FUN-MAZA-MASTI
मान मर्यादा--1
मेरा नाम प्रतिभा है. मेरी उम्र ४२ साल की है. कई बरसों से मैं
"मान मर्यादा" में रहती हूँ. मान मर्यादा हमारे महल का नाम है.
मेरे सामने ज़माना ही बदल गया. मुझे याद है जब मैं १९ साल की थी और मेरा परिवार पदमपुर, राजस्थान में रहता था. मेरे घर में मेरी माँ रुकमनी उम्र ३८ साल और भाई विक्की है जिसकी उम्र १८ साल है.
मेरे पिता जी गोपाल पंडित हम को छोड़ केर चले गए थे जब मैं कुल १० साल की थी. पिता जी एक मंदिर में पुजारी का काम करते था और एक दिन किस्सी आमिर विधवा के साथ शहर छोड़ कर भाग गए. सुना था की वो विधवा बहुत चुदकड़ और चालू थी और मेरी माँ बिलकुल सीढ़ी सधी औरत थी. रुकमनी देवी देखने में खुबसूरत, गोरी चिट्टी, गदराया बदन, मोटे चुतद, भरी बूब्स और कस्सी हुई जांघें. लोग कहते हैं के मैं अपनी माँ पर गयी हूँ. मैं १९ साल की जवान लड़की थी, कद ५ फीट ६ इंच, रंग गोरा, बूब्स मीडियम साइज़ और गहरे काले निप्प्लेस. मेरे चुतद सुदोल और जांघें कस्सी हुई है।
मेरे जीवन में सब से पहले हंगामा उस वक्त मचा जब मेरे अधियापक ने मुझे चोद डाला. चुदाई का अनुभव मज़ेदार था बेशक मुझे चुदाई के बारे में कुछ न पता था. मैं उस वक्त ९थ क्लास में पढ़ती थी.
फिर उसके साथ चुदाई का दौर लगातार चलने लगा और एक दिन मुझे मेरी माँ ने रंगे हाथ पकड़ लिया. तेअचेर की छुट्टी हो गयी और मेरी छूट बिना लुंड के रह गयी. मुझे लुंड की आदत पद चुकी थी और बिना चुदाई के मेरी ज़िन्दगी नीरस बन गयी. तभी गंगा नगर से एक शाही घराने से मुझे रिश्ता आया. असल में एक दी एक हन्द्सोमे लड़के से मेरी टक्कर हो गयी और बाज़ार में भीड़ होने की वजह से उसके हाथ मेरी गांड पर लगे और मैंने मुद के देखा तो एक ६ फीट लम्बा अक्कार्शक नौजवान खड़ा था. मैं मुस्कुरा पड़ी और कुछ दिन के बाद और उसकी माँ, यानी मेरी सासू माँ रिश्ता ले कर हमारे घर चली आई. हम एससी बात के लिए तेयार नहीं थे. लेकिन इतने आमिर परिवार का रिश्ता हम ने कभी सपने में भी न सोचा था. हम लोगों ने बिना कुछ पुच्छे रिश्ता सवीकार कर लिया. मेरी सासू माँ उमा देवी गज़ब की सुन्दर औरत थी. दिखने में खुबसूरत, रेशमी साड़ी पहने वो मेरे पास ई और मुझे अपने गले से लगा कर बोली," मुझे मेरी बहु मिल गयी है, बहुत सुन्दर हो, मेरा बेटा सूरज, तुझे देख कर खुश हो गया है. अज से तू हमरे महल में ही रहे गी, अज से तू मेरी बहु है, किस्सी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे कहना मेरी बहु,"
मेरे मन में बहुत सी उमंगें उमड़ रही थी. मेरी शादी की तेय्यारियन शुरू हो गयी और बस एक ही हफ्ते में मेरी शादी हो जाएगी और मैं अपने ससुराल चली जावून गी. शादी के दो दिन पेल्हे की बात है. रात होने वाली थी और बरसात ज़ोरों से हो रही थी. घर में मैं और विक्की अकेले ही थे. बारिश मेरे जिस्म को भिगोने लगी और पानी से मेरे कपरे गीले हो चुके था. मेरी मलमल की कुर्ती मेरी चुचिओं के साथ चिपक चुकी थी और मैंने ब्रा भी न पहनी थी. मेरे चुचक उभर गए थे और जब मैंने अपने चुचाकों को हाथ से रगडा तो मेरे अन्दर चुदाई की इच्छा जोर पकड़ने लगी. मेरी छुट से पानी बहने लगा. मेरी छूट को दो दिन बाद लुंड नसीब होने वाला था लेकिन मुझे लुंड अभी उस्सी वक्त चाहिए था. मैं चुदाई की आग में जलने लगी. मैं चुद्वाती भी तो किस से चुद्वाती. मैंने अपनी पजमि उत्तर दी और कुर्ती को भी उत्तर फेंका. तोवेल के साथ अपने जिस्म को पोंछती हुई मैं विक्की के कमरे से गुज़र रही थी तो मेरी नज़र उसके कमरे के अन्दर पद गयी.
