद पे लंड सटा कर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने एक बड़ा झटका मारा… लंड आधे से अधिक अंदर चला गया…. नलिनी की उूुुुउउइईईईईई माआआआआआआअ……. करके आवाज़ निकल गयी … अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने ज़ोर ज़ोर से झटके मारना शुरू किया.
नलिनी के बड़े बड़े मस्त दूध दबाते दबाते उसे बोला रंडी तेरी मैं हर दिन लूँगा. गाली पे गाली देने लगा… नलिनी आगे पीछे हो रही थी फटाफट ….. कॉंट्रॅक्टर बाबू के धक्को की गति बहुत तेज़ थी…. लंड पूरा अंदर चला गया और अब नलिनी की ज़ोर्से आवाज़ निकलने लगी…. अगर कोई पहली मज़िल पे आ जाए तो उसे आराम से पता चले पर वक़्त बहुत ज़्यादा हुआ था इसलिए सब सोए थे…. जहाँ तक मुझे लग रहा था...
धक्को की गति तेज़ होने से कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पिचकारी 10 मिनिट मे नलिनी की बुर के काफ़ी अंदर तक छोड़ दी… लंड बाहर निकाला तो वो सफेद पानी से चमक रहा था....
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को घुटनो के बैठने को खिचा और उसके मूह मे वीर्य से भरा लंड घुसा दिया….
थोड़ी ही देर मे लंड फिर से अपनी पुरानी हालत मे आ गया
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू बोले अब मैं तेरी गांद मारूँगा हाहहहः
नैलिनी: नही नही चाचा ….. नही उधर नही …. मुझ कल चलनेको नही होगा चाचा जी … बहुत दर्द होगा….
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने कुछ नही सुना…. उन्होने नलिनी को घुमा के कुत्ति बन दिया…. और पीछेसे उसपे चढ़ गये….. उसकी गांद का छेद तो बहुत ही छोटा लग रहा था…. जाहिर है उसकी इसके पहले उधर किसीने नही ली होगी
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने बहुत सारी थूक निकाली और नलिनी की गांद पे रगड़ दी… और अपना काला सूपड़ा उसकी गांद के छेद पे रख दिया…
और उसे अच्छे दबोच के लंड को अंदर घुसाया पर वो जा नही पाया … इतना बड़ा सुपाड़ा …. कॉंट्रॅक्टर बाबू ने और थूक लगाई और इस बार लंड को हाथ मे लेके छेद पे लगाया और पूरा दबाब डाल के अंदर घुसा दिया …..पचक ..पच….पुक करके आवाज़ आई….नलिने तो अपने हाथ पाव और पूरा बदन हिलाने लगी…
सुपाड़ा गांद के अंदर घुस गया… नलिनी बहुत ज़्यादा हिलने और अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने कुछ सोचे बिना फटाक से एक ज़ोर का झटका मारा और आधा लंड अंदर…. नलिनी नीचे गिर गयी उसने आपने आप को फर्श पर लिटा दिया…. ये उसकी सहन के बाहर था ….. इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अभी गति बढ़ा दी और ज़ोर्से झटके मारने लगे…. थोड़ी ही देर मे पूरा लंड नलिनी की कोमल गोरी गांद के अंदर समा गया और पचाककक पकच आवाज़ो से पूरा कमरा भर गया…. नलिनी के होश ही ठिकाने नही थे….. उसे कुछ भी समज़ नही रहा था कैसे करके भी वो अपने मूह से आवाज़ नही निकलने दे रही थी….. जाहिर सी बात थी कि उसे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था….
इस बार धक्के रुक नही रहे थे…..
कॉंट्रॅक्टर बाबू: वाह मेरी रंडी क्या गांद है तेरी…. खुदा कसम ऐसा लग रहा है इसे रात दिन मारता रहू
15 मिनिट बाद कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की गांद मे अपना वीर्य छोड़ दिया
थोड़ी ही देर मे कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट पहेन ली और दरवाजा खोल के अपने कमरे की तरफ चल पड़े…
नलिनी अभी भी वहीं पड़ी थी…. गांद से अभी भी खून निकल रहा था…गांद के छेद मे पूरा सफेद वीर्य रस और खून लगा था ….. उठने को भी नही हो रहा था…. कॉंट्रॅक्टर बाबू के लंड ने उसकी बहुत बुरी हालत कर दी थी….
