FUN-MAZA-MASTI
मा बेटियों की चुदाई -1
मेरे ख़याल में स्टूडेंट लाइफ ही सबसे अच्छी लाइफ होती है.
अब तो स्टूडेंट लाइफ ख़तम हो गयी है और बस सिर्फ़ यादें ही यादें है.
हुमारे स्टूडेंट जिंदगी में कई सुनहरे अवसर आए थे और आज मैं आपको एक ऐसे ही सुनहरे अवसर की कहानी बताने जा रहा हूँ. उन दीनो मैं कॉलेज में पढ़ता था और मेरी उमर करीब 19 साल की थी.
मेरे 19 साल के दरमियाँ मैं कई बार सेक्स का आनंद ले चुका था,लेकिन मैं फिर भी मुझको चुदाई मे एक्सपर्ट नही कहा सकता था.
हुमारे परोस मे एक फॅमिली रहती थी.
उस फॅमिली में चार मेंबर थे, मा,बाप और उनके दो लड़किया.
दोनो लड़किया बहुत ही सुंदर थी और मुझको दोनो बहुत ही सेक्सी लगती थी.
उन दोनो लड़कियो में से एक की उमर करीब मेरे बराबर थी और वो मेरे क्लास में ही पढ़ती थी,और छोटी वाली की उमर करीब 18 थी और वो 11 क्लास में पढ़ती थी.
बड़ी बहन का नाम मीटा था और छ्होटी बहन का नाम नीता था.
दोनो बहने अपने मा की तरह सुंदर और सुंदर थी.
उन दीनो मैं पढ़ाई में थोड़ा ढीला था, और परोस की महिला बहुत ही सुंदर,
स्मार्ट और पढ़ी लिखी थी.
मैं अक्सर अपने पड़ोसी के घर जाकर अपनी पढ़ाई किया करता था.
मुझको परोस की आंटी बहुत प्यार से पढ़ाया करती थी और कभी भी मुझे समझाने में बुरा नही मनती थी.
जन्वरी का महीना आ चुक्का था और हुमारे एग्ज़ॅमिनेशन के लिए अब सिर्फ़ तीन
चार महीने बचे थे.
मैने अपने एग्ज़ॅमिनेशन के लिए तैयारी शुरू कर दी थी.
मेरे परोस की आंटी मेरे पढ़ाई के लगन से बहुत खुश थी और मुझको मन
लगा कर पढ़ाती थी.
मिटा मेरे क्लास मे ही पढ़ती थी और इसलिए आंटी हम दोनों को एक रोज़ करीब 3-4 घंटे साथ साथ पढ़ाती थी.
कभी नीता भी हुमारे साथ साथ पढ़ने बैठती थी.
आंटी बहुत ही अच्छी थी और अपनी बेटी के साथ साथ मुझको भी बहुत मन
लगा कर पढ़ाती थी और मुझे अपने घर का सदस्या मानती थी.
मेरे अंदर अपने आंटी या उनकी बेटी के तरफ कोई सेक्स की भावना नही थी.
मैं उनके घर का ही एक सदस्या था.उनका घर कोई बहुत बड़ा नही था.
सिर्फ़ एक कमरा,किचन और एक हॉल था.
अक्सर हुमलोग बेडरूम मे पलंग पर बैठ कर पढ़ाई किया करते थे.
आंटी हुमेशा मुझको अपने पास ही बैठाती थी और मैं हमेशा आंटी से सवाल किया करता था, क्योंकि मैं पढ़ाई में कुछ ढीला था.
मिटा और नीता मुझको इस बात को लेकर अक्सर चिढ़ती थी लेकिन मैं जब भी कुछ
मदद माँगता तो दोनो बहने कभी ना नही करती थी.
जैसे की हुमलोग साथ साथ पलंग पर पैर मोड़ कर बैठकर एक दूसरे के बगल में पढ़ते थे, मैं जब भी कुछ पूछता तो आंटी झट किताब उठा कर अपने
गोद मे ले लेती थी और मुझे समझाती थी.
आंटी जब भी किताब अपनी गोद में लेती थी मेरा हाथ भी साथ साथ
आंटी के गोद मे चला जाता था और मेरे हाथ उनकी जाँघो के अंदर से चूत के
पास छू जाता था.
मुझे अपने हाथ में आंटी की चूत की गर्मी महसूस हो जाती थी.
आप विश्वास करो या ना करो, आंटी की चूत से बहुत गर्मी निकलती थी और वो गर्मी मुझे किसी रूम हीटर से ज़्यादा महसूस होती थी.
आंटी बहुत ही गोरी थी और हमेशा घर में वो स्लीव्ले कमीज़ और सलवार
बिना दुपट्टा के पहनती थी.
आंटी की चुचियो का साइज़ अच्छा था और बहुत गोल गोल थी,
लेकिन थोरा सा लटका हुआ था सायड अंकल कुछ ज़्यादा ही आंटी की चुचियो से खेलते थे.
