हिंदी सेक्सी कहानियाँ अंजानी डगर पार्ट--1
यह कहानी है हम 3 दोस्तो की. बबलू, विक्की और मैं आशु (निकनेम्स), हम तीनो देल्ही के साउत-एक्स इलाक़े मे पले- बढ़े हैं. हम तीनो ही अप्पर मिड्ल क्लास से थे. पैसे की कोई टेन्षन नही पर लिमिट भी थी. दिन मे स्कूल-कॉलेज फिर शाम को साउत-एक्स मार्केट मे तफ़री. हमारी मार्केट की खास बात है कि यहा सिर्फ़ हाई-फाइ लोग ही शॉपिंग करने आते है. यह अमीरो की मार्केट जो है. एक से एक सेक्सी कपड़ो मे सुन्दर-गोरी लड़किया ही मार्केट की रौनक थी. बाकी दुनिया मल्लिका सहरावत, नेहा धूपिया, एट्सेटरा. हेरोयिन्स को जिन कपड़ो मे सिर्फ़ फ़िल्मो मे ही देख पाते है, हम उन्हे अपनी आखों के सामने देखते थे. हर लड़की के साथ कोई ना कोई बाय्फ्रेंड ज़रूर होता था. कोई लीप किस कर रहा है तो कोई कमर मे हाथ डाल कर चल रहा है. इतने शानदार नज़ारो को देखते हुए रात के 10-11 बज जाते थे. ये जश्न तो उसके बाद भी चलता रहता था पर घर पर डाँट पड़ने का भी डर होता था, इसलिए हम 11 बजे तक घर पहुच जाते थे... ऐसे हस्ते खेलते आँखे सेकते लाइफ कट रही थी, पर अचानक हमारी जिंदगियो मे बवंडर आ गया. हम तीनो बी.कॉम के फाइनल एअर के एग्ज़ॅम मे लटक गये. कॉलेज से रिज़ल्ट देख कर घर जाते समय हम एक ख़तरनाक फ़ैसला कर चुके थे... 4 दिन बाद हम तीनो मुंबई के वीटी स्टेशन पर उतरे. घर वालो का पता नही क्या हाल था. हम तीनो के पास अपने कुल 5500 रुपये थे. हमे पता था कि मुंबई मे ये 5-6 दिन से ज़्यादा नही चलेंगे. स्टेशन से सीधे हम विरार मे विक्की के दोस्त श्याम के पास पहुच गये. श्याम अपनी प्लेसमेंट एजेन्सी चलाता था. हमने उससे रहने की जगह का बंदोबस्त करने को कहा और नौकरी का भी इन्तेजाम करने को कहा. फिर हम निकल पड़े मुंबई नगरी के जलवे देखने. शाम को वापस पहुचने पर श्याम का चेहरा खिला हुआ था. विक्की- क्यो दाँत दिखा रहा है बे ? श्याम- अबे मैदान मार लिया. तुम तीनो सुनोगे तो मेरा मूह चूम लोगे. विक्की- कुत्ते तूने हमे गे समझ रखा है क्या ? तेरा मूह तोड़ देंगे. श्याम- अरे भड़क क्यो रहा है यार...मैने तुम्हारे लिए ऐसे कामो का इन्तेजाम किया है कि तुम जिंदगी भर मुझे याद रखोगे. ये लो जॉब कार्ड्स और कल सुबह 10 बजे तक अपनी-अपनी नौकरी पर पहुच जाना. मैने कहा- थॅंक यू श्याम भाई. फिर हम तीनो रात बिताने के लिए अपना समान उठाकर श्याम की बताए जगह पर पहुच गये. सुबह के 9.50 हो चुके थे और मैं अपनी नौकरी की जगह के सामने खड़ा था. जुहू मे एक शानदार सफेद रंग का बंग्लॉ था. मैं गेट और बिल्डिंग के बीच शानदार लॉन था जिस पर 1 छतरी, 2 कुर्सी और 1 मेज लगे थे. मैनगेट पर वॉचमन खड़ा था. उसके पास पहुच कर मैने जॉब कार्ड दिखाया और बोला- नौकरी के लिए आया हू. वॉचमन- मुंबई मे नये हो ? मैं (आशु)- हा. पहले देल्ही मे था. वॉचमन- फिर तो मुंबई मे टिक जाओगे, देल्ही तो मुंबई की बाप है. फिर उसने इंटेरकाम पर बात की और छोटा गेट खोल दिया और बोला- सीधे अंदर बिल्डिंग के पीछे चले जाओ. मेडम वही मिलेंगी. मैने अपना समान उठाया और बिल्डिंग