FUN-MAZA-MASTI
एक दिन मेरा दोस्त विनोद अपनी वाइफ़ के साथ मेरे घर आया, विनोद और मैं साथ साथ काम करते हैं, विनोद की वाइफ़ सुषमा टीचर है। उस दिन विनोद ने बताया की उसका प्रिंटर और यु पी एस खराब हो गया है और सुषमा को स्कूल के कुछ पेपर सेट करके स्कूल में जमा करने हैं। इसलिये वो मेरी मदद चाहता था, मेरे पास प्रिंटर और पी सी दोनो हैं। वह जब शाम को करीब ८:०० बजे आया तो मैं थोड़ा घबरा गया था कि अचानक दोनो कैसे आ गये। विनोद को थोड़ा ड्रिंक लेने की आदत है और उस दिन शायद शनिवार था तो उस समय वह थोड़ा ड्रिंक किये हुये था। उससे मैने कहा कोई बात नहीं मैं टाइप कर देता हूं और तुम बोलो, तो सुषमा ने कहा कोई बात नहीं मैं बोल देती हूं, ये मैने ही बनाया है तो गल्तियां नही होंगी,क्योंकि उसको अच्छी टाइपिंग नही आती तो वह टाइप नहीं कर पायेगी। सुषमा मेरे बगल में कुरसी लगाकर बैठ गयी
वह इतना नज़दीक थी कि मैं उसकी सांसें महसूस कर सकता था। कई बार उसके बोडी से मेरी बोडी छू रही थी और उसके लिप्स बिल्कुल मेरे करीब थे उसके गोरा रंग और स्लिम फिगर मुझे डिस्टर्ब कर रहा था। विनोद भी पीछे बैठा था और मैं अपने पर किसी तरह कंट्रोल किये हुये था। पर सुषमा एकदम नोर्मल थी, उसे शायद ही मेरे बुरे इरादों का अहसास हो रहा हो। मैं थोड़ा नर्वस सा भी हो रहा था। मन तो कर रहा था कि उसकी एक पप्पी ले लूं और उसकी थाईस पर हाथ फ़ेरूं। उसके मीडियम साइज़ के टाइट बूब्स पर अपने लिप्स से चूमूं। पर ये सब उस समय सम्भव नहीं था, इस चक्कर में, मैं एक दो बार टाइपिंग करना ही भूल गया। कभी कभी मैं उसके पूरे बदन को ही देखते रह जाता।
थोड़ी देर में विनोद को फ़िर ड्रिंक की जरूरत महसूस हुयी, तो वह बोला सुषमा मैं १० मिनट में आया। हम दोनो समझ गये थे कि वह कहां जा रहा है। दोनो ही उसकी आदत जानते थे। विनोद के जाने के बाद सुषमा और मैं अपना काम करते रहे और मै बीच बीच में सुषमा के पूरे बदन पर नज़र मार लेता तो सुषमा भी मुझे देखकर मुस्करा देती। फ़िर जब पेपर पूरा हो गया तो मैने एक प्रिंट आउट चेकिंग के लिये सुषमा को दे दिया। सुषमा ने कुछ कोर्रेक्शन के बाद मुझे प्रिंट आउट दिया तो मैं कोररेक्शन करके दुबारा फ़ेयर प्रिंट आउट निकालकर सुषमा को दे दिया। इस तरह हमारा टाइपिंग का काम पूरा हो गया तो मैने सुषमा को बोला कि काम तो पूरा हो गया पर विनोद नहीं आया।
मैं ऐसा करता हूं थोड़ी चाय बनाता हूं तब तक शायद विनोद आ जाये फ़िर तीनो चाय पीयेंगे। सुषमा बोली नहीं चाय में बनाउंगी, मुझे कल भी तुमको तकलीफ़ देनी है। यह तो एक ही पेपर हुआ है अभी तीन पेपर और हैं, प्रिंटर और यु पी एस शायद दो-तीन दिन में ठीक होंगे और मुझे पेपर परसों तक जमा करना है। मैं कुछ कहता इससे पहले ही सुषमा किचन में चली गयी मैं मना नही कर पाया। उसे किचन में कोई परेशानी नहीं हुई और उसने चाय बनाने को भी रख दी। ५ मिनट के बाद सुषमा दो कप में चाय लेकर आ गयी तो मैने कहा कि विनोद को भी आने दो तो वह बोली ललित तुम क्या बात कर रहे हो इस टाइम वह चाय पीने की हालत में होंगे कहां। उनके लिये चाय मैने नहीं बनायी है उनको जो चाहिये वो उसके लिये ही गये हैं। मैं तो विनोद के ड्रिंक के बारे में जानता था पर किसी की बुराई और वह भी उसकी बीवी से करना बड़ी बेवकूफ़ी होती है आखिर पति परमेश्वर जो होता है।
फ़िर अचानक वह मुझसे बोली ललित तुम भी अब शादी कर ही लो, ऐसे कब तक चलेगा तो मैने कहा हां विनोद को देखकर मेरा भी मन करता है और उसके मज़े देखकर कभी जलन भी होती है।
सुषमा बोली क्यों जलन किस बात की, अरे वह तो तुम्हारी बचोलर लाइफ को अच्छा बताते हैं और कहते है कि वह गलत फ़ंस गये। मैने कहा मैं सच कहूं तो एक बात की जलन बड़ी होती है कि उसकी (विनोद) की बीवी बड़ी खूबसूरत है। मेरा ऐसा कहने पर सुषमा पहले तो शरमा सा गयी फ़िर बोली अच्छा जी तो तुम मुंह में जबान भी रखते हो। मैं तो तुमको बड़ा सीधा साधा समझती थी, पर तुम भी कम नहीं हो बातें बनाने में। दूसरे की हरी हरी दिखती है, मेरी भी कुछ परेशानियां हैं, मैने कहा क्यों आपका एक अच्छा परिवार है बच्चा है। ऐसी कोई प्रोब्लम तो नहीं लगती आप दोनो ठीक ठाक कमाते हो।
सुषमा बोली हां वह सब तो है पर। बहुत कुछ मिस करती हूं, फ़िर भी ठीक ही है। विनोद अभी तक भी नहीं आया तो मैने कहा पता नहीं क्या बात है, तो सुषमा बोली यही तो बात है अगर ड्रिंक कर लिया तो इन्हे किसी बात का कोई ध्यान नहीं रहता। अब घर जाकर न ढंग से खायेंगे न कुछ करेंगे और सो जायेंगे, कभी कभी तो रोज़ ही ऐसा होता है। मुझे ऐसे पियक्कड़ से नफ़रत होती है और फ़िर हम दोनो कई दिनो तक एक कमरे में भी अलग अलग रहते हैं। बच्चा तो बस इस बात का सबूत है कि हम पति पत्नि हैं पर शायद एक पति पत्नि की तरह प्यार किये हमें सालों गुजर गये। सुषमा एकदम इमोशनल हो गयी थी, मैने उसके हाथ पर हाथ रखकर कहा सब ठीक हो जायेगा तुम उसे प्यार से समझाओ वह समझेगा। वह तुमसे डरता तो है पर शायद अपनी आदत भी नहीं छोड़ पाता और इसका कारण भी शायद उसकी कम आमदनी है, तुम उस से ज्यादा मांगें ना किया करो
सुषमा ने अपना कंधा मेरी गोद में रख दिया और बोली राजु तुम्हारी भी तो प्रोब्लम्स होंगी तो क्या ड्रिंक में ही सब प्रोब्लम का हल है? वह मेरी गोद में आ गयी थी मैं उसकी बाहों पर हाथ फ़ेरने लगा वैसे मैं ये कन्सोल करने के लिये कर रहा था पर मेरा सेक्सी मन पूरा मज़ा ले रहा था। सुषमा को भी मेरा टच पसंद आया था और वह कुछ नहीं बोली तो मैने उसे और ऊपर खींच कर अपनी बाहों में ले लिया। सुषमा ने कुछ नहीं कहा और अपना सर मेरे कंधों पर रख दिया। मैं उसे कमर से पकड़ कर सोफ़े की तरफ़ ले गया तो वह मेरे साथ चल दी। सुषमा दिखने में एकदम पटाखा है, गोरा रंग और चमकदार चिकनी त्वचा, पतली कमर, कद ५’३ ”/४ ” उसका फ़िगर ३४-२६-३६ होगा। सुषमा शायद चाहती थी कि मैं उससे खूब बातें करूं और उसकी तारीफ़ करूं पर में ऐसा नहीं कर पाया। मैं अब तक सुषमा के बदन को देखकर मस्त हो चुका था और मैने सोचा बेटा इससे बढ़िया मौका किसी औरत के बदन से खेलने का मिलना मुश्किल है इसलिये मैं भी मौके का फ़ायदा उठाना चाहता था।
सुषमा को क्या फ़र्क पड़ता अगर मैं वहां नहीं होता तो विनोद तो उसके साथ रोज़ ही ऐसा करता। मैं उमर में बड़ा और उसको अपनी बाहों में लेकर बोला सब ठीक हो जायेगा तुम चिंता मत करो बस मस्त रहो, अभी तो मैं तुमको निराश नहीं करुंगा, विनोद से ज्यादा मज़ा दूंगा और इतना कह कर मैने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखकर उसके लिप्स को बंद कर दिया। सुषमा सकपका गयी और कुछ बोल नहीं पायी, मैने उसके लिप्स जो बंद कर दिये थे। जैसे ही मैं अपने लिप्स हटाये वह बोली ललित आप बहुत गंदे हो, आप ने ऐसी गंदी बात कैसे सोची। मैने कहा जो विनोद नहीं करता वह मैं करता हूं तो तुम क्यों परेशान हो, मैं कौन हूं भूल जाओ थोड़ी देर के लिये। मैं भी तुम्हारा नज़दीक का हूं और सोचो मैं वह सब तुमको दे रहा हूं जो तुम विनोद से इस समय चाहती हो, फ़िर मैं ड्रिंक भी नही करता।
मेरी इस बात का सुषमा पर असर हुआ और वह बोली पर मुझे डर लग रहा है, मैं उनके साथ कोई गलत तो नहीं कर रही। मैने कहा सोच लो यह तुम्हारे ऊपर है और मैं उसे चूमता और उसके जांघों और बैक पर मसाज भी करता रहा। सुषमा बोली प्लीज़ जैसा तुम चाहो पर प्लीज़ मेरे कपड़े मत उतारना आप बाहर से जो चाहे कर लो मुझे बड़ी शरम आ रही है। मेरा तीर सही निशाने पर लग गया था और मैने सुषमा को अपनी बाहों में ले लिया। फ़िर मैने बिना समय गवाये किये हुए सुषमा के बूब्स पर उसकी कमीज़ के बाहर से ही हल्का हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया।
दोस्तो ये सब कैसे हो रहा था मुझे नहीं मालुम, मैं इतना हिम्मत वाला नहीं हूं। सुषमा मेरे टच से मस्त हो रही थी, इसी बीच मैने मौका देखकर सुषमा की सलवार का नाड़ा चुपके से खोल दिया और उसे पता नहीं चला। मैं उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फ़ेरना चाहता था पर जैसे मेरा हाथ उसकी पैंटी पर टच हुआ वह एकदम से नाराज़ होते हुए बोली ललित नो चीटिंग और उसने अपनी सलवार एक हाथ से पकड़ ली पर ऊपर से वह मस्त हो चुकी थी पर अभी भी मुझसे चुदवाने में वह संकोच कर रही थी पर मेरे टच से उसे मज़ा आ रहा था। पर उसकी सलवार अभी तक खुली हुई थी जिसको उसने एक हाथ से पकड़ रखा था। जैसे ही मैने उसे अपनी बाहों में लिया तो उसके हाथों से उसकी सलवार नीचे सरक गयी और मैने ऊपर से उसकी कमीज़ की ज़िप पीछे से खोल दी और उसने अंदर से काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैं तो उसके गोरे बदन पर काली ब्रा देखकर मस्त हो गया।
वैसे तो मैं तो आराम से मस्ती के साथ मज़ा लेने वाला हूं पर सोफ़े में कम्फर्टेबल न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाया। मैने जल्दी से सुषमा की कमीज़ उतार दी और अब वह सोफ़े के बीच काली ब्रा और लाल पैंटी में आधी नंगी खड़ी थी। फ़िर मैने उसे कमर से पकड़ कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके बूब्स पर किस करना शुरु कर दिया वह चिल्लाने वाली थी पर मैने उसे डराते हुए कहा की किसी ने सुन लिया तो तुम्हारी बहुत बे-इज़्ज़ती होगी इसलिये जैसे मैं करता हूं मुझे करने दो। मैं तो उसकी सारे शरीर पर मस्ती से मसलना, दबाना, रब करना और किस करना जारी रखा। फ़िर मैने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसके बूब्स को रब करने लगा अब सुषमा मस्ती में आने लगी और उसको मेरा ऐसा करना अच्छा लगने लगा वो मुझे बीच में प्यार से मना करती और कभी कभी चूमने लगती पर उसे इस बात का डर लगता था कि कहीं विनोद आ न जाये।
थोड़ी देर के बाद मैने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया तो वह परेशान हो गयी और उसने जल्दी में अपनी पैंटी अपने आप उतार दी। वाह उसकी चूत बड़ी मस्त थी एकदम गुलाबी और उसके चारों ओर छोटे छोटे से भूरे बाल, मुझे लगता है उसने अपनी चूत एक दो दिन पहले ही साफ़ की थी। उसकी चूत के बाल एकदम नरम नरम थे शायद उनको कल परसों ही काटा गया था वह ज्यादा लम्बे भी नहीं थे ज्यादा से ज्यादा १ -२ मिलीमीटर तक होंगे। उसकी चूत देखकर तो वह १८-२० साल की सी लगती थी उसे बूब्स भी एकदम टाइट और छोटे छोटे थे। पर जहां तक चूत की बात थी शायद विनोद तो कभी कभी ही उसकी चूत तक हाथ फ़ेर पाता था, उसकी चूत देखकर लगता नहीं था कि वह अभी तक एक बच्चा निकाल चुकी थी और कई बार एक ६ फुटे मर्द के लंड की मार झेलती थी। वह एकदम नर्म गुलाबी मस्त गुदगुदी मक्खन जैसी थी। उसकी ऐसी अनछुई चूत देखकर मैं अपने आप को रोके नहीं सका और मैं समझ गया कि ऐसी चूत दुबारा चोदने को शायद कब मिल पाये।
