FUN-MAZA-MASTI
किसी से ना कहना : भाग दुसरा
मामाजी के लड़के की शादी के लिए हम ननिहाल आ गए थे. हमारा ननिहाल एक बड़ी हवेली जैसा है. दुमंजिला लेकिन करीब बीस कमरे. हम सभी अलग अलग कमरों में ठहरे थे. वामा और मैं एक दूजे को देख बहुत खुश हो गए. लेकिन मौसी लाटर हम्म दोनों पर नजर रखे हुए थी.
पहली रात थी. सभी खाना खाने के बाद एक साथ बैठे गप्पें लड़ा रहे थे. हम सभी बच्चे एक अलग बड़े कमरे में थे. तभी वामा ने मुझे इशारा किया. हम दोनों कमरे के बाहर आ गए. हमने देखा कि मौसी गप्पों में व्यस्त है. हम छत पर आ आगये. गुप्प अँधेरा था. हम दोनों आपस में लिपट गए और लगे एक दूजे को चूमने चाटने. एक दूजे के होंठों का रस पीकर हम दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था. तभी जोर की आवाजों ने हमें अलग होने पर मजबूर किया. सभी सोने जा रहे थे. हम भी अपने अपने कमरे में चले गए.
अगले दिन दोपहर को लडकी वालों के यहाँ कोई फंक्शन था. औरतें सभी वहां गई हुई थी. मैं घर पर ही था. दोपहर को रीब तीन बजे वामा लौट आई. उसने मुझे ढूँढा और हम दोनों एक खाली कमरे में आ गए. वामा ने कहा " केवल आधा घंटा है. वे लोग आधे घंटे में पहुँच जायेंगे. चलो जल्दी करो." मैंने और वामा ने अपने सिर्फ नीचे के कपडे उतारे. वामा ने मुझे कोंडोम थमा दिया. मैंने तुरंत कोंडोम लगाया लेकिन मेरा लिंग अभी कड़क और बड़ा नहीं हुआ था. वामा ने नीचे झुककर मेरे लिंग को चूमना शुरू किया. केवल दस सेकंड में वो एकदम कड़क और लंबा होकर खड़ा हो गया. मैंने कोंडोम चढ़ाया. वामा नेखड़े खड़े ही अपनी एक टांग ऊपर उठाकर मेरे हाथ में दे दी. मैंने उसकी टांग को और ऊंचा उठा दिया. अब उसका जननांग खुलकर चौड़ा हो गया था. मैंने अपना लिंग उसमे डाल दिया. हम दोनों खड़े खड़े सेक्स करने लगे. बीच बीच में थोडा रुकते और फिर करने लग जाते. तभी हमें लगा जैसे सभी औरतें लौट आई है. मैंने जोर लगाना शुरू किया. वामा ने मुझे होंठों पर जोर से चूमना शुरू किया. ताभिमेरे लिंग ने वामा के जननांग में कोंडोम में ढेर सारी मलाई छोड़ दी. वामा और मैं दोनों मदहोशी से एक दूजे को चूमने लगे. फिर किसी के आने के डर से अलग अलग हो आये. हमने अपने अपने कपडे पहने और बाहर आ गए. किसी को भी पता नहीं चल पाया. रात को हमने बहुत कोशिश की लेकिन मौसी की पैनी निगाहों ने हम दोनों को पास भी नहीं आने दिया.