पढ़ते वक़्त कभी कभी मेरा हाथ या कोहनी आंटी की चुचियो से छू जाती थी.
उनकी चुचिया बहुत ही मुलायम थी और मेरे हाथ या कोहनी च्छुने से आंटी
कभी भी बुरा नही मानती थी,बस थोड़ा सा मुस्कुरा देती थी.
मैं भी इन बातों का ज़्यादा ध्यान नही देता था क्योंकि मेरे मन में तब कोई पाप नही था और मैं सोचता था शायद आंटी भी कुछ नही मानती.
कभी कभी आंटी पीछे से झुककर मैं क्या सवाल कर रहा हूँ देखती और उस
वक़्त उनकी चूंचिया मेरे कंधो पर चुभती थी.
आंटी इन सब हर्कतो को उनकी बेटियाँ भी देखती थी और मुस्कुरा मुस्कुरा कर हँसती थी.
मेरे मन में फिर भी कोई पाप नही था.
अक्सर मैं उनके घर पर रात को पढ़ते पढ़ते रुक जाया करता था.
उन दीनो हम सभी साथ साथ सो जाते थे और मैं अपने अंकल के पास सोता
था.
ऐसे ही एक वक़्त में जब अंकल कोई काम से बाहर गये हुए थे तो आंटी मेरे बगल मे लेट गयी.
रात तो सोते वक़्त उनका चेहरा मेरी तरफ था और मेरा उनकी तरफ.
मैने देखा की आंटी के गाउन के उपर के दोनो बॅटन खुले है और मुझे उनकी दोनो चुचियों के बीच की गहराई सॉफ सॉफ दिख रही थी.
आंटी उस समय काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी और उनके बीच उनकी गोरी गोरी चुचियाँ चमक रही थी.
मैं आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसो दूर थी.
मैं फिर जब अपनी आँखों को खोला तो देखा की आंटी मेरे और पास आ गयी
है और उनके गाउन का एक बटन और खोला हुआ है.
आंटी मेरे इतने पास आ गयी थी की मेरी गरम गरम साँस उनकी चुचि पर गिर रही थी.
ये सब देख कर मैं गरम हो गया और सोचा की क्यों ना कुछ मज़े लिया जाए.
मैने अपना सर तकिया से थोड़ा नीचे किया और अब मेरा मूह आंटी के बड़ी बड़ी
चुचियों के ठीक सामने था.
मेरी नाक आंटी की दोनो चुचियों के बीच वाली खाई के सामने था.
मैं अपनी जीव से आंटी की एक चुचि को हल्के से चाटा,लेकिन आंटी चुप चाप थी.
थोड़ी देर के बाद मुझे आंटी के बगल में सो रही उनकी एक लड़की को नींद में
करवट बदलते देखा और सर उठा कर देखा की वो लड़की आंटी से और सटकार
सो रही है.
मुझे कुछ अचंभा सा हुआ और मैं उल्टी तरफ मूह घुमा कर आंटी की तरफ पीठ करके सो गया.
मैं अपने पीछे फिर से किसी को करवट बदलने की आवाज़ सुना,लेकिन हिम्मत करके घूमकर देखा नही.
थोरी देर के बाद आंटी की नाक बजने लगी.
थोड़ी देर के बाद मैने अपना चेहरा फिर से आंटी के तरफ घुमाया और मुझको
बहुत करारा झटका लगा.
हुमने पहले जो आवाज़े सुनी थी वो आंटी की थी.
मेरे पीछे आंटी बिस्तर से उठकर बैठकर फिर से सो गयी थी.
आंटी ने अब अपनी ब्रा उतार दिया था और उनकी नाइटी के उपरवाले दो बटन खुले हुए थे.
मुझे उनके खुले बटनो के बीच से आंटी की गोल गोल चुचिया दिख रही थी और मुझे लगा की वो सुंदर सुंदर चुचि मुझे बुला रही है.
मुझे लगा की आंटी अब मुझे कुछ इशारा कर रही है और हो सकता है की आंटी को अब वही चाहिए जो मुझको चाहिए.
मैं धीरे से आंटी के नाइटी का तीसरा और चौथा बटन भी खोल दिया और उनकी नाइटी को उनकी चुचि पर से हटा दिया.
नाइटी हटते ही आंटी की दूधिया चुचिया एक दम से बाहर निकल पड़ी.
अब मैं उनकी चुचि को खूब तबीयत से देखा.
उनकी चुचियो के निपल इस समय बिल्कुल तने हुए थे.
निपल के चारो तरफ उनका आरियोल दिख रहा था,जो की बिल्कुल गुलाबी रंग का
था.
मैं धीरे से उनके पास सरक गया और अपनी जीव से आंटी के सिर्फ़ आरियोल के
चारो तरफ चाटने लगा,लेकिन उनकी चुचि को मूह में नही लिया.