फ़िर मैने उसे सोफ़े पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया मैने अपने कपड़े नहीं उतारे केवल पैंट की ज़िप खोलकर पैंट नीचे कर दी और अपना लंड बाहर निकाल कर सुषमा के ऊपर चढ़ गया मेरे लंड के टच से तो सुषमा पागल हो गयी और उसकी बोडी के टच से मेरा लंड भी टाइट होता चला गया मैं अपने लंड से उसकी पूरी बोडी पर रब करने लगा और वह शरमाते हुए चीखने लगी पर वह मस्ती में ये सब कर रही थी। अचानक मुझे एक मस्ती सूझी और मैने उसके दोनो बूब्स को दोनो हाथों में लेकर उसके बीच अपना लंड रख दिया मेरा लंड देखकर शरमाते हुए सुषमा ने अपनी आंखें बंद कर ली और फ़िर मैं उसके दोनो बूब्स के बीच लंड को फ़िट कर के चुदाई वाली स्टाइल में उसके बूब्स से लंड को रगड़ने लगा। इससे मेरा लंड और सुषमा के बूब्स टाइट होते चले गये और दोनो इसे एन्जॉय करने लगे। सुषमा तो मेरे इस एक्शन से मचल उठी थी वह २७-२८ साल की औरत थी उसके मुकाबले मेरा चुदाई का कोई ज्यादा अनुभव नहीं था। थोड़ी देर में मेरा लंड इतना टाइट हो गया कि उसे हिलाना भी मुश्किल लग रहा था। अब मुझे लगा कि यह सुषमा की चूत में जाने के लिये बिल्कुल फ़िट है।
सुषमा ने अपनी आंखें अभी भी बंद किये हुई थी। वह मेरा लंड देखकर घबराने का बहाना कर रही थी जबकि उसका पति पूरे ६' का था और उसका लंड तो कम से कम ७-८" का होगा। फ़िर मैने बिना दर किये सुषमा की दोनो टांगों को फ़ैलाया और एक धक्के के साथ सुषमा की चूत को दोनो ओर से फ़ैलाकर अपना खड़ा लंड उसकी चूत में ठोंक दिया और एक झटके में ही पूरा अंदर तक घुसेड़ दिया। सुषमा की चूत बड़ी टाइट थी किसी १८ साल की लड़की जितनी टाइट और अनछूई थी और मुझे उसकी चुदाई की शुरुआत में ही इतनी मेहनत करनी पड़ रही थी। सुषमा तो मेरे एक्शन से मस्त होती जा रही थी और उसकी भूख बढ़ती जा रही थी और वह मुझे और अंदर डालने के लिये कह रही थी। मैने भी फ़िर और एक धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और सुषमा अपनी गांड उठाकर और अपनी तरफ़ से धक्का लगा कर चुदवाने को बेताब थी इससे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था पर सुषमा के धक्के से मैं पूरा ही हिल रहा था और मेरा लंड उसकी चूत में फ़ंस गया था।
क्योंकि मेरी चुदायी का अनुभव भी ज्यादा नहीं था पर मैने अपनी मर्दानगी दिखाने के लिये सुषमा को पकड़ लिया और एक जोर का धक्का आगे पीछे लगाया तो सुषमा तो मस्ती में उछल पड़ी और दर्द के बावजूद मुझसे बोली ललित, दिस इस वाट आइ वांट अह्ह्ह ! बस ऐसे ही आगे पीछे करो, दर्द की परवाह मत करो चाहे मैं कितना चिल्लाऊं। चाहे फाड़ ही डालो पर यार बड़ा मज़ा आ रहा है ऐसा पहली बार है जब दर्द में भी मज़ा आ रहा है। मेरी हालत भी खराब हो गयी थी और मैने उसका मुंह बंद कर दिया था जिससे वह चीख न पड़े। पर लंड के अंदर जाते ही सुषमा की मस्ती बढ़ गयी अब मुझे दर्द हो रहा था पर वह दर्द के साथ मस्ती में मोअन कर रही थी और मुझे धक्का लगाने को कह रही थी। एक तरफ़ वह चिल्ला रही थी और दूसरी तरफ़ मुझसे धक्का लगाने को कह रही थी। ललित जोर से धक्का लगाओ न आअह्हह तेज़, और जूर्रर सीए प्पहफाड़ दो इसे आज मज़ा आ रहा है दर्द की परवाह नहीं पर धक्का लगाओ जल्दी। ललित प्लीज़ तेजी से धक्के लगाओ न म्मम्म। आआह्हह्ह औअर जूओर र्र सीए आउरुर तेज़ म्मम्मम म्ममाज़्ज़ा आअ रहाअ हैई।
मैं लंड की रफ़्तार से सुषमा की चूत में पेलने लगा और वह भी चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी। मैं उसके बूब्स को भी मसलता जाता था, कभी कभी तो जोश में मैने उसके चूचियों को पूरी ताकत से दबा कर मसल दिया। पर उसके बूब्स उत्तेजना में इतने टाइट हो गये थे कि एकदम पत्थर से लगते थे पर मैने भी उनको ऐसा मसला कि साली की हालत खराब हो गयी। एक तो उसकी चूत वैसे ही फ़ट रही थी और ऊपर से मैने उसके निप्पल भी पूरे जोर से मसल दिये तो सुषमा की मस्ती के साथ दर्द के मारे इतनी जोर से चीख निकली कि मैं डर गया कि कहीं पड़ोस में किसी को पता न चल जाये, अगर कोई और वहां होता तो वह भी समझ गया होगा कि उसकी जबरदस्त ठुकाई चल रही है।
पर सुषमा की ये चुदायी ज्यादा देर न चल सकी मेरी थकान से हालत खराब होने लगी और मैने अपनी रफ़्तार थोड़ा कम कर दी। इसी बीच मेरे लंड में लंड का प्रेसर लेवल से ऊपर पहुंच गया और उसमे सरसराहट सी होने लगी। मैं समझ गया कि अब मैं झड़ने वाला हूं तो मैने सुषमा के दोनो चूतड़ पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत के अंदर पूरा घुसाकर रोका तो सुषमा भी समझ गयी कि मैं झड़ने वाला हूं। सुषमा बोली ललित प्लीज़ पुल इट आउट जल्दी से, मैने वैसा ही किया और जैसे ही मैने लंड को बाहर निकाला सुषमा ने झपट कर उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया। फ़िर मेरे लंड का सारा माल सुषमा के मुंह में चला गया और एक ही झटके में उसने पूरा माल पी लिया और मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी जैसे मैं उसके निप्पल को कर रहा था। मेरे लंड को पूरी तरह से चूसने और चाटने के बाद सुषमा अपने कपड़े पहन लिये पर जब लास्त में वह अपनी सलवार पहन रही थी तो एकदम से फ़टाफ़ट अपने कपड़े ठीक करने लगी वह बड़ा घबरायी हुई थी। मैने भी जल्दी से अपनी पैंट और कमीज़ ठीक की, मैं समझ गया था कि अब वह एम्बरास फील कर रही थी।
उसने कुछ बोला पर जैसी उसकी हालत थी उसमे उसका इतनी बेरुखी सा दिखना मुझसे समझ नहीं आया। सुषमा ने मुझे दूर की तरफ़ इशारा सा किया और वह जल्दी से अपनी सलवार का नाड़ा बांधते हुए फ़टाफ़ट अपने कपड़े ठीक करके दूर की तरफ़ चली गयी। तभी बेल बजी और सुषमा ने नोर्मल होकर दरवाजा खोल दिया तो बाहर विनोद था। अब मेरी समझ में सुषमा की घबराहट का मतलब समझ में आया। विनोद कुछ ज्यादा पिये लग रहा था पर वह बोला देर हो गयी है घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। मैं एक बार विनोद की हालत देखकर उनको घर तक छोड़ना चाहता था पर में जानता था कि विनोद के लिये ऐसे में ड्राइव करना कोई मुश्किल नहीं था।
रात भर मैं इस घटना के बारे में सोचता रहा कि क्या ये ठीक हुआ और क्या ये गलत तो नहीं और काफ़ी देर बाद मुझे नींद आयी। सुबह तक मैं पहले शाम वाली बात भूल गया और फ़िर मुझे सुषमा के बदन के बारे में सोचकर उत्तेजना होने लगी और मैं सोचने लगा कि सुषमा को अब और चोदने का मौका कैसे मिलेगा। दिन में ओफ़िस में सुषमा का फोन आया तो मैने सोचा शायद वह विनोद से बात करना चाहती है पर वह मुझसे ही बात करने लगी तो मैने सुषमा को सोरी बोला पहली शाम के लिये। वह बोली ललित मैने कल वाली बात के बारे में सोचा तो ऐसा लगता है कि इसमे हमारी कोई गलती नहीं। तुम इस बारे में परेशान मत होना मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूं, अरे मुझे तो तुम्हारा शुक्रिया करना चाहिये कि इतने दिनो बाद मुझे सचमुच प्यार और सेक्स का एक साथ अनुभव हुआ।
सुषमा कह रही थी यह एक भूख की तरह है और भूख लगने पर हर कोई जो उसे मिलता हो उसका ही मज़ा लेता है। मैं तो चाहती हूं कि ये मौका मुझे और मिले वैसे मैने फोन इसलिये भी किया है कि आज तुम घर पर ही रहना मुझे आज तुमसे ३ पेपर टाइप करवाने हैं। विनोद का तो पता नहीं वह कुछ मदद करें या न पर तुमसे उम्मीद है। मैं अब काफ़ी नोर्मल हो गया था और मैने मज़ाक में कहा एक पेपर की ट्रीट तो तुमको पता ही है तो तीन के बारे में सोच लो तुमको मुझे तीन ट्रीट देनी होंगी। सुषमा बोली ललित इसे मज़ाक समझो या सीरियसली लो पर मुझे भी तुम्हारी ट्रीट से उतना ही मज़ा आया जितना तुमको। इसलिये ट्रीट के लिये जगह का इंतज़ाम होना चाहिये और मेरे को मौका मिले तो मैं तो और ज्यादा ट्रीट लेना चाहुंगी। मैने कहा -आशा है तुम अपने शब्द याद रखोगी
शाम को मैं करीब ८:३० पर खाना खा करके फ़्री हुआ और सुषमा के आने का इंतज़ार करने लगा करीब ८:४५ पर विनोद सुषमा को लेकर आ गया और उसे छोड़कर चला गया और बोला मैं काम निबटाकर जल्दी से आता हूं अगर देर हो जाये तो मेरा इंतज़ार करना घबराना नहीं राजू शरीफ़ आदमी है। सुषमा ने आज प्रिंटेड बलोउस , लाईट कलर की साड़ी और और अंदर गहरे रंग का ब्लाउज़ पहना था। उससे अंदर के कपड़े का आइडिया मुझे नहीं लग पाया। सुषमा और मैं फ़िर पेपर तैयार करने में लग गये, पर आज मैं थोड़ा मस्ती के मूड में था तब भी हमारा काम एक घंटे में हो गया। मैं आज बीच में दो तीन बार सुषमा की कभी जांघ पर तो कभी उसकी कमर पर और कभी उसके ब्लाउज़ के बाहर से उसके बूब्स पर छू रहा था। सुषमा मुझे रोक देती और कहती अरे पहले काम पूरा करने दो फ़िर अगर मौका मिला तो मैं मना थोड़े ही कर सकती हूं।
जब काम पूरा हो गया तो मैं अब सुषमा के साथ मस्ती के मूड में था पर कोई सिग्नल सुषमा ने नहीं दिया तो मैं उसे एम्ब्रस नहीं करना चाहता था। सुषमा से मैने पूछा आज जब विनोद तुमको छोड़ कर गये तो उसने ये क्यों बोला की राजु शरीफ़ आदमी है। तब सुषमा बोली कल विनोद मुझसे बोल रहे थे कि राजू बहुत ही बेवकूफ़ है अगर उसे मौका मिलता (किसी की वाइफ़ के साथ अकेले रहने का) तो वह जरूर मौके का फ़ायदा उठाता। फ़िर सुषमा बोली, जब मैने कहा कि अगर औरत ने गड़बड़ कर दी तो वह बोल रहे थे कि अगर वह किसी औरत को एक्साइट करे तो वह मना कर ही नहीं सकती है। सुषमा फ़िर बोली इसीलिये मुझे भी उनकी बात सुनकर मरदों की मानसिकता के बारे में पता चल गया और वह कोई गलती नहीं कर रही है और मैं भी ऐसा न करूं। अब मैने कहा ये बात तो ठीक है पर आपको तो मालूम है न मैं भी बड़ा कमीना हूं और आज तो मैं अब तुमको इस समय नहीं छोड़ सकता हूं जब दोनो फ़्री हैं। सुषमा कुछ ज्यादा नहीं बोली तो मैने कहा पर आज मैं तुमको पूरी तरह से प्यार करना चाहता हूं क्योंकि आज हमारे पास टाइम काफ़ी है।
