Monday, May 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भाई, ननद, देवर और मेरे पति --2

FUN-MAZA-MASTI

भाई, ननद, देवर और मेरे पति --2


 मैनें गैस पर चाय का पानी चढाते हुवे कहा- इन पहाड़ों को तो तुम अब भी पिस रही हो....वैसे एक बात बताओ क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रैंड नहीं है....?

मेरी ननद अपने भाई की ही भांति ही जरुरत से ज्यादा कामुक हो रही थी इस समय, शायद इसलिए और ज्यादा क्योंकि उसे ये भ्रम था की सिर्फ मैं और वो ही हैं,

नहीं....कई लड़के कोशिश करते हैं लेकिन मैं ही उन्हें लिफ्ट नहीं देती हूँ....... मेरी ननद नें मेरी ब्लाउज के दो तीन बटन खोल कर कहा,

ये क्या कर रही हो तुम...? मैनें उसकी क्रिया को देख कर प्रश्न किया,

करने दो ना भाभी....मुझे बहुत मजा आता है स्तन पान में...मैं एक सहेली के साथ ऐसा करती हूँ....हम दोनों लेस्वियन लवर हैं....अब आपके ऐसे भरे भरे यौवन को देख कर मेरा जी मचल उठा है....ये ही सोच लो की भैया हैं मेरी जगह...उसने कुनकुनाते स्वर मैं कहा और मेरे ब्लाउज में हाँथ डाल कर मेरी ब्रा को सहलाने लगी, उसका दूसरा हाँथ मेरे सपाट पेट पर रेंग रहा था,

क्या तुमने अभी तक किसी लिंग को नहीं देखा...मैनें उसकी क्रिया से आनंदित हो कर पूछा,

मैनें चाय छानने के लिए तीन कप उतार किये थे, मुझे बाथरूम के दरवाजे के बंद होने की हलकी सी आवाज सुनाई दे गई थी, मैं समझ चुकी थी की मेरा छोटा भाई नहा चूका है और अब इधर ही आयेगा क्योंकि उसे भी जिज्ञासा होगी यह जानने की कि कौन आया है,

कहाँ देखा है भाभी....कभी कभी इत्तेफाक से उस पहलवान कि एकाध झलक देखने को मिलती है लेकिन उस झलक का क्या फायदा....वह मेरे ब्लाउज का एक बटन और खोल कर बोली,

मैनें तीन कपों में चाय डाल दी,

चलो आज दिखा देंगे...मैनें कहा,

तुम दिखा दोगी....वो कैसे....उसने चौंक कर मेरी आँखों में देखा,

उसकी दृष्टि उन तीन कपों पर पड़ी जिनमें मैं चाय डाल चुकी थी,

हैं...ये तीसरा कप किसके लिए है....? उसने हैरत जताई,

ये तीसरा कप मेरे लिए है....मेरे भाई ने रसोई में प्रवेश करते हुवे कहा,

मेरी ननद उसे देखते ही मुझसे दूर छिटक गई, उसकी आँखों में अशमंजश के भाव आ गये,

ये मेरा छोटा भाई है........मैनें अपनी ननद से कहा फिर अपने भाई से बोली- ये मेरी ननद है....ये ही आई थी....जब हम बाथरूम में थे,

मेरे भाई ने मेरे ब्लाउज के खुले तीन चार बटन देखे तो मुस्कुरा कर बोला....ये भी अपने भाई कि तरह आपके स्तनों कि प्यासी हैं,

जी.....मेरी ननद सकपकाई,
मैनें स्थिति संभाली....डोंट वरी शिल्पा....मेरी ननद का नाम शिल्पा था, ....आज तुम्हारी हसरत पूरी हो जायेगी...मेरे भाई से मैं ही कोई पर्दा नहीं करती....तुम्हारे भईया भी पर्दा नहीं करवाते हैं....बल्कि उन्होंने हम दोनों के साथ मिल कर काम सुख प्राप्त किया है....ना मैं इस चीज को बुरा मानती हूँ और ना तुम्हारे भईया क्योंकि हैं तो हम स्त्री-पुरुष ही बाही रिश्ते विश्ते तो लोगों नें अपने फायदे के लिए बनाये हुवे हैं....मुझे तो इतना आनंद आया है अपने भाई के साथ कि मत पूछो, जब तुम आई थी हम दोनों साथ ही तो नहा रहे थे,