मैं करीब पाँच मिनिट्स तक आंटी के चुचि के आरियोल को चॅटा और हाथ से उनकी दूसरी चुचि को सहलाना शुरू किया.
मैं आंटी की दूसरी चुचि के आरियोल के चारो तरफ भी अपना उंगली चला रहा था.
आंटी मेरे तरह और थोड़ा सा खिसक गयी और मेरे मूह के सामने अपना दूसरी चुचि कर दिया.
अब मैं आंटी की बाईं चुचि पर अपना जीव चला रहा था और दाईं चुचि को अपने हाथों से सहला रहा था.
चुचि चटाई करीब 15 मिनिट तक चलती रही और फिर उसके बाद मैं बारी बारी से आंटी की दोनो चुचिया अपने मूह में भरकर चूसना शुरू कर दिया.
अब मेरी आँखों से नीड रफू-चक्कर हो गयी थी और मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स के अंदर बिल्कुल तन गया था और बाहर आने के लिए ज़ोर लगा रहा था.
मैं अपने हाथ और मूह से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अब मैं धीरे से अपना पैर आंटी के चादर के अंदर कर दिया और पैरों से आंटी की नाइटी को धीरे धीरे उठाने लगा.
जैसे जैसे मैं अपने पैरों से आंटी की नाइटी को उपर उठा रहा था,
मुझे अपने पैरों से आंटी का जिस्म छूता रहा.
धीरे धीरे मैं आंटी के घुटने तक उनकी नाइटी को उठा दिया.
अब मैं अपना हाथ नीचे करके आंटी के पैरों को छुआ और सहलाने लगा.
आंटी के पैर बहुत मुलायम और चिकना था.
घुटने से मैं अपने हाथों को धीरे धीरे उपर करने लगा.
आंटी के जंघे बहुत चिकना और मजबूत था.
जैसे जैसे मेरा हाथ उपेर जा रहा था, मुझे आंटी की चूत की गर्मी का
एहसास होने लगा,लेकिन मैं फिर भी उनकी चूत पर अपना हाथ नही ले गया.
मैने अपना हाथ और थोडा उपर ले गया और हाथों से आंटी की झांतों के
बाल का स्पर्श हो गया.
मैं समझ गया की अब मैं आंटी की चूत के बहुत ही करीब हूँ.
मैं धीरे से अपने हाथ को और थोड़ा उपर ले गया और मेरे हाथों से आंटी
की पुर झांतों भारि चूत का स्पर्स हुआ.
मैं आंटी की झांतों को थोड़ी देर तक सहलाने के बाद मैं उनकी चूत की च्छेद को ढूंडना शुरू किया.
मुझे आंटी की चूत पर ढेर सारा चिप चिपा रस लगा मिला.
अब आंटी मेरे और पास खिसक आई और अपना एक पैर को मेरे पैरो के उपर कर
लिया जिससे की मैं उनकी चूत से ठीक तरफ से खेल साकु.
मैने धीरे से अपनी एक उंगली आंटी की चूत के च्छेद मे घुसेड दी और उस समय उनकी चूत इतनी गीली थी की मेरी उंगली बरी आसानी से चूत के अंदर घुस गयी.
मैं ढेरे ढेरे से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा.
मैं अब अपनी दूसरी उंगली आंटी की चूत के अंदर घुसेड दी और मुझे लगा की अभी भी आंटी की चूत मे जगह है और इसलिए मैने अपनी तीसरी उंगली भी चूत में डाल दिया.
अब मैं अपनी तीनो उंगलियो से आंटी की चूत को चोदना चालू कर दिया.
थोड़ी देर के बाद मेरी उंगली और हाथ चूत के पानी से भीग गया.
मैं अपने दूसरे हाथ से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अपने मूह से उनको चूस रहा था.
करीब आधे घंटे तक मैं अपनी उंगलियों से आंटी की चूत को चोद्ता रहा और
फिर मैं थक गया और अपनी उंगलियों को चूत के अंदर डालकर थोड़ा सा
सुसताने लगा लेकिन पता नही कब मेरी आँख लग गयी और मैं सो गया.
जब सुबह मेरी आँख खुली तो सुबह के 4 बजे थे और आंटी मेरे बगल में नही थी.
मेरे बगल में अब मिटा सो रही थी.
मैं आज पहली बार मिटा को गौर से देखा तो पाया की मिटा बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है.
मैं अपने हाथों को सूँघा और उसमे से आंटी की चूत की खुसबू आ रही थी.
तब मैं अपनी उंगलियों को चटा, वा आंटी की चूत का स्वाद भी मीठा है.
मैने अपनी नज़र घुमा कर नीता और आंटी को ढूनदा लेकिन वो दिखलाई नही दिए.
फिर मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं समझ गया की आंटी और नीता बाथरूम में है.
मैं मीता के पास खिसक गया और उसके होंठों पर हल्का चुम्मा दिया.
