FUN-MAZA-MASTI
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पड़ोस वाली दक्षिण भारतीय आंटी की ........
शेक्स पियर जो अपने आप को बड़ा चाचा चौधरी समझता था उस ने कहा की बेशक गुलाब को अगर गुलाब की जगह किसी और नाम से पुकारा
जाता तो क्या ? वो ऐसी भीनी भीनी खुशबु नहीं देता लेकिन टेम्स नदी के किनारे अँधेरे सीलन भरे कमरे में बैठ सिर्फ सस्ती रांडो को उधारी में
चोदकर या उधारी न चुकाने पर सिर्फ मुठ मार मार कर इस से ज्यादा वो सोच भी क्या सकता था ,
क्योंकि मेरी लाटरी तो सिर्फ नाम की वजह से ही निकली थी |
बात ज्यादा पुरानी नहीं मेरी जवानी की शुरुआत के दिन थे .........
चूँकि मेरा यह शहर मध्यभारत में मालवा के पठार पर बसा है नए और पुराने को अपने में समेटे यह व्यावसायिक राजधानी होने के कारण कई प्रदेशों के
लोग बे रोक टोक यहाँ आकर बसते गए जो अब कई संस्कृतियों का संगम सा बन गया है ,बात चूँकि सच्ची है इस लिए स्थान नाम इन सब बंधनों से दूर
आप को भरपूर आनन्द देने और किसी का राज़ न खोलने वाले अंदाज़ में इस किस्से का चित्रण करने की कोशिश की है ,क्यूंकि सभी की जिन्दगिया ऐसे
अविस्मर्णीय पलों को सहेजे बैठी है जो किसी को पता न चल जाए इस डर से किसी से नहीं बांटते मेरी कोशिश है उम्मीद है आप को पसंद आएगी जो
एक घिसे पिटे ट्रेक पर कहानी पड़ते है उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी क्योंकि उस में जो सहज है वही मैंने लिखा है जो मेरे साथ घटित हुवा ......
तो हुआ दरअसल यह के मेरी कालोनी शहर के पुराने हिस्से में आती है जहाँ कई पुराने परिवारों की ड्योढ़ी नुमा हवेलियाँ है जो राजवंश से भी जुड़े है,मेरे
घर के सामने एक कंपनी का स्टोर बंद पड़ा था क्योंकि कंपनी अब उसे इस्तेमाल नहीं करती थी | पिछले दिनों साथ में एक टेम्पररी टायलेट भी बना दिया
गया और कंपनी के केशियर जो दक्षिण भारतीय थे अपनी पत्नी के साथ वहां रहने लगे उनका नया मकान कहीं बन रहा था बेटा दुबई में था और बेटी का
कोई नर्सिंग कोर्स पूरा होने को था कंपनी का मालिक पिताजी का परिचित था इस कारण हमारा परिवार उनके कहने पर उनका ख्याल रखता था| जिस से
उनका हमारे वहां आना जाना लगा रहता था अंकल तो पापा से बाहर से मिल कर चले जाते थे अकेलेपन की वजह से अक्सर आंटी हमारे वहां ही होती थी
, कुछ दिनों बाद मेने ग़ोर किया आंटी जब भी हमारे वहां आती मेरे शार्ट्स में उभरे हुवे लैंड को निहारती रहती थी जो उनकी चकनी त्वचा को देख कर
बेकाबू हो जाया करता था , सो अब मुझे भी आंटी में थोड़ी रूचि होने लगी जब भी रात में वोह टायलेट में आती उनके दरवाज़े की आवाज़ सुन के में
बालकनी में आ जाता और जब वो स्टोर में वापस जाने लगती तो खांस या खखार कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा देता लेकिन कभी वोह पलट कर नहीं
देखती |
अभी तक मोहल्ले की कई भाभियों, आंटियों और जवान होती नौकरानियों को में चोद चूका था आंटी द्वारा मेरी यह अपेक्षा मुझ से सही नहीं जा रही थी,
पहले मम्मी कुछ देने या उन्हें बुलाने का कहती तो में टाल देता था पर अब ये हाल था की उनसे मिलने या सामीप्य का कोई मोका नहीं छोड़ता आंटी
को हिंदी नहीं आती थी पर इंग्लिश में काम चला लेती थी कई बार में घर में उनके अनुवादक की तरह भी उन के साथ बैठ जाता था ,
चालीस बयालीस के लपेटे की यह श्यामल भरे भरे बदन वाली बड़े बड़े दूध से भरे शाही कटोरे सीने पर सजाये खुले दावत देते से महसूस होते थे जब
यह गजगामनी गांड मटकाते चलती तो लौड़ा बाबुराम शार्ट्स में कोबरे सा फुंफकारने लगता और बिना उस के नाम की मुठ मारे संभाले नहीं संभलता कभी
कभी उन को छु लेता या बदन का कोई हिस्सा उन से सटा लेता पहले तो चौंक के देखती थी फिर बाद में एसा जताने लगतीं जैसे कुछ हुवा ही न हो
लेकिन कुछ बात बन नहीं रही थी |
लेकिन ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं जिसने चोदने और खोदने को लौड़ा दिया है उसी ने चुतो को भी सूखी खुजली दी है की उस में बोरिंग कर के
पानी निकालें ,पिछले कुछ दिनों से हमारे शहर और फिर मोहल्ले में भी चैन खींचने की घटनाएं बढ गयी मम्मी ने मुझे आंटी को सचेत करने को कहा
क्यूंकि भारत में सबसे ज्यादा सोना ये साऊथ वाली ही पहनती हैं यहाँ तक के उनकी पायल भी सोने की ही होती है पर मैं उन्हें टालते से अंदाज़ में मेने
बिना उन की और देखे कहा अभी जल्दी में हूँ बाद में समझा दूंगा मेरे इस व्यवहार से आंटी को बड़ा अजीब सा लगा पर मम्मी ने इस पर मुस्कुरा कर
माहौल को सामान्य बना दिया ,
कालेज के पहले पहले दिन थे कालेज से लौटकर अभी बाइक स्टैंड पर लगा ही रहा था की पीछे से आंटी ने पुकारा पहले ही कालेज की कमसिन
कलियों ने लोड़े की माँ-भेंन कर रखी थी ऊपर से ठंडी आंटी जो भेन्चोद इतनी गरम है पर बनती है ,ये कहाँ से आ गयी अब इस उभरे लंड को कहाँ
छुपाऊँ भोसड़ी का जींस फाड़ने को बेताब है सोच रहा था पापा फैक्टरी गए है माँ सो रही होगी मज़े से नयी प्लेबाय मैगज़ीन जो आज ही दोस्त से छीन
कर लाया था देखकर मूठ मारूंगा
मुन्ना मांजी सुबह क्या कह रही थी आंटी इंग्लिश में चहकी जब मेने बताया तो देवा देवा कह कर पेट पर हाथ रखा मेने कहा यहाँ हाथ क्यों रखा
तो कहने लगी सारा जेवर थैली में डाल के यहाँ गले में साउथ की स्टाइल में लटका रखा है मेने कहा बताओ तो कहने लगी धत !! जा यहाँ से पर में
जिद पर अड़ गया के साउथ की स्टाइल क्या है,इधर उधर देखते हुवे जब कोई न दिखा तो आंटी ने तो थोडा सा कुरता उठाया थैली किस ने देखना थी
सीधी ऊपर नज़र गयी अन्दर से ब्रेसियर में बंद कबूतरों के दर्शन हो गए या तो इतने ही कड़क हैं या छोटी ब्रा पहनी हुयी है पास जा कर थैली को छूने
लगा तो चिहुँक कर हाथ झिड़का जिस से कुरता हाथ से छूटा तो मेरा हाथ कुरते में रह गया आंटी पीछे हटी तो बैलेंस बिगड़ा और मेरा एक हाथ अन्दर
ही रह गया था उसमे उसका पूरा बूब आ गया झटके से पीछे हटी तो कुरते की वजह से फिर रिबाउंड होकर मेरे पर गिरी तो उन्हें संभालने के चक्कर में
दूसरा बोबा कुरते के बाहर से पुरे हांथ में समा गया ख़ैर संभली और बिना कुछ बोले अपने घर के अन्दर चली गयी .
में भी अपने कमरे में चला गया लेकिन नज़ारा भूले नहीं भूलता चिकनी चमकदार चमड़ी का स्पर्श और चिकना पेट आँखों में घूमता रहा ,
मय्या का भोसडा प्ले बाय मैगजीन की अन्दर आकर आंटी के नाम की इकसठ बासठ चालू कूद के मनी बाहर और असीम शांति का अनुभव.......