के पीछे पहुच गया. बिल्डिंग के पीछे का नज़ारा आगे से भी शानदार था. वाहा भी हरियाली थी और बाउंड्री वॉल बहुत उँची थी. बिल्डिंग के साथ एक बहुत बड़ा स्विम्मिंग पूल बना था जिस पर सूरज रोशनी पड़ने से तेज चौंधा निकल रहा था. कुछ सुन-बात कुर्सी पड़ी थी और एक पर कुछ टवल जैसे कपड़े पड़े थे. एक कॉर्डलेस फोन भी पूल की मुंडेर पर रखा था. पर वाहा पर कोई मेडम नही थी. मैं वापस गेट के लिए मुड़ने ही वाला था कि अचानक पानी की आवाज़ आई. एक 30 साल की हसीना ने स्विम्मिंग पूल के पानी से अपना सिर बाहर निकाला और बोली- तुम ही केर टेकर की नौकरी के लिए आए हो? क्या नाम है तुम्हारा ? आशु- ज..जी म..मेरा नाम आशु है. मेडम- हकलाते हो क्या ? (हंसते हुए बोली) आशु- ज..जी नही. मेडम- ठीक है. अपना समान सर्वेंट क्वॉर्टर मे रख दो और 5 मिनिट मे मैं हॉल मे आ जाओ. देल्ही मे मैने आइटीआइ से हॉस्पिटालिटी, विक्की ने वीडियो फोटोग्रफी और बबलू ने टेलरिंग का कोर्स किया था. यही ट्रैनिंग आज हमारे काम आ रही थी. हमने श्याम को अपने सर्टिफिकेट दे दिए थे और उसने हमारे लिए वैसे ही काम ढूँढ दिए. उधर विक्की और बबलू भी अपनी-अपनी नौकरियो पर पहुच चुके थे. विक्की को एक फिल्म प्रोड्यूसर के पास असिस्टेंट कॅमरामेन जॉब के लिए गया था और बबलू एक टेलरिंग शॉप मे असिस्टेंट मास्टर के लिए. चलिए अपनी कहानी आगे बढ़ते हैं. फिर मैने (आशु) अपना समान उठाया और कनखियो से मेडम की तरफ देखा. पर मेडम फिर पानी मे गायब हो गयी थी. मैं सीधा वॉचमन के पास पहुचा और बोला- भाई अब ये सर्वेंट क्वॉर्टर कहा है. वॉचमन चाबी देते हुए बोला- तीसरा कमरा खाली है, वही तुम्हे मिलेगा. कमरे पर पहुच कर अपना समान रखा और नज़र कमरे को देखा और बाहर निकल गया. सीधे मैं हॉल मे पहुचा, पर वाहा कोई नही था. बिल्डिंग के अंदर क्या शानदार सजावट थी वो शब्दो मे नही बता सकता. एक खास बात थी कि बिल्डिंग की एंट्रेन्स से लेकर सब जगह आदमियो के न्यूड स्कल्प्चर्स (मूर्तिया) लगे थे. औरत की कोई नही थी. मैं हॉल से पीछे स्वीमिंग पूल का नज़ारा साफ दिखाई दे रहा था. तभी स्विम्मिंग पूल से मेडम बाहर निकली... संगेमरमर मे तराशे हुए जिस्म पर पानी से तर-बतर छोटी सी बिकिनी मे मेडम अपने सुन्बाथ चेर के पास पहुचि. सूरज की रोशनी मे मेडम के अंगो का एक एक कटाव और भी गहरा लग रहा था. मेडम की लंबी गोरी टाँगे, बिकिनी से बाहर झाँकते 36डी के बूब्स, पूरी निर्वस्त्रा कमर पर केवल एक डोरी... ये सब देख कर मेरे पूरे शरीर मे कीटाणु रेंगने लगे. दिल धड़-धड़ कर बजने लगा और मेरा लंड बुरी तरह अकड़ गया. टट्टो मे दर्द होने लगा. मेरी पॅंट मे एक पहाड़ सा उभर आया. (आप लोग यकीन मानिए की मैं अब तक (18 साल) ब्रह्मचारी ही था. मेरा वीर्य-पात अब तक नही हुया था और ना ही मुझे इस बारे मे पता था. देल्ही मे माइक्रो-मिनी और ट्यूब-टॉप पहने आध-नंगी लड़कियो की मैं मार्केट मे लड़को के साथ चुहल-मस्ती देखकर भी हम तीन दोस्तो को कभी भी मूठ मारने ख़याल नही आया थी. इसका ही नतीजा था कि मेरा लंड जब खड़ा होता था तो पूरे 