Wednesday, May 7, 2014

Raj-Sharma-stories रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--2

Raj-Sharma-stories


रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--2


गतांक से आगे .........
एक दिन रेखा से मिलने उसकी सहेली गौरी आई थी. लेखा उस वक़्त बाहर  गयी
हुई यही. गौरी की शादी हो चुकी थी और अपने ससुराल और पति के बारे में बता
रही थी. उसने अपने सुहाग रात के किस्से बताये. ये सुनकर रेखा की चूत
गीली होने लगी. उसका चेहरा भी कुछ लाल पड़ गया. गौरी ने पूछा ?क्यों रेखा
ये सब सुनकर तेरी चूत  गीली हो गयी न? रेखा चौक गयी और पूछा ?तुझे कैसे
पता चला?. गौरी ने कहा?तेरा चेहरा औरहाव  भाव देखर पता चल गया.? रेखा ने
कहा?क्या करू गौरी मुझे भी शादी करने कीइच्छा  है लेकिन शादी से पहले में
कुछ मज़ा लूटना चाहती हु?. गौरी ने कहा?मैंने भी यही किया था. अपने गाँव
में कल्लू है न. उसके साथ मैंने कई बार चुदाई की थी. कल्लू की शादी हो
गयी तब उसने मुझे छोड़ दिया इसलिए मैंने भी शादी कर ली. मेरे पति और
ससुराल वालो को इस बारे में कुछ नहीं पता?. गौरी ने पूछा ?तुझे कोई पसंद
है?. रेखा ने कहा?हा.. मुझे वो विक्रम पसंद है?. गौरी ने कहा ?अच्छी  बात
है. उससे शादी कर ले?. रेखा ने कहा?लेकिन उसकी पढाई अभी बाकि है?. गौरी
ने कहा?ठीक है, पढाई के बाद शादी की बात करना. लेकिन अभी तू अपनी चूत  को
शांत करवा सकती है?. रेखा हस पड़ी. एक दिन शाम को लेखा कुवे से  पानी भरने
जा रही थी. विक्रम ने उसे  देख लिया और उसको बुलाया. लेखा दौड़ कर विक्रम
के पास गयी. विक्रम ने कहा?चलो हम खेत के पीछे चलते है. उस दिन की तरह हम
वह खूब मज़ा करेंगे?. लेखा ने कहा?लेकिन पानी भरकर ले जाना है? विक्रम ने
कहा?घबराओ मत. कह देना विक्रम के साथ थी इसलिए थोड़ी देर हो गयी.? दोनों
खेत की तरफ चल पड़े. खेत की छोड़ पर एक पेड के नीचे  दोनों बैठ  गए. लेखा
ने अपना घड़ा एक तरफ रख दिया. चारो और बड़ी घास होने के कारन किसी की नज़र
उन पर नहीं पड़  सकती थी और वहां  लोगो का  आना जाना कम था. लेखा ने
कहा?विक्रम में तुमसे बहुत प्यार करती हु?. विक्रम ने कहा?में भी? और
लेखा को अपने गले से लगा दिया. विक्रम  लेखा के गाल , सर, गर्दन और होंठो
को चूमने लगा. लेखा भी उसको चूम रही थी. फिर विक्रम ने लेखा की चोली को
खोलकर अलग कर दिया और उसका घाघरा भी उतर दिया. अब लेखा पूरी तरह नंगी
होकर विक्रम की  गोद में लेटी  हुई थी. विक्रम ने भी अपना कुरता और
पाजामा  उतार  दिया. लेखा ने पहली बार किसी लड़के का लंड  देखा था. विक्रम
का लंड  काफी बड़ा था. विक्रम ने अपने लंड  को लेखा के हाथ में थमा दिया.
