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Monday, November 1, 2010
हिंदी सेक्सी कहानियां रिसेशन की मार पार्ट--1
हिंदी सेक्सी कहानियां
रिसेशन की मार पार्ट--1
लेखक : दा_ग्रेट_वाररियर
मेरा नाम स्नेहा है. मैं गार्डेन सिटी बॅंगलुर की रहने वाली हू. अब इस वक़्त मेरी एज 28 यियर्ज़ की है और मैं एक शादी शुदा महिला हू. हमारी शादी को 4 साल बीत चुके है और मैं एक पक्की हाउसवाइफ हू. मेरे हज़्बेंड
( सतीश ) सतीश का अपना डिफरेंट टाइप्स ऑफ एलेक्ट्रिकल आक्सेसरीस का बिज़्नेस था. वो वाइर्स, होल्डर्स, प्लग्स, कनेक्टर्स और दूसरे आक्सेसरीस आइटी के कंपनीज़ और दूसरे प्राइवेट ऑफिसस मैं सप्लाइ करते थे. सतीश का काम ठीक ठाक चल रहा था. हमारी लाइफ सेट थी. हम एक मीडियम क्लास फॅमिली से बिलॉंग करते थे. सतीश के पास अपना खुद का एक घर भी था जिस्मै हम रहते थे. हमे किसी चीज़ की कोई कमी नही थी. ऊपेर वाले ने बोहोत ज़ियादा तो नही दिया था पर कम भी नही दिया था. हम बोहोत अछी तरह से रह रहे थे. मैं यह पास्ट टेन्स मैं इस लिए लिख रही हू के अब हमारा बिज़्नेस एक दम से ठप्प हो गया है रिसेशन की मार की वजह से बोहोत सारे आइटी कंपनीज़ का
दीवालिया निकल चुका था और प्राइवेट ऑफीस का भी कुछ ऐसा ही हाल था. सतीश का लॉस कुछ ज़ियादा ही हो गया था और वो अपने सप्लाइयर्स को भी पेमेंट करने के काबिल नही थे जिसकी वजह से सप्लाइयर्स ने माल सप्लाइ करना बंद कर दिया था. सतीश कर्ज़े मैं डूबते चले गये और बिज़्नेस ऑलमोस्ट बंद करना पड़ा और हमारी ज़िंदगी मैं जैसे बोहोत बड़ी कठिनाई आती चली गयी. हमारी परेशानी का दौर शुरू हो गया और सतीश बेचारे सारा दिन इधर उधर घूम घूम के अपने पेंडिंग इनवाइसस की अमाउंट्स को वसूल करने के लिए डिफरेंट ऑफिसस के चक्कर लगा चुके थे पर कही से कोई उम्मीद की किरण नज़र नही आ रही थी और कोई भी पेमेंट नही कर रहा था. रिसेशन की मार ऐसी पड़ी के हमारी ज़िंदगी मैं जैसे एक भूचाल आ गया और अब हमको खाने पीने की भी तकलीफ़ होने लगी. थोड़े ही दीनो मैं जो कुछ बचा कुचा था वो भी सब ख़तम हो गया और सतीश कर्ज़े मैं डूबने लगे और नौकरी की तलाश मैं इधर उधर भटकने लगे पर कही भी किसी किसम का भी जॉब नही मिला और इस बीच मैं ने सतीश से कहा के अगर वो कोई ख़याल ना करे तो मैं भी कही कोई जॉब कर लूँगी तो कुछ ना कुछ तो घर का खर्चा पानी चल ही जाएगा तो सतीश बड़ी मुश्किल से तय्यार हो गये और मैं अब पूरे इंडिया मैं अपने जॉब के अप्लिकेशन भेजने लगी. डेली मेरा काम यही था के पेपर्स मे आड़ देखती और अप्लाइ कर देती थी.
यह मेरी एक फॅंटेसी है और कुछ रियल इन्सिडेंट्स है जो मैं आप के साथ शेर कर रही हू. इस से पहले कि मैं अपनी फॅंटेसी स्टार्ट करू लेट मी डिस्क्राइब माइसेल्फ आंड इन शॉर्ट टू टेल यू सम्तिंग अबौट मी.
