FUN-MAZA-MASTI
हम दोनों की मुलाकात तब हुई, जब एक दिन मैने उसकी गाड़ी ख़राब के वक़्त उसको उसके ऑफिस छोड़ा | मेरा ऑफिस उसके ऑफिस के पास तो नहीं था, लेकिन वो मुझे पहली बार मे ही इतनी भा गयी, कि मैने उसको रोजाना ऑफिस छोड़ना और लेना शुरू कर दिया | वक़्त के साथ-साथ हम दोनों का आकर्षण भी बढने लगा और मैने उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया | हम दोनों एक ही कश्ती मे सवार थे और अब कुछ बाहर का खाना चाहते थे | हम दोनों कभी भी अपने घर के आसपास नहीं मिलते थे और जगह न होने के कारण, अभी तक हम सिर्फ एक-दुसरे के होठो को ही चूस पाए थे और होटल मे जाकर हम कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे |
मुझे अपनी कंपनी के काम से १ महीने के लिए बाहर जाना था और किस्मत से रश्मि भी उस जगह अक्सर जाती रहती थी | इस बार, हम दोनों एक साथ जाने का प्रोग्राम बनाया और चले गये | दिन मे तो हम ऑफिस का काम निपटते और शाम को हाथो मे हाथ डालकर घुमने निकल जाते | अभी तक हम दोनों एक बिस्तर पर सोते हुए भी, काफी दूर थे | हम दोनों मे से, किसी की भी पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी | टाइम ख़तम होने लगा था और हम दोनों की बैचेनी बढ़ रही थी | रविवार का दिन था और हम दोनों ही पुरे दिन फ्री थे, मैने एक रोमेंटिक मूवी के टिकट मनवा लिए थे और वह पर रश्मि की टांगो और जाघो को छुकर और मसलकर अपना इरादा बता दिया, रश्मि के विरोध न करने पर मुझे उसकी हाँ मिल चुकी थी |
मूवी के बाद हम दोनों ने कुछ शौपिंग की और रश्मि के लिए एक सेक्सी नाईटी खरीदी | रात होने लगी थी और हम दोनों रूम मे आ चुके थे | रश्मि बाथरूम मे थी और मैने हल्का सा संगीत चला दिया था और दोनों के लिए जाम बना रहा था | जब रश्मि बाहर आई, तो मेरी तो जान ही निकल गयी | वो इतनी खुबसूरत और हसीन लग रही थी; मुझे लगा, कि मै अपने दुसरे हनीमून पर हु | वो मेरे पास आकर बैठ गयी और मेरे होठो पर अपने होठ रख दिया और अपनी उंगलियों को मेरी छाती के बालो मे फिराने लगी | मेरा लंड अब तन्ने लगा था, और काफी दिनों से परेशान था | मैने बिना देरी किये हुए, उसके मुह को पकड़ा और उसके होठो को अपने होठो के बीच मे दबा लिया |
हम दोनों की साँसे गरम हो चुकी थी और उसके चुचे उसकी साँसों के साथ-साथ ऊपर नीचे हो रहे थे | मैने बिना देरी किये हुए, अपने सारे कपडे उतार दिए और उसको भी नंगा कर दिया | अब हलकी रौशनी मे नंगे बदन वासना मे डूबने के लिए बेताब थे | रश्मि ने मेरा लंड अपने हाथो मे ले लिया और मस्ती मे उसकी मालिश करने लगी | मैने अपने होठो उसके चूचो पर लगा दिया और उनको मस्ती चूसने लगा | सारा कमरा हम दोनों की कामुक वासना की आवाजो से गूंज रहा था .आआआआआआअ…ह्ह्हह्ह्ह्ह….ह्ह्ह्होऊ………मर गयी….रमेश…..मेरे को मस्त ..चोदो…बिलकुल मत छोड़ना..बहुत सालो से ये साली चूत एक हरामी लंड की प्यासी है | उसके बातें मेरी जूनून बढ़ा रही थी और मेरा लंड और भी जोर से झटके मार रहा था, मुझे लगा रहा था कि आज मेरा लंड कुछ ज्यादा बड़ा और मोटा हो गया है |
मैने रश्मि को पलंग पर लिटा दिया और उसको टांगो को अपने हाथ से खोल दिया और अपने होठ उसकी चिकनी चूत पर रख दिया और अपनी जीभ को उसकी चूत मे घुसेड़ दिया | मेरी जीभ जितना अन्दर चूत मे जाती, रश्मि वासना की उतनी ही सिस्कारिया लेने लगती …आआआआअ……..अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह,,,,मर गयी…..ओऊ…..आःह..अहः..बाप रे..