Monday, November 1, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियां रिसेशन की मार पार्ट--5



रिसेशन की मार पार्ट--5

गतान्क से आगे..........
रवि अपने मूह से लगे मेरी चूत के जूस को मेरी सलवार से पोछता हुआ मेरी टाँगो के बीच से उठा और अपनी सीट पे बैठ गया. उसके लंड का भी बोहोत बुरा हाल था वो लोहे जैसा सख़्त हो गया था और किसी एलेक्ट्रिक पोल की तरह से खड़ा था. यह पहला मौका था के मैने रवि के नंगे लंड को अपने हाथ मे पकड़ा, उसका मास्टरबेट किया और इतने करीब से देखा. मैने अपनी सलवार को ऊपेर पुल किया तो महसूस हुआ के मेरी सलवार इतनी गीली हो गई थी के लगता था कि सलवार के अंदर मेरा पिसाब निकल गया हो. थोड़ी देर मे ही मैं अपने सेन्सस मे वापस आ गयी और अब मैं ने सोचा के रवि ने जब मुझे ऐसा मज़ा दिया है जो मुझे आज तक नही मिला तो मेरा भी तो कुछ कर्तव्य है के मैं भी उसको रेसिप्रकेट करू. यह ख़याल आते ही मैं भी अपनी सीट से उठी और ठीक उसी तरह से रवि के पैरो के बीच बैठ गई जैसे वो बैठा था और फिर एग्ज़ॅक्ट्ली वैसे ही उसका पॅंट भी नीचे खेच लिया जैसे उसने मेरी सलवार को नीचे खेचा था. और वो भी ऑटोमॅटिकली वैसे ही अपनी सीट पे आगे को मूव कर गया था जैसे मैं हुई थी और उसकी गंद चेर के कॉर्नर पे थी और उसका लंड मेरे मूह के सामने था जिसे पहले तो मैं ने अपने हाथ मे लिया और उसका मसाज किया और प्यार से उसके लंड के डंडे को किस किया और फिर जीभ नीचे से ऊपेर तक ले गयी और लंड के सूपदे को किस किया. रवि इतना गरम हो चुका था के और बर्दाश्त नही कर सका और मेरा सर पकड़ के अपने लंड को मेरे मूह मे घुसा दिया. उसके मोटे लंड से मेरा मूह भर गया. मैं सीट के बीच मे अपने घुटने मोड़ के बैठी थी इसी लिए मुझे उसका लंड चूसने मैं थोड़ी दिक्कत हो रही थी तो मैं ने पोज़िशन चेंज किया और घुटनो के बल बैठ गई. यह पोज़िशन ठीक थी और मैं उसका मोटा लंड चूस रही थी और वो अपनी गंद उठा उठा के मेरे मूह को चोद रहा था. कभी कभी तो जोश मई इतनी ज़ोर से अंदर घुसेड़ता के उसका लंड मेरे हलाक मई घुस रहा था. मई किसी आइस क्रीम की तरहसे उसका लंड चूस रही थी और हाथ से उसके लंड का मूठ भी मार रही थी. रवि भी इतना गरम हो गया था के अपने आप को रोक रही पाया और उसका लंड मेरे मूह मेी फूलने लगा और उसने अपने लंड को
मेरे मूह के पूरा अंदर तक घुसा दिया जिस से उसका लंड मेरे हलक मे घुस गया और उसने मेरे सर को दबा के पकड़ लिया और उसकी गंद भी सीट से उठ गई थी और फिर उसके लंड से गरम गरम मलाई की पिचकारियाँ निकलने लगी. मैं ने अपना सर उठा के उसके लंड को बाहर निकालने की कोशिश की तो उसने मेरे सर को अपने लंड मे दबा के रखा और मेरे हलक मे उसकी मलाई के फव्वारे उड़ने लगे और डाइरेक्ट मेरे पेट मे चले गये और मेरे पेट को भरने लगी.
