Monday, November 1, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियां रिसेशन की मार पार्ट--6




रिसेशन की मार पार्ट--6

गतान्क से आगे..........
राज का मूह मेरे सीने मे था और उसकी नाक से निकलती गरम साँस जो मेरे बूब्स पे लग रही थी तो मैं भी गरम होने लगी और मेरा दूसरा हाथ मेरी जाँघो मे आ गया और मैने अपनी चूत का एक बार फिर से मसाज शुरू कर दिया था. मुझे खुद नही मालूम के मैं इतनी चुदासी क्यों हो रही थी पर सच तो यही है के मैं कुछ ज़ियादा ही चुदासी हो गई थी. राज के मूह को अपने बूब्स पे महसूस कर के मैं चूत का मसाज करने लगी और थोड़ी ही देर मे मेरा हाथ बोहोत ज़ोर ज़ोर से चलने लगा और मेरा ऑर्गॅज़म आना शुरू हो गया और
मैं झाड़ गयी. मेरी चूत से जूस तो निकल गया पर अभी मेरी चुदाई की भूक नही मिटी थी मुझे अपनी चूत के अंदर किसी लंबे मोटे लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी. मैं चाहती थी के आज राज मुझे इतनी ज़ोर ज़ोर से अपने लंबे मोटे क़ुतुब मीनार जैसे लंड से ऐसा चोदे के मेरी चूत फॅट जाए. यह सोचते सोचते मेरा जोश और बढ़ने लगा पर मैं राज से चोदने को कैसे कह सकती थी बॅस ऐसे ही अपनी चूत की प्यास अपनी उंगली से मिटा ने के बाद कुछ इतमीनान हुआ.

इतनी देर मे राज का मूह मेरे निपल्स से टकराने लगा. मेरा तो दिमाग़ ही खराब हो रहा था और मेरी चूत एक दम से चुदासी हो गयी थी. एक तो पहले ही मैं बोहोत दीनो से चुदी नही थी और दूसरे मैं राज का खड़ा लंबा मोटा तगड़ा लंड इतनी करीब से देख चुकी थी और फिर अब उसका मूह मेरे बूब्स पे लगा हुआ था. मेरी चूत तो समंदर जैसी गीली हो रही थी और मैं चाह रही थी के बॅस अब राज मुझे चोद ही डाले मुझे मेरे दिमाग़ मे बॅस राज का खड़ा लंड और अपनी गीली चूत ही दिखाई दे रही थी. एक दो बार मुझे ऐसा भी महसूस हुआ के राज ने मेरे निपल्स को मूह मे ले लिया हो पर शाएद नही लिया था क्यॉंके वो या तो सच मे गहरी नींद सो चुका था या बड़ा अछा आक्टर था जो ऐसे सोने का नाटक कर रहा था. बस को कभी कभी हल्का सा धक्का लगता तो उसके दाँत मेरे निपल्स से लगने लगते तो मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ जाती. मेरे निपल्स तो पहले से बोहोत ही सेन्सिटिव है और इस वक़्त निपल्स पूरी तरह से एरेक्ट हो चुके थे और मैने राज को अपने सीने से चिपका लिया था और शाएद ऐसे ही मुझे नींद भी आ गई. अभी हमको हुबली सिटी से बाहर निकल के शाएद आधा या पौना घंटा ही हुआ था के बस किसी बोहोत
ही छोटी सी जगह पे एक झटका खा के रुक गई. पहले तो किसी की समझ मे नही आया के बस क्यों रुकी है थोड़ी देर तक तो लोग ऐसे ही सोए रहे फिर जब ड्राइवर की और क्लीनर की आवाज़ें आने लगी तो तकरीबन सभी उठ गये. आँखें मलते हुए बाहर देखा तो यह किसी ऐसी गाओ का आखरी भाग लग रहा था. दूर से आती रोशनी बता रही थी के यह जो भी गाओ है वो शाएद 1 या 2 किलोमेटेर दूर है. ड्राइवर से पूछा तो उसने बोला के बस का फॅन बेल्ट टूट गया है और इसको ठीक करने मे थोड़ा टाइम लगेगा.