जैसे तैसे वो बाजू मे पड़े समान को पकड़ के खड़ी हुई उसने फिर धीरे धीरे अपनी चड्डी और पॅंट पहेन ली और लंगड़ाते हुए अपने कमरे मे चली गयी…
दोनो के चले जाने के बाद मे धीरे से नीचे उतरा और जाके सो गया.
सबेरे उठ के तैय्यार होके नाश्ता पानी किया.
दीवानखाने मे सेठ जी बैठे थे मुझे देखकर बोले.
मुझे बोले तुम्हे आज गाव के स्कूल मे जाना होगा. दो तीन शिक्षक है जिन्होने मेरे पास से कुछ उधारी ली है… जाके देखो और उनको कहो कि आज के आज पैसा चाहिए नही तो हमे कुछ नया तरीका अपनाना पड़ेगा….
जिन शिक्षको को सेठ जी ने पैसे दिए थे वो असल मे सेठ जी के छोटे बेटे मास्टर जी के ही जान पहचान के थे…. इलाक़े मे इतना आमीर कोई था नही जो जब चाहे पैसे दे तो उन लोगो ने सेठ जी से पैसे लिए थे….. जिसका बोझ अभी बहुत भारी हो गया
मैने कहा : ठीक है सेठ जी मैं जाता हू….
सेठ जी: अच्छे डराना धमकाना…. तुम अभी इस घर के एक सदस्य हो…. वो काम होने के बाद सीधा गोदाम मे आ जाना ….कुछ नया माल आया है वो गाव की मार्केट मे व्यापारियोको बेचा है …और उसके हिसाब की लिखावट के लिए मुझे तुम्हारी ज़रूरत पड़ेगी
मैने हाँ बोल दिया और निकल पड़ा
मैं जीप मे बैठा और ड्राइवर ने जीप स्कूल की ओर बढ़ा दी
थोड़ी ही देर मे हम स्कूल पहुच गये… स्कूल 12थ कक्षा तक था
हम स्कूल के अंदर आए और मैने एक चपरासी से तीन शिक्षको के बारे मे पूछा तो उसने कहा अभी 5 मिनिट मे इंटर्वल हो जाएगा आप अंदर विशेष शिक्षक कक्षा मे बैठ जाइए… मैने उन्हे यही भेज देता हू.
मुझे मिलनेवाले आदर सत्कार ये पता चल रहा था कि सेठ जी को यहाँ बहुत माना जाता है और उनसे डरते भी है.
शिक्षक कक्षमे मैं अंदर आके बैठ गया और जैसे ही बैठा मैने सामने देखा एक मस्त माल बैठी थी…. सारी और स्लीवेलेस्स ब्लौज मे एकदम फाडु लग रही थी….मस्त सुडौल उँचाई और भरा ताज़ा शरीर…लाल लाल होठ ….कमर तक लंबे खुले बाल… और वो बड़ी गांद का घेराव… मुझे देख के उसने नमस्ते किया और मैने भी नमस्ते किया और वो किताब मे घुस गयी..
मैं मेज पे पड़े पेपर को पढ़ने मे ध्यान देने की कोशिश करने लगा पर मेरा ध्यान उसके गतीले शरीर और गोरे मांसल हाथो पे जा रहा था…. मैने देखा कि उसके दूध बड़े बड़े नही है हाँ पर संतरे की तरह है एकदम कड़क…. जिसकी वजह से सारी भी उनका आकर जो गोल गोल और कड़क था छुपा नही पा रही थी….
मैने हिम्मत करके पूछा “आपका नाम ??”
वो बोली “मैं मालिनी…. यहाँ जो टीचर हैं ना मिस्टर वोहरा…आप जानते होंगे… उनकी पत्नी”
मैने कहा : मैं यहाँ अभी नया हू पर चलो कोई बात नही अभी आया हू तो मिल ही लूँगा
मालिनी हसी और फिरसे किताब मे मूह डाल के पढ़ने लगी
मालिनी को देख के मेरा मन उसके पास जानेको करने लगा
मैं बोला "क्या आप ट्यूशन लेते हो "
मालिनी बोली "नही अभी तक तो नही...."