फ़िर मैं सुषमा का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर ले आया, और उसे आराम से चूमते हुए उसकी इच्छा जानने की कोशिश करने लगा सुषमा बोली हां ललित आज मैं चाहती हूं कि तुम मुझे ऐसे प्यार करो जैसे विनोद पहले पहले किया करते थे। मैं बोला चलो पहले ऐसा करते हें एक दूसरे के कपड़े उतारते हैं मुझे महाभारत की दरौपदी की तरह अपनी पार्टनर के कपड़े उतारने में बड़ा मज़ा आता है और अगर वह विरोध करे तो और मज़ा आता है। क्या मैं स्टार्ट करूं, सुषमा बोली नहीं पहले मैं तुम्हारे कपड़े उतारुंगी, अगर मेरे कपड़े पहले उतर गये तो तुम मुझे मौका ही कहां दोगे, मैं मर्दों की आदत जानती हूँ।
मैने कुरता पायजामा पहना था और सुषमा ने एक झटके मेरे कुरता और बनियान खींचकर मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया और तब तक मैने भी अपना अंडविनोदयर नीचे कर दिया। सुषमा ने मेरे लंड को देखकर थोड़ा हैरान सी हुई मैं जानता था कि उसे तो विनोद के लम्बे लंड की आदत थी न और फ़िर मेरा लंड उस समय खड़ा भी नहीं था। फ़िर मैने सुषमा के साड़ी के पल्लू को खींचना शुरु किया और सुषमा घूम घूम कर अपनी साड़ी उतारने लगी। जब साड़ी उतर गयी तो मैने सुषमा को पकड़ कर उसके ब्लाउज़ के हुक एक एक करके खोलकर उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया।
उसी समय विनोद का फोन आया तो मैं समझा कि आज तो काम का सत्यानाश हो गया पर विनोद ने पूछा कितना काम बाकी है तो मैने कहा आधे से थोड़ा कम तो विनोद बोला आराम से काम कर लो मुझे अभी एक घंटा और लगेगा मैं ११:०० बजे तक आउंगा। सुषमा ने कहा ठीक है पर जल्दी की कोशिश करना ज्यादा लेट से सभी परेशान होंगे। अब तो हम और भी रिलेक्स हो गये सुषमा ने अंदर सफ़ेद ब्रा पहन रखी थी उसकी ब्रा एकदम टाइट थी और उसके बूब्स उसके अंदर कैद हो गये थे। मैने एकदम से सुषमा को पकड़ कर उसकी टांगों को पेटीकोट सहित अपनी टांगों के बीच फ़ंसाकर उसे जकड़ लिया और फ़िर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया जैसे ही उसकी ब्रा से उसके बूब्स आज़ाद हुए ऐसा लगा जैसे कोई धमाका हुआ उसके बूब उछलकर मेरे सामने आ गये।
क्या टाइट गोल एकदम क्रिकेट बाल की तरह ही लाल, मन तो कर रहा था कि एक झटके में दोनो को मसल दूं पेर मैं उसे पूरा नंगा करना चाहता था। उसके बाद मैने सुषमा के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया पर उसका पेटीकोट नीचे नहीं आया। उसके पेटीकोट में इलास्टिक लगी हुई थी इसलिये वो नीचे नहीं गिरा तो मैने उसके पेटीकोट को नीचे को जोर से खींचा तो उसका काले रंग का पेटीकोट एकदम नीचे आ गया। जैसे ही सुषमा का पेटीकोट नीचे हुआ मेरी तो मस्ती का ठिकाना ही नहीं रहा जब मैने देखा कि सुषमा ने तो पैंटी पहनी ही नहीं थी। अब हम दोनो एकदम नंगे हो गये थे, सुषमा ने आज शायद अपनी चूत साफ़ की थी इसीलिये उसके पूरी बोडी पर सर के सिवा कहीं एक बाल भी नज़र नहीं आ रहा था।
जब तक मैं सुषमा के बदन पर नज़रें फ़ेर पाता सुषमा मेरे लंड को देखकर बोली अरे ये तो बहुत छोटा है चलो मैं अभी इसे तैयार करती हूं और उन्होने उसको धीरे से पकड़ा और उसके टोपे (टोप) पर अपनी जीभ से लिक करने लगी। मुझे बड़ी सरसराहट सी होने लगी, सुषमा बीच में मेरे लंड के टोपे को अपने लिप्स से भी दबा देती। इससे मेरे लंड का साइज़ अब बढ़ने लगा तो सुषमा ने भी उसे अपने मुंह के अंदर लेना शुरु कर दिया और मुझे ये बड़ा अजीब लग रहा था। ऐसा मैने केवल कुछ ब्लू फिल्म्स में ही देखा था और मैं ये नहीं सोच सकता था कि किसी दिन मेरे साथ भी ऐसा होगा। मैं ये भी विश्वास नहीं कर पा रहा था कि एक सीधी साधी औरत सुषमा ऐसा कर सकती है, पर उसका पति विनोद बड़ा स्मार्ट, हैंडसम और हरामी भी है उसने उसको ट्रैंड कर रखा था। मैं तो सेक्स का मतलब बस चुदायी तक ही समझता था और जब ऐसा सीन मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था तो मुझे उल्टी सी आने लगी थी। पर आज जब मेरे साथ ये हो रहा था तो बड़ा मज़ा आ रहा था यहां तक कि मुझे इस में अब सुषमा की चुदायी से ज्यादा आनंद आ रहा था बेसौसे इसमे मुझे कोई ताकत नहीं लगानी पड़ रही थी।
जैसे जैसे मेरे लंड का साइज़ बढ़हा गया सुषमा ज्यादा मस्त होने लगी और अब जब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया तो वह मेरे लंड को लेमन जूस वाली टोफ़ी की तरह से चूसने लगी। दोस्तों जब वह मेरे लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करती तो मुझे तो उसमें अब तक की गयी चुदायी से ज्यादा मज़ा आने लगा था। मैं जोश में कभी कभी सुषमा के मुंह को उसकी चूत समझ कर चुदायी वाले एक्शन में अपना लंड उसके मुंह में डाल देता था। सुषमा मेरे लंड को पूरा खाने वाली स्टाइल में मुंह में लिये हुए थी और कभी मुंह से बाहर निकाल देती और फ़िर पूरा मुंह में ले लेती। मस्ती में वह कभी कभी मेरे लंड को दांतों से भी दबता देती ऐसे में मेरी तो चीख ही निकल गयी तो घबरा कर सुषमा थोड़ा ढीली हो गयी।
फ़िर सुषमा ने मेरे लंड को जड़ से पकड़ कर कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया। थोड़ी देर में सुषमा ने मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी। कभी वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर मेरे लंड के टोपे पर लिप्स रखकर उसे चूसने लगी। ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता जैसे मेरी सांसें ही बंद हो जायेंगी। पर सुषमा मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती। मेरे लिये सेक्स का ये अलग एक्सपेरिएंस था पर था बड़ा मज़ेदार एक्सपेरिएंस । सुषमा की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी और वह मेरे लंड को कैंडी आइस क्रीम की तरह उसे कर रही थी मुझे भी थोड़ा बहुत डर के बावजूद बड़ा मज़ा आ रहा था। यारों, सेक्स में पता नहीं क्यों दर्द में ही मज़ा आता है जैसे किसी कड़वी दवा से ही आराम मिलता है। सुषमा की मस्ती तो बढ़ रही थी पर अब मेरे लंड के अंदर से फ़्लो बाहर को होने का अहसास सा हुआ तो मैने चिल्लाकर कहा सुषमा अब नहीं रुका जरा है, रुको। सुषमा तो पुसुषमा खिलाड़ी थी उसने लंड से मुंह हटा लिया और मेरे लंड के टोपे को हाथ से दबाकर बोली लल्ला चिंता न करिये मैं तो तुम्हारा ये आइस क्रीम खाने के लिये पूरी तरह तैयार हूं और इसके बाद उसने मेरे लंड को पूरा मुंह के अंदर ले लिया।
इसके तुरंत बाद मेरे लंड से हुई सारी बरसात सुषमा के मुंह के रास्ते उसके पेट में चली गयी। जब मेरा पूरा क्रीम झड़ गया तो सुषमा फ़िर से मेरे लंड को अच्छी तरह से चूसने लगी। सुषमा ने मेरे लंड को सावधानी से चाटना शुरु कर दिया और मेरे लंड के माल का एक एक कतरा भी वह चूस लेना चाहती थी। मेरा लंड दुबारा से सिकुड़ कर छोटा हो गया था पर उतना नहीं जितना सुषमा की चुदायी के बाद। सुषमा को जब ये लगा कि अब मेरे लंड का सरा माल वो चाट चुकी है तो उसने अपना मुंह मेरे लंड से हटा लिया। सुषमा को शायद बड़ा मज़ा आया था मेरी तरह से ही वह बड़ी खुश थी जैसे कोई अच्छी चीज़ बहुत दिनो के बाद मिली हो। सुषमा बोली लल्ला ये मेरा भी पहला तज़ुर्बा है ऐसे केरने पर बड़ा मज़ा दिया राजु तूने।
मैने तो एक बार टीवी में तेरे भैया के साथ देखी थी तो तेरे भैया मुझे छेड़ते हुए बोले थे कि उनका चूसेगी तो मैने मना कर दिया था। पर आज तेरा लंड देखते ही मैं मचल रही थी एक बार ऐसा करके देखूं, आज़ राजु बड़ा मज़ा आया। मैं बोला हां सुषमा मुझे बड़ा अच्छा लगा पर अब बहुत देर हो गयी है अब हमें चलना चाहिये। फ़िर सुषमा ने मेरे लंड को कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया और कभी सुषमा मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी। फ़िर वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर मेरे लंड के ऊपर लिप्स रखकर उसे चाटने लगी। ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता जैसे कोई मेरे लंड को सहला रहा हो और उसका साइज़ बढ़ने लगा। पर अगले पल सुषमा मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती और मेरा लंड एकदम लोहे की तरह कड़ा और चुदायी के लिये तैयार होता चला गया
सुषमा ने मुझसे लंड को पकड़ कर लेट जाने को कहा मैने वैसा ही किया तो सुषमा ने खड़े खड़े ही अपनी नंगी गोरी टांगें, चमकती हुई गोरी गुलाबी जांघें, मस्त चूतड़ और उनकी जांघों के बीच से झांकती हुइ उसकी मस्त गंजी चूत देखकर मैं तो पागल हो गया। मेरा लंड तो और भी खींचा जा रहा था और मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था कि उसकी चूत का रस चूसते हुए उसके जांघों को खा जाऊं। सुषमा के गुलाबी बूब मुझको बेचैन कर रहे थे, इसी बीच उसने अपने दोनो हाथ ऊपर को कर दिये तो उसके बूब्स और बगल मुझे और उत्तेजित करने लगे। मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और उसके बूब्स देखकर तो मैं एकदम बेचैन सा हो गया और मैने सुषमा के बूब्स को मुंह में लेकर उनको चूमना और चाटना शुरु कर दिया। सुषमा कभी अपने बूब्स को ज़ोर से दबाने को कहती और जब मैं ज़ोर से दबाता तो कहती अरे धीरे से क्या मार डालोगे मुझे।
सुषमा के चूचियों पर मालिश करने में बड़ा मज़ा आ रहा था पर मैं आज उसे इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं था आज मैं उसके बदन का एक एक पुर्ज़ा मसल देना चाहता था जिससे साली सुषमा मेरी चुदाई को याद रखे। मैं साइए में उसकी बगल और कंधे पर भी मालिश कर रहा था। फ़िर मेरा ध्यान सुषमा की पतली कमर पर गया वह इतनी पतली थी कि जितनी शायद १५ साल की कन्या की भी नहीं होगी। मैने सुषमा के नाभि के नीचे के हिस्से में मसाज करने लगा। इस एरिआ में मासाज करने पर सुषमा की उत्तेजना बढ़ गयी थी और वह जोर से अपने पैर पटकने लगी तो मुझे अपने लंड को कंट्रोल करना पड़ रहा था जो मेरे लिये थोड़ा मुश्किल हो रहा था। मैने उसकी चूत के आस पास अब्दोमेन का एरिया तक जब उसकी नंगी थाईस पर जोर से मसाज किया तो उसने अपनी दोनो थाईज़ को बंद करके चिपका दिया। मैने भी जल्दी से उसकी चूत पर हाथ डालकर वहां पर उंगली करने लगा तो सुषमा का तो बुरा हाल हो गया था वह मस्ती में छटपटाने लगी और उसने अपनी दोनो थाईज को खोल दिया तो मेरे तो मज़े ही आ गये अब मैं उसकी चूत, थाईज़ या अबदोमेन जहां चाहे वहां मसलने लगा।