8" का पत्थर बन जाता था. और कुछ ना करने पर भी कम से कम आधे घंटे बाद ही शांत होता था.) अब मेरे लिए भारी मुश्किल हो गयी थी. सामने मेडम ने अपना टवल गाउन पहन लिया था और अब मैं हॉल की तरफ आ रही थी. इधर मेरी पॅंट मेरे मन की दशा जग-जाहिर कर रही थी. मैने अपने लंड को शांत करने के लिए थोडा सहलाया पर इससे बेचेनी और बढ़ गयी. और कुछ ना सूझा तो, मैं एक सोफे की पीछे जाकर खड़ा हो गया. इससे मेरी पॅंट को उभार छिप गया था. मेडम मैं हॉल मे आ चुकी थी- पहले कभी कहीं काम किया है ? आशु- जी नही. मेडम- तुम मुंबई कब आए. आशु- जी 1 दिन पहले. मेडम- बड़े लकी हो की एक दिन मे ही जॉब मिल गया. आशु- जी. मेडम- इतनी दूर क्यों खड़े हो यहाँ आओ. मैं जैसे-तैसे वाहा बैठ गया. पता नही मेडम ने पॅंट को नोटीस किया या नही. मेडम- मैं ज़्यादा नौकर-चाकर नही रखती. जीतने ज़्यादा होते हैं उतना सिरदर्द. मुझे अपनी प्राइवसी बहुत पसंद है. वॉचमन को भी बिल्डिंग मे कदम रखने इजाज़त नही है. केवल तुम्हे ही बिल्डिंग मे हर जगह जाने की इजाज़त होगी. इसलिए तुम्हे ही पूरी बिल्डिंग की केर करनी होगी. बोलो कर सकोगे ? आशु- जी. मेडम- वैसे तो इस घर मे कुल 2 लोग ही रहते हैं, मैं और मेरे पति की बेटी दीपा. घर पर खाना नही बनता. इसके अलावा लौंडरी, चाइ-कॉफी, रख-रखाव जैसे छोटे मोटे काम करने होंगे. आशु- मेडम तन्खा कितनी मिलेगी ? मेडम मुस्कुराते हुए बोली- शुरू मे 20000 रुपये महीना मिलेगा. अगर तुम हमारे काम के निकले तो कोई लिमिट नही है. बोलो तय्यार हो ? आशु- ज..जी मेम . मेडम- ठीक है तो उपर दीपा मेडम का कमरा है, उसे जाकर जगा दो. फिर कॉफी लेकर मेरे लिविंग रूम मे पहुच जाना, एकदम कड़क चाहिए. आशु- जी. मैं तुरंत वाहा से निकल लिया. जान बची सो लखो पाए. किचन मे कॉफी मेकर मे कॉफी का समान डाल कर मैं उपर पहुच गया. वाहा 4 कमरे थे. 3 कमरे लॉक थे. मैने चौथे कमरे का दरवाजा नॉक किया, पर कोई रेस्पोन्स नही आया. थोड़ी देर बाद मैं दरवाजे का हॅंडल घुमाया तो दरवाजा खुल गया. अंदर एक दम चिल्ड था. एक गोल पलंग पर एक खूबसूरत सी लड़की सोई थी. एक दम गोरी-चित्ति, ये दीपा थी. उसके कपड़े देख कर देल्ही की याद ताज़ा हो गयी. वही ट्यूब टॉप और माइक्रो मिनी. पर यहा की बात ही अलग थी. वाहा देल्ही मे लड़कियो को डोर से देख कर ही आँखे सेक्नि पड़ती थी और यहा एक अप्सरा मेरे सामने पड़ी थी. आल्मास्ट सोने से दीपा के कपड़े अस्त-व्यस्त हो गये थे. उसकी ब्लू स्कर्ट तो कमर पर पहुच गयी थी और पूरी पॅंटी अपने दर्शन करा रही थी. उपर का वाइट टॉप भी उपर चढ़ गया था और सुन्दर सी ऑरेंज एमब्राय्डरी ब्रा दिखने लगी थी. टॉप और ब्रा के बीच उसकी क्लीवेज भी सॉफ दिखाई दे रही थी. इस हालत मे मैने दीपा को जगाना ठीक ना समझा. मैने वापस गेट के बाहर जाकर पुकारा- दीपा मेम. पर कोई हलचल नही हुई. हिम्मत जुटा कर अंदर गया और पुकारा- दीपा मेम. फिर वही हालात. मैने दीपा को हल्के से हिलाकर फिर पुकारा. पर कोई फायेदा नही. दीपा का कमसिन जिस्म देखकर मेरी हालत फिर सुबह जैसी होती जा रही थी. मेरा