Wednesday, May 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI मा बेटियों की चुदाई -2

FUN-MAZA-MASTI

 मा बेटियों की चुदाई -2
 आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया.
मुझे अक्च्ची तरह मालूम चल गया की आंटी जाग गयी है और अब सोने का बहाना बना रही है,और मैं तब बिस्तेर पर से एक तकिया उठा करके आंटी के चूटर के नीचे डालना चाहा.

आंटी ने अपनी आँख बंद रखते हुए अपने चूटरों को उपर उठाया और मैने तकिया आंटी के चूटरो के नीचे रख दिया.

अब आंटी की चूत काफ़ी उपर उठ गयी थी और मुझे चूत चाटने में आसानी हो रही थी.

अब मैने अपने हाथों के बल लेटकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्टीओं को फैला दिया और चूत के जितना अंदर जीव जा सकता है उतना जीव डाल कर चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना चालू किया.

आंटी अब भी सोने का बहाना बना कर अपनी आँखों को बंद रखी थी और मुझे यह अक्च्छा लगा.

मुझे पता नही की मैं कब तक आंटी की चूत को चटा लेकिन मैं चूत चाटने मे बोर नही हुआ और आंटी की चूत से हर वक़्त रस निकलता रहा और मैं वो रस चट चट कर पीता रहा और आंटी भी मज़े से अपनी कमर उठा उठा कर अपनी चूत मुझसे चटवाती रही.

मैने जब घड़ी देखी तो उस समय 2.30 बाज रहे थे और इसका मतलब था की मैं करीब एक घंटे से आंटी की चूत चट रहा था.
अब मेरा मुँह और जीव दर्द कर रही थी.

मैं अब उठकर बैठ गया और आंटी की चूत में अपनी उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा.
मैं आंटी के पैरों के पास बैठा था और उनके चेहरे को गौर से देख रहा था.
उनके चेरे पर हर पल भाव बदल रहे थे लेकिन आंटी अभी भी अपनी आँखों को बंद करके लेटी हुई थी.

थोरी देर के बाद मैने घड़ी देखी तो 2.45 बज रहे थे और मुझे मालूम था की अब मीता और नीता के आने का समय हो गया है.

इसलिए मैं आंटी के कमरे से उठकर बाहर वाले कमरे में जा कर
बैठ गया.

कमरे के बाहर जाने के पहले मैं आंटी के कपड़े ठीक तक कर
दिए.

मैं बाहरवाले कमरे मे बैठकर मीता और नीता के आने का इंतजार करने लगा कयूवकी घर पर कोई नही है और आंटी कमरे में सो रही है.

थोड़ी देर के बाद बाहर के दरवाजे पर घंटी बजी और मैं उठकर दरवाजा खोल दिया.

बाहर नीता खड़ी थी.नीता अंदर आ गयी,मैने नीता से कहा की
आंटी सो रही है और घर की नौकरानी अपना काम ख़तम करके अपने घर चली गयी है.

घर मे कोई नही था इसलिए मुझे रुकना पड़ा.
फिर मैने मीता के बारे में पूछा तो नीता बोली, क्या वो घर पर नही है?

उसे तो बहुत पहले घर पर आ जाना चाहिए था कयूवकी वो तो हाफ डे बाद ही घर चली आई थी.

मैने कुछ नही कहा और चुपचाप अपने घर के लिए रवाना हो गया.
मेरा मूह और जीव अब बहुत दर्द कर रहा था.

मैं घर जाकर आंटी का नाम लेकर मूठ मारा और ढेर सारा पानी अपने लंड से निकालकर मैं अपने बिस्तेर पर सो गया.

शाम के करीब 7 बजे मैं अपनी किताब कॉपी लेकर आंटी के घर गया..
वहाँ नीता अंड मीता पहले से अपनी अपनी पढ़ाई में जुटे हुए थे और मैं भी जाकर उनके पास बैठकर पढ़ने लगा.