मेरी उंगलियों के हमले से सुषमा की हालत अब खराब हो गयी थी वह अब मेरे एक्शन का विरोध नहीं कर पा रही थी। मैं जैसे मर्जी आये उसके हर पार्ट को मसलता, रगड़ता और मसाज कर रहा था। जब मेरी मस्ती और बढ़ी तो मैने सुषमा की चूत पर उंगली डालकर अंदर तक उंगली से उसकी चूत के छेद के अंदर तक मसाज करने लगा। मेरे इस एक्शन से तो सुषमा पूरी तरह से चित हो गयी और बोली राजू प्लीज़ अब बस करो और एकदम से पलट गयी। अब सुषमा के नंगे चूतड़ मेरे सामने थे जिसके बीच में उसका गांड तो नज़र नहीं आ रहा था पर पीचे से भी सुषमा की चूत मुझको फ़िर नज़र आने लगी तो मैं फ़िर अपनी उंगली से उसकी चूत पर हमला कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी जांघों को पीछे से मसलने लगा।
जब सुषमा की चूत मेरी उंगलियों के हमले को नहीं बरदाश्त कर पायी तो सुषमा बोली ललित प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे ऐसे ही गीली कर दोगे क्या। मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ और उसके नीचे मोटी मोटी जांघों को सारा का सारा एक बार में ही मसल देना चाहता था पर मेरे दोनो हाथों में इनता एरिया एक बार में कवर नहीं हो रहा था। सुषमा एकदम नंगी थी तो मेरे को अपने लंड पर कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैने अपना ध्यान सुषमा के चूचियों पर दिया पर वह उल्टी लेटी हुई थी और उसके बूब्स साइड से ही नज़र आ रहे थे। फ़िर भी मैने साइड से ही उसके दोनो बूब्स को जोर से दबाया और सहलाना शुरु कर दिया। सुषमा को तो मेरा हर एक्शन एंजोयमेंट दे रहा था और अब वह मेरे हर एक्शन पर बस आहें भर रही थी। मैं सुषमा के चूतड़ पर मसाज करने लगा तो उसके चूतड़ बहुत बड़े बड़े थे और उनको दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
पर मैं और मज़ा लेने के लिये उसके चूतडों पर जोर से स्लाप भी कर देता जिससे चटाक! की आवाज आती और सुषमा को बड़ा मज़ा आता था और वह अपने चूतड़ ऊपर उठा कर जैसे और स्लाप करने को कहती। सुषमा की जांघें मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, मैं वहां पर प्रेस, मसाज, किस, रब कर सकता था। और मैं ये सोच रहा था कि जब मैं उसकी चुदाई करुंगा तो उसकी थाईज़ जब मेरी थाई के साथ रब होंगी तो कितना मज़ा आयेगा। अगर सुषमा की जैसी स्मूथ बॉडी हो तो ऐसा लगता है कि जैसे लिनेन पर स्लिप हो रहा हो। जब मैं उसके चूतडों पर मसाज कर रहा था तो मुझे बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था। सुषमा को डबल मज़ा आ रहा था एक तो उसकी मसाज हो रही थी दूसरा एक मर्द के हाथों उसके बॉडी के पार्ट्स का स्पर्श दे रहा था और जिसे वह फुल्ली एन्जॉय कर रही थी।
मैने सुषमा के दोनो चूतड़ को चोडा करके उसकी गांड को देखने लगा और मुझे सुषमा की चूत पीछे से दिखायी देने लगी और मेरा लंड फ़िर जोर मारने लगा। इधर मेरा लंड अब पूरी तरह बेकाबू हो गया था और उसको कंट्रोल करना मेरे लिये पोस्सिब्ल नहीं था। वह अब सुषमा की चूत में जाये बगैर मानने वाला नहीं था।। सुषमा की चूत का बुरा हाल हो गया था। मैने अपने अंगूठे से को सुषमा की चूत के आस पास रब करना शुरु कर दिया और मौका पाते ही उसकी चूत के अंदर पूरा अंगूठा डाल दिया। मेरा अंगूठा पूरा उसकी चूत में गया तो सुषमा की खुजली जरा कम हुई और वह अब थोड़ा मज़ा लेने लगी। मेरा अंगूठा लंड की तरह सुषमा की चूत में अंदर बाहर फ़िसलने लगा, सुषमा को मज़ा तो आ रहा था पर उसकी चूत की खुजली पूरी तरह से दूर नहीं हो रही थी। वह मस्ती मेरे से चिपट गयी जैसे कहना चाहती हो कि कब चोदोगे पर वह बोली कुछ नहीं।
पहले सुषमा के नंगे बदन की गरमी से मेरा लंड तो तना हुआ था मैने जल्दी से सुषमा को दाब लिया। सुषमा की चूत में तो पहले से ही खुजली थी पर वह झूठा गुस्सा दिखा रही थी और मना कर रही थी। मैने उसको कमर से पकड़ा और उसके चूचियों को अपने लिप्स से किस करने लगा जैसे ही सुषमा ने मुंह खोला तो मैने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिया और नीचे से दूसरे हाथ को उसकी थाईज़ पर मसाज करने लगा। उसकी थाईज़ बड़ी टाइट थी, बच्चों वाली औरतों की तरह ढीली नहीं थी। मैं थाई पर हाथ फ़ेरते हुए उसकी चूत की तरफ़ बढ़ना चाह रहा था। सुषमा के बूब्स भी एकदम टाइट हो गये थे जिसका मतलब था कि उसको पूरी उत्तेजना हो रही थी। मैने कैइ बर सुषमा के बूब्स के निप्पल को लिप्स में लेकर जोर से प्रेस किया जिससे दोनो को बड़ा मज़ा आया।
जब मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा तो मैने एक दो बार सुषमा के निप्पल को अपने दांत से हल्का सा काट भी दिया जिससे सुषमा चीख पड़ी और मुझे बड़ा मज़ा आया। नीचे से मेरा हाथ सुषमा की थाईज़ से होता हुआ उसके चूतडों और रानो पर मसाज करने लगा। ऊपर से मैने सुषमा की बैक, नेक, वेस्ट और नाभि के आस पास लिप्स और जीभ से किस और लिक करना चालु रखा था। जब मेरा एक हाथ सुषमा की रानो पर फ़िसल रहा था तो सुषमा की मस्ती कंट्रोल से बाहर हो गयी तब मैने सुषमा को बेड पर लिटा दिया और अपने आप भी साइड बी साइड लेट गया। मैं आराम से अपने दोनो हाथों और लिप्स से सुषमा के पूरे बदन से खेलने लगा। अब दोनो एकदम गरम हो गये थे सुषमा की भी सारी शरम दूर हो गयी थी और उसका बदन की एक एक हरकत मुझे महसूस हो रही थी उसकी गरम सांसें मुझे बेचैन कर रही थी। मैने सुषमा की चूत के ठीक पास अपनी उंगली से रब करना शुरु कर दिया जिससे मस्ती के मारे सुषमा ने अपनी दोनो टांगें फ़ैला दी और मुझे उसकी चूत पर अटैक का एक मौका मिल गया।
मैने अपने आप को सुषमा की दोनो टांगों के बीच फ़िक्स कर लिया और उसकी दोनो टांगों को और फ़ैलाकर उसकी चूत को और चौड़ा कर दिया मुझे उसकी चूत का छेद साफ़ इतना बड़ा दिख रहा था कि उसमे में अपने थम्ब को सीधा डाल सकता था। पर मैने बिना टाइम गंवाये किये अपने लंड को सीधा उसकी चूत के छेद में झोंक दिया और मेरा लंड सुषमा की चूत में आधा धंस गया। ये शायद ऐसा मौका था जब चुदाई में मुझे इतनी आसानी लंड डालने का मौका मिला हो। मैने एक और जोर का धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड सुषमा की चूत में ठुक गया।
आज उसकी चूत पहले ही गीली हो रखी थी इसलिये अब मैं अपने लंड को ऊपर नीचे रगड़ने लगा तो सुषमा की चूत में सरसराहट होने लगी। सुषमा ने भी नीचे से हमला कर दिया और अपनी गांड का एरिया ऊपर को उठा कर खुद भी चुदायी करवाने के लिये मुझे इनवाईट करने लगी। आज मुझे और सुषमा को चुदायी में दर्द नही हो रहा था और दोनो ही मस्त थे वह आज बड़ी मस्ती में लग रही थी। मैने सुषमा की चूत में ऊपर नीचे रगड़म परेड शुरु कर दी और सुषमा भी अपनी चुदायी करवाने लगी। धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ गयी तो गन्ने के खेत में जैसे तूफ़ान सा आ गया। मैने चुदायी के साथ साथ सुषमा के पूरे बदन को चूमना, चाटना, मसलना और रगड़ना भी चालू रखा था। मेरा ऐसा करने पर सुषमा भी जवाब दे रही थी बस जवाब के लिये उसके पास लंड नहीं था नहीं तो वह भी पूरे जोर से हमारी चुदायी की गाड़ी को धकेल रही थी।
मैं पहले की तरह बेड पर लेट गया और सुषमा मेरे ऊपर आ गयी। मुझे तो इससे बड़ा फ़ायदा हुआ, मैं पूरी ताकत से चोदने के चक्कर में अपनी काफ़ी एनर्जी वास्ट कर चुका था और इस पोसिशन में मुझे सुषमा की दुबारा चुदायी के लिये रिचार्ज होने का मौका मिल गया। सुषमा ने अब ऊपर से धक्का लगाना शुरु कर दिया और मैं आराम से उसके चूचियों और निप्पलों को मसलने लगा।। पर उसके बूब्स ही मेरे हाथों के में टार्गेट थे, जब मुझे ज्यादा मज़ा आता तो मैं उसके चूतड़ पर जोर जोर से स्लाप कर देता जिससे सुषमा और मुझे दोनो को मज़ा आता। मैं जैसे ही सुषमा की गांड के आस पास स्लाप करता सुषमा और जोर से अपनी चूत को मेरे लंड की तरफ़ उठा देती और दोनो का मज़ा दोगुना हो जाता।
अचानक सुषमा बोली राजु अब जल्दी करो मैं गीली हो गयी हूं तो मैने सुषमा को फ़िर पहले वाली पोसिशन में करके अपने आप को उसके ऊपर ले आया। अब मैने ऊपर से अपनी स्पीड बड़ाकर सुषमा की चूत को अपने लंड से पूरी ताकत के साथ ठोंकना शुरु कर दिया। सुषमा अब जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी पर अब वह पहले की तरह खुश नज़र नहीं आ रही थी पर उसकी आहें मुझे और उत्तेजित कर रही थी और मैने और जोर से उसकी चुदाई करने लगा। मुझे सुषमा की चीख में एक अलग ही मज़े का आने लगा और में और जोर से उसकी चूत को अपने लंड से ठोंक रहा था। करीब २-३ मिनट बाद ही मेरी भी हालत कुछ ढीली होने लगी और में थकने लगा तो मैने स्पीड थोड़ा कम कर दी तो सुषमा भी थोड़ा रिलेक्स लगने लगी। अचानक मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरे लंड के जड़ से अंदर नसों में पानी निकलने को बेताब है मैं समझ गया कि अब मेरा भी झड़ने वाला है सुषमा तो शायद पहले ही झड़ चुकी थी।
मैने सुषमा की चूत में अपना पूरा लंड अंदर तक ठोंक कर अपने को रोक दिया। और मेरे लंड के अंदर से सारा क्रीम धीरे धीरे होता हुआ सुषमा की चूत में जाता सा लगने लगा। उधर सुषमा भी शायद अपनी चूत में मेरे लंड का क्रीम फ़ील कर रही थी वह हलकी सी आहें भरते हुए रिलेक्स और खुश नज़र आ रही थी। कुछ पलों के बाद मेरे लंड का सारा क्रीम सुषमा की चूत की गेहराई में कहीं गुम हो गया। मैं एकदम सुस्त हो गया था ऐसा लग रहा था जैसे किसी लम्बी रेस दौड़ी हो और मेरा लंड भी एकदम सिकुड़ गया था में इतना सुस्त हो गया कि वैसे हो सुषमा के ऊपर लेट गया और सुषमा ने भी कोई जावब नहीं दिया और हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे मतलब सुषमा नीचे बेड पर लेटी हुई थी और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर ही था।
५ मिनट बाद ही अलग हुए और बाथरूम जाकर पहले साफ़ किया और अपने अपने कपड़े पहन लिये। इसके बाद सुषमा ने अपनी साड़ी और पेटीकोट ठीक किया और फ़िर हम दोनो बेडरूम से दुबारा कम्प्यूटर टेबल पर आ गये। इस समय करीब १०:५० का टाइम हुआ था में बोला चलो चाय पीते हैं तभी विनोद का भी फोन आया कि वह ५ मिनट में पहुंच रहा है। फ़िर ५ मिनट में चाय भी तैयार हो गयी और फ़िर तीनो ने चाय पी, आज विनोद ने ड्रिंक भी नहीं किया था शायद उसे मौका नहीं मिला पर मैं सुषमा को देखकर उसके बारे में सोचने लगा और शायद विनोद के इरादे ही आज कुछ वैसे ही थे। मैं सुषमा को देख रहा था पर सुषमा शायद हम दोनो का मतलब समझ गयी थी पर दोनो को ही कुछ बताना नहीं चाहती थी
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दोस्त की सेक्सी वाइफ़