हाथरस में जो मज़ा वो किसी और में कहाँ ,आप भी आनंद से बैठो हाथ भी हिलता रहे |
हाथरस में जो मज़ा वो किसी और में कहाँ ,आप भी आनंद से बैठो हाथ भी हिलता रहे |
कल की इस घटना से मेरी फट भी रही थी के माँ से आ के न बोल दे फिर मुझे हंसी आ गयी अनुवाद तो में ही करूँगा घंटा बोलेगी दुसरे दिन आयी तो मेने छेड़ा कल क्या हुवा बता दूँ बोली ज्यादा स्मार्ट मत बनो इशारों से माँ को समझा दूंगी ,में सीधा हो गया यह तो मेरी गुरु निकली मम्मी बोली क्या कह रही मेने कहा कल जो आपने चेताया था ,सावधान किया था उस के लिए आप को थैंक्स कह रही है |
खैर कुछ दिनों बाद दीदी के सुसराल में अचानक कुछ गमी होंने के कारण सब को वहां एकाध हफ्ते के लिए जाना था मम्मी मेरे लिए परेशान थी ,उन्होंने मेरे खाने की बात आंटी से की तो वोह बोली कोई बात नहीं इस की फिकर मत करो फिर दोपहर में सब तैय्यारी में लगे थे आंटी अपना मोबाइल लेकर मेरे पास आयी के देख तो इस में पिक्चर नहीं खुल रही है,में उनसे बिलकुल सट कर बैठ गया और मोबाइल उन्ही के हाथ में देकर बोला आप बाद में कैसे समझोगी आप खुद करो में बताता जाता हूँ और अपना हाथ दीवान पर बैठे बैठे पीछे से चूतड तक ले जाकर उस की दरार पर अंगूठा टिका दिया फिर हाथ थोडा ऊपर सरका कर साइड से आंटी के बूब दबाता रहा कभी ऊपर कभी नीचे लेकिन वोह कुछ न बोली पर जैसे ही गर्दन पर कान के नीचे गर्म सांस छोड़ी चौंक कर एक दम उठ गयी (वो मारा पापड वाले को हर औरत की कहीं न कहीं किसी स्पाट बहुत ज्यादा सनसेशन होता है तो यह है आंटी का कमज़ोर हिस्सा जिस पर एक वार से दीवार भरभरा कर गिर पड़ेगी) और डांटते से अंदाज़ में बोली पर बाबा तू या तो कल तेरे अंकल के सामने ही आना और नहीं तो खिड़की से ही अपना नाश्ता खाना ले जाना क्योंकि तुझ से डर लग रहा है कल तेरे अंकल ने चेतावनी दी है मेरे जाने के बाद दरवाज़ा बोल्ट कर लेना कोई भी खटखटाए मत खोलना क्योंकि वोह कंपनी के काम से शहर के बाहर जा रहें है परसों सुबह ही आयेंगे में सर खुजाते हुए समझ नहीं पाया यह मेरे लिए खुली चेतावनी थी या छिपा आमंत्रण .....
दुसरे दिन परिवार सुबह जल्दी ही निकल गया में सोने का बहाना बनाये बिस्तर पर पड़ा रहा उनके जाने के बाद छिपकर खिड़की से देखता रहा के कब अंकल निकलते हैं जैसे ही वोह गए मैं पहुँच गया आंटी ने कहा देर से क्यूँ आया...चल बोल मसाला रेडी है इडली डोसा उपमा क्या खाना है मैं तो कुछ और ही खाने के मूड में हूँ फिर सर को झटक कर समय बचाने को कह दिया
यह् सब मुझे ज्यादा पसंद नहीं आप तो कुछ फास्ट फ़ूड जैसा करदो
आंटी मेरी आँखों में आँखें डालकर रहस्यमय ढंग से मुस्कुराती हुयी बोली फिर क्या पसंद है | में अन्दर की तरफ बढ़ने लगा तो कहने लगी अन्दर कंपनी का सामान फैला हुवा है यही बेड पर बैठ जा उसी के पास उन का छोटा सा साफ़ सुथरा किचन उन के सुघड़ होने की चुगली कर रहा था आंटी ने एक स्माल डिश ग्लास बाऊल में ढेर सारी कतरी हुयी बादाम, किशमिश, कार्नफ्लेक्स डालकर फ्रिज से ठंडा दूध मिला कर मुझे दे दिया दिया मेने कहा इतनी बादाम डालोगी तो मुझे प्रॉब्लम हो जाएगी ....
क्या प्रॉब्लम हो जायेगी आंटी फिर साउथ की इंग्लिश में फडकी
मैंने कहा - इस के बाद कुछ हो जाता है , आंटी ने फिर वही रहस्यमयी मुस्कान बिखेरी में शर्मा कर नीचे देखने लगा बाबुराम सर पुरी ताकत से ताने कपडा फाड़ कर बाहर निकलने को बेताब था और में शुक्र मना रहा था आज बरमूडा के जींस जैसे मोटे कपडे ने इज्ज़त रख ली वरना..
पर हमेशा की तरह शायद आंटी की नज़र भी वहीँ थी खंखार कर बोली वहां क्या देख रहा है वहां कुछ होता है क्या इधर देख ..
फिर प्याला देते समय आंटी ने दूध मेरे बरमूडा पर जान बूझकर छलका दिया और बिलकुल मासूम सी बनते बोली अरे ! सारी सन्नी पूरा गीला हो गया चलो लाओ इसे उतार दो और अंकल की लुंगी बाँध लो लेकिन जब मैं नहीं माना तो थोड़ी सी नाराज़ हो गयी और कहने लगी मुझे मालूम है तू क्या चाहता है रोज़ में जब रात में टायलेट जाती हूँ तो क्यों खांस के बताता है के तू मुझे देख रहा है घर में भी तू तो मुझ से बहुत चिपकता है आने दे तेरी माँ को शिकायत करुँगी आंटी का नया रूप देखकर गांड फट गयी लौड़ा ऐसे पिचक गया जैसे किसी ने गुब्बारे में पिन मार दी हो उतरा चेहरा और बैठा लौड़ा दोनों को देख कर आंटी ने दूसरा दांव चला बड़ी जोर से हंसी और चहकी अरे सन्नी में तो मज़ाक कर रही थी अच्छा तू मेरी एक प्रॉब्लम साल्व कर दे तेरे अंकल बता रहे थे तुम लोगो का सरनेम होलकर है| पहली बार इसे इंग्लिश में सोचा तो हसी आ गयी होल करने वाले तो तेरे अंकल बताने लगे वैसे तो इंग्लिश से कुछ संम्बंध नहीं पर इनके हथियार बहुत मशहूर हैं मैंने चोंक कर कहा हथियार क्योंकि ये पहले भी कई दोस्तों से सुन चूका था आप को एक बात बता दूँ हमारे पूर्वज पहले इस क्षेत्र पर शासन करते थे अब तो नाम या यह कहें बदनाम ही रह गया है क्योंकि ब्रिटिश राज में एक राजकुमार द्वारा एक वैश्या और उस के आशिक की हत्या में राज परिवार की बहुत थू थू हवी थी हमारे वंश के लंबे लंड और स्तम्भन शक्ति पुरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है दूसरी बात जो शक्ति वर्धक चूर्ण वोह खाते थे उस से लौड़े घातक होकर बहुत देर तक चलते थे बल्कि जिस काग़ज़ की पुढीया में काम शक्तिवर्धक चूर्ण होता था खाने के बाद उसे फेंकते तो उसे उठाने में वहाँ सैनिकों में घमासान हो जाता था क्यूंकि वो कागज़ जो भी उसे चाट लेते थे वोह भी दो दो घंटे अपनी औरतों को चौदते थे |
आंटी के मुंह से हथियार की बात सुनते ही थोडा संभलते हुवे मेने सोचा अब गयी भेंस पानी में अंकल तो आने वाले नहीं और अब गेंद मेरे पाले में है , अगर आज ढंग से नहीं खेला तो यह आंटी कभी हाथ नहीं धरने देगी मैंने पैंतरा बदल कर नयी चाल चलते हुवे अब जो होना है हो जाए थोड़ी हिम्मत करते हुए कहा - इसके दर्शन की अनोखी परंपरा है आप नहीं निभा पाओगी हथियार बिना कपडे के (अनावृत) बाहर निकलने के बाद सर पे छुवा कर प्रणाम करना पढता है, जो फिर कोई बात नहीं कोई भी शीश नवाले पर ?? जब हथियार दूध में नहाया हो तो प्रणाम की स्थिति भिन्न होती है ,दर्शनाभिलाशी को दूध अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करना पड़ता है,आप कहो तो ठीक नहीं तो मैं वैसे ही ठीक हूँ ...
