Monday, November 1, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ अंजानी डगर पार्ट--16




हिंदी सेक्सी कहानियाँ अंजानी डगर पार्ट--16

 गतान्क से आगे....................

 बबलू थोड़ी दूर ही चला होगा कि उसे विक्की वापस आता हुआ दिखाई दिया. उसके पीछे निशा भी बैठी थी. विक्की- कामीने साले कुत्ते...अकेला ही हीरो बनेगा. भाभी के सामने तूने मेरी फ़ज़ीहत करा दी ना. बबलू- अबे तू वापस क्यो आ गया. विक्की- तू ये बता कि उन चारो का क्या हुआ. बबलू- पता नही. चारो के 8 थे. पर एक भी नही मिला. पता नही पर आवाज़ तो आई थी. विक्की- अबे गन्दू...कैसी बहकी-बहकी बाते कर रहा है. बबलू- अब चल ना यहा से. विक्की- कहा जाएगा. मैं तो रूम के लिए आया था यहा पे कि भाभी मिल गयी. 9 बजे का टाइम था. अब तो 11 बजने वाले है. निशा- आप लोग मेरे घर चलिए. प्लीज़... विक्की- हाई हाई...साले पहले ही दिन तूने लड़की फँसा ली. बबलू- अबे ओ, मैने नही इसने खुद फँसाई थी.... निशा- अब चलो भी. तीनो किनेटिक पर सवार हो गये और चल पड़े. बबलू- और तूने पूरे दिन मे क्या तीर मारे ? तू गया था ना असिस्टेंट की नौकरी के लिए. क्या हुआ ? विक्की- अबे बताता हू. सुनेगा तो अपने लंड को फाँसी लगा कर लटक जाएगा तू. दोस्तो अब चलते है हमारे तीसरे दोस्त की कहानी पर देखते हैं इनके साथ क्या हुआ और क्या होगा......... विक्की भाई हम दोनो (आशु और बबलू) से थोड़ा अलग था. उसके जीने का अंदाज भी अलग था और सोच भी. पता नही हमारी दोस्ती कैसे हुई और इतने सालो तक मजबूत भी रही. विक्की का अपायंटमेंट 4 बजे का था. पूरा दिन पड़ा था. हम दोनो तो अपने-अपने काम के लिए निकल पड़े थे. पर बेचारा विक्की अकेला पड़ गया था. खाल बैठा क्या करता..इसलिए वो आक्सॅबीच पर घूमने निकल पड़ा. मुंबई के आक्सॅबीच की बात ही कुछ और है. समुद्रा मे दूर से आती बड़ी-बड़ी लहरे मन को बहुत शांति देती है. विक्की बीच पर टहलने लगा. टहलते हुए उसे अपनेकोलेज की फर्स्ट एअर की नीता की याद ताज़ा ही गयी. कॉलेज के दिन....फूल्लतू ऐश...कोई झमेला नही....केवल मस्ती.... पीजी डीएवी कॉलेज मे विक्की का पहला दिन था. हम तीनो को एक ही कॉलेज मे अड्मिशन नही मिल पाया था. पर हम तीनो अपनी सारी बाते शेर करते थे. अलीना नाम था उसका. पर सब उसे ली ही बुलाने लगे थे. लड़की नही कयामत थी. ऑस्ट्रेलिया से इंडिया आई थी. उसके पापा इंडियन फॉरिन सर्विस मे थे. कई साल तक ऑस्ट्रेलिया मे पोस्ट रहने के बाद इंडिया आए थे. ली वही जन्मी पाली बढ़ी थी...इंग्लीश मे ही बात करती थी... हर अंग जैसे किसी साँचे मे ढला था...होठ एक दम पतले...जैसे गुलाब की पंखुड़िया...छाती पर 2 टेन्निस बॉल्स...जब चलती तो दोनो टेन्निस बॉल्स कोर्ट मे उछलती रहती...टाँगे एक दम ककड़ी जैसी पतली...कूल्हे काफ़ी मांसल थे...उपर हमेशा स्लीव लेस ही पहनती...नीचे कभी घुटनो से नीचे कपड़े नही पहने...कुल मिलकर कॉलेज की सबसे हॉट लड़की बन गयी थी. फर्स्ट एअर फ्रेशर थी . जैसे ही ली ने कॉलेज मे पहला कदम रखा...