उसका लंड मेरे हलक मे घुसा था तो मुझे थोड़ी सी कॉफिंग सेन्सेशन जैसा महसूस हुआ तो मेरी आँख खुल गई और मैं सोचने लगी के मैं कहा हू फिर जैसे ही मैं अपने सेन्सस मैं वापस आने लगी मुझे याद आने लगा के मे किसी थियेटर मे नही मैं तो बस मे हू और मुंबई जा रही हू और मेरे साथ रवि नही राज है और मैं तो राज के शोल्दर पे सर रख के सोई थी फिर देखा तो पता चला के मैं तो उसके शहोल्डर से लुढ़क कर उसकी गोदी मे लेटी हू और ऐसी पोज़िशन मे हू के मेरा लेफ्ट हॅंड सीधा है और मेरे सर के नीचे पिल्लो जैसी पोज़िशन मे है, राज अपनी जगह से थोड़ा और आगे की तरफ को हट गया है और वो पॅसेज मे रखे किसी सूटकेस पे बैठा है और मैं अपनी सीट पे आधे से ज़ियादा लेटी हुई हू और राज बोहोत ज़ियादा साइड पे हटा हुआ है और मेरा सर राज के झंगो पर है, और राज के दोनो हाथ मेरे ऊपेर ऐसे है जैसे के मुझे नीचे गिरने से बचाने को पकड़ रखा है या कोई मा अपने बच्चे को अपने लॅप पे सुलाती है, उसका ट्रॅक पॅंट उसकी गंद से नीचे तक बाहर निकला हुआ है और मेरे मूह के सामने उसका इतना बड़ा और मोटा नंगा लंड जो के फुल्ली एरेक्ट है और अकड़ के मेरे गालो ( चीक्स ) से लग रहा है और मैं उसके लंड को ऐसे अपने हाथो मे ली हुई हू जैसे कोई मा अपने बच्चे को अपने से लिपटा के सोता है और उसका लंड एक दम से लोहे जैसा कड़क किसी मूसल की तरह लग रहा था. उसका लंड किसी तरह से भी 10 इंच से कम का नही लग रहा था और उसका हेड किसी हेल्मेट जैसा था. ठंडी हवा के चलते राज ने ऊपेर से मेरी शॉल निकाल ली थी और मेरे ऊपेर ऐसे डाल दी थी के किसी को पता ना चले के अंदर क्या हो रहा है और जिस से मैं ठंड से भी बची रहू. मुझे अंधेरा अन्देर जैसा लग रहा था मेरी समझ मे इमीडीयेट्ली नही आया के मैं क्या करू. पहले तो सोचने लगी के शाएद मैं ने रवि का नही राज का लंड चूसा हो या उसका मास्टरबेट किया हो, मैं तो फुल नींद मे थी मुझे कुछ मालूम ही नही के क्या हुआ है और यह के अगर मैं ने सच मे राज का लंड चूसा है या मास्टरबेट किया है तो राज मेरे बारे मे क्या सोचेगा के मैं कैसी औरत हू. यह सब सोचते सोचते मैं ने महसूस किया के मेरे गालो पे कुछ चिकना चिकना लगा हुआ है पर मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी के चेक करू के क्या है. राज के लंड को देख के मुझे डर लगने लगा जो किसी बड़े और मोटे नाग की तरह से फुपकार रहा था और मेरी आँखो के सामने क़ुतुब मीनार की तरह शान से खड़ा हुआ था. उसका तकरीबन 10 इंच लंबा और
तकरीबन 4 इंच मोटा लंड देख के मेरी तो जान ही निकल गयी सोचा के क्या यह किसी आदमी का ही लंड है या किसी घोड़े (हॉर्स) का लंड है. अब मेरी आँखें पूरी तरह से खुल चुकी थी और मैं अछी तरह से जाग भी गई थी और अंधेरे मे मेरी आँखें देखने के काबिल भी हो गई थी. मुझे उसके लंड से मस्की स्मेल भी आ रही थी जो सतीश के लंड के स्मेल से डिफरेंट थी.
