Sunday, May 4, 2014

FUN-MAZA-MASTI नौकरी हो तो ऐसी--19

FUN-MAZA-MASTI

  नौकरी हो तो ऐसी--19

  गतान्क से आगे…………………………………….
अब तीनो थोड़े सुस्त हो गये और अपने कपड़े पहेन के निकल लिए… उनके पीछे ताइजी का पति निकल गया और अब बस बची थी मैनी जी - वो हल्केसे उठी उसने अपनी सारी के पल्लू से बुर से निकल रही लार को पोछा और सारी पहेन ली और ब्लाउस चढ़ा लिया ….और निकलने लगी… बोरियो का सहारा लेते हुए हल्के हल्के वो पिछले दरवाजे की तरफ बढ़ रही थी…. उसकी चाल से ये ज़रूर पता चल रहा था कि इस चुदाई ने उनकी चूत की लगा डाली है…. धीरे धीरे वो दरवाजे पे पहुचि और दरवाजा बाहर से खिच लिया… बाहर से कड़ी लगाने की आवाज़ आई थोड़ी देर मे गाड़ी जाने की आवाज़ आती रही..

मैं जहाँ छुपा था बोरियो के उपर वही था… और सोच रहा था कि ऐसा कौनसा राज़ होगा जिसके कारण कॉंट्रॅक्टर बाबू की पत्नी – मैनी जी इस चुदाई के लिए तैय्यार हो गयी…. और ताइजी के पति का उन तीनो के पास क्या काम था जो उसने मैनी जी को उनसे चुदवाया…



बाहर बहुत  अंधेरा था, मैं बोरियोसे नीचे उतरा… गोदाम के बाहर निकाला और हवेली की तरफ चल दिया. हवेली पहुचते पहुचते 8 बज गये मैं फ्रेश होके बैठा ही था कि मालंबंती – कॉंट्रॅक्टर बाबू की छोटी लड़की आई और मुझे खानेपे बुलाया है कह के चली गयी…

मैं रसोई घर मे पहुचा, सब लोग बैठे थे मैने नीचे गर्दन की और जाके अपनी जगह पे बैठ गया… तभी

रावसाब बोले – और कैसे चल रहा है काम?

मैं- काम ठीक चल रहा है....

राव साब – तुम्हे वसूली का काम भी सौंपा है मैने सुना है?

मैं – हां…..

राव साब – अच्छा काम है …..मेहनत लगन से करोगे तो बहुत कुछ पाओगे


इस बात पर कॉंट्रॅक्टर बाबू और वकील बाबू राव साब की तरफ देख के आँखे मिचकाने लगे और हल्केसे हस्ने लगे…

ताइजी का पति भी वही बैठा था पर वो इन साबो की बातो पर ध्यान ना देते हुए खाना खा रहा था… मैनी जी दिख नही रही थी लग रहा था कि जबरदस्त चुदाई के कारण  विश्राम करने गयी हो… ताइजी भी नही थी कही पे कल रात की चुदाई की वजह से उनकी भी हालत पतली होगी शायद…. और उसमे उन्हे पता भी नही था कि उसे चोदा किसने है…..

मैने बाकी महिलाओ पे नज़र डाली, छोटी बहू मेरे लिए खाने की प्लेट लेके आई… वो मस्त पल्लू वाली सारी पहनी हुई थी… और उसमे उसकी गांद के उभार और ज़्यादा घुमावदार लग रहे थे…. मैने एक नज़र सब पे डाली…. तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ चमका…. किसी के तो निपल स्पष्ट मेरे दिमाग़ मे चमके…. मैने धीरे फिर नज़र घुमाई तो देखा छोटी बहू ने ब्रा नही पहनी थी और पीले रंग के ब्लाउस मे से उसके निपल चमक रहे है…. छोटी बहू की तरफ एक बार फिर देखा उसने मुझे हलकीसी आँख मारी …और    आँख मारते मारते अपनी चुचियो की तरफ इशारा किया…


