Tuesday, May 6, 2014

FUN-MAZA-MASTI शालिनी का बलात्कार-4

FUN-MAZA-MASTI

शालिनी का बलात्कार-4

   अगले दिन सुबह ५ बजे के लगभग शालिनी की नीद खुली। गर्मियो के दिन थे सो उजाला हो चुका था। उसे अपने बदन पे काफी भार महसूस हुआ। उसने देखा कि भोला और कलुआ जोंक से उसके बदन से लिपटे सो रहे थे। शालिनी नही रोई। जो कुछ उसके साथ हो रहा था उसने अब उसे स्वीकार कर लिया था। उसकी चूत और गाँड मे अभी भी दर्द हो रहा था। अचानक उसके पेट मे एक टीस सी उठी और वो कराह उठी "आआआआआहहह"। उसकी कराह सुनते ही भोला और कलुआ जग गये और जगते ही उसके बूब्स मसलने लगे और अपने-अपने लंड उसकी जाँघो से रगडने लगे। शालिनी चुपचाप लेटी रही। ५ मिनट तक यहीसब चला फिर भोला उठा और बाथरूम मे घुस गया। कलुआ मौके का फायदा उठा के शालिनी पे फिर चढ गया और उसके चेहरे को चूमते हुए अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा "आआह आआह आआह आआह"। सुबह-सुबह का एकदम ताजा कडक लंड था उसका। शालिनी भी हल्का-हल्का कराहने लगी। कलुआ ने उसपे चुम्बनो की बौछार कर दी। अभी वो उसे बडे प्यार से चोद रहा था। ज्यादा जोश मे होने के कारण कलुआ १५ मिनट मे ही झड गया और अपना रस शालिनी की चूत मे डाल दिया "आआआआआआआआआआआहहहहहहहहह" कलुआ को बडी शांति मिली जैसे। उसने शालिनी के माथे को चूमा और उसपे लेट उसे प्यार करता रहा। तबतक भोला बाथरुम से बाहर आ गया। अब कलुआ बाथरुम मे घुसा। जब भोला ने शालिनी की चूत से वीर्य बहता देखा तो वो समझ गया की कलुआ ने उसे अभी फिर चोदा है। वो भी जोश मे आया और शालिनी पे चढ गया। उसने भी एक झटके मे शालिनी मे अपना लंड घुसाया और उसे ठोकने लगा "आआह आआह आआह आआह" वो भी शालिनी को बिल्कुल प्यार से चोद रहा था। शालिनी बिलकुल चुप सिर्फ अपना मुँह खोले और आँखे बंद किये लेटी थी। उसकी साँसे फिर तेज चलने लगी। १५ मिनट मे भोला भी आआआआआआआआआआआहहहहहह की आवाज के साथ शालिनी के अंदर खाली हो गया और शालिनी पे ढेर हो के उसके गालो को प्यार से चूमने लगा। अब कलुआ भी बाथरुम से बाहर आ गया। उसने शालिनी को सहारा दे के उठाया और बाथरुम ले गया। शालिनी ठीक से चल नही पा रही थी। उसकी चूत और गाँड मे भारी दर्द था। कलुआ ने उसे सहारा दे के कमोड पे बिठा दिया और बाहर चला आया। शालिनी जैसे-तैसे आधे घंटे मे फ्रेश हुई और बाहर आने के लिए उठी लेकिन उसने जैसे ही चलने की कोशिश की वो लडखडा के वही गिर पडी। उसके गिरने की आवाज सुन कलुआ अंदर आया और उसे सहारा दे के वापस राजीव के कमरे मे ले आया। इसबीच भोला किचेन मे