पूरे कॉलेज को जैसे आग लग गयी थी. सारे लड़को की आँखे केवल उस पर ही रहती थी. जिस रास्ते से गुजर जाती लड़के आहे भरने लगते थे. प्यूरेकॉलेज मे शायद ही कोई लड़का ऐसा बचा था जिसने कभी ली को लाइन नही मारी हो. पर ली को कभी कोई फ़र्क नही पड़ा. ये सब तो ऑस्ट्रेलिया मे शायद रोज ही होता होगा. कभी किसी पर गुस्सा नही होती थी. काफ़ी खुले विचारो की थी पर कभी किसी लड़के को लाइन भी नही देती थी. फॉरिन मिनिस्ट्री की कार से उतार कर कॅट वॉक करती ह सीधे क्लास मे जाती थी. पूरे रास्ते मे ना जाने कितने दिल उसकी कातिल मुस्कान से हर रोज घायल हो जाते थे. क्लास के बाद सीधे कार मे बैठ कर वापस. किसी से ज़्यादा बात नही. लड़के तो लड़के लड़किया भी उस से बात करने की हिम्मत नही जुटा पाते थी. क्लास मे भी सब नज़रे चुरा कर उसकी झलक से अपनी आँखे सेक लेते थे. ली भी नज़रे घुमा कर देख लेती तो सब झेंप कर नज़रे घुमा लेते. एक हफ्ते बाद कॉलेज मे क्लासस प्रॉपर्ली शुरू हो चुकी थी. विक्की और ली की एक ही क्लास थी. उन्ही की क्लास मे एक और लड़की थी नीता. एक दम सीधी सादी और काफ़ी सुंदर भी थी. केवल सलवार-सूट ही पहनती थी. अगर वो भी वेस्टर्न ड्रेस पहन लेती तो ली पर भारी पड़ती. हमारा विक्की तो पहले दिन ही उसको देख कर मोहित हो गया था. विक्की नीता के कॉलेज आने से पहले ही गेट पर आ जाता था ताकि नीता के दीदार कर सके. क्लास मे भी सभी लड़के जहा ली पर लत्तु थे वही विक्की की नज़रे नीता पर टिकी रहती. एक दो बार दोनो की नज़रे भी टकराई पर दोनो मे आगे बढ़ने की हिम्मत ही नही थी. ली ने भी ये कई बार नोटीस किया था. जब वो सब लड़को को खुद को ताकते हुए पाती तो उसे अजब सी संतुष्टि मिलती थी. बस ये एक ही था विक्की जिसकी नज़रे-इनायत को वो तरस गयी थी. क्लास मे और भी तो स्मार्ट और अमीर लड़के थे. किसी को भी लाइन दे देती तो अपना सब कुछ ली पर लुटाने को तैयार बैठे थे. पर ली का ध्यान तो अब विक्की पर ही अटक गया था. बाकी लड़को को तो वो कभी भी लाइन दे सकती थी. पर वो कहते है ना - इंसान को हमेशा दूर के ढोल ही सुहावने लगते है और दूसरे की थाली मे ही घी ज़्यादा दिखता है. हर बीतते दिन के साथ विक्की की नीता के प्रति और ली की विक्की के प्रति सम्मोहन बढ़ता ही जा रहा था. ली से लाइन ना मिलते देख ज़्यादातर लड़को ने भी दूसरी टाइमपास पटा ली थी. पर ली को चैन कहा था. उसे तो बस विक्की ही चाहिए था. हर कीमत पर. पर बेचारी करे तो क्या करे. इसी उधेड़-बुन मे लगी रहती की कैसे इस पत्थर को पटाए. आख़िरकार एक दिन उसने विक्की से बात करने की शुरूवात कर ही दी. ली- हाई..व्हाट ईज़ यू नेम ? विक्की- आइ एम विक्की. ली- यू विल नोट अस्क माइ नामे ? विक्की- होल कॉलेज नोस युवर नेम....ली ? ली- ओह नो...माइ नेम ईज़ अलीना. विक्की- अलीना....ओके ली- विल यू हेल्प मी... विक्की- या...इट विल बी माइ प्लेषर. ली- आइ हॅव टू गेट माइ लाइब्ररी टिकेट्स....विल यू हेल्प मी इन गेटिंग देम...प्लीज़ विक्की- ओह शुवर...वाइ नोट...लेट्स गो देअर नाउ. ली- इट्स 2.30 ऑलरेडी आंड लाइब्ररी हास बिन ऑलरेडी क्लोस्ड. विक्की- डोंट वरी वी विल गेट इट ऑन मंडे. ली- देअर् ईज़ ए प्राब्लम. लाइब्रेरियन इस गोयिंग ऑन लीव फ्रॉम मंडे. आइ हॅव टू कलेक्ट देम टॉममोरोव. कॅन यू कम टॉममोरोव ...प्लीज़ विक्की- उम्म्म्मम.....ओ के..लेट्स मीट टॉममोरोव. ली- सो स्वीट ऑफ यू...ओ के...बाइ. अलीना के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी. उधर विक्की के शरीर मे भी आळीन से बात करने के बाद चींतिया सी रेंगने लगी थी. अजीब सा नशा था अलीना मे. विक्की ने उसको कभी हाथ ना आने वाला अंगूर समझ कर कभी ध्यान ही नही दिया था. पर वो अंगूर खुद चल कर विक्की के पास आया था. कुछ समय के लिए नीता उसके दिमाग़ से निकल चुकी थी. और ली अब अलीना बन चुकी थी. मार्केट मे भी आया तो पता नही कहा खोया हुआ था. एक से एक मस्त माल मार्केट मे आया हुआ था पर किसी को भी देख कर साला उछला ही नही. बबलू और मैं समझ गये थे कि कुछ तो हुआ है कॉलेज मे. आशु- अबे ओ..