Monday, May 5, 2014

FUN-MAZA-MASTI भावनाओं की एक जंग

FUN-MAZA-MASTI

 भावनाओं की एक जंग
 एक उग्र पुरुषसतावादी जिससे खास मज़ा मिलता है अपनी बीवी को धोखा देने में. एक कर्तव्य प्रायण पति जो धेर्यपुर्वक अपनी पत्नी का इंतेज़ार कर रहा है, की वो अपनी दुखद भावनाओं से बाहर आ सके जो उसे अपने पिछले टूटे हुए संबंध से मिली, एक फ्लर्ट लड़की जो ऑफीस में रिसेप्षनिस्ट है पर वास्तव में कॉल गर्ल है, एक उत्साही गे जो हमेशा अपने शिकार की खोज में रहता है.

ऐसे ही कुछ लोगो से घिरा हुआ है राजेश 29 साल, जो एक मॅट्रिमोनियल वेबसाइट की कंपनी में एड सेल्स मॅनेजर है. राजेश एक मोह भरी जिंदगी जी रहा है, इस मेहतावकांक्षा के साथ की उसे उसकी 'पर्फेक्ट वुमन' मिलेगी जिससे वो प्यार कर बैठेगा.

नियती उसे एक अपने से बड़ी औरत से मिलाती है, जो अपनी शादी शुदा जिंदगी से खुश है , और इस औरत में वो अपनी 'पर्फेक्ट वुमन' ढूँडने लगता है. जिंदगी की कड़वी सचाई से दूर वो खाब देखने लगता है, और अपने आवेग में आगे बॅडने लगता है, जो जिंदगी को एक भयानक मोड़ पे ले आती है - *एक ऐसा उलझा हुआ रिश्ता उस औरत और इसके बीच में.


राजेश और निशा का रिश्ता मुंबई के एक मान्सून वाले दिन अपना सर उठता है , पहला दिन मान्सून का, जब राजेश को मुंबई की बारिश का अनुभव होता है, मुंबई के बारे में कुछ अनुभव होते हैं -- जो इस यूटोपिया को एक अवास्तविक अनुभव में तब्दील करता है.

क्या राजेश का रोमॅन्स कभी केयिमेरा और अक्च्युवालिटी के बीच में एकरूपता ला पाएगा?*

ये कहानी अगर दिल से पड़ोगे तो जिंदगी का एक आईना दिखेगा और तुम्हारा जिंदगी की तरफ नज़रिया बदल जाएगा .



 सोमवार का दिन, केवल 10 केयेम का रास्ता घर से अंधेरी में ऑफीस तक, राजेश को हमेशा 25 मिनट ही लगते थे. आज ऐसा लग रहा था की ये रास्ता कभी ख़तम ही नही होगा. आज कुछ ऐसा ज़रूर था जो ठीक नही था, कुछ मिस्सिंग सा लग रहा था. इतना अशांत वो कभी नही हुआ. कुछ ना कुछ अड़चने आती जा रही थी अभी आधा रास्ता भी तय नही हुआ था और उसे लग रहा था जैसे जन्मों से बाइक चला रहा हो. उमसदार वातावरण उसके गुस्से को चार चाँद लगाने लगा. हर सिग्नल पे रुकना पड़ता और वो ‘टाइमिंग’ को गाली देता. हाँ ये ग़लत टाइमिंग की ही बात है, वरना इतने सारे झंझट एक साथ कैसे और वो भी अचानक.

राजेश दरअसल एक हफ्ते बाद ऑफीस जा रहा था. उसकी सगाई पंजाब की एक खूबसूरत लड़की सिमिरन के साथ पिछले हफ्ते हुई थी.

उसे मालूम था जिस मॅट्रिमोनियल वेबसाइट कंपनी में वो एड.-सेल्स मॅनेजर है वहाँ सब उसकी बॉल की खाल निकाल निकाल कर सवाल करेंगे. और यही वो बिल्कुल नही चाहता था.

शादी नाम सोच कर ही लोग नयी आने वाली जिंदगी के बारे में कल्पनाएं करने लग जाते हैं, एक नयी उमंग, एक नया उत्साह उनमे भर जाता है, लेकिन राजेश के लिए ऐसा नही था. ये सगाई उसने ज़बरदस्ती अपने मा बाप के कहने पे करी थी जो अमृतसर रहते हैं. सगाई के बाद ही खुश होने की जगह एक एक कर के सारी उलझने सामने आने लगी जो उसकी जिंदगी की किताब में दबी पड़ी थी.

