वेल डन अब्बा
मेरा नाम ज़रीना है. आज मै आपको अपनी आत्मकथा बताऊंगी जिसमे मैंने बताया
है की मैंने बड़ी बेटी होने का किस तरह से फ़र्ज़ निभाया है. मेरी जिन्दगी
का सबसे काला दिन वो था जब मेरी अम्मा का इंतकाल हो गया . मै उस समय
दसवीं कक्षा की परीक्षा दे चुकी थी . मेरे अलावा मेरे घर में मेरे अब्बा
और मेरी दो छोटी बहने थी . मेरी उम्र उस समय 15 वर्ष की थी . मैंने घर की
सभी जिम्मेदारियों को उठा लिया . मेरे लिए अब अधिक पढ़ना मुश्किल हो गया .
लेकिन मैंने ठान लिया की अपनी दोनों छोटी बहनों को मै उन्हें अम्मा की
कभी कमी महसूस नहीं होने दूंगी . मेरी अम्मा के मौत के बाद से मेरे अब्बा
काफी दुखी रहने लगे थे . वैसे तो वो पहले हम तीनो बहनों को काफी मानते थे
और जब भी समय मिलता था तो हम लोगों को बाहर घुमाने ले जाते थे . लेकिन
अम्मा की मौत के बाद सब कुछ बदल चुका था. वो अब घर पर काफी कम समय बिताते
थे .वो एक कम्पनी में कलर्क की नौकरी करते थे . उनकी आमदनी ज्यादा नहीं
थी . बस घर का खर्च निकल जा रहा था . पुश्तैनी घर में हम लोग रह रहे थे .
किसी तरह से घर चल रहा था . लेकिन हम लोग इसमें खुश रहा करते थे . अम्मा
की मौत के 3 महीने के बाद एक दिन मेरी दूर की रिश्ते की मौसी मेरे यहाँ
आई . वो बगल के ही मोहल्ले में रहती थी . उस दिन उनके 8 साल के बेटे का
जन्मदिन था . वो हमलोग को जन्मदिन में ले जाने के लिए आई थी . लेकिन घर
पर बहूत काम था. मै तो जा ही नहीं सकती थी . तब वो मेरी दोनों छोटी बहोनो
को ले जाने की जिद करने लगी . मैंने कहा की आप अब्बा से फोन पर बात कर
लें . मौसी ने अब्बा से फोन पर बात की और जिद कर के मेरी दोनों छोटी
बहनों सुहानी और आयशा को अपने घर ले जाने की अनुमती ले ली . बोली - आज
रात दोनों मेरे यहाँ ही रहेगी और सुबह उन दोनों को पहुँचा दूंगी . जब
मैंने अपनी बहनों को तैयार होने के लिए उनके कमरे में भेज दिया तो मौसी
ने धीरे से मुझसे कहा - तुम्हारे अब्बा दुबारा शादी करना चाहते हैं . ये
सुन कर मेरे तो होश उड़ गए . अब्बा की उम्र लगभग 45 साल थी . इस उम्र में
वो शादी क्यों करेंगे ? शादी करने के बाद परिवार में और भी खर्च बढ़ जाएगा
. सौतेली माँ आने के बाद मेरा और मेरी दो छोटी बहनों का क्या होगा .
उन्हें तो स्कूल भी नहीं जाने दिया जाएगा . ये सभी बातें सोच कर मै
परेशान हो गयी . मैंने मौसी से पूछा - मौसी घर का काम तो मै कर ही देती
हूँ . खाना -पीना से लेकर अपनी बहनों की देख भाल भी कर देती हूँ . फिर
अब्बा दूसरी शादी क्यों कर रहे हैं ? मौसी ने कहा - मर्द को सिर्फ खाना
-पीना ही नहीं चाहिए . उसे शारीरिक सुख यानी सम्भोग सुख भी चाहिए . तुम
सम्भोग का मतलब तो जानती हो ना ? मौसी से मुझे इस तरह के खुले शब्दों में
उत्तर की आशा नहीं थी . लेकिन मौसी ने वही कहा जो हकीकत था. मैंने धीरे
से सर झुका कर कहा - हाँ जानती हूँ . मौसी ने कहा - सम्भोग का सुख तो
केवल औरत का शरीर ही दे सकता है ना ?. मैंने कहा - हाँ . मौसी ने कहा -
इसलिए तुम्हारे अब्बा शादी करना चाहते हैं . कह के मौसी मेरी दोनों बहनों
को ले कर अपने घर चली गयी . जाते जाते बोली - कल 11 बजे तक दोनों को वापस
छोड़ आऊँगी . वैसे भी कल रविवार है. कल स्कूल भी बंद है. मेरे दिमाग में
मौसी के द्वारा मेरे अब्बा की शादी की बातों से काफी चिंता उमड़ पड़ी . मै
नहीं चाहती थी की अब्बा शारीरिक सुख के लिए दूसरी शादी करें , जिसके कारण
हम तीन बहनों की जिंदगी खराब हो जाए . और घर में हमेशा झंझट बना रहे .
