Monday, November 1, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियां रिसेशन की मार पार्ट--2




रिसेशन की मार पार्ट--2

गतान्क से आगे..........
अप्लाइ करते करते ऑलमोस्ट 3 मंथ हो गये थे पर कही से कोई ऐसा फ्रूटफुल रिप्लाइ ही नही आया था. थोड़े बोहोत जो रीप्लाइस आते थे वो यही आते थे की वी हॅव केप्ट युवर अप्लिकेशन इन और आक्टिव फाइल, एज सून एज वी हॅव सम वेकेन्सी वी विल कॉंटॅक्ट यू. कुछ लोग तो डाइरेक्ट लिख देते थे कि पोज़िशन ईज़ ऑलरेडी फिल्ड. कुछ लिखते थे कि वी हॅव प्रमोटेड ए गाइ फ्रॉम और ऑफीस टू फिल दट पोज़िशन. कुछ कंपनीज़' वाले लिखते के उनको एक्सपीरियेन्स्ड लड़की चाहिए. मैं तो इतनी निराश हो गयी थी के रातो मे रोने लगती के शाएद मुझे जॉब नही मिलेगा और धीरे धीरे सतीश की हेल्थ भी खराब रहने लगी थी. हमारा टाइम ही खराब चल रहा था. सतीश इतने सेल्फ़ कॉन्षियस थे के अपने पिताजी से या मेरे पिताजी से कुछ मॉनिटरी हेल्प लेने के लिए तय्यार ही नही थे. उसका ख़याल था कि यह बुरा टाइम है जो जल्दी ही ख़तम हो जाएगा और फिर वोही पुराने फुल प्रॉफिटबल बिज़्नेस आ जाएगा. सो ही वाज़ रेज़िस्टिंग बट हिज़ हेल्थ ईज़ रूयिनिंग दे बाइ दे आंड आइ आम अनेबल टू फाइंड आ जॉब फॉर माइसेल्फ. हम दोनो रातो मे रिसेशन, बिज़्नेस लॉस और जॉब के बारे मे ही डिसकस किया करते थे. हमारी सेक्स लाइफ भी तकरीबन ख़तम ही हो चुकी थी. अब सतीश का लंड जैसे एक छोटा सा लटकता हुआ यूरिन पास करने का टूल बन गया था. उसके लंड को एरेक्ट हुए पता नही कितने वीक्स हो गये थे. शुरू शुरू मे तो मेरा बोहोत मूड होता था चुदवाने का और मैं सतीश के लंड से खेलती और अपने हाथमे ले कर दबाती और कभी मूह मे ले के चूस्ति लैकिन फिर भी उसका लंड एरेक्ट नही होता था और मैं अपनी चुदवाने की भावना को अपने दिल मैं ही दबा के सो जाती. अब धीरे धीरे मेरी चूत भी गीली होना बंद हो गयी थी. दिन और रात बस जॉब का ही ध्यान लगा रहता था इसीलिए सेक्स की भावना ऑलमोस्ट ख़तम ही हो गयी थी. मेरा दिल भी अब चुदाई से हट गया था और मैं जो अपनी चूत की ऐसी अच्छी देख भाल किया करती थी अब अपनी चूत के बालो को ट्रिम करना भी छोड़ दिया था.
दिन और रात ऐसे ही निराशा भरे गुज़रने लगे. एक दिन जब मैं अपने मेल्स चेक कर रही थी तो मुझे वो गुड न्यू मिल गयी जिसका इंतेज़ार मैं ऑलमोस्ट 2 महीने से कर रही थी. मुझे इंटरव्यू कॉल आई थी आर.के. इंडस्ट्रीस, मुंबई से. आर.के. इंडस्ट्रीस को उनके मॅनेजिंग डाइरेक्टर ( एम डी ) के लिए एक पर्सनल सेक्रेटरी की ज़रूरत थी जो उनके छोटे मोटे पर्सनल अकाउंट्स भी देख सके. मेल देख कर मेरे दिल को जो खुशी मिली वो मैं बयान नही कर सकती.
