FUN-MAZA-MASTI
चार सहेलियों की चुदाई--2
मैने अपनी चूत को भी बहुत अच्छे से धोया था और सारे बाल भी सॉफ का लिए थे, लेकिन मस्ती इतनी थी कि चूत से पानी टपक रहा था और मेरी पॅंटी को गीला कर रहा था. आते ही हम दोनो सोफे पर ही गुत्थम गुत्था हो गये, कंचन ने झट से अपना कुर्ता और ब्रा निकाल दी उसके मोटे मोटे निपल मैने अपना मुँह मे भर लिए और बारी बारी से एक एक स्तन को मसल कर उसके निपल का रस पान करने लगी. कंचन ने भी मेरी मॅक्सी निकाल दी और पॅंटी भी, जो मैने नहा कर बिल्कुल अभी पहनी थी लेकिन वो चूत रस से भीग गयी थी.
फिर कंचन खड़ी हुई और सलवार निकाल दी, उसकी पॅंटी चूत के पास से उठी हुई थी जैसे ही उसने पॅंटी निकली मैं हैरान रह गयी. उस कुतिया ने वो वाइब्रटर अपनी चूत मे डाला हुआ था और वो बॅट्री मोड पर ऑन था.
मैने देखा तो वो बोली, "मेरी जान मैं हमेशा इसको चूत मे फसा का बाहर जाती हूँ ताकि मर्दो को देख कर बार बार झाड़ सकूँ."
"तू साली बहुत चुड़क्कड़ है." मैने कहा तो वो भी तपाक से बोली, "तुझे भी बना दूँगी."
और उसने वो वाइब्रटर निकाल कर मेरे मुँह मे घुसा दिया, उसकी चूत रस के साथ साथ मूत का नमकीन कसैला सा स्वाद भी जेहन मे उतरता चला गया, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने वो रस चाट लिया, अब कंचन ने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और वो वाइब्रटर मेरी चूत मे पीछे से घुसा दिया, और स्पीड भी एकदम फुल कर दी, मैं 2 मिनिट मे ही झाड़ गयी लेकिन उसने मुझे बुरी तरह से जाकड़ लिया था मैं उठ भी नही सकती थी और हिल भी नही सकती थी.
मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और मैने इतना महसूस किया कि मेरी चूत से एक तेज धार कंचन के स्तनो को भिगो रही थी.
जब मुझे होश आया तो मैं सोफे पर ही पड़ी थी और कंचन बड़बड़ा रही थी, "साली मेरे मुँह पर ही मूत दिया."
मैने नॉर्मल होने की कॉसिश की और उठा कर अपने बेडरूम मे गयी, कंचन भी पीछे से आ गयी. मुझे सेक्स हमेशा से ही स्लो और लंबा पसंद है वाइल्ड सेक्स के कारण मुझे घबराहट हो रही थी. मैं आँखें बंद करके लेट गयी.
मेरी आँख तब खुली जब कंचन ने मेरी चूत के लिप्स पर अपनी जीभ घुमाई, और मेरी चूत का दाना बहुत संवेदनशील हो गया था, जैसे ही उसने दाना अपने मुँह मे भरा मेरी सिसकी निकल गयी.
मैं, "आआआहह कंचन धीरे कर."
कंचन समझ रही थी कि मैं रूफ सेक्स की आदि नही हूँ, मेरे हज़्बेंड भी मुझे धीरे धीरे उत्तेजित करते हुए प्यार से मेरी चुदाई करते है.कंचन ने अपने दोनो हाथो से मेरी चूत को फैलाया और अंदर के भाग पर जीभ फेरी मेरे मूत छिद्र पर उसकी जीभ कुछ ऐसा जादू कर रही थी मानो कि मेरा मूत निकल जाएगा, वो पूरी चूत को मुँह मे भर कर चूम रही थी.
फिर कंचन ने एक उंगली अंदर डाल दी और दाने पर जीभ चलाने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अचानक उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे दबा लिया, और काँपने लगी, मैने आँखें खोल कर देखा तो वो उसकी चूत से वाइब्रटर निकाल रही थी
फिर हम दोनो लिपट कर लेट गये. थोड़ी ही देर मे हमे कब नींद आ गयी पता ही नही चला
सुबह आँख खुली तो कंचन तैयार होकर जा रही थी, उसकी बेटी को स्कूल जाना था. दूसरी रात वो नही आ सकती थी लेकिन छाया आंटी से कंचन ने मेरे घर पर सोने को बोल दिया था,
छाया उमर के इस पड़ाव पर भी एक दम फिट थी. वो रोज योगा करती थी वो जानती थी कि उसे खुद को फिट रखना ही होगा. लेकिन उसके पति की मौत के बाद किसी ने उसको नंगा नही देखा था. वो अपनी चूत मे उंगलिया करते करते बोर हो गयी थी और कुछ नया चाहती थी. छाया भी मेरी तरफ आकर्षित थी लेकिन वो ये सोच कर रुक जाती थी कि अगर मैने विरोध किया तो उसकी मेरी नज़र मे क्या रह जाएगी. छाया कई बार मेरे नाम लेकर भी अपनी चूत को सहला चुकी थी.
हम दोनो बैठ कर बात कर ही रहे थे, छाया के दिलो दिमाग़ मे एक द्वन्द चल रहा था, हम बात ही कर रहे थे कि छाया आंटी का हाथ सोफे से मेरी पीठ पर मैने महसूस किया, ये नॉर्मल टच नही था, औरतों को टच की पहचान होती है.
छाया बोली, “चलो एक राइड हो जाए कार से घूम कर आते है, मैने भी हाँ कर दी और हम दोनो घूमने निकल पड़े.
थोड़ा सुनसान आते ही छाया आंटी बोली थोड़ा गाड़ी रोक, तो मैने गाड़ी रोक दी
उनके साथ मैं भी नीचे उतर गयी, वो थोड़ा आगे गयी और साड़ी उठा कर ज़मीन पर बैठ गयी और उनकी दुबली पतली सी गोरी गांद मेरे सामने थी, वो जान बुझ कर लाइट मे जाकर बैठी थी, और मूतने की मधुर आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. अब मुझे भी कुछ होना शुरू हो गया था.
हम दोनो वही बुनट पर टिक कर खड़े हो गये, छाया आंटी की उंगलियाँ मेरे हाथ के ऊपर ही थी.
छाया आंटी बोली, “एक बात पुच्छू तुमसे.”
मुझे जैसे लगा कि वो क्या चाहती है, “हा आंटी पूछो ना.”
वो थोड़ा रुक गयी और बोली, “मर्दो का साथ कैसा होता है, मुझे पता है. लेकिन एक लड़की के साथ होना कैसा लगता है.”
