Friday, December 6, 2013

FUN-MAZA-MASTI ये कैसी ट्यूशन है सर !!!

FUN-MAZA-MASTI

ये कैसी ट्यूशन है सर !!!


मैं एक हायर सेकण्डरी स्कुल में इंग्लिश पढाता हूँ. मेरी उम्र चालीस साल है. अपनी हेल्थ का पूरा ध्यान रखता हूँ इसलिए मैं अभी भी तीस - बत्तीस साल से बड़ा नहीं दिखाई देता. मेरी पत्नी भी नौकरी करती है. वो एक फैक्ट्री में मेनेजर है और सवेरे बहुत जल्दी चली जाती है. मैं अपनी स्कुल की छात्राओं में विशेष रूप से काफी लोकप्रिय हूँ.. लगभग हर छात्रा दिन भर मुझसे कुछ ना कुछ पूछने के बहाने स्टाफ रूम में या कहीं भी मिलने आती रहती हैं. मैं भी उन्हें हर तरह से मदद करता हूँ और इसी बहाने उन्हें काफी करीब से देख भी लेता हूँ. कुछ लडकीयाँ तो बहुत ही खुबसूरत हैं. कुछ लडकीयों का शारीरिक विकास बहुत अच्छा हुआ है. ऐसी लगभग पांच छः लड़कियाँ है. ऐसी ही एक लडकी है - साधना. साधना को देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो बारहवीं में हैं. वो सत्रह साल की होने के बावजूद बीस बाईस साल की लगती है. उसके सीने का विकास किसी विवाहिता स्त्री से कम नहीं हुआ है. मैं अक्सर उसके उभारों को बहुत ललचाई नजरों से देखता हूँ. जब भी वो मुझसे मिलने आती है मैं यह कोशिश करता हूँ की स्कूल की युनिफोर्म की सफ़ेद कुर्ती का कोई बट्टन खुला हो और मुझे कुछ देखने को मिल जाय. साधना भी कई बार यह कोशिश करती कि किसी तरह वो मेरे नजदीक खड़ी रहे और मुझे वो छू ले. मैं भी यही कोशिश करता रहता हूँ.
हाफ ईअरली परीक्षाएं नज़दीक थी. लडकीयाँ लगातार कुछ ना कुछ पूछने के लिए आने लगी थी. कुछ लड्केयाँ घर पर भी आने लगी. एक दिन साधना सवेरे मेरे घर आई. मैं घर के बाहर बगीचे में एक कुर्सी पर बैठा था. मैंने टी शर्ट और हाफ पैंट पहन रखा था. साधना ने ढीला कुरता और जींस पहन राखी थी. साधना आकर मेरे सामने बैठ गई. मैं उसे समझाने लगा. साधना के कुरते के सरे बटन खुले थे. मैंने ध्यान से देखा. उसने कुरते के अन्दर कुछ नहीं पहन रखा था और उसकी उभरे हुए स्तन इधर उधर हिल रहे थे. कभी कभी वो कुछ ऐसी स्थिति में आ जाते कि मुझे साफ़ दिखाई दे जाते. मैं पूरा आनंद ले रहा था. साधना को भी इस बात का अहसास हो गया. वो थोडा और झुक गई. अब उसके कुरते का खुला हुआ हिस्सा पूरी तरह मेरे सामने था. मैं उसके उभार देखकर हैरान रह गया. मैंने मन ही मन सोचा इसकी कप साइज़ जरुर सी प्लस होगी. जब भी वो हिलते मेरा दिल अजीब तरह की तरंगों से भर जाता. जब साधना रवाना हुई तो उसने एक शरारत भरी नजर मुझ पर डाली और बोली " सर, जितना अच्छा आपको लगा उतना ही अच्छा मुझे भी लगा. मैं कल फिर आऊंगी." मैं मन ही मन कल के लिए योजना बनाने लगा.