लंड पूरे जोश मे आ चुका था और बुरी तरह फदक रहा था. टट्टो मे भी दर्द बढ़ता जा रहा था. अब मैने दीपा को ज़ोर से हिलाया. पर वो तो जैसे बेहोश पड़ी थी. उसकी कलाईयो पर कई जगह छोटे-छोटे लाल निशान बने थे. अब मैं खुद को रोक नही पा रहा था. अब कोई चारा नही था. मैं बेड पर दीपा के बगल मे लेट गया. सब कुछ अपने आप हो रहा था. मेरी नज़र दीपा की क्लीवेज पर गढ़ी हुई थी. इतने साल जो चीज़ देख कर ललचाते थे, वो आज मेरे सामने पड़ा था. हिम्मत और डर दोनो बढ़ते जा रहे थे. फिर धीरे से अपनी उंगली दीपा की क्लीवेज पर फिरा दी. पहली बार उस जगह का स्पर्श पाकर मैं बहकने लगा. अब मेरे हाथो ने उसके बूब्स को कपड़ो के उपर से ढक लिया था. फिर मैं दीपा के योवन-कपोत (बूब्स) को धीरे-धीरे दबाने लगा. इधर मेरे हाथो का दबाव दीपा के बूब्स पर बढ़ता उधर मेरी साँसे और लंड फूलते जाते. फिर मैने उसके टॉप के स्ट्रॅप्स खोल दिए. अब दीपा केवल ब्रा मे थी. ऑरेंज रंग की ब्रा मे उसके बूब्स किसी टोकरी मे रखे सन्तरो की तरह लग रहे थे. मैने उसकी क्लीवेज पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की. दोनो हाथो से उसके बूब्स भीच रहा था. थोड़ी देर तक उपर से दबाने के बाद मैं बदहवास सा हो गया था. मुझ बेचारे को क्या पता था कि बूब्स के अलावा भी एक लड़की के पास काम की चीज़े होती हैं. मैं तो इन्ही को देख-देख कर बड़ा हुआ था. इतना सब होने के बाद भी दीपा की तंद्रा (नींद) नही टूटी और मेरी हिम्मत और ज़ोर मारने लगी. अब मैने धीरे से अपना दाया हाथ दीपा की ब्रा मे सरकया. अंदर जाकर मेरे हाथ की उंगलियो के पोर (फिंगर-टिप) उसकी छोटी सी निपल से टकराया. थोड़ी देर मे उसका निपल मेरी दो उंगलियो के बीच फँसा था. मैं उस निपल को मसल्ने लगा. अपने निपल्स के साथ छेड़खानी दीपा सहन नही कर सकी और हरकत करने लगी. उसकी टाँगे मसल्ने लगी और मुँह से इश्स..स.सस्स की आवाज़े निकलने लगी. दीपा का हाथ अपनी जाँघ के बीच पहुच गया और धीरे-धीरे जाँघो के बीच मसलने लगा. जैसे-जैसे वो मसल्ति जाती वैसे-वैसे उसकी सिसकारिया तेज हो रही थी. अचानक एक तेज आवाज़ सुनाई दी- आशु...कॉफी... मैं एक झटके मे बेड से उछल कर खड़ा हो गया. और भागता हुआ किचन मे पहुचा. कॉफी मेकर का स्विच ऑन किया. 5 मिनिट बाद मैं कॉफी ट्रे मे लेकर मेडम के पास खड़ा था. क्रमशः............
part--1 Yeh kahani hai hum 3 dosto ki. Bablu, Vikki aur mai Ashu (Nicknames), hum tino Delhi ke South-Ex ilake me pale- badhe hain. Hum tino hi Upper Middle Class se the. Paise ki koi tension nahi par limit bhi thi. Din me school-college phir sham ko South-Ex Market me tafri. Hamari market ki khas baat hai ki yaha sirf Hi-Fi log hi shopping karne aate hai. Yeh amiro ki market jo hai. Ek se ek sexy kapdo me sunder-gori ladkiya hi Market ki raunak thi. Baki duniya Mallika Sehrawat, Neha Dhupia, etc. Heroines ko Jin kapdo me sirf filmo me hi dekh pate hai, hum unhe apni aakhon ke saamne