नाश्ता तैयार कर रहा था। कलुआ शालिनी को वॉश बेसिन तक ले गया और सहारा दे के अपने हाथ से उसे ब्रश कराया। ठंढे पानी से शालिनी का चेहरा धो के वो उसे फिर राजीव के बेडरुम मे ले आया और बेड पे लिटा दिया। शालिनी का कलतक दमकता बदन आज निस्तेज सा हो गया था। पूरे बदन पे खरोच के निशान थे और जहाँतहाँ सूखे वीर्य की पपडी बनी थी और उसके अपने खून के धब्बे लगे थे। तबतक ७ बज चुके थे। भोला ने नाश्ते के लिए दूध गरम कर लिया था और फल काट लिये थे। वो प्लेट मे सबकुछ ले के कमरे मे आया। कलुआ ने शालिनी को उठा के अपनी गोद मे बिठाया और उसकी चूत मे अपनी दो उँगलियाँ डाल दी और दूध का गिलास ले के शालिनी की चूत मे उँगली करते हुए उसे पिलाने लगा। शालिनी की भूख से जान जा रही थी सो वो चुपचाप घूँट-घूँट कर सारा दूध पी गयी। अब भोला ने उसकी जाँघो को सहलाते हुए उसे केले खिलाना शुरु कर दिया। शालिनी ने दो केले खाये। उसके बाद कलुआ ने उसे फिर बेड पे लिटा दिया। भोला ने कपडे पहने और बाजार जाकर पेनकिलर ले आया और एक टेबलेट शालिनी को पानी के साथ दिया। इसके बाद तुरंत भोला ने फिर अपने कपडे उतार दिए और पूरा नंगा हो गया। उसके बाद दोनो ने शालिनी के बदन की फिर सरसो तेल से मालिश शुरु दी। आधे घंटेतक खूब अच्छी तरह से दोनो ने शालिनी के पूरे बदन की मालिश की। शालिनी भी चुपचाप लेटी अपनी नंगी देह की मालिश करवाती रही। उसके दर्द से जूझते बदन को सचमुच बडा आराम मिल रहा था। आधे घंटे उसकी मालिश के बाद भोला और कलुआ उसे फिर बाथरुम मे ले के आये और झरना चला के उसे उसके नीचे बैठा दिया। दोनो ने मिलके शालिनी के बालो मे पहले शैम्पू किया फिर पूरे बदन मे साबुन मल-मल के उसे खूब अच्छी तरह से नहलाया। फिर तौलिए से उसका सारा बदन पोछ के दोनो उस बाहर लाए। भोला बोला "यार, इसके लौडे राजीव का बेड तो इसके खून, पसीने और अपने माल से सन के पूरा गंदा है, चल इसे गेस्ट रुम मे ले चलते है"। कलुआ भी तैयार हो गया। दोनो उसे गेस्ट रुम मे ले आये और बेड पे लिटा दिया। शालिनी का बदन नहा के फिर चमक उठा था। वो अब काफी राहत भी महसूस कर रही थी। इसके बाद बारी-बारी से भोला और कलुआ भी नहाधो के फ्रेश हो गये और नाश्ता किया। अब भोला, कलुआ और शालिनी के पास गेस्टरूम मे पहुँचे। शालिनी वैसे ही नंगी, बेड पे टाँगे फैलाए लेटी थी। कल सारा दिन रोने से सूजी उसकी आँखो मे अब कोई भाव नही थे। वो भावशून्य सी छत को एकटक निहार रही थी। कलुआ और भोला पूरे नंगे तो थे ही, वो शालिनी के पास बिस्तर पे बैठ गये। अब सुबह के ९ बज रहे थे। 