लेकिन मीता सो रही थी और इसलिए उसके तरफ से कोई जवाब नही मिला.
मैं फिर अपना हाथ धीरे से मिटा की जवान चुचियो पर रखा और हल्के से दबाया.
तभी मैने नीता को बाथरूम से निकलते देखा और जैल्दी से मीता के पास से हट गया..
मुझे आज नीता भी खूबसूरत लग रही थी. मैने नीता से आंटी के बारे में पूछा तो नीता ने बताया की आंटी दूध लेने गयी है.
मैं नीता से बाइ किया और अपने घर वापस चला गया.
मैं अपने कॉलेज से करीब 12 बजे दोपहर तक वापिस आ गया और सीधे आंटी के घर पर चला आया.
घर में मीता और नीता नही थी और उनकी नौकरानी घर की सफाई कर रही थी.
जैसे ही आंटी की नौकरानी मे मुझे देखा, वो बोली घर मे लरकियाँ नही है दोनो स्कूल गयी है और मालकिन अपने कमरे मे सो
रही है.
मैने कहा ठीक है और बेडरूम मे झाँक कर देखा.
बेडरूम मे आंटी अपने बिस्तेर पर गहरी नींद में सो रही थी और उनकी नाक हल्के हल्के बज रही थी.
आंटी भी कल मेरे साथ साथ नही सोई थी.
मैं भी कल रात नही सोया था और मुझे भी थकान लग रही थी और मैं सोच रहा था की अब मुझको अपने घर वापस जाना परेगा.
मैं जब घर जाने के लिए मुड़ा तो नौकरानी बोली की उसका काम ख़तम हो गया है लेकिन मालकिन सो रही है,अब मैं क्या करूँ?
क्या मैं मालकिन के जागने तक इंतेजर करूँ?
मैं तब नौकरानी से बोला, ठीक है तुम जाओ और मैं आंटी के जागने के बाद बता दूँगा.
नौकरानी चली गयी और मैने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया.
नौकरानी मेरे कहने से चली गयी.
अब घर में सिर्फ़ मैं और आंटी थी और आंटी सो रही थी.
मैं आंटी के पास गया और उनके पास बैठ गया.
मैं आंटी को जगाना नही चाहता था.
मैने धीरे से आंटी के पैर के एडी को छुआ.
लेकिन आंटी बेख़बर सो रही थी.
मैं तब धीरे से आंटी के पैरों को थोरा सा फैला दिया और घुटने से मोड़ दिया जिससे की उनके पैर अब खड़े हो गये.
आंटी की नाइटी अब झूल रही थी.
मैने नाइटी को धीरे धीरे उपर करना शुरू कर दिया.
मैं बहुत घबरा रहा था लेकिन गरम भी हो गया था.
मैने नाइटी को थोड़ा सा उपर किया और मुझको आंटी की जंघे दिखलाई दी.
आंटी की जंघे बिल्कुल दूधिया रंग की थी और बहुत चिकनी थी.
मैने थोड़ा सा और नाइटी को उपर किया और फिर मुझे आंटी के बॉल सॉफ हुई चूत दिख गयी.
आंटी की चूत देख कर लगा की आंटी ने आज सुबह ही अपनी झांतो को सॉफ किया है.
चूत के चारो तरफ का रंग हल्का ब्राउन था लेकिन चूत के लिप्स का रंग बिल्कुल गुलाबी था.
आंटी इस समय कोई पॅंटी नही पहनी हुई थी. मैने अब नाइटी को और थोरा सा सरका दिया और नाइटी आंटी के पेट पर गिर गयी.
मैं अब आंटी के सफेद पेट हल्का ब्राउन कलर की चूत और चूत के गुलाबी पत्टीओं को साफ साफ देख रहा था.
मैं आंटी के पैरों को और थोड़ा सा फैला दिया और अपना मूह आंटी की चूत के और पास ले गया.
मैने चूत को उपर से सूँघा.
मुझे चूत की खुसबू बहुत अक्च्ची लग रही थी.
आंटी के चूत से भाप जैसी गर्मी निकल रही थी.
इस समय मेरा चेहरा चूत से करीब 1” की दूरी पर था.
मैं अपनी जीव निकालकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्टीओं को हल्के से चटा.
आंटी तब भी सो रही थी.
मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और चूत की दरार को हल्के से चाता.
मैं चूत की दरार को करीब 5-6 बार चटा और एक-आ-एक आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया और अब मुझे आंटी की चूत चाटने और चूसने का रास्ता बिल्कुल सॉफ था.
मैं चूत की दरार पाँच मिनिट से भी ज़्यादा देर तक चटा और फिर आंटी की चूत से घड़ा घड़ा रस निकलने लगा.
चूत से निकलने वाला रस बहुत ही चिप चिपा था और कुछ नमकीन और कुछ मीठा था.