आंटी फिर धत ! कह कर मुंह में अपने सर पर बंधा सफ़ेद काटन का कपडा जो उन्होंने नहा कर बाँधा था हँसते हुए मुंह में ठूंस लिया ,मैंने भी सोचा पांसा सही पड़ा है में उठने लगा की- जा का बरमूडा बदलता हूँ र्नफ्लेक्स घर पर ही खा लूँगा तो आंटी आगे बड़ी शायद इस मौके को वो भी गंवाना नहीं चाहती थीं अचानक मेरे लंड पर हाथ रख कर बोली यही विधि है तो यही सही पर तू अंकल की लुंगी तो बाँध ले कह कर मेरा बरमूडा नीचे खेंच दिया इलास्टिक बेल्ट से टकराते हुवे फट की आवाज़ से लौड़ा बहार कूद पड़ा , आंटी के मुंह से वोव् ! निकला
और अगले ही पल लौड़ा गप से मुंह में भर लिया और चुसना शुरू किया बल्कि ये कहें की जंगली बिल्ली की तरह उस पर झपट पड़ी और ऐसे चूसने लगी लगा काट कर खा ही जायेगी लौड़े की जड़ में चिरमिराहट और जलन हो रही थी मादरचोद रांडो को भी मात कर रही थी
पूरा सरकाते हुवे कंठ तक ले जाती मुंह से जब गुं ...गूं ...की आवाज़ आने लगती और ऐसा लगता यह vomit उल्टी न कर दे , फिर पुच्च की आवाज़ से लौड़ा बाहर उगल देती फिर थू कर के उस पर थूकती फिर चूसने लगती जब पूरा कंठ तक उतार लेती तो उलटी जैसी हालत हो जाती और आँखों में आंसू तैर जाते थोड़ी देर सांस लेने के लिए मुंह से निकालती भी तो हाथ से लगातार रगड़े जाती लोडा ऐसे चूस रही थी डर होता था टूट ही न जाए लेकिन काफी जोर आज़माइश के बाद भी जब कुछ न हुवा शायद आंटी का ब्लू फिल्म का अनुभव भी काम न आया तो उसकी आँखे चमक उठी ,उधर मेरी यह हालत थी के बस ! क्योंकि अगर ये प्यार से चूसती तो शायद में झड भी जाता या फिर शायद रात में आंटी के नाम की मुठ मारने की वजह से अभी तक जोर बना हुवा था थककर प्यार से देखते हुए आँखों ही आँखों में बोली वाकई
"" यथा नाम तथा गुण ""
में ने कहा - आप जबरदस्ती परेशान हुई और मुझे बड़े धर्म संकट में डाल दिया अब में क्या करूँ घर केसे जाऊं किसी ने देख लिया तो , अब जब तक इसको ठंडक नहीं मिलेगी बैठेगा नहीं आप का मुंह गर्म है कहीं और की गर्मी भी उल्टा कांम करती है जैसे टांगो के बीच की गर्मी अब क्या करूँ यह कैसे बैठेगा...
बडबडाते हुवे मासूमियत से आंटी के चेहरे को देखा अब वहां आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे बाल चेहरे पर ऐसे झूम रहे थे जैसे मेघ छोटी सी पहाड़ी के गिर्द घेरा डाले हो गालों के गढे सिल्क स्मिता की सेक्सी इमेज के हर रिकार्ड को तोड़ने में बिजी थे हर सांस पर सीना सुनामी ला रहा था |
आंटी मुझे अपने तरफ ऐसे देखते बोली .... नहीं चल थोड़ी और कोशिश करती हूँ फिर पास की टेबल से एक हाल्स की गोली मुंह में डाली और उसे चूसने लगी हाथ से लौड़ा भी हिलाती जा रही थी किस्मत की बात मेने अच्छा हुवा रात में ही मुठ मार ली थी हाल्स का थूक मेरे लंड पर गिरा कर फिर गरम मुंह और बहार निकलती तो हाल्स के कारण हवा से ठंडा लगता इस ठन्डे गरम से फुरेरी आने लगी और कई बार लगा बस अब छुट हुई के तब वीर्य कूद कर बाहर आ ही jaयेगा जैसा ही ऐसा होने लगता अपना ध्यान इस सब से भटका और हटाकर आंटी को छेड़कर कहता अब कुछ नहीं होगा अब तो सारे छेद भर कर भी नही मानेगा अब ये लेज़र गाईडेड मिसाईल से भी ज्यादा खतरनाक हो गया है , थोड़ी देर कोशिश के बाद हिम्मत टूट गयी और आंटी कहने लगी बस अब मेरा मुंह दुःख गया अब तू जो चाहे कर राजा, में तेरी दासी उन्होंने सर पर कपड़ा कब लपेट लिया था ध्यान ही नहीं रहा हाय मेरी सिल्क स्मिता मैंने दिल में सोचा ,मैंने धीरे से सर का कपडा खोला तो सीले सीले बाल मेरे ऊपर आ गए धीरे से ब्लाउज के बटन को एक उंगली से स्टाईल से उचकाकर खोला तो बूब्स बाहर उछल पड़े , और आंटी माधवी और भानुप्रिया के मिलेजुले रूप में मेरी स्टाईल पर दाद देती सी लगी के राजा बहुत घाटों का पानी पिए लगते हो और आँखों में वोह चमक आयी जो बराबर वाले खिलाड़ी से प्रतिस्पर्धा में आती है|
खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग
जीत गयी तो पीया मोरे ,हारी तो मै पी के संग
द्रविड़ काया मछली जैसी चिकनी फिसलती स्निग्ध श्यामल चमकीली त्वचा
मेंगलौर के बादामी फुल साइज़ कड़क आम उन पर कैरम के बड़े से स्ट्राइकर
के बराबर भुने हुवे ब्रितानिया के डायजेस्टीव बिस्किट जैसा एरोला उस पर
इमली के बीज के बराबर कतई निप्पल जो तन कर कड़क हो रहे थे मेने जैसे ही
ज़बान से गीला कर के होंठों से दबाया और मुंह से चूसकर दांतों से हल्का सा काटते
हुवे अन्दर सक्शन करते चूसा तो आंटी बेदम हो कर कटे तने की तरह मुझ पे गिरती चली
गयी अब मेरे हाथ सरक कर चूतड की दरार पर पहुंचे तो आंटी ने लपक कर
मेरे होंटों पर अपने जलते हुवे भारी होंठ रख दिए और जो चुसना शुरू किया
बीच बीच में ज़बान पुरी की पुरी अपने मुंह में खींच लेती कभी निचला होंठ कभी
ऊपरी कभी जीभ को दांतों से टकरा देती कभी दांतों और गालो के बीच ज़बान लपलपा देती
इस सब से में भी पिघलने लगा लगने लगा इतना सुरीला चूस रही है कही बाहर ही न ढुल जाऊं
मेने फिर ध्यान हटाया और आंटी को धकाते हुवे कहा - ...