लेखा बड़े प्यार से लेकर सहलाने लगी. विक्रम के बदन पर एक सिरहन दौड़
गयी. विक्रम ने कहा?तुम इसे  अपने मुह में लेके चूसो. लेखा ने कहा?में ये
नहीं कर सकती?. विक्रम ने कहा?तुम एक बार करो. बाद में तुम इसे  बार बार
चूसना चाहोगी?. लेखा ने विक्रम का लंड  मुह में भर लिया और धीरे धीरे
चूसने लगी. विक्रम की आंखे बंद हो रही थी. उससे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब
लेखा भी उसके लंड को  चूसने में लीन हो गयी थी. अचानक ही विक्रम झड गया
और अपने  लंड  का पानी लेखा के  मुह में ही छोड़ दिया. लेखा को झटका लगा.
उसने लंड  को अपने मुह से निकाल  दिया. अभी भी लंड  से लार टपक रही थी.
लेखा ने लंड  को पकड़कर उसे  चाटने लगी. विक्रम लेखा के बूब्स को दबाने
लगा. लेखा ने कहा?विक्रम मेरी चूत  गीली हो रही है लगता है मेरी  चूत  से
भी अपनी पानी निकलेगा . विक्रम लेखा के दोनों टाँगे  फैला दी और उसकी
चूत  में अपनी ऊँगली डाल  दी. उसने देखा उसकी ऊँगली गीली हो चुकी थी. वो
ऊँगली निकाल कर  चाटने लगा. ये देखकर लेखा और गर्माने लगी और उसकी चूत
से फुवार्रा छुट पड़ा. विक्रम  अपनी  जीब से उसके रस को  चाटने लगा. फिर
उसने  कुछ रस लेकर अपने लंड  पर लगा  दिया और लंड  को लेखा की चूत  के
द्वार पर रख  कर हल्का सा धक्का दिया. लंड  आसानी से लेखा की चूत  के
अन्दर घुस गया. लेखा चिल्ला उठी?ईईइ मा..में मर गयी..आः?ऊई. मेरी चूत  फट
गयी?. विक्रम पूरे जोश में अपने लंड  को लेखा की  चूत  के अन्दर बाहर  कर
रहा था. लेखा अब चिल्लाने के बजाये सिस्कारिया भर रही थी.उसने अपनी टाँगे
और फैला दी. विक्रम साथ में उसके बूब्स को भी दबा रहा था. लेखा कह रही
थी?विक्रम और जोर से..वह?अआः.. और जोर से..बहुत  मज़ा आ रहा
है..आह..सी..आह. इतने में लेखा एक बार और झड  गयी और विक्रम ने भी अपना
पानी लेखा की चूत  में उड़ेल दिया. अब अँधेरा हो रहा था. दोनों ने  फिर
अपने कपडे पहन लिए . विक्रम ने लेखा को एक गोली दी और बोला?इसे  खा लेना
तो तुम्हारे  बच्चा नहीं होगा. वर्ना तुम माँ बन जाओगी ?. लेखा ये सुनकर
डर गयी. लेखा अपना घड़ा लेकर कुवे की और चल पड़ी और पानी भरकर घर गयी. उसके
माँ ने देर होने की वजह पूछी तो लेखा ने कहा?में विक्रम से मिली थी और
बात करते करते देर हो गयी?.जब से  गौरी की बात सुनी थी तब से रेखा भी
बेचैन सी रहने लगी थी. उसे  अपनी चूत  की अंगार को शांत करना था. एक दिन
सुबह रेखा संडास करने के लिए निकल पड़ी. विक्रम ने रेखा को देख लिया और
उसका पीछा  किया. वो रेखा के ठीक पीछे पीछे जा रहा था. रेखा को थोडा सा
शक हुआ की कोई उसके पीछे है. वो पहाड़ के पीछे जाकर झाड़ियो में अपने
घाघराको  ऊपर करके संडास करने के लिए बैठ  गयी. विक्रम एक पेड़ के पीछे
से ये सब देख रहा था. लेकिन उसे  कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. रेखा
की चूत  की झलक उसे  दिखाई दी  और ये देखकर ही मुठ मारने  लगा. रेखा को
पेड़ के पीछे झाड़ियो में कुछ आहट सुनाई  दी. उसे  लगा की कोई उसे  देख
रहा है. वो जल्दी से अपनी गांड साफ करके घास में से छुपकर वहां  से निकल
गयी. विक्रम मुठ मारने  में मशगुल था. उसने देखा तो रेखा वहां  से जा
चुकी थी. वो जैसे ही अपना  पाजामा  ऊपर कर रहा था पीछे से किसीने उसके
कंधे पर हाथ रख दिया. उसने मुड़कर देखा तो रेखा थी. विक्रम एकदम चौंक गया.