मैं नींद से जाग तो गयी थी पर अभी समझ मे नही आ रहा था के कैसे रिक्ट करू के राज को शक भी ना हो के मैं जाग गई हू. थोड़ी देर सोचने के बाद यही डिसाइड किया के मैं ऐसे ही पोज़ करती रहूगी जैसे के मैं गहरी नींद मे हू और फिर जैसे ही बस किसी खड्डे से थोड़ी उछली तो मैं अपनी जगह से उठ गई और वापस सीधे बैठ गई और अपनी आँखें मसल्ति हुई ऐसे इधर उधर देखने लगी जैसे मैं अभी अभी नींद से जागी हू. देखा तो बाहर अंधेरा था और बस के सभी पॅसेंजर्स सो रहे थे और राज की आँखें भी बंद थी पता नही वो सो रहा था या सोने की आक्टिंग कर रहा था. मैं ने ऐसे सलवार ठीक करने के बहाने अंजाने मे अपनी सलवार के ऊपेर से ही अपनी चूत पे हाथ लगाया तो देखा के सलवार तो बोहोत ही गीली हो चुकी थी लगता था के मुझे सच मे ऑर्गॅज़म आया है और मैं झाड़ चुकी हू. यह ख़याल आते ही मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ गयी के शाएद राज ने मेरी चूत का मसाज किया जो मैं ने अपने ख्वाब मे देखा और अपने गाल पे हाथ लगाया जहा चिकना लग रहा था तो मुझे कोई एग्ज़ॅक्ट पता तो नही चला के वो राज के लंड की क्रीम थी या उसके लंड से निकला प्री कम. मुझे अब नींद नही आ रही थी. बाहर से बड़ी अछी हवा आ रही थी तो मैं ऐसे ही आँखें बंद कर के जागती रही और अपने हालात पे और इंटरव्यू के बारे मे सोचने लगी फिर मुझे याद आया के राज ने बोला था के किसी एम.डी, की प्राइवेट सेक्रेटरी को वो सब कुछ करना पड़ता है जिसके बारे मे मैं ने सोचा भी नही था फिर मेरा दिमाग़ घूमता हुआ रवि के पास चला गया और रवि का ख़याल आते ही मुझे अपना ड्रीम याद आ गया के कैसे रवि ने मेरी चूत को चाट था और कैसे मैं ने रवि के लंड को चूसा था और उसके लंड से निकली क्रीम खाई थी और बस यह सोचते ही मेरी चूत एक बार फिर से गीली होनी शुरू हो गयी और मेरा हाथ ऑटोमॅटिकली अपनी चूत पे आ गया और मैं अपनी चूत का मसाज करने लगी. शॉल के अंदर हाथ होने से और अंधेरी रात होने से राज को भी पता नही चल पाया के अपनी गोदी मैं रखी शॉल के अंदर से अपनी चूत का मसाज कर रही हू. सलवार का कपड़ा बोहोत ही पतला था तो मुझे लग रहा था जैसे मेरी उंगली चूत के अंदर तक घुस रही है और ऐसे कपड़ा लगने से क्लाइटॉरिस बोहोत ज़ियादा ही सेन्सिटिव हो गई थी और देखते ही देखते मैं झड़ने लगी और एक बार फिर से गहरी गहरी साँसें लेने लगी. ऐसा मसाज करने से मेरा सारा बदन एक दम से गरम हो चुका था और बाहर की ठंडी हवा मुझे बोहोत अछी लग रही थी.