इसलिए मैंने एक कठोर फैसला लिया की अगर अब्बा को शारीरिक सुख चाहिए तो वो
मै उन्हें दूंगी लेकिन उन्हें शादी नहीं करने दूँगी . मैंने ठान लिया की
मै आज की ही रात अपनी कुर्बानी दूंगी ताकि ये घर और मेरी बहनों की जिंदगी
तबाह होने से बच जाए . रात को अब्बा घर पर आये . सभी का हाल चाल पूछ कर
खाना पीना खा कर वो अपने कमरे में सोने चले गए . रोज़ रात को सोने से
पहले उन्हें एक गिलास दूध पीने की आदत थी . पहले माँ रोज़ एक गिलास दूध
दिया करती थी . माँ की मौत के बाद दूध देने की ज़िम्मेदारी मेरी थी . मुझे
आज अपनी कुर्बानी देनी थी . इसकी पूरी तयारी मैंने कर ली थी . जब अब्बा
घर में नहीं थे तो मैंने शाम में ही उनके कमरे में से वियाग्रा की गोली
चुरा कर अपने पास रख ली थी . शायद वो इस गोली का इस्तेमाल मेरी अम्मा के
साथ सम्भोग करने के लिए किया करते थे . मै इतनी भी बच्ची नहीं थी कि इस
वियाग्रा का मतलब ना समझूं . लड़कियों को दसवीं पास करते करते सभी ज्ञान
हो जाता है. खैर ! मैंने उस वियाग्रा की गोली पीस कर दूध में मिला दिया
और चम्मच से अच्छी तरह से मिला दिया . घर के सभी बत्ती बंद कर के मैंने
अपने कपडे बदले और पतली सी नाईटी पहन कर दूध का गिलास ले कर अब्बा के पास
पहुची . अब्बा अपने कपडे बदल चुके थे और वो सिर्फ लुंगी पहने हुए थे . वो
गर्मियों में सिर्फ लुंगी पहन कर ही सोते थे . मैंने उनको दूध दिया .
उन्होंने बिना कुछ पूछे वो दूध पी लिया और बोले - अब तुम जा कर सो जाओ .
मैंने कहा - अब्बा आज दोनों बहने भी यहाँ नहीं हैं और मुझे अकेले सोने
में डर लगता है. क्या मै आपके साथ सो जाऊं? अब्बा ने हँसते हुए कहा - अरे
, इतनी बड़ी हो गयी हो . और तुम घर के सारे काम भी कर लेती हो लेकिन अब
भी तुम डरती हो ? चलो कोई बात नहीं , मेरे साथ ही सो जाओ . ज़रा ये लाईट
बंद कर देना . मैंने रूम की लाईट बंद कर दी . अब रूम में पूरी तरह
अन्धेरा हो चुका था . एक बार तो मेरी रूह कांप उठी लेकिन जैसे ही मेरे
सामने मेरी दोनों छोटी बहनों का चेहरा आया मैंने दिल को कड़ा किया और घर
की सुख की चाहत में मैंने अल्लाह से दुआ माँगा कि आज मै अब्बा को शादी
नहीं करने के लिए मना ही लूंगी चाहे मुझे इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी
पड़े . ये सोच कर मै अब्बा के बगल में लेट गयी . मै जानती थी कि वियाग्रा
1 घंटे के बाद अपना असर शुरू करेगा . मैंने 1 घंटे तक इंतज़ार किया . और
सोने का नाटक करती रही . धीरे धीरे मैंने अपनी नाईटी को अपने कमर तक उठा
लिया . धीरे धीरे मै अब्बा के शरीर से सट गयी . मेरे अब्बा पर अब धीरे