आंटी ! दरवाज़ा तो बंद कर दो
तो जैसे उन्हें होश आया जल्दी से उठ कर दरवाज़ा बोल्ट किया खिड़कीयो के परदे
ठीक किये लाइट आफ करी और मेरे पास दीवान पर ही ढुलक गयी
-- सन्नी बाबा यह तुमने क्या कर डाला
कह कर मेरी टाँगे थोड़ी सी चौड़ी करते हुवे पास में सटके बैठते हुवे लौड़ा सहलाने लगी
फिर मुंह में ले कर धीरे धीरे चूसने लगी मैंने भी धीरे-धीरे पेटीकोट जैसा जो साउथ में पहनते है
धीरे धीरे हाथ से ऊपर सरकाना शुरू किया और उनके हिप्स के गोल गोल खरबूजों पर पर
हाथ फेरना शुरू किया तो आंटी ने सरक कर हिप मेरी तरफ कर लिए हाथ फेरते फेरते मैंने अंगूठे और तर्जनी से हलकी सी
क्लिटोरियस/भगनासा/मदन मणि( जो चाहे कह लो मज़ा कम नहीं होगा उस )
पर चुटकी ली तो आंटी का मुंह लंड पर दांत गडाने लगा धीरे से उस गीली रस से झरती चूत
में मैंने धीरे से ऊँगली को घुमाते हुवे जी स्पाट टटोलते हुवे अन्दर अंगूठा डाल दिया और उसके
अन्दर वाले हिस्से को ऊपर की तरफ वाले हिस्से में रगड़ने लगा आंटी ने जांघे सिकोड़ ली कभी
कभी जब थोडा अन्दर होकर नाख़ून उनके गर्भाशय के मुंह से टकराता तो आंटी मेरा हाथ टांगो से
इतनी जोर से दबाती के लगता टूट जाएगा गर्भाशय के मुंह की सरसराहट और लपलपाहट अंगूठे पर
महसूस हो रही थी फिर आंटी सीधी होकर मेरे को लेते हुवे बिस्तर पर सीधी हो गयीं मैंने पेटीकोट का
नाडा खेंचा तो काटन का पेटीकोट नीचे खींचता चला गेa चला गया अन्दर पैंटी नहीं थी
यानि आंटी पहले से तैयार थी आंटी सीधी मुझ पर आ गयी मैंने धीरे से नीचे हाथ डालकर लौड़े का सुपारा
चूत पर टिका कर हल्का सा धक्का दिया आंटी ने सांस बाहर छोड़ कर फुरेरी ली और तमिल में न
जाने क्या बढबढाती हुई धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी अभी वोह पूरा लौड़ा अपनी चूत की गहराई
में नहीं ले रही थी और लगता था काफी दिनों से अंकल ने चुदाई नहीं की थी आधी तिरछी होकर धक्के
लगाती रही फिर मुझे जोर से जकड़ लिया चूत से मुझे कुछ रिसता हुवा सा महसूस हुवा जो जांघों से होता
हुवा आँडूओं पर आया सामने ही पंखा चल रहा था ,मुझे ठंडी सी फुरेरी आयी तभी आंटी ने भारी भारी साँसे
लेते हुवे दो चार झटके जोर जोर से दिए और मुझ को कस कर पकड़ा जिस से मेरे कंधे पर उनके नाख़ून गड़ते से मालूम
हुए और गहरी सांस लेकर मुझ पर बेजान सी लुढ़क गयी,
- आई लव यूं सन्नी बाबा माय डार्लिंग
कह कर उतरने लगी में उसी समय उन्हें लेकर पलट गया अब आंटी मेरे नीचे थी अब
मैंने आंटी के निप्पल जोर जोर से चूसने शुरू किये तो आंटी बिन पानी की मछली की
तरह मचलने लगी मैंने उन्हें थोडा सा ऊपर करके उनकी गांड के नीच तकिया लगा दिया
और टाँगे चौड़ी करके एक ही धक्के में पूरा आठ इंच का हथियार जो उन्हें देखने की तमन्ना
थी सोचा महसूस करा दूँ पूरा का पूरा झटके से चूत में पेल दिया आंटी दर्द से
ऊपर उठने लगी मैंने उन्हें दबा कर होंठों पर होठों को रखकर ज़बान मुंह में डाल दी
उनके नथुने फुले और बैचैन हो गयी और उन्हें सांस लेने का मौका देकर लंड थोडा पीछे
खींच तो आंटी ने खुद ही मुझ आगे खींच लिया लिया अब आंटी भी मेरे हर धक्के के साथ
गांड उठा उठा कर पूरा साथ लेने लग गयी आंटी की चूत से लसलसे फव्व्वारें छूट रहे थे
उनके सर के कपडे से पौंच कर सुखा सुपाडा टिकाया और जोर का झटका दिया तो आंटी तड़प उठी
- वांट टू किल मी(क्या मुझे मारेगा)
और तमिल में कोई गाली दी मैंने फिर थोडा थूक लंड पर लगा कर दुबारा पेल दिया
आंटी के पैर कभी मेरे कंधे पर कभी हवा में थोड़ी देर के घमासान के बाद में कहने लगी ....
--बाबा मेरे पैर दुःख गए
मैं ने डबल बेड जो की किसी इम्पोर्टेड मशीन के पेकिंग बाक्स की लकड़ी से बनाया गया था
आम बेड से काफी बड़ा था उस का भरपूर फायेदा उठाते हुवे उन्हें साइड की करवट दिलाकर ४५ का एंगल
बना कर फिर पीछे से पेलने लगा अपने सर के नीचे तकिया लगा और थोडा दीवार का टेक ले कर अब
दायाँ हाथ उनके नीचे से निकाल कर उस से उनका राईट बूब सहलाता जा रहा था बीच बीच में निप्पल
ऊँगली और अंगूठे से दबा देता तो आंटी के मुंह से न चाहते हुवे भी सिसकारी निकल जाती बाएं हाथ को
ऊपर से लाकर उससे मैं उनका भगनासा अंगूठे से रगड़ता और सहलाता जा रहा था आंटी ने फिर हुंकार
भारी जैसे भागती गाय नथुने फुलाती है तो नाक से आवाज़ और पानी के छींटें झटके से
निकलने लगते है इसी दशा में आंटी फिर ढेर हो गयी मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला
तो आंटी की चूत का माल लंड पर पंखे की हवा से सूख कर पतला कवर जैसा हो गया
जैसे उँगलियों पर वार्निश चिपक जाता है मेरी तरफ देख कर बोली
- एक मिनट सीधा हो जाने दे
मैंने प्यार से उन के तरफ देखा तो वो मेरे लौड़े को तिरछी नज़रों से देख रहीं थी मुस्कुराते हुवे
मैंने उन की बाहों में बाहें डाल कर अपने ऊपर ले लिया फिर उन्हें अपनी टांगों पर बैठा कर
उनकी टाँगे अपने दोनों तरफ डाल ली अब उनके बूब्स मेरे सीने पर टकरा रहे थे उन्होंने अपनी
गर्दन मेरे कन्धों पर टिका दी उनकी सांसो का सीलापन मेरी नाक में समां कर कामवासना और
भड़का रहा था चूत की चिकनाई से मेरे लौड़े का सुपारा अपने आप ही जैसे उनकी चूत में जाने लगा ...
आंटी बोली बस यार क्या मारेगा !
इस पर मैंने उन्हें अपने ऊपर से उतारा तो उन्होंने सोचा अब ब्रेक लेकिन मैंने उन्हें उनके लेटने से
पहले ही हवा में पकड़ लिया और उन्हें घोड़ी बनाकर दोनों तकियों पर उनकी कोहनी टिकवा दी
और पीछे खड़े होकर उनकी पीठ सहलाने लगा फिर धीरे से घुटनों के बल बैठकर पीछे से आगे
उनकी चूत में लौड़ा पेल डाला तो अब इस स्टाईल में चूत इतनी टाईट हो गयी के मुझे लगा अब
गया दस बारह लगातार झटको के बाद जब लंड बाहर निकला तो परर की आवाज़ के साथ चूत
से हवा निकल पढ़ी दोनों को हंसी आ गयी मैंने फिर चूत को पौछा और जोर से झटका दिया तो
आंटी फिर अनाप शनाप गाली बकने लगी बाहर निकाल कर लौड़े पर थोडा थूक लगाकर फिर
पेलना शुरू किया अब मेरा थूक से गीला अंगूठा आंटी की गांड पर खेल रहा था धीरे से पोर अन्दर
किया तो आंटी तड़प उठी वाव ! यह तो कुंवारी गांड है इसके बाद में मज़े लूँगा इसके बाद झुककर
आंटी के बूब पकड़ कर मसलने लगा अब आंटी खुद ही चूतड पीछे धकलने लगी और हर धक्के
पर पट पट की आवाजा से मेरे आँडू आंटी के चूतड के गाल और जांघ के संधिस्थल से टकराने लगे
१० या १२ धक्को में में भी झडते हुवे मुंह से हुंकार भरती सी आवाज़ निकालते हुए वही आंटी पर ढेर
हो गया आंटी पता नहीं क्या तमिल में बडबडाती रही फिर इंग्लिश में कुछ पूछा जो मुझे याद नहीं
मुझ पर नशा सा छाता गया और में बिलकुल बेहोशी की नींद में सो गया दो ढाई घंटे बाद लंड पर
नरम गरम गरम से अहसास से नीद खुली आंटी मेरे लंड को चूस रही थी जो आज की धक्कम पेल
में सुजा सुजा सा लग रहा था और बैठे होने के बाद भी बड़ा बड़ा सा लग रहा था इसके बाद भी
कई साऊथ वालियों से पाला पड़ा लेकिन सब की चूत में जहा अन्दर चूत की नाल समाप्त हो कर
गर्भाशय शुरू ही होता है वहां मॉस या नरम हड्डी सा कुछ उभार होता है लंड जब भी उस से रगड़
खाता है तो चुदाई का अलग ही मज़ा आता है एसा लगता है आप के लंड को कोई अन्दर दबा रहा है ......
यह यौनशास्त्रियों और एनाटामी फिजियोलाजी शरीर विज्ञानियों के लिए यह शोध का विषय हो सकता है
उसके बाद पुरे हफ्ते आंटी ने मुझे नहीं छोड़ा कई कई स्टाइलों में रात में दिन में मेरे घर में उनके घर में
बाथरूम रसोई घर कबाड़ रखने वाली जगह बाद में कई बार उनके नए घर पर काम की प्रगति देखने के बहाने
भी...
उस दिन मोबाइल में आंटी की बेटी को देखा था रूपवती बिलकुल
रेवती और अमला का मिलन लग रही थी देखें अब होलकर का ड्रिल कहाँ चलता है _____________
....................