तकरीबन सभी लोग बस से नीचे उतर के आ गये. यहा एक पत्थर का बना हुआ ऊँचा सा स्क्वेर प्लॅटफॉर्म जैसा बना हुआ था जिसके बीचो बीच एक होटेल था. और होटेल के बाहर इतनी बड़ी जगह थी जहा पे चेर्स पड़ी हुई थी, इतनी जगह पे अछी ख़ासी लाइट की रोशनी हो रही थी. लगता था के एक गाओ से बाहर कोई ढाबा टाइप की कोई चीज़ है जहा लोग आउटिंग के लिए आया करते है. ढाबे के आस पास कुछ नही था. बस को वो ढाबे के साइड मे रोक दिया गया था. टाइम देखा तो पता चला के रात के ऑलमोस्ट 1 बजा है. हर तरफ एक अजीब सा सन्नाटा था इधर उधर से कभी कोई फ्रॉग की या इन्सेक्ट्स की त्तररर त्त्तररर और ककककककरररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़े आने लगी जैसे जंगल मे आती है या किसी कुत्ते की भोंकने आवाज़ आती है. दूर दूर तक कोई घर नही था. रोड के साइड मे नीम के और पीपल के बड़े बड़े झाड़ थे और कुछ ऐसे इनकंप्लीट स्ट्रक्चर थे जैसे पता चलता था के यहा भी कोई ढाबा या कोई झोपड़ी ( हूट ) टाइप का कुछ कन्स्ट्रक्षन चल रहा है. यहा पर ब्रिक्स, रेती और लकड़ी के टूटे फूटे टेबल्स जैसे कुछ चीज़े पड़ी थी जो के लेबवर्ज़ के खड़े होने या काम करने के लिए काम आती है. कुछ टूटे हुए झाड़ भी पड़े थे जिनको शाएद पर्पस्ली काटा गया था या तेज़ हवा के चलते गिरे होंगे पता नही. अछा ख़ासा अंधेरा था. जैसे ही बस रुकी और लोग ऊपेर आए वो ढाबे वाला उठ गया. बस को देख के खुश हो गया के चलो अछा बिज़्नेस हो जाएगा. ड्राइवर ने बोला के वो हुबली वापस जा रहा है और वाहा से फन बेल्ट ले के आएगा और इस मे शाएद 1 या डेढ़ घंटा लग जाए तब तक आपलोग चाइ पिओ और बस मे जा के रेस्ट लेलो. ड्राइवर हुबली जाने वाले रास्ते मे खड़ा हो गया और एक लॉरी वाले ने उसको बिठा लिया और वो चला गया.
यहा का मौसम बोहोत अछा था. हल्की सी ठंडी हवा थी पॅसेंजर्स चाइ पीना चाह रहे थे इसी लिए ढाबे वाले ने पॅसेंजर्स के लिए चाइ बनाना शुरू किया. मैं और राज भी नीचे उतर गये. उतरने से पहले ही मैं अपने प्रेस बटन्स को वापस लगा चुकी थी और अब ऐसे पोज़ कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही नही लैकिन अंदर से चूत मे आग लगी हुई और इस टाइम पे मुझे यह चाय वाए कुछ नही मुझे बस राज का मस्त लंड चाहिए था. राज ने मेरे से
पूछा के चाइ पीओगी तो मैं अपने ख़यालो से वापस आ गयी और अपने आप को संभाल के और सिचुयेशन को समझते हुए बोली के चलो एक कप चाय पी लेते है और हम भी वाहा सब से अलग थलग बैठ के चाइ पीने लगे. चाय पीने के बाद कुछ पॅसेंजर्स तो बस के अंदर जा के सो गये और इक्का दुक्का पॅसेंजर्स ही वाहा पर बैठ के बातें करने लगे.
मुझे यरिनल्स को जाना था और यहा ढाबे मे कोई यरिनल्स तो था नही लोग ऐसे ही सड़क के किनारे या सड़क से कुछ दूर जा के ही पिशाब करते थे पर सड़क के थोड़ी दूर तक तो ढाबे की रोशनी जा रही थी लैकिन वाहा जहा ठीक नही था क्यॉंके लोग देख सकते थे तो मैं ने राज से बोला के मुझे उरिनल्स को जाना है तो उसने बोला के हा मुझे भी जाना है चलो वाहा चलते है उसने एक तरफ इशारा कर के बताया जहा कुछ बड़े झाड़ थे और जहा कन्स्ट्रक्षन जैसा कुछ चल रहा था तो मैं ने बोला के चलो और हम दोनो रोड क्रॉस कर के दूसरी तरह कुछ दूर ही चले गये यहा झाड़ो का आसरा था और कच्चे दुकान जैसे कन्स्ट्रक्षन की वजह से हमै अब कोई नही देख सकता था लैकिन यहा अंधेरा था तो मैं डर रही थी तो राज ने बोला के डरो नही मैं