शिल्पा धीरे धीरे सामान्य होने लगी, मैनें एक चाय का कप उसकी ओर बढा दिया, दूसरा कप अपने भाई कि ओर बढा दिया, उसने अपना कप ले लिया, मैनें अपना कप लिया फिर हम तीनों रसोई से बैडरूम में आ गये. मेरे भाई ने मात्र अंडरवीयर पहन रखा था, जिसमें से उसके सख्त होते लिंग का आभास सहज ही हो रहा था,

हम तीनों बेड पर बैठ गये, शिल्पा बार बार मेरे भाई के शरीर के आकर्षण में बांध रही थी, उसकी नजर बार बार मेरे भाई कि पुष्ट जाँघों के जोड़ पर जाकर ठहरती थी,

मैं उसकी स्कर्ट को उसकी फैली टांगों से जरा ऊपर सरका कर उसकी जांघ पर चिकोटी काट कर बोली...तुम्हारे लिए आज का दिन बहुत अच्छा है.....अगर यहाँ तुन्हारे भईया होते तब तो और भी ज्यादा मजा रहता, फिर भी मेरा भाई तुम्हे संतुष्ट करने में सक्षम है....हमने इसे पूरी तरह ट्रेंड कर दिया है....

मैनें अपने भाई के अंडरवीयर कि झिरी में से उसके लिंग को बाहर निकाल कर शिल्पा के हाँथ में थमा कर कहा...

इसे धीरे धीरे सहलाओ तब देखना यह कैसा कठोर और लंबा हो जाता है....भभकने लगेगा ये,
मैनें चाय का खाली कप बेड कि पुस्त पर रखा और अपने हांथों से शिल्पा के टॉप कि जिप खोलने लगी,

मेरे भाई ने भी चाय का खाली कप तिपाई पर रख कर मेरे ब्लाउज को मेरी बाजुओं से निकाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल कर उसके जालीदार कप को स्तनों से निचे सरका कर मेरे स्तनों को सहलाना और चुसना सुरु कर दिया था, मैं उत्तेजित होने लगी थी, उत्तेजना में मेरा शरीर बेड पर फैलने लगा था,


भाभी पहले मैं आपके स्तन को चुसुंगी....शिल्पा ने मेरे भाई के लिंग को छोड़ कर मेरे स्तनों पर आते हुवे कहा,

ठीक है.... मैनें उससे कहा और फिर अपने भाई से कहा, तुम शिल्पा के स्तनों को चुसो....मगर आहिस्ता आहिस्ता.... और इसकी स्कर्ट भी बाहर निकालो...इतना कह कर मैं उसके लिंग को सहलाने लगी,

शिल्पा नें मेरे स्तनों को चुसना शुरू कर दिया, मेरे भाई ने शिल्पा के टॉप के निचे की शमीज उसके गोरे गुदाज स्तनों से ऊपर कर उसके निप्पल चूसने शुरू कर दिये,हम तीनों ही की साँसें तीब्र हो उठी थी, बैडरूम का दृश्य उन्मुक्त यौवन के रस में डूबता जा रहा था,

शिल्पा द्बारा निरंतर होते स्तन पान ने मुझे उत्तेजित कर डाला था, अब मैं चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ चली थी,मुझे मालुम था की मेरा भाई लगातार दो बार स्खलित हो सकता है इसलिए मैनें पहले शिल्पा को उसके द्बारा आनंद दिलवाना ठीक समझा और यही सोच कर अपने भाई से कहा...

तुम शिल्पा की योनी में लिंग प्रवेश करो....लेकिन पहले कुछ थूक या क्रीम लगा लेना...लो तेल ही लगा लो...मैनें बेड की पुश्त पर राखी तेल की कटोरी उसकी ओर बढ़ाई,

वह शिल्पा की स्कर्ट को खोल चूका था और उसके नितंबों को व चिकनी जाँघों को सहला रहा था, उसने अपने तपते लिंग के मोटे से मुंड पर तेल चुपड़ा फिर जरा सा तेल शिल्पा की अनछुई नर्म रोवों से सज्जित योनी पर लगाया और अपने लिंग को उसके टाइट मुख में फंसा कर उसकी जांघ को हाँथ से ऊपर उठा कर जोर का धक्का मारा, लिंग मुंड शिल्पा की योनी में उतर गया,