चूत के रस का स्वाद इतना अक्च्छा था की मैं आंटी की चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया.
आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया.
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अब तो स्टूडेंट लाइफ ख़तम हो गयी है और बस सिर्फ़ यादें ही यादें है.
हुमारे स्टूडेंट जिंदगी में कई सुनहरे अवसर आए थे और आज मैं आपको एक ऐसे ही सुनहरे अवसर की कहानी बताने जा रहा हूँ. उन दीनो मैं कॉलेज में पढ़ता था और मेरी उमर करीब 19 साल की थी.
मेरे 19 साल के दरमियाँ मैं कई बार सेक्स का आनंद ले चुका था,लेकिन मैं फिर भी मुझको चुदाई मे एक्सपर्ट नही कहा सकता था.
हुमारे परोस मे एक फॅमिली रहती थी.
उस फॅमिली में चार मेंबर थे, मा,बाप और उनके दो लड़किया.
दोनो लड़किया बहुत ही सुंदर थी और मुझको दोनो बहुत ही सेक्सी लगती थी.
उन दोनो लड़कियो में से एक की उमर करीब मेरे बराबर थी और वो मेरे क्लास में ही पढ़ती थी,और छोटी वाली की उमर करीब 18 थी और वो 11 क्लास में पढ़ती थी.
बड़ी बहन का नाम मीटा था और छ्होटी बहन का नाम नीता था.
दोनो बहने अपने मा की तरह सुंदर और सुंदर थी.
उन दीनो मैं पढ़ाई में थोड़ा ढीला था, और परोस की महिला बहुत ही सुंदर,
स्मार्ट और पढ़ी लिखी थी.
मैं अक्सर अपने पड़ोसी के घर जाकर अपनी पढ़ाई किया करता था.
मुझको परोस की आंटी बहुत प्यार से पढ़ाया करती थी और कभी भी मुझे समझाने में बुरा नही मनती थी.
जन्वरी का महीना आ चुक्का था और हुमारे एग्ज़ॅमिनेशन के लिए अब सिर्फ़ तीन
चार महीने बचे थे.
मैने अपने एग्ज़ॅमिनेशन के लिए तैयारी शुरू कर दी थी.
मेरे परोस की आंटी मेरे पढ़ाई के लगन से बहुत खुश थी और मुझको मन
लगा कर पढ़ाती थी.
मिटा मेरे क्लास मे ही पढ़ती थी और इसलिए आंटी हम दोनों को एक रोज़ करीब 3-4 घंटे साथ साथ पढ़ाती थी.
कभी नीता भी हुमारे साथ साथ पढ़ने बैठती थी.
आंटी बहुत ही अच्छी थी और अपनी बेटी के साथ साथ मुझको भी बहुत मन
लगा कर पढ़ाती थी और मुझे अपने घर का सदस्या मानती थी.
मेरे अंदर अपने आंटी या उनकी बेटी के तरफ कोई सेक्स की भावना नही थी.
मैं उनके घर का ही एक सदस्या था.उनका घर कोई बहुत बड़ा नही था.
सिर्फ़ एक कमरा,किचन और एक हॉल था.
अक्सर हुमलोग बेडरूम मे पलंग पर बैठ कर पढ़ाई किया करते थे.
आंटी हुमेशा मुझको अपने पास ही बैठाती थी और मैं हमेशा आंटी से सवाल किया करता था, क्योंकि मैं पढ़ाई में कुछ ढीला था.
मिटा और नीता मुझको इस बात को लेकर अक्सर चिढ़ती थी लेकिन मैं जब भी कुछ
मदद माँगता तो दोनो बहने कभी ना नही करती थी.
जैसे की हुमलोग साथ साथ पलंग पर पैर मोड़ कर बैठकर एक दूसरे के बगल में पढ़ते थे, मैं जब भी कुछ पूछता तो आंटी झट किताब उठा कर अपने
गोद मे ले लेती थी और मुझे समझाती थी.
आंटी जब भी किताब अपनी गोद में लेती थी मेरा हाथ भी साथ साथ
आंटी के गोद मे चला जाता था और मेरे हाथ उनकी जाँघो के अंदर से चूत के
पास छू जाता था.
मुझे अपने हाथ में आंटी की चूत की गर्मी महसूस हो जाती थी.
आप विश्वास करो या ना करो, आंटी की चूत से बहुत गर्मी निकलती थी और वो गर्मी मुझे किसी रूम हीटर से ज़्यादा महसूस होती थी.
आंटी बहुत ही गोरी थी और हमेशा घर में वो स्लीव्ले कमीज़ और सलवार
बिना दुपट्टा के पहनती थी.
आंटी की चुचियो का साइज़ अच्छा था और बहुत गोल गोल थी,
लेकिन थोरा सा लटका हुआ था सायड अंकल कुछ ज़्यादा ही आंटी की चुचियो से खेलते थे.