क्या वो शादी करने के लिए मानसिक रूप से तयार है? क्या सिमिरन उसके लिए सही लड़की साबित होगी .क्या उसका ताल मेल उसके साथ बैठ जायगा, क्या वो उसके साथ एडजस्ट कर पाएगी, या वो खुद उसके साथ एडजस्ट कर पाएगा. क्या आज की दुनिया में अरेंज्ड मेरीज कामयाब होगी? पता नही क्या क्या सवाल उसके दिमाग़ में उठने लगे जिस की वजह से कभी कभी वो कहीं और खो जाता और उसकी एकाग्रता पर फरक पड़ने लगा. इस कारण वो रेड लाइट क्रॉस कर गया, शुक्र है कोई एक्सीडेंट नही हुआ, लेकिन कॉन्स्टेबल ने बहुत खुश हो कर,उसकी बाइक का नो. नोट कर लिया. और राजेश बाइक दोधाता चला गया, कॉन्स्टेबल की हरकत को नज़र-अंदाज करते हुए,जो होगा देखा जाएगा.

पुलिस कहीं रोक ना ले इस लिए उसने अपनी स्पीड बड़ा दी. अभी मुश्किल से 1केयेम ही आगे गया था की बाइक रोकनी पड़ी, सामने लोकल एमपी का जालूस जा रहा था जो उसके 15 मिनट खा गया. मज़े की बात ये वो एमपी उसी सरकार के खिलाफ जलूस निकल रहा था जिसका वो खुद मेंबर था.

इस रुकावट की वजह से उसके दिमाग़ में फिर कई सवाल खड़े हो गये अपनी मंगेतर सिमरन के बारे में और अपने बॉस मूर्ति के बारे में. आगे बॅडने पे एक एक कर हर सिग्नल पर उसे रुकना पड़ा जो, रोज उसे हरी झंडी दिखाया करते थे. ऐसा लग रहा था जैसे उसके खिलाफ कोई षड्यंत्र किया जा रहा हो – ‘बेड टाइमिंग’.
हर सिग्नल पर जब बाइक रुकती तो वो अपनी शक्ल बेकवयू मिरर में ज़रूर देखता . अपनी लुक्स के लिए बहुत ही कॉन्षियस था.

कुछ देर बाद उसे बहुत ही कष्ट सा महसूस होने लगा. एक डर दिमाग़ में घर कर गया. सोचने पर महसूस किया की डीहाइड्रेशन हो रही है. पर ऐसे क्यूँ हो रहा है, शायद आज बहुत पसीना आ रहा है इसलिए. दोपहर से पहले ही तापमान 39 को छू रहा था और उमस भी बहुत ज़यादा थी.उसकी दिमागी हालत और बिगड़ने लगी जैसे जैसे उसे और पसीना आता गया.


अपनी बाइक पे चलते हुए , वो उमीद कर रहा था की इस जानलेवा गर्मी से कब छुटकारा मिलेगा, कब मुंबई का मान्सून शुरू होगा.ये उसका पहला मान्सून होगा मुंबई में. उसने मुंबई की बारिश के बारे में बहुत सुना था और हिन्दी मूवीस में बहुत देखा था. अब मई के आखरी हफ्ते में, मुंबई की तिल्लसिमि बारिश ज़यादा दूर नही थी, कुछ ही हफ्तों में शुरू हो जाएगी.

कुछ पल के लिए उसने सिमरन और खुद को इस बारिश का मज़ा लेते हुए सोचा.फिर इस ख़याल को दिमाग़ से झटक दिया, क्या वो दोनो सच में रोमॅंटिक लगेंगे मुंबई की बारिश में भीगते हुए – जैसे शाह रुख़ और काजोल लगते हैं दीलज में.

कोई भी अगर उसके दिमाग़ में घूमती हुई इन बातो को जानता तो निसंदेह उसे पागल करार कर देता.
ऐसा ही हाल था उसके दिमाग़ का जब वो ऑफीस से कुछ ही दूरी पर था.

जब राजेश ऑफीस में घुसा तो उसने ऑफीस काफ़ी खाली पाया. कम से कम एक तिहाई स्टाफ गायब था. अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ पायल – रिसेप्षनिस्ट- ने उसका स्वागत किया. राजेश को कुछ गड़बड़ लग रही थी और पायल की बत्तीसी से कुछ पता नही चलने वाला था. वो आर्यन के ऑफीस की तरफ लपका तो ऑफीस खाली था.