शिल्पा जोरों से चीखी, उसका ये पहला अनुभव था, मैनें उसकी पीठ को सहलाया और उसके होंठ अपने होंठ से बंद कर देये, उसकी गर्म साँसे मेर गर्म साँसों से उलझने लगी थी, उसके हांथों को मैनें अपनी साडी के निचे प्रवेश दे दिया था, वह उत्तेजना और दर्द के चक्रवात में फंसती जा रही थी, उसके हाँथ मेरी चिकनी जाँघों को सहलाने मसलने लगे थे, मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी, मेरे भाई ने शिल्पा की जाँघों को पकड़ कर एक और धक्का मारा तो शिल्पा तड़पते हुवे कह उठी...


.....तुम्हारे भाई तो मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रहे हैं.....उफ...आह...कितना दर्द हो रहा है उफ....इनसे कहो जो करे आराम से करें उफ....वह और कुछ कहती उससे पहले ही मैनें उसके मुह में अपने एक स्तन का निप्पल दे दिया, वह उसे चूसने लगी, मेरे भाई ने थोडा पीछे होकर और जोर का धक्का मारा, इस बार उसका सात आठ इंच का लिंग जड़ तक शिल्पा की योनी में समां गया, शिल्पा की बड़ी तीब्र चीख निकली, मेरे भाई ने लिंफ फ़ौरन बाहर खिंचा तो शिल्पा ने ठंडी सांस ली और तड़पती हुई बोली

.....उफ...भाभी तुमने तो कुछ ज्यादा ही ट्रेंड कर दिया है इन्हें....उफ कैसे स्पेशल सॉट खेल्तेव हैं उफ...आप रुक क्यों गए महाशय...इसे आगे पीछे करते रहो....अभी तो मजा आना शुरू हुवा है उफ....शिल्पा नें मेरे भाई से इतना कहा और मेरे स्तन का निप्पल मुंह में ले लिया, वह निप्पल को किसी भूखे की भांति चूसने लगी,


मेरा भाई उसकी योनी में अपने लिंग से घर्षण करने लगा था और मैं अपने हांथों से शिल्पा के हांथों को पकड़ कर उनसे अपनी पेंटी का वह हिस्सा रगड़ने लगी थी जिसके निचे मेरी योनी थी, मेरा भाई मुद्रा बदल बदल कर शिल्पा को आनंद दे रहा था, शिल्पा का शरीर उत्तेजना से काँपने लगा था, वह कराह भी रही थी और मेरे भाई का सहयोग भी कर रही थी,
अंततः थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ चरम पर पहुँच कर स्खलित हो गये, फिर मेरे भाई नें मेरी भी प्यास बुझाई,

शिल्पा ने मेरे स्तनों को जिस तरह चूस चूस कर मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल कर दिया था वैसे ही मैनें भी उसके स्तनों को चूस चूस कर उसे कंपकंपा डाला था,
हम तीनों की काम यह क्रीड़ा तब तक चलती रही जब तक हम थक न गये,


इस घटना नें शिल्पा को भी हम लोगों के प्रति बोल्ड कर दिया था,
शिल्पा शाम को चली गई, मेरा भाई भी तीन दिन बाद चला गया, कोई दस दिन बाद मेरे पति टुर से लौटे, इस बार भी वे तरह तरह के प्रसाधन लाये थे, शाम के वक्त घर में घुसे तो घुसते ही मुझ पर टूट पड़े थे, उन्हनें कपडे भी नहीं चेंज किये और मुझसे लिपट गये थे, मैनें दरवाजे को जब तक लोंक किया तब तक वे मेरे गाउन को हटा चुके थे और देखते ही देखते मेरी ब्रा को हटा स्तनों से सरका कर मेरे स्तनों को चूसने लगे थे,

ओफ्फो...तुम सारे भाई बहन एक जैसे हो, घर में आकर पानी वानी पिने के स्थान पर मेरे स्तनों पर टूट पड़ते हो, मैनें उनके सीर पर हाँथ फिर कर कहा,

वह चौंके और स्तन के निप्पल को मुंह से निकाल कर बोले - क्या मतलब है तुम्हारे कहने का, तुमने मेरे साथ मेरी बहन का जीकर क्यों किया..?