मेरा परिवार जिस्मै मेरे डॅड, मोम और मैं बॅस हम तीन ही लोग थे. मेरे डॅड एक सरकारी करमचारी थे. हमारा भी एक छोटा सा घर है लैकिन पिताजी को गवर्नमेंट क्वॉर्टर मिला हुआ था जिस्मै हम रहते थे. मैं अपनी खूबसूरती की तारीफ तो नही करना चाहती पर सच मे मैं एक बोहोत ही खूबसूरत लड़की हू यह मैं नही मेरे फ्रेंड्स कहते है. बॅंगलुर के फर्स्ट क्लास वेदर की वजह से मेरे चिक्स किसी कश्मीरी सेब की तरह गुलाबी हो गये थे, मेरा फेस राउंड और ब्राइट है. माइ स्माइल ईज़ माइ ट्रेषर और जब स्माइल देती तो गालो मैं छोटे छोटे डिंपल्स पड़ते है जो बोहोत अच्छे लगते हैं. मेरे बाल थोड़े से कर्ली है पर डार्क ब्लॅक और शाइनिंग वाले है. मेरी आँखें काली और बड़ी बड़ी चमकदार है फ्रेंड्स बोलते है कि आइ हॅव लाइव्ली एएस जैसे आँखें बोल रही हो और अगर कोई मुझ से बात करता है तो मेरी आँखो की गहराई मैं और मेरी मुस्कान मे डूब जाता है. मैं हेर आयिल तो यूज़ नही करती पर फिर भी लोग ऐसा फील करते है जैसे मैं हेर आयिल लगाए
हुए हू, ई मीन टू से कि मेरे बाल इतने शाइनिंग वाले है. मेरे दाँत मोटी जैसे सफेद और चमकदार है और जब मैं स्माइल देती हू तो ऑलमोस्ट हाफ मोती जैसे चमकते हुए दाँत दिखाई देते है. मैं उतनी मोटी तो नही पर दुबली पतली भी नही मीडियम बिल्ट है मेरी. आइ हॅड वेरी गुड हेल्थ. मेरा बदन भरा भरा है जो बोहोत ही सेक्सी लगता है. मेरे बूब्स का साइज़ 36" है, एक दम से कड़क और बोहोत ही पर्फेक्ट शेप मे है, गोल गोल है ऐसा लगता है जैसे कोकनट को हाफ कट कर के मेरे चेस्ट पे रख दिया हो जिन के ऊपेर लाइट चॉक्लेट कलर के निपल्स है जो मोस्ट्ली एरेक्ट ही रहते है और लाइट ब्राउन कलर के 1 इंच का आरियोला है और मेरे बूब्स बोहोत ही कड़क है एक दम से सख़्त पत्थर जैसे. यूँ तो मैं ब्रस्सिएर पेहेन्ति हू पर जब घर मे रहती हू तो मोस्ट्ली अवाय्ड करती हू और ऐसे टाइम पे मेरे निपल्स मेरे शर्ट के ऊपेर से सॉफ एरेक्ट और खड़े हुए दिखाई देते है और जब मैं चलती हू तो मेरे शर्ट के अंदर जब कपड़ा निपल्स से रगड़ता है तो मुझे बोहोत ही मज़ा आता है, ऐसा लगता है जैसे कोई धीरे धीरे मेरे निपल्स की मसाज कर रहा है. मेरे बूब्स और निपल बोहोत ही सेन्सिटिव है. थोडा सा भी टच मुझे मज़ा देता है और जैसे मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ने लगती है. मैं अपनी चूत के बालो को हमेशा ट्रिम कर के शेप मैं रखती हू और फर्स्ट क्लास ट्रिम देती हू. मुझे अपनी ट्रिम किए हुए छोटे छोटे नरम और मुलायम झांतो वाली चूत बोहोत अछी लगती है और मैं उसपे बोहोत प्यार से हाथ फेरेती और ऐसे ट्रिम बालो पे मसाज करना मुझे बोहोत अछा लगता है और मेरा ख़याल है के हर लड़की को अपनी चूत प्यारी होती है और हर लड़की अपनी चूत पे प्यार से हाथ फेरती है जैसे मैं फेरती हू.