एक दिन मेरा दोस्त विनोद अपनी वाइफ़ के साथ मेरे घर आया, विनोद और मैं साथ साथ काम करते हैं, विनोद की वाइफ़ सुषमा टीचर है। उस दिन विनोद ने बताया की उसका प्रिंटर और यु पी एस खराब हो गया है और सुषमा को स्कूल के कुछ पेपर सेट करके स्कूल में जमा करने हैं। इसलिये वो मेरी मदद चाहता था, मेरे पास प्रिंटर और पी सी दोनो हैं। वह जब शाम को करीब ८:०० बजे आया तो मैं थोड़ा घबरा गया था कि अचानक दोनो कैसे आ गये। विनोद को थोड़ा ड्रिंक लेने की आदत है और उस दिन शायद शनिवार था तो उस समय वह थोड़ा ड्रिंक किये हुये था। उससे मैने कहा कोई बात नहीं मैं टाइप कर देता हूं और तुम बोलो, तो सुषमा ने कहा कोई बात नहीं मैं बोल देती हूं, ये मैने ही बनाया है तो गल्तियां नही होंगी,क्योंकि उसको अच्छी टाइपिंग नही आती तो वह टाइप नहीं कर पायेगी। सुषमा मेरे बगल में कुरसी लगाकर बैठ गयी
वह इतना नज़दीक थी कि मैं उसकी सांसें महसूस कर सकता था। कई बार उसके बोडी से मेरी बोडी छू रही थी और उसके लिप्स बिल्कुल मेरे करीब थे उसके गोरा रंग और स्लिम फिगर मुझे डिस्टर्ब कर रहा था। विनोद भी पीछे बैठा था और मैं अपने पर किसी तरह कंट्रोल किये हुये था। पर सुषमा एकदम नोर्मल थी, उसे शायद ही मेरे बुरे इरादों का अहसास हो रहा हो। मैं थोड़ा नर्वस सा भी हो रहा था। मन तो कर रहा था कि उसकी एक पप्पी ले लूं और उसकी थाईस पर हाथ फ़ेरूं। उसके मीडियम साइज़ के टाइट बूब्स पर अपने लिप्स से चूमूं। पर ये सब उस समय सम्भव नहीं था, इस चक्कर में, मैं एक दो बार टाइपिंग करना ही भूल गया। कभी कभी मैं उसके पूरे बदन को ही देखते रह जाता।
थोड़ी देर में विनोद को फ़िर ड्रिंक की जरूरत महसूस हुयी, तो वह बोला सुषमा मैं १० मिनट में आया। हम दोनो समझ गये थे कि वह कहां जा रहा है। दोनो ही उसकी आदत जानते थे। विनोद के जाने के बाद सुषमा और मैं अपना काम करते रहे और मै बीच बीच में सुषमा के पूरे बदन पर नज़र मार लेता तो सुषमा भी मुझे देखकर मुस्करा देती। फ़िर जब पेपर पूरा हो गया तो मैने एक प्रिंट आउट चेकिंग के लिये सुषमा को दे दिया। सुषमा ने कुछ कोर्रेक्शन के बाद मुझे प्रिंट आउट दिया तो मैं कोररेक्शन करके दुबारा फ़ेयर प्रिंट आउट निकालकर सुषमा को दे दिया। इस तरह हमारा टाइपिंग का काम पूरा हो गया तो मैने सुषमा को बोला कि काम तो पूरा हो गया पर विनोद नहीं आया।
मैं ऐसा करता हूं थोड़ी चाय बनाता हूं तब तक शायद विनोद आ जाये फ़िर तीनो चाय पीयेंगे। सुषमा बोली नहीं चाय में बनाउंगी, मुझे कल भी तुमको तकलीफ़ देनी है। यह तो एक ही पेपर हुआ है अभी तीन पेपर और हैं, प्रिंटर और यु पी एस शायद दो-तीन दिन में ठीक होंगे और मुझे पेपर परसों तक जमा करना है। मैं कुछ कहता इससे पहले ही सुषमा किचन में चली गयी मैं मना नही कर पाया। उसे किचन में कोई परेशानी नहीं हुई और उसने चाय बनाने को भी रख दी। ५ मिनट के बाद सुषमा दो कप में चाय लेकर आ गयी तो मैने कहा कि विनोद को भी आने दो तो वह बोली ललित तुम क्या बात कर रहे हो इस टाइम वह चाय पीने की हालत में होंगे कहां। उनके लिये चाय मैने नहीं बनायी है उनको जो चाहिये वो उसके लिये ही गये हैं। मैं तो विनोद के ड्रिंक के बारे में जानता था पर किसी की बुराई और वह भी उसकी बीवी से करना बड़ी बेवकूफ़ी होती है आखिर पति परमेश्वर जो होता है।
फ़िर अचानक वह मुझसे बोली ललित तुम भी अब शादी कर ही लो, ऐसे कब तक चलेगा तो मैने कहा हां विनोद को देखकर मेरा भी मन करता है और उसके मज़े देखकर कभी जलन भी होती है।
सुषमा बोली क्यों जलन किस बात की, अरे वह तो तुम्हारी बचोलर लाइफ को अच्छा बताते हैं और कहते है कि वह गलत फ़ंस गये। मैने कहा मैं सच कहूं तो एक बात की जलन बड़ी होती है कि उसकी (विनोद) की बीवी बड़ी खूबसूरत है। मेरा ऐसा कहने पर सुषमा पहले तो शरमा सा गयी फ़िर बोली अच्छा जी तो तुम मुंह में जबान भी रखते हो। मैं तो तुमको बड़ा सीधा साधा समझती थी, पर तुम भी कम नहीं हो बातें बनाने में। दूसरे की हरी हरी दिखती है, मेरी भी कुछ परेशानियां हैं, मैने कहा क्यों आपका एक अच्छा परिवार है बच्चा है। ऐसी कोई प्रोब्लम तो नहीं लगती आप दोनो ठीक ठाक कमाते हो।
सुषमा बोली हां वह सब तो है पर। बहुत कुछ मिस करती हूं, फ़िर भी ठीक ही है। विनोद अभी तक भी नहीं आया तो मैने कहा पता नहीं क्या बात है, तो सुषमा बोली यही तो बात है अगर ड्रिंक कर लिया तो इन्हे किसी बात का कोई ध्यान नहीं रहता। अब घर जाकर न ढंग से खायेंगे न कुछ करेंगे और सो जायेंगे, कभी कभी तो रोज़ ही ऐसा होता है। मुझे ऐसे पियक्कड़ से नफ़रत होती है और फ़िर हम दोनो कई दिनो तक एक कमरे में भी अलग अलग रहते हैं। बच्चा तो बस इस बात का सबूत है कि हम पति पत्नि हैं पर शायद एक पति पत्नि की तरह प्यार किये हमें सालों गुजर गये। सुषमा एकदम इमोशनल हो गयी थी, मैने उसके हाथ पर हाथ रखकर कहा सब ठीक हो जायेगा तुम उसे प्यार से समझाओ वह समझेगा। वह तुमसे डरता तो है पर शायद अपनी आदत भी नहीं छोड़ पाता और इसका कारण भी शायद उसकी कम आमदनी है, तुम उस से ज्यादा मांगें ना किया करो
सुषमा ने अपना कंधा मेरी गोद में रख दिया और बोली राजु तुम्हारी भी तो प्रोब्लम्स होंगी तो क्या ड्रिंक में ही सब प्रोब्लम का हल है? वह मेरी गोद में आ गयी थी मैं उसकी बाहों पर हाथ फ़ेरने लगा वैसे मैं ये कन्सोल करने के लिये कर रहा था पर मेरा सेक्सी मन पूरा मज़ा ले रहा था। सुषमा को भी मेरा टच पसंद आया था और वह कुछ नहीं बोली तो मैने उसे और ऊपर खींच कर अपनी बाहों में ले लिया। सुषमा ने कुछ नहीं कहा और अपना सर मेरे कंधों पर रख दिया। मैं उसे कमर से पकड़ कर सोफ़े की तरफ़ ले गया तो वह मेरे साथ चल दी। सुषमा दिखने में एकदम पटाखा है, गोरा रंग और चमकदार चिकनी त्वचा, पतली कमर, कद ५’३ ”/४ ” उसका फ़िगर ३४-२६-३६ होगा। सुषमा शायद चाहती थी कि मैं उससे खूब बातें करूं और उसकी तारीफ़ करूं पर में ऐसा नहीं कर पाया। मैं अब तक सुषमा के बदन को देखकर मस्त हो चुका था और मैने सोचा बेटा इससे बढ़िया मौका किसी औरत के बदन से खेलने का मिलना मुश्किल है इसलिये मैं भी मौके का फ़ायदा उठाना चाहता था।
सुषमा को क्या फ़र्क पड़ता अगर मैं वहां नहीं होता तो विनोद तो उसके साथ रोज़ ही ऐसा करता। मैं उमर में बड़ा और उसको अपनी बाहों में लेकर बोला सब ठीक हो जायेगा तुम चिंता मत करो बस मस्त रहो, अभी तो मैं तुमको निराश नहीं करुंगा, विनोद से ज्यादा मज़ा दूंगा और इतना कह कर मैने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखकर उसके लिप्स को बंद कर दिया। सुषमा सकपका गयी और कुछ बोल नहीं पायी, मैने उसके लिप्स जो बंद कर दिये थे। जैसे ही मैं अपने लिप्स हटाये वह बोली ललित आप बहुत गंदे हो, आप ने ऐसी गंदी बात कैसे सोची। मैने कहा जो विनोद नहीं करता वह मैं करता हूं तो तुम क्यों परेशान हो, मैं कौन हूं भूल जाओ थोड़ी देर के लिये। मैं भी तुम्हारा नज़दीक का हूं और सोचो मैं वह सब तुमको दे रहा हूं जो तुम विनोद से इस समय चाहती हो, फ़िर मैं ड्रिंक भी नही करता।
मेरी इस बात का सुषमा पर असर हुआ और वह बोली पर मुझे डर लग रहा है, मैं उनके साथ कोई गलत तो नहीं कर रही। मैने कहा सोच लो यह तुम्हारे ऊपर है और मैं उसे चूमता और उसके जांघों और बैक पर मसाज भी करता रहा। सुषमा बोली प्लीज़ जैसा तुम चाहो पर प्लीज़ मेरे कपड़े मत उतारना आप बाहर से जो चाहे कर लो मुझे बड़ी शरम आ रही है। मेरा तीर सही निशाने पर लग गया था और मैने सुषमा को अपनी बाहों में ले लिया। फ़िर मैने बिना समय गवाये किये हुए सुषमा के बूब्स पर उसकी कमीज़ के बाहर से ही हल्का हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया।
दोस्तो ये सब कैसे हो रहा था मुझे नहीं मालुम, मैं इतना हिम्मत वाला नहीं हूं। सुषमा मेरे टच से मस्त हो रही थी, इसी बीच मैने मौका देखकर सुषमा की सलवार का नाड़ा चुपके से खोल दिया और उसे पता नहीं चला। मैं उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फ़ेरना चाहता था पर जैसे मेरा हाथ उसकी पैंटी पर टच हुआ वह एकदम से नाराज़ होते हुए बोली ललित नो चीटिंग और उसने अपनी सलवार एक हाथ से पकड़ ली पर ऊपर से वह मस्त हो चुकी थी पर अभी भी मुझसे चुदवाने में वह संकोच कर रही थी पर मेरे टच से उसे मज़ा आ रहा था। पर उसकी सलवार अभी तक खुली हुई थी जिसको उसने एक हाथ से पकड़ रखा था। जैसे ही मैने उसे अपनी बाहों में लिया तो उसके हाथों से उसकी सलवार नीचे सरक गयी और मैने ऊपर से उसकी कमीज़ की ज़िप पीछे से खोल दी और उसने अंदर से काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैं तो उसके गोरे बदन पर काली ब्रा देखकर मस्त हो गया।
वैसे तो मैं तो आराम से मस्ती के साथ मज़ा लेने वाला हूं पर सोफ़े में कम्फर्टेबल न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाया। मैने जल्दी से सुषमा की कमीज़ उतार दी और अब वह सोफ़े के बीच काली ब्रा और लाल पैंटी में आधी नंगी खड़ी थी। फ़िर मैने उसे कमर से पकड़ कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके बूब्स पर किस करना शुरु कर दिया वह चिल्लाने वाली थी पर मैने उसे डराते हुए कहा की किसी ने सुन लिया तो तुम्हारी बहुत बे-इज़्ज़ती होगी इसलिये जैसे मैं करता हूं मुझे करने दो। मैं तो उसकी सारे शरीर पर मस्ती से मसलना, दबाना, रब करना और किस करना जारी रखा। फ़िर मैने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसके बूब्स को रब करने लगा अब सुषमा मस्ती में आने लगी और उसको मेरा ऐसा करना अच्छा लगने लगा वो मुझे बीच में प्यार से मना करती और कभी कभी चूमने लगती पर उसे इस बात का डर लगता था कि कहीं विनोद आ न जाये।
थोड़ी देर के बाद मैने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया तो वह परेशान हो गयी और उसने जल्दी में अपनी पैंटी अपने आप उतार दी। वाह उसकी चूत बड़ी मस्त थी एकदम गुलाबी और उसके चारों ओर छोटे छोटे से भूरे बाल, मुझे लगता है उसने अपनी चूत एक दो दिन पहले ही साफ़ की थी। उसकी चूत के बाल एकदम नरम नरम थे शायद उनको कल परसों ही काटा गया था वह ज्यादा लम्बे भी नहीं थे ज्यादा से ज्यादा १ -२ मिलीमीटर तक होंगे। उसकी चूत देखकर तो वह १८-२० साल की सी लगती थी उसे बूब्स भी एकदम टाइट और छोटे छोटे थे। पर जहां तक चूत की बात थी शायद विनोद तो कभी कभी ही उसकी चूत तक हाथ फ़ेर पाता था, उसकी चूत देखकर लगता नहीं था कि वह अभी तक एक बच्चा निकाल चुकी थी और कई बार एक ६ फुटे मर्द के लंड की मार झेलती थी। वह एकदम नर्म गुलाबी मस्त गुदगुदी मक्खन जैसी थी। उसकी ऐसी अनछुई चूत देखकर मैं अपने आप को रोके नहीं सका और मैं समझ गया कि ऐसी चूत दुबारा चोदने को शायद कब मिल पाये।