मेरी आँखो मैं एक नयी चमक आ गयी, दिल इतनी ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा जैसे अभी उछल कर सीने से बाहर आ जाएगा, बदन मे खुशी से पसीना आ गया पर फॉरन ही एक दम से पता नही क्यों दिल बैठ गया के इंटरव्यू तो मुंबई मे है और पोस्ट भी वही के लिए है. मैं सतीश को छोड़ के कैसे जासकती हू और यह कोई ज़रूरी भी नही है के मैं बॅंगलुर से मुंबई जाउ और यह जॉब मुझे ही मिले पर दिल कह रहा था के थेअर ईज़ नो हार्म इन ट्राइयिंग स्नेहा चली जा ट्राइ तो कर ले भगवान की कृपा रही तो यह जॉब तुझे ही मिलेगी फिर दूसरी तरफ दिल कहता के स्नेहा सिक्रेटेरियल जॉब तो किसी लड़की को ही मिलेगी ना और तू तो एक शादी शुदा है फिर दिल कहता के यार चली तो जा एक ट्राइ करने मे किया प्राब्लम है तू भी कुछ कम ब्यूटिफुल और सेक्सी नही है बॅस थोड़ा अपने आप को मॉडर्न बना ले और ट्राइ मार ले. यह सोचते सोचते मैं घर आ गई और सतीश को इंटरव्यू का प्रिंट आउट दिखा दिया तो वो भी खुश हो गया और बोला के चली जाओ और ट्राइ कर्लो देखो क्या होता है. हम दोनो ने मिल कर डीटेल मे डिसकस किया. पहले प्रोग्राम बना के दोनो जाएगे फिर सोचा के अब इतना लंबा एक्सपेन्स करके मुंबई जाए वाहा का होटेल, बोरडिंग, लॉड्जिंग और ट्रॅन्स्पोर्टेशन का खर्चा बोहोत हो जाएगा. सतीश ने पूछा के क्या तुम अकेली जा सकती हो तो मैने बोला के मैं कभी बॅंगलुर से बाहर ही नही गई मुझे तो पता भी नही के मुंबई क्या है, कहा है, कैसी है वाहा क्या होगा एट्सेटरा एट्सेटरा. सतीश एक दो टाइम अपने बिज़्नेस के सिलसिले मे मुंबई जा चुके थे तो उनको मुंबई का एक वेग टाइप का आइडिया था लैकिन वाहा वो किसी को जानते नही थे और यह इंटरव्यू की प्लेस भी नही जानते थे कि कहा है और मुझे कुछ ख़ास गाइड भी नही कर सके बस मुंबई के लाइफ स्टाइल के बारे मे थोड़ा बोहोत जो जानते थे बता दिया. इंटरव्यू 3 दिन बाद होना था और मुझे कल ही मुंबई के लिए निकल जाना था नही तो मैं टाइम पे नही पहुँच सकती थी. बहुत आर्ग्युमेंट्स और डिस्कशन्स के बाद अल्टिमेट्ली यही डिसाइड हुआ के मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा और मेरे पास बिल्कुल भी टाइम नही है. रात हो गई है और कल लंच टाइम तक मुझे चले जाना है. यह डिसाइड किया के प्राइवेट बस से जाना होगा क्यॉंके सब से पहले तो ट्रेन का टिकेट कॉस्ट्ली पड़ता था और बिना रिज़र्वेशन मुंबई तक का ट्रॅवेल ऑलमोस्ट इंपॉसिबल था इसी लिए बस का डिसाइड कर लिया गया.