पढ़ते वक़्त कभी कभी मेरा हाथ या कोहनी आंटी की चुचियो से छू जाती थी.
उनकी चुचिया बहुत ही मुलायम थी और मेरे हाथ या कोहनी च्छुने से आंटी
कभी भी बुरा नही मानती थी,बस थोड़ा सा मुस्कुरा देती थी.
मैं भी इन बातों का ज़्यादा ध्यान नही देता था क्योंकि मेरे मन में तब कोई पाप नही था और मैं सोचता था शायद आंटी भी कुछ नही मानती.
कभी कभी आंटी पीछे से झुककर मैं क्या सवाल कर रहा हूँ देखती और उस
वक़्त उनकी चूंचिया मेरे कंधो पर चुभती थी.
आंटी इन सब हर्कतो को उनकी बेटियाँ भी देखती थी और मुस्कुरा मुस्कुरा कर हँसती थी.
मेरे मन में फिर भी कोई पाप नही था.
अक्सर मैं उनके घर पर रात को पढ़ते पढ़ते रुक जाया करता था.
उन दीनो हम सभी साथ साथ सो जाते थे और मैं अपने अंकल के पास सोता
था.
ऐसे ही एक वक़्त में जब अंकल कोई काम से बाहर गये हुए थे तो आंटी मेरे बगल मे लेट गयी.
रात तो सोते वक़्त उनका चेहरा मेरी तरफ था और मेरा उनकी तरफ.
मैने देखा की आंटी के गाउन के उपर के दोनो बॅटन खुले है और मुझे उनकी दोनो चुचियों के बीच की गहराई सॉफ सॉफ दिख रही थी.
आंटी उस समय काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी और उनके बीच उनकी गोरी गोरी चुचियाँ चमक रही थी.
मैं आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसो दूर थी.
मैं फिर जब अपनी आँखों को खोला तो देखा की आंटी मेरे और पास आ गयी
है और उनके गाउन का एक बटन और खोला हुआ है.
आंटी मेरे इतने पास आ गयी थी की मेरी गरम गरम साँस उनकी चुचि पर गिर रही थी.
ये सब देख कर मैं गरम हो गया और सोचा की क्यों ना कुछ मज़े लिया जाए.
मैने अपना सर तकिया से थोड़ा नीचे किया और अब मेरा मूह आंटी के बड़ी बड़ी
चुचियों के ठीक सामने था.
मेरी नाक आंटी की दोनो चुचियों के बीच वाली खाई के सामने था.
मैं अपनी जीव से आंटी की एक चुचि को हल्के से चाटा,लेकिन आंटी चुप चाप थी.
थोड़ी देर के बाद मुझे आंटी के बगल में सो रही उनकी एक लड़की को नींद में
करवट बदलते देखा और सर उठा कर देखा की वो लड़की आंटी से और सटकार
सो रही है.
मुझे कुछ अचंभा सा हुआ और मैं उल्टी तरफ मूह घुमा कर आंटी की तरफ पीठ करके सो गया.
मैं अपने पीछे फिर से किसी को करवट बदलने की आवाज़ सुना,लेकिन हिम्मत करके घूमकर देखा नही.
थोरी देर के बाद आंटी की नाक बजने लगी.
थोड़ी देर के बाद मैने अपना चेहरा फिर से आंटी के तरफ घुमाया और मुझको
बहुत करारा झटका लगा.
हुमने पहले जो आवाज़े सुनी थी वो आंटी की थी.
मेरे पीछे आंटी बिस्तर से उठकर बैठकर फिर से सो गयी थी.
आंटी ने अब अपनी ब्रा उतार दिया था और उनकी नाइटी के उपरवाले दो बटन खुले हुए थे.
मुझे उनके खुले बटनो के बीच से आंटी की गोल गोल चुचिया दिख रही थी और मुझे लगा की वो सुंदर सुंदर चुचि मुझे बुला रही है.
मुझे लगा की आंटी अब मुझे कुछ इशारा कर रही है और हो सकता है की आंटी को अब वही चाहिए जो मुझको चाहिए.
मैं धीरे से आंटी के नाइटी का तीसरा और चौथा बटन भी खोल दिया और उनकी नाइटी को उनकी चुचि पर से हटा दिया.
नाइटी हटते ही आंटी की दूधिया चुचिया एक दम से बाहर निकल पड़ी.
अब मैं उनकी चुचि को खूब तबीयत से देखा.
उनकी चुचियो के निपल इस समय बिल्कुल तने हुए थे.
निपल के चारो तरफ उनका आरियोल दिख रहा था,जो की बिल्कुल गुलाबी रंग का
था.
मैं धीरे से उनके पास सरक गया और अपनी जीव से आंटी के सिर्फ़ आरियोल के
चारो तरफ चाटने लगा,लेकिन उनकी चुचि को मूह में नही लिया.