मैं कॉमर्स की ग्रॅजुयेट हू और जब मैं बी. कॉम के फर्स्ट एअर मे थी तब मैं ने फर्स्ट टाइम अपनी चूत का मसाज किया था.
मैं लाइट एक्सर्साइज़ भी करती थी जिस से मेरी बॉडी पर्फेक्ट शेप मे है. एक दिन मैं कॉलेज से वापस आई और बाथरूम मैं शवर लेने चली गई. मेरे बाथरूम मे एक लाइफ साइज़ का मिरर भी लगा हुआ है जिस्मै मैं अपने नंगे बदन को बोहोत देर तक देखती और अप्रीशियेट करती रहती थी, अपने बूब्स को भी लाइट मसाज करती थी. उस दिन शवर लेने के लिए जब अपने कपड़े उतारे तो मे एज यूषुयल अपने बूब्स का मसाज किया और फिर मिरर मे अपने नंगे बदन को देखते देखते पता नही कब और कैसे मेरा हाथ अपनी चूत पे चला गया और जैसे के मैं प्यार से अपनी चूत पे हाथ फेरती हू उसी तरह से चूत पे हाथ फेरने लगी तो उस दिन मुझे ऐसे प्लेषर का एहसास हुआ जो पहले कभी नही हुआ था और देखते ही देखते मेरी मिड्ल फिंगर चूत के दाने को रगड़ते रगड़ते चूत के अंदर चली गयी और मैं अज्ञाने मे अपनी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल के चोदने लगी और तो मुझे ऐसा मज़ा आया जो
पहले कभी नही आया था, मेरा सारा बदन गरम हो गया, मेरी आँखे बंद हो गयी और साँसें तेज़ी से चलने लगी और 2 – 3 मिनिट के अंदर ही मेरा बदन सुन्न हो गया और जैसे मेरे दिमाग़ मैं आँधियाँ चलने लगी मेरा बदन काँपने लगा और फर्स्ट टाइम एवर इन माइ लाइफ मेरी चूत मे से जूस बह के चूत के बाहर निकलने लगा और मैं लाइफलेस हो के बाथरूम के फ्लोर पे बैठ गई और फिर फ्लोर पे ही लेट गयी और मुझे लगा के शाएद मैं 10 – 15 मिनिट के लिए सो गयी. जब मैं अपने सेन्सस मे वापस आई तो मुझे महसूस हुआ के मेरे बदन मे मीठा मीठा नशा सा फैला हुआ है और मुझे अपना बदन बोहोत ही हल्का हल्का महसूस होने लगा और मुझे लगा जैसे मैं हवाओ मे उड़ रही हू. मैं फ्लोर से उठ गई और शवर ले के बाहर आ गई. उस दिन के बाद से मेरा मूड एक दम से चेंज दिखाई देने लगा मुझे हर चीज़ अछी लगने लगी और मैं अक्सर अपने आप मे गाना गाने लगी और अकेले मे मुस्कुराने लगी और उसके बाद से मैं रात मे डेली सोने से पहले अपनी चूत को बोहोत प्यार से सहलाती हू और फिर अच्छी तरह से चूत के दाने को रगड़ के और चूत के अंदर उंगली डाल के मास्टरबेट कर के जूस निकाल देती हू और उसके बाद ही सोती हू जिस से मुझे बोहोत अछी मीठी और गहरी नींद आती है.