सतीश ने मुझे समझाया के कैसे जाना है और क्या करना है और कैसे वापस आना है उसके बाद सतीश तो मेडिसिन ले के सो गये पर मुझे तो तय्यारी करनी थी इसी लिए मैं वॉशिंग मशीन मे अपने कपड़े डाल के वॉशिंग मे लग गई और शादी मे आया हुआ एक मीडियम साइज़ का सूटकेस निकाल के उसको साफ किया और कपड़े धोने के बाद आइर्निंग करने बैठ गई. अपना मेक अप बॉक्स भी रेडी कर लिया. मेरे पास कॉलेज के ज़माने का एक क्रीम बॅकग्राउंड पे पिंक फ्लवर वाला
मिद्डी टाइप का सिल्की स्कर्ट था और लाइट क्रीम कलर पे पोल्का डॉट वाली एक चोली जिसमे नीचे से नाट भी डाली जा सकती थी, यह ड्रेस मुझे बोहोत ही पसंद था तो मैं ने इंटरव्यू के लिए इस ड्रेस को ही चूज किया जिसे सतीश ने भी अप्रूव किया था और यह ड्रेस सतीश को भी बोहोत ही पसंद था. यह ड्रेस को आइरन किया और सूट केस रेडी कर लिया. जब यह सब काम कंप्लीट हो गया तो मुझे ख्याल आया के मुझे अपने आप को भी तो ठीक ठाक करना है नही तो इंटरव्यू के टाइम पे ऐसा लगेगा जैसे मैं किचन से उठ कर आ रही हू, यह ख़याल आते ही मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ गयी और मैं बाथरूम मे शवर लेने चली गई.
मैं अपनी झांतो भरी चूत को शेव करने लगी.
बाथरूम मे आने के बाद जब अपने कपड़े उतारे और नंगी हो गई और सामने वॉल पे लगे लाइफ साइज़ मिरर मे मुझे अपनी चूत के आगे ऐसा जंगल दिखाई दिया जिसे देख कर मैं डर गई के यह मेरी चूत की क्या हालत हो गई है और फिर मैं ने कपबोर्ड से हेर रिमूविंग क्रीम निकाल के अपनी चूत के बालो पे स्प्रेड किया और वेट करने लगी. थोड़ी देर के बाद प्लॅटिक के पीस से जब चूत के झांतो पे शेव जैसे ही किया तो चूत पे धक्की हुई झांट आसानी से निकलने लगे और जंगल जैसे बालो भरी चूत की जगह एक चमकदार, चिकनी सिल्की सॉफ्ट चूत दिखाई देने लगी जिस पर मैं प्यार से हाथ फेरने लगी और देखते ही देखते मैं सब कुछ भूल गयी मुझे इस वक़्त अपनी प्यारी चूत से ज़ियादा कुछ अछा नही लग रहा था और मैं अपनी प्यारी चिकनी चूत का बड़े प्यार से मसाज करने लगी. अपनी चूत पे हाथ फिराना मुझे बोहोत ही अछा लग रहा था, मेरे बदन मैं एक सनसनी सी फैलने लगी थी. मेरी फ्रेशली शेवन सॉफ्ट चूत को इस टाइम एक मोटे से मूसल लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी जो मेरी गरम चिकनी चूत को चोद चोद के उसका भोसड़ा बना दे. आज कल सतीश का लंड तो एरेक्ट नही हो रहा था इसी लिए मुझे इमीडीयेट्ली अपने
कॉलेज फ्रेंड रवि का मोटा लंड याद आगेया और अब मेरी चूत की पोज़िशन ऐसी थी कि उसको एक मस्त मोटे लंड से चूत के फटने तक चुदाई चाहिए थी. मैं एक लंड के लिए बे चैन हो गई और अपनी उंगली को चूत के अंदर डाल के चोद्ते हुए मैं अपनी चूत के अंदर रवि के लंड को अपने ख़यालो मे ही अपनी चूत के अंदर महसूस करने लगी अपनी समंदर जैसी गीली चूत को अपनी उंगली से पागलो की तरह से चोदने लगी, मेरी उंगली चूत के अंदर तूफ़ानी रफ़्तार से अंदर बाहर हो रही थी और पता ही नही चला कब मेरी आँखें बंद हो गयी थी और सारे बदन मे एक नशा सा च्छा गया था, आँखें बंद हो गई, मस्ती से मेरा बदन किसी सूखे पत्ते की तरह से काँपने लगा और मैं झड़ती ही चली गई झड़ती ही चली गई पता नही कितनी देर तक झड़ती रही क्यॉंके मेरी चूत को चुदे हुए बोहोत दिन हो गये थे, मे बाथरूम के फ्लोर पे लेट गई और फिर और मेरा सारा बदन ऐसे सुन्न हो गया था जैसे किसी ने बदन मे ऐसी सन सनाहट होने लगी जैसे अनेस्तीसिया दे दिया हो और चूत के मसाज के बाद आज इतना ज़ियादा जूस निकला था कि क्या बताउ, चूत से जूस बह के जाँघो से होता हुआ नीचे फ्लोर पे भी गिर गया ऐसा लगता था जैसे मेरी चूत से मस्ती का जूस नही कोई समंदर निकला हो. मेरी चूत के अंदर इतने दिनो से सोई हुई चुदाई की वासना जागने लगी और मैं एक दम से चुदासी हो गई और मेरी चूत एक मोटे लंड से चुदने को बेचैन होने लगी और सोचने लगी के काश आज की रात सतीश का लंड उठ जाए और मुझे चोद चोद कर मेरी चूत का भोसड़ा बना दे. पर क्या करू मुझे पता था के अब इस टाइम पे उसका लंड नही एरेक्ट होगा इसी लिए अपने दिल पे पत्थर रख के बिना चुदवाये ही शवर लिया और टवल लपेट के शवर से बाहर आ गई.