विक्की अपने पलंग पर सो रहा था और उसकी जिस्म छाती से उप्पेर नंगा
था और नीचे का हिस्सा चादर से ढाका हुआ था. उसकी छाती पर घने काले बल थे जो की मेरी काम अग्नि को और भी भड़का रहे थे. मेरे सामने एक जवान पुरुष का जिस्म था लेकिन वो मेरा सगा भाई था. कमरे में रौशनी मद्धम थी. मैं कमरे में दाखिल हुई तो मेरी नज़र उसकी चादर पर पड़ी. विक्की के शारीर के बीच वाले हिस्से से चादर उप्पेर को उठी हुई थी. ये ज़रूर उसका लुंड ही होगा जो की एकदम तिघ्त हो कर खड़ा था. चादर में बना हुआ तम्बू मुझे उतेजित करने के लिए काफी था. उसका लुंड कभी उठता और कभी बैठता था.
शायद मेरा भाई सपने में किस्सी को छोड़ रहा था. मेरी छूट इतनी चुदासी होगई के मुझे ये सोचने की शक्ति न रही के जिस के बारे में मैं सोच रही थी वो मेरा सगा भाई है. मेरा जिस्म अभी भी भीगा हुआ था और मेरी चुचियन कामुकता के कारन कड़ी हो केर कड़ी हो रही थी. अब मुझे लुंड की ज़रूरत इतनी थी की मैं किस्सी भी लुंड को अपनी छोट में ले सकती थी चाहे वो किस्सी का भी किओं न हो. हवास अंधी होती है.
मेरे हाथ कंप रहे थे जब मैं विक्की के बेद की तरफ बढ़ी. मेरे मादक चुतद ठुमक ठुमक कर रहे थे जब मैं उसके पलंग पैर जा बैठी. विक्की की सांसें तेज़ी से चल रही थी और मेरे मुहं से टकरा रही थी. मेरी गरम सांसें अब मेरे भाई के सीने से टकराने लगी किओं के मैं उसकी छाती पर झुक गयी थी. मैंने अपना कंपता हुआ हाथ पाने भाई के सीने पर रख दिया. वो सीधा हो कर लेता रहा. बहार बारिश और तेज़ी से बरसाने लगी. अब मेरी नज़र भाई के लुंड पर टिकी हुई थी.
मैंने अपनी वासना से मजबूर हो केर अपना हाथ भाई के खड़े लुंड पर रख दिया. भाई सोता रहा और मैंने चादर उसके जिस्म से अलग कर डाली और उसके कम से कम ८ इंच के गरम लुंड को अपनी मुठ में ले लिया. उसका लुंड देहाक्रह था. काले बालों के बीच उसका लुंड किस्सी जानवर की तरह सर उठा केर खड़ा था. उसके लुंड की आंख से प्रे कम की बूँद निकल कर बहने लगी. मेरे मुह में पानी आने लगा. काश ये मस्त लुंड अज मेरी छूट को तृप्त कर डाले! मेरा हाथ उसके मस्त्लौदे पैर टेरने लगा और मैंने उसका सुपदा अपनी हथेली में ले लिया.