जब मैं बी.कॉम के 2न्ड एअर मई थी तब मेरी फ्रेंडशिप मेरे एक कॉलेज फेलो रवि से हो गई वोमेरे से एक साल सीनियर था उस से फ्रेंडशिप हो गई थी जो ऑलमोस्ट 1 साल तक मेरा बॉय फ्रेंड रहा. उसके साथ मैं थियेटर मे फिल्म देखने जाती थी, कभी हम पार्क मे घूमने भी चले जाते थे और कभी ईव्निंग मे रेस्टोरेंट मे भी जा के कॉफी वाघहैरा पीते थे. हम काफ़ी क्लोज़ हो गये थे. एक शाम कॉलेज के छोटे से पार्क के कॉर्नर मे उसने मुझे पहला टॅंक सकिंग पॅशनेट किस किया और साथ मे उसके हाथ मेरे बूब्स पर भी आ गये और वो मेरे बूब्स को स्क्वीज़ करने लगा. उसका हाथ मेरे बूब्स पे लगते ही मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ने लगी और आइ ब्रोक दा किस क्यॉंके मुझे पता था कि मेरे बूब्स और निपल्स कितने सेन्सिटिव है और इफ़ आइ अलो हिम टू स्क्वीज़ मोर टू मेरी चूत से जूस वही निकल जाता. उसके बाद वी केम क्लोज़र टू ईच अदर और जब हम थियेटर मे होते तो वो अपने हाथ मेरे बदन पे इधर उधर घुमाता और लोगो की नज़र बचा के मेरे थाइस पे हाथ रख देता और थियेटर के अंधेरे मे मेरी चूत का भी मसाज करता जिसकी वजह से मोस्ट ऑफ दा टाइम्स मैं वही थियेटर के अंदर ही झाड़ जाती. और मेरा हाथ ले कर अपने लौदे पर रख देता. उसका आकड़े हुए लौदे को पकड़ते ही मेरी चूत गीली हो जाती. मैने हमेशा ही उसके लंड को पॅंट के ऊपेर से ही पकड़ा था कभी नेकेड लंड को नही पकड़ा जिसकी वजह से मुझे उसके लंड का साइज़ भी नही मालूम, बॅस इतना जानती थी के उसका लंड बोहोत ही कड़क हो जाता था जब मैं हाथ मे उसके लंड को पकड़ती तो. जब जब भीहमको मोका मिलता वी किस ईच अदर आंड हे स्क्वीज़ मी बूब्स आंड मसाज माइ पुसी ओवर माइ क्लोद्स.
रवि से मिलने के बाद से ही मेरे अंदर सेक्स की भावना बढ़ने लगी और मैं इंटरनेट पे लंड, चूत और चुदाई के फोटोस और वीडियो क्लिप्स देखने लगी और उसके बाद से मेरा मास्टरबेशन करना कुछ ज़ियादा ही हो गया पर मैं ने रवि को कभी चोदने नही दिया. एक अछी और रिप्यूटेड फॅमिली से होने की वजह से मे चाहती थी के मैं अपनी चूत की सील शादी के बाद अपने पति से ही तुडवाउन्गि और अपने पति को ही अपनी वर्जिनिटी प्रेज़ेंट करूगी. पर शादी के बाद ख़याल आया के मैं ने रवि को एक मौका दिया होता तो अछा होता काश के रवि भी मुझे चोद देता. एनिहाउ अब क्या हो सकता था जो होना था वो हो चुका था.
मेरी फॅंटेसी शादी के थोड़े ही दीनो मे शुरू होती है जिसे मैं ऊपेर लिख चुकी हू अब मैं यहा से अपनी फॅंटेसी स्टार्ट करती हू.