मालिनी पीठ को सीधे करते हुए पीछे पीठ लगा के चेर से टिक गयी, उसके उत्त्तेजक दूध और कड़क, बड़े एवं गोलाकार दिखने लगे.... लग रहा था जैसे दो ज़्यादा पके बड़े संतरे मेरे सामने रखे हो ...जिनके छिलके मैं निकाल के उनका रास्पान नही कर सकता…क्या मस्त दूध थे मंन कर रहा था कि जाके कस्के पकड़ लू और मूह से मस्त चूस लू...मेरे लंड राजा सलामी पे सलामी दे रहे थे....
मैने थोड़ा सोच के बोला "आप ट्यूशन लेना चाहोगी क्या ...."
मालिनी बोली "मेरे पति अगर हां कह दे तो ले सकती हू"
मैं बोला "सोचो उन्होने हां कह दिया ...."
अपने बालो को पीछे करते हुए, मालिनी ने बोला "ऐसे कैसे तुम्हे जानते नही, पहचानते नही वो हां कह देंगे...
और वैसे तुम्हे किस सब्जेक्ट का ट्यूशन चाहिए...."
मैं बोला "मुझे इंग्लीश का ट्यूशन चाहिए ...बचपन से मेरी इंग्लीश ठीक नही रही"
मालिनी बोली"वो अच्छा ये बात है... पर तुम रहते कहाँ हो..."
मैं "हवेली मे ....सेठ जी के यहाँ"
मलिने के आँखे बड़ी हो गयी वो बोली "क्या सेठ जी के मेहमान हो तुम..... अरे सेठ जी को नही कौन बोल सकता है ...
मैं तुम्हे ज़रूर इंग्लीश सिखाउंगी..... बोलो कब्से सीखनी है तुम्हे...."
मैं बोला "कल से ......"
मालिनी बोली "ठीक है पर ट्यूशन कहाँ लेंगे तुम्हारी हम लोग....."
मैं बोला "आपके घर....."
मालिनी बोली "ठीक है कल स्कूल के बाद याने 3 बजे के बाद कभी भी आ जाओ तुम मेरे घर ....मैं यहाँ पास मे ही रहती हू "
मैं बोला "अच्छा ठीक ठीक...."
मालिनी बोली "चलो मैं निकलती हू अभी…. मिलते है " और वो निकल गयी....जाते समय उसके घेरावदर मस्त सारी मे क़ैद चुतताड पीछेसे मटकने लगे, मैने तो ठान लिया मालिनी तुझे मैं मस्त फ़ुर्सत से चोदुन्गा......
और उतने मे वो चपरासी वो तीन शिक्षक गन को लेके आया
वो लोग बोले "नमस्ते "
मैने चिल्लाके कहा "नमस्ते वमस्ते छोड़ो मादरचोदो, सेठ जी के पैसे कब लौटा रहे हो वो बोलो"
तीनो खड़क से नींद से जाग से गये. मेरी आवाज़ से वो दंग रह गये
उनमे से एक बोला "कुछ दिन और देदो बाबू जी.... फिर दे देते है "
मैने कहा "और कितने दिन"
दूसरा बोला "2 महीने..."
मैं बोला "क्यू 2 महीने मे कोई चोरी करनेवाले हो क्या तुम लोग ...जो इतना सारा पैसे वापस करोगे...."
और एक बोला “अरे बाबूजी आप तो बड़े हो… हम 2 महीने मे पैसे दे देंगे … भरोसा रखिए… ये देखो प्रिन्सिपल सर भी हमारे ही साथ तो है…”
ओह तेरी….. मतलब स्कूल के प्रिन्सिपल पे भी सेठ जी का कर्ज़ा था… और इन तीनोमे एक प्रिन्सिपल भी था…
मैने तब भी डांटा और बोला “डंडे पड़ेंगे तो काहे के प्रिन्सिपल और काहे के हेड मास्टर… मुझे बस पैसा चाहिए…”
उनमे से एक बोला “अरे तनिक ठंडक रखिए …. आप सेठ जी को मना लीजिए इस बार कैसे भी करके…सेठ जी के दिमाग़ को इस बार ठंडा कर दीजिए …बदले मे हम आपका दिमाग़ ठंडा कर देते है..”
उनमे से जो प्रिन्सिपल था वो बोला “आज श्याम 5 बजे मेरे घरपे आपके लिए हम लोग पार्टी आयोजित करने की सोच रहे है …कृपया आमंत्रण स्वीकार करे…”
मैं बोला “कैसी पार्टी…”
क्रमशः………………………..