अपनी झांतो भरी चूत को साफ कर के और फ्रेशली शेवन चूत का मस्त मसाज करने तक मुझे पता ही नही चला के मेरे शवर लेने मे तकरीबन एक घंटा लग गया है. मेरे शवर ले के बाथरूम से बाहर आने तक सतीश सो गये थे. मुझे उसे देख के उसपे दया आ गई और सोचने लगी के काश मुझे यह जॉब मिल जाए तो एक बार फिर से हमारे दिन पलट सकते है. सतीश का बिज़्नेस फिर से ठीक हो सकता है. एट्सेटरा एट्सेटरा, यही सोचते सोचते मैं अपने कपड़े और दूसरा समान पॅक करने लगी. एक एक चीज़ को अच्छी तरह से डबल चेक किया और सूटकेस को पॅक किया और सोने के लिए अपने बेड पे चली गई. टाइम देखा तो रात के 4 बज रहे थे.
मुझे अकेले ट्रॅवेल करने के डर से और फर्स्ट टाइम मुंबई देखने के एग्ज़ाइट्मेंट मे नींद ही नही आ रही थी. मैं बेड पे लेटी करवटें बदल बदल के सोने की कोशिश करने लगी पर कुछ नही हुआ. आख़िर सारी रात जाग जाग कर ही गुज़री बॅस अपनी आँखें बंद कर के लेटी रही. दिमागी टेन्षन की वजह से
बोहोत दीनो से रातो मे नींद नही आ रही थी कभी किसी दिन 3 घंटे कभी 4 घंटे ऐसे ही नींद होती रही थी. और आज तो रात भर नींद नही आई थी. बेड पे लेटने के बाद सारा टाइम करवटें बदलने मे गुज़र गया और बिना सोए ही सुबह उठ के शवर लिया तो थोडा फ्रेश महसूस करने लगी.
आज मुझे किसी प्राइवेट बस से मुंबई जाना था. सुबह मेरे शवर लेने तक सतीश ब्रेकफास्ट बना चुके थे. हम दोनो ने ब्रेकफास्ट लिया और सतीश बस के रिज़र्वेशन के लिए चले गये. बॅंगलुर से मुंबई जाने के लिए बोहोत प्राइवेट कंपनीज़ के बस चलते थे. हमारे घर के करीब ही एक प्राइवेट कंपनी भी थी जहा सतीश एंक्वाइरी के लिए चले गये और थोड़ी ही देर मे रिज़र्वेशन ले के वापस आ गये. बस दोपेहेर के 2 बजे बॅंगलुर से निकलती थी. लेट रिज़र्वेशन करवाने की वजह से मुझे सब से लास्ट वाली सीट मिली थी. मैं शवर ले के तय्यार हो गई. बॅंगलुर से मुंबई का जर्नी कुछ ज़ियादा ही लंबा था फिर सोचा के रास्ते मे मौसम कैसा होगा पता नही हो सकता है के ठंडी हो इसी लिए मैं ने डिसाइड किया और अपना एक डार्क ब्लू बॅकग्राउंड पे लाइट क्रीम कलर के छोटे छोटे फ्लवर और डीप नेक का शर्ट जिस्मै से मेरा दूध जैसा क्लीवेज भी नज़र आ रहा था और डार्क ब्लू कलर की मॅचिंग वाला सलवार सूट पहेन लिया. इस डार्क कलर की सलवार मे मेरा गोरा रंग बोहोत अछा लग रह था. मुझे घर मे ब्रस्सिएर और पॅंटी पहेन्ने की आदत तो थी नही और फिर मैं ने सोचा के इतना लंबा सफ़र है शाएद पॅंटी और ब्रस्सिएर मेरे बदन पे अगर टाइट हो गये तो उनको दूसरे पॅसेंजर के सामने अड्जस्ट करना भी मुश्किल हो जाएगा और फिर बस मे कौन मुझे देखने जा रहा है के मैं ने ब्रस्सिएर और पॅंटी पहनी है के नही बॅस यह सोच के मैं थोड़ा सा मुस्कुरा दी और बिना ब्रस्सिएर और बिना पॅंटी के ही सलवार सूट पहेन लिया. सलवार सूट बोहोत लाइट मेटीरियल का बना हुआ था जिसका मेरे बदन पे एहसास ही नही हो रहा था मुझे यह ड्रेस भी बोहोत ही पसंद था तो मैं ने यह पहेन लिया. सलवार पेहेन्ते पेहेन्ते देखा तो मुझे याद आया के इस सलवार सूट मे तो