धीरे वियाग्रा का असर शुरू हो रहा था. लेकिन वो इस से अनजान थे . मैंने
जान बुझ कर अपनी एक टांग अपने अब्बा के शरीर पर रख दिया . अब्बा ने किसी
तरह का प्रतिरोध नहीं किया . वो मेरी चिकनी टांग पर अपने हाथ रख कर धीरे
धीरे सहलाने लगे. मेरी हिम्मत थोड़ी और जागी . मै अब्बा के शरीर से पूरी
तरह चिपक कर अपनी बांह से उनको लपेट लिया . मैंने अपने चूची का दवाब उनके
बदन पर बढ़ाना शुरू किया .अब्बा मेरी जाँघों को सहला रहे थे . कुछ देर तक
इसी हालत में रहने के बाद मैंने अपनी चूची को उनके शरीर पर रगड़ना शुरू
किया. और अपने बुर को उनके जांघ पर घसने लगी. एकाएक अब्बा मेरी तरफ मुंह
कर के करवट बदल लिए . उन्हें भी अब मेरा स्पर्श अच्छा लग रहा था. अब
मैंने अपनी टांगों को इस तरह से उनके कमर पर रखा कि मेरा बुर उनके लंड से
सट सके . मैं अपने चूची को अब्बा के सीने में जोर से सटा रही थी. मेरी
सांस तेज़ हो चली थी और दिल जोर जोर से धड़क रहा था . अब्बा ने अपनी बाहों
को मेरी पीठ पर रखा और मेरे बदन को कस कर अपनी शरीर की तरफ खीचने लगे और
मेरी चूची को अपने सीने से जोर से दबाने लगे. मैंने किसी तरह का प्रतिरोध
नही किया . अब हम एक दुसरे से आलिंगन थे लेकिन कपडे पहने हुए ही थे .
मैंने अपना बुर से उनके लंड पर दवाब बनाना शुरू किया . उनका लंड तन चुका
था . मैंने जान बूझ कर पेंटी और ब्रा नहीं पहना था . अब्बा ने मेरी जांघो
पर हाथ फेरना चालू किया . और हाथ फेरते फेरते मेरी नंगी चुत्तद पर हाथ
फेरने लगे . अब मै समझ गयी कि अब्बा अब मेरे वश में आ सकते हैं . मैंने
जान बुझ कर जागने का नाटक किया और धीरे से कहा - अब्बा , मेरी पीठ दबा
दीजिये ना . मेरी पीठ में कभी कभी दर्द होता है. अब्बा ने पूछा -कहाँ पर
? मैंने कहा - पीठ के उपरी भाग पर . अब्बा ने नाईटी के ऊपर से ही अपने
हाथ ले जा कर मेरी पीठ सहलाने लगे . मैंने कहा- ठीक से दबा दीजिये ना.
ज़रा पीठ की मालिश कर दीजिये ना. कह कर मैंने अपनी नाईटी को अपनी चूची के
ऊपर तक उठा दिया . अब मेरी नंगी चूची सीधे उनके छाती से सट रही थी .
अब्बा ने पीठ को इस तरह से दाबना शुरू किया कि वो मुझे अपनी तरफ सटाने
लगे . जिस से मेरी चूची उनके छाती में दब रही थी . इधर मेरी बुर उनके कमर
पर सट रही थी . अब्बा पर वियाग्रा का असर हो चुका था . उन्होंने कहा -
अपने ये कपडे पूरी तरह उतार लो .मै अच्छी तरह से मालिश कर देता हूँ.
मैंने वो नाइटी को अपने सर होते हुए निकाल दिया . अब मै पूरी तरह से नंगी
थी . अब्बा ने एक हाथ से मुझे लपेटा और अपने शरीर पर मुझे लिटा दिया .