कलुआ ने शालिनी को बिस्तर पे बैठने को कहा। शालिनी बैठ गई। कलुआ बिस्तर पे खडा हुआ और अपना लंड शालिनी के होठो पे रगडने लगा। उसने शालिनी के भीगबालो को पकडा और कहा "मुँह खोल"। शालिनी ने चुपचाप मुँह खोल दिया। कलुआ ने अपना लंड शालिनी के मुँह मे घुसाया और अंदर-बाहर करते हुए उसके साथ मुखमैथुन करने लगा। शालिनी को बहुत घिन आ रही थी। उसने कभी गौतम का लंड भी मुँह मे नही लिया था। उसकी आँखो मे पानी भर आया। उसे फिर उल्टी आ रही थी लेकिन हरबार वो कलुआ के लंड से टकरा के वापस पेट मे चली जा रही थी।

भोला बोला "यार, मैडम का मुँह अभीतक कुँवारा है। मैने इसे रात मे कईबार अपने पति से कहते सुना है कि मुँह मे मत देना। मै नही कर सकती"

ये सुनते ही कलुआ और जोश मे आ गया। वो बोला "मतलब मै ही इसके मुँह की सील तोड रहा हूँ आज, आआआहहाहाहा, ले साली और ले आआअ आआआहहह आआआहहह"। कहता हुआ कलुआ और हैवानिययत से धक्के मारने लगा। कलुआ का लंड शालिनी के गले मे घुस के बाहर आ रहा था। शालिनी का पूरा जबडा और गला दुखने लगा। उसकी आँखो से फिर आँसू आने लगे। उसने अपने हाथो से कलुआ की जाँघे पकडी ताकि वो कुछ धीमा हो लेकिन शालिनी के कोमल हाथो का स्पर्श अपनी काली जाँघो पे पाकर कलुआ और हैवान बन गया। उसके धक्के और तेज हो गये। "आआआह आआआह आआआआह आआआआह" कलुआ बडे मजे मे था। शालिनी के मुँह से आवाजे निकल रही थी "उउउमममओओममममममओओओओममममम"। कलुआ धक्के मारता गया, मारता गया। पूरे २५ मिनट बाद आआआआआआआआआआआआआआआहहहहहहहह की आवाज के साथ कलुआ ने अपना लंड शालिनी के गले मे घुसा के अपना पानी छोड दिया जो सीधे शालिनी के पेट मे जाने लगा। "आआअ आआआअह आआह आआअहहह" कलुआ धक्के मारे जा रहा था। हर धक्का पिछली बार से ज्यादा पानी शालिनी के गले मे फेक रहा था। शालिनी को ऐसा लग रहा था मानो कोई गरम लोहे का रॉड उसके मुँह मे घुसा है जो पानी दे रहा है। सारा पानी शालिनी के मुँह मे निचोड के कलुआ ने लंड बाहर निकाला और अपने बदसूरत काले चेहरे पे परमआनंद का भाव लिए बिस्तर पे बैठ गया। उसका लंड शालिनी की थूक मे पूरा भीग के चमक रहा था। अब शालिनी से रहा न गया। उसे बडी तेज उल्टी आ रही थी। जैसे ही उसने उल्टी करने के लिए मुँह "औऔऔ" करते हुए खोला, कलुआ ने झपट के उसका मुँह दबा दिया और बोला "साली, रख अंदर ही। एक बूँद भी बाहर निकाली तो आँखे फोड दूँगा"। शालिनी ने बडी मुश्किल से उल्टी रोकी और कलुआ का सारा वीर्य उसके पेट मे पचने लगा। उसकी आँखो से आँसू बहे जा रहे थे। अब भोला बिस्तर पे खडा हुआ और अपना लंड शालिनी के गालो और होठो पे रगडने लगा। "मुँह खोल कुतिया" भोला चिल्लाया। शालिनी ने जैसे मुँह खोला भोला ने लंड उसके मुँह मे ठूँसा और उसके मुँह को जोर-जोर से चोदने लगा। उसने शालिनी के सिर को बडी जोर से पकडा हुआ था और अपने लंड से भयानक धक्के मारे जा रहा था।

"चल साली, मेरी गाँड मे उँगली डाल" भोला बोला। बेचारी शालिनी ने चुपचाप अपने सुंदर हाथो से भोला के चूतडो को फैलाया और उसकी गाँड मे अपनी उँगली डाल दी। "आआआआआहहहहहह" भोला का मजा दूना हो गया। "अंदर-बाहर कर साली" वो फिर बोला। शालिनी अपनी उँगली भोला की गाँड मे अंदर-बाहर करने लगी। भोला तो जैसे पागल हो गया। वो राक्षसो की तरह अपना लंड बिना शालिनी के मुँह मे ठोकने लगा। उसकी झाँटे शालिनी की नाक मे घुस रही थी। २० मिनट बाद आआआआअहहहहहहह की आवाज के साथ भोला भी शालिनी के गले मे पानी छोडने लगा और उसे सारा पिला के ही बाहर आया। भोला ने जैसे ही लंड शालिनी के मुँह से खीचा शालिनी जोर-जोर से खाँसने लगी। थोडा वीर्य उसकी साँसनली मे भी चला गया था। ५ मिनट शालिनी खाँसती रही। उसके बाद निढाल सी बिस्तर पे ढेर हो गई। भोला और कलुआ तो मजे के सातवे आसमान मे थे। वो शालिनी के थूक को अपने पूरे लंड पे मल रहे थे। 