मैं भाई के लुंड को उप्पेर नीचे कर रही थी और फिर अचानक भाई की नींद खुल गयी और वो एक झटके के साथ उठ बैठा. विक्की बिलकुल नंगा हो कर सो रहा था. हफर तफरी में उसका हाथ मेरी चुचिओं से जा टकराया और मेरी अहह निकल गयी. उसकी समझ में नहीं आया की ये सपना है या हकीकत. लेकिन जब उसने मेरी गरम चूची को अपने हाथ में पाया तो बोखला केर बोला" दीदी तुम यहाँ काया कर रही हो. तुम को यहाँ नहीं आना चाहिए था. और तेरे कपडे कहाँ है? अब तुम कोई बची नहीं हो. दो दिन में तेरी शादी होने वाली है. चल कपरे पहन केर सो जयो," उसका लुंड और भी ज़यादा कड़क हो चूका था मेरे हाथ का स्पर्श प् कर. मैंने उसके लुंड को छोड़े बिना ही कहा," विक्की भैया, मैं बची नहीं रही हूँ इस्सी लिए तो नींद नहीं आ रही. मेरे बदन में आग लगी हुई है. एक तड़प मुझे सोने नहीं दे रही है. मेरे जिस्म को एक मर्द की ज़रूरत है, मेरे भाई, इस्सी लिए तो मैंने कपडे भी नहीं पहने हिये हैं, मुझे तुम ही बतायो के मैं किया करूँ इस आग को बुझाने के लिए?"
विक्की भी आखिर जवान मर्द था और उसके उप्पेर से उसका हाथ मेरी गरम चूची को छू कर और भी मस्त हो चूका था. मैं उसके सीने पर झुक कर उसके सीने को चूमने लग गयी. उसके निप्प्लेस को किस करने लगी. भाई की सांस और भी मुश्किल से चलने लग पड़ी. लेकिन शायद उसकी आत्मा की आवाज़ ने उसके ज़मीर को झिझोद दिया और वो लचर हो कर बोला," प्रतिभा, तुम मेरी बहिन हो और वो भी सगी, हम को ये सब करना पाप है. बस दो दिन की बात है फिर तुम अपने पति के साथ जो जी में ए कर लेना, अब तुम जयो मेरी बहना, एस्सा न हो के हम कोई पाप कर लें."
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मान मर्यादा--1
मेरा नाम प्रतिभा है. मेरी उम्र ४२ साल की है. कई बरसों से मैं
"मान मर्यादा" में रहती हूँ. मान मर्यादा हमारे महल का नाम है.
मेरे सामने ज़माना ही बदल गया. मुझे याद है जब मैं १९ साल की थी और मेरा परिवार पदमपुर, राजस्थान में रहता था. मेरे घर में मेरी माँ रुकमनी उम्र ३८ साल और भाई विक्की है जिसकी उम्र १८ साल है.
मेरे पिता जी गोपाल पंडित हम को छोड़ केर चले गए थे जब मैं कुल १० साल की थी. पिता जी एक मंदिर में पुजारी का काम करते था और एक दिन किस्सी आमिर विधवा के साथ शहर छोड़ कर भाग गए. सुना था की वो विधवा बहुत चुदकड़ और चालू थी और मेरी माँ बिलकुल सीढ़ी सधी औरत थी. रुकमनी देवी देखने में खुबसूरत, गोरी चिट्टी, गदराया बदन, मोटे चुतद, भरी बूब्स और कस्सी हुई जांघें. लोग कहते हैं के मैं अपनी माँ पर गयी हूँ. मैं १९ साल की जवान लड़की थी, कद ५ फीट ६ इंच, रंग गोरा, बूब्स मीडियम साइज़ और गहरे काले निप्प्लेस. मेरे चुतद सुदोल और जांघें कस्सी हुई है।
मेरे जीवन में सब से पहले हंगामा उस वक्त मचा जब मेरे अधियापक ने मुझे चोद डाला. चुदाई का अनुभव मज़ेदार था बेशक मुझे चुदाई के बारे में कुछ न पता था. मैं उस वक्त ९थ क्लास में पढ़ती थी.