उन्होंने मेरी पीठ से ले कर चुत्तद को इतनी जोर से दबाने लगे की मै उनकी
देह में बिलकूल चिपक सी गयी. वो कभी मेरी पीठ दबा रहे थे तो कभी मेरी
चुत्तद. मेरी चूची उनके सीने में दब कर पकोड़ा हो रही थी. मै उनके मज़बूत
पकड़ में थी . मैंने अपने बुर को उनके खड़े लंड पर टिका रखा था . पता नहीं
क्यों मेरे अब्बा ने अभी तक अपनी लुंगी नही खोली थी . शायद उन्हें अभी भी
ये अहसास हो रहा था कि वो मेरी बेटी है. वो मेरी चुत्तद से ले कर मेरी
पीठ को लगातार सहला और दबा रहे थे . मैंने भी उनको कस कर अपनी बाहों से
लपेट कर अपने चूची को उनके सीने में कस के रगड़ रही थी. मेरी बुर उनके
पेट में सट रही थी. मेरी बुर गीली हो रही थी और उनके पेट पर मेरे बुर का
रस टपक रहा था. थोड़ी देर बाद ही वो मेरे चुत्तद पर हाथ फेरते फेरते मेरी
दोनों टांगो को अपने पेट के अगल बगल फैला लिया जिस से मेरा बुर उनके नाभी
में साफ़ सटने लगा. धीरे धीरे उनका हाथ मेरी चुत्तद के नीचे से होते हुए
मेरी बुर को छूने लगा. अब्बा मेरी मेरी बुर के बालों को सहलाने लगे. धीरे
से बोले - ज़रीना , तू तो जवान हो गयी है रे. वो मेरी बुर को हथेली से
सहलाने लगे. मेरी बुर से पानी गिर रहा था जो की उनके हाथ और पेट में लग
रहा था. उनसे और नहीं रहा जाने लगा तो वो मेरे गालों को चूमने लगे. मै
समझ गयी की लोहा गरम होगया है. थोड़ी देर हुई तो मैंने एक हाथ से उनके लंड
को लुंगी के ऊपर से ही पकड़ा . उनका लंड लुंगी के नीचे काफी बड़ा हो गया
था. जब मैंने देखा की अब्बा को लंड छुआने में कोई दिक्कत नहीं है तो
मैंने लुंगी के अन्दर हाथ डाला और उनके लंड को पकड़ लिया . अब्बा का लंड
बहूत बड़ा था. मै उनके लंड को सहलाने लगी . अब्बा की साँसे गर्म होने लगी
. मैंने सोचा कि यही सही मौक़ा है अब्बा से सौदा करने का. मैंने अब्बा से
धीरे से कहा - अबा , आज मौसी आयी थी , वो कह रही थी कि आप दूसरी शादी
करने कि सोच रहे हैं . अब्बा बोले - हाँ , बेटी. मैंने कहा - क्यों ? मै
हूँ ना काम करने के लिए . शादी करने से घर के खर्च तो बढ़ जायेंगे ना?
अब्बा बोले - कुछ सुख हासिल करने के लिए शादी करना चाहता हूँ . सिर्फ
खाना खा लेने से मेरी भूख नहीं मिट्टी है बेटी. जिस्म का सुख बेटी तो
नहीं दे सकती है ना ? मैंने कहा - अब्बा , आज से आपको जिस्म का सुख भी मै
ही दूँगी . आप शादी ना करें . नहीं तो ये घर तबाह हो जाएगा . अब्बा ने
मेरे चूतड पर हाथ फेरते हुए कहा - लोग क्या कहेंगे ? मैंने कहा - लोगों
को मै थोड़े ही कहने जाऊंगी कि मेरे और मेरे अब्बा के बीच शारीरिक
ताल्लुकात हैं . वैसे भी आपने मुझे जन्म दिया है. पाला पोसा . मेरी हर
सुख सुविधा का ख्याल रखा . इसलिए आपका मेरे जिस्म पर पूरा अधिकार है. मै
इसमें कोई गुनाह नहीं मानती हूँ . अब्बा बोले - लेकिन तू तो एक दिन ब्याह
हो के दुसरे के यहाँ चली जायेगी फिर मै किसे चोदुंगा ? मैंने कहा - शादी
के बाद भी आप मुझे जब तक चाहे चोद सकते हैं . अब्बा ने कहा - तेरा घर
वाला क्या कहेगा ? मैंने कहा - वो आप मुझ पे छोड़ दीजिये . सोचिये जब मै
आपकी खिदमत के लिए तैयार ही हूँ तो आपको क्या दिक्कत है? अब्बा बोले -
ठीक है, अगर तू वायदा करती है कि तू मुझे बीबी की तरह सुख देगी तो मै
दुसरा निकाह नहीं करूंगा . मैंने कहा - ये शरीर आपकी अमानत है . आप इसे
चाहें जैसे इस्तेमाल करें . कह के मैंने अपने होठ अब्बा के होठ पर रख
दिया ताकि अब वो कुछ और ना बोल सके . . अब जब अब्बा को यकीं आ गया कि मै
उनकी बीबी कि तरह सेवा करने के लिए तैयार हूँ तो उन्होंने अपनी लुंगी खोल
दी . अब हम दोनों बाप बेटी पूरी तरह से नंगे एक दुसरे के बाहों में थे .