पेट खराब है क्या... विक्की- नही तो. बबलू- तो क्यो मरे हुए चूहे जैसा मूह बना रखा है. विक्की- बस ऐसे ही. आशु- कॉलेज मे ऱगिन्ग का तो चक्कर नही है. बबलू- हा बोल दे तू. हम चल कर फोड़ देंगे जिसने भी तुझे छुआ हो. विक्की- अबे सालो मैं क्या मर गया हू जो तुमको बुलाउन्गा. हमने बहुत पूछा पर विक्की ने कुछ नही बताया. पर हम कहा मानने वाले थे. उसका पीछा नही छोड़ा. कुछ हुआ होता तो ही तो बेचारा बताता ना. आशु- अगर तेरे दिमाग़ मे कुछ भी उल्टा सीधा चल रहा होतो कुछ भी करने से पहले हमे ज़रूर बता दियो नही तो साले तुझे छोड़ेंगे नही. विक्की- ओके भाई कुछ भी होगा ज़रूर बता दूँगा. सॅटर्डे को कॉलेज मे क्लासस नही लगती थी पर बाकी कॉलेज पूरा खुला होता था. आड्मिनिस्टारेशन का काम तो होता ही था. इसके अलावा लाइब्ररी भी खुली रहती थी. पर चूँकि ये कॉलेज के शुरुवती दिन ही थे. इसलिए लाइब्ररी मे इक्का-दुक्का स्टूडेंट्स ही जाते थे. विक्की सुबह 9.30 बजे कॉलेज मे पहुच गया. रोज गुलजार रहने वाला कॉलेज आज एकदम वीरान पड़ा था. काफ़ी देर तक गेट पर खड़े रहने के बाद विक्की लाइब्ररी की ओर चल दिया. अलीना लाइब्ररी मे भी नही थी. विक्की वही लाइब्ररी मे बैठ गया. पर एक घंटा इंतेजर करने के बाद भी अलीना का कुछ पता नही था. विक्की ने सोचा की शायद अलीना ने उसके साथ मज़ाक किया है. धीरे-धीरे उसका पारा चढ़ने लगा. हर बढ़ते मिनिट के साथ उसका गुस्सा भी बढ़ रहा था. जब उस से रहा नही गया तो वो उठा और लाइब्ररी से बाहर निकल गया. लाइब्ररी से बाहर निकला ही था कि सामने कॉंपाउंड मे अलीना भागती हुई दिखाई दी. विक्की उसे आवाज़ लगाई तो वो उसी ओर आने लगी. जैसे वो मूडी तो विक्की के कदम ठिठक गये और आँखे फटी रह गयी. अलीना ने तो गजब कर रखा था. नीचे ब्लू जीन्स पहने रखी थी जो जहा तहा से ब्लेड मार कर काट रखी थी और उपर वाइट कलर की संडो डाला हुआ था. संडो का गला इतना डीप था की भागते हुई अलीना का कभी एक बूब उछालता दिखाई देता तो कभी दूसरा. गले मे एक चैन थी जिसका पेंडेंट उसकी क्लीवेज मे कही गुम हो गया था. विक्की ने इधर उधर देखा. गनीमत थी कि आज सॅटर्डे था. नही तो कॉलेज मे.... ...पता नही क्या होता. अलीना- उन्ह उन्ह....हांफ हांफ....सॉरी...हंफ....आइ आम लेट. इतना भागने के कारण उसकी वो बुरी तरह हाँफ रही थी. पर विक्की की नज़रे तो वही टिकी हुई थी जहा हर मर्द की अपने आप पहुच जाती है. अलीना की संडो वेस्ट मे से उसके निप्पलो का उभार साफ पता चल रहा था. अलीना ने संडो के नीचे ब्रा नही पहनी थी. एक तो अलीना की उन्चुयि जवानी उपर से उसकी कातिल हरकते...... हाए....ऐसा कातिल नज़ारा देख कर विक्की का दिल तो उछल कर अलीना के कदमो मे गिरने को बेकरार हो चला था. जो कुछ हो रहा था विक्की उसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही था. पर इसी को तो कहते है जवानी दीवानी. ....पता नही अलीना ऐसे कपड़े पहन कर क्यो आई है... उसने मुझे खाली कॉलेज मे अकेले क्यो बुलाया है.... कही अलीना मुझे लाइन तो नही दे रही...आख़िर क्या चाहती है वो मुझसे... क्या है उसके मन मे... यही सब ख़याल विक्की को उत्तेजित कर रहे थे.. अलीना- आर यू अंग्री...आइ आम सॉरी...प्लीज़ फर्गिव मी.. प्लीज़्ज़ज्ज्ज. विक्की- म..माफी क्यो माँग रही हो. आइ मीन. वाइ आर यू अपॉलोगीसिंग ? अलीना- इट वाज़ माइ ओन इंटेरेस्ट आंड आइ वेस्टेड युवर टाइम....