तकरीबन 11:30 बजे हम हुबली के बस स्टॅंड पे पहुच गये. बस रुकी और काफ़ी सारे पॅसेंजर उतर गये. बस ऑलमोस्ट हाफ ही रह गयी. एक या दो आदमी ही हुबली से बस मे चढ़े होंगे और वो लोग सामने वाली सीट पे ही बैठ गये. अब हमारे सामने की बोहोत सारी सीट्स खाली हो चुकी थी. सामने वालो को पता भी नही चल सकता था के एक कपल पीछे भी बैठा है. सब यही समझ रहे थे के हम हज़्बेंड वाइफ है और जब मुझे यह ख़याल आया तो मैं एक दम से मुस्कुरा दी. इतने मैं राज ने बोला के कॉफी पिओगी तो मैं ने बोला चलो थोड़ी थोड़ी पी लेते है और साथ मे वॉश रूम भी जा के आते है और फिर हम ने थोड़ी थोड़ी कॉफी पी और वॉशरूम जा के वापस आ गये और बस मैं बैठ गये. थोड़ी ही देर मे बस वाहा से स्टार्ट हो गयी. थोड़े पॅसेंजर्स तो इतनी गहरी नींद सो रहे थे के उनको पता भी नही चला के बस रुकी और फिर से चल पड़ी है. राज ने पूछा नींद लगी तुमको, तो मैं ने बोला के हा मुझे बोहोत ही गहरी नींद लगी बस अभी अभी उठी हू तो फिर मैं ने पूछा के तुमको नींद लगी तो उसने बोला के लगी पर ऐसे गहरी नही जैसे तुमको लगी. फिर हम इधर उधर की बातें करने लगे. मैं ने फिर से बोला के मुझे तो बोहोत ही डर लग रहा है और जब से तुमने बताया के प्राइवेट सेक्रेटरीस को ऐसे ऐसे काम करने पड़ते है तो मेरा तो दिमाग़ ही चकरा रहा है के क्या होगा, कैसे होगा, मैं इंटरव्यू कैसे फेस करूगी और क्या यह सब बातें अंडरस्टुड होती है या इंटरव्यू मे पूछी जाती है एट्सेटरा एट्सेटरा और फिर जब राज ने बोला के कोई पता नही तुम्हारा होने वाला एम.डी कैसा आदमी हो तुम देखो के तुम क्या कर सकती हो या क्या नही कर सकती हो यह सब तुम पर ही निर्भर करता है पर इतना ज़रूर बता दू के मुंबई की लड़किया तो यह सब खुशी खुशी कर लेती है उनको कोई फरक नही पड़ता तो मैं ने बोला के मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा के क्या करू क्या ना करू क्यॉंके यह ऐसा टाइम है ही के हमै पैसी की सख़्त ज़रूरत है मुझे यह जॉब मिल जाए तो बोहोत अछा होगा पर अभी तक समझ नही पा रही हू के क्या करू क्या ना करू तो उसने मेरा हाथ हाथ अपने हाथो मे ले लिया और बोला के स्नेहा तुम फिकर ना करो मैं पूरी कोशिश करूँगा के तुमको यह जॉब मिल जाए और यह नही तो मैं कही ना कही तुम्हारे लिए जॉब का बंदोबस्त कर दुगा तो मेरी आँखो से आँसू निकल गया और मैने उसके हाथ को दबा के थॅंक्स बोला और उसके हाथ से अपने हाथ को अलग नही किया हम ऐसे ही हाथ मे हाथ डाले बैठे बाते करते रहे. बाहर से हवा के झोके आ रहे थे और राज को नींद आ गयी और तो थोड़ी ही देर मे एक दम से गहरी नींद सो गया और डीप ब्रीदिंग करने लगा तो मुझे पता चला के वो सच मे गहरी नींद सो गया है पर मैं इतनी देर सो के उठ चुकी थी इसी लिए मुझे नींद नही आ रही थी.
हुबली से बस के निकलते निकलते रात के 12 बज चुके थे. बेल्गौम भी हुबली से ऑलमोस्ट डेढ़ – दो घंटे का रास्ता था. राज सो चुका था और उसका सर मेरे शोल्डर पे आ गया था. मुझे उसका सर अपने शोल्डर पे बोहोत अछा लग रहा था. मैं भी अपने पैर थोड़े लंबे कर के अपनी सीट पे तोड़ आगे को मूव हो गई थी और मेरी गंद सीट के एड्ज पे थी, मैं भी अपनी सीट पर ऑलमोस्ट स्लॅनटिंग पोज़िशन मे बैठी थी और मेरे ऐसे मूव्मेंट से राज का सर मेरे शोल्डर से थोड़ा नीचे आ गया था और सोते सोते ही राज अपनी सीट पे थोड़ा और लेफ्ट मे हट गया था और अब उसका सर ऑलमोस्ट मेरे चेस्ट पे था. मैं पहले ही डीप नेक का शर्ट पहने हुए थी तो उसका फोर्हेड और थोड़ा सा गाल का पोर्षन मेरे नंगे सीने से टच कर रहा था. मुझे उसकी गरम गरम साँसें मेरे क्लीवेज मे महसूस हो रही थी जिस से मेरे अंदर भी सेक्स की गर्मी बढ़ने लगी थी और मेरा मंन कर रहा था के किसी तरह से मुझे मौका मिले तो मैं अपने शर्ट के एक दो बटन को खोल दू और राज के मूह मे अपनी बूब्स दे दू चूसने के लिए. बाइ दा वे मेरे शर्ट मे प्रेस बटन लगे हुए थे जिसे मैं बड़ी आसानी से खोल सकती थी और थोड़ी ही देर मे जब राज की नींद और गहरी हो गई और जब बस को एक छोटा सा झटका लगा