मैं चुपचाप नीचे देख कर खाना ख़ाता रहा, मुझे अक्सर लगता था कि सभी औरतो की नज़रे इस घर मे मेरे पे ही टिकी रहती है… इसलिए मैं उपर देखना टालता था पर जब भी कोई सब्जी या रोटी देने आता तो अपनी बड़े बड़े आमो का दर्शन दिए बिना नही जाता और अक्सर ज़्यादा टाइम तक मुझे दर्शन मिलता…
थोड़ी देर मे रसोईघर मे नलिनी आई…वोही नलिनी जिसको खुद अपने बाप-वकील बाबू और बाप जैसे दूसरे राव साब ने चलती गाड़ी मे चोदा था….

मैने देखा कि जैसे ही वो आई कॉंट्रॅक्टर बाबू बैचेन हो गये…… उनकी बैचैने का राज़ मुझे भली भाँति पता था ….वो सीधे पीछे चली गयी हाथ धोके आई और जहाँ पे बाकी लड़किया बैठी थी वही बैठ गयी… इधर लड़कियो के बारे मे एक विशिष्ट बात ऐसी थी कि वो ब्रा मतलब कमीज़ के अंदर कुछ भी नही पहनती थी…. इसीलिए उनके दूध जैसे ही वो चलने लगती उछलने लगते…. और मस्त लय ताल मे अपने दर्शन देने लगते…. फिर सामने वाला बूढ़ा भी क्यू ना हो उसका उठना ही उठना है….

मेरा खाना ख़तम हो गया मैं मुँह हाथ धोके दीवान खाने मे आ गया…. थोड़ी देर सेठ जी से बात की और उनकेपास ही बैठा रहा…. फिर सब लोग सोने जाने लगे…. मैने देखा मालंबंती- कॉंट्रॅक्टर बाबू की छोटी लड़की और नसरीन- वकील बाबू की छोटी लड़की मेरे पास आई …. और बोलने लगी


मालंबंती – आज हमे कहानी सुनाएँगे ना


नसरीन – हन आज वो हमे ज़रूर कहानी सुनाएगे

मैं – आज अभी……


मालंबंती – हां आपने ही तो कल बोला था

नसरीन – हां हां अपने बोला था कल सुनाउन्गा कहके….

मैं – पर अभी बहुत ज़्यादा वक़्त हो गया है मैं कल संध्या को सुनाउन्गा तुम लोगो को

वहाँ बाजू मे सेठ जी भी बैठे थे, वो हमारी बातें सुन रहे थे, उनको देख के लड़किया बोलने लगी

मालंबंती – दादाजी इन्हे कहिए ना हमे कहानी सुनाए

नसरीन – हां हां दादाजी कहिए ना कहिए ना………… मैं सेठ जी की तरफ देखने लगा

सेठ जी – अरे तुम लोग अभी इतनी बड़ी हो गयी हो अच्छे कॉलेज मे जाती हो अभी क्या कहानी सुनोगी…

मैं – आपका कहना बिल्कुल उचित है सेठ जी

मालंबनती – क्यू नही सुन सकते दादाजी, नलिनी दीदी तो आज भी कहानी सुनती है

नसरीन – वो कुछ नही दादाजी हमे कहानी सुननी ही है….

सेठ जी – ठीक है पर उसे थोड़ा काम है… (और मेरी तरफ देख कर सेठ जी बोले)…. वो छोटी बहू को तुम्हारे पास कुछ काम है… उससे ज़रा मिलके आना…

नसरीन – फिर हमारी कहानी का क्या

सेठ जी – वो आ जाएगा तुम्हे कहानी सुनाने थोड़ी ही देर मे …जाओ तुम लोग तब तक जाके अपनी पढ़ाई करो….

मैं सेठ जी का आदेश लेके छोटी बहू के कमरे पे पहुचा दरवाजे पे थपथपाया… दरवाजा खुला… दरवाजा खोलने वाला और कोई नही सेठानी जी थी ...

मैं बोला – आप्प्प्प…..