मेरे टेलर ने सलवार मे नाडा नही एक मोटी सी और अछी क्वालिटी का एलास्टिक लगाया हुआ था जिसके पहेन्ने से मैं बोहोत ही कंफर्टबल महसूस करती थी और अगर नाडा होता तो उसको बाँधने मे कभी टाइट हो जाता कभी ढीला तो वो एक अलग मुश्किल थी इसी लिए मैं हमेशा ही एलास्टिक हाई प्रिफर करती थी और मैं ने अपने टेलर से बोल दिया था के नेक्स्ट टाइम से मेरी सारी सलवार मे एलास्टिक ही लगाना. एक अंदर की बात बताउ, सलवार मे एलास्टिक होने की वजह से कभी भी बैठे बैठे या खड़े खड़े ऊपेर से अपना हाथ अपनी चूत मे डाला जा सकता था चाहे वो खुजाने के लिए हो या
चूत का मसाज करने के लिए. मैं यह सलवार सूट मे बोहोत ही कंफर्टबल और लाइट महसूस कर रही थी.

क्रमशः......................




Recession Ki Maar part--2

gataank se aage..........
Apply karte karte almost 3 months ho gaye the par kahi se koi aisa fruitful reply hi nahi aaya tha. Thode bohot jo replies aate the wo yehi aate the ke we have kept your application in our active file, as soon as we have some vacancy we will contact you. Kuch log to direct likh dete the ke position is already filled. Kuch likhte the ke we have promoted a guy from our office to fill that position. Kuch companies' wale likhte ke unko experienced ladki chahiye. Mai to itni nirash ho gayi thi ke rato mai rone lagti ke shaed mujhe job nahi milega aur dheere dheere Satish ki health bhi kharab rehne lagi thi. hamara time hi kharab chal raha tha. Satish itne self conscious the ke apne pitaji se ya mere pitaji se kuch monetary help lene ke liye tayyar hi nahi the. uska khayal tha ke yeh bura time hai jo jaldi hi khatam ho jayega aur phir wohi purane full profitable business aa jayega. So he was resisting but his health is ruining day by day and I am unable to find a job for myself. Ham dono rato mai Recession, business loss aur job ke bare mai hi discuss kia karte the. Hamari sex life bhi takreeban khatam hi ho chuki thi. Ab satish ka Louda jaise ek chota sa latakta hua urine pass karne ka tool ban gaya tha. Uske Loude ko erect hue pata nahi kitne weeks ho gaye the. Shuru shuru mai to mera bohot mood hota tha chudwane ka aur mai Satish ke Lund se khelti aur apne hath mai le ka dabati aur kabhi muh mai le ke choosti laikin phir bhi uska Lund erect nahi hota tha aur mai apni chudwane ki bhavna ko apne dil mai hi daba ke so jati. Ab dheere dheere meri choot bhi geeli hona band ho gayee thi. Din aur rat bas job ka hi dhayan laga rehta tha isiliye sex ki bhavna almost khatam hi ho gayee thi. mere dil bhi ab chudai se hat gaya tha aur mai jo apni choot ki aisi achi dekh bhaal kia karti thi ab apni choot ke balo ko trim karna bhi chhor dia tha.