मुझे लगा कि मैं झाड़ रही हूँ और चूत का रस मेरी पॅंटी को भिगो रहा है,
छाया आंटी मेरी तरफ घूमी और मेरे गाल पर अपना हाथ रखा, मैं उनकी तरफ ही देख रही थी, और वो मेरी तरफ बढ़ी और उनका चेहरा मेरे पास आ गया, मैने साँस रोक ली और मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी.
और हम दोनो के होठ मिल गये, उूुुउउम्म्म्मममममम और कुछ ही देर मे हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ खेल रही थी, प्यार का खेल जो अभी सिर्फ़ शुरू ही हुआ था.
छाया आंटी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और मैं मेल की तरह उनसे लिपट गयी. हम दोनो के हाथ एक दूसरे की पीठ को सहला रहे थे, छाया आंटी ने ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे स्तन को दबाना और सहलाना शुरू किया. मेरे निपल कड़क हो गये थे, वो मेरी ब्रा और ब्लाउज के ऊपर से छाया आंटी महसूस कर रही थी. उन्होने मेरे बटन खोलना चाहे पर मैने उनको रोक दिया और कहा घर चलो.
5 मिनिट मे ही हम घर पर थे. आते ही छाया आंटी ने मेरा ब्लाउस खोल दिया वो मेरे नंगे होते बदन पर ऐसे हाथ फेर रही कि मैं उस नशे मे खोती ही जा रही थी. छाया आंटी ने मेरे पेटिकोट का नाडा खोला और मेरा पेटिकोट और साड़ी वही फर्श पर गिर गये.
"उसने जब मेरे हिप्स पर छुआ तो मैं काँप गयी, वो बोली, “मेरी जान मैं तुमको आज अपना बनाना चाहती हूँ.”
छाया आंटी ने मेरा हाथ उनके स्तनो पर रख और मैने उनके स्तन दबाना शुरू किया और उनका ब्लाउस और साडी खोल दी, फिर मैने उनका पेटिकोट भी निकाल दिया. छाया आंटी के निपल थोड़े बड़े थे मैं उनको पकड़ा, तो वो उछल पड़ी आआआहह धीरे करो मेरी जान.
उनकी चूत से भी रस टपक रहा था और उनकी पॅंटी भीग गयी थी, मैने छाया आंटी की गर्देन पर चूमना शुरू किया, किसी भी औरत को गर्देन पर चूमना बहुत जल्दी उत्तेजित करता है, अब मैने उनको सोफे पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गयी और उनके निपल चूसने लगी. छाया आंटी ने मुझे कहा, तुम बहुत सुंदर हो मेरी रानी.”
मैने छाया आंटी की पॅंटी निकाल दी, उनकी चूत का गीलापन बाहर तक टपक रहा था और फूली हुए बिना बालों वाली चूत की महक मुझे आने लगी थी, मैने उसकी फूली हुए चूत पर हाथ फेरा और झुक कर उसकी गरम गीली चूत पर अपनी जीभ घुमाई, नीचे से जहाँ उसकी चूत खुल रही थी और उसकी गांद के भूरे छेद तक. और ज़ोर से उसकी पूरी चूत को मुँह मे भर लिया, आआआहह उसकी सिसकी निकल गयी, अंगूठे से मैने छाया आंटी की चूत के दाने को घिसना शुरू किया, और नीचे की तरफ मैं जीभ फेर रही थी, मैं उसकी चूत भूखी कुतिया जैसे अपना खाना खाती है वैसे चाट रही थी.
"हे भगवान, आआआआआहह चतो और चतो म्म्म्ममममममम बहुत मज़ा आ रहा है मुझे..." छाया आंटी बड़बड़ा रही थी
मुझे पता ही नही था कि जीभ इतने कमाल की चीज़ है जो लंड से ज़्यादा मज़ा दे सकती है और वो भी तब जब एक औरत दूसरी औरत के साथ हो तब. छाया आंटी की चूत से रस टपक रहा था और मैं उस कसैले नमकीन मीठे से स्वाद वाले चूत रस को चाते जा रही थी. छाया आंटी काँपने लगी थी और शायद वो अब झड़ने ही वाली थी.
और जैसे ही मैने उनकी चूत का दाना मुँह मे भरा वो झड़ने लगी. और वो बहुत देर तक झड़ती रही और एकदम शांत हो गयी.
अब उनकी बारी थी लेकिन मैं उनको थोड़ा आराम का मौका देना चाहती थी इस लिए मैं बाथरूम मे चली गयी.
जब मैं वापिस आई तो छाया आंटी टाय्लेट जाने के लिए उठी, उनके गालों पर गुलाबी रंगत छाई हुए थी मैने उनका हाथ पकड़ा और कान के पास मुँह लेजाते हुए बोली, “ कैसा लगा मेरी प्यारी आंटी.” और कान मे फूँक मार दी, वो सिहर गयी और हाथ छुड़ाते हुए बाथरूम मे भाग गयी.
मैं बेड पर लेट गयी और दोनो पैर भी ऊपर उठा कर रख दिए,
छाया आंटी कब आई मुझे नही पता, लेकिन अब वो बेड के नीचे मेरी दोनो टॅंगो के बीच मे थी और मेरी टपकती हुए चूत पर उनकी जीभ चलने लगी, और उन्होने दाने पर जीभ चलाते हुए एक उंगली मक्कन जैसी चिकनी चूत मे उतार दी, मैने भी गांद उछाल कर उनकी उंगली को अंदर तक ले लिया.
मेरा मुँह खुल गया था और मैं मुँह से साँस ले रही थी,
मैं बोली. "आआआआआआअहह आंटी बहुत प्यारा लग रहा है,"
छाया आंटी ने धीरे से कहा, "आहे देख ये तो शुरुआत है."
छाया आंटी ने अब एक और उंगली मेरी चूत मे डाल दी और आगे पीछे कर दी मैने भी अपने शरीर का भार आगे को लिए और उठकर उनकी उंगलियों को चूत मे अंदर बाहर होते हुए देखने लगी, और मैने भी अपनी गांद को आगे पीछे करते हुए गांद को उनके हाथ के ले से ताल मिलाने लगी, छाया आंटी कीउंगलियाँ अब मुझे लंड के जैसा ही मज़ा दे रही थी, और मैने अपनी कोहली को मोड़ कर अपने हाथ से अपने ही निपल को पकड़ कर मसलना शुरू किया, अब मस्ती अपने शबाब पर थी और मैं एक अलग ही दुनिया मे थी.