सॉरी विक्की- फर्गेट इट...बट डॉन'ट योउ नो एनी हिन्दी... अलीना- नही नही...मुझे हिन्दी तो आती है बस इंग्लीश बोलने की आदत पड़ चुकी है. विक्की- ये हिन्दुस्तान है. यहा पर तो हिन्दी ही बोलनी चाहिए ना. अलीना- ओके बाबा.. हिन्दी ही बोलूँगी. पर क्या तुम मुझसे अब भी नाराज़ हो क्या ? विक्की- तुम्हे देख कर सब नाराज़गी दूर हो गयी...हा एक और बात...तुम बहुत सुंदर हो अलीना. अलीना- ओह... सो स्वीट ऑफ यू. यह सुन कर अलीना खुशी से चहकने लगी और विक्की के गले मे बाँहे डाल कर उसके गाल पर किस कर दिया. अलीना के निपल विक्की के छाती मे गढ़ गये थे. ये क्या हुआ....विक्की के तो होश ही उड़ गये. दिल की जगह नगाड़ा बजने लगा था. लंड तो पहले ही पिंजरे मे उछल कूद मचा रहा था पर अब आज़ाद होने को छटपटा रहा था. पहली बार किसी लड़की ने उसे किस किया था. बावला सा हो गया था. अलीना तो किस करके अलग हो चुकी थी पर बेचारा विक्की उसकी तान मे अब भी झूम रहा था. जब अलीना के चुंबन मे इतना सुख था तो आगे कितना आनंद मिलेगा.... हाए...विक्की अपने सपने से बाहर आना नही चाहता था. उसकी किस्मत मे तो अभी काफ़ी कुछ लिखा था.... क्रमशः................................. part--16 gataank se aage.................... Bablu thodi door hi chala hoga ki use Vikki wapas aata hua dikhayi diya. Uske piche Nisha bhi baithi thi. Vikki- Kamine Sale Kutte...Akela hi Hero banega. Bhabhi ke samne tune meri fajihat kara di na. Bablu- Abe tu wapas kyo aa gaya. Vikki- Tu ye bata ki un charo ka kya hua. Bablu- Pata nahi. Charo ke 8 the. Par ek bhi nahi mila. Pata nahi par awaaj to aayi thi. Vikki- Abey gandu...kaisi behaki-behaki bate kar raha hai. Bablu- ab chal na yaha se. Vikki- Kaha jayega. Mai to Room ke liye aaya tha yaha pe ki Bhabhi mil gayi. 9 baje ka time tha. Ab to 11 bajne wale hai. Nisha- aap log mere ghar chaliye. Please... Vikki- Hai Hai...Sale pehle hi din tune ladki fansa li. Bablu- Abey O, maine nahi isne khud fansayi thi.... Nisha- ab chalo bhi. Tino Kinetic par sawar ho gaye aur chal pade. Bablu- Aur tune pure din me kya teer mare ? Tu gaya tha na assistant ki naukri ke liye. Kya hua ? Vikki- Abey batata hu. Sunega to apne lund ko fansi laga kar latak jayega tu. dosto ab chalate hai hamaare teesare dost ki kahaani par dekhate hain inke saath kya hua our kya hoga......... Vikki bhai hum dono (Ashu aur Bablu) se thoda alag tha. Uske jeene ka andaaj bhi alag tha aur soch bhi. Pata nahi hamari dosti kaise huyi aur itne salo tak majboot bhi rahi. Vikki ka appointment 4 baje ka tha. Pura din pada tha. Hum dono to apne-apne kam ke liye nikal pade the. Par bechara Vikki akela pad gaya ttha. Khal baitha kya karta..isliye wo AksaBeach par ghumne nikal pada. Mumbai ke AksaBeach ki baat hi kuch aur hai. Samudra me door se aati badi-badi lehre man ko bahut shanti deti hai. Vikke beach par tahelne laga. Tahalete huye use apneCollege ka first year ki Nita ki yaad taaza hi gayi. College ke din....Fulltoo Aish...koi jhamela nahi....kewal Masti.... PG DAV College me Vikki ka pehla din tha. Hum tino ko ek hi college me admission nahi mil paya