मेरी शादी सतीश के साथ पूरे रीति रिवाजो के साथ ठीक ठाक तरीके से हो गई थी और मैं उसके घर आ गई थी. सतीश के पेरेंट्स बॅंगलुर से तकरीबन 300 किमी दूर एक डिस्ट्रिक्ट मे रहते थे. सतीश अपने बिज़्नेस की वजह से बॅंगलुर शिफ्ट हो गये थे और एक छोटा सा घर भी खरीद लिया था तो उसी घर मे, मैं और सतीश अकेले ही रहते थे. पहले ही लिख चुकी हू के पहले पहले तो बिज़्नेस बोहोत अछा चलता रहा पर 2 या 3 सालो मैं ही रिसेशन की मार की वजह से सतीश का बिज़्नेस तकरीबन बंद हो गया था, हमारा गुज़र बसर, खाना पीना बहुत मुश्किल हो गया था, बड़े ही कठिन दिन चल रहे थे. सिन्स आइ वाज़ कॉमर्स ग्रॅजुयेट, तौग आइ नेवेर हॅड एनी प्रॅक्टिकल एक्सपीरियेन्स बट आइ नो दा नो हाउ आंड दा अंडरस्टॅंडिंग ऑफ अकाउंट्स आंड आइ वाज़ शुवर इफ़ आइ स्टार्ट डूयिंग आ जॉब इन अकाउंट्स ऑर सेक्रेटेरियल फील्ड, आइ कॅन पिक अप वेरी ईज़िली आंड कॅन बी कॉन्फिडेंट इन आ शॉर्ट टाइम. आइ हॅव सीन सो मेनी लेडी सेक्रेटरीस इन ऑफिसस वेनेवर आइ हॅड आ चान्स टू विज़िट एनी ऑफीस फॉर एनी वर्क आंड आइ थिंक दा वर्क ऑफ सेक्रेटरीस आर ऑल्सो ईज़ी आंड आइ वाज़ कॉन्फिडेंट दट आइ कॅन डू तट ऑल्सो आस अन आल्टर्नेटिव टू अकाउंट्स फील्ड. ऐसा सोचते हुए आइ स्टार्टेड अप्लाइयिंग फॉर ए जॉब ऑल ओवर इंडिया टेकिंग दा अड्रेसस ऑफ कंपनीज़ इन नीड ऑफ अकाउंटेंट्स ओर इन सिक्रेटेरियल फील्ड. जहा जॉब की अड्वर्टाइज़्मेंट देखी, अप्लाइ कर देती और बोहोत बेचैनी से डेली पोस्ट का वेट करती रहती पर हमेशा निराशा ही हाथ आती और पोस्ट मन बिना लेटर दिए चला जाता. अप्लाइ करने के टाइम पे ही अपना पोस्टल और ईमेल आइडी दोनो लिख देती थी. पोस्ट को तो चेक कर लेती थी पर एमाइल चेक करना मुश्किल हो गया था क्यॉंके धीरे धीरे फोन कट करवाना पड़ा फिर इंटरनेट और केबल कनेक्षन भी कट
करवाना पड़ा था इसी लिए अब मैं अपने एमाइल्स भी नही चेक कर सकती थी. घर के करीब ही एक इंटरनेट केफे था जिसे एक फिज़िकली चल्लनगेड आदमी चला ता था. हमारा पड़ोसी होने के नाते उसे हमारे बिज़्नेस के बारे मे भी पता था वो मुझे अपने केफे मे आ के फ्री मे ईमेल चेक करने की पर्मिशन दे देता था जहा जा कर मैण अपने ईमेल्स चेक कर लिया करती थी.
क्रमशः......................