यही करीब खड़ा हू इतने मे शाएद कोई लॉरी जो इस रोड से पास होने वाली थी उसकी थोड़ी सी रोशनी पड़ी तो थोड़ी देर के लिए यहा का पोर्षन चार पाँच सेकेंड्स के लिए रोशन हुआ फिर वैसे ही अंधेरा. मैं ने राज से बोला के प्लीज़ दूर नही जाना तो वो बोला के तुम फिकर ना करो स्नेहा मैं यही हू और वो मेरे कुछ और करीब आ गया और मैं अपनी सलवार को घुटनो से नीचे कर के ज़मीन पे बैठ गई और पिशाब करने लगी. मेरी चूत से गरम गरम पिशब की मोटी धार निकल ने लगी. पिशाब करते टाइम मेरी चूत से जो सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईईई जैसी सीटी की आवाज़ आ रही थी तो राज भी शरारत से मेरी चूत की सीटी के सुर मे अपना मूह गोल कर के खुद भी सुर से सुर मिलाने लगा तो मुझे हँसी आ गई पर कुछ बोली नही. आक्च्युयली मुझे पिशाब करने के बाद अपनी चूत को पानी से धोने की आदत थी, मेरी कॉलेज की एक मुस्लिम फ्रेंड ने बताया था के चूत को पानी से धोने से चूत की खराब स्मेल नही आती इसी लिए मैं हमेशा ही अपनी चूत को पानी से धोती थी और सच मे ही मेरी चूत से कभी भी बाद स्मेल नही आती थी लैकिन अब इस टाइम पे यहा पानी तो था नही इसी लिए मैं ने अपना पर्स खोल के उस्मै से फेशियल टिश्यू निकाला और अपनी चूत से पिशाब के ड्रॉप्स को अछी तरह से पोंछ लिया और मैं उठ के खड़ी हो गई अपनी शलवार के एलास्टिक को ऊवपेर खेच लिया और ऑटोमॅटिकली मेरा हाथ मेरी चूत पे आ गया और शलवार के कपड़े को चूत से बाहर निकाल के अड्जस्ट किया जो शलवार ऊपेर खेचने की वजह से चूत के अंदर चला गया था.
वाहा पे लेबवर्ज़ ने एइटों ( ब्रिक्स ) का एक छोटा सा ज़मीन से ऑलमोस्ट 2 या 3 फुट ऊँचा प्लॅटफॉर्म बनाया हुआ था या शाएद ब्रिक्स को ऐसी पोज़िशन मे
जमा के रखा था और उसके ऊपेर एक लकड़ी का तख्ता ( वुडन प्लांक या वुडन बोर्ड ) डाल रखे था जहा शाएद वो बैठ कर खाना खाते थे या अपने रेस्ट टाइम पे कुछ देर के लिए लेट के रेस्ट लिया करते थे.
यह जगह ऐसी थी जहा से हम अपनी बस को आसानी से देख सकते थे क्यॉंके वाहा पर होटेल की रोशनी थी और होटेल का थोड़ा सा ही पोर्षन दिखाई दे रहा था पर हमै कोई भी नही देख सकता था क्यॉंके हम सड़क से कुछ दूर अंधेरे मे थे. एक तो कन्स्ट्रक्षन साइट थी जहा ऑलमोस्ट अंधेरा ही था और फिर वाहा पे कुछ पेड़ भी ऐसे थे जिस्मै हम प्राइवसी से बैठे हुए थे इसी लिए हमै कोई भी नही देख सकता था. पिशाब करने के बाद मे उस प्लॅटफॉर्म पे अपने पैर ज़मीन पे रख के बैठ गई और अपनी कमर को सीधा करने के लिए अपने पैर को ज़मीन पे आधा स्लॅनटिंग पोज़िशन मे कर के लटका के लेट गई. यह प्लॅटफॉर्म बोहोत ऊँचा नही था इसी लिए मेरे पैर ज़मीन से टच कर रहे थे. राज मेरे करीब ही बैठ गया तो मैं ने बोला के तुम भी लेट जाओ थोड़ी देर के लिए तो उसको भी यही ठीक लगा और वो भी अपनी कमर सीधी करने के लिए मेरे करीब ही लेट गया और रिलॅक्स होने के लिए अपने बदन को स्ट्रेच किया और हम बातें करने लगे. राज को अपने इतने करीब लेटा देख के एक बार फिर से मेरी चूत मे चीटियाँ रेंगने लगी और चूत गीली होना शुरू हो गई और एक बार फिर से मुझे अपनी चूत को एक मोटे लंड से चुदवाने की खावहिश बढ़ने लगे और चूत मे जैसे आग लगने लगी. बॅस इतनी सोचते ही मैं ने अपना हाथ ऑटोमॅटिकली अपनी चूत पे रख लिया. पता नही राज ने मेरा हाथ देखा या नही पर मैं मस्ती मे धीरे धीरे अपनी चूत को सहलाने लगी. थोड़ी ही देर मे राज खड़ा हो गया तो