सेठानी – अरे तुम्हारी चुदाई बहुत याद आ रही थी

छोटी बहू- हां इसलिए ये इंतज़ाम किया है


मैं – पर मैं यहाँ नही रुक सकता इधर का निपटा के मुझे सेठ जी ने लड़कियो को कहानी सुनाने के लिए कहा है


छोटी बहुत – वो बाद मे देखेंगे पहले तुम अंदर तो आओ


सेठानी और छोटी बहू मस्त दिख रही थी…. सेठानी के गाल और छाती मेरे लंड को आवाहन दे रही थी और छोटी बहू के वो बड़े बड़े ब्लाउस मे से दिखने वाले निपल मुझे चूसने के लिए आम्न्त्रित कर रहे थे…. सेठानी मेरे पास आई और मेरी जाँघो पे हाथ रख के सहलाने लगी… मेरा लंड मे तनतना शुरू हो गया… उधर छोटी बहू ने अपनी सारी और ब्लाउस उतार दी… और बाद मे पॅंटी भी उतार के पूरी नंगी हो गयी… और दीवान पे  लेट गयी… और मुझे आँख मारने लगी…

मैने अपनी पॅंट उतार दी उधर सेठानी ने भी अपने सारी निकाल दी…. जैसे ही मैने पॅंट निकाला सेठानी ने मेरा लंड अपने मुँह घुसेड लिया और पच्चाआक पकचाककक पुच पुचह पचाककककक आआवाज़ निकाल के उसे चूसने लगी….. मैने उसके मुँहे से लंड निकाला और सेठानी को छोटी बहू की बुर को गीला करने को कहा

सेठानी ने पचाक से उसकी बुर पे थूक दिया और मस्त बुर और मस्त दिखने लगी मैने अपना सूपड़ा उस कोमल गुलाबी योनीप्रवेश द्वार पे रखा और अगली ही पल अपने गन्ने को बिल मे घुसा दिया…. आअहह आआहह मसत्थत्टटटटटटटटटतत्त………… चोदूऊऊऊऊऊऊ मुज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्
ज ईईई ईईईईई…. .बहुउऊुुुुुउउत्त्त तदपि हहुउऊउ 2 डिन्नस्ीईई …तुम्हरीईई इस लुंदड़ड़ के लिए.ईईईईई मैं धक्के मारते रहा वो मुँह के उपर तकिया रख के आवाज़े निकालती रही….. उतने मे बाजू मे अपनी चूत फैला के सेठानी सो गयी… मैने अपना नाग बिल से निकाला और सेठानी के फूल मे अपना हथौड़ा घुसा दिया… सेठानी मदमस्त होने लगी….. माआआआआआररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर मेररीइ….आअहह माआआआआअज़ाआाआआआ आआआआआ रहाआ हाइयाीइ…… ज़ॉर्सीई….. ज़ोर्से…


मेरा इतना बड़ा लंड अभी पूरा का पूरा सेठानी की बुर मे फसने लगा, और किसी के बुर मे मेरा पूरा लंड नही समा सकता था अलावा सेठानी के… सेठानी के चूतर जगह पे ही फैल रहे थे और जमे रहे थे … बहू ने सेठानी की चुचिया अपने मुँह मे भर के उनको मस्त चूसना शुरू किया था उसकी वजह से सेठानी के बूब एक दम कड़क और निपल एक दम सख़्त हो गये….