dekhte the. Har ladki ke sath koi na koi boyfriend jarur hota tha. Koi Lip Kiss kar raha hai to koi kamar me hath dal kar chal raha hai. Itne shandar najaro ko dekhte huye raat ke 10-11 baj jate the. Ye jashn to uske bad bhi chalta rehta tha par ghar par dant padne ka bhi dar hota tha, isliye hum 11 baje tak ghar pahuch jate the... Aise haste khelte aankhe sekte life kat rahi thi, par achanak hamari jindagiyo me bawandar aa gaya. Hum tino B.Com ke Final year ke Exam me latak gaye. College se result dekh kar Ghar jate samay hum ek khatarnak faisla kar chuke the... 4 din baad hum tino Mumbai ke VT Station par utare. Ghar walo ka pata nahi kya haal tha. Hum tino ke paas apne kul 5500 rupaye the. Hume pata tha ki Mumbai me ye 5-6 din se jyada nahi chalenge. Station se sidhe hum Virar me Vikki ke dost Shyam ke paas pahuch gaye. Shyam apni Placement Agency chalata tha. Humne usse rehne ki jagah ka bandobast karne ko kaha aur nukri ka bhi intejaam karne ko kaha. Phir hum nikal pade Mumbai Nagari ke jalwe dekhne. Sham ko vapas pahuchane par shyam ka chehra khila hua tha. vikki- kyo daant dikha raha hai be ? shyam- abe maidan mar liya. tum tino sunoge to mera muh choom loge. vikki- kutte tune hume gay samajh rakha hai kya ? tera muh tod denge. shyam- are bhadak kyo raha hai yaar...maine tumhare liye aise kamo ka intejaam kiya hai ki tum jindagi bhar mujhe yaad rakhoge. Ye lo job cards aur kal subah 10 baje take apni-apni naukri par pahuch jana. Maine Kaha- Thank You Shyam Bhai. Phir hum tino raat bitane ke liye apna saman uthakar shyam ki bataye jagah par pahuch gaye. Subah ke 9.50 ho chuke the aur mai apni naukri ki jagah ke samane khada tha. Juhu me ek shandar safed rang ka Bunglow tha. Main Gate aur Building ke beech shandar lawn tha jis par 1 chatri, 2 Kursi aur 1 Mej lage the. Maingate par Watchman khada tha. Uske paas pahuch kar maine job card dikhaya aur bola- Naukri ke liye aaya hu. Watchman- Mumbai me naye ho ? Mai (Ashu)- Ha. Pehle Delhi me tha. Watchman- Phir to Mumbai me tik jaoge, Delhi to Mumbai ki baap hai. Phir usne intercom par baat ki aur chota gate khol diya aur bola- sidhe andar building ke piche chale jao. Madam wahi milengi. Maine apna saman uthaya aur building ke piche pahuch gaya. Building ke piche ka najara aage se bhi shandar tha. Waha bhi hariyali thi aur boundary wall bahut unchi thi. Building ke sath ek bahut bada Swimming Pool bana tha Jis par Suraj Roshni padne se tej chaundha nikal raha tha. Kuch Sun-Bath Chair padi thi aur ek par kuch towel jaise kapde pade the. Ek cordless phone bhi Pool ki