मैने अपनी आँखें बंद कर ली थी अचानक छाया आंटी ने अपनी उंगलियाँ निकाल ली और उसकी जगह किसी और चीज़ ने ले ली थी, छाया आंटी ने बस वो चीज़ मेरी चूत मे घुसानी शुरू कर दी, ये तो वो लंबा वाला बैंगन था जो वो सुबह पकाने के लिए लाई थी और उसने सोचा भी ना था कि इसको ऐसे भी इस्तेमाल कर सकते है.
छाया आंटी मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए बॅंगेन को अंदर बाहर करने लगी, वो ठंडा बैंगन मुझे बहुत मज़ा दे रहा था, और मेरी छ्होट और ज़्यादा फैल गयी थी.
छाया आंटी बोली, “बेटा तुम्हारी छूत तो झरना बन गयी है, कितना रस छ्चोड़ रही है.”
छाया आंटी के तरीकों से मैं अब पूरी तरह से पिघलने को तैयार थी और मेरा बदन अकड़ने लगा था और मैं तेज आआआआआआआआआआअहह के साथ झाड़ गयी.
लेकिन छाया आंटी ने बंद नही किया, वो रुक ही नही रही थी बल्कि बैंगन को और तेज़ी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.
मेरी गांद का छेद फिर से सिकुड गया और एक तेज लहर मेरे बदन मे उठी और झड़ने के साथ साथ मेरा मूत निकल गया. और छाया आंटी पूरा भीग गयी.
अब छाया आंटी ने मेरी छूत से वो बैंगन बाहर निकाल लिया और झुक कर वो मेरी रस से भरी हुई चूत को चाटने लगी, और एक उंगली से वो मेरी गांद के छेद को कुरेदने लगी, मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था. मैने गांद को सिकोड लिया, पर जब वो जीभ से मेरी गांद को चाटने और सहलाने लगी तो मैने अब अपनी गांद को ढीला कर दिया, मेरे पति चाहते थे कि वो एक बार तो मेरी गांद मार ले पर मैने उनको कभी हाथ भी नही लगाने दिया था, लेकिन छाया आंटी की तरह अगर उन्होने मेरी गांद को चटा होता तो शायद……..
छाया आंटी ने एक उंगली को पहले चूत मे डाला फिर उसी उंगली को गांद मे डाल दिया. मुझे कभी इतना मज़ा नही आया था
"आंटी, ये क्या कर रही हो?" मैने पूछा
"तुमको प्यार के खेल सिखा रही हूँ मेरी जान," छाया आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, मैं घबराई हुए थी तो वो फिर से बोली, "तकलीफ़ नही होगी, डरो मत"
और झक कर मेरी गांद के छेद को चाटने लगी. धीरे धीरे चाटने और जीभ की नोक से गांद के छेद को खोलने की कोशिश. आआआआआआआहह म्म्म्ममममममममम मैं अब इस एहसास का और गांद चटाई का मज़ा ले रही थी.
अब उन्होने एक हाथ मेरी चूत पर टीकाया और जीभ गांद पर और चूत को सहलाते हुए गांद चाटने लगी, अब उन्होने दो उंगलियाँ चूत मे डाली और निकाल ली और फिर से उन्होने एक उंगली गांद मे और एक चूत मे डाल दी, थोड़ा सा लगा पर मैं इस मज़े को पाना चाहती थी, मैने अपनी गांद को सिकोड लिया था, पर छाया आंटी ने इशारा किया तो मैने फिर अपना बदन ढीला छ्चोड़ने की कोशिश की और अब मैने खुद ही नीचे को दबाब डाला और दोनो उंगलियों को गहराई मे उतार लिया.
अब वो बहुत तेज़ी से उंगलियों को अंदर बाहर कर रही थी और छाया आंटी ने कब दो उंगलियों मेरी गांद मे डाल दी पता ही नही चला, अब उन्होने दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ चूत मे डाल दी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भी उनके धक्को का जवाब अपने धक्को से दे रही थी. और अचानक उन्होने वो बैंगन मेरी गांद मे टीका दिया, मैं डर से काँप गयी क्योंकि वो थोड़ा मोटा था.
"हाए, भगवान के लिए आंटी. इससे बहुत दर्द होगा मत करो मैं मर जाउन्गि, पहले मैने कभी ऐसा नही किया है, प्लीज़ रुक जाओ."
"चिंता मत करो मेरी जान तुमको ज़रा भी तकलीफ़ नही होगी,"वो थोड़ा तेज गुस्से भरे लहजे मे बोली
"सारा बदन ढीला छ्चोड़ दो बेटा, , और गारी साँस लो," छाया आंटी बोली
मैं शांत होने की पूरी कोशिश कर रही थी और छाया आंटी ने बैंगन का दवाब बदाया और मेरी गांद का छल्ला खुलने लगा और वो बैंगन को रास्ता दे रहा था.
"आआअहह माआआआअ !" मैं कराह रही थी, और रात के सन्नाटे मे इस आवाज़ को ज़रूर किसी ने सुना होगा
छाया आंटी सिर्फ़ मुस्कुरा रही थी, बैंगन को धकेलना तो रोक दिया था लेकिन वो मेरी चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से सहला रही थी, एक मिनिट रुकने के बाद जब मैं रिलॅक्स हुई तो उन्होने फिर से बैंगन अंदर डाला और ऐसे करते करते उन्होने पूरा बैंगन अंदर कर दिया. और वो अब धीरे धीरे बैंगन को मेरी गांद मे अंदर बाहर करने लगी, और कुछ ही मिनिट मे मैं भी अपनी गांद हिला हिला कर वो बैंगन अपनी गांद मे लेने लगी, अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.
छाया आंटी ने करवट बदली और मेरे ऊपर आ गयी, और उन्होने मेरे मुँह पर चूत को रख दिया और मैं उनकी चूत चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आरहा था, मेरे मुँह से अब दबी हुए आवाज़ें निकल रही थी, मैं अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी पर झाड़ ही नही पा रही थी. अचानक छाया आंटी काँपने लगी और हम दोनो एक साथ झड़ने लगी.
मैने उनको थाम लिया, और वो बैंगन अब भी मेरी गांद मे ही था, आंटी ने वो बाहर निकाला मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मेरी गांद सूज गयी थी, मैं थोड़ी दूर तक चली और लड़खड़ा कर गिर गयी, ये बार बार झड़ने के कारण और दर्द जो अब मैं महसूस कर रही थी उसके कारण हुआ था.