रात के करीब दो बजे थे. मेरी आँख खुली. मैं अपने कमरे से निकलकर उस तरफ चला गया जिधर वामा का कमरा था. मैंने उस कमरे में छुपकर झाँका. थोड़ी रौशनी थी इसलिए मैं वामा को देख सका. वामा ने करवट बदली. अब वामा मरे बिलकुल सीध में आ चुकी थी. मैंने एक कंकर उसे मारा. निशाना सही लगा. वामा की आँख खुल गई. उसने देखा. मैं अँधेरे में था इसलिए वो मुझे नहीं देख पाई. लेकिन उसे कुछ शक हुआ मगर वो उठी नहीं. मैंने दूसरा कंकर मारा. इस बार वामा उठकर बैठ गई. उसने इधर उधर देखा और बाहर आई. इसके बाहर आते हीमैन उसके सामने आ गया. वो मुझे देखते ही मुझसे चिपक गई. मैंने पूछा " मौसी कहाँ सो रही है?" वामा ने कहा " मम्मी; दूसरे कमरे में है. किसी को कोई हक़ नहीं होगा लेकिन हम जायेंगे कहाँ?" मैंने कुछ सोचा और बोला " छत पर चलते हैं. कोई नहीं है वहां पर. " मैंने वामा का हाथ पकड़ा और छत पर आ गया. एक कोने में हम दोनों चले गए. सर्दीयों के दिन थे इसलिए मैंने वहीँ रखी एक रजाई ले ली और दोनों उसमे घुस गए. कुछ ही देर में आपस में चिपकने के कारण गरमाहट आ गई. वामा ने मुझे चूमा और बोली " तुमने तो बहुत ही अच्छा आइडिया निकाला यार. कल की एक रात और है. हम कल भी यहीं आ जायेंगे." हमने जल्दी जल्दी अपने कपडे उतार दिए. कमी यह हो गई कि हमारे पास कोंडोम नहीं था. वामा ने फिर भी मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसा लिया. मैं और वामा अब पूरा मजा ले रहे थे. मैं रुक रुक कर वामा के जननांग में अपना लिंग दाता और निकालता. इस तरह से करते करते एक घंटे से भी ज्यादा का वक्त हो गया. मुझे और वामा दोनों को ही अब यह डर लगने लगा था कि कहीं मेरे लिंग से कुछ निकलकर वामा के जननांग में घुस ना जाये. वामा ने मुझे लिंग बाहर निकलने को कहा. वामा ने रजाई को फाड़कर रुई निकाल ली और अपने जननांग पर लगा दी. मैंने लिंग को उससे छुआ दिया. अब फिर से मैं अपने लिंग से वामा के जननांग के आसपास की जगह में मस्ती करने लगा. इस मस्ती ने रंग दिखाया और कुछ ही देर के बाद मेरा लिंग बहने लगा. वामा के जननांग ली जगह भीग गई. उस ठंडक से वामा तड़प उठी और हमने एक दूजे को तड़प तड़पकर चूमना शुरू कर दिया. हम दोनों ने इसी भीगी हुई हालत में काफी देर तक मजा किया. वामा लगातार मुझे जगह जगह चूमे जा रही थी. हमें समाया का पता ही नहीं चल पाया. हम आपस में पूरी तह से चिपके हुए थे और रजाई में दुबके हुए थे इसलिए बाहर का कुछ पता नहीं चल पा रहा था. अचानक जब इस चिपका-चिपकी में रजाई थोडा हटी तो हमने देखा कि दूर आसमान में थोडा थोडा नीलापन दिखाई दे रहा था. हम समझ गए कि दिन निकलने वाला है. हम दोनों ने आखिरी कुछ किस किये और साफ़ सफाई कर अपने अपने कमरे में आकर सो गए.
सवेरे के बाद जब जब मैं और वामा आमे सामने आये तब तब हमारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. मौसी को हम पर शक हो गया. वो अब वामा को अपने साथ साथ हिराहने को कह रही थी. मैं और वामा दोनों ही अब समझ गए कि अब आपस में मिलना मुश्किल है.
रात को बारात चल दी. वामा ने बहुत ही सुन्दर ड्रेस पहनी थी और बहुत अच्छा मेक-अप किया था. वो मुझे बार बार ललचा रही थी. उसके होंठों का लाल लिपस्टिक मुझे दावत दे रहा था. मौसी बरार वामा के साथ ही चल रही थी. फेरे हो रहे थे. सभी जहाँ हवन चल रहा था वहीँ बैठे शादी की विधियां देख रहे थे. अचनाक्वामा ने मुझे ईशारा किया. मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. मौसी देख नहीं पाई. शादी वाले हाल के बाहर कार पार्किंग का एरिया सुनसान था. मैनौर वामा एक कार के पीछे चले गए. वामा ने अपने होंठ मेरी तरफ बढाए और बोली " मिठाई खाओगे." मैंने वामा का निमंत्रण स्वीकार और उसके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया. हम दोनों पागलों की तरह से एक दूजे को होंठों पर चूमने लगे. कुछ ही देर में वामा के होंठों का सारा रंग गायब हो गया. हम दोनों वापस हाल में लौट आये.