munder par rakha tha. par waha par koi madam nahi thi. Mai vapas gate ke liye mudne hi wala tha ki achanak pani ki awaaj aayi. Ek 30 saal ki haseena ne swimming pool ke pani se apna sir bahar nikala aur boli- Tum hi Care Taker ki naukri ke liye aaye ho? Kya naam hai tumhara ? Ashu- J..Ji M..Mera naam Ashu hai. Madam- Hakalate ho kya ? (hanste huye boli) Ashu- J..Ji Nahi. Madam- Theek hai. Apna Saman Servant Quarter me rakh do aur 5 minute me Main Hall me aa jao. Delhi me Maine ITI se Hospitality, Vikki ne Video Photography aur Bablu ne Tailoring ka course kiya tha. yahi training aaj hamare kaam aa rahi thi. Humne Shyam ko apne certificate de diye the aur usne hamare liye waise hi kaam dhundh diye. Udhar Vikki aur Bablu bhi apni-apni naukriyo par pahuch chuke the. Vikki ko ek Film Producer ke paas Assistant Cameraman job ke liye gaya tha aur Bablu ek Tailoring Shop me Assistant Master ke liye. Chaliye apni Kahani aage badhate hain. Fir Maine (Ashu) apna saman uthaya aur kankhiyo se madam ki taraf dekha. Par madam fir pani me gayab ho gayi thi. Mai sidha watchman ke pass pahucha aur bola- bhai ab ye servant quarter kaha hai. Watchman chabi dete huye bola- teesra kamra khali hai, wahi tumhe milega. kamre par pahuch kar apna saman rakha aur najar kamre ko dekha aur bahar nikal gaya. Sidhe Main Hall me pahucha, par waha koi nahi tha. Building ke andar kya shandar sajawat thi wo shabdo me nahi bata sakta. Ek khas baat thi ki Building ki entrance se lekar sab jagah aadmiyo ke nude sculptures (murtiya) lage the. Aurat ki koi nahi thi. Main hall se picche swiming pool ka najara saaf dikhayi de raha tha. Tabhi Swimming Pool se Madam bahar nikli... Sangemarmar me tarashe huye jism par pani se tar-batar choti si bikini me madam apne sunbath chair ke paas pahuchi. Suraj ki roshni me madam ke ango ka ek ek kataav aur bhi gehra lag raha tha. Madam ki lambi gori tange, bikini se bahar jhankte 36d ke boobs, puri nirvastra kamar par kewal ek dori... ye sab dekh kar mere pure sharir me kitanu rengne lage. Dil dhad-dhad kar bajne laga aur mera lund buri tarah akad gaya. Tatto me dard hone laga. Meri pant me ek pahad sa ubhar aaya. (Aap log yakin maniye ki mai ab tak (18 sal) brahmachari hi tha. Mera veerya-pat ab tak nahi huya tha aur na hi mujhe is bare me pata tha. Delhi me micro-mini aur tube-top pehne adh-nangi ladkiyo ki Main Market me ladko ke sath chuhal-masti dekhkar bhi hum teen dosto ko kabhi bhi muth marne khayal nahi aaya thi. Iska hi natija tha ki mera lund jab khada hota tha to pure 8" ka patthar ban jata tha. Aur kuch