मैने अपना लंड बाहर निकाला…. छोटी बहू के मुँह मे दिया उसने मस्त थूक डाल के उसको मस्त चूसा और फिर अपनी बुर मे ले लिया बहू की दूध से भरी चुचिया घोड़ी अवस्था मे जबरदस्त हिल रही थी… मैने धक्को की गति को तीव्र किया…. उतने मे सेठानी ने आकर लंड बाहर निकाल के मुँह मे भर लिया…गोतिया मुँह मे भर के उनकी अपनी जीब से मस्त मालिश कर दी…

सेठानी का हाथ पकड़ के मैने सेठानी को ज़मीन पे लिटाया और उनकी टांगे नीचे उपर करते हुए उनके हाथो के पास दबा दी…. और अपना सूपड़ा उस खुली मदमस्त बुर मे चढ़ा दिया …. सेठानी मदमस्त हो रही थी और इतने बड़े लंड से मिलने वाले महान सच का अनुभव कर रही थी…. बहू ने बीच बीच मे मेरा लंड निकाल के अपने मुँह मे भर के चिकना करने की ठान रखी थी…. अब मेरे नियंत्रण के बाहर बात जाते दिखी मैने बहू को लंड निकाल ने से मना कर दिया और ज़ोर्से धक्का मार कर पूरा का पूरा वीर्य सेठानी की बुर मे उतार दिया…. धीरे से मैने अपना लंड बाहर निकाला उसे छोटी बहू ने मुँह मे लेके उसे मस्त सॉफ किया और मैं फटाफट कपड़े पहेन के सेठ जी के पास वापस आ गया….

सेठ जी दीवानखने मे ही बैठे थे…लगभग 9.30 बज रहे थे … मुझे देखकर बोले – अरे तुम इतने वक़्त वही थे क्या…

मैं- हां सेठ जी… ज़रा मालकीन ने काम बोला था


सेठ जी – ठीक है पर ये तुम्हारे बाल और कपड़े इतने खराब कैसे हो गये…

मैं – वो कुछ सामान उपर के कपाट से निकालना था उसमे मे थोड़ी धूल थी इसलिए…..

सेठ जी – ठीक है ठीक है...


सेठ जी को मेरी हर एक बात पर बहुत जल्दी भरोसा हो जाता था.... उतने मे ही मालंबंती अपने संतरो को हिलाते हिलाते आ गयी. उसके निपल्स कमीज़ के उपर से तने हुए दिख रहे थे और मैं अभी कामवासना शांत करने पर भी गरम होने लगा था , वो मेरे पास आके बोली- हो गया ना काम तो चलो अभी हमे कहानी सुनाने……

मैं – पर वक़्त बहुत हो गया है


सेठ जी – जाने दो जिद्द कर रही है तो सुना दो इसे और नसरीन को एक कहानी…

पर एक ही सुनना …सबेरे इन्हे जल्दी उठना है ….

मालंबंती खुश हो गयी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे लेके अपने कमरे मे  आई… मैने देखा दीवान पे कुछ किताबे पड़ी थी और नसरीन वही पढ़ रही थी… वो कुछ लिख रही थी गद्दे पे किताब रख कर इसलिए पूरी झुकी हुई थी इस वजह से उसके बूब कमीज़ से बाहर झाँक रहे थे… गोरे गोरे कोमल बूब्स मस्त महॉल बना रहे थे…. पता नही मैं तो बस कहानी सुनाने आया था पर……

मैं दीवान पे बैठ गया… नसरीन मुझे देख कर खुश हो गयी…


मालंबंती भी बैठ गयी वो दोनो मेरे सामने बैठी थी और मैं देवान को पीठ लगाए सामने अपने पैर लंबे करके आराम से बैठा था…


मालंबंती – तो सूनाओ कहानी


मैं – कौनसी कहानी सुनोगी


नसरीन – कोई भी पर एक दम मस्त होनी चाहिए

मैं – मस्त कहानी ठीक है


मैने अपनी पदवी शिक्षण(डिग्री एजुकेशन) के 3 साल के दरम्यान बहुत सारी किताबे पढ़ी थी, जिनमे एक से एक कहानिया थी… और मैं पहलेसे ही कहानियो मे बहुत ही ज़्यादा शौक रखता था…. इसलिए मुझे बहुत सारी कहानिया पता थी….

मैने एक कहानी चुनी जिसमे बहुत सारे उतार चढ़ाव थे.. और बीच मे रहस्यमय और दिल की धड़कने तेज़ करनेवाले प्रसन्ग थे…

क्रमशः...................










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