मैं भी ऑटोमॅटिकली अपनी जगह से उठ के बैठ गई और पूछा के क्या हुआ तो उसने बोले के मुझे भी पिशाब करना है तो मैं ने बोला के राज प्लीज़ दूर नही जाना, अंधेरे मे मुझे डर लगता है तो उसने बोला के तुम बोलो तो यही करलू तुम्हारे सामने ही तो मैं ने भी हस्ते हुए कहा के हा कर्लो वैसे भी यहा अंधेरा ही तो है. राज बस एक या दो स्टेप्स साइड मे हो के खड़ा हो गया और अपनी ट्रॅक पॅंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया और अपनी शर्ट को अपने दोनो हाथो से पकड़ के थोड़ा ऊपेर उठा दिया के कही पिशाब से खराब ना हो जाए. राज का लंड एक दम से तना हुआ था फुल्ली एरेक्ट पोज़िशन मे था. राज ने बिना लंड को हाथ लगाए ही पिशाब की एक लंबी मोटी धार मारनी शुरू करदी जो ऊपेर को उठी और सेमी सर्कल पोज़िशन मे वापस दूर गिरने लगी. उसका लंबा मोटा लंड और उसके लंड से निकलती मोटी पिशाब की धार देख के मुझे लगा के यह कोई आग बुझाने वाला होज़ पाइप है और जैसे किसी बिल्डिंग मे लगी आग बुझाने के लिए पाइप से मोटी धार मार रहा हैं. इतने मे ही शाएद कोई लॉरी रोड से गुज़र रही थी तो उसकी रोशनी मे मुझे उसका घोड़े जैसा इतना बड़ा मोटा मूसल लंड दिखाई दिया तो
मैं पागल हो गई मेरा मंन करने लगा के अभी उठ के उसके लंड को पकड़ के चूसना शुरू कर्दु इतना प्यारा लंड था उसका. राज के लंड मे इतना पवरफुल एरेक्षन था के वो उसके नवल से लगा हुआ था और पिशाब उसके मूह के सामने से उड़ के नीचे गिर रहा था. उसके पिशाब ख़तम करने तक शाएद 3 लॉरीस सड़क से गुज़री और तीनो लॉरीस की रोशनी मे मुझे राज का लंड बोहोत अछी तरह से दिखाई दिया. राज के लंड से मेरी नज़र एक सेकेंड के लिए भी नही हट रही थी, ऐसा लगता था के उसका लंड कोई लंड नही मॅगनेट हो जहा मेरी नज़र एक दम से अटक गई हो और मैं कंटिन्यू उसके लंड को ही देख रही थी. राज के पिशाब की धार कुछ स्लो हुई तो मैं समझ गई के अब उसका पिशब ख़तम होने वाला है और देखते ही देखते राज ने अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ लिया और कुछ झटके मार के पिशाब की बूँदो को अपने लंड से निकाल ने लगा और अगर ऐसा नही करता तो शाएद पिशाब की बूँदें उसके लंड के सुराख से निकल के लंड के डंडे से होती हुई उसके ट्रॅक पॅंट से लग जाती थी इसी लिए उसने लास्ट मे अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ के झटके मारते हुए बूँदें निकाल दी. मेरा दिमाग़ तो एक डांसे खराब हो ही चुका था. चूत एक दम से गीली हो चुकी थी और चूत के अंदर जैसे खुजली बढ़ती ही जा रही थी. इस से पहले के राज अपने लंड को वापस अपने ट्रॅक पॅंटमे रख लेता मैं तेज़ी से अपनी जगह उठी और उसके सामने खड़ी हो गई और राज के बदन से लिपट गयी और अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ के दबा दिया. मैं ने राज को किस करने की कोशिश की तो वो खुद ही झुक गया और मेरे बदन को अपने बदन से लिपटा लिया और किस करने लगा. मेरी चूत को तो बॅस यह लंबा मोटा लंड चाहिए था. मैं उसके लंड को पकड़ के आगे पीछे करने लगी. राज ने अपने हाथ मेरी चूतदो पे रख लए और अपने लंड की ओर मुझे खेच लिया तो मैं अपनी चूत को उसके लंड से रगड़ने लगी. हम कोई बात नही कर रहे थे ऐसा लगता था जैसे यह हमारे बीच मे कोई साइलेंट अग्रीमेंट है. वो मेरे चूतदो को मसल रहा था. मेरी सलवार के थिन मेटीरियल की वजह से मुझे उसके नंगे लंड की गर्मी और ताक़त अपनी चूत मे महसूस होने लगी.