पर अभी ये ख़तम नही हुआ था
थोड़ी देर के बाद छाया आंटी मेरी थाइ पर बैठी थी और उनकी गीली गरम चूत मेरी थाइ पर घिस रही थी. मैं भी तैयार थी उनको जो हुआ वापिस चुकाने को, मैने अपने रूम मे पड़ी हुए ईज़ी चेर पर उनको धकेल दिया और झुक कर उनकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. उनकी छूट गुलाबी और बिल्कुल चिकनी थी, गरम और रसीली भी. मैने धीरे से ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ को घुमाया. वो तो एक मिनिट मे ही झाड़ गयी, काँपने लगी, लेकिन मैने उनको नही छ्चोड़ा.
मैने चूस चूस कर उनकी चूत के रस को मुँह मे भर लिया और उनके मुँह से मुँह लगा दिया और किस करते हुए बूँद बूँद करके सारा रस उनको पिलाने लगी,
और मैने ऐसा करते हुए वो बैंगन उठाया और उनकी चूत मे पेल दिया, एक ही झटके मे. और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी, वो क के बाद कई बार झड़ने लगी और उनका सारा बदन काँप रहा था.
और वो मूतने लगी, मेरा बदला पूरा हो गया था अब मैं बहुत खुश थी लेकिन गांद का बदला बाकी था…………
पर अब हम दोनो बहुत थक गये थे कब सो गये पता ही नही चला.
शूबह दरवाज़े की घंटी बजी तब हुमारी आँख खुली और मैने झट से कपड़े पहने और छाया आंटी कपड़े समेट कर टाय्लेट मे चली गयी, हमारी काम वाली थी. वो आई और काम करने लगी, इसके बाद जब वो चली गयी तब तक छाया आंटी भी चली गयी थी.
लेकिन दोपहर मे ही मेरी बेहन का लड़का आ गया और कंचन को आज का प्लान कॅन्सल करना पड़ा पर वो बोली, “लंड आया है कूद चल कर चुद्वा ले.”
उसकी ये बात मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी पर मैं डरती थी कि ये सही नही है, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया.
मैं जानती थी कि अगर मेरा ऐसा वैसा कुछ भी मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे.
लेकिन मैने ईक दिन महसूसू किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखता है और ये बात मैने छाया आंटी को बताई तो वो बोली, “अरे ट्राइ कर और मज़ा ले.”
अब मैं भी इस बात को सोचने के लिए मेजर हो गयी थी की कुछ करने तो पड़ेगा, और जब वो भी इंट्रेस्टेड है तो मौका क्यों छ्चोड़ना.
वो उस सुबह जब मैं उसके कमरे मे गयी तो नंगा लेटा हुआ था, और मूठ मार रहा था, और उसके भी शायद मुझे देख लिया था लेकिन वो रुका नही, वो अब कदम उठाने लगा था. लेकिन उसके झड़ने पर मैं हैरान रह गयी, वो झाड़ते हुए बोला, “आआअहह मौसी पी लो लंड के रस को!!!”
अब हुआ ये कि मैं उससे नज़रें चुरा रही थी, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.
सनडे की बात है उसको आए 2 दिन निकल गये थे, वो सुबह वही हरकत कर रहा था, की मैने उसका दरवाज़ा अचानक खोल दिया, मुझे अंदाज़ा ही नही था कि वो इस हालत मे होगा, वो खुद को ढक भी नही सकता था, और मैं दरवाज़े पर खड़ी हुए उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.
(आयेज की कहानी मेरे भतीजे से ही लिखवाते है)
मौसी मेरे सामने थी और मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू, वो आई और उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया, ऐसा मैने सोचा ही नही था कि वो ऐसा कुछ करेंगी, और मेरे 7 इंच के लंड को हिलाने लगी.
वो झुकी और लंड के सूपदे की खाल को पीछे किया और गुलाबी सूपदे को मुँह मे भर लिया, मैने तकिये पर सिर टीकाया और आँखें बंद कर ली और मुझे लगा कि मैं एक मिनिट मे ही झाड़ जाउन्गा. वो लंड के अगले भाग पर जीभ की नोक चला रही थी और एक हाथ से आधे लंड को पकड़ा हुआ था ताकि मैं उनके काबू मे रहूं. अब वो नीचे को हुए और मेरे टेस्टिकल को मुँह मे भर का चूसने लगी, इससे मेरा लंड और भी ज़्यादा फूल गया.
वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही लंड को निशाने पर लगाया और नीचे होने लगी, उनकी गरम गीली और मुलायम चूत मेरे लंड पर फिसल रही थी, वो पूरा बैठ गयी. अब उन्होने वो रेड कलर की मॅक्सी को अपने सिर के ऊपर से निकाल फेंका, तने हुए निपल और गोरा बदन. मैने झट से उनके मम्मो को पकड़ लिया.
अब वो आँखें बंद किए हुए ऊपर नीचे हो रही थी और मैं मौसी के मम्मो के साथ खेल रहा था.
"आआअहह म्म्म्ममममममममम ऊऊहहमाआआआआआअ कितना बड़ा लंड है, अंदर तक टकरा रहा है!" मौसी बड़बड़ा रही थी
अब मैने भी नीचे से धक्के मारने शुरू किया और एक ताल मे हम धक्के मार रहे थे.
मैने एक हाथ नीचे किया और मौसी की चूत के दाने पर अपना अंगूठा लगा दिया और दाने को घिसने लगा, मौसी की चूत का रस मेरे लंड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.
और अब मैं और वो दोनो झड़ने लगे, और आंटी ने आँख खोली और मेरे ऊपर से हटी तो उनकी चूत से मेरे और उनके रस की धार लग गयी. वो मेरे बगल मे लेट गयी और साँसें भरने लगी.
वो उठा और मुझे गोद मे उठा लिया मेरा 46 क्ग वेट उसको कुछ भी नही लगा, शवर के नीचे खड़ा करके उसने शवर ऑन कर दिया. और उसका लंड अब फिर से तन गया था. गरम पानी और उसका लंड मेरी चूत मे हलचल मच गयी, मैं वही झुक कर खड़ी हो गयी और उसने पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल दिया, मैं पहले से ही बहुत गीली थी तो उसका लंड एक झटके मे चला गया, मेरी कमर पकड़ कर वो धक्के मारने लगा.
वो लंड को पूरा बाहर तक निकालता और एक झटके मे अंदर वापिस डाल रहा था, और उसका लंड अंदर कही टकरा जाता तो एक दर्द की मीठी लहर मेरे तन बदन मे दौड़ जाती.
मैं झड़ने लगी और तभी मैने महसूस किया कि उसने भी वीर्य की धार मैं अपने गर्भाशय पर महसूस कर रही थी, हम वही खड़े रहे, फिर हमने नाहया और बाहर आ गये.