तो राज का सर एक मिनिट के लिए मेरे सीने से हटा और मैं ने फॉरन मोके का फ़ायदा उठाया और एक ही सेकेंड के अंदर अंपनी उंगली शर्ट के नेक वाले पोर्षन मे डाल के ऊपेर के प्रेस बटन को खेच के खोल दिया लैकिन मेरी उंगली कुछ ज़ियादा ही ज़ोर से लगी मालूम होता है क्यॉंके मेरे शर्ट के चारो प्रेस बटन्स एक ही झटके मे खुल गये. अगर अब राज का सर पहले वाली पोज़िशन मे फिर से वापस आ जाता तो मुझे यकीन था के उसका मूह मेरे बूब्स से टच करने लगता और अब मेरे पास इतना टाइम भी नही था के मैं एक या दो बटन्स को वापस प्रेस करके बंद कर सकु खैर अब क्या कर सकती थी जो होना था हो चुका था और अब मैं वेट कर रही थी के राज का सर कब मेरे सीने से लगता है. और फिर थोड़ी ही देर मैं राज का सर मेरे शोल्डर पे आ गया और फिर वैसे ही नीचे को सरक गया तो मैं ने अपना हाथ राज के झुके हुए शोल्दर पे रख लिया और किसी बच्चे की तरह से उसको अपने सीने से लगा लिया.

क्रमशः......................


Recession Ki Maar part--5

gataank se aage..........
Ravi apne muh se lage meri choot ke juice ko meri salwar se pochta hua meri tango ke beech se utha aur apni seat pe baith gaya. Uske lund ka bhi bohot bura haal tha wo lohe jaisa sakht ho gaya tha aur kisi electric pole ki tarah se khada tha. Yeh pehla mouka tha ke mai Ravi ke nange lund ko apne hath mai pakda, uska masturbate kia aur itne kareeb se dekha. Mai apni salwar ko ooper pull kia to mehsoos hua ke meri salwar itni geeli hogai thi ke lagta thake salwar ke ander mera pisab nikal gaya ho. Thodi der mai hi mai apne senses mai wapas aa gayee aur ab mai ne socha ke Ravi ne jab mujhe aisa maza dia hai jo mujhe aaj tak nahi mila to mera bhi to kuch kartavya hai ke mai bhi usko reciprocate karu. Yeh khayal aate hi mai bhi apni seat se uthi aur theek usi tarah se ravi ke pairo ke beech baith gai jaise wo baitha tha aur phir exactly waise hi uska pant bhi neeche khech lia jaise usne meri salwar ko neeche khecha tha. Aur wo bhi automatically waise hi apni seat pe aage ko move kar gaya tha jaise mai hui thi aur uski gand chair ke corner pe thi aur uska lund mere muh ke samne tha jise pehle to mai ne apne hath mai lia aur uska massage kia aur pyar se uske lund ke dande ko kiss kia aur phir jeebh neeche se ooper tak le gayee aur lund ke supade ko kiss kia. Ravi itna garam ho chuka tha ke aur bardasht nahi kar saka aur mera sar pakad ke apne lund ko mere muh mai ghusa dia. Uske mote lund se mera muh bhar gaya. mai seat ke beech mai apne ghutne mod ke baithi thi isi liye mujhe uska lund choosne mai thodi dikkat ho rahi thi to mai ne position change kia aur ghutno ke bal baith gai. Yeh position theek thi aur mai uska mota lund choos rahi thi aur wo apni gand utha utha ke mere muh ko chod raha tha. Kabhi kabhi to josh mai itni zor se ander ghusedta ke uska Lund mere halak mai ghus raha tha. Mai kisi ice cream ki tarahse uska lund choos rahi thi aur hath se uske lund ka muth bhi mar rahi thi. Ravi bhi itna garam ho gaya tha ke apne aap ko rok rahi paya aur uska lund mere muh mei phoolne laga aur usne apne lund ko
mere muh ke poora ander tak ghusa dia jis se uska lund mere halak mai ghus gaya aur usne mere sar ko daba ke pakad lia aur uski gand bhi seat se uth gai thi aur phir uske lund se garam garam malayee ki pichkariyan nikalne lagi. Mai ne apna sar utha ke uske lund ko baher nikalne ki koshish ki to usne mere sar ko apne lund mai daba ke rakha aur mere halak mai uski malyaee ke fawware udne lage aur direct mere pet mai chale gaye aur mere pet ko bharne lagi.