इअलिये किया क्योंकि आपके यहाँ से उस दिन जाते ही आपकी बहन शिल्पा आई थी, वो भी दरवाजा खुलते ही मेरे ब्लाउज को खोलने लग पड़ी थी, मैनें हंसते हुवे कहा,

व्हाट.....क्या शिल्पा को भी यह सब पसंद है....? उन्हें आशचर्य हुवा, फिर क्या हुवा....उन्होंने मुझे अपनी बाजुओं में उठा कर बैडरूम की ओर चलते हुवे कहा,

मैं उनकी टाई की नॉट ढीली करती हुई बोली...जब वह यहाँ पहुंची थी तब मैं अपने भाई के साथ बाथरूम में थी, हम दोनों नहा रहे थे,

साथ साथ नहा रहे थे... तब तो बड़ा मज़ा आ रहा होगा, चलो अपन भी साथ साथ नहाते हैं, नहाते नहाते सुनेंगे पूरा किस्सा, उन्होंने बैडरूम में प्रवेश होते होते अपने कदम बाथरूम की ऑर मोड़ कर कहा,


मजा तो आना ही था...मेरा भाई मुझे साबुन लगा कर मुझे बुरी तरह गर्म चूका था,वह मेरी योनी को चाट ही रहा था की तुम्हारी बहाब कॉल बेल बजा दी, हम दोनों का मुड ऑफ़ हो गया, मैं उसे प्यासा छोड़ बाथरूम से निकली और जल्दी जल्दी साडी ब्लाउज पहन कर दरवाजे पर पहुंची, दरवाजा खोला तो पाया कि सामने गहरे गले के टॉप और घुटनों तक कि चुस्त स्कर्ट में अपनी उफनती जवानी लिये शिल्पा कड़ी थी,


मेरे इतना कहते कहते मेरे पति ने मुझे बाथरूम में ले जाकर मुझे फर्श पर उतार दिया और मुझे दीवार के सहारे खडा कर दिया, फिर मेरे होंठों को चूमने के बाद मेरे स्तनों को चूम कर बोले....

फिर...फिर क्या हुआ.....कहती रहो और मुझे इन झरनों से अपनी प्यास बुझाने दो, इतना कह कर उन्होंने फिर मेरे स्तन पर मुंह लगा दिया, मेरे शरीर में आग भरती जा रही थी,

मेरे हांथों ने उनकी टाई निकालने के बाद उनके कोट को भी उतार दिया था, अब शर्ट के बटन खुल रहे थे, शर्ट के बटन खोलते खोलते मैं बोली. उफ....उफ...शिल्पा ने भीतर आते ही रंगीन मजाक आरंभ कर दिये, मेरे महकते रूप की तारीफ़ करने लगी, मैं समझ गई की लड़की प्यासी है, मेरी बातों को....उफ...उफ...आहिस्ता आहिस्ता चूसिये इन्हें.... आप तो पागल हुवे जा रहे हैं...उफ... मेरे पति पागलों की भांति ही मेरे स्तनों का दोहन सा कर रहे थे, मेरे होंठों से सिसकारियां फूटने लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे नाभि में कोई तूफ़ान अंगडाई लेने लगा है, मैनें उत्तेजना से उत्तपन होने वाली सिसकारियों को अपने दांतों तले दबा कर एक लंबी सांस छोड़ी फिर कहना शुरू किया, शिल्पा को मैं चाय बनाने के लिए अपने साथ रसोई में ले गई तो उसने.....उफ.....ऑफ...ओफ्फो...
क्या कर रहे हैं आप....?क्या कोई ट्रेनिंग लेकर आये हैं कहीं से स्तनों के साथ इस तरह पेश आने की.......आज तो आप मेरे स्तनों को झिंझोडे डाल रहे हैं आज....मेरे इस तरह कहने से उन्होंने स्तन से मुंह हटा कर मेरे होंठ चूम कर मनमोहक ढंग से कहा- क्या तुम्हे मजा नहीं आ रहा, अगर मजा नहीं आ रहा है तो मैं इन्हें आहिस्ता आहिस्ता चूसता हूँ,