राज ने अपने हाथ मेरी शलवार के एलास्टिक मे से अंदर से डाल के मेरे चूतड़ मसल्ते मसल्ते मेरी शलवार के एलास्टिक को नीचे खेच दिया तो मैं ने भी उसके ट्रॅक पॅंट को पीछे से नीचे खींच के उतार दिया. अब हम दोनो नीचे से ऑलमोस्ट नंगे ही थे मेरी सलवार तो मेरे पैरो मे गिर पड़ी थी पर उसका ट्रॅक पॅंट उसके घुटनो तक ही उतरा था तो मैं ने उसके पॅंट मे अपना पैर डाल के उसको नीचे दबा दिया जिस से उसका पॅंट भी निकल चुका था. मैं ने उसके घोड़े जैसे लंड को अपने हाथो मे पकड़ लिया और अपनी चूत की पंखुड़ियो के बीच मे ऊपेर नीचे कर के रगड़ने लगी और मेरी आँखें वासना की भूक और मस्ती मई बंद हो गई थी और मेरी चूत बे इंतेहा गीली हो चुकी थी. उसका लंड कुछ इतना मोटा और बड़ा था के मेरी मुट्ठी मे भी नही आ रहा था. एक सेकेंड के लिए मेरे तो होश ही उड़ गये के इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत मे घुसेगा तो मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा और चूत फॅट जाएगी मैं तो मर ही जाउन्गी पर इस टाइम मेरे डर पे ऐसे मस्त लंड से चुदवाने की वासना भारी पड़ने लगी और अब मुझे दुनिया मे कुछ दिखाई नही दे रहा था, मुझे तो बॅस यह लंड अपनी चूत के अंदर चाहिए था और मैं इस लंड से चुदवाने के लिए कुछ भी कर सकती थी. उसके लंड का हेड भी बोहोत ही मोटा हेल्मेट जैसा था जिसमे से अब प्री कम निकलना शुरू हो चुका था जिस से मेरी चूत बोहोत ही स्लिपरी हो गई थी और मेरी चूत के अंदर घिसने की वजह से मेरी चूत मे से जूस कंटिन्यू बहने लगा और मे गीली होती चली गयी और थोड़ी ही देर मे मैं राज से लिपट गयी और उसके लंड को अपनी चूत मे रगड़ते ही रगड़ते बिना चुदवाये ही झाड़ भी गई.

क्रमशः......................




Recession Ki Maar part--6

gataank se aage..........
Raj ka muh mere seene mai tha aur uski naak se nikalti garam saans jo mere boobs pe lag rahi thi to mai bhi garam hone lagi aur mera doosra hath meri jhango mai aa gaya aur mai apni choot ka ek bar phir se massage shuru kar dia tha. Mujhe khud nahi malum ke mai itni chudai kyon ho rahi thi par sach to yehi hai ke mai kuch ziada hi chudasi ho gai thi. Raj ke muh ko apne boobs pe mehsoos kar ke mai choot ka massage karne lagi aur thodi hi der mai mera hath bohot zor zor se chalne laga aur mera orgasm aana shuru ho gaya aur
mai jhad gayee. Meri choot se juice to nikal agya par abhi meri chudai ki bhook nahi miti thi mujhe apni choot ke ander kisi lambe mote lund ki zaroorat mehsoos hone lagi thi. mai chahti thi ke aaj Raj mujhe itni zor zor se apne lambe mote Qutub Minar jaise lund se aisa chode ke meri choot phat jaye. Yeh sochte sochte mera josh aur badhne laga par mai Raj se chodne ko kaise keh sakti thi bass aise hi apni choot ki pyas apni ungli se mita ne ke bad kuch itmenan hua.
Rajj Ka lamba mota Lund
Itni der mai Raj ka muh mere nipples se takrane laga. Mera to dimagh hi kharab ho raha tha aur meri choot ek dum se chudasi ho gayee thi. Ek to pehle hi mai bohot dino se chudi nahi thi aur doosre mai Raj ka khada lamba mota tagda lund itni kareeb se dekh chuki thi aur phir ab uska muh mere boobs pe laga hua tha. Meri choot to samandar jaise geeli ho rahi thi aur mai chah rahi thi ke bass ab Raj mujhe chod hi dale mujhe mere dimagh mai bass Raj ka khada lund aur apni geeli choot hi dihayee de rahi thi. Ek do baar mujhe aisa bhi mehsoos hua ke Raj ne mere nipples ko muh mai le lia ho par shaed nahi lia tha kyonke wo ya to sach mai gehri neend so chuka tha ya bada acha actor tha jo aise sone ka natak kar raha tha. Bus ko kabhi kabhi halka sa dhakka lagta to uske dant mere nipples se lagne lagte to mere badan mai electricity doud jati. Mere nipples to pehle se bohot hi sensitive hai aur iss waqt nipples poori tarah se erect ho chuke the aur mai Raj ko apne seene se chipka lia tha aur shaed aise hi mujhe neend bhi aa gai. Abhi hamko Hubli city se baher nikal ke shaed aadha ya pouna ghanta hi hua tha ke bus kisi bohot
hi choti si jagah pe ek jhatka kha ke ruk gai. Pehle to kisi ki samajh mai nahi aaya ke bus kyon ruki hai thodi der tak to log aise hi soye rahe phir jab driver ki aur cleaner ki awazein aane lagi to takreeban sabhi uth gaye. Aankhein malte hue baher dekha to yeh kisi aisi gao ka aakhri bhaag lag raha tha. Door se aati roshni bata rahi thi ke yeh jo bhi gao hai wo shaed 1 ya 2 kilometer door hai. Driver se poocha to usne bola ke bus ka Fan belt toot gaya hai aur isko theek karne mai thoda time lagega.