अब्बा ने कहा - ज़रीना , ज़रा लाईट तो जला दे , ज़रा देखूं तो तेरा बदन
कितना जवान हुआ है ?. मैंने कहा - अब्बा , लाईट जलाने पर बाहर भी रौशनी
जायेगी . मोमबत्ती जलाती हूँ . इसमें काम हो जाएगा . वहीँ पर मोमबत्ती और
माचिस रखी हुई थी . मैंने मोमबत्ती जलाई . मोमबत्ती जलते ही हम दोनों ने
एक दुसरे के शरीर को निहारना शुरू किया . अब्बा मेरी दुबली पतली काया और
उस पर बड़े बड़े चुचियों और मेरे बुर को एकटक निहार रहे थे . और मै उनके
तने हुए लंड को देख कर अंदाज़ लगा रही थी कि इसे अपनी बुर में झेल पाऊँगी
या नहीं . मोमबत्ती को एक जगह रख कर मै अब्बा कि गोद में जा कर उनसे लिपट
गयी . अब्बा ने मुझे कुछ उंचा किया और मेरी एक चूची को चूसने लगे. बोले -
तेरी चूची तो काफी मीठी है ज़रीना. मुझे काफी मज़ा आ रहा था . कुछ देर
चूची को चूसने के बाद वो लेट गए और बोले - मेरे मुह पर अपनी बुर को रख .
मैंने ऐसा ही किया . मै उनके मुह पर बैठ गयी . मैंने अपने बुर को उनको
मुंह में घुसा दिया . वो मेरी बुर को खाने कि कोशिश कर रहे थे . मेरे बुर
से रस निकलने लगा . वो रस को ऐसे चाट रहे थे मानो कोई शहद हो . अब्बा
बोले - एकदम नमकीन रस है तेरे बुर का. उसके बाद उन्होंने मुझे लिटा दिया
और मेरी दोनों टांगो को फैला दिया . वो बुर को फिर से चाट रहे थे . और
मेरी बुर में अपनी जीभ घुसा दिया . मुझे उत्तेजना से अजीब लग रहा था .
मुझे कुछ हो रहा था . मेरे बुर से रस के साथ साथ पिशाब भी निकलने लगा .
लेकिन अब्बा ने मेरे बुर में से अपनी जीभ नहीं निकाली . वो मेरे पिशाब को
भी चूसते रहे. थोड़ी देर के बाद मैंने कहा - अब्बा अब मेरे बुर को और मत
चूसिये . अब्बा ने बुर में से जीभ निकाल दिया . मेरे बदन पर लेट गए और
बोले - रानी बेटा, तू तो एकदम मस्त माल है. सारा बदन मखमल के तरह है.
जहाँ चूसता हूँ वहां रस ही रस है. अब तू मेरे से चुदवायेगी ? तुम्हे डर
तो नहीं लगेगा न बेटा? बहूत आराम से चोदुंगा. मज़ा आयेगा तुझे. अब चुदाई
के लिए तैयार हो जा . मैंने उनके लंड को अपने हाथ में ले लिया . काफी
बड़ा और मोटा लंड था . एकदम सख्त . मै डर रही थी कि इतने मोटे लंड से
मेरे बुर की क्या हालत होगी . मेरे बुर में काफी चिकनाई हो रही थी . अभी
भी बुर से रस निकल रहा था. अब्बा ने मुझे लिटा दिया और बुर में उंगली डाल
कर इसको चौड़ा करने लगे . ऐसा लग रहा था कि मेरे बुर में अपना लंड डालने
के लिए जगह बना रहे हो . थोड़ी देर ऊँगली को मेरे बुर में गोल गोल घुमाते
रहे . उधर एक हाथ से वो अपने लंड को सहला रहे थे. इस से उनका से उनका लंड
भी रस निकाल रहा था. उस रस को वो अपने लंड पर लगा कर उसे चिकना बना रहे
थे. जब उनका लंड एकदम चिकना हो गयातो वो मेरे बुर में से ऊँगली निकाल कर
अपने लंड को मेरे बुर के मुंह पर रखा . धीरे धीरे इसे अन्दर करने लगे .
पहले तो मुझे दर्द हुआ . ज्यों ही मै करहाती थी त्यों ही वो अपना लंड
अन्दर डालना रोक देते थे . इस तरह इंच इंच कर के अपने आधे लंड को मेरे
बुर में डाल दिया . एक बार अन्दर करने में लगभग 2 मिनट लगे . उसके बाद जब
और अन्दर डालने कि कोशिश करते तो मुझे जोर से दर्द होता . मै जोर से कराह
उठती. मैंने कहा - अब्बा आगे झिल्ली है. अब्बा बोले - अच्छा कोई बात नहीं
. यहीं तक चोदुंगा . उन्होंने अपने लंड को 2 मिनट के लिए मेरे बुर में
उसी तरह से छोड़ दिया . धीरे धीरे मेरा बुर उनके लंड के साइज़ इतना चौड़ा
हो गया . अब वो धीरे धीरे अपने लंड को पीछे ले गए फिर आगे लाये .