अब कलुआ बिस्तर पे लेट गया और अपनी टाँगे घुटनो से मोड के अपने सीने से सटाई और शालिनी से बोला "इधर आ साली और मेरी गाँड के छेद को चाट"। जब शालिनी नही उठी तो भोला ने शालिनी को पकड के उठाया और उसका मुँह कलुआ की गाँड से सटा दिया। "चाट साली" भोला भी गुर्राया। बेचारी शालिनी ने जीभ निकाली और कलुआ के काले चूतड चाटने लगी। "चूतड नही साली, मेरे चूतडो को फैला के मेरे छेद को चाट" कलुआ चीखा। शालिनी रो पडी "नही मुझसे ये नही होगा, मुझे माफ कर दो। तुमलोगो को जो करना था वो सब तो कर चुके, अब छोड दो। अब प्लीज यहाँ से चले जाओ। मै किसी से कुछ नही कहूँगी"। "साली" भोला गुस्से मे आ गया। उसने कमरे मे रखा पेचकस उठाया और बोला "चाट साली नही तो तेरी आँखे फोड दूँगा"। शालिनी बेबस थी। उसने रोते-रोते कलुआ के चूतडो को फैलाया और उसके छेद को अपनी जीभ से चाटने लगी। "आआआआआआआआआआआआहहहहह क्या मजा देती है साली" कलुआ को मजा आने लगा। पूरे १५ मिनट कलुआ ने शालिनी से अपना छेद चटवाया। फिर वो उठ और बोला "चल साली, पैर दबा मेरे। कल से तेरी देह दबा रहा हूँ (अब ये अलग बात है कि उसने इसी बहाने शालिनी के हर अंग को मनमाने तरीके से छुआ और मसला था)" कह के वो बिस्तर पे लेट गया। शालिनी रोती हुई उसके पैर दबाने लगी। १५ मिनट बाद भोला ने भी अपने पैर शालिनी से दबवाये। इसके बाद भोला उठा और वार्डरोब से शालिनी का एक मँहगा सलवार-सूट उठा लाया। "ले साली, पहन इसे" वो बोला। शालिनी अब फट के रो पडी "अरे ये क्या लगा रखा है तुमलोगो ने। इतना तो भोग लिया मुझे। अब और चाहत बाकी है तो भोगो ना। नंगी बैठी हूँ तुमसब के सामने, भंभोडो मुझे। टुकडे-टुकडे करके खा जाओ। ये क्या नाटक है" कहके उसका रोना तेज हो गया। कलुआ उठा और उसने शालिनी को बिस्तर पे लिटा के सलवार उसकी टाँगो पे चढाई और कमर तक ले जा के नाडा बाँध दिया। फिर उसे उठाया और कुरता जबरन उसे पहनाया। शालिनी रोए जा रही थी। भोला ने उपर से दुपट्टा भी शालिनी को ओढा दिया। पीले रंग का कुरता और लाल रंग का दुपट्टा-सलवार शालिनी पे खूब फब रहा था। भोला ने सीडी प्लेयर पे दुपट्टे वाला एक गाना चलाया और बोला "चल साली, अपना दुपट्टा लहरा-लहरा के नाच इस धुन पे"। शालिनी रोते हुए उठी और धीरे-धीरे गाने पे ठुमकने लगी, वो लगातार रो रही थी। उसने अपना दुपट्टा हाथो मे लिया और उसे लहरा के नाचने लगी, वो एक अच्छी डांसर भी थी। उसे नाचता देख भोला और कलुआ भी उसके साथ नाचने लगे। जब गाना खत्म हुआ तो कलुआ ने शालिनी को गोद मे उठाया और फिर पलंग पे पटका। उसने शालिनी का दुपट्टा उसके शरीर से नोच के फेका और उसकी लाल सलवार का नाडा खोल के उसे भी उतार दिया। फिर उसने शालिनी के पीले कुरते को कमर से उपर उठाया और उसकी चूत को चाटना शुरु किया। २-३ मिनट चटने के बाद उसने अपना लंड शालिनी की चूत मे घुसा दिया और उसे चोदने लगा। उसने उसे २० मिनट चोदा और पानी उसकी चूत मे छोड के उसपे ढेर हो गया। शालिनी से अब सहा नही जा रहा था। उसने उनदोनो से विनती शुरु कर दी "मार दे भोला। अब मार दे मुझे। क्यो इतना जलील कर रहा है" कह के वो फूट-फूट के रोने लगी। भोला हँसा और बोला "ठीक है मालकिन, जब आप कहती है तो आपकी मार ही लेता हूँ हा हा हा हा" कह के वो भी शालिनी पे झपटा और उसकी चूत मे लंड पेल दिया और चोदने लगा। शालिनी लगातार रोती जा रही थी। २० मिनट बाद भोला भी झड गया और शालिनी की बगल मे लेट के हाँफने लगा। अब कलुआ ने शालिनी को अपनी गोद मे बिठाया और उसका कुरता भी उतार के फेक दिया। शालिनी एकबार फिर पूरी नंगी थी। वो शालिनी के पूरे बदन को सहलाने लगा। उसे चूमने लगा। शालिनी अभी मेनोपॉज की स्थिति मे नहीं पहुँची थी। उसको नियमित मासिक धर्म आता था। वो कल से ही चिंतित थी कि कही वो इन आवारा लडको के कारण गर्भवती न हो जाए क्योकि दोनो कल से लगातार उसकी बच्चेदानी मे अपना पानी फेक रहे थे। वो जानती थी कि उन लडको से पानी बाहर गिराने के लिए कहने का कोई फायदा नही था बल्कि वो ये सुनके और मजे से पानी अंदर छोडेगे, इसलिए उसने कभी उन्हे पानी बाहर छोडने के लिए नही कहा।