फिर उसके साथ चुदाई का दौर लगातार चलने लगा और एक दिन मुझे मेरी माँ ने रंगे हाथ पकड़ लिया. तेअचेर की छुट्टी हो गयी और मेरी छूट बिना लुंड के रह गयी. मुझे लुंड की आदत पद चुकी थी और बिना चुदाई के मेरी ज़िन्दगी नीरस बन गयी. तभी गंगा नगर से एक शाही घराने से मुझे रिश्ता आया. असल में एक दी एक हन्द्सोमे लड़के से मेरी टक्कर हो गयी और बाज़ार में भीड़ होने की वजह से उसके हाथ मेरी गांड पर लगे और मैंने मुद के देखा तो एक ६ फीट लम्बा अक्कार्शक नौजवान खड़ा था. मैं मुस्कुरा पड़ी और कुछ दिन के बाद और उसकी माँ, यानी मेरी सासू माँ रिश्ता ले कर हमारे घर चली आई. हम एससी बात के लिए तेयार नहीं थे. लेकिन इतने आमिर परिवार का रिश्ता हम ने कभी सपने में भी न सोचा था. हम लोगों ने बिना कुछ पुच्छे रिश्ता सवीकार कर लिया. मेरी सासू माँ उमा देवी गज़ब की सुन्दर औरत थी. दिखने में खुबसूरत, रेशमी साड़ी पहने वो मेरे पास ई और मुझे अपने गले से लगा कर बोली," मुझे मेरी बहु मिल गयी है, बहुत सुन्दर हो, मेरा बेटा सूरज, तुझे देख कर खुश हो गया है. अज से तू हमरे महल में ही रहे गी, अज से तू मेरी बहु है, किस्सी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे कहना मेरी बहु,"
मेरे मन में बहुत सी उमंगें उमड़ रही थी. मेरी शादी की तेय्यारियन शुरू हो गयी और बस एक ही हफ्ते में मेरी शादी हो जाएगी और मैं अपने ससुराल चली जावून गी. शादी के दो दिन पेल्हे की बात है. रात होने वाली थी और बरसात ज़ोरों से हो रही थी. घर में मैं और विक्की अकेले ही थे. बारिश मेरे जिस्म को भिगोने लगी और पानी से मेरे कपरे गीले हो चुके था. मेरी मलमल की कुर्ती मेरी चुचिओं के साथ चिपक चुकी थी और मैंने ब्रा भी न पहनी थी. मेरे चुचक उभर गए थे और जब मैंने अपने चुचाकों को हाथ से रगडा तो मेरे अन्दर चुदाई की इच्छा जोर पकड़ने लगी. मेरी छुट से पानी बहने लगा. मेरी छूट को दो दिन बाद लुंड नसीब होने वाला था लेकिन मुझे लुंड अभी उस्सी वक्त चाहिए था. मैं चुदाई की आग में जलने लगी. मैं चुद्वाती भी तो किस से चुद्वाती. मैंने अपनी पजमि उत्तर दी और कुर्ती को भी उत्तर फेंका. तोवेल के साथ अपने जिस्म को पोंछती हुई मैं विक्की के कमरे से गुज़र रही थी तो मेरी नज़र उसके कमरे के अन्दर पद गयी.
विक्की अपने पलंग पर सो रहा था और उसकी जिस्म छाती से उप्पेर नंगा
था और नीचे का हिस्सा चादर से ढाका हुआ था. उसकी छाती पर घने काले बल थे जो की मेरी काम अग्नि को और भी भड़का रहे थे. मेरे सामने एक जवान पुरुष का जिस्म था लेकिन वो मेरा सगा भाई था. कमरे में रौशनी मद्धम थी. मैं कमरे में दाखिल हुई तो मेरी नज़र उसकी चादर पर पड़ी. विक्की के शारीर के बीच वाले हिस्से से चादर उप्पेर को उठी हुई थी. ये ज़रूर उसका लुंड ही होगा जो की एकदम तिघ्त हो कर खड़ा था. चादर में बना हुआ तम्बू मुझे उतेजित करने के लिए काफी था. उसका लुंड कभी उठता और कभी बैठता था.