उन्होंने इतने इत्मीनान के साथ धीरे धीरे मुझे चोदना चालु किया कि मुझे
दर्द नहीं होने लगा . मैंने अपने टांग को थोडा और फैलाया और बुर को थोडा
और ढीला किया . अब्बा के धक्के बढ़ते जा रहे थे . उनका लंड मेरी झिल्ली
को बार बार छू रहा था . अभी मै कुछ समझ पाती कि अब्बा ने एक बार कास के
अपने लंड से मेरे बुर में धक्का दिया . मुझे थोड़ा सा अहसास हुआ कि मेरी
झिल्ली फट चुकी . हल्का हल्का दर्द भी होने लगा . लेकिन अब्बा अब पूरी
स्पीड से चालू हो चुके थे . उनके लंड ने मेरे बुर में जगह बना ली थी .
मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था . अब्बा के लंड का मेरे बुर के अन्दर आना और
बाहर जाना मुझे महसूस हो रहा था. अब्बा के अंडकोष मेरे गांड से टकरा रहे
थे . मुझे ख़ुशी हो रही थी कि मैंने अब्बा को काबू में कर लिया है. ख़ुशी
और दर्द से मेरी आँखे बंद थी. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मै जन्नत की सैर
कर रही हूँ. मुझे यकीन नही हो रहा था की जिस लंड के रस से मेरा शरीर बना
ही आज वही लंड मेरे चूत में है. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मै अपने ऊपर से
अपने अब्बा का क़र्ज़ मिटा रही हूँ. मुझे रत्ती भर भी अपने अब्बा पर गुस्सा
नही आ रहा था. मै तो चाह रही थी कि वो मेरे शरीर को जी भर कर जैसे चाहें
उपयोग करें. आखिर वो मेरे जन्मदाता हैं और मेरे हर अंग पर उनका उतना ही
अधिकार है जितना मेरा खुद का. करीब 5 मिनट तक अब्बा मेरी चूत की चुदाई
करते रहे . अचानक अब्बा का शरीर अकड़ने लगा और उनके लंड से गरम गरम माल
मेरे बुर में गिरने लगा . अब्बा मेरे शरीर पर लेट गए . उनके सीने से मेरा
चेहरा दब चुका था . करीब 1 मिनट तक उनके लंड से माल मेरे बुर में गिरता
रहा . 3- 4 मिनट तक उसी अवस्था में रहने के बाद अब्बा ने मेरे बुर से
अपना लंड निकाला . उनका लंड अब लटक रहा था . मैंने मोमबत्ती की रौशनी में
देखा मेरे बुर से खून और अब्बा का माल दोनों ही निकल रहा था . देख कर
मुझे काफी आनद आया . महसूस हो रहा था मानो कोई बड़ी लड़ाई जीत चुकी हूँ .
अब्बा ने मुझे अपनी बेटी से अपनी पत्नी होने का हक़ दे दिया था. अब मै
लड़की से औरत बन चुकी थी. अब्बा अब पलंग पर लेते हुए थे. मै उनके लंड की
तरफ झुकी और मैंने अब्बा के लंड को पकड़ा और उसे पोछने लगी . जब ये साफ़ हो
गया तो मैंने उनके लंड को अपने मुंह में ले ली . इस लंड में मुझे अपने
बुर का खून और अब्बा के माल का मिला जुला स्वाद महसूस हो रहा था जिसकी
तुलना किसी अन्य चीज से नही की जा सकती. मै अपने अब्बा को खुश रखने में
कोई कसर नही छोड़ना चाहती थी . कुछ देर तक तो उनका लंड लटकने वाले अवस्था
में ही रहा . लेकिन ये फिर से खडा होने लगा . मै उनके लंड को इस तरह से
चूस रही थी मानो वो कोई आम हो . मेरे अब्बा को काफी आनंद आ रहा था. वो
बोले - तुने ये कहाँ से सीखा ? मैंने कहा - आजकल की लड़कियां स्कूल में
पांचवी क्लास से ही सब कुछ जान जाती है. फिर मै तो मैट्रिक पास हूँ . अब
उनका लंड फिर से तन चुका था . वियाग्रा का असर इतनी जल्दी ख़तम होने वाला
नहीं था . मैंने अब्बा से कहा - अब्बा एक बार फिर से मुझे चोदिये ना .