Takreeban sabhi log bus se neeche utar ke aa gaye. Yaha ek pathar ka bana hua ooncha sa square platform jaisa bana hua tha jiske beecho beech ek hotel tha. Aur hotel ke baher itni badi jagah thi jaha pe chairs padi hui thi, itni jagah pe achi khasi light ki roshni ho rahi thi. Lagta tha ke yek gao se baher koi dhaba type ki koi cheez hai jaha log outing ke liye aaya karte hai. Dhabe ke aas paas kuch nahi tha. Bus ko wo dhabe ke side mai rok dia gaya tha. Time dekha to pata chala ke raat ke almost 1 baja hai. Har taraf ek ajeeb sa sannata tha idhar udhar se kabhi koi frog ki ya insects ki ttrrr tttrrr aur kkkkkkrrrrrrrrrrrrrr ki awazin aane lagi jaise jaungles mai aati hai ya kisi kutte ki bhonkne awaz aati hai. Duur duur tak koi ghar nahi tha. Road ke side mai Neem ke aur Peepal ke bade bade jhad the aur kuch aise incomplete structure the jaise pata chalta tha ke yaha bhi koi dhaba ya koi jhopdi ( hut ) type ka kuch construction chal raha hai. Yaha par bricks, reti aur lakdi ke toote phoote tables jaise kuch cheeze padi thi jo ke labours ke khade hone ya kaam karne ke liye kaam aati hai. Kuch toote hue jhad bhi pade the jinko shaed purposely kaata gaya tha ya tez hawa ke chalte gire honge pata nahi. Acha khasa andhera tha. Jaise hi bus ruki aur log ooper aye wo dhabe wala uth gaya. Bus ko dekh ke khush ho gaya ke chalo acha business ho jayega. Driver ne bola ke wo Hubli wapas ja raha hai aur waha se Fan Belt le ke ayega aur iss mai shaed 1 ya dedh ghanta lag jaye tab tak aaplog chai pio aur bus mai ja ke rest lelo. Driver Hubli jane wale raaste mai khada ho gaya aur ek lorry wale ne usko bitha lia aur wo chala gaya.
Yaha ka mousam bohot acha tha. Halki si thandi hawa thi passengers chai peena chah rahe the isi liye Dhabe wale ne passengers ke liye chai banana shuru kia. Mai aur Raj bhi neeche utar gaye. Utarne se pehle hi mai apne press buttons ko wapas laga chuki thi aur ab aise pose kar rahi thi jaise kuch hua hi nahi laikin ander se choot mai aag lagi hui aur iss time pe mujhe yeh chaye waye kuch nahi mujhe bas Raj ka mast lund chahiye tha. Raj ne mere se
pucha ke chaiye pioge to mei apne khayalo se wapas aa gayee aur apne aap ko sambhal ke aur situation ko samajhte hue boli ke chalo ek cup chaye pi lete hai aur ham bhi waha sab se alag thalag baith ke chaiye pine lage. Chaye pine ke bad kuch passengers to bus ke ander ja ke so gaye aur ikka dukka passengers hi waha par baith ke batein karne lage.