बहुत ही बड़ा है… रश्मि ने मेरे बालो को खीचना शुरू कर दिया | अब मै रश्मि के ऊपर आ गया और ६९ की मुद्रा उसकी चूत को चाटने लगा | मैने अपना लंड रश्मि के मुह मै डाल दिया और उसका मुखतुन करने लगा | रश्मि के पति ने ये कभी उसके साथ नहीं किया था, तो वो मेरे साथ मेरे सारे कामुक सेक्स का मज़ा ले रही थी | अब हम दोनों ही हवस की चरम सीमा पर थे और अब अपने आप को नहीं रोक प् रहे थे | मै सोफे पर जाकर बैठ गया और मेरा लंड ९० डिग्री मे खड़ा था | रश्मि आकर मेरे ऊपर बैठ गयी और मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा घुस गया और रश्मि के मुझे से चीख निकल गयी ..आआआआआआअ……………….साले ये क्या है….? हरामी ….मुझे मारने का इरादा है, क्या? मैने उसके होठो को अपने होठो मे दबा लिया और उसकी कमर को पकड़कर अपने लंड पर उसको कूदने लगा |
कुछ कामुक और मस्त धक्को के बाद हम दोनों झड गये और हम दोनों के शरीर रस की वजह से चिप-चिप हो गये | हम दोनों सोफे पर ही एक दुसरे के ऊपर लेट गये | हम दोनों ने अपने दुसरे हनीमून की रात ३-४ मस्त चुदाई की और मज़ा लिया | आज की रात रश्मि पूरी मेरी हो चुकी थी | वापस आने तह रश्मि हर रात को मुझे अलग-अलग तरीको चुदी | मेरी इस चुदाई से वो माँ बन्ने वाली थी | वापस आकर उसने अपना इलाज़ का नाटक किया और मेरे बच्चे को जनम दिया | आज भी रश्मि और मेरे जहन मे हमारे दुसरे हनीमून की यादे ताज़ा है और हम कोई मौका मिलने पर उसको दोहराने से नहीं चुकते |
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पड़ोसन की मस्त बजा दी
दूसरा हनीमून सुनने में बड़ा अच्छा लगता है और लगता है, कि पति और पत्नी का रिश्ता बहुत भी मजबूत और भावुक होगा | लेकिन, मेरा दुसरे हनीमून से मतलब कुछ और ही है | हे हे..मेरा नाम रमेश है और मै बहुत ही बड़ा ठरकी हु, मेरा बस चले; तो मै अपने घर मे लडकियों के लाइन लगा दू और उसको सारे दिन नंगा रखो और जब मन आये, किसी की चूत मे अपना लंड डाल दू और कभी किसी की गांड मे | लेकिन, ये सब सिर्फ एक फेंटेसी ही हो सकती है; ऐसा कुछ असली मे नहीं हो सकता | लेकिन, मैने अपना दूसरा हनीमून बनाया और वो भी अपनी बीवी के साथ धोखा करके | वो तो बेचारी सीधी-साधी समझती रही, कि मै ऑफिस के काम से १ महीने के लिए बाहर गया हु और मेरा घर मे इंतज़ार करती रही और उसके पीछे मैने अपनी पड़ोसन के साथ हनीमून मनाया | मेरी पड़ोसन का नाम रश्मि था और वो एक प्राइवेट कंपनी मे काम करती थी | काफी सालो बाद भी उसको कोई बच्चा नहीं हुआ था | उसका पति एक बड़ी दुकान चलाता था | रश्मि अक्सर ऑफिस के काम से लम्बे टूर किया करती थी, तो उसके पति के लिए कोई नयी बात नहीं थी |हम दोनों की मुलाकात तब हुई, जब एक दिन मैने उसकी गाड़ी ख़राब के वक़्त उसको उसके ऑफिस छोड़ा | मेरा ऑफिस उसके ऑफिस के पास तो नहीं था, लेकिन वो मुझे पहली बार मे ही इतनी भा गयी, कि मैने उसको रोजाना ऑफिस छोड़ना और लेना शुरू कर दिया | वक़्त के साथ-साथ हम दोनों का आकर्षण भी बढने लगा और मैने उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया | हम दोनों एक ही कश्ती मे सवार थे और अब कुछ बाहर का खाना चाहते थे | हम दोनों कभी भी अपने घर के आसपास नहीं मिलते थे और जगह न होने के कारण, अभी तक हम सिर्फ एक-दुसरे के होठो को ही चूस पाए थे और होटल मे जाकर हम कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे |
मुझे अपनी कंपनी के काम से १ महीने के लिए बाहर जाना था और किस्मत से रश्मि भी उस जगह अक्सर जाती रहती थी | इस बार, हम दोनों एक साथ जाने का प्रोग्राम बनाया और चले गये | दिन मे तो हम ऑफिस का काम निपटते और शाम को हाथो मे हाथ डालकर घुमने निकल जाते | अभी तक हम दोनों एक बिस्तर पर सोते हुए भी, काफी दूर थे | हम दोनों मे से, किसी की भी पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी | टाइम ख़तम होने लगा था और हम दोनों की बैचेनी बढ़ रही थी | रविवार का दिन था और हम दोनों ही पुरे दिन फ्री थे, मैने एक रोमेंटिक मूवी के टिकट मनवा लिए थे और वह पर रश्मि की टांगो और जाघो को छुकर और मसलकर अपना इरादा बता दिया, रश्मि के विरोध न करने पर मुझे उसकी हाँ मिल चुकी थी |