tha. Par hum tino apni sari bate share karte the. Aleena naam tha uska. Par sab use Lee hi bulane lage the. Ladki nahi kayamat thi. Australia se India aayi thi. Uske Papa Indian Foreign Service me the. Kai saal tak Australia me post rehane ke baad India aaye the. Lee wahi janmi pali badhi thi...English me hi baat karti thi... Har ang jaise kisi sanche me dhala tha...Hoth ek dum patle...jaise gulab ki pankhudiya...chati par 2 tennis balls...jab chalti to dono Tennis Balls Court me uchalti rehati...Tange ek dum kakdi jaisi patli...kulhe kafi mansal the...Upar hamesha sleeve less hi pehanti...Niche kabhi ghutno se neeche kapde nahi pehne...Kul milakar College ki sabse hot ladki ban gayi thi. First year fresher thi . Jaise hi Lee ne College me pehla kadam rakha...Pure college ko jaise aag lag gayi thi. Sare ladko ki aankhe kewal us par hi rehti thi. Jis raste se gujar jati ladke aahe bharne lagte the. PureCollege me shayad hi koi ladka aisa bacha tha jisne kabhi Lee ko line nahi mari ho. Par Lee ko kabhi koi fark nahi pada. Ye sab to Australia me shayad roj hi hota hoga. Kabhi kisi par gussa nahi hoti thi. Kafi khule vicharo ki thi par kabhi kisi ladke ko line bhi nahi deti thi. Foreign Ministry ki Car se utar kar Cat Walk karti huy sidhe Class me jati thi. Pure raste me na jane kitne dil uski katil muskan se har roj ghayal ho jate the. Class ke bad sidhe Car me baith kar wapas. Kisi se jyada baat nahi. Ladke to ladke ladkiya bhi us se baat karne ki himmat nahi juta pati thi. Class me bhi sab najre chura kar uski jhalak se apni aankhe sek lete the. Lee bhi najre ghuma kar dekh leti to sab jhenp kar najre ghuma lete. Ek hafte bad College me classes properly shuru ho chuki thi. Vikki aur Lee ki ek hi class thi. Unhi ki class me ek aur ladki thi Nita. Ek dum sidhi sadi aur kafi sunder bhi thi. Kewal Salwar-suit hi pehanti thi. Agar wo bhi western dress pehan leti to Lee par bhari padti. Hamara Vikki to pehle din hi usko dekh kar mohit ho gaya tha. Vikki Nita ke college aane se pehle hi gate par aa jata tha taki Nita ke deedar kar sake. Class me bhi sabhi ladke jaha Lee par lattu the wahi Vikki ki najre Nita par tiki rehati. Ek do baar dono ki najre bhi takrayi par dono me aage badhne ki himmat hi nahi thi. Lee ne bhi ye kai bar notice kiya tha. Jab wo sab ladko ko khud ko takte huye pati to use ajab si santushti milti thi. Bas ye ek hi tha Vikki jiski najre-inayat ko wo taras gayi thi. Class me aur bhi to smart aur ameer ladke the. Kisi ko bhi line de deti to apna sab kuch Lee par luatane ko taiyaar baithe the. Par Lee ka dhyan to ab Vikki par hi atak gaya tha. Baki ladko ko to wo kabhi bhi line de sakti thi. Par wo kehte hai na - insaan ko hamesha dur ke dhol hi suhawne lagte hai aur dusre ki thali me hi ghee jyada dikhta hai. Har beetate din ke sath Vikki ki Nita ke prati aur Lee ki Vikki ke prati sammohan badhta hi ja raha tha. Lee se Line na milte dekh jyadatar