फ़िर मैने उसे सोफ़े पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया मैने अपने कपड़े नहीं उतारे केवल पैंट की ज़िप खोलकर पैंट नीचे कर दी और अपना लंड बाहर निकाल कर सुषमा के ऊपर चढ़ गया मेरे लंड के टच से तो सुषमा पागल हो गयी और उसकी बोडी के टच से मेरा लंड भी टाइट होता चला गया मैं अपने लंड से उसकी पूरी बोडी पर रब करने लगा और वह शरमाते हुए चीखने लगी पर वह मस्ती में ये सब कर रही थी। अचानक मुझे एक मस्ती सूझी और मैने उसके दोनो बूब्स को दोनो हाथों में लेकर उसके बीच अपना लंड रख दिया मेरा लंड देखकर शरमाते हुए सुषमा ने अपनी आंखें बंद कर ली और फ़िर मैं उसके दोनो बूब्स के बीच लंड को फ़िट कर के चुदाई वाली स्टाइल में उसके बूब्स से लंड को रगड़ने लगा। इससे मेरा लंड और सुषमा के बूब्स टाइट होते चले गये और दोनो इसे एन्जॉय करने लगे। सुषमा तो मेरे इस एक्शन से मचल उठी थी वह २७-२८ साल की औरत थी उसके मुकाबले मेरा चुदाई का कोई ज्यादा अनुभव नहीं था। थोड़ी देर में मेरा लंड इतना टाइट हो गया कि उसे हिलाना भी मुश्किल लग रहा था। अब मुझे लगा कि यह सुषमा की चूत में जाने के लिये बिल्कुल फ़िट है।
सुषमा ने अपनी आंखें अभी भी बंद किये हुई थी। वह मेरा लंड देखकर घबराने का बहाना कर रही थी जबकि उसका पति पूरे ६' का था और उसका लंड तो कम से कम ७-८" का होगा। फ़िर मैने बिना दर किये सुषमा की दोनो टांगों को फ़ैलाया और एक धक्के के साथ सुषमा की चूत को दोनो ओर से फ़ैलाकर अपना खड़ा लंड उसकी चूत में ठोंक दिया और एक झटके में ही पूरा अंदर तक घुसेड़ दिया। सुषमा की चूत बड़ी टाइट थी किसी १८ साल की लड़की जितनी टाइट और अनछूई थी और मुझे उसकी चुदाई की शुरुआत में ही इतनी मेहनत करनी पड़ रही थी। सुषमा तो मेरे एक्शन से मस्त होती जा रही थी और उसकी भूख बढ़ती जा रही थी और वह मुझे और अंदर डालने के लिये कह रही थी। मैने भी फ़िर और एक धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और सुषमा अपनी गांड उठाकर और अपनी तरफ़ से धक्का लगा कर चुदवाने को बेताब थी इससे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था पर सुषमा के धक्के से मैं पूरा ही हिल रहा था और मेरा लंड उसकी चूत में फ़ंस गया था।
क्योंकि मेरी चुदायी का अनुभव भी ज्यादा नहीं था पर मैने अपनी मर्दानगी दिखाने के लिये सुषमा को पकड़ लिया और एक जोर का धक्का आगे पीछे लगाया तो सुषमा तो मस्ती में उछल पड़ी और दर्द के बावजूद मुझसे बोली ललित, दिस इस वाट आइ वांट अह्ह्ह ! बस ऐसे ही आगे पीछे करो, दर्द की परवाह मत करो चाहे मैं कितना चिल्लाऊं। चाहे फाड़ ही डालो पर यार बड़ा मज़ा आ रहा है ऐसा पहली बार है जब दर्द में भी मज़ा आ रहा है। मेरी हालत भी खराब हो गयी थी और मैने उसका मुंह बंद कर दिया था जिससे वह चीख न पड़े। पर लंड के अंदर जाते ही सुषमा की मस्ती बढ़ गयी अब मुझे दर्द हो रहा था पर वह दर्द के साथ मस्ती में मोअन कर रही थी और मुझे धक्का लगाने को कह रही थी। एक तरफ़ वह चिल्ला रही थी और दूसरी तरफ़ मुझसे धक्का लगाने को कह रही थी। ललित जोर से धक्का लगाओ न आअह्हह तेज़, और जूर्रर सीए प्पहफाड़ दो इसे आज मज़ा आ रहा है दर्द की परवाह नहीं पर धक्का लगाओ जल्दी। ललित प्लीज़ तेजी से धक्के लगाओ न म्मम्म। आआह्हह्ह औअर जूओर र्र सीए आउरुर तेज़ म्मम्मम म्ममाज़्ज़ा आअ रहाअ हैई।
मैं लंड की रफ़्तार से सुषमा की चूत में पेलने लगा और वह भी चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी। मैं उसके बूब्स को भी मसलता जाता था, कभी कभी तो जोश में मैने उसके चूचियों को पूरी ताकत से दबा कर मसल दिया। पर उसके बूब्स उत्तेजना में इतने टाइट हो गये थे कि एकदम पत्थर से लगते थे पर मैने भी उनको ऐसा मसला कि साली की हालत खराब हो गयी। एक तो उसकी चूत वैसे ही फ़ट रही थी और ऊपर से मैने उसके निप्पल भी पूरे जोर से मसल दिये तो सुषमा की मस्ती के साथ दर्द के मारे इतनी जोर से चीख निकली कि मैं डर गया कि कहीं पड़ोस में किसी को पता न चल जाये, अगर कोई और वहां होता तो वह भी समझ गया होगा कि उसकी जबरदस्त ठुकाई चल रही है।
पर सुषमा की ये चुदायी ज्यादा देर न चल सकी मेरी थकान से हालत खराब होने लगी और मैने अपनी रफ़्तार थोड़ा कम कर दी। इसी बीच मेरे लंड में लंड का प्रेसर लेवल से ऊपर पहुंच गया और उसमे सरसराहट सी होने लगी। मैं समझ गया कि अब मैं झड़ने वाला हूं तो मैने सुषमा के दोनो चूतड़ पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत के अंदर पूरा घुसाकर रोका तो सुषमा भी समझ गयी कि मैं झड़ने वाला हूं। सुषमा बोली ललित प्लीज़ पुल इट आउट जल्दी से, मैने वैसा ही किया और जैसे ही मैने लंड को बाहर निकाला सुषमा ने झपट कर उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया। फ़िर मेरे लंड का सारा माल सुषमा के मुंह में चला गया और एक ही झटके में उसने पूरा माल पी लिया और मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी जैसे मैं उसके निप्पल को कर रहा था। मेरे लंड को पूरी तरह से चूसने और चाटने के बाद सुषमा अपने कपड़े पहन लिये पर जब लास्त में वह अपनी सलवार पहन रही थी तो एकदम से फ़टाफ़ट अपने कपड़े ठीक करने लगी वह बड़ा घबरायी हुई थी। मैने भी जल्दी से अपनी पैंट और कमीज़ ठीक की, मैं समझ गया था कि अब वह एम्बरास फील कर रही थी।
उसने कुछ बोला पर जैसी उसकी हालत थी उसमे उसका इतनी बेरुखी सा दिखना मुझसे समझ नहीं आया। सुषमा ने मुझे दूर की तरफ़ इशारा सा किया और वह जल्दी से अपनी सलवार का नाड़ा बांधते हुए फ़टाफ़ट अपने कपड़े ठीक करके दूर की तरफ़ चली गयी। तभी बेल बजी और सुषमा ने नोर्मल होकर दरवाजा खोल दिया तो बाहर विनोद था। अब मेरी समझ में सुषमा की घबराहट का मतलब समझ में आया। विनोद कुछ ज्यादा पिये लग रहा था पर वह बोला देर हो गयी है घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। मैं एक बार विनोद की हालत देखकर उनको घर तक छोड़ना चाहता था पर में जानता था कि विनोद के लिये ऐसे में ड्राइव करना कोई मुश्किल नहीं था।
रात भर मैं इस घटना के बारे में सोचता रहा कि क्या ये ठीक हुआ और क्या ये गलत तो नहीं और काफ़ी देर बाद मुझे नींद आयी। सुबह तक मैं पहले शाम वाली बात भूल गया और फ़िर मुझे सुषमा के बदन के बारे में सोचकर उत्तेजना होने लगी और मैं सोचने लगा कि सुषमा को अब और चोदने का मौका कैसे मिलेगा। दिन में ओफ़िस में सुषमा का फोन आया तो मैने सोचा शायद वह विनोद से बात करना चाहती है पर वह मुझसे ही बात करने लगी तो मैने सुषमा को सोरी बोला पहली शाम के लिये। वह बोली ललित मैने कल वाली बात के बारे में सोचा तो ऐसा लगता है कि इसमे हमारी कोई गलती नहीं। तुम इस बारे में परेशान मत होना मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूं, अरे मुझे तो तुम्हारा शुक्रिया करना चाहिये कि इतने दिनो बाद मुझे सचमुच प्यार और सेक्स का एक साथ अनुभव हुआ।
सुषमा कह रही थी यह एक भूख की तरह है और भूख लगने पर हर कोई जो उसे मिलता हो उसका ही मज़ा लेता है। मैं तो चाहती हूं कि ये मौका मुझे और मिले वैसे मैने फोन इसलिये भी किया है कि आज तुम घर पर ही रहना मुझे आज तुमसे ३ पेपर टाइप करवाने हैं। विनोद का तो पता नहीं वह कुछ मदद करें या न पर तुमसे उम्मीद है। मैं अब काफ़ी नोर्मल हो गया था और मैने मज़ाक में कहा एक पेपर की ट्रीट तो तुमको पता ही है तो तीन के बारे में सोच लो तुमको मुझे तीन ट्रीट देनी होंगी। सुषमा बोली ललित इसे मज़ाक समझो या सीरियसली लो पर मुझे भी तुम्हारी ट्रीट से उतना ही मज़ा आया जितना तुमको। इसलिये ट्रीट के लिये जगह का इंतज़ाम होना चाहिये और मेरे को मौका मिले तो मैं तो और ज्यादा ट्रीट लेना चाहुंगी। मैने कहा -आशा है तुम अपने शब्द याद रखोगी
शाम को मैं करीब ८:३० पर खाना खा करके फ़्री हुआ और सुषमा के आने का इंतज़ार करने लगा करीब ८:४५ पर विनोद सुषमा को लेकर आ गया और उसे छोड़कर चला गया और बोला मैं काम निबटाकर जल्दी से आता हूं अगर देर हो जाये तो मेरा इंतज़ार करना घबराना नहीं राजू शरीफ़ आदमी है। सुषमा ने आज प्रिंटेड बलोउस , लाईट कलर की साड़ी और और अंदर गहरे रंग का ब्लाउज़ पहना था। उससे अंदर के कपड़े का आइडिया मुझे नहीं लग पाया। सुषमा और मैं फ़िर पेपर तैयार करने में लग गये, पर आज मैं थोड़ा मस्ती के मूड में था तब भी हमारा काम एक घंटे में हो गया। मैं आज बीच में दो तीन बार सुषमा की कभी जांघ पर तो कभी उसकी कमर पर और कभी उसके ब्लाउज़ के बाहर से उसके बूब्स पर छू रहा था। सुषमा मुझे रोक देती और कहती अरे पहले काम पूरा करने दो फ़िर अगर मौका मिला तो मैं मना थोड़े ही कर सकती हूं।
जब काम पूरा हो गया तो मैं अब सुषमा के साथ मस्ती के मूड में था पर कोई सिग्नल सुषमा ने नहीं दिया तो मैं उसे एम्ब्रस नहीं करना चाहता था। सुषमा से मैने पूछा आज जब विनोद तुमको छोड़ कर गये तो उसने ये क्यों बोला की राजु शरीफ़ आदमी है। तब सुषमा बोली कल विनोद मुझसे बोल रहे थे कि राजू बहुत ही बेवकूफ़ है अगर उसे मौका मिलता (किसी की वाइफ़ के साथ अकेले रहने का) तो वह जरूर मौके का फ़ायदा उठाता। फ़िर सुषमा बोली, जब मैने कहा कि अगर औरत ने गड़बड़ कर दी तो वह बोल रहे थे कि अगर वह किसी औरत को एक्साइट करे तो वह मना कर ही नहीं सकती है। सुषमा फ़िर बोली इसीलिये मुझे भी उनकी बात सुनकर मरदों की मानसिकता के बारे में पता चल गया और वह कोई गलती नहीं कर रही है और मैं भी ऐसा न करूं। अब मैने कहा ये बात तो ठीक है पर आपको तो मालूम है न मैं भी बड़ा कमीना हूं और आज तो मैं अब तुमको इस समय नहीं छोड़ सकता हूं जब दोनो फ़्री हैं। सुषमा कुछ ज्यादा नहीं बोली तो मैने कहा पर आज मैं तुमको पूरी तरह से प्यार करना चाहता हूं क्योंकि आज हमारे पास टाइम काफ़ी है।