अगले दिन साधना सवेरे आ गई. मेरी पत्नी जा चुकी थी. साधना ने स्लीव लेस टी शर्ट पहन राखी थी जिसका गला बहुत नीचे तक खुला था. उसके उभार आज बहुत ही साफ़ दिखाई दे रहे थे. नीचे उसने घुटनों तक का जींस पहन रखी थी. उसकी गठीली टांगें भी गजब ढा रही थी. हम दोनों कमरे में अकेले ही थे. उसने कुछ सवाल पूछे मैंने उसे समझा दिया. साधना अपनी नोट बुक में कुछ लिखने लगी. जैसे ही वो झुकी उसके उभार और भी खुलकर दिखने लगे. मैं भी उसे देखने लगा और वो भी नजरें चुरा चुराकर मेरी तरफ देखने लगी. अचानक हम दोनों की नजरें मिल गई. हम दोनों एक बार तो झेंपे लेकिन अगले ही पल साधना फिर मुझे टकटकी नजरों से देखने लगी. मैंने उसे कहा " तुम ऐसे कपडे क्यूँ पहनकर आई?" साधना बोली " मुझे अच्छा लगता है और आपको भी तो अच्छा लगता है ना!" इतना कहकर वो मुस्कुराने लगी. वो अपनी जगह से उठी और मेरे करीब आकर खड़ी हो गई. उसने मेरी तरफ देखा और बोली " सर; " मैंने उसे जैसे ही दूर रहने का इशारा किया उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने स्तनों पर रख दिया और जोर से दबा दिया. मुझे तो अच्छा लगा ही लेकिन उसके मुंह से एक आह निकल गई. मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया. साधना ने भी मुझे कसकर पकड़ लिया. अब मैंने उसके दोनों गालों को अपने हाथों से पकड़ा और उसके गालों को चूम लिया. उसके मुंह से एक और आह निकल गई. उसने मेरी टी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए. मैंने तुरंत अपनी टी शर्ट उतारी और उसके टी शर्ट को भी खोल दिया. मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले आया. मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके स्तनों को धड़कता देखने लगा. वे मुझे पागल कर रहे थे. तभी साधना ने मेरी हाफ पैंट को खींच कर खोल दिया और इसके बाद उसने अपनी जींस भी खोल दी. मैंने जब उसकी जांघें और नंगी टांगें देखि तो मेरे होश उड़ गए. उसने अपने दोनों हाथ मेरी तरफ फैला दिए. मैं तुरंत उस पर लेट गया. अब हमारा दोनों का नग्न जिस्म आपस में मिल गया था और साँसें तेज तेज चलने लगी. मैं साधना को गालों और गले के नीचे चूमने लगा. साधना भी मुझे उसी तरह चूमने लगी. मैंने जैसा सोचा था साधना उससे कहीं ज्यादा गरम निकली. लगभग एक घंटे तक उसने मुझे नहीं छोड़ा. आखिर में कॉलेज का वक्त नजदीक आता देखा मैंने उसे अपने से बड़ी मुश्किल से अलग किया. सारे दिन कॉलेज में हम दोनों नजरें बचाकर एक दूजे को देखते रहे और मुस्कुराते रहे.
लेकिन यह घटना मेरे चारों ओर एक ऐसा चक्रव्यूह बना देगी मैंने नहीं सोचा था. साधना अगले दिन फिर आई. आज भी हम दोनों बीते हुए कल की तरह फिर करीब आधा घंटा साथ लेटे. वो इस तरह से लगातार चार दिन तक आती रही. एक दिन जब वो आई और हम दोनों बिस्तर में थे तो उसने अचानक ही अपनी पैंटी खोल दी और मेरी अंडर वेअर भी खींच कर खोल दी. उसने फिर अपने पर्स से एक कंडोम निकाला और मुझे दे दिया. मैंने अब यह मौका गंवाना ठीक नहीं समझा. हम दोनों पूरी तरह से निर्वस्त्र एक दूसरे से चिपट गए. मैं साधना पर लेट गया. मैंने साधना के साथ उस दिन पहली बार संभोग किया. साधना के मुंह से पहली बार बहुत जोर से आहें निकली लेकिन फिर बाद में वो मुझ पर हावी हो गई. साधना अब मुझ पर लेती हुई थी और साडी हलचलें वो ही कर रही थी. पुरे एक घंटे के बाद भी वो नहीं थकी और मुझसे पूरा मजा लेती रही.