Uska Lund mere halak mai ghusa tha to mujhe thodi si coughing sensation jaisa mehsoos hua to meri aankh khul gai aur mai sochne lagi ke mai kaha hu phir jaise hi mai apne senses mai wapas aane lagi mujhe yaad aane laga ke mei kisi theatre mai nahi mai to bus mai hu aur Mumbai ja rahi hu aur mere sath Ravi nahi Raj hai aur mai to Raj ke sshoulder pe sar rakh ke soi thi phir dekha to pata chala ke mai to uske shouder se ludhak kar uski godi mai leti hu aur aisi position mai hu ke mera left hand seedha hai aur mere sar ke neeche pillow jaisi position mai hai, Rajj apni jagah se thoda aur aage ki taraf ko hat gaya hai aur wo passage mai rakhe kisi suitcase pe baitha hai aur mai apni seat pe aadhe se ziada leti hui hu aur Raj bohot ziada side pe hata hua hai aur mera sar Raj ke jhango mai hai, aur Raj ke dono hath mere ooper aise hai jaise ke mujhe neeche girne se bachane ko pakad rakha hai ya koi maa apne bache ko apne lap pe sulaati hai, uska track pant uski gand se neeche tak baher nikla hua hai aur mere muh ke samne uska itna bada aur mota nanga lund jo ke fully erect hai aur akad ke mere galo ( Cheeks ) se lag raha hai aur mai uske lund ko aise apne hatho mai li hui hu jaise koi maa apne bache ko apne se lipta ke sota hai aur uska lund ek dum se lohe jaisa kadak kisi musal ki tarah lag raha tha. Uska Lund kisi tarah se bhi 10 inch se kam ka nahi lag raha tha aur uska head kisi helmet jaisa tha. Thandi hawa ke chalte Raj ne ooper se meri shawl nikal li thi aur mere ooper aise dal di thi ke kisi ko pata na chale ke ander kia ho raha hai aur jis se mai thand se bhi bachi rahu. Mujhe andhera andera jaisa lag raha tha meri samajh mai immediately nahi aaya ke mai kia karu. Pehle to sochne lagi ke shaed mai ne Ravi ka nahi Rajj ka lund choosa ho ya uska masturbate kia ho, mai to full neend mai thi mujhe kuch malum hi nahi ke kia hua hai aur yeh ke agar mai ne sach mai Rajj ka lund choosa hai ya masturbate kia hai to Rajj mere baere mai kia sochega ke mai kaisi aurat hu. Yeh sab sochte sochte mai ne mehsoos kia ke mere galo pe kuch chikna chikna laga hua hai par mere ander itni himmat nahi thi ke check karu ke kia hai. Rajj ke lund ko dekh ke mujhe dar lagne laga jo kisi bade aur mote naag ki tarah se phupkaar raha tha aur meri aankho ke saamne Qutub Minaar ki tarah shaan se khada hua tha. Uska takreeban 10 inch lamba aur
takreeban 4 inch mota lund dekh ke meri to jaan hi nikal gayee socha ke kia yeh kisi aadmi ka hi Lund hai ya kisi ghode (horse) ka lund hai. Ab meri aankhein poori tarah se khul chuki thi aur mai achi tarah se jaag bhi gai thi aur andere mei meri aankhein dekhne ke kabil bhi ho gai thi. Mujhe uske lund se musky smell bhi aa rahi thi jo Satish ke lund ke smell se different thi.