अब्बा ने कहा- आजा, पलंग पे लेट जा मेरी रानी. मै फिर से पलंग पर लेट गयी
और अब्बा मेरे बदन के ऊपर लेट कर 69 का पोजीशन बनाया. यानी अब्बा मेरे
बुर पर अपना मुंह रख दिया और अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया. अब एक तरफ
अब्बा मेरे बुर को मुंह से चूस रहे थे तथा दूसरी तरफ मै उनके लंड को अपने
मुंह में ले कर चूस रही थी. थोड़ी ही देर में मेरे बुर ने पानी छोड़ना चालु
कर दिया जिस से मेरा बुर चिकना गया. जब अब्बा ने देखा की मेरा बुर फिर से
चिकना हो गया है तो तो अपने आप को सीधा कर के अपने लंड को अचानक ही मेरे
बुर में पूरा का पूरा डालदिए. इस बार ज्यादा दर्द नहीं हुआ . अब्बा ने इस
बार मुझे 15 मिनट तक चोदते रहे . मेरे बुर से झर झर माल निकल रहा था .
मैंने अब्बा से कहा - अब बस कीजिये अब्बा . अब दर्द करने लगा . अब्बा ने
कहा - 2 मिनट और रुक जा बेटी . थोड़ी देर में अब्बा के लंड ने फिर से माल
छोड़ा . थोड़ी देर बाद अब्बा ने मेरे बुर से अपना लंड निकाला और पूछा -
दर्द तो नहीं हुआ ज्यादा ?. मैंने कहा - वेल डन अब्बा !. उसके बाद रात भर
मै नंगी ही उनसे लिपट कर बातें करती रही . वो मेरी बुर में ऊँगली डाले
रहे और मै उनके लंड को ऐसे पकडे हुई थी मानो कहीं ये भाग ना जाए . सुबह 2
बजे उन्होंने फिर से मेरी बुर की चुदाई की . फिर से वही चुदाई की बातें
और लंड को सहलाने और बुर में उंगली डाले हुए चुदाई के किस्से के बारे में
बात करती रही . 3 बजे सुबह अब्बा ने बताया कि किस तरह से वो मेरी अम्मा
की गांड भी मरते थे . मैंने कहा - आज मेरी भी गांड मारो ना अब्बा ,
प्लीज़ .. अब्बा पहले तो राज़ी नहीं हुए . लेकिन जब मैंने 3-4 बार जिद
किया तो वो राज़ी हो गए . वियाग्रा का असर रात भर रहता है. उन्होंने मुझे
ठेहुने के बल बैठ्या . और आगे झुक जाने को कहा . मै आगे झुक गयी . अब्बा
ने मेरी गांड के छेद में उंगली डाली और चारो तरफ घुमाया . बगल में नारियल
तेल था उसे उठाया और मेरे गांड को उंचा कर के नारियल तेल उसमे डाल दिया .
पूरा गांड और बुर नारियल तेल से चापचापा गया . अब्बा ने अपने हाथ से
नारियल तेल अपने लंड पर घसा और मालिश किया . अब्बा ने मेरी गांड में
उंगली डाली और इसके छेद को चौड़ा किया . जब मेरी गांड का छेद खुल गया तो
अब्बा ने इसमें लंड डालना शुरू किया . धीरे धीरे पूरा लंड इतनी जल्दी से
अन्दर चला गया कि मुझे पता भी नहीं चला . अब्बा ने मेरी कमर के पीछे से
दोनों तरफ को मजबूती से पकड़ा और मेरे गांड में अपने लंड को आगे पीछे कर
मेरे गांड की चुदाई करने लगे . मुझे दर्द होने लगा . लेकिन ये दर्द भी तो
मैंने खुद ही जिद कर के लिया था . मेरी तो शामत ही आ गयी . लेकिन अब मै
कर ही क्या सकती थी . सिर्फ कराहती रही और थोड़ी थोड़ी रोती भी रही. खैर
3-4 मिनट में ही अब्बा के लंड ने पानी छोड़ दिया . लंड का पानी मेरे गांड
में गिराने के बाद अब्बा ने मेरे गांड से लंड निकाला और पूछा - कैसा लगा
गांड मरवाने में? . मैंने कहा - अब्बा , आप एक दिन में दस मर्तबा मेरी
बुर को चोद लीजिये लेकिन मेरी गांड को दस दिन में एक ही बार चोदियेगा .
इसमें दर्द होता है. अब्बा हँसते हुए बोले - धीरे धीरे आदत हो जायेगी .