Recession Ki Maar part--1
Lekhak : the_great_warrior
Mera naam Sneha Hai. Mei Garden City Bangalore ki rehne wali hu. Ab iss waqt meri age 28 years ki hai aur mai ek shadi shuda mahila hu. Hamari shadi ko 4 saal beet chuke hai aur mai ek pakki Housewife hu. Mere Husband
( Satish ) Satish ka apna different types of electrical accessories ka business tha. Wo wires, holders, plugs, connectors aur doosre accessories IT ke companies aur doosre private offices mai supply karte the. Satish ka kaam theek thaak chal raha tha. Hamari life set thi. Ham ek medium class family se belong karte the. Satish ke pas apna khud ka ek ghar bhi tha jismai ham rehte the. Hamai kisi cheez ki koi kami nahi thi. Ooper wale ne bohot ziada to nahi dia tha par kam bhi nahi dia tha. Ham bohot achi tarah se reh rahe the. Mai yeh past tense mai is liye likh rahi hu ke ab hamara business ek dum se thapp ho gaya hai recession ki maar ki wajah se bohot sare IT companies ka
diwaliya nikal chuka tha aur private office ka bhi kuch aisa hi haal tha. Satish ka loss kuch ziada hi ho gaya tha aur wo apne suppliers ko bhi payment karne ke kabil nahi the jiski wajah se suppliers ne maal supply karna band kar dia tha. Satish karze mai doobte chale gaye aur business almost band karna pada aur hamari zindagi mai jaise bohot badi kathinai aati chali gayee. Hamari pareshani ka dour shuru ho gaya aur Satish bechara sara din idhar udhar ghoom ghoom ke apne pending invoices ki amounts ko vasool karne ke liye different offices ke chakkar laga chuke the par kahi se koi ummeed ki kiran nazar nahi aa rahi thi aur koi bhi payment nahi kar raha tha. Recession ki maar aisi padi ke hamari zindagi mai jaise ek bhuchaal aa gaya aur ab hamko khane peene ki bhi takleef hone lagi. Thode hi dino mai jo kuch bacha kucha tha wo bhi sab khatam ho gaya aur satish karze mai doobne lage aur noukri ki talash mai idhar udhar bhatakne lage par kahi bhi kisi kisam ka bhi job nahi mila aur iss beech mai ne satish se kaha ke agar wo koi khayal na kare to mai bhi kahi koi job kar lungi to kuch na kuch to ghar ka kharcha pani chal hi jayega to satish badi mushkil se tayyar ho gaye aur mai ab poore India mai apne job ke application bhejne lagi. Daily mera kaam yehi tha ke papers mai ad dekhti aur apply kar deti thi.
Yeh meri ek fantasy hai aur kuch real incidents hai jo mai aap ke sath share kar rahi hu. Iss se pehle ke mai apni fantasy start karu Let me describe myself and in short to tell you something about me.
Mera pariwar jismai mere dad, mom aur mai bass ham teen hi log the. Mere dad ek sarkari karamchari the. Although hamara bhi ek chota sa ghar hai laikin pitaji ko Government quarter mila hua tha jismai ham rehte the. Mai apni khubsurti ki tareef to nahi karna chahti par sach mei mai ek bohot hi khubsurat ladki hu yeh mai nahi mere friends kehte hai. Bangalore ke first class weather ki wajah se mere cheeks kisi kashmiri seb ki tarah gulabi ho gaye the, Mera face round aur bright hai. My smile is my treasure aur jab smile deti to galo mai chote chote dimples padte hai jo bohot ache lagte hei. Mere bal thode se curly hai par dark black aur shining wale hai. Meri aankhein kaali aur badi badi chamakdar hai hai friends bolte hai ke I have lively eyes jaise aankhein bol rahi ho aur agar koi mujh se baat karta hai to meri aankho ki gehrayee mai aur meri muskan mai doob jata hai. Mai hair oil to use nahi karti par phir bhi log aisa feel karte hai jaise mai hair oil lagaye
hue hu, I mean to say ke mere baal itne shining wale hai. Mere dant moti jaise safed aur chamakdar hai aur jab mai smile deti hu to almost half moti jaise chamakte hue dant dikhayee dete hai. Mai utni moti to nahi par dubli patli bhi nahi medium built hai meri. I had very good health. Mera badan bhara bhara hai jo bohot hi sexy lagta hai. Mere boobs ka size 36" hai, ek dum se kadak aur bohot hi perfect shape mai hai, gol gol hai aisa lagta hai jaise coconut ko half cut kar ke mere chest pe rakh dia ho jin ke ooper light chocolate colour ke nipples hai jo mostly erect hi rehte hai aur light brown colour ke 1 inch ka areola hai aur mere boobs bohot hi kadak hai ek dum se sakht patthar jaise. Yun to mai brassier pehenti hu par jab ghar mai rehti hu to mostly avoid karti hu aur aise time pe mere nipples mere shirt ke ooper se saaf erect aur khade hue dikhayee dete hai aur jab mai chalti hu to mere shirt ke ander jab kapda nipples se ragadta hai to mujhe bohot hi maza aata hai, aisa lagta hai jaise koi dheere dheere mere nipples ka massage kar raha hai. Mere boobs aur nipple bohot hi sensitive hai. Thoda sa bhi touch mujhe maza deta hai aur jaise mere badan mai electricity doudne lagti hai. Mai apni choot ke balo ko hamesha trim kar ke shape mai rakhti hu aur first class trim deti hu. Mujhe apni trim kiye hue chote chote naram aur mulayam jhato wali choot bohot achi lagti hai aur mai uspe bohot pyar se hath phereti aur aise trim balo pe massage karna mujhe bohot acha lagta hai aur mera khayal hai ke har ladki ko apni choot pyari hoti hai aur har ladki apni choot pe pyar se hath pherti hai jaise mai pherti hu.