मौसी की नजर वामा पर पड़ी. वामा के होंठों के उड़े हुए लिपस्टिक के रंग से मौसी का चेहरा तमतमा उठा. उसने वामा का हाथ पकड़ा और उसे एक तरफ ले गई. मैं दूर से दोनों को देखने लगा. वामा ने मौसी को कुछ समझाया. लेकिन मौसी कुछ नहीं मां रही थी. मैं डर गया. वामा ने ने आखिर में गुए से मुसी से अपना हाथ छुड़ाया और सभी के साथ आकर बैठ गई. उसका चेहरा उतर गया था. मौसी ने अब मेरी तरफ गुस्से से देखा. मैंने अपना चेहरा स्थिर रखा और दूसरी तरफ घुमा लिया. मौसी काफी देर तक मेरी तरफ देखती रही.
शादी संपन्न हो गई. हम सभी घर लौट आये. दोपहर को खाना था. मौसी वामा के आसपास ही घुमती रही. इसी तरह से शाम हो गई. वामा के चेहरे से लग रहा था कि वो मुझसे मिलना चाह रही है. मैं परेशान हो उठा. रात को नौ बजे हमें वापस लौटना था. मैं अब कोशिश करने लगा कि वामा से कैसे मिलूं. मेरी मम्मी सब से मिल रही थी. मौसी भी वहीँ खड़ी थी. मैंने दूर से देखा और वामा ऊपर छत पर दिखाई दी. मैं दौड़ता हुआ छत पर चला गया. छत पर वामा अकेली ही खड़ी थी. मैंने वामा को अपनी बाहों में भर लिया. हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा. वामा ने मेरे होंठों पर अपने होंठों से चुम्बन दिया. एक लम्बा फ्रेंच किस लिया. हम आपस में मिलने का वडा कर जुदा हो गए.
इसके बाद लेकिन हम दोनों कभी नहीं मिल पाए हैं. वामा की शादी हो चुकी है. आज केवल यादें है.
कभी कभी जवानी में ऐसा हो जाता है कि हम कोई पागलपन जैसी भूल या गलती कर बैठते हैं.
------- आप चौंकीए मत. मैं और वामा वामा कि शादी के तीन साल बाद मिल चुके हाँ. कैसे मिले ? कहाँ मिले ? क्या किया ? कितना साथ रहा ? तीसरे और आखिर भाग में बताऊंगा.
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किसी से ना कहना : भाग दुसरा
मामाजी के लड़के की शादी के लिए हम ननिहाल आ गए थे. हमारा ननिहाल एक बड़ी हवेली जैसा है. दुमंजिला लेकिन करीब बीस कमरे. हम सभी अलग अलग कमरों में ठहरे थे. वामा और मैं एक दूजे को देख बहुत खुश हो गए. लेकिन मौसी लाटर हम्म दोनों पर नजर रखे हुए थी.
पहली रात थी. सभी खाना खाने के बाद एक साथ बैठे गप्पें लड़ा रहे थे. हम सभी बच्चे एक अलग बड़े कमरे में थे. तभी वामा ने मुझे इशारा किया. हम दोनों कमरे के बाहर आ गए. हमने देखा कि मौसी गप्पों में व्यस्त है. हम छत पर आ आगये. गुप्प अँधेरा था. हम दोनों आपस में लिपट गए और लगे एक दूजे को चूमने चाटने. एक दूजे के होंठों का रस पीकर हम दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था. तभी जोर की आवाजों ने हमें अलग होने पर मजबूर किया. सभी सोने जा रहे थे. हम भी अपने अपने कमरे में चले गए.
