Monday, May 5, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी जिंदगी--13

 FUN-MAZA-MASTI

 मेरी जिंदगी--13

 अभी तीनो की साँसे संभली भी नही थी की कुछ आवाज़ें आनी सुनाई देने लगी भावना और राजेश ने फटा फट अपने कपड़े ठीक किए और और टेनो फिर पानी में चले गये ताकि जिस्म से रेत उतर सके.

अपने जिस्म को जब तक ये लोग सॉफ करते एक जोड़ा वहाँ पहुँच गया और जैसे ही भावना की नज़र उस जोड़े में में जो औरत थी उसपे पड़ी वो चीख पड़ी रोज़..........

उस औरत का धयान भी जब भावना पे गया तो वो भी चीख पड़ी भावना तू.........

भावना पानी से बाहर निकली और रोज़ के गले लग गयी रोज के साथ उसका पति विमल था.

दोनो एसे चिपकी थी आपस में जेसे पति पत्नी हों बाकी लोग इन दोनो को देखते रहे फिर जब दोनो को होश आया तो दोनो अलग हुई और सबका आपस में परिचय करवाया विमल की निगाहें भावना के हुस्न को निहार रही थी जिसे राजेश नोट कर रहा था और अंदर ही अंदर उबल रहा था. सीमा ने राजेश की दशा को समझ लिया और भावना रोज़ की बातों का सिलसिला तोड़ चलने के लिए कहा - भावना ने रोज़ को शाम को डिन्नर पे मिलने के लिए कहा और तीनो अपने रूम की तरफ चल पड़े - विमल जाती हुई भावना को पीछे से घूर रहा था जिसे रोज़ ने पकड़ लिया.

'ए मिस्टर ये क्या हो रहा है - बीवी यहाँ है और तुम उसके सामने ही किसी और को घूर रहे हो'

विमल सकपका गया

'यार जब कोई खुद सामने आ जाएगा तो क्या आँखें बंद कर लूँ'

;हाँ हाँ सब जानती हूँ - सारे मर्द एक जेसे होते हैं'

'अरे नही मेरी जान - तुम ग़लत सोच रही हो' और विमल ने वहीं रोज़ को दबोच लिया और चूमने लग गया.


रोज़ विमल के साथ उसी होटल में रुकी हुई थी और डिन्नर से पहले दोनो मिलती हैं जब राजेश और सीमा थकान की वजह से सो गये थे और विमल भी सो गया था.

रोज़: कैसी है यार और जिसको तूने अपना पति कह के मिलवाया है वो........

(रोज़ जानती थी भावना की शादी पहले किससे हुई थी)

भावना : यार तुझ से क्या छुपाना (और भावना रोज़ को सब कुछ बता देती है कैसे राजेश के साथ उसकी शादी हुई)

भावना की बात सुन कर रोज़ की आँखें फटी रह गयी और वो कुरेड कुरेड कर पूछने लगी और भावना सब बताती चली गयी.

रोज़ : वाह क्या जिंदगी है तेरी भी, प्यार करने वाला मिला तो अपना बेटा ही.

भावना : अब वो बेटा नही मेरा पति है और मेरी रग रग में समा चुका है, तू नही जानती वो मुझे और मा को कितना खुश रखता है. दुख क्या होता है जब से उसके साथ जुड़ी हूँ इसकी परछाई भी नही पड़ने दी उसने. पहले मेरी और मा की भावना और इच्छा का आदर करता है फिर अपने बारे में सोचता है. सच तू तो जानती है मेरी क्या जिंदगी थी - पर सच कहूँ तो राजेश ने मेरी जिंदगी फूलों से भर दी है. अब किसी भी तड़प का एहसास नही रह गया है उसके प्यार में एसे रम गयी हूँ जेसे मीरा कृष्ण के प्यार और भक्ति में थी.

रोज़ हैरान हो कर उसकी बातें सुन रही थी. वो तो ये सोच कर आई थी की अपने पति विमल की इच्छा पूरी करेगी एक बार भावना को उससे चुद्वा कर, पर भावना की बातें सुन कर उसकी हिम्मत ही नही पड़ी इस बात को छेड़ने की.

रोज़ ने फिर भी एक आखरी कोशिश करी.

रोज़ : यार तूने स्वेपिन्ग के बारे में सुना है.