फ़िर मैं सुषमा का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर ले आया, और उसे आराम से चूमते हुए उसकी इच्छा जानने की कोशिश करने लगा सुषमा बोली हां ललित आज मैं चाहती हूं कि तुम मुझे ऐसे प्यार करो जैसे विनोद पहले पहले किया करते थे। मैं बोला चलो पहले ऐसा करते हें एक दूसरे के कपड़े उतारते हैं मुझे महाभारत की दरौपदी की तरह अपनी पार्टनर के कपड़े उतारने में बड़ा मज़ा आता है और अगर वह विरोध करे तो और मज़ा आता है। क्या मैं स्टार्ट करूं, सुषमा बोली नहीं पहले मैं तुम्हारे कपड़े उतारुंगी, अगर मेरे कपड़े पहले उतर गये तो तुम मुझे मौका ही कहां दोगे, मैं मर्दों की आदत जानती हूँ।
मैने कुरता पायजामा पहना था और सुषमा ने एक झटके मेरे कुरता और बनियान खींचकर मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया और तब तक मैने भी अपना अंडविनोदयर नीचे कर दिया। सुषमा ने मेरे लंड को देखकर थोड़ा हैरान सी हुई मैं जानता था कि उसे तो विनोद के लम्बे लंड की आदत थी न और फ़िर मेरा लंड उस समय खड़ा भी नहीं था। फ़िर मैने सुषमा के साड़ी के पल्लू को खींचना शुरु किया और सुषमा घूम घूम कर अपनी साड़ी उतारने लगी। जब साड़ी उतर गयी तो मैने सुषमा को पकड़ कर उसके ब्लाउज़ के हुक एक एक करके खोलकर उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया।
उसी समय विनोद का फोन आया तो मैं समझा कि आज तो काम का सत्यानाश हो गया पर विनोद ने पूछा कितना काम बाकी है तो मैने कहा आधे से थोड़ा कम तो विनोद बोला आराम से काम कर लो मुझे अभी एक घंटा और लगेगा मैं ११:०० बजे तक आउंगा। सुषमा ने कहा ठीक है पर जल्दी की कोशिश करना ज्यादा लेट से सभी परेशान होंगे। अब तो हम और भी रिलेक्स हो गये सुषमा ने अंदर सफ़ेद ब्रा पहन रखी थी उसकी ब्रा एकदम टाइट थी और उसके बूब्स उसके अंदर कैद हो गये थे। मैने एकदम से सुषमा को पकड़ कर उसकी टांगों को पेटीकोट सहित अपनी टांगों के बीच फ़ंसाकर उसे जकड़ लिया और फ़िर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया जैसे ही उसकी ब्रा से उसके बूब्स आज़ाद हुए ऐसा लगा जैसे कोई धमाका हुआ उसके बूब उछलकर मेरे सामने आ गये।
क्या टाइट गोल एकदम क्रिकेट बाल की तरह ही लाल, मन तो कर रहा था कि एक झटके में दोनो को मसल दूं पेर मैं उसे पूरा नंगा करना चाहता था। उसके बाद मैने सुषमा के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया पर उसका पेटीकोट नीचे नहीं आया। उसके पेटीकोट में इलास्टिक लगी हुई थी इसलिये वो नीचे नहीं गिरा तो मैने उसके पेटीकोट को नीचे को जोर से खींचा तो उसका काले रंग का पेटीकोट एकदम नीचे आ गया। जैसे ही सुषमा का पेटीकोट नीचे हुआ मेरी तो मस्ती का ठिकाना ही नहीं रहा जब मैने देखा कि सुषमा ने तो पैंटी पहनी ही नहीं थी। अब हम दोनो एकदम नंगे हो गये थे, सुषमा ने आज शायद अपनी चूत साफ़ की थी इसीलिये उसके पूरी बोडी पर सर के सिवा कहीं एक बाल भी नज़र नहीं आ रहा था।
जब तक मैं सुषमा के बदन पर नज़रें फ़ेर पाता सुषमा मेरे लंड को देखकर बोली अरे ये तो बहुत छोटा है चलो मैं अभी इसे तैयार करती हूं और उन्होने उसको धीरे से पकड़ा और उसके टोपे (टोप) पर अपनी जीभ से लिक करने लगी। मुझे बड़ी सरसराहट सी होने लगी, सुषमा बीच में मेरे लंड के टोपे को अपने लिप्स से भी दबा देती। इससे मेरे लंड का साइज़ अब बढ़ने लगा तो सुषमा ने भी उसे अपने मुंह के अंदर लेना शुरु कर दिया और मुझे ये बड़ा अजीब लग रहा था। ऐसा मैने केवल कुछ ब्लू फिल्म्स में ही देखा था और मैं ये नहीं सोच सकता था कि किसी दिन मेरे साथ भी ऐसा होगा। मैं ये भी विश्वास नहीं कर पा रहा था कि एक सीधी साधी औरत सुषमा ऐसा कर सकती है, पर उसका पति विनोद बड़ा स्मार्ट, हैंडसम और हरामी भी है उसने उसको ट्रैंड कर रखा था। मैं तो सेक्स का मतलब बस चुदायी तक ही समझता था और जब ऐसा सीन मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था तो मुझे उल्टी सी आने लगी थी। पर आज जब मेरे साथ ये हो रहा था तो बड़ा मज़ा आ रहा था यहां तक कि मुझे इस में अब सुषमा की चुदायी से ज्यादा आनंद आ रहा था बेसौसे इसमे मुझे कोई ताकत नहीं लगानी पड़ रही थी।
जैसे जैसे मेरे लंड का साइज़ बढ़हा गया सुषमा ज्यादा मस्त होने लगी और अब जब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया तो वह मेरे लंड को लेमन जूस वाली टोफ़ी की तरह से चूसने लगी। दोस्तों जब वह मेरे लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करती तो मुझे तो उसमें अब तक की गयी चुदायी से ज्यादा मज़ा आने लगा था। मैं जोश में कभी कभी सुषमा के मुंह को उसकी चूत समझ कर चुदायी वाले एक्शन में अपना लंड उसके मुंह में डाल देता था। सुषमा मेरे लंड को पूरा खाने वाली स्टाइल में मुंह में लिये हुए थी और कभी मुंह से बाहर निकाल देती और फ़िर पूरा मुंह में ले लेती। मस्ती में वह कभी कभी मेरे लंड को दांतों से भी दबता देती ऐसे में मेरी तो चीख ही निकल गयी तो घबरा कर सुषमा थोड़ा ढीली हो गयी।
फ़िर सुषमा ने मेरे लंड को जड़ से पकड़ कर कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया। थोड़ी देर में सुषमा ने मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी। कभी वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर मेरे लंड के टोपे पर लिप्स रखकर उसे चूसने लगी। ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता जैसे मेरी सांसें ही बंद हो जायेंगी। पर सुषमा मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती। मेरे लिये सेक्स का ये अलग एक्सपेरिएंस था पर था बड़ा मज़ेदार एक्सपेरिएंस । सुषमा की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी और वह मेरे लंड को कैंडी आइस क्रीम की तरह उसे कर रही थी मुझे भी थोड़ा बहुत डर के बावजूद बड़ा मज़ा आ रहा था। यारों, सेक्स में पता नहीं क्यों दर्द में ही मज़ा आता है जैसे किसी कड़वी दवा से ही आराम मिलता है। सुषमा की मस्ती तो बढ़ रही थी पर अब मेरे लंड के अंदर से फ़्लो बाहर को होने का अहसास सा हुआ तो मैने चिल्लाकर कहा सुषमा अब नहीं रुका जरा है, रुको। सुषमा तो पुसुषमा खिलाड़ी थी उसने लंड से मुंह हटा लिया और मेरे लंड के टोपे को हाथ से दबाकर बोली लल्ला चिंता न करिये मैं तो तुम्हारा ये आइस क्रीम खाने के लिये पूरी तरह तैयार हूं और इसके बाद उसने मेरे लंड को पूरा मुंह के अंदर ले लिया।
इसके तुरंत बाद मेरे लंड से हुई सारी बरसात सुषमा के मुंह के रास्ते उसके पेट में चली गयी। जब मेरा पूरा क्रीम झड़ गया तो सुषमा फ़िर से मेरे लंड को अच्छी तरह से चूसने लगी। सुषमा ने मेरे लंड को सावधानी से चाटना शुरु कर दिया और मेरे लंड के माल का एक एक कतरा भी वह चूस लेना चाहती थी। मेरा लंड दुबारा से सिकुड़ कर छोटा हो गया था पर उतना नहीं जितना सुषमा की चुदायी के बाद। सुषमा को जब ये लगा कि अब मेरे लंड का सरा माल वो चाट चुकी है तो उसने अपना मुंह मेरे लंड से हटा लिया। सुषमा को शायद बड़ा मज़ा आया था मेरी तरह से ही वह बड़ी खुश थी जैसे कोई अच्छी चीज़ बहुत दिनो के बाद मिली हो। सुषमा बोली लल्ला ये मेरा भी पहला तज़ुर्बा है ऐसे केरने पर बड़ा मज़ा दिया राजु तूने।
मैने तो एक बार टीवी में तेरे भैया के साथ देखी थी तो तेरे भैया मुझे छेड़ते हुए बोले थे कि उनका चूसेगी तो मैने मना कर दिया था। पर आज तेरा लंड देखते ही मैं मचल रही थी एक बार ऐसा करके देखूं, आज़ राजु बड़ा मज़ा आया। मैं बोला हां सुषमा मुझे बड़ा अच्छा लगा पर अब बहुत देर हो गयी है अब हमें चलना चाहिये। फ़िर सुषमा ने मेरे लंड को कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया और कभी सुषमा मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी। फ़िर वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर मेरे लंड के ऊपर लिप्स रखकर उसे चाटने लगी। ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता जैसे कोई मेरे लंड को सहला रहा हो और उसका साइज़ बढ़ने लगा। पर अगले पल सुषमा मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती और मेरा लंड एकदम लोहे की तरह कड़ा और चुदायी के लिये तैयार होता चला गया
सुषमा ने मुझसे लंड को पकड़ कर लेट जाने को कहा मैने वैसा ही किया तो सुषमा ने खड़े खड़े ही अपनी नंगी गोरी टांगें, चमकती हुई गोरी गुलाबी जांघें, मस्त चूतड़ और उनकी जांघों के बीच से झांकती हुइ उसकी मस्त गंजी चूत देखकर मैं तो पागल हो गया। मेरा लंड तो और भी खींचा जा रहा था और मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था कि उसकी चूत का रस चूसते हुए उसके जांघों को खा जाऊं। सुषमा के गुलाबी बूब मुझको बेचैन कर रहे थे, इसी बीच उसने अपने दोनो हाथ ऊपर को कर दिये तो उसके बूब्स और बगल मुझे और उत्तेजित करने लगे। मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और उसके बूब्स देखकर तो मैं एकदम बेचैन सा हो गया और मैने सुषमा के बूब्स को मुंह में लेकर उनको चूमना और चाटना शुरु कर दिया। सुषमा कभी अपने बूब्स को ज़ोर से दबाने को कहती और जब मैं ज़ोर से दबाता तो कहती अरे धीरे से क्या मार डालोगे मुझे।
सुषमा के चूचियों पर मालिश करने में बड़ा मज़ा आ रहा था पर मैं आज उसे इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं था आज मैं उसके बदन का एक एक पुर्ज़ा मसल देना चाहता था जिससे साली सुषमा मेरी चुदाई को याद रखे। मैं साइए में उसकी बगल और कंधे पर भी मालिश कर रहा था। फ़िर मेरा ध्यान सुषमा की पतली कमर पर गया वह इतनी पतली थी कि जितनी शायद १५ साल की कन्या की भी नहीं होगी। मैने सुषमा के नाभि के नीचे के हिस्से में मसाज करने लगा। इस एरिआ में मासाज करने पर सुषमा की उत्तेजना बढ़ गयी थी और वह जोर से अपने पैर पटकने लगी तो मुझे अपने लंड को कंट्रोल करना पड़ रहा था जो मेरे लिये थोड़ा मुश्किल हो रहा था। मैने उसकी चूत के आस पास अब्दोमेन का एरिया तक जब उसकी नंगी थाईस पर जोर से मसाज किया तो उसने अपनी दोनो थाईज़ को बंद करके चिपका दिया। मैने भी जल्दी से उसकी चूत पर हाथ डालकर वहां पर उंगली करने लगा तो सुषमा का तो बुरा हाल हो गया था वह मस्ती में छटपटाने लगी और उसने अपनी दोनो थाईज को खोल दिया तो मेरे तो मज़े ही आ गये अब मैं उसकी चूत, थाईज़ या अबदोमेन जहां चाहे वहां मसलने लगा।