रेखा ने पूछा ?तो आप मेरा पीछा कर रहे थे?. अगर गांड देखने का इतना ही
शौक है तो चलो मैं दिखाती हु. रेखा ने अपना घाघरा उतार  के ज़मीन पर डाल
दिया. अब वो निचे से बिलकुल नंगी थी. रेखा ने कहा?चलो जो करना है करलो ?.
विक्रम ने आगे बढकर उसकी  गांड के पास जाकर बैठ  गया और दोनों चुत्डो  पर
हाथ फेरकर दबाने लगा. बाद में उसकी  गांड को फैलाकर उसके  छेद में नाक
डालकर सूघने लगा. विक्रम ने कहा?रेखा तुम्हारी गांड से बड़ी मादक खुसबू आ
रही  है?. रेखा ने अभी अभी संडास किया था इसलिए उसकी गांड से गंद आ रही
थी. विक्रम ने थोड़ी देर अपनी नाक  उसकी गांड के  छेद में डालकर रगडी और
फिर जीब निकाल कर  चाटने  लगा. रेखा ने कहा?बहुत अच्छा  लग रहा है
विक्रम.? विक्रम उसकी गांड के  छेद में जीब डालकर घुमा रहा था और अपनी
हाथ आगे ले जाकर रेखा की चूत  के  छेद में ऊँगली डालकर हिला रहा था. रेखा
आहे भरने लगी?ऊओह?आः?सीह?आः?.थोड़ी देर में रेखा की चूत  से रस बहने लगा
और विक्रम का पूरा हाथ गीला  कर दिया. विक्रम रस से भरे हाथ को चाटने
लगा. ये देखकर रेखा और भी गरमा गयी और चोली के ऊपर से अपने बूब्स को दबा
रही थी. रेखा ने कहा?विक्रम में तुमसे प्यार करती हु. तुम मेरी चूत  की
प्यास कब भुजाओगे ?. विक्रम ने कहा?वक़्त आने दो. मैं  तुम्हारी चूत  की
प्यास भुजाऊंगा?. इतने में कुछ लोगो की बातें करने की आवाज़ आने लगी.
विक्रम जल्दी से खड़ा हो गया और रेखा ने घाघरा जल्दी  से लेकर पहन लिया.
दोनों वहां  से चल पड़े. रास्ते  में रेखा ने कहा मैं  कल शाम को नदी पर
नहाने जाउंगी . तुम वह आ जाना?. विक्रम खुश हो गया. उसे  दोनों बहनों को
चोदने  को मिल रहा था. और दोनों उससे प्यार भी करती थी. दुसरे दिन शाम
होते ही विक्रम नदी के पास जाकर बैठ  गया. लेकिन काफी देर के बाद भी रेखा
नहीं आई. सूरज ढल  रहा था. कुछ देर बाद उसे  कोई आता हुआ दिखाई दिया. वो
रेखा थी. विक्रम ने पूछा ?तुमने आने में देर क्यों कर दी?. रेखा ने
कहा?मैंने सोचा थोडा अँधेरा हो जायेगा तो कोई हमे देख नहीं सकता.? विक्रम
बहुत खुश हो गया. फिर रेखा ने अपनी चोली और घघरा उतार  दिया और पूरी तरह
नंगी हो गयी. विक्रम ने अपना कुरता  और पाजामा  उतार  दिया. दोनों फिर एक
दुसरे से लिपट गए और पानी में उतर गए . रेखा के बूब्स विक्रम की छाती से
दब रहे थे. विक्रम का लंड  खड़ा हो गया था और वो रेखा की जांघो  के  बीच
घुस रहा था. दोनों पानी डालकर एक दुसरे को साबुन से रगड़कर साफ़ करने लगे.