ladko ne bhi dusri timepass pata li thi. Par Lee ko chain kaha tha. Use to bas Vikki hi chahiye tha. Har keemat par. Par bechari kare to kya kare. Isi udhed-bun me lagi rehti ki kaise is patthar ko pataye. Akhirkar ek din usne Vikki se baat karne ki shuruwat kar hi di. Lee- Hi..what is you name ? Vikki- I m Vikki. Lee- You will not ask my name ? Vikki- Whole college knows your name....Lee ? Lee- Oh no...My name is Aleena. Vikki- Aleena....Ok Lee- Will you help me... Vikki- Ya...It will be my pleasure. Lee- I have to get my library tickets....will you help me in getting them...please Vikki- Oh sure...why not...lets go there now. Lee- Its 2.30 already and Library has been already closed. Vikki- Dont worry we will get it on monday. Lee- There is a problem. Librarian is going on leave from Monday. I have to collect them tommorow. Can you come tommorow ...please Vikki- Ummmmm.....O K..Lets meet tommorow. Lee- So sweet of you...O K...Bye. Aleena ke chehre par vijayi muskan thi. Udhar Vikki ke shareer me bhi ALeena se baat karne ke bad chintiya si rengne lagi thi. Ajeeb sa nasha tha Aleena me. Vikki ne usko kabhi hath na aane wala angoor samajh kar kabhi dhyan hi nahi diya tha. Par wo angoor khud chal kar Vikki ke pas aaya tha. Kuch samay ke liye Nita uske dimaag se nikal chuki thi. Aur Lee ab Aleena ban chuki thi. Market me bhi aaya to pata nahi kaha khoya hua tha. Ek se ek mast maal Market me aaya hua tha par kisi ko bhi dekh kar saala uchala hi nahi. Bablu aur mai samajh gaye the ki kuch to hua hai college me. Ashu- Abey O..pet kharab hai kya... Vikki- Nahi to. Bablu- To kyo mare huye chuhe jaisa muh bana rakha hai. Vikki- Bas aise hi. Ashu- College me Raging ka to chakkar nahi hai. Bablu- Ha bol de tu. Hum chal kar fod denge jisne bhi tujhe chua ho. Vikki- Abey salo mai kya mar gaya hu jo tumko bulaunga. Humne bahut pucha par Vikki ne kuch nahi bataya. Par hum kaha manane wale the. Uska picha nahi choda. Kuch hua hota to hi to bechara batata na. Ashu- Agar tere dimag me kuch bhi ulta sidha chal raha hoto kuch bhi karne se pehle hame jarur bata diyo nahi to sale tujhe chodenge nahi. Vikki- OK Bhai kuch bhi hoga jarur bata dunga. Saturday ko College me classes nahi lagti thi par baki College pura khula hota tha. Administaration ka kaam to hota hi tha. Iske alawa Library bhi khuli rehati thi. Par chunki ye College ke shuruwati din hi the. Isliye Library me ikka-dukka students hi jate the. Vikki subah 9.30 baje College me pahuch gaya. Roj guljaar rehne wala college aaj ekdum veeran pada tha. Kafi der tak gate par khade rehne ke bad Vikki Library ki aor chal diya. Aleena Library me bhi nahi thi. Vikki wahi library me baith gaya. Par ek ghanta intejar karne ke bad bhi Aleena ka kuch pata nahi tha. Vikki ne socha ki shayad Aleena ne uske sath majak kiya hai. Dhire-dhire uska para chadne laga. Har badhte minute ke sath uska gussa bhi badh raha tha. Jab us se raha