Din aur raat aise hi nirasha bhare guzarne lage. Ek din jab mai apne mails check kar rahi thi to mujhe wo good new mil gayi jiska intezar mai almost 2 mahine se kar rahi thi. Mujhe Interview call ayi thi R.K. Industries, Mumbai se. R.K. Industries ko unke Managing Director ( MD ) ke liye ek Personal Secretary ki zaroorat thi jo unke chote mote personal accounts bhi dekh sake. Mail dekh kar mere dil ko jo khushi mili wo mai bayan nahi kar sakti.
Meri aankho mai ek nayee chamak aa gayee, dil itni zor zor se dhadakne laga jaise abhi uchal kar seene se baher aa jayega, badan mai khushi se paseena aa gaya par foran hi ek dum se pata nahi kyon dil baith gaya ke Interview to Mumbai mai hai aur post bhi wahi ke liye hai. Mai Satish ko chhor ke kaise jasakti hu aur yeh koi zaroori bhi nahi hai ke mai Bangalore se Mumbai jau aur yeh job mujhe hi mile par dil keh raha tha ke there is no harm in trying Sneha chali ja try to kar le bhagvan ki kripa rahi to yeh job tujhe hi milegi phir doosri taraf dil kehta ke Sneha secretarial job to kisi ladki ko hi milegi na aur tu to ek shadi shuda hai phir dil kehta ke yar chali to ja ek try karne mai kia problem hai tu bhi kuch kam beautiful aur sexy nahi hai bass thoda apne aap ko modern bana le aur try mar le. Yeh sochte sochte mai ghar aa gai aur Satish ko Interview ka print out dikha dia to wo bhi khush ho gaya aur bola ke chali jao aur try karlo dekho kia hota hai. Ham dono ne mil kar detail mai discuss kia. Pehle programme bana ke dono jayege phir socha ke ab itna lamba expense karke Mumbai jaye waha ka hotel, boarding, lodging aur transportation ka kharcha bohot ho jayega. Satish ne poocha ke kia tum akeli ja sakti ho to mei ne bola ke mai kabhi Bangalore se baher hi nahi gai mujhe to pata bhi nahi ke Mumbai kia hai, kaha hai, kaisi hai waha kia hoga etc etc. Satish ek do time apne business ke silsile mai Mumbai ja chuke the to unko Mumbai ka ek vague type ka idea tha laikin waha wo kisi ko jante nahi the aur yeh Interview ki place bhi nahi jaante the ke kaha hai aur mujhe kuch khaas guide bhi nahi kar sake bas Mumbai ke life style ke bare mai thoda bohot jo jante the bata dia. Interview 3 din bad hona tha aur mujhe kal hi Mumbai ke liye nikal jana tha nahi to mai time pe nahi pohoch sakti thi. Bohot arguments aur discussions ke bad ultimately yehi decide hua ke mujhe akele hi jana padega aur mere pas bilkul bhi time nahi hai. Raat ho gai hai aur kal Lunch time tak mujhe chale jana hai. Yeh decide kia ke private Bus se jana hoga kyonke sab se phel to train ka ticket costly padta tha aur bina reservation Mumbai tak ka travel almost impossible tha isi liye Bus ka decide kar lia gaya.
Satish ne mujhe samjhaya ke kaise jana hai aur kia karna hai aur kaise wapas aana hai uske bad Satish to medicine le ke so gaye par mujhe to tayyari karni thi isi liye mai washing machine mai apne kapde dal ke washing mai lag gai aur shadi mai aaya hua ek medium size ka suitcase nikal ke usko saaf kia aur kapde dhone ke bad ironing karne baith gai. Apne make up box bhi ready kar lia. mere pas college ke zamaane ka ek cream background pe pink flower wala
middi type ka silky skirt tha aur light cream colour pe polka dot wali ek choli jismain neeche se knot bhi dali ja sakti thi, yeh dress mujhe bohot hi pasand tha to mai ne Interview ke liye iss dress ko hi chose kia jise Satish ne bhi approve kia tha aur yeh dress Satish ko bhi bohot hi pasand tha. Yeh dress ko iron kia aur suit case ready kar lia. Jab yeh sab kaam complete ho gaya to mujhe kahyal aaya ke mujhe apne aap ko bhi to theek thaak karna hai nahi to Interview ke time pe aisa lagega jaise mai kitchen se uth kar aa rahi hu, yeh khayal aate hi mere chehre pe ek muskan aa gayi aur mai bathroom mai shower lene chali gai.