*the end *
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पड़ोस वाली दक्षिण भारतीय आंटी की ........
शेक्स पियर जो अपने आप को बड़ा चाचा चौधरी समझता था उस ने कहा की बेशक गुलाब को अगर गुलाब की जगह किसी और नाम से पुकारा
जाता तो क्या ? वो ऐसी भीनी भीनी खुशबु नहीं देता लेकिन टेम्स नदी के किनारे अँधेरे सीलन भरे कमरे में बैठ सिर्फ सस्ती रांडो को उधारी में
चोदकर या उधारी न चुकाने पर सिर्फ मुठ मार मार कर इस से ज्यादा वो सोच भी क्या सकता था ,
क्योंकि मेरी लाटरी तो सिर्फ नाम की वजह से ही निकली थी |
बात ज्यादा पुरानी नहीं मेरी जवानी की शुरुआत के दिन थे .........
चूँकि मेरा यह शहर मध्यभारत में मालवा के पठार पर बसा है नए और पुराने को अपने में समेटे यह व्यावसायिक राजधानी होने के कारण कई प्रदेशों के
लोग बे रोक टोक यहाँ आकर बसते गए जो अब कई संस्कृतियों का संगम सा बन गया है ,बात चूँकि सच्ची है इस लिए स्थान नाम इन सब बंधनों से दूर
आप को भरपूर आनन्द देने और किसी का राज़ न खोलने वाले अंदाज़ में इस किस्से का चित्रण करने की कोशिश की है ,क्यूंकि सभी की जिन्दगिया ऐसे
अविस्मर्णीय पलों को सहेजे बैठी है जो किसी को पता न चल जाए इस डर से किसी से नहीं बांटते मेरी कोशिश है उम्मीद है आप को पसंद आएगी जो
एक घिसे पिटे ट्रेक पर कहानी पड़ते है उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी क्योंकि उस में जो सहज है वही मैंने लिखा है जो मेरे साथ घटित हुवा ......
तो हुआ दरअसल यह के मेरी कालोनी शहर के पुराने हिस्से में आती है जहाँ कई पुराने परिवारों की ड्योढ़ी नुमा हवेलियाँ है जो राजवंश से भी जुड़े है,मेरे
घर के सामने एक कंपनी का स्टोर बंद पड़ा था क्योंकि कंपनी अब उसे इस्तेमाल नहीं करती थी | पिछले दिनों साथ में एक टेम्पररी टायलेट भी बना दिया
गया और कंपनी के केशियर जो दक्षिण भारतीय थे अपनी पत्नी के साथ वहां रहने लगे उनका नया मकान कहीं बन रहा था बेटा दुबई में था और बेटी का
कोई नर्सिंग कोर्स पूरा होने को था कंपनी का मालिक पिताजी का परिचित था इस कारण हमारा परिवार उनके कहने पर उनका ख्याल रखता था| जिस से
उनका हमारे वहां आना जाना लगा रहता था अंकल तो पापा से बाहर से मिल कर चले जाते थे अकेलेपन की वजह से अक्सर आंटी हमारे वहां ही होती थी
, कुछ दिनों बाद मेने ग़ोर किया आंटी जब भी हमारे वहां आती मेरे शार्ट्स में उभरे हुवे लैंड को निहारती रहती थी जो उनकी चकनी त्वचा को देख कर
बेकाबू हो जाया करता था , सो अब मुझे भी आंटी में थोड़ी रूचि होने लगी जब भी रात में वोह टायलेट में आती उनके दरवाज़े की आवाज़ सुन के में
बालकनी में आ जाता और जब वो स्टोर में वापस जाने लगती तो खांस या खखार कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा देता लेकिन कभी वोह पलट कर नहीं
देखती |
अभी तक मोहल्ले की कई भाभियों, आंटियों और जवान होती नौकरानियों को में चोद चूका था आंटी द्वारा मेरी यह अपेक्षा मुझ से सही नहीं जा रही थी,
पहले मम्मी कुछ देने या उन्हें बुलाने का कहती तो में टाल देता था पर अब ये हाल था की उनसे मिलने या सामीप्य का कोई मोका नहीं छोड़ता आंटी
को हिंदी नहीं आती थी पर इंग्लिश में काम चला लेती थी कई बार में घर में उनके अनुवादक की तरह भी उन के साथ बैठ जाता था ,
चालीस बयालीस के लपेटे की यह श्यामल भरे भरे बदन वाली बड़े बड़े दूध से भरे शाही कटोरे सीने पर सजाये खुले दावत देते से महसूस होते थे जब
यह गजगामनी गांड मटकाते चलती तो लौड़ा बाबुराम शार्ट्स में कोबरे सा फुंफकारने लगता और बिना उस के नाम की मुठ मारे संभाले नहीं संभलता कभी
कभी उन को छु लेता या बदन का कोई हिस्सा उन से सटा लेता पहले तो चौंक के देखती थी फिर बाद में एसा जताने लगतीं जैसे कुछ हुवा ही न हो
लेकिन कुछ बात बन नहीं रही थी |
लेकिन ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं जिसने चोदने और खोदने को लौड़ा दिया है उसी ने चुतो को भी सूखी खुजली दी है की उस में बोरिंग कर के
पानी निकालें ,पिछले कुछ दिनों से हमारे शहर और फिर मोहल्ले में भी चैन खींचने की घटनाएं बढ गयी मम्मी ने मुझे आंटी को सचेत करने को कहा
क्यूंकि भारत में सबसे ज्यादा सोना ये साऊथ वाली ही पहनती हैं यहाँ तक के उनकी पायल भी सोने की ही होती है पर मैं उन्हें टालते से अंदाज़ में मेने
बिना उन की और देखे कहा अभी जल्दी में हूँ बाद में समझा दूंगा मेरे इस व्यवहार से आंटी को बड़ा अजीब सा लगा पर मम्मी ने इस पर मुस्कुरा कर
माहौल को सामान्य बना दिया ,
कालेज के पहले पहले दिन थे कालेज से लौटकर अभी बाइक स्टैंड पर लगा ही रहा था की पीछे से आंटी ने पुकारा पहले ही कालेज की कमसिन
कलियों ने लोड़े की माँ-भेंन कर रखी थी ऊपर से ठंडी आंटी जो भेन्चोद इतनी गरम है पर बनती है ,ये कहाँ से आ गयी अब इस उभरे लंड को कहाँ
छुपाऊँ भोसड़ी का जींस फाड़ने को बेताब है सोच रहा था पापा फैक्टरी गए है माँ सो रही होगी मज़े से नयी प्लेबाय मैगज़ीन जो आज ही दोस्त से छीन
कर लाया था देखकर मूठ मारूंगा
मुन्ना मांजी सुबह क्या कह रही थी आंटी इंग्लिश में चहकी जब मेने बताया तो देवा देवा कह कर पेट पर हाथ रखा मेने कहा यहाँ हाथ क्यों रखा
तो कहने लगी सारा जेवर थैली में डाल के यहाँ गले में साउथ की स्टाइल में लटका रखा है मेने कहा बताओ तो कहने लगी धत !! जा यहाँ से पर में
जिद पर अड़ गया के साउथ की स्टाइल क्या है,इधर उधर देखते हुवे जब कोई न दिखा तो आंटी ने तो थोडा सा कुरता उठाया थैली किस ने देखना थी
सीधी ऊपर नज़र गयी अन्दर से ब्रेसियर में बंद कबूतरों के दर्शन हो गए या तो इतने ही कड़क हैं या छोटी ब्रा पहनी हुयी है पास जा कर थैली को छूने
लगा तो चिहुँक कर हाथ झिड़का जिस से कुरता हाथ से छूटा तो मेरा हाथ कुरते में रह गया आंटी पीछे हटी तो बैलेंस बिगड़ा और मेरा एक हाथ अन्दर
ही रह गया था उसमे उसका पूरा बूब आ गया झटके से पीछे हटी तो कुरते की वजह से फिर रिबाउंड होकर मेरे पर गिरी तो उन्हें संभालने के चक्कर में
दूसरा बोबा कुरते के बाहर से पुरे हांथ में समा गया ख़ैर संभली और बिना कुछ बोले अपने घर के अन्दर चली गयी .
में भी अपने कमरे में चला गया लेकिन नज़ारा भूले नहीं भूलता चिकनी चमकदार चमड़ी का स्पर्श और चिकना पेट आँखों में घूमता रहा ,
मय्या का भोसडा प्ले बाय मैगजीन की अन्दर आकर आंटी के नाम की इकसठ बासठ चालू कूद के मनी बाहर और असीम शांति का अनुभव.......