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मैं उठ के दिवानखाने मे गया. सेठ जी उधर नही थे लगता है वह सो गये होंगे.
मैं उधर से निकला और सीडिया चढ़के पहली मज़िल पे आ गया.
जैसे ही मैं दूसरी मंज़िल की सीडिया चढ़ने जा रहा था मुझे कुछ हल्की सी आवाज़ सुनाई दी..
मैं नीचे उतर गया और एक कमरा जहाँ अक्सर कबाड़ रखा जाता है वहाँ देखा आवाज़ उधर से ही आ रही थी.. कबाड़ का कमरा और उसके बाजुवाला कमरा इन दोनो मे बहुत सारी जगह थी क्यू कि उधरसे हवेली की बाल्कनी मे जा सके….
मैं चुपकेसे कबाड़ के रूम की तरफ गया और जहाँ वो खाली जगह थी वहाँ खड़ा होगया…. आवाज़ अभी थोड़ी स्पस्ट आ रही थी पर कुछ समझ नही आ रहा था
मैने इधर उधर देखा कि अंदर कैसे देखा जाए… आवाज़ की गर्मी ने मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर दिया… मैने उपर देखा …एक छोटिसी खिड़की बनी थी…पर वो बहुत ज़्यादा उपर थी… मैने आगे देखा ….मुझे उधर कुछ समान के बक्से दिखाई दिए….
मैं धीरे कदम डाल बक्से को उठा लाया और तीन चार बड़े बक्से एक के उपर एक रख दिए…
आरामसे हलकसे थोड़ी भी आवाज़ ना करते हुए मैं उपर चढ़ा और अंदर देखा…. अंदर अंधेरा बहुत था और समान भी भरा पड़ा था तो कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था.. थोड़ी देर बाद मैने वहाँ रखी बॅटरी की लाइट का पीछा किया और देखा तो अंदर कॉंट्रॅक्टर बाबू और नलिनी थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को पीछे से पकड़ा था उसे पीछे से घिस रहे थे…
इसका मतलब आज कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपना इरादा आज साधने का पूरा इन्तेजाम किया था… नलिनी की राव साब, वकील बाबू जो खुद उसके पिता है, पंडितजी ने पहली ठुकाई करी थी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू को मौका नही मिला था….
कॉंट्रॅक्टर बाबू: “उस दिन तू गाड़ी मे बच गयी मेरी ठुकाई से… आज तो मैं तुझे कस के चोदुन्गा वो भी बार बार “
नलिनी कुछ नही बोल रही थी… और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी… कॉंट्रॅक्टर बाबू उसे दबोच के उसकी गान्ड पे अपना लॉडा घिसे जा रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी सलवार का नाडा खोल दीया और सलवार नीचे गिर गयी…. और अब उसकी चड्डी भी निकाल दी…
नलिनी सामने देख ही नही पा रही थी… और कॉंट्रॅक्टर बाबू उसके सामने आके उसे कस के पकड़े और मस्ती मे अपनी जीब उसके मूह मे घुसा का मस्त चुम्मि लेने लगे…
नलिनी के गोल मटोल चुचे दब रहे थे और और ज़्यादा घुमावदार दिख रहे थे…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की हरी भरी काले बालो वाली चूत मे उंगली डाल दी और ज़ोर्से अंदर बाहर करने लगे …. नलिनी के मूह से आहह आहह निकलने लगी…..
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट फटाक से नीचे कर दिया उसका लॉडा देख के नलिनी बोली
नलिनी: नही चाचा जी ये बहुत बड़ा है ….. बहुत बड़ा है इतना बड़ा अंदर जाएगा तो मुझे कल चलने को नही होगा चाचा
कॉंट्रॅक्टर बाबू: अरे मेरी प्यारी गुड़िया रानी ये तो कुछ नही है तेरे लिए…… तुझे मस्त रंडी बनाना है मुझे …..इसी तरह तुझे आदत लगेगी ना मेरी प्यारी खूबसूरत रंडी
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपने काले बड़े नाग के सूपदे की चमड़ी को पीछे खिचा ….. नलिनी को उसपे थूकने को कहा…
लंड अब मस्त चिकने और खूटे की तरह और मोटा बनके फूल गया…
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को अपने तरफ खिचा और खड़े खड़े ही उसकी बुर के छेद को ढूँढ लिया
गुलाबी बुर के छेद पे लंड सटा कर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने एक बड़ा झटका मारा… लंड आधे से अधिक अंदर चला गया…. नलिनी की उूुुुउउइईईईईई माआआआआआआअ……. करके आवाज़ निकल गयी … अब कॉंट्रॅक्टर बाबू ने ज़ोर ज़ोर से झटके मारना शुरू किया.