Mujhe urinals ko jana tha aur yaha Dhabe mai koi urinals to tha nahi log aise hi sadak ke kinare ya sadak se kuch door ja ke hi pishab karte the par sadak ke thodi door tak to dhabe ki roshni ja rahi thi laikin waha jaha theek nahi tha kyonke log dekh sakte the to mai ne Raj se bola ke mujhe urinals ko jana hai to usne bola ke haa mujhe bhi jana hai chalo waha chalte hai usne ek taraf ishara kar ke bataya jaha kuch bade jhaad the aur jaha construction jaisa kuch chal raha tha to mai ne bola ke chalo aur ham dono road cross kar ke doosri tarah kuch door hi chale gaye yaha jhaado ka aasra tha aur kacche dukan jaise construction ki wajah se hamai ab koi nahi dekh sakta tha laikin yaha andhera tha to mai dar rahi thi to Raj ne bola ke daro nahi mai yahi kareeb khada hu itne mai shaed koi lorry jo iss road se pass hone wali thi uski thodi si roshni padi to thodi der ke liye yaha ka portion chaar paanch seconds ke liye roshan hua phir waise hi andhera. Mai ne Raj se bola ke please door nahi jana to wo bola ke tum fikar na karo sneha mai yahi hu aur wo mere kuch aur kareeb aa gaya aur mai apni salwar ko ghutno se neeche kar ke zameen pe baith gai aur pishab karne lagi. Meri choot se garam garam pishab ki moti dhaar nikal ne lagi. Pishab karte time meri choot se jo sssssssssssssiiiiiiiiiiiii jaisi seeti ki awaz aa rahi thi to Raj bhi shararat se meri choot ki seeti ke sur mai apna muh gol kar ke khud bhi sur se sur milane laga to mujhe hansi aa gai par kuch boli nahi. Actually mujhe Pishab karne ke bad apni choot ko pani se dhone ki aadat thi, meri college ki ek muslim friend ne bataya tha ke choot ko pani se dhone se choot ki kharab smell nahi aati isi liye mai hamesh hi apni choot ko pani se dhoti thi aur sach mai hi meri choot se kabhi bhi bad smell nahi aati thi laikin ab iss time pe yaha pani to tha nahi isi liye mai ne apna purse khol ke usmai se facial tissue nikala aur apni choot se pishab ke drops ko achi tarah se poch lia aur mai uth ke khadi ho gai apni shalwar ke elastic ko oooper khech lia aur automatically mera hath meri choot pe aa gaya aur shalwar ke kapde ko choot se baher nikal ke adjust kia jo shalwar ooper khechne ki wajah se choot ke ander chala gaya tha.
Waha pe labours ne eiton ( Bricks ) ka ek chota sa zameen se almost 2 ya 3 foot ooncha platform banaya hua tha ya shaed Bricks ko aisi position mai
jama ke rakha tha aur uske ooper ek lakdi ka takhta ( wooden Plank ya wooden board ) dal rakhe tha jaha shaed wo baith kar khana khate the ya apne rest time pe kuch der ke liye let ke rest lia karte the.
Yeh jagah aisi thi jaha se ham apni bus ko asaani se dekh sakte the kyonke waha par hotel ki roshni thi aur hotel ka thoda sa hi portion dikhayee de raha tha par hamai koi bhi nahi dekh sakta tha kyonke ham sadak se kuch door andhere mai the. Ek to construction site thi jaha almost andhera hi tha aur phir waha pe kuch ped bhi aise the jismai ham privacy se baithe hue the isi liye hamai koi bhi nahe dekh sakta tha. Pishab karne ke bad mai uss platform pe apne pair zameen pe rakh ke bath gai aur apni kamar ko seedha karne ke liye apne pair ko zameen pe aadha slanting position mai kar ke latka ke let gai. Yeh platform bohot ooncha nahi tha isi liye mere pair zameen se touch kar rahe the. Raj mere kareeb hi baith gaya to mai ne bola ke tum bhi let jao thodi der ke liye to usko bhi yehi theek laga aur wo bhi apni kamar seedhi karne ke liye mere kareeb hi late gaya aur relax hone ke liye apne badan ko stretch kia aur ham batein karne lage. Raj ko apne itne kareeb leta dekh ke ek bar phir se meri choot mai cheetian rengne lagi aur choot geeli hona shuru ho gai aur ek bar phir se mujhe apni choot ko ek mote lund se chudwane ki khawahish badhne lage aur choot mai jaise aag lagne lagi. Bass itni sochte hi mai ne apna hath automatically apni choot pe rakh lia. Pata nahi Raj ne mera hath dekha ya nahi par mai masti mai dheere dheere apni choot ko sehlane lagi. Thodi hi der mai Raj khada ho gaya to mai bhi automatically apni jagah se uth ke baith gai aur poocha ke kia hua to usne bole ke mujhe bhi pishab karna hai to mai ne bola ke Raj please door nahi jana, andhere mei mujhe dar lagta hai to usne bola ke tum bolo to yahi karlu tumhare samne hi to mai ne bhi haste hue kaha ke haa karlo waise bhi yaha andhera hi to hai. Raj bas ek ya do steps side mai ho ke khada ho gaya aur apna track pant ko thoda neeche khiska dia aur apni shirt ko apne dono hatho se pakad ke thoda ooper utha dia ke kahi pishab se kharab na ho jaye. Raj ka lund ek dum se tana hua tha fully erect position mai tha. Raj ne bina lund ko hath lagaye hi pishab ki ek lambi moti dhar marini shuru kardi jo ooper ko uthi aur semi circle position mai wapas door girne lagi. Uska lamba mota lund aur uske lund se nikalti moti pishab ki dhar dekh ke mujhe laga ke yeh koi aag bujhane wala hose pipe hai aur jaise kisi building mai lagi aag bujhane ke liye pipe se moti dhar mar raha hei. Itne mai hi shaed koi lorry road se guzar rahi thi to uski roshni mai mjhe uska Ghode jaisa itna bada mota musal Lund dikhayee dia to