दो दिन साधना कॉलेज नहीं आई. मैं थोडा डरा. ऐसा लगा कि इस बात का किसी को पता तो नहीं चल गया है. लेकिन वो अगले दिन लौट आई तो मैंने रहत की सांस ली. अगले दिन कुछ लड़के लडकीयाँ मेरे घर पढने आये हुए थे. तभी साधना भी आ गई. उसके साथ और दो लडकीयाँ मैरी और हरप्रीत थी. उनको भी मैंने सभी के साथ पढ़ना शुरू किया. लगभग एक घंटे के बाद एक एक कर सभी रवाना होने लगे. लेकिन साधना उन दोनों के साथ यह कहकर रुक गई की उन्हें और कुछ भी पूछना है. सब के जाने के बाद मैंने उन तीनो के सवालों को समझाना शुरू कर दिया. मैं पानी पीने के लिए जब रसोई में गया तो साधना मेरे पीछे आ गई. उसने पीछे से मुझे बाहों में भर लिया और बोली " सर, आज भी मैं तैयार हूँ." मैंने चौंकते हुए कहा " पागल मत बनो. एक तो दो दो लडकीयों को साथ लेकर आई हो और ऊपर से कह रही हो तैयार हो?" साधना अब मेरे सामने आ गई. अब मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा. वो बोली " मेर्री और हरप्रीत को भी मैंने सब बताया है. वे भी हमारे साथ रहेगी." मैं सकते में आ गया. ये क्या मुसीबत पैदा हो गई. मेरे चेहरे पर तनाव छा गया. साधना ने बेफिक्री से कहा " आप बिलकुल मत घबराइये सर. कुछ भी नहीं होगा." साधना मेर्री और हरप्रीत को लेकर मेरे बेडरूम में आ गई. साधना ने मैरी के टी शर्ट को खोला और मुझे उसकी ब्रा दिखाते हुए बोली " सर ये भी आपसे ....." मैंने देखा मैरी का रंग साधना से भी ज्यादा गोरा है. उसके स्तन जरुरु साधना जितने विकसित नहीं हुए थे लेकिन उसका आकार छोटा होने के बावजूद सेक्सी लग रहे थे. उसकी सफ़ेद रंग की ब्रा में से उसके स्तनों को देखते ही मैं मुस्कुराया. सह्दना ने मेरी के स्तनों को छुआ. मेरी तड़प उठी. अब साधना ने हरप्रीत की कमीज उतार दी. हरप्रीत के स्तन साधना से थोड़े ही छोटे थे लेकिन उसके गुलाबी रंग ने मुझे दीवाना बना दिया था. उन तीनों ने अब अपने आप को केवल ब्रा और पैंटी तक ही रख लिया था. साधना आगे आई तो मैंने भी अपने सरे कपडे उतारे केवल अंडर वेअर रखा. साधना ने मुझे जैसे ही अपने से लिपटाया मेरी और हरप्रीत के जिस्मो में एक अलग तरह की हरकत होने लगी. साधना और मैंने जब एक दूसरे के होठों को चूमा तो मेरी ने हरप्रीत को कसकर पकड़ लिया. मैंने हरप्रीत का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ बुला लिया. साधना ने मैरी को अपनी तरफ बुलाया. अब मेरे सामने साधना थी, बायीं ओर मैरी तथा दायीं ओर हरप्रीत. इन मैंने अपने दोनों हाथो को फैलाया और मैरी तथा हरप्रीत को साधना के साथ अपने से लिपटा लिया. एक साथ तीन तीन कच्ची कलियाँ मेरी बाहों में थी. मैंने साधना के बाद हरप्रीत और मैरी को भी चूमना शुरू किया. उन दोनों ने भी मुझे चूमा. एक वक्त ऐसा भी आया जब हम सभी एक दूसरे को चूम रहे थे. तभी साधना ने फोर वे किस करने के लिए कहा. हम सभी के होंठ एक दूसरे से सट गए और फिर हम सभी एक साथ रस पान किया. मैंने एक एक कर तीनों की पैंटीज पर हाथ रखा तो तीनो की गीली हो चुकी थी. अब सभी अपनी अपनी चरम सीमा पर थी. साधना ने एक बार फिर मुझे कंडोम थमा दिया. मैंने साधना के जननांग में अपना कंडोम लगा हुआ लिंग धकेल दिया. आज हम दोनों को ही जबरदस्त आनंद आ रहा था. साधना को बहुत ही गुदगुदी हो रही थी. मैरी और हरप्रीत एक दूसरे से सट कर बैठी हुई हम दोनों को संभोग करता देख रही थी. लेकिन वे दोनों हिम्मत नहीं जुटा पाई..लगभग एक घंटे के बाद तीनों लौट गई .