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चार सहेलियों की चुदाई--2
मैने अपनी चूत को भी बहुत अच्छे से धोया था और सारे बाल भी सॉफ का लिए थे, लेकिन मस्ती इतनी थी कि चूत से पानी टपक रहा था और मेरी पॅंटी को गीला कर रहा था. आते ही हम दोनो सोफे पर ही गुत्थम गुत्था हो गये, कंचन ने झट से अपना कुर्ता और ब्रा निकाल दी उसके मोटे मोटे निपल मैने अपना मुँह मे भर लिए और बारी बारी से एक एक स्तन को मसल कर उसके निपल का रस पान करने लगी. कंचन ने भी मेरी मॅक्सी निकाल दी और पॅंटी भी, जो मैने नहा कर बिल्कुल अभी पहनी थी लेकिन वो चूत रस से भीग गयी थी.
फिर कंचन खड़ी हुई और सलवार निकाल दी, उसकी पॅंटी चूत के पास से उठी हुई थी जैसे ही उसने पॅंटी निकली मैं हैरान रह गयी. उस कुतिया ने वो वाइब्रटर अपनी चूत मे डाला हुआ था और वो बॅट्री मोड पर ऑन था.
मैने देखा तो वो बोली, "मेरी जान मैं हमेशा इसको चूत मे फसा का बाहर जाती हूँ ताकि मर्दो को देख कर बार बार झाड़ सकूँ."
"तू साली बहुत चुड़क्कड़ है." मैने कहा तो वो भी तपाक से बोली, "तुझे भी बना दूँगी."
और उसने वो वाइब्रटर निकाल कर मेरे मुँह मे घुसा दिया, उसकी चूत रस के साथ साथ मूत का नमकीन कसैला सा स्वाद भी जेहन मे उतरता चला गया, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने वो रस चाट लिया, अब कंचन ने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और वो वाइब्रटर मेरी चूत मे पीछे से घुसा दिया, और स्पीड भी एकदम फुल कर दी, मैं 2 मिनिट मे ही झाड़ गयी लेकिन उसने मुझे बुरी तरह से जाकड़ लिया था मैं उठ भी नही सकती थी और हिल भी नही सकती थी.
मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और मैने इतना महसूस किया कि मेरी चूत से एक तेज धार कंचन के स्तनो को भिगो रही थी.
जब मुझे होश आया तो मैं सोफे पर ही पड़ी थी और कंचन बड़बड़ा रही थी, "साली मेरे मुँह पर ही मूत दिया."
मैने नॉर्मल होने की कॉसिश की और उठा कर अपने बेडरूम मे गयी, कंचन भी पीछे से आ गयी. मुझे सेक्स हमेशा से ही स्लो और लंबा पसंद है वाइल्ड सेक्स के कारण मुझे घबराहट हो रही थी. मैं आँखें बंद करके लेट गयी.
मेरी आँख तब खुली जब कंचन ने मेरी चूत के लिप्स पर अपनी जीभ घुमाई, और मेरी चूत का दाना बहुत संवेदनशील हो गया था, जैसे ही उसने दाना अपने मुँह मे भरा मेरी सिसकी निकल गयी.
मैं, "आआआहह कंचन धीरे कर."
कंचन समझ रही थी कि मैं रूफ सेक्स की आदि नही हूँ, मेरे हज़्बेंड भी मुझे धीरे धीरे उत्तेजित करते हुए प्यार से मेरी चुदाई करते है.कंचन ने अपने दोनो हाथो से मेरी चूत को फैलाया और अंदर के भाग पर जीभ फेरी मेरे मूत छिद्र पर उसकी जीभ कुछ ऐसा जादू कर रही थी मानो कि मेरा मूत निकल जाएगा, वो पूरी चूत को मुँह मे भर कर चूम रही थी.
फिर कंचन ने एक उंगली अंदर डाल दी और दाने पर जीभ चलाने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अचानक उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे दबा लिया, और काँपने लगी, मैने आँखें खोल कर देखा तो वो उसकी चूत से वाइब्रटर निकाल रही थी
फिर हम दोनो लिपट कर लेट गये. थोड़ी ही देर मे हमे कब नींद आ गयी पता ही नही चला
सुबह आँख खुली तो कंचन तैयार होकर जा रही थी, उसकी बेटी को स्कूल जाना था. दूसरी रात वो नही आ सकती थी लेकिन छाया आंटी से कंचन ने मेरे घर पर सोने को बोल दिया था,
छाया उमर के इस पड़ाव पर भी एक दम फिट थी. वो रोज योगा करती थी वो जानती थी कि उसे खुद को फिट रखना ही होगा. लेकिन उसके पति की मौत के बाद किसी ने उसको नंगा नही देखा था. वो अपनी चूत मे उंगलिया करते करते बोर हो गयी थी और कुछ नया चाहती थी. छाया भी मेरी तरफ आकर्षित थी लेकिन वो ये सोच कर रुक जाती थी कि अगर मैने विरोध किया तो उसकी मेरी नज़र मे क्या रह जाएगी. छाया कई बार मेरे नाम लेकर भी अपनी चूत को सहला चुकी थी.
हम दोनो बैठ कर बात कर ही रहे थे, छाया के दिलो दिमाग़ मे एक द्वन्द चल रहा था, हम बात ही कर रहे थे कि छाया आंटी का हाथ सोफे से मेरी पीठ पर मैने महसूस किया, ये नॉर्मल टच नही था, औरतों को टच की पहचान होती है.
छाया बोली, “चलो एक राइड हो जाए कार से घूम कर आते है, मैने भी हाँ कर दी और हम दोनो घूमने निकल पड़े.
थोड़ा सुनसान आते ही छाया आंटी बोली थोड़ा गाड़ी रोक, तो मैने गाड़ी रोक दी
उनके साथ मैं भी नीचे उतर गयी, वो थोड़ा आगे गयी और साड़ी उठा कर ज़मीन पर बैठ गयी और उनकी दुबली पतली सी गोरी गांद मेरे सामने थी, वो जान बुझ कर लाइट मे जाकर बैठी थी, और मूतने की मधुर आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. अब मुझे भी कुछ होना शुरू हो गया था.
हम दोनो वही बुनट पर टिक कर खड़े हो गये, छाया आंटी की उंगलियाँ मेरे हाथ के ऊपर ही थी.
छाया आंटी बोली, “एक बात पुच्छू तुमसे.”
मुझे जैसे लगा कि वो क्या चाहती है, “हा आंटी पूछो ना.”
वो थोड़ा रुक गयी और बोली, “मर्दो का साथ कैसा होता है, मुझे पता है. लेकिन एक लड़की के साथ होना कैसा लगता है.”