मजा तो बहुत आ रहा है, इतना आ रहा है की ऐसा लगता है जैसे मैं आज कण कण होकर बिखर रही हूँ.......ठीक है तुम ऐसे ही चुसो, मैनें उनकी शर्ट को उनकी बाजुओं से निकाल कर कहा,
तुम शिल्पा वाली बात तो बताओ...उन्होंने यह कह कर स्तन के निप्पल को फिर मुंह में ले लिया और अपने हांथों को मेरे नितंबों पर ले जाकर नितंबों की मालिश सी करने लगे,

मैं उनके पेंट की बेल्ट खोलते हुवे बोली...फिर एक ओह्ह..उफ...ऊई...फिर हाँ मैं..उफ....मैं कह रही थी की शिल्पा को मैं रसोई में ले गई तो उसने वहां पहुँचते पहुँचते ही मेरे ब्लाउज में हाँथ डाल दिया था और मेरे स्तनों को चूसने की इच्छा जाहिर की और यह भी बताया की अपनी सहेली के साथ लेस्वियन लव का आनंद लेती है, मेरी....उफ......ओह...अपने पति के द्वारा अपनी योनी में मौजूद भंगाकुर को मसले जाने से मेरे कंठ से कराह निकाल दी, उफ...ये शावर तो खोल लो....नहाना भी साथ साथ हो जायेगा, मैं इतना कह कर पुनः विषय पर आई...मेरे शरीर में मेरे भाई ने पहले ही कामाग्नि भड़का डाली थी, शिल्पा द्वारा स्तनों को पकड़ने मसलने और उसकी स्तन पान की इच्छा ने मुझे और उत्तेजित कर डाला था, उसे तबतक पता नहीं था...उफ...ओह...ओफ....मेरे पति अब मेरे स्तनों को छोड़ कर निचे पहुँच गए थे, उन्होंने मेरी योनी पर मुख लगा दिया था, अब वो मेरे भंगाकुर को चूसने लगे थे, मैं उनके बालों में अंगुलियाँ फंसा कर मुट्ठियाँ भींचने लगी, उनकी इस क्रिया ने मेरी नस नस में बहते रक्त को उबाल सा दिया था, मुझे अपनी उत्तेजना ज्वालामुखी का सा रूप लेती महसूस हुई, मुझे रोम रोम में फूटते कामानन्द के कई घूंट भरने पड़े,


सुनाओ न आगे क्या हुआ...मेरे पति ने अपना मुख मेरी योनी से पल भर के लिए हटा कर कहा,
तुम शावर खोलो मैं आगे बताती हूँ...मैं बोली और अपनी साँसों को संयत करने का असफल प्रयास करती हुई बोली

ओफ...फिर शिल्पा के सामने मेरा भाई आ गया, वह रसोई के बाहर खड़ा होकर पहले से हम दोनों को देख भी रहा था और हमारी बातें भी सुन रहा था, मेरा भाई सिर्फ अंडरवीयर में था,वह भी पहले से उत्तेजित था इसलिए उसका विस्तृत आकर में फैला लिंग अंडरवीयर में से भी उभरा उभरा दिखाई दे रहा था,शिल्पा की दृष्टि उसके अंडरवीयर पर टिक गई, मैं समझ गई की उसने अभी तक लिंग का दर्शन नहीं किया है, ओह...उफ आउच...ओह...इतनी कहानी सुनते सुनते ही मेरे पति ने अपने लिंग का मुंड मेरी योनी में प्रविष्ट करा दिया, वे शावर वह खोल चुके थे,



मैं उनके द्वारा हुवे लिंग प्रवेश से आवेशित होने लगी थी, मेरे हाँथ उनके कन्धों से पीठ तक बारी बारी से कस रहे थे, मेरी साँसें तीब्र हो रही थी, मादक सिसकियों की अस्फुट ध्वनियाँ रह रह कर मेरे कंठ से उभर रही थी,


मेरे पति ने लिंग का योनी में घर्षण करते हुए कहा....स्टोरी का क्या बना....आगे क्या तुमने अपने भाई से शिल्पा की प्यास बुझवा दी...ओह...कितना मजा आ रहा है शावर के निचे मैथुन करने में....उफ....वह लिंग को आगे तक ठोक कर बोले, उनके हांथों में मेरी पतली कमर थी, उनकी जांघें मेरी जाँघों से टकरा कर विचित्र सी आवाज पैदा कर रही थी,