भावना : ओह! तेरी पति की नज़रें मैने देख ली थी. पर भूल जा एसा कभी कुछ होगा. हम दोनो जिस्मो से नही आत्माओं से भी बँध चुके हैं. भूल कर ये बात फिर कभी मत करना वरना मैं भूल जाउंगी की तू कभी मेरी दोस्त थी.

भावना गुस्से में आ कर वहाँ से चली गयी और रोज़ को लगा की उसने अपनी इक्लोति दोस्त को खो दिया क्यूंकी वो अपने पति की कुंठित इच्छा को पूरा करना चाहती थी.

जाने से पहले भावना रात की डिन्नर जो रोज़ और उसके पति के साथ था वो केन्सल कर गयी.

भावना जब अपने कमरे में पहुँची तो राजेश जाग चुका था उसने सॉफ सॉफ महसूस कर लिया था की भावना तनावग्रस्त है.

उसने भावना को अपने पास बुलाया - भावना थोड़ी देर के लिए एकांत चाहती थी पर वो चाह कर भी कभी राजेश को ना नही कर सकती थी. सकुचाती हुई वो राजेश के पास जा कर बैठ गयी .

'क्या बात है जान - बड़ी चिंतित दिख रही हो?'

'नही तो - एसी कोई बात नही'

'देखो जानेमन तुम कितना भी झूठ बोल लो लेकिन तुम्हारा ये जो सुंदर चेहरा है ना ये सब बता देता है'

और भावना एक अंदर का संताप बाहर निकल पड़ा वो बिलख बिलख के रोने लगी.

राजेश ने उसे सीने से लगा लिया और जी भऱ के रोने दिया.

कुछ देर बाद ' बस अब बहुत रो ली क्या हुआ है बोलो?'

भावना राजेश से कभी झूठ नही बोल सकती थी और उसके मुँह से वो सब कुछ निकल गया जो रोज़ के साथ उसकी बात हुई थी.


शादी के बाद, राजेश भावना को जानू या उसके नाम से ही बुलाता था. आज जब भावना को इतना टूटते हुए देखा तो उसका दिल पसिज गया.

'जानेमन ये आज की दुनिया का नया दौर है जहाँ कुछ लोग जब आपस में सेक्स को नीरस समझने लगते हैं तो स्वेपिंग का सहारा लेते हैं - और ये दोनो की मर्ज़ी से होता है बस एक रात के लिए एक नया लंड और एक नयी चूत - अगर तुम्हें अपनी सहेली की बात बुरी भी लगी तो इसमे रोनेकी क्या बात है बस मना कर देती उसे - तुम्हारी दोस्त ही तुमसे खुल के बात नही करेगी तो कौन करेगा- और तुम्हारी दोस्ती तो दोस्ती की भी हदेंतोड़ चुकी है जो तुम आपस में कर चुकी हो उसके बाद अगर उसने अपना दिल तुम्हारे सामने खोला तो उसमे उसकी क्या ग़लती '

भावना हैरानी से राजेश के मझे हुए विचारों को सुन रही थी.

'तुम क्या चाहते हो?'

'सिर्फ़ तुम्हारी खुशी'

और भावना राजेश के साथ चिपक गयी.

'मुझे जो चाहिए था वो मिल गया और मुझे एसी बकवास तोर तरीकों पे गुस्सा आता है -
जब आपस में प्यार होता है तो कोई भी औरत या मर्द एक दूसरे से उब नही सकते - ये सब व्यभिचार को बड़ाने का एक ड्रामा है'

'जानेमन ये फोलस्ोफी छोड़ो और मेरे पास आओ' भावना उसके पास आती है और दोनो के होंठ एक दूसरे का रस चूसने लग जाते हैं.

और फिर वही होता है जो पति पत्नी के बीच होता है या एक मर्द और औरत के बीच होता है.

क्यूंकी राजेश सेट्ल हो चुका था गोआ की छुट्टियों में ही इन दोनो के बच्चे की नीव रखी जा चुकी थी - यानी नो महीने बाद ये दो नही तीन हो जाएँगे.

रही बात सीमा के अकेलेपॅन की तो भावना के बहुत ज़ोर देने और समझाने के बाद सीमा और राजेश का भी जिस्मानी रिश्ता बन जाता है.

तीनो हसी खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं और चोथे के आने का इंतेज़ार करते हैं.
 







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