विक्रम रेखा के बूब्स और पेट को हलके हलके हाथ से रगड़ रहा था. रेखा
विक्रम की  छाती पर हाथ घूमा रही थी. बीच में दोनों एक दुसरे को चूमा
चाटी भी करते थे. विक्रम ने रेखा की चूत  को अपनी  हथेली में भर लिया और
उसकी  चूत  के होंठो  को दबाने लगा. रेखा चिल्ला उठी. रेखा ने कहा?तुम तो
बड़े बेरहम हो. ज़रा धीरे से?. विक्रम ने कहा?ऐसा मौका बार बार नहीं
मिलता?. रेखा ने कहा?मैं  तो हमेशा तैयार हु. तुम जब चाहे मुझे चोद  सकते
हो?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत  में डाल
दी. रेखा साबुन लगाकर विक्रम के  लंड  की सफाई कर रही थी. लंड  अभी भी
तना हुआ था. रेखा ने कहा?तुम्हारा लंड  तो काफी बड़ा है?. विक्रम ने
कहा?तुम्हारी कोरी चूत  देखकर ये और बड़ा हो गया?. रेखा ने  झुककर उसके
लंड  को अपने मुह में ले लिया  और चूसने लगी. काफी देर तक चूसती रही तब
विक्रम   उसके मुह में झड  गया . रेखा ने उसके लंड  का सारा पानी पी
लिया. फिर विक्रम ने रेखा की गांड के ऊपर और छेद में साबुन लगाया. अपने
लंड  पर भी साबुन लगाकर और लंड  को रेखा की गांड के छेद के पास रखकर एक
धक्का दिया. लंड  पूरा रेखा की गांड में घुस गया. रेखा चिल्ला उठी. उसने
कहा?निकालो अपना लंड . मुझे दर्द हो रहा  है?. विक्रम ने कहा?थोड़ी देर
में दर्द कम हो जायेगा?. विक्रम अपना लंड  उसकी गांड के अन्दर बाहर करने
लगा और अब रेखा को बहुत मज़ा आ रहा था. १५ मिनट तक रेखा की गांड की खूब
चुदाई करने के बाद विक्रम झड गया  दोनों ने एक दुसरे की अच्छी तरह सफाई
की. नहाकर कपडे पहन लिए और घर की और चल पड़े. घर पहुचने  पर माँ ने पूछा
?रेखा इतनी देर क्यों लगा दी?. रेखा ने कहा?एक सहेली भी साथ में थी नदी
पर. उसके साथ बात करते करते वक़्त निकल गया और पता भी नहीं चला?. अब
विक्रम ने १० स्टड. की एक्साम दी. उसे  पास होने की कोई उम्मीद नहीं थी.