na karne par bhi kam se kam addhe gante bad hi shant hota tha.) Ab mere liye bhari mushkil ho gayi thi. Samne madam ne apna Towel Gown pehan liya tha aur ab Main Hall ki taraf aa rahi thi. idhar meri pant mere man ki dasha jag-jahir kar rahi thi. maine apne lund ko shant karne ke liye thoda sehlaya par isse becheni aur badh gayi. Aur kuch na sujha to, Mai ek sofe ki picche jakar khada ho gaya. Isse meri pant ko ubhar chip gaya tha. Madam Main Hall me aa chuki thi- Pehle kabhi kahin kaam kiya hai ? Ashu- Ji Nahi. Madam- Tum Mumbai kab aaye. Ashu- Ji 1 din pehle. Madam- Bade lucky ho ki ek din me hi job mil gaya. Ashu- Ji. Madam- Itni dur kyon khade ho yahan aao. Main jaise-taise waha baith gaya. Pata nahi madam ne pant ko notice kiya ya nahi. Madam- Mai jyada naukar-chakar nahi rakhti. Jitne jyada hote hain utna sirdard. Mujhe apni privacy bahut pasand hai. Watchman ko bhi building me kadam rakhne ijajat nahi hai. Kewal tumhe hi building har jagah jane ki ijajat hogi. Isliye tumhe hi puri building ki care karni hogi. Bolo kar sakoge ? Ashu- Ji. Madam- Waise to is ghar me kul 2 log hi rehte hain, main aur mere pati ki beti Deepa. Ghar par khana nahi banta. Iske alawa laundry, Chai-Coffee, rakh-rakhav jaise chote mote kaam karne honge. Ashu- Madam tankha kitni milegi ? Madam muskurate huye boli- shuru me 20000 rupaye mahina milega. Agar tum hamare kaam ke nikle to koi limit nahi hai. Bolo tayyar ho ? Ashu- J..Ji Memsaab. Madam- thik hai to upar Deepa Madam ka kamra hai, use jakar jaga do. Fir Coffee lekar mere living room me pahuch jana, ekdum kadak chahiye. Ashu- Ji. Mai turant waha se nikal liya. Jaan bachi so lakho paye. Kitchen me Coffee Maker me Coffee ka saman dal kar mai upar pahuch gaya. waha 4 kamre the. 3 kamre lock the. Maine chauthe kamre ka darwaja knock kiya, Par koi reponse nahi aaya. Thodi der baad main darwaje ka handle ghumaya to darwaja khul gaya. andar ek dum chilled tha. ek gol palang par ek khubsurat si ladki soyi thi. ek dum gori-chitti, ye Deepa thi. uske kapde dekh kar Delhi ki yaad taaza ho gayi. wahi tube top aur micro mini. par yaha ki baat hi alag thi. Waha Delhi me ladkiyo ko door se dekh kar hi aankhe sekni padti thi aur yaha ek apsara mere samne padi thi. almast sone se Deepa ke kapde ast-vyast ho gaye the. Uski blue skirt to kamar par pahuch gayi thi aur puri panti apne darshan kara rahi thi. upar ka white top bhi upar chadh gaya tha aur sunder si orange embroidery bra dikhne lagi thi. top aur bra ke beech uski cleavage bhi saaf dikhayi de rahi thi. is halat me maine Deepa ko jagana