‘आर्यन साहिब, बड़े बॉस के कॅबिन में हैं’ पियन ने बताया.
आर्यन के ऑफीस में बैठ कर वेट करना ही उसे उत्तम लगा, ताकि बड़े बॉस का सामना करने से पहले करंट स्तिथिति का पता चल जाए. एर कंडीशंड ऑफीस में वेट करते हुए भी वो पसीने से सराबोर हो रहा था, और बाहर की गर्मी से ज़यादा पसीना तो एसी में आ रहा था. शादी.कॉम के लोगो को घूरते हुए वो तनावग्रस्त होते हुए अपने नाख़ून चबाने लगा.

शादी.कॉम का दावा था की कम से कम 10000 शादिया दुनिया भर में इस पोर्टल के द्वारा हुई हैं और 2 मिलियन से ज़यादा रिजिस्टर्ड लोग हैं 


 एक कमर्षियल कॉंप्लेक्स के तीसरे फ्लोर पे इनका ऑफीस है, छोटा ऑफीस लेकिन प्लॅनिंग अच्छी है.
ऑफीस का दरवाजा खुलते ही सामने पायल बैठती है अपनी जादुई मुस्कान लिए जो हर आनेवाले का दिल मोह लेती है. ऑफीस का एक पार्ट मार्केटिंग और फाइनान्स की लिए है जहाँ 4 कॅबिन बने हुए हैं उनमे से एक राजेश का है एक आर्यन का जो सि.ए. है और राजेश का दोस्त भी. दूसरे हिस्से में जमघट है लड़कियों का जो वेब डिज़ाइनिंग, मेंटेनेन्स, सबस्क्रिपशन लेना वगेरा वगेरा करती हैं. रिसेप्षन के पीछे एक छोटा कॅबिन है जहाँ दो लोग बैठ सकते हैं एडिटोरियल टीम के पर अभी सिर्फ़ एक ही है समीर.

मेज़. फ्लोर पे सि.इ.ओ. का ऑफीस है एक कान्फरेन्स हाल है जो मीटिंग वगेरा के लिए इस्तेमाल होता है, लोग वहाँ लंच भी कर लिया करते हैं.

किसी के आने की आवाज़ से राजेश यथार्थ में वापस आता है. गर्दन घुमा कर देखा तो आर्यन था. ‘अरे कब आया भाई, बहुत खुशी हुई तुझे देख के’ खुशी प्रकट करते हुए आर्यन राजेश के गले लगता है.

‘बस अभी थोड़ी देर पहले, क्या पंगा है मूर्ति का, सुबह तो तुम्हारी कभी उसके साथ मीटिंग नही हुआ करती थी, सब ठीक तो है’राजेश के आवाज़ में चिंता और उत्सुकता दोनो ही थे.

‘तुम्हें तो पता ही है उसके बारे में, हर वक़्त टेन्षन – छोड़ उसे – ये बता तेरे साथ क्या हुआ’

अपने ही ख़यालों में राजेश ने पूछा – ‘यार ये ऑफीस आधे से ज़यादा खाली लग रहा है’

कुछ देर आर्यन ने सोचा क्या जवाब दे ‘ जैसा की तुझे पता ही है, जब से लीवर ने फाइनान्सिंग बंद करी है मुस्किलें बॅड गई हैं और मजबूरन स्टाफ को निकलना पड़ा’

राजेश का चेहरा पीला पद गया अपने सामने उसे पिंक स्लिप नज़र आने लगी – ए.ड. सेल्स मॅनेजर की ज़िम्मेवारी होती है ए.ड. रेवेन्यूस लाने की जो ऑफीस की रीड की हड्डी का काम करती है.

पिछले कुछ महीनो से ए.ड. रेवेन्यू ना के बराबर थे. काफ़ी अच्छे क्लाइंट दूसरी वेबसाइट्स पे शिफ्ट कर गये थे , फिनँसेर भी हट गया था तो अब सारा भार राजेश के काम पर ही पंडा था यानी उसे ए.ड. रेवेन्यू बड़ाने थे इतने कॉंपिटेशन के होते हुए भी.

आर्यन और राजेश बातें कर ही रहे थे की पीछे से आवाज़ आई ‘ ओए हुए तू वापस आ गया, क्या चम्क है चेहरे पे लगता है सिमरन का जादू चॅड गया तेरे पे’ कहते हुए समीर राजेश को गले लगा लेता है.

समीर भी पायल की तरहा हमेशा मस्त रहता था कोई चिंता नही , फरक बस इतना था की कंपनी में उसकी पोज़िशन थी.

बाकी स्टाफ के लोग भी राजेश को सगाई की मुबारकबाद देते हैं जो वो फीकी मुस्कान के साथ मंजूर करता है और फिर अपने दोस्त आर्यन और समीर के साथ बातें करने लगता है.
सॉफ दिख रहा था राजेश सगाई से खुश नही है.