नीता मुझको देख करके मुस्कुराइ और फिर से पढ़ने लगी.
मीता मेरे तरफ देख कर एक शरारत भारी मुस्कान दिया और मेरी तरफ तिरछी नज़रों से देखने लगी.

मुझे कुछ समझ में नही आया और मैं उसकी तरफ देख कर सिर्फ़ मुस्कुरा दिया और अपनी पढ़ाई करने लगा.

थोरी देर बाद आंटी कमरे चार गिलास जूस लेकर आई और हुमलोगो ने एक एक गिलास जूस पिया.

मैं बिना झीजक के आंटी की तरफ देख रहा था और सोच रहा था की
आंटी आज दोफर के कार्यक्रम के बाद मुझे देखेंगी या मुस्कुराएँगी.

लेकिन आंटी के चेहरे पर कोई शिकन ना था.
आंटी ऐसे बर्ताब कर रही थी की जैसे आज दोपहर में कुछ भी नही हुआ है.

मुझे आंटी का बर्ताब बहुत बुरा लगा और मुझे कुछ कुछ गुस्सा भी आया.

मेरा गुस्सा मेरे चेहरे से भी झलक रहा था लेकिन आज आंटी मेरे पास नही बैठी और जाकर नीता के बगल में बैठकर नीता को पढ़ाने लगी.

मुझे बहुत परेशानी हो रही थी और मैं सबका चेहरा देखने लगा.
आंटी और नीता का चेहरा बिल्कुल सपाट था लेकिन मीता के चेहरे से शरारत झलक रही थी और वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

थोरी देर के बाद आंटी कमरे से चली गयी. पढ़ाई करते वक़्त,मीता मुझसे सवाल कर रही थी की आज दिन भर मैने क्या क्या किया.

मैं कुछ सॉफ सॉफ जवाब नही दे पाया और उठकर कमरे से बाहर चला गया.
मीता ने मुझसे कहा की कोई बात नही की और फिर उसने अपने दिन के बारे में बताया.

मीता ने मुझसे कहा की आज उसकी तबीयत कुछ खराब थी तो वो 2.00 बजे दोफर को घर वापस आ गयी थी.

मीता की बात सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया और मुझे कुछ नही
सुजाई दे रहा था.

मीता फिर बोली की घर पर 2.30 बजे तक थी और फिर वो कुछ समान खरीदने वो मार्केट चली गयी थी.

मेरे दिमाग़ मे अब यह बात घूम रही थी की मीता को मालूम है की मैं घर पर दोपहर में था और मैने क्या क्या किया.

है भगवान, आंटी इस समय कमरे में नही है नही तो आंटी को पता
चल जाता की उनकी लड़की ने हुमारे दोफर के कार्यक्रम के बारे में सब कुछ पता है.

मीता हुम्से दिन भर की बातें कर रही थी और धीरे धीरे मुस्कुरा
रही थी,अपने होंठ दाँतों से दबा रही थी और अपनी चूत को स्कर्ट
के उपर से सहला रही थी.

मुझे कुछ सुजाई नही दे रहा था और मैं बार बार कोशिश कर रहा था की मीता अपनी बातों को बंद करे और हम अपनी अपनी पढ़ाई
करे,लेकिन मीता बोले जा रही थी.

नीता को हुमलोगो की बाते कुछ समझ में नही आ रही थी और वो चुप चाप अपनी पढ़ाई कर रही थी.

थोरी देर में आंटी कमरे में आई और तब मीता एक-आ-एक अपनी बातों की टॉपिक बदल दिया और हुमसे पढ़ाई की बाते करने लगी.

आंटी ने हुमको और मीता को डांटा और बोली बाते बंद करके अपनी अपनी पढ़ाई करो.
करीब 9.30 बजे को मैं अपनी कॉपी किताब उठा कर अपने घर के लिए चलने लगा.