Mei neend se jaag to gayee thi par abhi samajh mai nahi aa raha tha ke kaise react karu ke Raj ko shak bhi na ho ke mai jaag gai hu. Thodi der sochne ke bad yehi decide kia ke mai aise hi pose karti rahugi jaise ke mai gehri neend mai hu aur phir jaise hi bus kisi khadde se thodi uchli to mai apni jagah se uth gai aur wapas seedhe baith gai aur apni aankhein masalti hui aise idhar udhar dekhne lagi jaise mai abhi abhi neend se jaagi hu. Dekha to baher andhera tha aur bus ke sabhi passengers so rahe the aur Raj ki aankhein bhi band thi pata nahi wo so raha tha ya sone ki acting kar raha tha. Mai ne aise salwar theek karne ke bahaane anjaane mai apni salwar ke ooper se hi apni choot pe hath lagaya to dekha ke salwar to bohot hi geeli ho chuki thi lagta tha ke mujhe sach mai orgasm aaya hai aur mai jhad chuki hu. Yeh khayal aate hi mere chehre pe ek muskaan aa gaye ke shaed Raj ne meri choot ka massage kia jo mai ne apne khwab mei dekha aur apne gaal pe hath lagaya jaha chikna lag raha tha to mujhe koi exact pata to nahi chala ke wo Raj ke lund ki cream thi ya uske lund se nikla pre cum. Mujhe ab neend nahi aa rahi thi. baher se badi achi hawa aa rahi thi to mai aise hi aankhein band kar ke jaagti rahi aur apne halaat pe aur interview ke bare mai sochne lagi phir mujhe yaad aaya ke Raj ne bola tha ke kisi M.D, ki private secretary ko wo sab kuch karn padta hai jiske bare mai mai ne socha bhi nahi tha phir mera dimagh ghoomta hua Ravi ke pas chala gaya aur Ravi ka khayal aate hi mujhe apna dream yaad aa gaya ke kaise Ravi ne meri choot ko chaat tha aur kaise mai ne Ravi ke lund ko choosa tha aur uske lund se nikli cream khayee thi aur bas yeh sochte hi meri choot ek bar phir se geeli honi shuru ho gayee aur mera hath automatically apni choot pe aa gaya aur mai apni choot ka massage karne lagi. Shawl ke ander hath hone se aur andheri raat hone se Raj ko bhi pata nahi chal paya ke apni godi mai rakhi shawl ke ander se apni choot ka massage kar rahi hu. Salwar ka kapda bohot hi patla tha to mujhe lag raha tha jaise meri ungli choot ke ander tak ghus rahi hai aur aise kapda lagne se clitoris bohot ziada hi sensitive ho gai thi aur dekhte hi dekhte mai jhadne lagi aur ek bar phir se gehri gehri saansein lene lagi. Aisa massage karne se mera sara badan ek dum
se garam ho chuka tha aur baher ki thandi hawa mujhe bohot achi lag rahi thi.
Takreeban 11:30 baje ham Hubli ke bus stand pe pohoch gaye. Bus ruki aur kaafi saare passenges utar gaye. Bus almost half hi reh gayee. Ek ya do aadmi hi Hubli se bus mai chhadhe hue aur wo log samne wali seat pe hi baith gaye. Ab hamare saamne ki bohot sari seats khali ho chuki thi. Saamne walo ko pata bhi nahi chal sakta tha ke ek couple peeche bhi baitha hai. Sab yehi samajh rahe the ke ham husband wife hai aur jab mujhe yah khayal aaya to mai ek dum se muskura di. Itne mai Raj ne bola ke coffee piogi to mai ne bola the chalo thodi thodi pi lete hai aur sath mai wash room bhi ja ke aate hai aur phir ham ne thodi thodi coffee pi aur washroom ja ke wapas aa gaye aur bus mai baith gaye. Thodi hi der mai bus waha se start ho gayee. Thode passengers to itni gehri neend so rahe the ke unko pata bhi nahi chala ke bus ruki aur phir se chal padi hai. Raj ne poocha neend lagi tumko, to mai ne bola ke haa mujhe bohot hi gehri neend lagi bas abhi abhi uthi hu to phir mai ne poocha ke tumko neend lagi to usne bola ke lagi par aise gehri nahi jaise tumko lagi. Phir ham idhar udhar ki baatein karne lage. Mai ne phir se bola ke mujhe to bohot hi dar lag raha hai aur jab se tumne bataya ke Private secretaries ko aise aise kaam karne padte hai