मेरी उंगलियों के हमले से सुषमा की हालत अब खराब हो गयी थी वह अब मेरे एक्शन का विरोध नहीं कर पा रही थी। मैं जैसे मर्जी आये उसके हर पार्ट को मसलता, रगड़ता और मसाज कर रहा था। जब मेरी मस्ती और बढ़ी तो मैने सुषमा की चूत पर उंगली डालकर अंदर तक उंगली से उसकी चूत के छेद के अंदर तक मसाज करने लगा। मेरे इस एक्शन से तो सुषमा पूरी तरह से चित हो गयी और बोली राजू प्लीज़ अब बस करो और एकदम से पलट गयी। अब सुषमा के नंगे चूतड़ मेरे सामने थे जिसके बीच में उसका गांड तो नज़र नहीं आ रहा था पर पीचे से भी सुषमा की चूत मुझको फ़िर नज़र आने लगी तो मैं फ़िर अपनी उंगली से उसकी चूत पर हमला कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी जांघों को पीछे से मसलने लगा।
जब सुषमा की चूत मेरी उंगलियों के हमले को नहीं बरदाश्त कर पायी तो सुषमा बोली ललित प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे ऐसे ही गीली कर दोगे क्या। मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ और उसके नीचे मोटी मोटी जांघों को सारा का सारा एक बार में ही मसल देना चाहता था पर मेरे दोनो हाथों में इनता एरिया एक बार में कवर नहीं हो रहा था। सुषमा एकदम नंगी थी तो मेरे को अपने लंड पर कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैने अपना ध्यान सुषमा के चूचियों पर दिया पर वह उल्टी लेटी हुई थी और उसके बूब्स साइड से ही नज़र आ रहे थे। फ़िर भी मैने साइड से ही उसके दोनो बूब्स को जोर से दबाया और सहलाना शुरु कर दिया। सुषमा को तो मेरा हर एक्शन एंजोयमेंट दे रहा था और अब वह मेरे हर एक्शन पर बस आहें भर रही थी। मैं सुषमा के चूतड़ पर मसाज करने लगा तो उसके चूतड़ बहुत बड़े बड़े थे और उनको दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
पर मैं और मज़ा लेने के लिये उसके चूतडों पर जोर से स्लाप भी कर देता जिससे चटाक! की आवाज आती और सुषमा को बड़ा मज़ा आता था और वह अपने चूतड़ ऊपर उठा कर जैसे और स्लाप करने को कहती। सुषमा की जांघें मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, मैं वहां पर प्रेस, मसाज, किस, रब कर सकता था। और मैं ये सोच रहा था कि जब मैं उसकी चुदाई करुंगा तो उसकी थाईज़ जब मेरी थाई के साथ रब होंगी तो कितना मज़ा आयेगा। अगर सुषमा की जैसी स्मूथ बॉडी हो तो ऐसा लगता है कि जैसे लिनेन पर स्लिप हो रहा हो। जब मैं उसके चूतडों पर मसाज कर रहा था तो मुझे बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था। सुषमा को डबल मज़ा आ रहा था एक तो उसकी मसाज हो रही थी दूसरा एक मर्द के हाथों उसके बॉडी के पार्ट्स का स्पर्श दे रहा था और जिसे वह फुल्ली एन्जॉय कर रही थी।
मैने सुषमा के दोनो चूतड़ को चोडा करके उसकी गांड को देखने लगा और मुझे सुषमा की चूत पीछे से दिखायी देने लगी और मेरा लंड फ़िर जोर मारने लगा। इधर मेरा लंड अब पूरी तरह बेकाबू हो गया था और उसको कंट्रोल करना मेरे लिये पोस्सिब्ल नहीं था। वह अब सुषमा की चूत में जाये बगैर मानने वाला नहीं था।। सुषमा की चूत का बुरा हाल हो गया था। मैने अपने अंगूठे से को सुषमा की चूत के आस पास रब करना शुरु कर दिया और मौका पाते ही उसकी चूत के अंदर पूरा अंगूठा डाल दिया। मेरा अंगूठा पूरा उसकी चूत में गया तो सुषमा की खुजली जरा कम हुई और वह अब थोड़ा मज़ा लेने लगी। मेरा अंगूठा लंड की तरह सुषमा की चूत में अंदर बाहर फ़िसलने लगा, सुषमा को मज़ा तो आ रहा था पर उसकी चूत की खुजली पूरी तरह से दूर नहीं हो रही थी। वह मस्ती मेरे से चिपट गयी जैसे कहना चाहती हो कि कब चोदोगे पर वह बोली कुछ नहीं।
पहले सुषमा के नंगे बदन की गरमी से मेरा लंड तो तना हुआ था मैने जल्दी से सुषमा को दाब लिया। सुषमा की चूत में तो पहले से ही खुजली थी पर वह झूठा गुस्सा दिखा रही थी और मना कर रही थी। मैने उसको कमर से पकड़ा और उसके चूचियों को अपने लिप्स से किस करने लगा जैसे ही सुषमा ने मुंह खोला तो मैने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिया और नीचे से दूसरे हाथ को उसकी थाईज़ पर मसाज करने लगा। उसकी थाईज़ बड़ी टाइट थी, बच्चों वाली औरतों की तरह ढीली नहीं थी। मैं थाई पर हाथ फ़ेरते हुए उसकी चूत की तरफ़ बढ़ना चाह रहा था। सुषमा के बूब्स भी एकदम टाइट हो गये थे जिसका मतलब था कि उसको पूरी उत्तेजना हो रही थी। मैने कैइ बर सुषमा के बूब्स के निप्पल को लिप्स में लेकर जोर से प्रेस किया जिससे दोनो को बड़ा मज़ा आया।
जब मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा तो मैने एक दो बार सुषमा के निप्पल को अपने दांत से हल्का सा काट भी दिया जिससे सुषमा चीख पड़ी और मुझे बड़ा मज़ा आया। नीचे से मेरा हाथ सुषमा की थाईज़ से होता हुआ उसके चूतडों और रानो पर मसाज करने लगा। ऊपर से मैने सुषमा की बैक, नेक, वेस्ट और नाभि के आस पास लिप्स और जीभ से किस और लिक करना चालु रखा था। जब मेरा एक हाथ सुषमा की रानो पर फ़िसल रहा था तो सुषमा की मस्ती कंट्रोल से बाहर हो गयी तब मैने सुषमा को बेड पर लिटा दिया और अपने आप भी साइड बी साइड लेट गया। मैं आराम से अपने दोनो हाथों और लिप्स से सुषमा के पूरे बदन से खेलने लगा। अब दोनो एकदम गरम हो गये थे सुषमा की भी सारी शरम दूर हो गयी थी और उसका बदन की एक एक हरकत मुझे महसूस हो रही थी उसकी गरम सांसें मुझे बेचैन कर रही थी। मैने सुषमा की चूत के ठीक पास अपनी उंगली से रब करना शुरु कर दिया जिससे मस्ती के मारे सुषमा ने अपनी दोनो टांगें फ़ैला दी और मुझे उसकी चूत पर अटैक का एक मौका मिल गया।
मैने अपने आप को सुषमा की दोनो टांगों के बीच फ़िक्स कर लिया और उसकी दोनो टांगों को और फ़ैलाकर उसकी चूत को और चौड़ा कर दिया मुझे उसकी चूत का छेद साफ़ इतना बड़ा दिख रहा था कि उसमे में अपने थम्ब को सीधा डाल सकता था। पर मैने बिना टाइम गंवाये किये अपने लंड को सीधा उसकी चूत के छेद में झोंक दिया और मेरा लंड सुषमा की चूत में आधा धंस गया। ये शायद ऐसा मौका था जब चुदाई में मुझे इतनी आसानी लंड डालने का मौका मिला हो। मैने एक और जोर का धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड सुषमा की चूत में ठुक गया।
आज उसकी चूत पहले ही गीली हो रखी थी इसलिये अब मैं अपने लंड को ऊपर नीचे रगड़ने लगा तो सुषमा की चूत में सरसराहट होने लगी। सुषमा ने भी नीचे से हमला कर दिया और अपनी गांड का एरिया ऊपर को उठा कर खुद भी चुदायी करवाने के लिये मुझे इनवाईट करने लगी। आज मुझे और सुषमा को चुदायी में दर्द नही हो रहा था और दोनो ही मस्त थे वह आज बड़ी मस्ती में लग रही थी। मैने सुषमा की चूत में ऊपर नीचे रगड़म परेड शुरु कर दी और सुषमा भी अपनी चुदायी करवाने लगी। धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ गयी तो गन्ने के खेत में जैसे तूफ़ान सा आ गया। मैने चुदायी के साथ साथ सुषमा के पूरे बदन को चूमना, चाटना, मसलना और रगड़ना भी चालू रखा था। मेरा ऐसा करने पर सुषमा भी जवाब दे रही थी बस जवाब के लिये उसके पास लंड नहीं था नहीं तो वह भी पूरे जोर से हमारी चुदायी की गाड़ी को धकेल रही थी।
मैं पहले की तरह बेड पर लेट गया और सुषमा मेरे ऊपर आ गयी। मुझे तो इससे बड़ा फ़ायदा हुआ, मैं पूरी ताकत से चोदने के चक्कर में अपनी काफ़ी एनर्जी वास्ट कर चुका था और इस पोसिशन में मुझे सुषमा की दुबारा चुदायी के लिये रिचार्ज होने का मौका मिल गया। सुषमा ने अब ऊपर से धक्का लगाना शुरु कर दिया और मैं आराम से उसके चूचियों और निप्पलों को मसलने लगा।। पर उसके बूब्स ही मेरे हाथों के में टार्गेट थे, जब मुझे ज्यादा मज़ा आता तो मैं उसके चूतड़ पर जोर जोर से स्लाप कर देता जिससे सुषमा और मुझे दोनो को मज़ा आता। मैं जैसे ही सुषमा की गांड के आस पास स्लाप करता सुषमा और जोर से अपनी चूत को मेरे लंड की तरफ़ उठा देती और दोनो का मज़ा दोगुना हो जाता।
अचानक सुषमा बोली राजु अब जल्दी करो मैं गीली हो गयी हूं तो मैने सुषमा को फ़िर पहले वाली पोसिशन में करके अपने आप को उसके ऊपर ले आया। अब मैने ऊपर से अपनी स्पीड बड़ाकर सुषमा की चूत को अपने लंड से पूरी ताकत के साथ ठोंकना शुरु कर दिया। सुषमा अब जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी पर अब वह पहले की तरह खुश नज़र नहीं आ रही थी पर उसकी आहें मुझे और उत्तेजित कर रही थी और मैने और जोर से उसकी चुदाई करने लगा। मुझे सुषमा की चीख में एक अलग ही मज़े का आने लगा और में और जोर से उसकी चूत को अपने लंड से ठोंक रहा था। करीब २-३ मिनट बाद ही मेरी भी हालत कुछ ढीली होने लगी और में थकने लगा तो मैने स्पीड थोड़ा कम कर दी तो सुषमा भी थोड़ा रिलेक्स लगने लगी। अचानक मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरे लंड के जड़ से अंदर नसों में पानी निकलने को बेताब है मैं समझ गया कि अब मेरा भी झड़ने वाला है सुषमा तो शायद पहले ही झड़ चुकी थी।
मैने सुषमा की चूत में अपना पूरा लंड अंदर तक ठोंक कर अपने को रोक दिया। और मेरे लंड के अंदर से सारा क्रीम धीरे धीरे होता हुआ सुषमा की चूत में जाता सा लगने लगा। उधर सुषमा भी शायद अपनी चूत में मेरे लंड का क्रीम फ़ील कर रही थी वह हलकी सी आहें भरते हुए रिलेक्स और खुश नज़र आ रही थी। कुछ पलों के बाद मेरे लंड का सारा क्रीम सुषमा की चूत की गेहराई में कहीं गुम हो गया। मैं एकदम सुस्त हो गया था ऐसा लग रहा था जैसे किसी लम्बी रेस दौड़ी हो और मेरा लंड भी एकदम सिकुड़ गया था में इतना सुस्त हो गया कि वैसे हो सुषमा के ऊपर लेट गया और सुषमा ने भी कोई जावब नहीं दिया और हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे मतलब सुषमा नीचे बेड पर लेटी हुई थी और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर ही था।
५ मिनट बाद ही अलग हुए और बाथरूम जाकर पहले साफ़ किया और अपने अपने कपड़े पहन लिये। इसके बाद सुषमा ने अपनी साड़ी और पेटीकोट ठीक किया और फ़िर हम दोनो बेडरूम से दुबारा कम्प्यूटर टेबल पर आ गये। इस समय करीब १०:५० का टाइम हुआ था में बोला चलो चाय पीते हैं तभी विनोद का भी फोन आया कि वह ५ मिनट में पहुंच रहा है। फ़िर ५ मिनट में चाय भी तैयार हो गयी और फ़िर तीनो ने चाय पी, आज विनोद ने ड्रिंक भी नहीं किया था शायद उसे मौका नहीं मिला पर मैं सुषमा को देखकर उसके बारे में सोचने लगा और शायद विनोद के इरादे ही आज कुछ वैसे ही थे। मैं सुषमा को देख रहा था पर सुषमा शायद हम दोनो का मतलब समझ गयी थी पर दोनो को ही कुछ बताना नहीं चाहती थी
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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