मुझे लगा कि मैं झाड़ रही हूँ और चूत का रस मेरी पॅंटी को भिगो रहा है,
छाया आंटी मेरी तरफ घूमी और मेरे गाल पर अपना हाथ रखा, मैं उनकी तरफ ही देख रही थी, और वो मेरी तरफ बढ़ी और उनका चेहरा मेरे पास आ गया, मैने साँस रोक ली और मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी.
और हम दोनो के होठ मिल गये, उूुुउउम्म्म्मममममम और कुछ ही देर मे हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ खेल रही थी, प्यार का खेल जो अभी सिर्फ़ शुरू ही हुआ था.
छाया आंटी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और मैं मेल की तरह उनसे लिपट गयी. हम दोनो के हाथ एक दूसरे की पीठ को सहला रहे थे, छाया आंटी ने ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे स्तन को दबाना और सहलाना शुरू किया. मेरे निपल कड़क हो गये थे, वो मेरी ब्रा और ब्लाउज के ऊपर से छाया आंटी महसूस कर रही थी. उन्होने मेरे बटन खोलना चाहे पर मैने उनको रोक दिया और कहा घर चलो.
5 मिनिट मे ही हम घर पर थे. आते ही छाया आंटी ने मेरा ब्लाउस खोल दिया वो मेरे नंगे होते बदन पर ऐसे हाथ फेर रही कि मैं उस नशे मे खोती ही जा रही थी. छाया आंटी ने मेरे पेटिकोट का नाडा खोला और मेरा पेटिकोट और साड़ी वही फर्श पर गिर गये.
"उसने जब मेरे हिप्स पर छुआ तो मैं काँप गयी, वो बोली, “मेरी जान मैं तुमको आज अपना बनाना चाहती हूँ.”
छाया आंटी ने मेरा हाथ उनके स्तनो पर रख और मैने उनके स्तन दबाना शुरू किया और उनका ब्लाउस और साडी खोल दी, फिर मैने उनका पेटिकोट भी निकाल दिया. छाया आंटी के निपल थोड़े बड़े थे मैं उनको पकड़ा, तो वो उछल पड़ी आआआहह धीरे करो मेरी जान.
उनकी चूत से भी रस टपक रहा था और उनकी पॅंटी भीग गयी थी, मैने छाया आंटी की गर्देन पर चूमना शुरू किया, किसी भी औरत को गर्देन पर चूमना बहुत जल्दी उत्तेजित करता है, अब मैने उनको सोफे पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गयी और उनके निपल चूसने लगी. छाया आंटी ने मुझे कहा, तुम बहुत सुंदर हो मेरी रानी.”
मैने छाया आंटी की पॅंटी निकाल दी, उनकी चूत का गीलापन बाहर तक टपक रहा था और फूली हुए बिना बालों वाली चूत की महक मुझे आने लगी थी, मैने उसकी फूली हुए चूत पर हाथ फेरा और झुक कर उसकी गरम गीली चूत पर अपनी जीभ घुमाई, नीचे से जहाँ उसकी चूत खुल रही थी और उसकी गांद के भूरे छेद तक. और ज़ोर से उसकी पूरी चूत को मुँह मे भर लिया, आआआहह उसकी सिसकी निकल गयी, अंगूठे से मैने छाया आंटी की चूत के दाने को घिसना शुरू किया, और नीचे की तरफ मैं जीभ फेर रही थी, मैं उसकी चूत भूखी कुतिया जैसे अपना खाना खाती है वैसे चाट रही थी.
"हे भगवान, आआआआआहह चतो और चतो म्म्म्ममममममम बहुत मज़ा आ रहा है मुझे..." छाया आंटी बड़बड़ा रही थी
मुझे पता ही नही था कि जीभ इतने कमाल की चीज़ है जो लंड से ज़्यादा मज़ा दे सकती है और वो भी तब जब एक औरत दूसरी औरत के साथ हो तब. छाया आंटी की चूत से रस टपक रहा था और मैं उस कसैले नमकीन मीठे से स्वाद वाले चूत रस को चाते जा रही थी. छाया आंटी काँपने लगी थी और शायद वो अब झड़ने ही वाली थी.
और जैसे ही मैने उनकी चूत का दाना मुँह मे भरा वो झड़ने लगी. और वो बहुत देर तक झड़ती रही और एकदम शांत हो गयी.
अब उनकी बारी थी लेकिन मैं उनको थोड़ा आराम का मौका देना चाहती थी इस लिए मैं बाथरूम मे चली गयी.
जब मैं वापिस आई तो छाया आंटी टाय्लेट जाने के लिए उठी, उनके गालों पर गुलाबी रंगत छाई हुए थी मैने उनका हाथ पकड़ा और कान के पास मुँह लेजाते हुए बोली, “ कैसा लगा मेरी प्यारी आंटी.” और कान मे फूँक मार दी, वो सिहर गयी और हाथ छुड़ाते हुए बाथरूम मे भाग गयी.
मैं बेड पर लेट गयी और दोनो पैर भी ऊपर उठा कर रख दिए,
छाया आंटी कब आई मुझे नही पता, लेकिन अब वो बेड के नीचे मेरी दोनो टॅंगो के बीच मे थी और मेरी टपकती हुए चूत पर उनकी जीभ चलने लगी, और उन्होने दाने पर जीभ चलाते हुए एक उंगली मक्कन जैसी चिकनी चूत मे उतार दी, मैने भी गांद उछाल कर उनकी उंगली को अंदर तक ले लिया.
मेरा मुँह खुल गया था और मैं मुँह से साँस ले रही थी,
मैं बोली. "आआआआआआअहह आंटी बहुत प्यारा लग रहा है,"
छाया आंटी ने धीरे से कहा, "आहे देख ये तो शुरुआत है."
छाया आंटी ने अब एक और उंगली मेरी चूत मे डाल दी और आगे पीछे कर दी मैने भी अपने शरीर का भार आगे को लिए और उठकर उनकी उंगलियों को चूत मे अंदर बाहर होते हुए देखने लगी, और मैने भी अपनी गांद को आगे पीछे करते हुए गांद को उनके हाथ के ले से ताल मिलाने लगी, छाया आंटी कीउंगलियाँ अब मुझे लंड के जैसा ही मज़ा दे रही थी, और मैने अपनी कोहली को मोड़ कर अपने हाथ से अपने ही निपल को पकड़ कर मसलना शुरू किया, अब मस्ती अपने शबाब पर थी और मैं एक अलग ही दुनिया मे थी.