पर जब रिजल्ट आया तो उसने देखा वो पास हो गया. उसने लेखा और रेखा को ये
खबर सुनाई. दोनों बहुत खुश हो गए. बलदेव सिंह भी बेटे की कामयाबी पर खुश
हो गया. अब विक्रम शहर जाकर कुछ नौकरी करना चाहता था. बलदेव सिंह ने
कहा?जैसी तुम्हारी मर्ज़ी?. एक दिन रुकमनी और कल्याण को  अपने किसी
रिश्तेदार  की लड़की की शादी के लिए शहर जाना था. वो रेखा और लेखा को भी
ले जाना चाहते थे. रेखा ने साफ़ मना  कर दिया. उसने सोचा अगर माँ, बापू और
लेखा चले जाये तो वो विक्रम के साथ अकेले कुछ वक़्त बिता सकेगी . रेखा के
मना  करने पर कल्याण ने कहा?लेखा तुम भी दीदी के साथ यही रुक जाओ. हम
दोनों जाकर आते है?. रेखा ने बहुत समझाया  की वो लेखा को भी साथ में ले
जाये. उसने कहा?डरने की कोई बात नहीं है बापू और फिर पड़ोस में विक्रम और
उसकी दादी भी तो है?. लेकिन उसकी माँ के जिद  करने पर उसको मान जाना पड़ा
और लेखा को रेखा के साथ रहने की लिए कहा गया. जाने से पहले कल्याण ने
जाकर विक्रम और उसकी दादी को कहा?हम दो दिन के लिए शहर जा रहे है. तुम
ज़रा रेखा और लेखा का ख्याल रखना?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और कहा?हम
अच्छी तरह उनका ख्याल रखेंगे?. दुसरे दिन दोपहर को कल्याण और रुकमनी शहर
के लिए निकल पड़े. शाम को विक्रम लेखा और रेखा के पास आया. दोनों बहने
उसको देखर खुश हो गयी. लेखा ने कहा?विक्रम तुम रात को यही रुक जाओ न??
विक्रम ने कहा?कोई बात नहीं. मैं  यही रुक जाता हु?. फिर रात को तीनो ने
साथ में खाना खाया. विक्रम कल्याण के कमरे में सोने चला गया. लेखा और
रेखा अपने कमरे में सोने की तयारी करने लगी.
करीब एक घंटे तक सन्नाटा था पूरे घर में. विक्रम अभी सोया नहीं था. वो
खयालो में खोया हुआ था की अचानक उसकी कमरे का दरवाज़ा खुला और उसने देखा
रेखा कमरे में दाखिल हो रही थी. विक्रम उठकर खटिये पर बैठ गया. रेखा
उसके पास आकर उससे लिपट गयी. विक्रम भी उसे लिपट गया और दोनों एक दुसरे
को चूमने लगे. रेखा ने कहा?मैं  तो लेखा के सोने का इंतज़ार कर रही थी.
मेरी चूत  में खुजली हो रही थी और जब तुम बापू के कमरे हो तो मेरीचूत  और
बेचैन हो उठी. मेरी चूत को तुम्हारा लंड  चाहिए?. विक्रम ने कहा?मैं  भी
सोच रहा था की तुम कब आओगी?. दोनों खटिये पर लेट गए. विक्रम ने सिर्फ
पजामा  पहना हुआ था. रेखा विक्रम की छाती  के ऊपर हाथ घूमा रही थी. वो
विक्रम के गाल, गर्दन, छाती  और पेट पर  चूमने लगी. विक्रम उसकी  पीठ पर
हाथ घुमा  रहा था. रेखा ने उसके पजामे  का नाडा खोल दिया और नीचे  की तरफ
खीच  लिया. विक्रम ने अन्दर कुछ न पहना था. उसका ६ इंच का लंड  एकदम तन
कर  खड़ा था जो अब सांप के तरह फन  उठाये खड़ा था.
रेखा उसके लंड  के नजदीक जाकर उसे  अपने हाथ में भर लिया और दबाने लगी.
उसने लंड  के  उपरी कवच को निचे की तरफ किया जिससे लंड  का अन्दर का लाल
रंग का हिस्सा दिखने  लगा. रेखा ने उसे  अपने मुह में भर लिया और धीरे
धीरे चूसने लगी. विक्रम मस्त हुए जा रहा था. बिच बिच में रेखा उसके लंड
के नीचे  की  गोलियों  को चाट रही थी. विक्रम अब कराह  ने लगा था. अब
उससे और नहीं रुका जा रहा था  उसने वही झाड  दिया और रेखा ने उसके लंड
से निकले  रस को पूरी तरह चाट लिया. विक्रम ढीला हो कर खटिया पे लेटा था.
दोस्तों कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिये  रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--3
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः........................
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