‘समझ में नही आ रहा मैं शादी का फ़ैसला कर के ठीक कर रहा हूँ या नही. एक तो मैं सिमरन के बारे में कुछ ज़यादा जानता नही और दूसरा जो थोड़ी देर उस से मिला तो मेरे टाइप की नही लगती…..’

‘क्या मतलब तेरा – तेरे टाइप की’ आर्यन ने कुरेदा.

‘देख पहले तो उसका रंग सांवला है जब की मैं हमेशा अपनी बीवी को गोरी होने के खाब देखता था’
समीर ने झट इस बात को कूड़े दान में डाल दिया की बकवास सोचता हूँ मैं ‘ तू पागल है साँवली लड़कियों में जो सेक्स अपील होती है वो गोरी लड़कियों में नही – रेखा और बिपाशा को ही देख सब मरते हैं उनपर उनका सांवला पन ही उनका चार्म बड़ा देता है और बिस्तर पे तो वो धमाल मचाती हैं, मेरा खुद का एक्सपीरियेन्स है’
‘अबे तू ये कैसे कह सकता है’ आर्यन ने मुखॉल उड़ाते हुए कहा.

‘यार गोरी लड़कियों के भाव हम लड़कों ने बड़ा रखें हैं जिन्हें गोरी चॅम्डी ज़यादा अच्छी लगती है, डार्क कॉमलेकक्स्षन वाली लड़कियाँ किसी भी हद तक जाएँगी हमारी फॅंटसीस को पूरा करने के लिए’ बड़े ही कॉन्फिडेन्स के साथ समीर बोला अपना वास्ट एक्सपीरियेन्स जताते हुए.

राजेश सोचने लग गया लेकिन आर्यन ने बहस करते हुए कहा ‘ यार तेरी ये रिसर्च किसी सेक्शोलॉजिस्ट को ही ठीक लगेगी, लेकिन जिंदगी में हर चीज़ सेक्स की आगे पीछे नही घूमती.’

‘शर्त लगा – बहुत फरक पड़ता है, यार तुम्हारी बीवी के साथ में कुछ भी डिफरेन्सस हो सकते हैं , लेकिन जब वो बिस्तर में तुम्हें खुश करती है तो सब कुछ पीछे रह जाता है और तुम बाहर झाँकोगे भी नहीं, लेकिन अगर बिस्तर में वो तुम्हें खुश नही रखती तो बिल्कुल उल्टा ही होगा’

संशय के साथ देखते हुए, राजेश , समीर की धारणा पर शक़ करने लगा, उस विषय पर जिसपे समीर को महारथ हासिल थी.

उसके दिमाग़ में खिचड़ी पक रही थी , एक सवाल उठ रहा था – किस तरहा दो विभिन्न और खास स्वाभाव वाले प्राणी – बिस्तर पर एक दूसरे के साथ सब कुछ भुला कर सेक्स का आनंद लेंगे.

क्या एक दूसरे के स्वाभावों में अनुकूलता अनिवार्य नही एक मर्द और एक औरत के बीच विवाहिक बंधन में बँधने से पहले? ताजुब के साथ राजेश सोच रहा था.

विपरीत सेक्स के बारे में अपने ज्ञान का राजेश कायल था, समीर आज पहली बार उसे ग़लत लग रहा था.
सावभावों की अनुकूलता के बिना बिस्तर पे एक रोमचक सेक्स की कल्पना - कतई भी मुमकिन नही.
क्या होगा अगर एक को मजेदार संभोग की पूर्व क्रीड़ा में उत्सुक हो और दूसरा बस फटाफट संभोग कर छुटकारा पाना चाहता हो?

ओर क्या होगा अगर एक पहले प्यार भरी सेडक्टिव बातें करना चाहता हो जिस्मो को छूने से पहले और दूसरा सिर्फ़ शांत रहे कोई भाग ना ले ?

ऐसे ना जाने कितने सवाल उसके दिमाग़ में कोंध रहे थे जिनका जवाब सिर्फ़ कर के ही पता चलेगा और इसका मतलब है वास्तव में पहले शादी करना – और ये संभावना उसके लिए ख़तरों की लडियाँ लगा रही थी.

गतिरोध को अव्रुध करने के लिए आर्यन ने पूछा ‘ चलो वो तो एक कारण हुआ, दूसरा कारण क्या है जो तुम्हें सिमरन के प्रति आशंकावान कर रहा है.’


राजेश वान्ग्मय रह गया इस डर के कारण कहीं उसका फिर से मज़ाक ना उड़ाया जाए.
क्यूँ क्या हुआ’ समीर ने एक कॉन्स्टेबल की तरहा सकती से पूछा.