Mai apni jhanto bhari choot ko shave karne lagi.
Bathroom mai aane ke bad jab apne kapde utare aur nangi ho gai aur samne wall pe lage life size mirror mai mujhe apni choot ke aage aisa jungle dikhayee dia jise dekh kar mai dar gai ke yeh meri choot ki kia halat ho gai hai aur phir mai ne cupboard se Hair Removing Cream nikal ke apni choot ke balo pe spread kia aur wait karne lagi. Thodi der ke bad platic ke piece se jab choot ke jhato pe shave jaise hi kia to choot pe dhakki hui jhant asaani se nikalne lage aur jungle jaise balo bhari choot ki jagah ek chamakdar, chikni silky soft choot dikhayee dene lagi jis par mai pyar se hath pherne lagi aur dekhte hi dekhte mai sab kuch bhool gayi mujhe iss waqt apni pyari choot se ziada kuch acha nahi lag raha tha aur mai apni pyari chikni choot ka bade pyar se massage karne lagi. Apni choot pe hath phirana mujhe bohot hi acha lag raha tha, mere badan mai ek sansani si phailne lagi thi. Meri freshly shaven soft choot ko iss time ek mote se musal Lund ki zaroorat mehsoos hone lagi jo meri garam chikni choot ko chod chod ke uska bhosda bana de. Aaj kal Satish ka Lund to erect nahi ho raha tha isi liye mujhe immediately apne
college friend Ravi ka mota Lund yaad aagaya aur ab meri choot ki position aisi thi ke usko ek mast mote lund se choot ke phatne tak chudai chahiye thi. Mai ek lund ke liye be chain ho gai aur apni ungli ko choot ke ander dal ke chodte hue mai apni choot ke ander Ravi ke Lund ko apne khayalo mai hi apni choot ke ander mehsoos karne lagi apni samandar jaisi geeli choot ko apni ungli se pagalo ki tarah se chodne lagi, meri ungli choot ke ander toofani raftaar se ander baher ho rahi thi aur pata hi nahi chala kab meri aankhein band ho gayi thi aur sare badan mai ek nasha sa chha gaya tha, aankhein band ho gai, masti se mera badan kisi sookhe patte ki tarah se kaanpne laga aur mai jhadti hi chali gai jhadti hi chali gai pata nahi kitni der tak jhadti rahi kyonke meri choot ko chude hue bohot din ho gaye the, mei bathroom ke floor pe let gai aur phir aur mera sara badan aise sunn ho gaya tha jaise kisi ne badan mai aisi san sanahat hone lagi jaise anesthesia de dia ho aur Choot ke massage ke bad aaj itna ziada juice nikla tha ke kia batau, choot se juice beh ke jhango se hota hua neeche floor pe bhi gir gaya aisa lagta tha jaise meri choot se masti ka juice nahi koi samandar nikla ho. Meri choot ke ander itne dino se soi hui chudai ki vasna jaagne lagi aur mai ek dum se chudasi ho gai aur meri choot ek mote Lund se chudne ko bechain hone lagi aur sochne lagi ke kaash aaj ki raat satish ka Lund uth jaye aur mujhe chod chod kar meri choot ka bhosda bana de. Par kia karu mujhe pata tha ke ab iss time pe uska Lund nahi erect hoga isi liye apne dil pe patthar rakh ke bina chudwaye hi shower lia aur towel lapet ke shower se baher aa gai.