परीक्षाएं शुरू हो गई थी. मेरा उन तीनो से मिलाना नहीं हो पा रहा था, मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग की राह देख रहा था. दस दिन के बाद परीक्षाएं ख़त्म हुई. साधना अगले ही दिन दोपहर में उन दोनों के साथ मेरे घर आ गई. साधना ने आते ही कहा कि आज ये दोनों भी तैयार होकर आई है. हम चारों बेडरूम में आ गए. मैंने उन तीनो के कपडे उतार दिए. फिर तीनों ने मिलकर मेरे सारे कपडे उतार दिए. साधना ने मेरे लिंग पर कंडोम लगा दिया. फिर साधना सबसे पहले गद्दे पर लेट गई. मैं उस पर लेट गया और उसकी टांगों को को मैंने अपने हाथों की मदद से फैला दिया और अपना गुप्तांग उसके जननांग में एक झटके से ठूंस दिया. साधना की एक जोर से चीख निकल गई. लेकिन वो मुझसे चिपटी रही. मैंने उसके जननांग को अपने गुप्तांग से लगभग एक घंटे तक अन्दर बाहर कर के खूब रगडा और पूरा पूरा मजा लिया. साधना तो पूरी तरह से मदहोश होकर मजा लेटो रही और आहें भर भर कर अपनी दोनों सहेलियों को भी उत्साहित करती रही. लेकिन मैरी और हरप्रीत हिम्मत नहीं जुटा पाई. साधना संतुष्ट होकर और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन देकर उन दोनों को लेकर चली गई. एक बार फिर मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग नहीं कर सका.
दो दिन के बाद एक बार फिर साधना मैरी और हरप्रीत के साथ आई. आज मैरी ने अपने कपडे उतारे और पलंग पर लेटते हुए कहा " सर आज मैं तैयार हूँ." मैं खुश हो गया. मैंने तुरंत साधना से कंडोम लिया और मैरी से लिपट गया. मैरी ने मरे घबराहट के मुझे जोर से पकड़ लिया. मैंने उसके जननांग के दरवाजे को अपने लिंग से खोल दिया. उसकी आह और चीख एक साथ निकली.लेकिन अगले दो मिनट के बाद वो पूरी तरह से सामने होकर मुझसे अपनी प्यास बुझवा रही थी. हरप्रीत बहुत गौर से यह सब देख रही थी क्यूंकि अगला नंबर उसका था. उसके साधना को पकड़ रखा था और बार बार उससे चिपट रही थी. जब मैरी ने और आगे करवाने में अपनी मजबूरी जताई तो मैंने उसे छोड़ दिया. अब मैंने हरप्रीत को ले लिया. हरप्रीत थोड़ी मजबूत निकली. मैरी केवल दस मिनट के बाद ही अपनी हार मान चुकी थी जबकि हरप्रीत ने पूरे आधे घंटे तक अपने जननांग को मेरे लिंग से खूब रगड़वाया और भरपूर मजा लिया. आखिर में साधना ने भी मुझे पकड़ा. अब मेरी हालत थोड़ी पतली हो रही थी. लेकिन साधना की जिद के आगे मैं मजबूर था. साधना आज तीसरी बार मेरे साथ थी,. मैंने रुकते ठहरते साधना के जननांग को पूरे पौने घंटे तक रगड़ कर और अन्दर बाहर करकर पूरी तरह से लाल कर दिया.
जब तीनों रवाना होने लगी तो साधना ने फोर वे किस करने को कहा. हम सभी ने इस किस को जबरदस्त मजे से किया.
अब जब भी समय और मौका मिलाता है ये तीनो एक साथ ही मुझसे इस ट्यूशन के लिए आ जाती है और घंटों तक रुककर अपनी और मेरी सारी प्यास बुझा जाती है. आप भी ऐसी ट्यूशन करिए खूब मजा आयेगा.
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