to mera to dimagh hi chakra raha hei ke kia hoga, kaise hoga, mai interview kaise face karugi aur kia yeh sab batein understood hoti hai ya interview mai puchi jati hai etc etc aur phir jab Raj ne bola ke koi pata nahi tumhara hone wala M.D kaisa aadmi ho tum dekho ke tum kia kar sakti ho ya kia nahi kar sakti ho yeh sab tum par hi nirbhar karta hai par itna zaroor bata du ke Mumbai ke ladkiya to yeh sab khushi khushi kar lete hai unko koi farak nahi padta to mai ne bola ke meri to kuch samajh mai nahi aa raha ke kia kaur kia na karu kyonke yeh aisa time hei ke hamai paisi ki sakht zaroorat hai mujhe yeh job mil jaye to bohot acha hoga par abhi tak samajh nahi pa rahi hu ke kia karu kia na karu to usne mera hath hath apne hatho mei le lia aur bola ke Sneha tum fikar na karo mai poori koshish karunga ke tumko yeh job mil jaye aur yeh nahi to mai kahi na kahi tumhare liye job ka bandobast kar duga to meri aankho se aansoo nikal gaya aur mai uske hath ko daba ke thanks bola aur uske hath se apne hath ko alag nahi kia ham aise hi hath mai hath dale baithe bate karte rahe. Baher se hawa ke jhoke aa rahe the aur Raj ko neend aa gaye aur to thodi hi der mai ek dum se gehri neend so gaya aur deep breathing karne laga to mujhe pata chala ke wo sach mai gehri neend so gaya hai par mai itni der so ke uth chuki thi isi liye mujhe neend nahi aa rahi thi.
Hubli se bus ke nikalte nikalte raat ke 12 baj chuke the. Belgaum bhi Hubli se almost dedh – do ghante ka raasta tha. Raj so chuka tha aur uska sar mere shoulder pe aa gaya tha. Mujhe uska sar apne shoulder pe bohot acha lag raha tha. Mai bhi apne pair thode lambe kar ke apni seat pe thod aage ko move ho gai thi aur meri gand seat ke edge pe thi, mai bhi apni seat par almost slanting position mai baithi thi aur mere aise movement se raj ka sar mere shoulder se thoda neeche aa gaya tha aur sote sote hi Raj apni seat pe thoda aur left mai hat gaya tha aur ab uska sar almost mere chest pe tha. Mai pehle hi deep neck ka shirt pehe hue thi to uska forehead aur thoda sa gaal ka portion mere nange seene se touch kar raha tha. Mujhe uski garam garam saansein mere cleavage mai mehsoos ho rahi thi jis se mere ander bhi sex ki garmi badhne lagi thi aur mera mann kar raha tha ke kisi tarah se mujhe mouka mile to mai apne shirt ke ek do button ko khol du aur raj ke muh mai apni boobs de du choosne ke liye. By the way mere shirt mai Press Button lage hue the jise mai badi aasani se khol sakti thi aur thodi hi der mai jab Raj ki neend aur gehri ho gai aur jab bus ko ek chiota sa jhatka laga to Raj ka sar ek minute ke liye mere seene se hat aur mai ne foran moke ka faida uthaya aur ek hi second ke ander anpni ungli shirt ke neck wale portion mai dal ke ooper ke press button ko khech ke khol dia laikin meri ungli kuch ziada hi zor se lagi malum hota hai kyonke mere shirt ke chaaro press buttons ek hi jhatke mai khul gaye. Agar ab Raj ka sar pehle wali position mai phir se wapas aa jata to mujhe yakeen tha ke uska muh mere boobs se touch karne lagta aur ab mere pas itna time bhi nahi tha ke mei ek ya do buttons ko wapas press karke band kar saku khair ab kia kar sakti thi jo hona tha ho chuka tha aur ab mai wait kar rahi thi ke raj ka sar kab mere seene se lagta hai. Aur phir thodi hi der mai Raj ka sar mere shoulder pe aa gaya aur phir waise hi neeche ko sarak gaya to mai ne apna hath Raj ke jhuke hue shouler pe rakh lia aur kisi bache ki tarah se usko apne seene se laga lia.

kramashah......................












आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj


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