nahi gaya to wo utha aur Library se bahar nikal gaya. Library se bahar nikla hi tha ki samne compound me Aleena bhagti huyi dikhayi di. Vikki use awaaj lagayi to wo usi aor aane lagi. Jaise wo mudi to Vikki ke kadam thithak gaye aur aankhe fati rah gayi. Aleena ne to gajab kar rakha tha. Niche Blue Jeans pehne rakhi thi jo jaha taha se blade mar kar kat rakhi thi aur upar white colour ki Sando dala hua tha. Sando ka gala itna deep tha ki bhagte huyi Aleena ka kabhi ek boob uchalta dhikhayi deta to kabhi dusra. Gale me ek chain thi jiska pendant uski cleavage me kahi gum ho gaya tha. Vikki ne idhar udhar dekha. Ganimat thi ki aaj Saturday tha. Nahi to College me.... ...pata nahi kya hota. Aleena- Unh Unh....Hamph Hamph....Sorry...Humph....I am late. Itna bhagne ke karan uski wo buri tarah hanf rahi thi. Par Vikki ki najre to wahi tiki huyi thi jaha har mard ki apne aap pahuch jati hai. Aleena ki Sando vest me se uske nippalo ka ubhar saaf pata chal raha tha. Aleena ne Sando ke niche bra nahi pehani thi. Ek to Aleena ki unchuyi jawani upar se uski katil harkate...... Haye....aisa katil najara dekh kar Vikki ka dil to uchal kar Aleena ke kadmo me girne ko bekarar ho chala tha. Jo kuch ho raha tha Vikki uske liye bilkul bhi taiyaar nahi tha. Par isi ko to kehte hai Jawani Diwani. ....Pata nahi Aleena aise kapde pehan kar kyo aayi hai... Usne mujhe khali college me akele kyo bulaya hai.... Kahi Aleena mujhe line to nahi de rahi...akhir kya chahti hai wo mujhse... kya hai uske man me... yahi sab khayal Vikki ko uttejit kar rahe the.. Aleena- Are you angry...I am sorry...please forgive me.. pleaseeeeee. Vikki- M..Maafi kyo mang rahi ho. I mean. Why are you apologising ? Aleena- It was my own interest and I wasted your time....sorry Vikki- Forget it...But don't you know any Hindi... Aleena- Nahi Nahi...Mujhe Hindi to aati hai bas English bolne ki aadat pad chuki hai. Vikki- Ye Hindustan hai. Yaha par to Hindi hi bolni chahiye na. Aleena- Ok baba.. Hindi hi bolungi. Par kya tum mujhse ab bhi naraj ho kya ? Vikki- Tumhe dekh kar sab narajgi door ho gayi...Ha ek aur baat...Tum bahut sunder ho Aleena. Aleena- Oh... so sweet of you. Yeh sun kar Aleena khushi se chehakne lagi aur Vikki ke gale me bahe dal kar uske gal par kiss kar diya. Aleena ke nipple Vikki ke chati me gad gaye the. Ye kya hua....Vikki ke to hosh hi ud gaye. Dil ki jagah nagada bajne laga tha. Lund to pehle hi pinjre me uchal kood macha raha tha par ab ajaad hone ko chatpata raha tha. Pehli bar kisi ladki ne use kiss kiya tha. Bawla sa ho gaya tha. Aleena to kiss karke alag ho chuki thi par bechara Vikki uski taan me ab bhi jhoom raha tha. Jab Aleena ke chumban me itna sukh tha to aage kitna anand milega.... Haye...Vikki apne sapne se bahar aana nahi chahta tha. Uski kismat me to abhi kafi kuch likha tha.... kramashah................................. 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