नलिनी के बड़े बड़े मस्त दूध दबाते दबाते उसे बोला रंडी तेरी मैं हर दिन लूँगा. गाली पे गाली देने लगा… नलिनी आगे पीछे हो रही थी फटाफट ….. कॉंट्रॅक्टर बाबू के धक्को की गति बहुत तेज़ थी…. लंड पूरा अंदर चला गया और अब नलिनी की ज़ोर्से आवाज़ निकलने लगी…. अगर कोई पहली मज़िल पे आ जाए तो उसे आराम से पता चले पर वक़्त बहुत ज़्यादा हुआ था इसलिए सब सोए थे…. जहाँ तक मुझे लग रहा था...
धक्को की गति तेज़ होने से कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पिचकारी 10 मिनिट मे नलिनी की बुर के काफ़ी अंदर तक छोड़ दी… लंड बाहर निकाला तो वो सफेद पानी से चमक रहा था....
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी को घुटनो के बैठने को खिचा और उसके मूह मे वीर्य से भरा लंड घुसा दिया….
थोड़ी ही देर मे लंड फिर से अपनी पुरानी हालत मे आ गया
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू बोले अब मैं तेरी गांद मारूँगा हाहहहः
नैलिनी: नही नही चाचा ….. नही उधर नही …. मुझ कल चलनेको नही होगा चाचा जी … बहुत दर्द होगा….
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने कुछ नही सुना…. उन्होने नलिनी को घुमा के कुत्ति बन दिया…. और पीछेसे उसपे चढ़ गये….. उसकी गांद का छेद तो बहुत ही छोटा लग रहा था…. जाहिर है उसकी इसके पहले उधर किसीने नही ली होगी
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने बहुत सारी थूक निकाली और नलिनी की गांद पे रगड़ दी… और अपना काला सूपड़ा उसकी गांद के छेद पे रख दिया…
और उसे अच्छे दबोच के लंड को अंदर घुसाया पर वो जा नही पाया … इतना बड़ा सुपाड़ा …. कॉंट्रॅक्टर बाबू ने और थूक लगाई और इस बार लंड को हाथ मे लेके छेद पे लगाया और पूरा दबाब डाल के अंदर घुसा दिया …..पचक ..पच….पुक करके आवाज़ आई….नलिने तो अपने हाथ पाव और पूरा बदन हिलाने लगी…
सुपाड़ा गांद के अंदर घुस गया… नलिनी बहुत ज़्यादा हिलने और अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने कुछ सोचे बिना फटाक से एक ज़ोर का झटका मारा और आधा लंड अंदर…. नलिनी नीचे गिर गयी उसने आपने आप को फर्श पर लिटा दिया…. ये उसकी सहन के बाहर था ….. इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अभी गति बढ़ा दी और ज़ोर्से झटके मारने लगे…. थोड़ी ही देर मे पूरा लंड नलिनी की कोमल गोरी गांद के अंदर समा गया और पचाककक पकच आवाज़ो से पूरा कमरा भर गया…. नलिनी के होश ही ठिकाने नही थे….. उसे कुछ भी समज़ नही रहा था कैसे करके भी वो अपने मूह से आवाज़ नही निकलने दे रही थी….. जाहिर सी बात थी कि उसे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था….
इस बार धक्के रुक नही रहे थे…..
कॉंट्रॅक्टर बाबू: वाह मेरी रंडी क्या गांद है तेरी…. खुदा कसम ऐसा लग रहा है इसे रात दिन मारता रहू
15 मिनिट बाद कॉंट्रॅक्टर बाबू ने नलिनी की गांद मे अपना वीर्य छोड़ दिया
थोड़ी ही देर मे कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी पॅंट पहेन ली और दरवाजा खोल के अपने कमरे की तरफ चल पड़े…
नलिनी अभी भी वहीं पड़ी थी…. गांद से अभी भी खून निकल रहा था…गांद के छेद मे पूरा सफेद वीर्य रस और खून लगा था ….. उठने को भी नही हो रहा था…. कॉंट्रॅक्टर बाबू के लंड ने उसकी बहुत बुरी हालत कर दी थी….