theek na samjha. Maine vapas gate ke bahar jakar pukara- Deepa Memsaab. Par koi halchal nahi huyi. Himmat juta kar andar gaya aur pukara- Deepa Memsaab. Phir wahi halaat. Maine Deepa ko halke se hilakar phir pukara. Par koi fayeda nahi. Deepa ka kamsin jism dekhkar meri halat fir subah jaisi hoti ja rahi thi. Mera lund pure josh me aa chuka tha aur buri tarah fadak raha tha. Tatto me bhi dard badhta ja raha tha. Ab maine Deepa ko jor se hilaya. Par wo to jaise behosh padi thi. Uski kalayiyo par kai jagah chote-chote lal nishan bane the. Ab mai khud ko rok nahi pa raha tha. Ab koi chara nahi tha. Mai Bed par Deepa ke bagal me let gaya. Sab kuch apne aap ho raha tha. Meri najar Deepa ki cleavage par gadi huyi thi. Itne saal jo cheej dekh kar lalchate the, wo aaj mere samne pada tha. Himmat aur dar dono badhte ja rahe the. fir dheere se apni ungli Deepa ki cleavage par fira di. Pehli baar us jagah ka sparsh pakar mai behkne laga. Ab mere hatho ne uske boobs ko kapdo ke upar se dhakh liya tha. fir mai Deepa ke yovan-kapot (boobs) ko dhire-dhire dabane laga. Idhar mere hatho ka dabav Deepa ke boobs par badhta udhar meri sanse aur lund foolte jaate. fir maine uske top ke straps khol diye. Ab Deepa kewal bra me thi. orange rang ki bra me uske boobs kisi tokri me rakhe santaro ki tarah lag rahe the. maine uski cleavage par apni jeebh firani shuru ki. dono hatho se uske boobs bheech raha tha. Thodi der tak upar se dabane ke bad mai badhawas sa ho gaya tha. Mujh bechare ko kya pata tha ki boobs ke alawa bhi ek ladki ke paas kam ki cheeje hoti hain. Mai to inhi ko dekh-dekh kar bada hua tha. Itna sab hone ke bad bhi Deepa ki tandra (neend) nahi tooti aur Meri Himmat aur jor marne lagi. ab maine dhere se apna daya hath Deepa ki bra me sarkaya. andar jakar mere hath ki ungliyo ke pore (Finger-tip) uski choti si nipple se takraya. thodi der me uska nipple meri do ungliyo ke beech fansa tha. mai us nipple ko masalne laga. Apne nipples ke sath chedkhani Deepa sahan nahi kar saki aur harkat karne lagi. Uski tange masalne lagi aur munh se iss..ss.sss ki awaje nikalne lagi. Deepa ka hath apni jangh ke beech pahuch gaya aur dhere-dheere jangho ke beech masalane laga. jaise-jaise wo masalti jati waise-waise uski siskariya tej ho rahi thi. Achanak ek tej awaaj sunayi di- ASHU...COFFEE... Main ek jhatke me bed se uchal kar khada ho gaya. Aur bhagta hua kitchen me pahucha. Coffee maker ka switch on kiya. 5 Minute bad mai Coffee tray me lekar Madam ke paas khada tha. kramashah............ 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