मैं करीब पाँच मिनिट्स तक आंटी के चुचि के आरियोल को चॅटा और हाथ से उनकी दूसरी चुचि को सहलाना शुरू किया.
मैं आंटी की दूसरी चुचि के आरियोल के चारो तरफ भी अपना उंगली चला रहा था.
आंटी मेरे तरह और थोड़ा सा खिसक गयी और मेरे मूह के सामने अपना दूसरी चुचि कर दिया.
अब मैं आंटी की बाईं चुचि पर अपना जीव चला रहा था और दाईं चुचि को अपने हाथों से सहला रहा था.
चुचि चटाई करीब 15 मिनिट तक चलती रही और फिर उसके बाद मैं बारी बारी से आंटी की दोनो चुचिया अपने मूह में भरकर चूसना शुरू कर दिया.
अब मेरी आँखों से नीड रफू-चक्कर हो गयी थी और मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स के अंदर बिल्कुल तन गया था और बाहर आने के लिए ज़ोर लगा रहा था.
मैं अपने हाथ और मूह से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अब मैं धीरे से अपना पैर आंटी के चादर के अंदर कर दिया और पैरों से आंटी की नाइटी को धीरे धीरे उठाने लगा.
जैसे जैसे मैं अपने पैरों से आंटी की नाइटी को उपर उठा रहा था,
मुझे अपने पैरों से आंटी का जिस्म छूता रहा.
धीरे धीरे मैं आंटी के घुटने तक उनकी नाइटी को उठा दिया.
अब मैं अपना हाथ नीचे करके आंटी के पैरों को छुआ और सहलाने लगा.
आंटी के पैर बहुत मुलायम और चिकना था.
घुटने से मैं अपने हाथों को धीरे धीरे उपर करने लगा.
आंटी के जंघे बहुत चिकना और मजबूत था.
जैसे जैसे मेरा हाथ उपेर जा रहा था, मुझे आंटी की चूत की गर्मी का
एहसास होने लगा,लेकिन मैं फिर भी उनकी चूत पर अपना हाथ नही ले गया.
मैने अपना हाथ और थोडा उपर ले गया और हाथों से आंटी की झांतों के
बाल का स्पर्श हो गया.
मैं समझ गया की अब मैं आंटी की चूत के बहुत ही करीब हूँ.
मैं धीरे से अपने हाथ को और थोड़ा उपर ले गया और मेरे हाथों से आंटी
की पुर झांतों भारि चूत का स्पर्स हुआ.
मैं आंटी की झांतों को थोड़ी देर तक सहलाने के बाद मैं उनकी चूत की च्छेद को ढूंडना शुरू किया.
मुझे आंटी की चूत पर ढेर सारा चिप चिपा रस लगा मिला.
अब आंटी मेरे और पास खिसक आई और अपना एक पैर को मेरे पैरो के उपर कर
लिया जिससे की मैं उनकी चूत से ठीक तरफ से खेल साकु.
मैने धीरे से अपनी एक उंगली आंटी की चूत के च्छेद मे घुसेड दी और उस समय उनकी चूत इतनी गीली थी की मेरी उंगली बरी आसानी से चूत के अंदर घुस गयी.
मैं ढेरे ढेरे से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा.
मैं अब अपनी दूसरी उंगली आंटी की चूत के अंदर घुसेड दी और मुझे लगा की अभी भी आंटी की चूत मे जगह है और इसलिए मैने अपनी तीसरी उंगली भी चूत में डाल दिया.
अब मैं अपनी तीनो उंगलियो से आंटी की चूत को चोदना चालू कर दिया.
थोड़ी देर के बाद मेरी उंगली और हाथ चूत के पानी से भीग गया.
मैं अपने दूसरे हाथ से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अपने मूह से उनको चूस रहा था.
करीब आधे घंटे तक मैं अपनी उंगलियों से आंटी की चूत को चोद्ता रहा और
फिर मैं थक गया और अपनी उंगलियों को चूत के अंदर डालकर थोड़ा सा
सुसताने लगा लेकिन पता नही कब मेरी आँख लग गयी और मैं सो गया.
जब सुबह मेरी आँख खुली तो सुबह के 4 बजे थे और आंटी मेरे बगल में नही थी.
मेरे बगल में अब मिटा सो रही थी.
मैं आज पहली बार मिटा को गौर से देखा तो पाया की मिटा बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है.
मैं अपने हाथों को सूँघा और उसमे से आंटी की चूत की खुसबू आ रही थी.
तब मैं अपनी उंगलियों को चटा, वा आंटी की चूत का स्वाद भी मीठा है.
मैने अपनी नज़र घुमा कर नीता और आंटी को ढूनदा लेकिन वो दिखलाई नही दिए.
फिर मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं समझ गया की आंटी और नीता बाथरूम में है.
मैं मीता के पास खिसक गया और उसके होंठों पर हल्का चुम्मा दिया.