अगले दिन दोपहर को लडकी वालों के यहाँ कोई फंक्शन था. औरतें सभी वहां गई हुई थी. मैं घर पर ही था. दोपहर को रीब तीन बजे वामा लौट आई. उसने मुझे ढूँढा और हम दोनों एक खाली कमरे में आ गए. वामा ने कहा " केवल आधा घंटा है. वे लोग आधे घंटे में पहुँच जायेंगे. चलो जल्दी करो." मैंने और वामा ने अपने सिर्फ नीचे के कपडे उतारे. वामा ने मुझे कोंडोम थमा दिया. मैंने तुरंत कोंडोम लगाया लेकिन मेरा लिंग अभी कड़क और बड़ा नहीं हुआ था. वामा ने नीचे झुककर मेरे लिंग को चूमना शुरू किया. केवल दस सेकंड में वो एकदम कड़क और लंबा होकर खड़ा हो गया. मैंने कोंडोम चढ़ाया. वामा नेखड़े खड़े ही अपनी एक टांग ऊपर उठाकर मेरे हाथ में दे दी. मैंने उसकी टांग को और ऊंचा उठा दिया. अब उसका जननांग खुलकर चौड़ा हो गया था. मैंने अपना लिंग उसमे डाल दिया. हम दोनों खड़े खड़े सेक्स करने लगे. बीच बीच में थोडा रुकते और फिर करने लग जाते. तभी हमें लगा जैसे सभी औरतें लौट आई है. मैंने जोर लगाना शुरू किया. वामा ने मुझे होंठों पर जोर से चूमना शुरू किया. ताभिमेरे लिंग ने वामा के जननांग में कोंडोम में ढेर सारी मलाई छोड़ दी. वामा और मैं दोनों मदहोशी से एक दूजे को चूमने लगे. फिर किसी के आने के डर से अलग अलग हो आये. हमने अपने अपने कपडे पहने और बाहर आ गए. किसी को भी पता नहीं चल पाया. रात को हमने बहुत कोशिश की लेकिन मौसी की पैनी निगाहों ने हम दोनों को पास भी नहीं आने दिया.
रात के करीब दो बजे थे. मेरी आँख खुली. मैं अपने कमरे से निकलकर उस तरफ चला गया जिधर वामा का कमरा था. मैंने उस कमरे में छुपकर झाँका. थोड़ी रौशनी थी इसलिए मैं वामा को देख सका. वामा ने करवट बदली. अब वामा मरे बिलकुल सीध में आ चुकी थी. मैंने एक कंकर उसे मारा. निशाना सही लगा. वामा की आँख खुल गई. उसने देखा. मैं अँधेरे में था इसलिए वो मुझे नहीं देख पाई. लेकिन उसे कुछ शक हुआ मगर वो उठी नहीं. मैंने दूसरा कंकर मारा. इस बार वामा उठकर बैठ गई. उसने इधर उधर देखा और बाहर आई. इसके बाहर आते हीमैन उसके सामने आ गया. वो मुझे देखते ही मुझसे चिपक गई. मैंने पूछा " मौसी कहाँ सो रही है?" वामा ने कहा " मम्मी; दूसरे कमरे में है. किसी को कोई हक़ नहीं होगा लेकिन हम जायेंगे कहाँ?" मैंने कुछ सोचा और बोला " छत पर चलते हैं. कोई नहीं है वहां पर. " मैंने वामा का हाथ पकड़ा और छत पर आ गया. एक कोने में हम दोनों चले गए. सर्दीयों के दिन थे इसलिए मैंने वहीँ रखी एक रजाई ले ली और दोनों उसमे घुस गए. कुछ ही देर में आपस में चिपकने के कारण गरमाहट आ गई. वामा ने मुझे चूमा और बोली " तुमने तो बहुत ही अच्छा आइडिया निकाला यार. कल की एक रात और है. हम कल भी यहीं आ जायेंगे." हमने जल्दी जल्दी अपने कपडे उतार दिए. कमी यह हो गई कि हमारे पास कोंडोम नहीं था. वामा ने फिर भी मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसा लिया. मैं और वामा अब पूरा मजा ले रहे थे. मैं रुक रुक कर वामा के जननांग में अपना लिंग दाता और निकालता. इस तरह से करते करते एक घंटे से भी ज्यादा का वक्त हो गया. मुझे और वामा दोनों को ही अब यह डर लगने लगा था कि कहीं मेरे लिंग से कुछ निकलकर वामा के जननांग में घुस ना जाये. वामा ने मुझे लिंग बाहर निकलने को कहा. वामा ने रजाई को फाड़कर रुई निकाल ली और अपने जननांग पर लगा दी. मैंने लिंग को उससे छुआ दिया. अब फिर से मैं अपने लिंग से वामा के जननांग के आसपास की जगह में मस्ती करने लगा. इस मस्ती ने रंग दिखाया और कुछ ही देर के बाद मेरा लिंग बहने लगा. वामा के जननांग ली जगह भीग गई. उस ठंडक से वामा तड़प उठी और हमने एक दूजे को तड़प तड़पकर चूमना शुरू कर दिया. हम दोनों ने इसी भीगी हुई हालत में काफी देर तक मजा किया. वामा लगातार मुझे जगह जगह चूमे जा रही थी. हमें समाया का पता ही नहीं चल पाया. हम आपस में पूरी तह से चिपके हुए थे और रजाई में दुबके हुए थे इसलिए बाहर का कुछ पता नहीं चल पा रहा था. अचानक जब इस चिपका-चिपकी में रजाई थोडा हटी तो हमने देखा कि दूर आसमान में थोडा थोडा नीलापन दिखाई दे रहा था. हम समझ गए कि दिन निकलने वाला है. हम दोनों ने आखिरी कुछ किस किये और साफ़ सफाई कर अपने अपने कमरे में आकर सो गए.