मूवी के बाद हम दोनों ने कुछ शौपिंग की और रश्मि के लिए एक सेक्सी नाईटी खरीदी | रात होने लगी थी और हम दोनों रूम मे आ चुके थे | रश्मि बाथरूम मे थी और मैने हल्का सा संगीत चला दिया था और दोनों के लिए जाम बना रहा था | जब रश्मि बाहर आई, तो मेरी तो जान ही निकल गयी | वो इतनी खुबसूरत और हसीन लग रही थी; मुझे लगा, कि मै अपने दुसरे हनीमून पर हु | वो मेरे पास आकर बैठ गयी और मेरे होठो पर अपने होठ रख दिया और अपनी उंगलियों को मेरी छाती के बालो मे फिराने लगी | मेरा लंड अब तन्ने लगा था, और काफी दिनों से परेशान था | मैने बिना देरी किये हुए, उसके मुह को पकड़ा और उसके होठो को अपने होठो के बीच मे दबा लिया |
हम दोनों की साँसे गरम हो चुकी थी और उसके चुचे उसकी साँसों के साथ-साथ ऊपर नीचे हो रहे थे | मैने बिना देरी किये हुए, अपने सारे कपडे उतार दिए और उसको भी नंगा कर दिया | अब हलकी रौशनी मे नंगे बदन वासना मे डूबने के लिए बेताब थे | रश्मि ने मेरा लंड अपने हाथो मे ले लिया और मस्ती मे उसकी मालिश करने लगी | मैने अपने होठो उसके चूचो पर लगा दिया और उनको मस्ती चूसने लगा | सारा कमरा हम दोनों की कामुक वासना की आवाजो से गूंज रहा था .आआआआआआअ…ह्ह्हह्ह्ह्ह….ह्ह्ह्होऊ………मर गयी….रमेश…..मेरे को मस्त ..चोदो…बिलकुल मत छोड़ना..बहुत सालो से ये साली चूत एक हरामी लंड की प्यासी है | उसके बातें मेरी जूनून बढ़ा रही थी और मेरा लंड और भी जोर से झटके मार रहा था, मुझे लगा रहा था कि आज मेरा लंड कुछ ज्यादा बड़ा और मोटा हो गया है |
मैने रश्मि को पलंग पर लिटा दिया और उसको टांगो को अपने हाथ से खोल दिया और अपने होठ उसकी चिकनी चूत पर रख दिया और अपनी जीभ को उसकी चूत मे घुसेड़ दिया | मेरी जीभ जितना अन्दर चूत मे जाती, रश्मि वासना की उतनी ही सिस्कारिया लेने लगती …आआआआअ……..अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह,,,,मर गयी…..ओऊ…..आःह..अहः..बाप रे..बहुत ही बड़ा है… रश्मि ने मेरे बालो को खीचना शुरू कर दिया | अब मै रश्मि के ऊपर आ गया और ६९ की मुद्रा उसकी चूत को चाटने लगा | मैने अपना लंड रश्मि के मुह मै डाल दिया और उसका मुखतुन करने लगा | रश्मि के पति ने ये कभी उसके साथ नहीं किया था, तो वो मेरे साथ मेरे सारे कामुक सेक्स का मज़ा ले रही थी | अब हम दोनों ही हवस की चरम सीमा पर थे और अब अपने आप को नहीं रोक प् रहे थे | मै सोफे पर जाकर बैठ गया और मेरा लंड ९० डिग्री मे खड़ा था | रश्मि आकर मेरे ऊपर बैठ गयी और मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा घुस गया और रश्मि के मुझे से चीख निकल गयी ..आआआआआआअ……………….साले ये क्या है….? हरामी ….मुझे मारने का इरादा है, क्या? मैने उसके होठो को अपने होठो मे दबा लिया और उसकी कमर को पकड़कर अपने लंड पर उसको कूदने लगा |
कुछ कामुक और मस्त धक्को के बाद हम दोनों झड गये और हम दोनों के शरीर रस की वजह से चिप-चिप हो गये | हम दोनों सोफे पर ही एक दुसरे के ऊपर लेट गये | हम दोनों ने अपने दुसरे हनीमून की रात ३-४ मस्त चुदाई की और मज़ा लिया | आज की रात रश्मि पूरी मेरी हो चुकी थी | वापस आने तह रश्मि हर रात को मुझे अलग-अलग तरीको चुदी | मेरी इस चुदाई से वो माँ बन्ने वाली थी | वापस आकर उसने अपना इलाज़ का नाटक किया और मेरे बच्चे को जनम दिया | आज भी रश्मि और मेरे जहन मे हमारे दुसरे हनीमून की यादे ताज़ा है और हम कोई मौका मिलने पर उसको दोहराने से नहीं चुकते |
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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