mai pagal ho gai mera mann karne laga ke abhi uth ke uske lund ko pakad ke choosna shuru kardu itna pyara lund tha uska. Raj ke Lund mai itna powerful erection tha ke wo uske naval se laga hua tha aur pishab uske muh ke samne se ud ke neeche gir raha tha. Uske pishab khatam karne tak shaed 3 lorries sadak se guzri aur teeno lorries ki roshni mai mujhe Raj ka Lund bohot achi tarah se dikhayee dia. Raj ke Lund se meri nazar ek second ke liye bhi nahi hat rahi thi, aisa lagta tha ke uska Lund koi Lund nahi magnet ho jaha meri nazar ek dum se atak gai ho aur mai continue uske Lund ko hi dekh rahi thi. Raj ke pishab ki dhar kuch slow hui to mai samajh gai ke ab uska pishab khatam hone wala hai aur dekhte hi dekhte Raj ne apne lund ko apne hath mai pakad lia aur kuch jhatke maar ke pishab ki boondo ko apne lund se nikal ne laga aur agar aisa nahi karta to shaed pishab ki boondein uske lund ke surakh se nikal ke lund ke dande se hoti hui uske track pant se lag jati thi isi liye usne last mai apne Lund ko apne hath se pakad ke jhatke marte hue boondein nikal di. Mera dimagh to ek dumse kharb ho hi chuka tha. Choot ek dum se geeli ho chuki thi aur choot ke ander jaise khujli badhti hi ja rahi thi. Iss se pehle ke Raj apne Lund ko wapas apne track pant mai rakh leta mai tezi se apni jagah uthi aur uske samne khadi ho gai aur Raj ke badan se lipat gayee aur apne hath se uske lund ko pakad ke daba dia. Mei ne Raj ko kiss karne ki koshish ki to wo khud hi jhuk gaya aur mere badan ko apne badan se lipta lia aur kiss karne laga. Meri choot ko to bass yeh lamba mota lund chahiye tha. Mai uske Lund ko pakad ke aage peeche karne lagi. Raj ne apne hath meri chootado pe rakh lie aur apne Lund ki or mujhe khech lia to mai apni choot ko uske lund se ragadne lagi. Ham koi bat nahi kar rahe the aisa lagta tha jaise yeh hamare beech mai koi silent agreement hai. Wo mere chootado ko masal raha tha. Meri salwar ke thin material ki wajah se mujhe uske nange Lund ki garmi aur takat apni choot mei mehsoos hone lagi.


Raj ne apne hath meri shalwar ke elastic mei se ander se dal ke mere chootad masalte masalte meri shalwar ke elastic ko neeche khech dia to mai ne bhi uske track pant ko peeche se neeche khech ke utar dia. Ab ham dono neeche se almost nange hi the meri salwar to mere pairo mai gir padi thi par uska track pant uske ghutno tak hi utra tha to mai ne uske pant mai apna pair dal ke usko neeche daba dia jis se uska pant bhi nikal chuka tha. Mai ne uske Ghode jaise Lund ko apne hatho mai pakad lia aur apni choot ki pankhadion ke beech mai ooper neeche kar ke ragadne lagi aur meri aankhein vasna ki bhook aur masti mai band ho gai thi aur meri choot be inteha geeli ho chuki thi. Uska Lund kuch itna mota aur bada tha ke meri muthi mai bhi nahi aa rah
tha. Ek second ke liye mere to hosh hi ud gaye ke itna mota lund meri choti si choot mai ghusega to meri choot ki dhajjiyan uda dega aur choot phat jayegi mai to mar hi jaugi par iss time mere darr pe aise mast lund se chudwane ki vasna bhaari padne lagi aur ab mujhe dunya mai kuch dikhayee nahi de raha tha, mujhe to bass yeh Lund apni choot ke ander chahiye tha aur mai iss Lund se chudwane ke liye kuch bhi kar sakti thi. Uske Lund ka head bhi bohot hi mota helmet jaisa tha jismei se ab pre cum nikalna shuru ho chuka tha jis se meri choot bohot hi slippery ho gai thi aur meri choot ke ander ghisne ki wajah se meri choot mai se juice continue behne laga aur mei geeli hoti chali gayee aur thodi hi der mai mai Raj se lipat gayee aur uske lund ho apni choot mai ragadte hi ragadte bina chudwaye hi jhad bhi gai.

kramashah......................










आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj


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