Mai Commerce ki Graduate hu aur jab mai B. Com ke first year mai thi tab mai ne first time apni choot ka massage kia tha.
Mai light exercise bhi karti thi jis se meri body perfect shape mai hai. Ek din mai college se wapas ayi aur bathroom mai shower lene chali gai. Mere bathroom mai ek life size ka mirror bhi laga hua hai jismai mai apne nange badan ko bohot der tak dekhti aur appreciate karti rehti thi, apne boobs ko bhi light massage karti thi. Uss din shower lene ke liye jab apne kapde utare to mei as usual apne boobs ka massage kia aur phir mirror mai apne nange badan ko dekhte dekhte pata nahi kab aur kaise mera hath apni choot pe chala gaya aur jaise ke mai pyar se apni choot pe hath pherti hu usi tarah se choot pe hath pherne lagi to uss din mujhe aise pleasure ka ehsaas hua jo pehle kabhi nahi hua tha aur dekhte hi dekhte meri middle finger choot ke dane ko ragadte ragadte choot ke ander chali gayee aur mai ajnaane mai apni choot ke ander apni ungli dal ke chodne lagi aur to mujhe aisa maza aaya jo
pehle kabhi nahi aaya tha, mera sara badan garam ho gaya, meri aankhain band ho gayi aur saansein tezi se chalne lagi aur 2 – 3 minute ke ander hi mera badan sunn ho gaya aur jaise mere dimagh mai aandhiyan chalne lagi mera badan kaampne laga aur first time ever in my life meri choot mai se juice beh ke choot ke baher nikalne laga aur mai lifeless ho ke bathroom ke floor pe baith gai aur phir floor pe hi let gayee aur mujhe laga ke shaed mai 10 – 15 minute ke liye so gayee. Jab mei apne senses mai wapas aai to mujhe mehsoos hua ke mere badan mai meetha meetha nasha sa phaila hua hai aur mujhe apna badan bohot hi halka pohulka mehsoos hone laga aur mujhe laga jaise mai hawao mai udd rahi hu. Mai floor se uth gai aur shower le ke baher aa gai. Uss din ke bad se mera mood ek dum se change dikhayee dene laga mujhe har cheez achi lagne lagi aur mai aksar apne aap mai gaana gaane lagi aur akele mai muskurane lagi aur uske bad se mai raat mai daily sone se pehle apni choot ko bohot pyar se sehlaati hu aur phir acchi tarah se choot ke dane ko ragad ke aur choot ke ander ungli dal ke masturbate kar ke juice nikal deti hu aur uske baad hi soti hu jis se mujhe bohot achi meethi aur gehri neend aati hai.