आंटी ने तब मुझे बताया की आज रात को भी हुमारे घर पर आ जाना
तब और ज़्यादा पढ़ाई कर सकते हो और तुम्हारे अंकल भी घर पर नही है.

मैने सर हिला करके हा कहा और कनखेओं से मीता को देखने लगा. मीता दबी ज़बान से मुस्कुरा रही थी और मुझे देख रही थी.

मैं करीब 10.15 बजे रात फिर से अपने घर से आंटी के घर पर वापस आ गया और फिर से हम तीनो अपने अपने पढ़ाई करने लगे.

रात के 12 बजे हम सुबने अपनी अपनी पढ़ाई बंद करके सोने के बिस्तेर पर चले गये.

आज फिर से आंटी मेरे बगल मे लेट गयी और मीता और नीता आंटी के बगल में लेट गयी. मीता ठीक आंटी के बगल मे लेटी थी और नीता लेटी थी मीता के बगल में.

सोने के 15 मिनिट्स के बाद आंटी की नाक बजने लगे और मुझे लगा की आंटी मुझे बताना चाहती है की अब सो रही है या सोने का बहाना कर रही है.

मैं उठकर बैठ गया और अंधेरे में देखने लगा की मीता और नीता सो गयी या नही.

दोनो लड़किया सो रही थी लेकिन मुझे मीता के बारे में चिंता थी की वो भी सोने का नाटक कर रही है.

मैं बैठे बैठे ही अपना एक हाथ आंटी की नाइटी के अंदर डाल दिया और नाइटी को उपर उठाने लगा.

मैं धीरे धीरे आंटी की जांघों को सहलाने लगा और अपना हाथ धीरे धीरे औपर ले जाने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपना कमर उठा रही थी और उनके मूह से तरह तरह की आवाज़ भी निकल भी रही थी.

मैं आंटी के पावं को थोड़ा सा और फैला दिया और उनकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी.

आंटी की चूत अब बहुत गीली हो गयी थी और उसमे से चिप चिपा रस निकल रहा था.
मैं उनकी चूत में अब दूसरी और फिर तीसरी उंगली भी डाल दी और अपना हाथ हिला हिला कर उनकी चूत को अपनी उंगलियो से चोदने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपनी कमर ऐसे उठा रही थी की जैसे मैं सचमुच उनको चोद रहा हूँ.

मैं इस समय आंटी के पैरों के बीच बैठा था और उनकी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था.

एक-आ-एक कोई दूसरा पैर मेरे पैरों से टकराने लगा.

मैं घूमकर देखा तो वो पैर मीता का था..मीता अपनी जगह पर चित लेती थी और उसके हाथ उसके चुचियों पर था जिनको वो कसकर दबा रही थी.
मैं मीता को देखते ही समझ गया की मीता अभी सोई नही है और सिर्फ़ सोने का बहाना बना रही है और मेरे और आंटी के सारे कार्यक्रम देख रही है और मज़े ले रही है.

मैं आंटी की चूत को अपने दाहिने हाथ की उंगली से चोद रहा था और अब मैं अपनी बाईं हाथ को मीता के तरफ बढ़ाया और मीता के पैर को छुआ,लेकिन मीता सोती रही. मैने मीता की नाइटी को तोड़ा उपर उठाया और उसके जांघों को भी सहलाने लगा.

मुझे मेरी तकदीर पर विश्वास नही हो रहा था,मैं एक साथ आंटी और उनकी बेटी के सेक्सी शरीर के साथ खेल रहा हूँ और दोनो मा बेटी भी तैयार है.

मैने अपनी बैठने का पोज़िशन को थोड़ा बदला और मैं अब दोनो मा और बेटी के बीच बैठ गया.

अब मैने अपना एक हाथ आंटी के चूत पर से हटाकर आंटी की चुचियो पर ले गया.