हाँ...उफ....ओह.......ऊई मां....तुम क्या मोटा कर लाये हो अपने लिंग को...इससे आज ज्यादा ही आनंद मिल रहा है...., मुझे वाकई पहले से ज्यादा मजा आ रहा था, मैं फिर स्टोरी पर आई....बड़ा मजा आया था....शिल्पा को मेरे भाई ने पूरा मजा दिया था...खूब जोर जोर के धक्के मारे थे...मैंने बताया और लिंग प्रहार से उत्त्पन्न आनन्दित कर देने वाली पीड़ा से मेरे शरीर के रोयें रोयें में पुलकन थी, कंठ खुश्क हो गया था, मेरी जीभ बार बार मेरे होठों पर फिर रही थी,


थोडी देर में मेरे पति ने मेरी मुद्रा बदलवाई अब मेरी पीठ उनकी ओर हो गई ऑर मैनें जरा झुक कर दीवार में लगी नल को पकड़ ली, वह मेरी योनी से लिंग निकाल चुके थे ऑर अब मेरी गुदा(गांड) में प्रवेश करा रहे थे, गुदा में लिंग पहले ही प्रहार में प्रवेश हो गया, उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर खूब शक्ति के साथ धक्के मारे ऑर गुदा में ही स्खलित हो गए, मैं भी स्खलित हो चुकी थी, फिर हम दोनों एक दुसरे से लिपट कर देर तक नहाते रहे,


मेरे पति को अब तीस पैंतीस दिन तक किसी टूर पर नहीं जाना था, उन्होंने शिल्पा वाली स्टोरी कई दिनों तक मुझसे बड़ी बारीकी से सुनी थी ऑर फिर हसरत जाहिर की थी की काश इस बार शिल्पा जब घर आये तो वो भी मौजूद हों, इस बात पर अफ़सोस भी जताया था की जब शिल्पा वाली घटना घटी तब वह वहाँ क्यों नहीं थे,


वे इस बार टूर से सिर्फ सौन्दर्य प्रसाधन नहीं लाये थे बल्कि कई इंग्लिश मैगजीन भी लाये थे जिनका विषय एक ही था सेक्स, उन मैगजीनों में अनेक भरी सेक्स अपील वाली मोडल्स के उत्तेजक नग्न व अर्धनग्न चित्र थे , कुछ कामोत्तेजक कहानियां व उदाहरण आदि थे तथा दुनिया के सेक्स से संबंधित कुछ मुख्य समाचार थे,


मै कई दिनों तक खाली समय में उन मैगजींस को देखती व पढ़ती रही थी,
दरअसल मेरी ससुराल इस शहर से चालीस किलोमीटर दूर एक कस्बे में है, जहां से कभी किसी काम से मेरी ससुराल के अन्य लोग आते रहते हैं, कभी मेरे ब्रिद्ध ससुर तो कभी ननद शिल्पा कभी मेरा एक मात्र देवर जो शिल्पा से चार वर्ष बड़ा है, अगर शहर में उनमे से किसी को शाम हो जाती है तो वे हमारे घर में ही ठहरते हैं,


एक दिन फिर मेरी ससुराल से एक शक्श आया, वह मेरा देवर था, शाम के पांच बजे वह हमारे घर आया था, मेरे पति घर पर नहीं थे, ऑफिस से साढे पांच या छः बजे तक ही आते थे,
मैं सोफे पर बैठी इंग्लिश मैगजीन पढ़ रही थी, तभी कॉल-बेल बजी, मैनें मैगजीन को सेंटर टेबल पर डाला ऑर यह सोचते हुवे दरवाजा खोला की शायद मेरे पति आज ऑफिस से जल्दी आ गए हैं, लेकिन दरवाजा खोला तो पाया की मेरा देवर जतिन सामने खडा है, उसने कुर्ता पायजामा पहन रखा था, वह कुर्ता पायजामा में काफी जाँच रहा था,


भाभी जी नमस्ते....उसने कहा ऑर अन्दर आ गया,


कहो जतिन आज कैसे रास्ता भूल गये, यम तो अपनी भाभी को पसंद ही नहीं करते

शायद.....मैनें दरवाजे को लोक्ड करके उसकी ओर मुड़ कर कहा,

ऐसा किसने कहा आपसे...वह सोफे पर बैठ कर बोला,

वह टेबल से उस मैगजीन को उठा चूका था जिसे मैं देख रही थी,



हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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