मैने अपनी आँखें बंद कर ली थी अचानक छाया आंटी ने अपनी उंगलियाँ निकाल ली और उसकी जगह किसी और चीज़ ने ले ली थी, छाया आंटी ने बस वो चीज़ मेरी चूत मे घुसानी शुरू कर दी, ये तो वो लंबा वाला बैंगन था जो वो सुबह पकाने के लिए लाई थी और उसने सोचा भी ना था कि इसको ऐसे भी इस्तेमाल कर सकते है.
छाया आंटी मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए बॅंगेन को अंदर बाहर करने लगी, वो ठंडा बैंगन मुझे बहुत मज़ा दे रहा था, और मेरी छ्होट और ज़्यादा फैल गयी थी.
छाया आंटी बोली, “बेटा तुम्हारी छूत तो झरना बन गयी है, कितना रस छ्चोड़ रही है.”
छाया आंटी के तरीकों से मैं अब पूरी तरह से पिघलने को तैयार थी और मेरा बदन अकड़ने लगा था और मैं तेज आआआआआआआआआआअहह के साथ झाड़ गयी.
लेकिन छाया आंटी ने बंद नही किया, वो रुक ही नही रही थी बल्कि बैंगन को और तेज़ी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.
मेरी गांद का छेद फिर से सिकुड गया और एक तेज लहर मेरे बदन मे उठी और झड़ने के साथ साथ मेरा मूत निकल गया. और छाया आंटी पूरा भीग गयी.
अब छाया आंटी ने मेरी छूत से वो बैंगन बाहर निकाल लिया और झुक कर वो मेरी रस से भरी हुई चूत को चाटने लगी, और एक उंगली से वो मेरी गांद के छेद को कुरेदने लगी, मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था. मैने गांद को सिकोड लिया, पर जब वो जीभ से मेरी गांद को चाटने और सहलाने लगी तो मैने अब अपनी गांद को ढीला कर दिया, मेरे पति चाहते थे कि वो एक बार तो मेरी गांद मार ले पर मैने उनको कभी हाथ भी नही लगाने दिया था, लेकिन छाया आंटी की तरह अगर उन्होने मेरी गांद को चटा होता तो शायद……..
छाया आंटी ने एक उंगली को पहले चूत मे डाला फिर उसी उंगली को गांद मे डाल दिया. मुझे कभी इतना मज़ा नही आया था
"आंटी, ये क्या कर रही हो?" मैने पूछा
"तुमको प्यार के खेल सिखा रही हूँ मेरी जान," छाया आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, मैं घबराई हुए थी तो वो फिर से बोली, "तकलीफ़ नही होगी, डरो मत"
और झक कर मेरी गांद के छेद को चाटने लगी. धीरे धीरे चाटने और जीभ की नोक से गांद के छेद को खोलने की कोशिश. आआआआआआआहह म्म्म्ममममममममम मैं अब इस एहसास का और गांद चटाई का मज़ा ले रही थी.
अब उन्होने एक हाथ मेरी चूत पर टीकाया और जीभ गांद पर और चूत को सहलाते हुए गांद चाटने लगी, अब उन्होने दो उंगलियाँ चूत मे डाली और निकाल ली और फिर से उन्होने एक उंगली गांद मे और एक चूत मे डाल दी, थोड़ा सा लगा पर मैं इस मज़े को पाना चाहती थी, मैने अपनी गांद को सिकोड लिया था, पर छाया आंटी ने इशारा किया तो मैने फिर अपना बदन ढीला छ्चोड़ने की कोशिश की और अब मैने खुद ही नीचे को दबाब डाला और दोनो उंगलियों को गहराई मे उतार लिया.
अब वो बहुत तेज़ी से उंगलियों को अंदर बाहर कर रही थी और छाया आंटी ने कब दो उंगलियों मेरी गांद मे डाल दी पता ही नही चला, अब उन्होने दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ चूत मे डाल दी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भी उनके धक्को का जवाब अपने धक्को से दे रही थी. और अचानक उन्होने वो बैंगन मेरी गांद मे टीका दिया, मैं डर से काँप गयी क्योंकि वो थोड़ा मोटा था.
"हाए, भगवान के लिए आंटी. इससे बहुत दर्द होगा मत करो मैं मर जाउन्गि, पहले मैने कभी ऐसा नही किया है, प्लीज़ रुक जाओ."
"चिंता मत करो मेरी जान तुमको ज़रा भी तकलीफ़ नही होगी,"वो थोड़ा तेज गुस्से भरे लहजे मे बोली
"सारा बदन ढीला छ्चोड़ दो बेटा, , और गारी साँस लो," छाया आंटी बोली
मैं शांत होने की पूरी कोशिश कर रही थी और छाया आंटी ने बैंगन का दवाब बदाया और मेरी गांद का छल्ला खुलने लगा और वो बैंगन को रास्ता दे रहा था.
"आआअहह माआआआअ !" मैं कराह रही थी, और रात के सन्नाटे मे इस आवाज़ को ज़रूर किसी ने सुना होगा
छाया आंटी सिर्फ़ मुस्कुरा रही थी, बैंगन को धकेलना तो रोक दिया था लेकिन वो मेरी चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से सहला रही थी, एक मिनिट रुकने के बाद जब मैं रिलॅक्स हुई तो उन्होने फिर से बैंगन अंदर डाला और ऐसे करते करते उन्होने पूरा बैंगन अंदर कर दिया. और वो अब धीरे धीरे बैंगन को मेरी गांद मे अंदर बाहर करने लगी, और कुछ ही मिनिट मे मैं भी अपनी गांद हिला हिला कर वो बैंगन अपनी गांद मे लेने लगी, अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.
छाया आंटी ने करवट बदली और मेरे ऊपर आ गयी, और उन्होने मेरे मुँह पर चूत को रख दिया और मैं उनकी चूत चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आरहा था, मेरे मुँह से अब दबी हुए आवाज़ें निकल रही थी, मैं अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी पर झाड़ ही नही पा रही थी. अचानक छाया आंटी काँपने लगी और हम दोनो एक साथ झड़ने लगी.
मैने उनको थाम लिया, और वो बैंगन अब भी मेरी गांद मे ही था, आंटी ने वो बाहर निकाला मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मेरी गांद सूज गयी थी, मैं थोड़ी दूर तक चली और लड़खड़ा कर गिर गयी, ये बार बार झड़ने के कारण और दर्द जो अब मैं महसूस कर रही थी उसके कारण हुआ था.