Jab mai B.Com ke 2nd year mai thi tab meri friendship mere ek college fellow Ravi se ho mere se ek saal senior tha us se friendship ho gai thi jo almost 1 saal tak mera boy frined raha. Uske sath mai theatre mai film dekhne jati thi, kabhi ham park mai ghoomne bhi chale jate the aur kabhi evening me restaurant mai bhi ja ke coffee waghaira peete the. Ham kaafi close ho gaye the. Ek shaam college ke chote se park ke corner mai usne mujhe pehla tongue sucking passionate kiss kia aur sath mai uske hath mere boobs par bhi aa gaye aur wo mere boobs ko squeeze karne laga. Uska hath mere boobs pe lagte hi mere badan mai electricity doudne lagi aur I broke the kiss kyonke mujhe pata tha ke mere boobs aur nipples kitne sensitive hai aur if I allow him to squeeze more to meri choot se juice wahi nikal jata. Uske bad we came closer to each other aur jab ham theatre mai hote to wo apne hath mere badan pe idhar udhar ghumata aur logo ki nazar bacha ke mere thighs pe hath rakh deta aur theater ke andhere mai meri choot ka bhi massage karta jiski wajah se most of the times mai wahi theatre ke ander hi jhad jati. Aur mera hath le kar apne Loude par rakh deta. Uska akda hua loude ko pakadte hi meri choot geeli ho jati. Mai hamesha hi uske Lund ko pant ke ooper se hi pakda tha kabhi naked lund ko nahi pakda jiski wajah se mujhe uske Lund ka size bhi nahi malum, Bass itna janti thi ke uska Louda bohot hi kadak ho jata tha jab mai hath mai uske loude ko pakadti ho. Jab jab bhi
hamko moka milta we kiss each other and he squeeze my boobs and massage my pussy over my clothes.
Ravi se milne ke bad se hi mere ander sex ki bhavna badhne lagi aur mai internet pe Lund, Choot aur chudai ke photos aur video clips dekhne lagi aur uske bad se mera masturbation karna kuch ziada hi ho gaya par mai ne Ravi ko kabhi chodne nahi dia. Ek achi aur reputed family se hone ki wajah se mai chahti thi ke mai apni choot ki seal shadi ke bad apne pati se hi tudwaugi aur apne pati ko hi apni virginity present karugi. Par Shadi ke bad khayal aaya ke mai ne Ravi ko ek mouka dia hota to acha hota kaash ke Ravi bhi mujhe chod deta. Anyhow ab kia ho sakta tha jo hona tha wo ho chuka tha.
Meri fantasy shadi ke thode hi dino mai shuru hoti hai jise mai ooper likh chuki hu ab mai yaha se apni fantasy start karti hu.
Meri Shadi Satish ke sath poore riti rivajo ke sath theek thaak tarike se ho gai thi aur mai uske gahr aa gai thi. Satish ke parents Bangalore se takreeban 300 km door ek district mai rehte the. Satish apne business ki wajah se Bangalore shift ho gaye the aur ek chota sa ghar bhi kharid lia tha to usi ghar mai, mae aur satish akele hi rehte the. Pehle hi likh chuki hu ke pehle pehle to business bohot acha chalta raha par 2 ya 3 salo mai hi Recession Ki Maar ki wajah se Satish ka business takreeban band ho gaya tha, hamara guzar basar, khana pina bohto mushkil ho gaya tha, bade hi kathin din chal rahe the. Since I was Commerce Graduate, though I never had any practical experience but I know the know how and the understanding of accounts and I was sure if I start doing a job in accounts or secreterial field, I can pick up very easily and can be confident in a short time. I have seen so many lady secretaries in offices whenever I had a chance to visit any office for any work and I think the work of secretaries are also easy and I was confident that I can do that also as an alternative to accounts field. Aisa sochte hue I started applying for a job all over India taking the addresses of companies in need of accountants or in secretarial field. Jaha job ki advertisement dekhi, apply kar deti aur bohot bechaini se daily post ka wait karti rehti par hamesha nirasha hi haath aati aur post man bina letter diye chala jata. Apply karne ke time pe hi apna postal aur email id dono likh deti thi. Post ko to check kar leti thi par email check karna mushkil ho gaya tha kyonke dheere dheere phone cut karwana pada phir Internet aur cable connection bhi cut
karwana pada tha isi liye ab mai apne emails bhi nahi check kar sakti thi. Ghar ke kareeb hi ek Internet café tha jise ek physically challnaged aadmi chala ta tha. Hamara padosi hone ken ate usey hamare business ke bare mai bhi pata tha wo mujhe apne café mai aa ke free mai email check karne ki permission de deta tha jaha ja kar mai apne emails chek kar lia karti thi.
kramashah......................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
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