Apni jhanto bhari choot ko saaf kar ke aur freshly shaven choot ka mast massage karne tak mujhe pata hi nahi chala ke mere shower lene mai takreeban ek ghanta lag gaya hai. Mere shower le ke bathroom se baher aane tak Satish so gaye the. Mujhe usey dekh ke uspe daya aa gai aur sochne lagi ke kaash mujhe yeh job mil jaye to ek bar phir se hamare din palat sakte hai. Satish ka business phir se theek ho sakta hai. etc etc, Yehi sochte sochte mai apne kapde aur doosra saman pack karne lagi. Ek ek cheez ko acchi tarah se double check kia aur suitcase ko pack kia aur sone ke liye apne bed pe chali gai. Time dekha to raat ke 4 baj rahe the.
Mujhe akele travel karne ke darr se aur first time Mumbai dekhne ke excitement mai neend hi nahi aa rahi thi. Mai bed pe leti karwate badal badal ke sone ki koshish karne lagi par kuch nahi hua. Aakhir sari raat jaag jaag kar hi guzari bass apni aankhein band kar ke leti rahi. Dimaghi tension ki wajah se
bohot dino se raato mai neend nahi aa rahi thi kabhi kisi din 3 ghante kabhi 4 ghante aise hi neend hoti rahi thi. aur aaj to raat bhar neend nahi ayi thi. bed pe letne ke bad sara time karwate badalne mai guzar gaya aur bina soye hi subah uth ke shower lia to thoda fresh mehsoos karne lagi.
Aaj mujhe kisi private bus se Mumbai jana tha. Subah Mere shower lene tak satish breakfast bana chuke the. Ham dono ne breakfast lia aur Satish bus ke reservation ke liye chale gaye. Bangalore se Mumbai jane ke liye bohot private companies ke bus chalte the. Hamare ghar ke kareeb hi ek private company bhi thi jaha Satish enquiry ke liye chale gaye aur thodi hi der mai reservation le ke wapas aa gaye. Bus dopeher ke 2 baje Bangalore se nikalti thi. Late reservation karwane ki wajah se mujhe sab se last wali seat mili thi. Mai shower le ke tayyar ho gai. Bangalore se Mumbai ka journey kuch ziada hi lamba tha phir socha ke raaste mai mousam kaisa hoga pata nahi ho sakta hai ke thandi ho isi liye mai ne decide kia aur apna ek dark blue background pe light cream colour ke chote chote flower aur deep neck ka shirt jismai se mera doodh jaisa cleavage bhi nazar aa raha tha aur dark blue colour ki matching wala salwar suit pehen lia. Yeh dark colour ki salwar mai mera gora rang bohot acha lag rah tha. Mujhe ghar mai brassier aur panty pehenne ki aadat to thi nahi aur phir mai ne socha ke itna lamba safar hai shaed panty aur brassier mere badan pe agar tight ho gaye to unko doosre passenger ke samne adjust karna bhi mushkil ho jayega aur phir bus mai koun mujhe dekhne ja raha hai ke mai ne brassier aur panty pehni hai ke nahi bass yeh soch ke mai thoda sa muskura di aur bina brassier aur bina panty ke hi salwar suit pehen lia. Salwar suit bohot light material ka bana hua tha jiska mere badan pe ehsaas hi nahi ho raha tha mujhe yeh dress bhi bohot hi pasand tha to mai ne yeh pehen lia. Salwar pehente pehente dekha to mujhe yaad aaya ke iss salwar suit mei to mere tailor ne salwar mai nada nahi ek moti si aur achi quality ka elastic lagaya hua tha jiske pehenne se mai bohot hi comfortable mehsoos karti thi aur agar nada hota to usko bandhne mai kabhi tight ho jata kabhi dheela to wo ek alag mushkil thi isi liye mai hamesha hi elastic hi prefer karti thi aur mai ne apne tailor se bol dia tha ke next time se meri sari salwar mai elastic hi lagana. Ek ander ki baat batau, Salwar mai elastic hone ki wajah se kabhi bahi baithe baithe ya khade khade ooper se apna hath apni choot mai dala ja sakta tha chahe wo khujane ke liye ho ya
choot ka massage karne ke liye. Mai yeh salwar suit mai bohot hi comfortable aur light mehsoos kar rahi thi.

kramashah......................








आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj


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