हाथरस में जो मज़ा वो किसी और में कहाँ ,आप भी आनंद से बैठो हाथ भी हिलता रहे |
हाथरस में जो मज़ा वो किसी और में कहाँ ,आप भी आनंद से बैठो हाथ भी हिलता रहे |
कल की इस घटना से मेरी फट भी रही थी के माँ से आ के न बोल दे फिर मुझे हंसी आ गयी अनुवाद तो में ही करूँगा घंटा बोलेगी दुसरे दिन आयी तो मेने छेड़ा कल क्या हुवा बता दूँ बोली ज्यादा स्मार्ट मत बनो इशारों से माँ को समझा दूंगी ,में सीधा हो गया यह तो मेरी गुरु निकली मम्मी बोली क्या कह रही मेने कहा कल जो आपने चेताया था ,सावधान किया था उस के लिए आप को थैंक्स कह रही है |
खैर कुछ दिनों बाद दीदी के सुसराल में अचानक कुछ गमी होंने के कारण सब को वहां एकाध हफ्ते के लिए जाना था मम्मी मेरे लिए परेशान थी ,उन्होंने मेरे खाने की बात आंटी से की तो वोह बोली कोई बात नहीं इस की फिकर मत करो फिर दोपहर में सब तैय्यारी में लगे थे आंटी अपना मोबाइल लेकर मेरे पास आयी के देख तो इस में पिक्चर नहीं खुल रही है,में उनसे बिलकुल सट कर बैठ गया और मोबाइल उन्ही के हाथ में देकर बोला आप बाद में कैसे समझोगी आप खुद करो में बताता जाता हूँ और अपना हाथ दीवान पर बैठे बैठे पीछे से चूतड तक ले जाकर उस की दरार पर अंगूठा टिका दिया फिर हाथ थोडा ऊपर सरका कर साइड से आंटी के बूब दबाता रहा कभी ऊपर कभी नीचे लेकिन वोह कुछ न बोली पर जैसे ही गर्दन पर कान के नीचे गर्म सांस छोड़ी चौंक कर एक दम उठ गयी (वो मारा पापड वाले को हर औरत की कहीं न कहीं किसी स्पाट बहुत ज्यादा सनसेशन होता है तो यह है आंटी का कमज़ोर हिस्सा जिस पर एक वार से दीवार भरभरा कर गिर पड़ेगी) और डांटते से अंदाज़ में बोली पर बाबा तू या तो कल तेरे अंकल के सामने ही आना और नहीं तो खिड़की से ही अपना नाश्ता खाना ले जाना क्योंकि तुझ से डर लग रहा है कल तेरे अंकल ने चेतावनी दी है मेरे जाने के बाद दरवाज़ा बोल्ट कर लेना कोई भी खटखटाए मत खोलना क्योंकि वोह कंपनी के काम से शहर के बाहर जा रहें है परसों सुबह ही आयेंगे में सर खुजाते हुए समझ नहीं पाया यह मेरे लिए खुली चेतावनी थी या छिपा आमंत्रण .....
दुसरे दिन परिवार सुबह जल्दी ही निकल गया में सोने का बहाना बनाये बिस्तर पर पड़ा रहा उनके जाने के बाद छिपकर खिड़की से देखता रहा के कब अंकल निकलते हैं जैसे ही वोह गए मैं पहुँच गया आंटी ने कहा देर से क्यूँ आया...चल बोल मसाला रेडी है इडली डोसा उपमा क्या खाना है मैं तो कुछ और ही खाने के मूड में हूँ फिर सर को झटक कर समय बचाने को कह दिया
यह् सब मुझे ज्यादा पसंद नहीं आप तो कुछ फास्ट फ़ूड जैसा करदो
आंटी मेरी आँखों में आँखें डालकर रहस्यमय ढंग से मुस्कुराती हुयी बोली फिर क्या पसंद है | में अन्दर की तरफ बढ़ने लगा तो कहने लगी अन्दर कंपनी का सामान फैला हुवा है यही बेड पर बैठ जा उसी के पास उन का छोटा सा साफ़ सुथरा किचन उन के सुघड़ होने की चुगली कर रहा था आंटी ने एक स्माल डिश ग्लास बाऊल में ढेर सारी कतरी हुयी बादाम, किशमिश, कार्नफ्लेक्स डालकर फ्रिज से ठंडा दूध मिला कर मुझे दे दिया दिया मेने कहा इतनी बादाम डालोगी तो मुझे प्रॉब्लम हो जाएगी ....
क्या प्रॉब्लम हो जायेगी आंटी फिर साउथ की इंग्लिश में फडकी
मैंने कहा - इस के बाद कुछ हो जाता है , आंटी ने फिर वही रहस्यमयी मुस्कान बिखेरी में शर्मा कर नीचे देखने लगा बाबुराम सर पुरी ताकत से ताने कपडा फाड़ कर बाहर निकलने को बेताब था और में शुक्र मना रहा था आज बरमूडा के जींस जैसे मोटे कपडे ने इज्ज़त रख ली वरना..
पर हमेशा की तरह शायद आंटी की नज़र भी वहीँ थी खंखार कर बोली वहां क्या देख रहा है वहां कुछ होता है क्या इधर देख ..
फिर प्याला देते समय आंटी ने दूध मेरे बरमूडा पर जान बूझकर छलका दिया और बिलकुल मासूम सी बनते बोली अरे ! सारी सन्नी पूरा गीला हो गया चलो लाओ इसे उतार दो और अंकल की लुंगी बाँध लो लेकिन जब मैं नहीं माना तो थोड़ी सी नाराज़ हो गयी और कहने लगी मुझे मालूम है तू क्या चाहता है रोज़ में जब रात में टायलेट जाती हूँ तो क्यों खांस के बताता है के तू मुझे देख रहा है घर में भी तू तो मुझ से बहुत चिपकता है आने दे तेरी माँ को शिकायत करुँगी आंटी का नया रूप देखकर गांड फट गयी लौड़ा ऐसे पिचक गया जैसे किसी ने गुब्बारे में पिन मार दी हो उतरा चेहरा और बैठा लौड़ा दोनों को देख कर आंटी ने दूसरा दांव चला बड़ी जोर से हंसी और चहकी अरे सन्नी में तो मज़ाक कर रही थी अच्छा तू मेरी एक प्रॉब्लम साल्व कर दे तेरे अंकल बता रहे थे तुम लोगो का सरनेम होलकर है| पहली बार इसे इंग्लिश में सोचा तो हसी आ गयी होल करने वाले तो तेरे अंकल बताने लगे वैसे तो इंग्लिश से कुछ संम्बंध नहीं पर इनके हथियार बहुत मशहूर हैं मैंने चोंक कर कहा हथियार क्योंकि ये पहले भी कई दोस्तों से सुन चूका था आप को एक बात बता दूँ हमारे पूर्वज पहले इस क्षेत्र पर शासन करते थे अब तो नाम या यह कहें बदनाम ही रह गया है क्योंकि ब्रिटिश राज में एक राजकुमार द्वारा एक वैश्या और उस के आशिक की हत्या में राज परिवार की बहुत थू थू हवी थी हमारे वंश के लंबे लंड और स्तम्भन शक्ति पुरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है दूसरी बात जो शक्ति वर्धक चूर्ण वोह खाते थे उस से लौड़े घातक होकर बहुत देर तक चलते थे बल्कि जिस काग़ज़ की पुढीया में काम शक्तिवर्धक चूर्ण होता था खाने के बाद उसे फेंकते तो उसे उठाने में वहाँ सैनिकों में घमासान हो जाता था क्यूंकि वो कागज़ जो भी उसे चाट लेते थे वोह भी दो दो घंटे अपनी औरतों को चौदते थे |
आंटी के मुंह से हथियार की बात सुनते ही थोडा संभलते हुवे मेने सोचा अब गयी भेंस पानी में अंकल तो आने वाले नहीं और अब गेंद मेरे पाले में है , अगर आज ढंग से नहीं खेला तो यह आंटी कभी हाथ नहीं धरने देगी मैंने पैंतरा बदल कर नयी चाल चलते हुवे अब जो होना है हो जाए थोड़ी हिम्मत करते हुए कहा - इसके दर्शन की अनोखी परंपरा है आप नहीं निभा पाओगी हथियार बिना कपडे के (अनावृत) बाहर निकलने के बाद सर पे छुवा कर प्रणाम करना पढता है, जो फिर कोई बात नहीं कोई भी शीश नवाले पर ?? जब हथियार दूध में नहाया हो तो प्रणाम की स्थिति भिन्न होती है ,दर्शनाभिलाशी को दूध अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करना पड़ता है,आप कहो तो ठीक नहीं तो मैं वैसे ही ठीक हूँ ...