लेकिन मीता सो रही थी और इसलिए उसके तरफ से कोई जवाब नही मिला.
मैं फिर अपना हाथ धीरे से मिटा की जवान चुचियो पर रखा और हल्के से दबाया.
तभी मैने नीता को बाथरूम से निकलते देखा और जैल्दी से मीता के पास से हट गया..
मुझे आज नीता भी खूबसूरत लग रही थी. मैने नीता से आंटी के बारे में पूछा तो नीता ने बताया की आंटी दूध लेने गयी है.
मैं नीता से बाइ किया और अपने घर वापस चला गया.
मैं अपने कॉलेज से करीब 12 बजे दोपहर तक वापिस आ गया और सीधे आंटी के घर पर चला आया.
घर में मीता और नीता नही थी और उनकी नौकरानी घर की सफाई कर रही थी.
जैसे ही आंटी की नौकरानी मे मुझे देखा, वो बोली घर मे लरकियाँ नही है दोनो स्कूल गयी है और मालकिन अपने कमरे मे सो
रही है.
मैने कहा ठीक है और बेडरूम मे झाँक कर देखा.
बेडरूम मे आंटी अपने बिस्तेर पर गहरी नींद में सो रही थी और उनकी नाक हल्के हल्के बज रही थी.
आंटी भी कल मेरे साथ साथ नही सोई थी.
मैं भी कल रात नही सोया था और मुझे भी थकान लग रही थी और मैं सोच रहा था की अब मुझको अपने घर वापस जाना परेगा.
मैं जब घर जाने के लिए मुड़ा तो नौकरानी बोली की उसका काम ख़तम हो गया है लेकिन मालकिन सो रही है,अब मैं क्या करूँ?
क्या मैं मालकिन के जागने तक इंतेजर करूँ?
मैं तब नौकरानी से बोला, ठीक है तुम जाओ और मैं आंटी के जागने के बाद बता दूँगा.
नौकरानी चली गयी और मैने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया.
नौकरानी मेरे कहने से चली गयी.
अब घर में सिर्फ़ मैं और आंटी थी और आंटी सो रही थी.
मैं आंटी के पास गया और उनके पास बैठ गया.
मैं आंटी को जगाना नही चाहता था.
मैने धीरे से आंटी के पैर के एडी को छुआ.
लेकिन आंटी बेख़बर सो रही थी.
मैं तब धीरे से आंटी के पैरों को थोरा सा फैला दिया और घुटने से मोड़ दिया जिससे की उनके पैर अब खड़े हो गये.
आंटी की नाइटी अब झूल रही थी.
मैने नाइटी को धीरे धीरे उपर करना शुरू कर दिया.
मैं बहुत घबरा रहा था लेकिन गरम भी हो गया था.
मैने नाइटी को थोड़ा सा उपर किया और मुझको आंटी की जंघे दिखलाई दी.
आंटी की जंघे बिल्कुल दूधिया रंग की थी और बहुत चिकनी थी.
मैने थोड़ा सा और नाइटी को उपर किया और फिर मुझे आंटी के बॉल सॉफ हुई चूत दिख गयी.
आंटी की चूत देख कर लगा की आंटी ने आज सुबह ही अपनी झांतो को सॉफ किया है.
चूत के चारो तरफ का रंग हल्का ब्राउन था लेकिन चूत के लिप्स का रंग बिल्कुल गुलाबी था.
आंटी इस समय कोई पॅंटी नही पहनी हुई थी. मैने अब नाइटी को और थोरा सा सरका दिया और नाइटी आंटी के पेट पर गिर गयी.
मैं अब आंटी के सफेद पेट हल्का ब्राउन कलर की चूत और चूत के गुलाबी पत्टीओं को साफ साफ देख रहा था.
मैं आंटी के पैरों को और थोड़ा सा फैला दिया और अपना मूह आंटी की चूत के और पास ले गया.
मैने चूत को उपर से सूँघा.
मुझे चूत की खुसबू बहुत अक्च्ची लग रही थी.
आंटी के चूत से भाप जैसी गर्मी निकल रही थी.
इस समय मेरा चेहरा चूत से करीब 1” की दूरी पर था.
मैं अपनी जीव निकालकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्टीओं को हल्के से चटा.
आंटी तब भी सो रही थी.
मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और चूत की दरार को हल्के से चाता.
मैं चूत की दरार को करीब 5-6 बार चटा और एक-आ-एक आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया और अब मुझे आंटी की चूत चाटने और चूसने का रास्ता बिल्कुल सॉफ था.
मैं चूत की दरार पाँच मिनिट से भी ज़्यादा देर तक चटा और फिर आंटी की चूत से घड़ा घड़ा रस निकलने लगा.
चूत से निकलने वाला रस बहुत ही चिप चिपा था और कुछ नमकीन और कुछ मीठा था.
चूत के रस का स्वाद इतना अक्च्छा था की मैं आंटी की चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया.
आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया.
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