‘ देखो सच में मुझे वो एक मूक लगी – टोटली डंब यार, उसे यू.के. के एलेक्शंस तक के बारे में कुछ नही पता था. और बस उसकी बुधिमता को जाँचने के लिए मैने उस से कॅपिटल पनिशमेंट के बारे में पूछा तो ऐसे देखने लगी जैसे मैं चाइनीस में बोल रहा हूँ’

राजेश जैसे जैसे अपनी कहानी उनको सुना रहा था उसे लगा आर्यन और समीर दोनो ही उसे घूर रहे थे जैसे अभी अभी चिड़ियाघर से छूट के आ रहा हो.

‘तुम से ज़यादा अकल्मंद कोई दुनिया में पैदा भी हुआ है’ आर्यन ने उसका मज़ाक उड़ते हुए कहा.

समीर तो पागलों की तरहा हस्ने लगा ‘ तू क्या उसका सरकारी नौकरी के लिए इंटरव्यू ले रहा था’

तभी पियन वहाँ आ गया – ‘मूरती साहिब ने बुलाया है अभी इसी वक़्त’ उसने राजेश को बताया.
मुसीबत को भाँपते ही राजेश फटाफट मूरती के कॅबिन की तरफ भागा – जैसे फ़ौजी जनरल के पास जाता है . आर्यन और संमेर दोनो ही एक मत थे राजेश पे गिरने वाली बिज़ली के बारे में सोच कर.

***

मूरती, कंपनी का फाउंडर और सि.इ.ओ, छोटी हाइट,पेट निकला हुआ,गहरा भूरा रंग आँखों में चस्मा.अभी तो सिर्फ़ 40 ही क्रॉस किया है पर लगता 50 से उप्पर है. अब मूरती ने ये कंपनी कैसे शुरू की उसके साथ क्या क्या हुआ, उसमे ना जाते हुए हम राजेश के साथ ही रहते हैं. मूरती ने राजेश को बधाई देने तो बुलाया नही.

राजेश कॅबिन में घुसता है और मूरती उसे 15 लाख का एड रेवेन्यू का टारगेट दे देता है वो भी दो हफ्ते के अंदर.राजेश ने सोचा 5 लाख होगा, 15 तो मज़ाक में बोल रहा है.

‘और अगर तुम ये टारगेट पूरा नही करते तो ये कंपनी मुझे बंद करनी पड़ेगी’

एक बुरी खबर की तरहा राजेश ने ये झटका सहा और उसके दिमाग़ में ‘बेड टाइमिंग’ ने फिर जड़ें पकड़ ली.
रात भर चिंता के कारण राजेश सो ना सका और सुबह होने में देर ना थी की उसे नींद आ गई.

बिस्तर पे लेटे उप्पर घूमते पंखे को देखता रहा और जाने क्या क्या विचार और चेहरे उसके डिमाँग में घूमने लगे. अपनी जिंदगी उसे इस पंखे की तरहा बिना किसी मकसद के घूमती नज़र आनी लगी.

कभी सिमरन के अल्फ़ाज़ याद कर उनका मतलब जानने की कोशिश करता तो कभी बॉस के दिए हुए टारगेट के बारे में सोचता. अंत में सोचा की दूसरी नौकरी अब ढूंडनी ही पड़ेगी. पर ब्राइड का क्या? क्या वो सारी जिंदगी सिमरन के साथ गुजारने के लिए तयार है. कुछ जवाब नही था उसके पास.

कभी अपने मा बाप के उप्पर गुस्सा आता जिन्होंने शादी उसके सर पे थोप दी. अभी 29 का ही तो हुआ हूँ, ये टाइम तो मज़े करने का है अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का है. उसके शहर की बात और है पर मुंबई जैसे शाहर में कौन 29 की उम्र में शादी करता है. इस उम्र में तो पैसा आना शुरू होता है और मोज मस्ती की जाती है. फिर मा बाप के साथ सहानुभूति भी हुई, उन्होने ने तो पूरी छूट दे रखी थी अपना केरियर जैसा वो चाहे बनाने की. क्या उनका कुछ भी हक़ नही उस पर जहाँ तक उसकी शादी का सवाल है?

मा बाप ने तो उसे पूरी छूट दे रखी थी अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के लिए पर समय की सीमा भी बाँध रखी थी. पर राजेश ही टालता रहा टालता रहा और उनके लिए वो समय आ चुका था जब राजेश को हर हालत में शादी कर लेनी चाहिए. इसलिए उसके पिता ने अपने दोस्त की बेटी सिमरन के साथ उसकी सगाई कर दी.
 




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