जैसे तैसे वो बाजू मे पड़े समान को पकड़ के खड़ी हुई उसने फिर धीरे धीरे अपनी चड्डी और पॅंट पहेन ली और लंगड़ाते हुए अपने कमरे मे चली गयी…
दोनो के चले जाने के बाद मे धीरे से नीचे उतरा और जाके सो गया.
सबेरे उठ के तैय्यार होके नाश्ता पानी किया.
दीवानखाने मे सेठ जी बैठे थे मुझे देखकर बोले.
मुझे बोले तुम्हे आज गाव के स्कूल मे जाना होगा. दो तीन शिक्षक है जिन्होने मेरे पास से कुछ उधारी ली है… जाके देखो और उनको कहो कि आज के आज पैसा चाहिए नही तो हमे कुछ नया तरीका अपनाना पड़ेगा….
जिन शिक्षको को सेठ जी ने पैसे दिए थे वो असल मे सेठ जी के छोटे बेटे मास्टर जी के ही जान पहचान के थे…. इलाक़े मे इतना आमीर कोई था नही जो जब चाहे पैसे दे तो उन लोगो ने सेठ जी से पैसे लिए थे….. जिसका बोझ अभी बहुत भारी हो गया
मैने कहा : ठीक है सेठ जी मैं जाता हू….
सेठ जी: अच्छे डराना धमकाना…. तुम अभी इस घर के एक सदस्य हो…. वो काम होने के बाद सीधा गोदाम मे आ जाना ….कुछ नया माल आया है वो गाव की मार्केट मे व्यापारियोको बेचा है …और उसके हिसाब की लिखावट के लिए मुझे तुम्हारी ज़रूरत पड़ेगी
मैने हाँ बोल दिया और निकल पड़ा
मैं जीप मे बैठा और ड्राइवर ने जीप स्कूल की ओर बढ़ा दी
थोड़ी ही देर मे हम स्कूल पहुच गये… स्कूल 12थ कक्षा तक था
हम स्कूल के अंदर आए और मैने एक चपरासी से तीन शिक्षको के बारे मे पूछा तो उसने कहा अभी 5 मिनिट मे इंटर्वल हो जाएगा आप अंदर विशेष शिक्षक कक्षा मे बैठ जाइए… मैने उन्हे यही भेज देता हू.
मुझे मिलनेवाले आदर सत्कार ये पता चल रहा था कि सेठ जी को यहाँ बहुत माना जाता है और उनसे डरते भी है.
शिक्षक कक्षमे मैं अंदर आके बैठ गया और जैसे ही बैठा मैने सामने देखा एक मस्त माल बैठी थी…. सारी और स्लीवेलेस्स ब्लौज मे एकदम फाडु लग रही थी….मस्त सुडौल उँचाई और भरा ताज़ा शरीर…लाल लाल होठ ….कमर तक लंबे खुले बाल… और वो बड़ी गांद का घेराव… मुझे देख के उसने नमस्ते किया और मैने भी नमस्ते किया और वो किताब मे घुस गयी..
मैं मेज पे पड़े पेपर को पढ़ने मे ध्यान देने की कोशिश करने लगा पर मेरा ध्यान उसके गतीले शरीर और गोरे मांसल हाथो पे जा रहा था…. मैने देखा कि उसके दूध बड़े बड़े नही है हाँ पर संतरे की तरह है एकदम कड़क…. जिसकी वजह से सारी भी उनका आकर जो गोल गोल और कड़क था छुपा नही पा रही थी….
मैने हिम्मत करके पूछा “आपका नाम ??”
वो बोली “मैं मालिनी…. यहाँ जो टीचर हैं ना मिस्टर वोहरा…आप जानते होंगे… उनकी पत्नी”
मैने कहा : मैं यहाँ अभी नया हू पर चलो कोई बात नही अभी आया हू तो मिल ही लूँगा
मालिनी हसी और फिरसे किताब मे मूह डाल के पढ़ने लगी
मालिनी को देख के मेरा मन उसके पास जानेको करने लगा
मैं बोला "क्या आप ट्यूशन लेते हो "
मालिनी बोली "नही अभी तक तो नही...."