आंटी फिर धत ! कह कर मुंह में अपने सर पर बंधा सफ़ेद काटन का कपडा जो उन्होंने नहा कर बाँधा था हँसते हुए मुंह में ठूंस लिया ,मैंने भी सोचा पांसा सही पड़ा है में उठने लगा की- जा का बरमूडा बदलता हूँ र्नफ्लेक्स घर पर ही खा लूँगा तो आंटी आगे बड़ी शायद इस मौके को वो भी गंवाना नहीं चाहती थीं अचानक मेरे लंड पर हाथ रख कर बोली यही विधि है तो यही सही पर तू अंकल की लुंगी तो बाँध ले कह कर मेरा बरमूडा नीचे खेंच दिया इलास्टिक बेल्ट से टकराते हुवे फट की आवाज़ से लौड़ा बहार कूद पड़ा , आंटी के मुंह से वोव् ! निकला
और अगले ही पल लौड़ा गप से मुंह में भर लिया और चुसना शुरू किया बल्कि ये कहें की जंगली बिल्ली की तरह उस पर झपट पड़ी और ऐसे चूसने लगी लगा काट कर खा ही जायेगी लौड़े की जड़ में चिरमिराहट और जलन हो रही थी मादरचोद रांडो को भी मात कर रही थी
पूरा सरकाते हुवे कंठ तक ले जाती मुंह से जब गुं ...गूं ...की आवाज़ आने लगती और ऐसा लगता यह vomit उल्टी न कर दे , फिर पुच्च की आवाज़ से लौड़ा बाहर उगल देती फिर थू कर के उस पर थूकती फिर चूसने लगती जब पूरा कंठ तक उतार लेती तो उलटी जैसी हालत हो जाती और आँखों में आंसू तैर जाते थोड़ी देर सांस लेने के लिए मुंह से निकालती भी तो हाथ से लगातार रगड़े जाती लोडा ऐसे चूस रही थी डर होता था टूट ही न जाए लेकिन काफी जोर आज़माइश के बाद भी जब कुछ न हुवा शायद आंटी का ब्लू फिल्म का अनुभव भी काम न आया तो उसकी आँखे चमक उठी ,उधर मेरी यह हालत थी के बस ! क्योंकि अगर ये प्यार से चूसती तो शायद में झड भी जाता या फिर शायद रात में आंटी के नाम की मुठ मारने की वजह से अभी तक जोर बना हुवा था थककर प्यार से देखते हुए आँखों ही आँखों में बोली वाकई
"" यथा नाम तथा गुण ""
में ने कहा - आप जबरदस्ती परेशान हुई और मुझे बड़े धर्म संकट में डाल दिया अब में क्या करूँ घर केसे जाऊं किसी ने देख लिया तो , अब जब तक इसको ठंडक नहीं मिलेगी बैठेगा नहीं आप का मुंह गर्म है कहीं और की गर्मी भी उल्टा कांम करती है जैसे टांगो के बीच की गर्मी अब क्या करूँ यह कैसे बैठेगा...
बडबडाते हुवे मासूमियत से आंटी के चेहरे को देखा अब वहां आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे बाल चेहरे पर ऐसे झूम रहे थे जैसे मेघ छोटी सी पहाड़ी के गिर्द घेरा डाले हो गालों के गढे सिल्क स्मिता की सेक्सी इमेज के हर रिकार्ड को तोड़ने में बिजी थे हर सांस पर सीना सुनामी ला रहा था |
आंटी मुझे अपने तरफ ऐसे देखते बोली .... नहीं चल थोड़ी और कोशिश करती हूँ फिर पास की टेबल से एक हाल्स की गोली मुंह में डाली और उसे चूसने लगी हाथ से लौड़ा भी हिलाती जा रही थी किस्मत की बात मेने अच्छा हुवा रात में ही मुठ मार ली थी हाल्स का थूक मेरे लंड पर गिरा कर फिर गरम मुंह और बहार निकलती तो हाल्स के कारण हवा से ठंडा लगता इस ठन्डे गरम से फुरेरी आने लगी और कई बार लगा बस अब छुट हुई के तब वीर्य कूद कर बाहर आ ही jaयेगा जैसा ही ऐसा होने लगता अपना ध्यान इस सब से भटका और हटाकर आंटी को छेड़कर कहता अब कुछ नहीं होगा अब तो सारे छेद भर कर भी नही मानेगा अब ये लेज़र गाईडेड मिसाईल से भी ज्यादा खतरनाक हो गया है , थोड़ी देर कोशिश के बाद हिम्मत टूट गयी और आंटी कहने लगी बस अब मेरा मुंह दुःख गया अब तू जो चाहे कर राजा, में तेरी दासी उन्होंने सर पर कपड़ा कब लपेट लिया था ध्यान ही नहीं रहा हाय मेरी सिल्क स्मिता मैंने दिल में सोचा ,मैंने धीरे से सर का कपडा खोला तो सीले सीले बाल मेरे ऊपर आ गए धीरे से ब्लाउज के बटन को एक उंगली से स्टाईल से उचकाकर खोला तो बूब्स बाहर उछल पड़े , और आंटी माधवी और भानुप्रिया के मिलेजुले रूप में मेरी स्टाईल पर दाद देती सी लगी के राजा बहुत घाटों का पानी पिए लगते हो और आँखों में वोह चमक आयी जो बराबर वाले खिलाड़ी से प्रतिस्पर्धा में आती है|
खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग
जीत गयी तो पीया मोरे ,हारी तो मै पी के संग
द्रविड़ काया मछली जैसी चिकनी फिसलती स्निग्ध श्यामल चमकीली त्वचा
मेंगलौर के बादामी फुल साइज़ कड़क आम उन पर कैरम के बड़े से स्ट्राइकर
के बराबर भुने हुवे ब्रितानिया के डायजेस्टीव बिस्किट जैसा एरोला उस पर
इमली के बीज के बराबर कतई निप्पल जो तन कर कड़क हो रहे थे मेने जैसे ही
ज़बान से गीला कर के होंठों से दबाया और मुंह से चूसकर दांतों से हल्का सा काटते
हुवे अन्दर सक्शन करते चूसा तो आंटी बेदम हो कर कटे तने की तरह मुझ पे गिरती चली
गयी अब मेरे हाथ सरक कर चूतड की दरार पर पहुंचे तो आंटी ने लपक कर
मेरे होंटों पर अपने जलते हुवे भारी होंठ रख दिए और जो चुसना शुरू किया
बीच बीच में ज़बान पुरी की पुरी अपने मुंह में खींच लेती कभी निचला होंठ कभी
ऊपरी कभी जीभ को दांतों से टकरा देती कभी दांतों और गालो के बीच ज़बान लपलपा देती
इस सब से में भी पिघलने लगा लगने लगा इतना सुरीला चूस रही है कही बाहर ही न ढुल जाऊं
मेने फिर ध्यान हटाया और आंटी को धकाते हुवे कहा - ...