अब कलुआ ने शालिनी को बिस्तर पे लिटाया और उसके सीने पे बै गया। "भोला तू इसकी चूत मे जा, मै मुँह मे जा रहा हूँ" वो भोला से बोला। शालिनी सिहर उठी। भोला दौड के आया और शालिनी की टाँगो को फैला के अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया। "आआआआआहहहह" शालिनी की चीख फिर निकली। अब कलुआ ने शालिनी का मुँह अपने हाथ से खुलवाया और उसमे लंड डाल दिया। अब दोनो ने एक साथ शालिनी की चूत और मुँह को मारना शुरु कर दिया। शालिनी के लिए ये अनुभव एकदम पहला था। वो दर्द, अपमान और शर्म से छटपटाने लगी। दोनो लडको के धक्के तेज हो गये। कलुआ शालिनी की बंद होती आँखो को बार-बार अपनी उँगलियों से खोल दे रहा था। "देख साली मुझे देख आहहह आआआहहह" कह-कहके वो धक्के मार रहा था। नीचे भोला भी इस नये ढंग से चुदाई कर पागल हुआ जा रहा था। उसने शालिनी की झाँटे अपनी उँगलियों से पकड-पकड के उखाचनी शुरु कर दी। शालिनी दर्द से बिलबिलाने लगी। वो चीख रही थी लेकिन कलुआ का लंड मुँह मे होने के कारण चीख सिर्फ "ऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊं
ओंओंओंओंओं ऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंऊंओंओंओंओंओं" के रूप मे बाहर आ रही थी। इस चीख से कलुआ अपने लंड मे एक वाइब्रेशन महसूस करने लगा। उसका मजा चौगुना हो गया। वो बोला "करते रह भोला, ये साली मेरे लंड पे चीख रही है तो बडा मजा आ रहा है आआह आआहहहह आआआह"। भोला भी और जोश मे आ के शालिनी की एक-एक कर झाँे उखाडता गया। शालिनी को फिर दर्द से बेहोशी आने लगी। अचानक उपर कलुआ और नीचे भोला एकसाथ चीखे "आआआआआआआआआआआआहहहहहहहहहहह" और दोनो ने एकसाथ शालिनी के अंदर पानी छोडना शुरु कर दिया, कलुआ ने मुँह मे और भोला ने चूत मे। दो मिनट तक दोनो शालिनी के उपर-नीचे के छेदो को भरते रहे, फिर निढाल हो के उसपे गिर पडे। शालिनी फिर आधी बेहोशी की हालत मे पहुँच गई थी। उसने सुबह से पानी भी नही पिया था। उसने बडी मुश्किल से कहा "प...अँह...अँह.....पानी.....आँहहहह"। कलुआ ने पानी निकाला और गिलास मे डाल के अपने वीर्य टपकते और शालिनी की थूक से सने लंड को उसमे डाल के धोया और भोला को दिया, भोला ने भी अपना वीर्य टपकता और शालिनी की चूत के रस से भीगा लंड उस गिलास मे डाल के धोया और कलुआ को वापस दिया। कलुआ ने शालिनी को सहारा दे के बैठाया और उसे वो पानी पिलाने लगा। शालिनी को पानी का स्वाद बदला लगा लेकिन वो कुछ करने-कहने की हालत मे नही थी। उसने घूँट-घूट कर वो सारा पानी पी लिया। तबतक दोपहर हो चुकी थी। थके भोला और कलुआ फिर बिस्तर पे चढे और शालिनी से लिपट के सो गये। शालिनी भी दर्द और थकान से परेशान थी। उसकी भी आँख लग गयी। जब कलुआ की आँख खुली तो शाम के सात बज रहे थे। वो उठा और भोला को जगाया। कलुआ ने शालिनी के बूब्स पे हाथ रखा तो देखा कि शालिनी का जिस्म तप रहा था। दो भेडियो के जुल्म सहते-सहते उसे तेज बुखार हो गया था। उसकी साँसे तेज चल रही थी। "अरे इसे तो बुखार आ गया" वो भोला से बोला। "तो क्या हुआ, आने दो" भोला ने लापरवाही से कहा। "अरे मर गई साली तो झमेला हो जाएगा, जा कोई दवा ले आ" कलुआ बोला। भोला ने शालिनी की अलमारी खोली। उसे पता था कि उसमे दवाएँ भी होती है। वहाँ उसे बुखार की दवा मिल गई। उसने कलुआ को दिया। कलुआ ने शालिनी को जगाया और उसे दवा खिलाई। शालिनी फिर कराहने लगी। भोला और कलुआ उसे वही छोड खाना बनाने चले गये। रात आठ बजेतक उन्होने खाना बना के खा लिया। दवा ने भी असर दिखाया और शालिनी का बुखार उतर गया। कलुआ अपना बचा जूठन ले के आया और शालिनी को गोद मे बिठा के अपने हाथो से खिलाने लगा। शालिनी भी भूखी थी सो धीरे-धीरे खाने लगी। खाना खिला के उसने शालिनी को बिस्तर पे लिटाया और भोला के साथ बैठ के टीवी देखने लगा।