शायद मेरा भाई सपने में किस्सी को छोड़ रहा था. मेरी छूट इतनी चुदासी होगई के मुझे ये सोचने की शक्ति न रही के जिस के बारे में मैं सोच रही थी वो मेरा सगा भाई है. मेरा जिस्म अभी भी भीगा हुआ था और मेरी चुचियन कामुकता के कारन कड़ी हो केर कड़ी हो रही थी. अब मुझे लुंड की ज़रूरत इतनी थी की मैं किस्सी भी लुंड को अपनी छोट में ले सकती थी चाहे वो किस्सी का भी किओं न हो. हवास अंधी होती है.
मेरे हाथ कंप रहे थे जब मैं विक्की के बेद की तरफ बढ़ी. मेरे मादक चुतद ठुमक ठुमक कर रहे थे जब मैं उसके पलंग पैर जा बैठी. विक्की की सांसें तेज़ी से चल रही थी और मेरे मुहं से टकरा रही थी. मेरी गरम सांसें अब मेरे भाई के सीने से टकराने लगी किओं के मैं उसकी छाती पर झुक गयी थी. मैंने अपना कंपता हुआ हाथ पाने भाई के सीने पर रख दिया. वो सीधा हो कर लेता रहा. बहार बारिश और तेज़ी से बरसाने लगी. अब मेरी नज़र भाई के लुंड पर टिकी हुई थी.
मैंने अपनी वासना से मजबूर हो केर अपना हाथ भाई के खड़े लुंड पर रख दिया. भाई सोता रहा और मैंने चादर उसके जिस्म से अलग कर डाली और उसके कम से कम ८ इंच के गरम लुंड को अपनी मुठ में ले लिया. उसका लुंड देहाक्रह था. काले बालों के बीच उसका लुंड किस्सी जानवर की तरह सर उठा केर खड़ा था. उसके लुंड की आंख से प्रे कम की बूँद निकल कर बहने लगी. मेरे मुह में पानी आने लगा. काश ये मस्त लुंड अज मेरी छूट को तृप्त कर डाले! मेरा हाथ उसके मस्त्लौदे पैर टेरने लगा और मैंने उसका सुपदा अपनी हथेली में ले लिया.
मैं भाई के लुंड को उप्पेर नीचे कर रही थी और फिर अचानक भाई की नींद खुल गयी और वो एक झटके के साथ उठ बैठा. विक्की बिलकुल नंगा हो कर सो रहा था. हफर तफरी में उसका हाथ मेरी चुचिओं से जा टकराया और मेरी अहह निकल गयी. उसकी समझ में नहीं आया की ये सपना है या हकीकत. लेकिन जब उसने मेरी गरम चूची को अपने हाथ में पाया तो बोखला केर बोला" दीदी तुम यहाँ काया कर रही हो. तुम को यहाँ नहीं आना चाहिए था. और तेरे कपडे कहाँ है? अब तुम कोई बची नहीं हो. दो दिन में तेरी शादी होने वाली है. चल कपरे पहन केर सो जयो," उसका लुंड और भी ज़यादा कड़क हो चूका था मेरे हाथ का स्पर्श प् कर. मैंने उसके लुंड को छोड़े बिना ही कहा," विक्की भैया, मैं बची नहीं रही हूँ इस्सी लिए तो नींद नहीं आ रही. मेरे बदन में आग लगी हुई है. एक तड़प मुझे सोने नहीं दे रही है. मेरे जिस्म को एक मर्द की ज़रूरत है, मेरे भाई, इस्सी लिए तो मैंने कपडे भी नहीं पहने हिये हैं, मुझे तुम ही बतायो के मैं किया करूँ इस आग को बुझाने के लिए?"
विक्की भी आखिर जवान मर्द था और उसके उप्पेर से उसका हाथ मेरी गरम चूची को छू कर और भी मस्त हो चूका था. मैं उसके सीने पर झुक कर उसके सीने को चूमने लग गयी. उसके निप्प्लेस को किस करने लगी. भाई की सांस और भी मुश्किल से चलने लग पड़ी. लेकिन शायद उसकी आत्मा की आवाज़ ने उसके ज़मीर को झिझोद दिया और वो लचर हो कर बोला," प्रतिभा, तुम मेरी बहिन हो और वो भी सगी, हम को ये सब करना पाप है. बस दो दिन की बात है फिर तुम अपने पति के साथ जो जी में ए कर लेना, अब तुम जयो मेरी बहना, एस्सा न हो के हम कोई पाप कर लें."
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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