तब दर्द नहीं होगा . सुबह होने को चली थी . मेरे जीवन का भी नया सुबह था
. अब्बा और मै रोज़ की तरह तैयार हुए . 9 बजे अब्बा चाय नास्ता कर के
आराम से टीवी देख रहे थे . आज रविवार था. इसलिए उनका आफिस भी बंद था .11
बजे मौसी मेरी दोनों बहनों को छोड़ने मेरे घर आयी . वो अब्बा के पास आई और
धीरे से पूछी - कोई लड़की देखूं क्या आपके शादी के लिए ? अब्बा ने धीरे से
मुसुकुरा कर कहा - नहीं , अब बच्चियां बड़ी हो गयी है. घर का सारा काम कर
लेती है. मुझे अब इस उम्र में शादी नहीं करनी . मै मुस्कुरा कर अपने आपको
विजेता महसूस कर रही थी . उस दिन के बाद से हर रात मै उनके साथ ही सोने
लगी उनकी बीबी बन कर . मेरे अब्बा को कभी बीबी की कमी महसूस नहीं होने
दी. कई बार तो हम भूल ही जाते की हम बाप- बेटी भी हैं. मेरी दोनों बहनों
ने भी हम बाप बेटी को कभी संदेह की नजर से नही देखा. उन्हें लगता कि मै
अब्बा कि सेवा के लिए उनके कमरे में सोती हूँ. जब मेरी उम्र 24 होने को
आयी तो मेरे अब्बा कि उम्र 52 साल की थी . अब वो उतना तो नहीं लेकिन
हफ्ते में 1-2 बार मेरी चुदाई कर ही डालते थे . उन्होंने मेरा निकाह बगल
के मोहल्ले के ही एक खाते पीते घर में कर दिया . मैंने अब्बा से वायदा
लिया कि वो दो बहनों को कुछ नहीं करेंगे और जब भी चुदाई का मन हो मुझे
फोन कर के बुला लेंगे . अब्बा ने मुझसे वायदा किया कि वो दोनों छोटी
बहनों को नहीं छोड़ेंगे और जरूरत होने पर मुझे बुला लेंगे . मेरी शादी
होने के कुछ दिनों बाद मै हर 3-4 दिन पर अपने अब्बा और बहनों से मिलने के
बहाने अब्बा के यहाँ चली आती और अब्बा की भूख शांत करती . मेरे पति बहूत
ही सीधे और सरल इंसान हैं . उन्हें कभी शक नहीं होता था हमारे रिश्ते पर
. लेकिन 3-4 दिन पर अब्बा के पास आना काफी मुश्किल जान पड़ने लगा . ससुराल
में बहूत लोग थे . इसलिए मैंने अपने पति को कहा - अब्बा का घर काफी बड़ा
है और वो खाली भी रहता है. क्यों ना हम लोग वहीँ जा कर रहें . आपका आफिस
भी वहां से बगल में है. इस तरह से कई तरह का प्रलोभन दे कर मैंने अपने
पति को अपने अब्बा के घर पर ही रहने के लिए राज़ी कर लिया . मेरे पति ने
अपने घर वालों को ये कह कर राज़ी कर लिया कि अभी से अगर ससुर जी की सेवा
नहीं करेंगे तो उनकी मौत के बाद उनकी सारी जायदाद उनकी दो बेटियों को ही
मिल जायेगी और हम खाली हाथ मलते रह जायेगे . उसके बाद हम अब्बा के यहाँ
चले आये . अब मै आराम से अब्बा के सुख का ख्याल रख सकती थी . रात को भी
अक्सर जब मेरे पति मुझे चोद लेते तो मै अब्बा के खराब स्वास्थय की देखभाल
करने के नाम पर उनके कमरे में सोने चली आती और अब्बा से भी अपनी चूत
चुदवा लेती. . मेरे पति को कभी मुझ पर शक नहीं हुआ . उन्हें क्या पता कि
अब्बा की कौन सी स्वास्थय की देखभाल की जरूरत है. आराम से अब्बा मुझे
चोदते . अब्बा ने 7-8 साल तक और मेरे शारीर से खेला . फिर धीरे धीरे वो
धरम करम में ज्यादा यकीन करने लगे . इस बीच मेरी दोनों बहनों की नौकरी हो
गयी और उनकी शादी अच्छे घरानों में हो गयी . जब सभी काम सफल हुए तब लगा
कि मेरा बलिदान व्यर्थ नहीं गया . आज मैंने अपने घर , अब्बा और अपनी
बहनों को तबाह होने से बचाया . आज मै 2 बच्चों की माँ हूँ . अरे भाई , वो
मेरे पति से हुए हैं ! Tags = Future | Money | Finance | Loans |
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