सवेरे के बाद जब जब मैं और वामा आमे सामने आये तब तब हमारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. मौसी को हम पर शक हो गया. वो अब वामा को अपने साथ साथ हिराहने को कह रही थी. मैं और वामा दोनों ही अब समझ गए कि अब आपस में मिलना मुश्किल है.
रात को बारात चल दी. वामा ने बहुत ही सुन्दर ड्रेस पहनी थी और बहुत अच्छा मेक-अप किया था. वो मुझे बार बार ललचा रही थी. उसके होंठों का लाल लिपस्टिक मुझे दावत दे रहा था. मौसी बरार वामा के साथ ही चल रही थी. फेरे हो रहे थे. सभी जहाँ हवन चल रहा था वहीँ बैठे शादी की विधियां देख रहे थे. अचनाक्वामा ने मुझे ईशारा किया. मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. मौसी देख नहीं पाई. शादी वाले हाल के बाहर कार पार्किंग का एरिया सुनसान था. मैनौर वामा एक कार के पीछे चले गए. वामा ने अपने होंठ मेरी तरफ बढाए और बोली " मिठाई खाओगे." मैंने वामा का निमंत्रण स्वीकार और उसके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया. हम दोनों पागलों की तरह से एक दूजे को होंठों पर चूमने लगे. कुछ ही देर में वामा के होंठों का सारा रंग गायब हो गया. हम दोनों वापस हाल में लौट आये.
मौसी की नजर वामा पर पड़ी. वामा के होंठों के उड़े हुए लिपस्टिक के रंग से मौसी का चेहरा तमतमा उठा. उसने वामा का हाथ पकड़ा और उसे एक तरफ ले गई. मैं दूर से दोनों को देखने लगा. वामा ने मौसी को कुछ समझाया. लेकिन मौसी कुछ नहीं मां रही थी. मैं डर गया. वामा ने ने आखिर में गुए से मुसी से अपना हाथ छुड़ाया और सभी के साथ आकर बैठ गई. उसका चेहरा उतर गया था. मौसी ने अब मेरी तरफ गुस्से से देखा. मैंने अपना चेहरा स्थिर रखा और दूसरी तरफ घुमा लिया. मौसी काफी देर तक मेरी तरफ देखती रही.
शादी संपन्न हो गई. हम सभी घर लौट आये. दोपहर को खाना था. मौसी वामा के आसपास ही घुमती रही. इसी तरह से शाम हो गई. वामा के चेहरे से लग रहा था कि वो मुझसे मिलना चाह रही है. मैं परेशान हो उठा. रात को नौ बजे हमें वापस लौटना था. मैं अब कोशिश करने लगा कि वामा से कैसे मिलूं. मेरी मम्मी सब से मिल रही थी. मौसी भी वहीँ खड़ी थी. मैंने दूर से देखा और वामा ऊपर छत पर दिखाई दी. मैं दौड़ता हुआ छत पर चला गया. छत पर वामा अकेली ही खड़ी थी. मैंने वामा को अपनी बाहों में भर लिया. हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा. वामा ने मेरे होंठों पर अपने होंठों से चुम्बन दिया. एक लम्बा फ्रेंच किस लिया. हम आपस में मिलने का वडा कर जुदा हो गए.
इसके बाद लेकिन हम दोनों कभी नहीं मिल पाए हैं. वामा की शादी हो चुकी है. आज केवल यादें है.
कभी कभी जवानी में ऐसा हो जाता है कि हम कोई पागलपन जैसी भूल या गलती कर बैठते हैं.
------- आप चौंकीए मत. मैं और वामा वामा कि शादी के तीन साल बाद मिल चुके हाँ. कैसे मिले ? कहाँ मिले ? क्या किया ? कितना साथ रहा ? तीसरे और आखिर भाग में बताऊंगा.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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