मालिनी पीठ को सीधे करते हुए पीछे पीठ लगा के चेर से टिक गयी, उसके उत्त्तेजक दूध और कड़क, बड़े एवं गोलाकार दिखने लगे.... लग रहा था जैसे दो ज़्यादा पके बड़े संतरे मेरे सामने रखे हो ...जिनके छिलके मैं निकाल के उनका रास्पान नही कर सकता…क्या मस्त दूध थे मंन कर रहा था कि जाके कस्के पकड़ लू और मूह से मस्त चूस लू...मेरे लंड राजा सलामी पे सलामी दे रहे थे....
मैने थोड़ा सोच के बोला "आप ट्यूशन लेना चाहोगी क्या ...."
मालिनी बोली "मेरे पति अगर हां कह दे तो ले सकती हू"
मैं बोला "सोचो उन्होने हां कह दिया ...."
अपने बालो को पीछे करते हुए, मालिनी ने बोला "ऐसे कैसे तुम्हे जानते नही, पहचानते नही वो हां कह देंगे...
और वैसे तुम्हे किस सब्जेक्ट का ट्यूशन चाहिए...."
मैं बोला "मुझे इंग्लीश का ट्यूशन चाहिए ...बचपन से मेरी इंग्लीश ठीक नही रही"
मालिनी बोली"वो अच्छा ये बात है... पर तुम रहते कहाँ हो..."
मैं "हवेली मे ....सेठ जी के यहाँ"
मलिने के आँखे बड़ी हो गयी वो बोली "क्या सेठ जी के मेहमान हो तुम..... अरे सेठ जी को नही कौन बोल सकता है ...
मैं तुम्हे ज़रूर इंग्लीश सिखाउंगी..... बोलो कब्से सीखनी है तुम्हे...."
मैं बोला "कल से ......"
मालिनी बोली "ठीक है पर ट्यूशन कहाँ लेंगे तुम्हारी हम लोग....."
मैं बोला "आपके घर....."
मालिनी बोली "ठीक है कल स्कूल के बाद याने 3 बजे के बाद कभी भी आ जाओ तुम मेरे घर ....मैं यहाँ पास मे ही रहती हू "
मैं बोला "अच्छा ठीक ठीक...."
मालिनी बोली "चलो मैं निकलती हू अभी…. मिलते है " और वो निकल गयी....जाते समय उसके घेरावदर मस्त सारी मे क़ैद चुतताड पीछेसे मटकने लगे, मैने तो ठान लिया मालिनी तुझे मैं मस्त फ़ुर्सत से चोदुन्गा......
और उतने मे वो चपरासी वो तीन शिक्षक गन को लेके आया
वो लोग बोले "नमस्ते "
मैने चिल्लाके कहा "नमस्ते वमस्ते छोड़ो मादरचोदो, सेठ जी के पैसे कब लौटा रहे हो वो बोलो"
तीनो खड़क से नींद से जाग से गये. मेरी आवाज़ से वो दंग रह गये
उनमे से एक बोला "कुछ दिन और देदो बाबू जी.... फिर दे देते है "
मैने कहा "और कितने दिन"
दूसरा बोला "2 महीने..."
मैं बोला "क्यू 2 महीने मे कोई चोरी करनेवाले हो क्या तुम लोग ...जो इतना सारा पैसे वापस करोगे...."
और एक बोला “अरे बाबूजी आप तो बड़े हो… हम 2 महीने मे पैसे दे देंगे … भरोसा रखिए… ये देखो प्रिन्सिपल सर भी हमारे ही साथ तो है…”
ओह तेरी….. मतलब स्कूल के प्रिन्सिपल पे भी सेठ जी का कर्ज़ा था… और इन तीनोमे एक प्रिन्सिपल भी था…
मैने तब भी डांटा और बोला “डंडे पड़ेंगे तो काहे के प्रिन्सिपल और काहे के हेड मास्टर… मुझे बस पैसा चाहिए…”
उनमे से एक बोला “अरे तनिक ठंडक रखिए …. आप सेठ जी को मना लीजिए इस बार कैसे भी करके…सेठ जी के दिमाग़ को इस बार ठंडा कर दीजिए …बदले मे हम आपका दिमाग़ ठंडा कर देते है..”
उनमे से जो प्रिन्सिपल था वो बोला “आज श्याम 5 बजे मेरे घरपे आपके लिए हम लोग पार्टी आयोजित करने की सोच रहे है …कृपया आमंत्रण स्वीकार करे…”
मैं बोला “कैसी पार्टी…”
क्रमशः………………………..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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