आंटी ! दरवाज़ा तो बंद कर दो
तो जैसे उन्हें होश आया जल्दी से उठ कर दरवाज़ा बोल्ट किया खिड़कीयो के परदे
ठीक किये लाइट आफ करी और मेरे पास दीवान पर ही ढुलक गयी
-- सन्नी बाबा यह तुमने क्या कर डाला
कह कर मेरी टाँगे थोड़ी सी चौड़ी करते हुवे पास में सटके बैठते हुवे लौड़ा सहलाने लगी
फिर मुंह में ले कर धीरे धीरे चूसने लगी मैंने भी धीरे-धीरे पेटीकोट जैसा जो साउथ में पहनते है
धीरे धीरे हाथ से ऊपर सरकाना शुरू किया और उनके हिप्स के गोल गोल खरबूजों पर पर
हाथ फेरना शुरू किया तो आंटी ने सरक कर हिप मेरी तरफ कर लिए हाथ फेरते फेरते मैंने अंगूठे और तर्जनी से हलकी सी
क्लिटोरियस/भगनासा/मदन मणि( जो चाहे कह लो मज़ा कम नहीं होगा उस )
पर चुटकी ली तो आंटी का मुंह लंड पर दांत गडाने लगा धीरे से उस गीली रस से झरती चूत
में मैंने धीरे से ऊँगली को घुमाते हुवे जी स्पाट टटोलते हुवे अन्दर अंगूठा डाल दिया और उसके
अन्दर वाले हिस्से को ऊपर की तरफ वाले हिस्से में रगड़ने लगा आंटी ने जांघे सिकोड़ ली कभी
कभी जब थोडा अन्दर होकर नाख़ून उनके गर्भाशय के मुंह से टकराता तो आंटी मेरा हाथ टांगो से
इतनी जोर से दबाती के लगता टूट जाएगा गर्भाशय के मुंह की सरसराहट और लपलपाहट अंगूठे पर
महसूस हो रही थी फिर आंटी सीधी होकर मेरे को लेते हुवे बिस्तर पर सीधी हो गयीं मैंने पेटीकोट का
नाडा खेंचा तो काटन का पेटीकोट नीचे खींचता चला गेa चला गया अन्दर पैंटी नहीं थी
यानि आंटी पहले से तैयार थी आंटी सीधी मुझ पर आ गयी मैंने धीरे से नीचे हाथ डालकर लौड़े का सुपारा
चूत पर टिका कर हल्का सा धक्का दिया आंटी ने सांस बाहर छोड़ कर फुरेरी ली और तमिल में न
जाने क्या बढबढाती हुई धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी अभी वोह पूरा लौड़ा अपनी चूत की गहराई
में नहीं ले रही थी और लगता था काफी दिनों से अंकल ने चुदाई नहीं की थी आधी तिरछी होकर धक्के
लगाती रही फिर मुझे जोर से जकड़ लिया चूत से मुझे कुछ रिसता हुवा सा महसूस हुवा जो जांघों से होता
हुवा आँडूओं पर आया सामने ही पंखा चल रहा था ,मुझे ठंडी सी फुरेरी आयी तभी आंटी ने भारी भारी साँसे
लेते हुवे दो चार झटके जोर जोर से दिए और मुझ को कस कर पकड़ा जिस से मेरे कंधे पर उनके नाख़ून गड़ते से मालूम
हुए और गहरी सांस लेकर मुझ पर बेजान सी लुढ़क गयी,
- आई लव यूं सन्नी बाबा माय डार्लिंग
कह कर उतरने लगी में उसी समय उन्हें लेकर पलट गया अब आंटी मेरे नीचे थी अब
मैंने आंटी के निप्पल जोर जोर से चूसने शुरू किये तो आंटी बिन पानी की मछली की
तरह मचलने लगी मैंने उन्हें थोडा सा ऊपर करके उनकी गांड के नीच तकिया लगा दिया
और टाँगे चौड़ी करके एक ही धक्के में पूरा आठ इंच का हथियार जो उन्हें देखने की तमन्ना
थी सोचा महसूस करा दूँ पूरा का पूरा झटके से चूत में पेल दिया आंटी दर्द से
ऊपर उठने लगी मैंने उन्हें दबा कर होंठों पर होठों को रखकर ज़बान मुंह में डाल दी
उनके नथुने फुले और बैचैन हो गयी और उन्हें सांस लेने का मौका देकर लंड थोडा पीछे
खींच तो आंटी ने खुद ही मुझ आगे खींच लिया लिया अब आंटी भी मेरे हर धक्के के साथ
गांड उठा उठा कर पूरा साथ लेने लग गयी आंटी की चूत से लसलसे फव्व्वारें छूट रहे थे
उनके सर के कपडे से पौंच कर सुखा सुपाडा टिकाया और जोर का झटका दिया तो आंटी तड़प उठी
- वांट टू किल मी(क्या मुझे मारेगा)
और तमिल में कोई गाली दी मैंने फिर थोडा थूक लंड पर लगा कर दुबारा पेल दिया
आंटी के पैर कभी मेरे कंधे पर कभी हवा में थोड़ी देर के घमासान के बाद में कहने लगी ....
--बाबा मेरे पैर दुःख गए
मैं ने डबल बेड जो की किसी इम्पोर्टेड मशीन के पेकिंग बाक्स की लकड़ी से बनाया गया था
आम बेड से काफी बड़ा था उस का भरपूर फायेदा उठाते हुवे उन्हें साइड की करवट दिलाकर ४५ का एंगल
बना कर फिर पीछे से पेलने लगा अपने सर के नीचे तकिया लगा और थोडा दीवार का टेक ले कर अब
दायाँ हाथ उनके नीचे से निकाल कर उस से उनका राईट बूब सहलाता जा रहा था बीच बीच में निप्पल
ऊँगली और अंगूठे से दबा देता तो आंटी के मुंह से न चाहते हुवे भी सिसकारी निकल जाती बाएं हाथ को
ऊपर से लाकर उससे मैं उनका भगनासा अंगूठे से रगड़ता और सहलाता जा रहा था आंटी ने फिर हुंकार
भारी जैसे भागती गाय नथुने फुलाती है तो नाक से आवाज़ और पानी के छींटें झटके से
निकलने लगते है इसी दशा में आंटी फिर ढेर हो गयी मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला
तो आंटी की चूत का माल लंड पर पंखे की हवा से सूख कर पतला कवर जैसा हो गया
जैसे उँगलियों पर वार्निश चिपक जाता है मेरी तरफ देख कर बोली
- एक मिनट सीधा हो जाने दे
मैंने प्यार से उन के तरफ देखा तो वो मेरे लौड़े को तिरछी नज़रों से देख रहीं थी मुस्कुराते हुवे
मैंने उन की बाहों में बाहें डाल कर अपने ऊपर ले लिया फिर उन्हें अपनी टांगों पर बैठा कर
उनकी टाँगे अपने दोनों तरफ डाल ली अब उनके बूब्स मेरे सीने पर टकरा रहे थे उन्होंने अपनी
गर्दन मेरे कन्धों पर टिका दी उनकी सांसो का सीलापन मेरी नाक में समां कर कामवासना और
भड़का रहा था चूत की चिकनाई से मेरे लौड़े का सुपारा अपने आप ही जैसे उनकी चूत में जाने लगा ...
आंटी बोली बस यार क्या मारेगा !
इस पर मैंने उन्हें अपने ऊपर से उतारा तो उन्होंने सोचा अब ब्रेक लेकिन मैंने उन्हें उनके लेटने से
पहले ही हवा में पकड़ लिया और उन्हें घोड़ी बनाकर दोनों तकियों पर उनकी कोहनी टिकवा दी
और पीछे खड़े होकर उनकी पीठ सहलाने लगा फिर धीरे से घुटनों के बल बैठकर पीछे से आगे
उनकी चूत में लौड़ा पेल डाला तो अब इस स्टाईल में चूत इतनी टाईट हो गयी के मुझे लगा अब
गया दस बारह लगातार झटको के बाद जब लंड बाहर निकला तो परर की आवाज़ के साथ चूत
से हवा निकल पढ़ी दोनों को हंसी आ गयी मैंने फिर चूत को पौछा और जोर से झटका दिया तो
आंटी फिर अनाप शनाप गाली बकने लगी बाहर निकाल कर लौड़े पर थोडा थूक लगाकर फिर
पेलना शुरू किया अब मेरा थूक से गीला अंगूठा आंटी की गांड पर खेल रहा था धीरे से पोर अन्दर
किया तो आंटी तड़प उठी वाव ! यह तो कुंवारी गांड है इसके बाद में मज़े लूँगा इसके बाद झुककर
आंटी के बूब पकड़ कर मसलने लगा अब आंटी खुद ही चूतड पीछे धकलने लगी और हर धक्के
पर पट पट की आवाजा से मेरे आँडू आंटी के चूतड के गाल और जांघ के संधिस्थल से टकराने लगे
१० या १२ धक्को में में भी झडते हुवे मुंह से हुंकार भरती सी आवाज़ निकालते हुए वही आंटी पर ढेर
हो गया आंटी पता नहीं क्या तमिल में बडबडाती रही फिर इंग्लिश में कुछ पूछा जो मुझे याद नहीं
मुझ पर नशा सा छाता गया और में बिलकुल बेहोशी की नींद में सो गया दो ढाई घंटे बाद लंड पर
नरम गरम गरम से अहसास से नीद खुली आंटी मेरे लंड को चूस रही थी जो आज की धक्कम पेल
में सुजा सुजा सा लग रहा था और बैठे होने के बाद भी बड़ा बड़ा सा लग रहा था इसके बाद भी
कई साऊथ वालियों से पाला पड़ा लेकिन सब की चूत में जहा अन्दर चूत की नाल समाप्त हो कर
गर्भाशय शुरू ही होता है वहां मॉस या नरम हड्डी सा कुछ उभार होता है लंड जब भी उस से रगड़
खाता है तो चुदाई का अलग ही मज़ा आता है एसा लगता है आप के लंड को कोई अन्दर दबा रहा है ......
यह यौनशास्त्रियों और एनाटामी फिजियोलाजी शरीर विज्ञानियों के लिए यह शोध का विषय हो सकता है
उसके बाद पुरे हफ्ते आंटी ने मुझे नहीं छोड़ा कई कई स्टाइलों में रात में दिन में मेरे घर में उनके घर में
बाथरूम रसोई घर कबाड़ रखने वाली जगह बाद में कई बार उनके नए घर पर काम की प्रगति देखने के बहाने
भी...
उस दिन मोबाइल में आंटी की बेटी को देखा था रूपवती बिलकुल
रेवती और अमला का मिलन लग रही थी देखें अब होलकर का ड्रिल कहाँ चलता है _____________
....................
*the end *
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