एक घंटे बाद दोनो का लंड फिर खडा हो गया। दोनो शालिनी के बिस्तर पे चढे और उसके दोनो तरफ लेट गये। कलुआ ने शालिनी को अपनी ओर घुमा के सीने से लगाया और उसकी चूत मे लंड भोंक दिया। पीछे से भोला ने शालिनी की गाँड मे अपना लंड ठूँसा और दोनो एकसाथ उसे जकड के उसकी लेने लगे "आआह आआह आआह आआआह"। शालिनी भी कराहने लगी "अँह अँह अँह अँह अँह अँह अँह अँह अँह अँह"। जाने कितनी देरतक वो दोनो पागलो की तरह धक्के मार-मार के शालिनी की लेते रहे फिर अचानक दोनो का पानी थोडे समय के अंतर मे "हाहाआआआआआआहहह हाहाआआआआआआहहह" की आवाजों के साथ निकल के शालिनी के आगे-पीछे के छेदो को भरने लगा। पानी गिरते ही जैसे जादू हुआ और भोला तथा कलुआ दोनो नीद के आगोश मे चले गये। शालिनी भी "आआआआहहहह" की कराह के साथ बेहोश हो गई। (क्रमशः)-






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1 comment:

Unknown said...

Stori ka end kijiye full story kaha padne ko milegi bataye

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