पर अभी ये ख़तम नही हुआ था
थोड़ी देर के बाद छाया आंटी मेरी थाइ पर बैठी थी और उनकी गीली गरम चूत मेरी थाइ पर घिस रही थी. मैं भी तैयार थी उनको जो हुआ वापिस चुकाने को, मैने अपने रूम मे पड़ी हुए ईज़ी चेर पर उनको धकेल दिया और झुक कर उनकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. उनकी छूट गुलाबी और बिल्कुल चिकनी थी, गरम और रसीली भी. मैने धीरे से ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ को घुमाया. वो तो एक मिनिट मे ही झाड़ गयी, काँपने लगी, लेकिन मैने उनको नही छ्चोड़ा.
मैने चूस चूस कर उनकी चूत के रस को मुँह मे भर लिया और उनके मुँह से मुँह लगा दिया और किस करते हुए बूँद बूँद करके सारा रस उनको पिलाने लगी,
और मैने ऐसा करते हुए वो बैंगन उठाया और उनकी चूत मे पेल दिया, एक ही झटके मे. और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी, वो क के बाद कई बार झड़ने लगी और उनका सारा बदन काँप रहा था.
और वो मूतने लगी, मेरा बदला पूरा हो गया था अब मैं बहुत खुश थी लेकिन गांद का बदला बाकी था…………
पर अब हम दोनो बहुत थक गये थे कब सो गये पता ही नही चला.
शूबह दरवाज़े की घंटी बजी तब हुमारी आँख खुली और मैने झट से कपड़े पहने और छाया आंटी कपड़े समेट कर टाय्लेट मे चली गयी, हमारी काम वाली थी. वो आई और काम करने लगी, इसके बाद जब वो चली गयी तब तक छाया आंटी भी चली गयी थी.
लेकिन दोपहर मे ही मेरी बेहन का लड़का आ गया और कंचन को आज का प्लान कॅन्सल करना पड़ा पर वो बोली, “लंड आया है कूद चल कर चुद्वा ले.”
उसकी ये बात मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी पर मैं डरती थी कि ये सही नही है, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया.
मैं जानती थी कि अगर मेरा ऐसा वैसा कुछ भी मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे.
लेकिन मैने ईक दिन महसूसू किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखता है और ये बात मैने छाया आंटी को बताई तो वो बोली, “अरे ट्राइ कर और मज़ा ले.”
अब मैं भी इस बात को सोचने के लिए मेजर हो गयी थी की कुछ करने तो पड़ेगा, और जब वो भी इंट्रेस्टेड है तो मौका क्यों छ्चोड़ना.
वो उस सुबह जब मैं उसके कमरे मे गयी तो नंगा लेटा हुआ था, और मूठ मार रहा था, और उसके भी शायद मुझे देख लिया था लेकिन वो रुका नही, वो अब कदम उठाने लगा था. लेकिन उसके झड़ने पर मैं हैरान रह गयी, वो झाड़ते हुए बोला, “आआअहह मौसी पी लो लंड के रस को!!!”
अब हुआ ये कि मैं उससे नज़रें चुरा रही थी, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.
सनडे की बात है उसको आए 2 दिन निकल गये थे, वो सुबह वही हरकत कर रहा था, की मैने उसका दरवाज़ा अचानक खोल दिया, मुझे अंदाज़ा ही नही था कि वो इस हालत मे होगा, वो खुद को ढक भी नही सकता था, और मैं दरवाज़े पर खड़ी हुए उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.
(आयेज की कहानी मेरे भतीजे से ही लिखवाते है)
मौसी मेरे सामने थी और मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू, वो आई और उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया, ऐसा मैने सोचा ही नही था कि वो ऐसा कुछ करेंगी, और मेरे 7 इंच के लंड को हिलाने लगी.
वो झुकी और लंड के सूपदे की खाल को पीछे किया और गुलाबी सूपदे को मुँह मे भर लिया, मैने तकिये पर सिर टीकाया और आँखें बंद कर ली और मुझे लगा कि मैं एक मिनिट मे ही झाड़ जाउन्गा. वो लंड के अगले भाग पर जीभ की नोक चला रही थी और एक हाथ से आधे लंड को पकड़ा हुआ था ताकि मैं उनके काबू मे रहूं. अब वो नीचे को हुए और मेरे टेस्टिकल को मुँह मे भर का चूसने लगी, इससे मेरा लंड और भी ज़्यादा फूल गया.
वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही लंड को निशाने पर लगाया और नीचे होने लगी, उनकी गरम गीली और मुलायम चूत मेरे लंड पर फिसल रही थी, वो पूरा बैठ गयी. अब उन्होने वो रेड कलर की मॅक्सी को अपने सिर के ऊपर से निकाल फेंका, तने हुए निपल और गोरा बदन. मैने झट से उनके मम्मो को पकड़ लिया.
अब वो आँखें बंद किए हुए ऊपर नीचे हो रही थी और मैं मौसी के मम्मो के साथ खेल रहा था.
"आआअहह म्म्म्ममममममममम ऊऊहहमाआआआआआअ कितना बड़ा लंड है, अंदर तक टकरा रहा है!" मौसी बड़बड़ा रही थी
अब मैने भी नीचे से धक्के मारने शुरू किया और एक ताल मे हम धक्के मार रहे थे.
मैने एक हाथ नीचे किया और मौसी की चूत के दाने पर अपना अंगूठा लगा दिया और दाने को घिसने लगा, मौसी की चूत का रस मेरे लंड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.
और अब मैं और वो दोनो झड़ने लगे, और आंटी ने आँख खोली और मेरे ऊपर से हटी तो उनकी चूत से मेरे और उनके रस की धार लग गयी. वो मेरे बगल मे लेट गयी और साँसें भरने लगी.
वो उठा और मुझे गोद मे उठा लिया मेरा 46 क्ग वेट उसको कुछ भी नही लगा, शवर के नीचे खड़ा करके उसने शवर ऑन कर दिया. और उसका लंड अब फिर से तन गया था. गरम पानी और उसका लंड मेरी चूत मे हलचल मच गयी, मैं वही झुक कर खड़ी हो गयी और उसने पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल दिया, मैं पहले से ही बहुत गीली थी तो उसका लंड एक झटके मे चला गया, मेरी कमर पकड़ कर वो धक्के मारने लगा.
वो लंड को पूरा बाहर तक निकालता और एक झटके मे अंदर वापिस डाल रहा था, और उसका लंड अंदर कही टकरा जाता तो एक दर्द की मीठी लहर मेरे तन बदन मे दौड़ जाती.
मैं झड़ने लगी और तभी मैने महसूस किया कि उसने भी वीर्य की धार मैं अपने गर्भाशय पर महसूस कर रही थी, हम वही खड़े रहे, फिर हमने नाहया और बाहर आ गये.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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