जैसा की मैने सोचा था,आंटी अपनी नाइटी के नीचे कोई ब्रा नही पहनी थी.
मैने आंटी की नाइटी के सारे बटन को खोल दिया और बटन खुलते ही आंटी के दोनो गोल गोल सुनहरी सुंदर चुचिया मेरे सामने नंगी हो गयी.

मैने आंटी की दोनो चुचिया अपने हाथ से बारी बारी दबाने लगा
और उनके निपल को अपने उंगलियों में दबाकर मरोड़ने लगा.

मैं दूसरे हाथ से मीता की जाँघ को भी सहलाने लगा.
धीरे धीरे मैं अपना हाथ मीता की चूत के पास ले गया.

मीता अपनी नाइटी के नीचे पॅंटी पहन रखी थी. मैने धीरे से अपना हाथ मीता के पॅंटी के बगल से अंदर किया और मीता की चूत को छुआ.

मीता की चूत पर हल्के हल्के रेशमी बॉल थे और चूत से ढेर सारा पानी निकल रहा था.
मीता की चूत अपने मा की चूत से ज़्यादा गरम थी.

मैने अपने एक हाथ से मीता की पॅंटी उतरनी चाही और मेरा मतलब समझ कर मीता ने अपनी कमर उठा कर मुझे मदद करने लगी.

मैंने तब मीता की पॅंटी उतार दिया और अब दोनो मा और बेटी अपनी अपनी कमर के नीचे से नंगी थी और दोनो की चूत से रस निकल रहा था.

मैं सोच रहा था की मैं आंटी की चुचि और चूत पर अपना हाथ और मीता की चुचि और चूत पर लेकर उनसे खेलूँ लेकिन मैं ऐसा नही कर सकता था कयौकी तब आंटी मुझे और मीता का पकर सकती है.

इसलिए मैने आंटी की चुचि को दबाते हुए अपना मूह मीता के चेहरे के पास ले गया और मीता के गाल और होंठ पर चुम्मा देने लगा.

मीता भी मेरे चेहरे को अपने हाथों से पाकर कर चूमने लगी लेकिन अपनी मा की तरह उसकी आँखे अभी तक बंद थी.
अब मेरा एक हाथ आंटी की चूत पर था और दूसरा हाथ मीता की चूत पर था.

मैं मीता के होंठो को कई बार चूमा और अपना एक हाथ से मीता की चुचि को दबाने लगा.

मीता अपनी नाइटी के नीचे ब्रा पहने हुए थी और इसलिए मुझे मीता की चुचि को नंगा करते नही बन रहा था.
मैं कोशिश कर रहा था मेरा हाथ ब्रा के अंदर घुस जाए लेकिन ब्रा टाइट था और मेरा हाथ नही घुस रहा था.

मीता करवट लेकर मेरे तरफ अपनी पीठ कर दिया और मैने ब्रा की हुक
को खोल दिया.
अब मीता की चुचि नंगी हो गयी और अब मैं एक हाथ से आंटी की चुचि और दूसरे हाथ से मीत की चुचि को दबा रहा था.

मैं धीरे से मीता के और करीब खिसक गया और इशारा से मीता से कहा की मुझे अब उसके पास से हटना पड़ेगा और बाद में वो जब भी चाहेगी कर दूँगा,कयूवकी अब मुझे आंटी के पास जाना पड़ेगा.

इतना इशारा करके मैं धीरे से आंटी के नज़दीक चला आया और अपने दोनो हाथों से आंटी की दोनो चुचिया मसालने लगा.

अब मैने अपना सारा ध्यान आंटी पर देने लगा.
आंटी अब भी अपनी आँख बंद करके सोने का नाटक कर रही थी और उनको मेरे मीता के बीच चल रहे कार्यकलाप का कोई अंदाज़ा नही था.

मैने आंटी के नाइटी के सारे बटन खोल दिए और अब मेरे सामने करीब करीब बिल्कुल नंगी थी.
सिर्फ़ उनके पेट के उपर उनका नाइटी पड़ा हुआ था.








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