Sunday, May 4, 2014

FUN-MAZA-MASTI नौकरी हो तो ऐसी--18

FUN-MAZA-MASTI

  नौकरी हो तो ऐसी--18

  गतान्क से आगे…………………………………….
मैने उसे 15 दिन मे फिरसे पैसे लेने आउन्गा कहते हुए कपड़े पेहेन्के निकल पड़ा…ड्राइवर मेरा इंतेज़ार कर रहा था मैं गाड़ी मे बैठ गया और उसे बोला चलो और हम अगली वसूली करने निकल पड़े….

  दिनभर मैं वसूली करते हुए बहुत सारे गाओ मे घूम के आया… सबो का एक ही नारा था कि फसल आनेपे पैसे दे देंगे… मैं 5 बजे तक गोदाम मे पहुच गया.. सेठ जी अभी वही थे.. मैने सब हक़ीकत उन्हे बता दी…. सेठ जी मुस्कुराए और बोले “ठीक है …. कोई बात नही … मैने तो तुम्हे इसलिए भेजा था कि तुम लोगो को जान सको पहचान सको.. क्यू कि अभी इन्ही लोगोसे तुम्हे कारोबार करना है….. ” सेठ जी थोड़ी देर मे हवेली की तरफ निकल गये…

मुझे कुछ हिसाब किताब करने को कह के… 6-6.30 बज चुके थे, दिन लंबा नही था… इसलिए अंधेरा जल्दी हो रहा था.. मैं गोदाम मे अकेला था… मेरा हिसाब किताब लगभग ख़तम होने को था… मैं उपर बैठा था उधर के बल्ब हमेशा ही जलते रहते थे… बाकी गोदाम मे कुछ कुछ कोनो मे बल्ब थे मतलब पूरा गोदाम प्रकाशित नही था….


तभी मुझे गोदाम के पिछले वाले बाजू का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई.. इसका मतलब कोई तो अंदर आ रहा था …कोई भी इरादा हो सकता था ..चोरी या और कोई… जैसे कि सबको पता था 6 बजे के बाद गोदाम मे कोई नही रहता… इस चीज़ का कोई तो शायद फ़ायदा उठा रहा था… ऐसा मुझे लग रहा था …. मुझे दरवाजा बंद होने की आवाज़ सुनाई दी…


मैं चुपकेसे नीचे उतरा… और अनाज से भरी बड़ी बड़ी बोरियोके पीछे से पिछले दरवाजे के पास वाली जगह जा पहुचा.. उधर से मुझे किसी आवाज़ की आहट हुई… मैं आवाज़ के थोड़ा नज़दीक गया… और बोरियो पीछे छिप गया… मैं जहाँ खड़ा था वहाँ अंधेरा था… मैं बोरियो पे चढ़ गया…. 20 से 40 बोरियाँ एक पे एक रखी थी… मैं चुपचाप उपर चढ़ के आवाज़ के नज़दीक पहुचा…. थोड़ा डर भी लग रहा था… समझ नही आ रहा था कि इधर क्या हो रहा है… हाथ मे पसीना आ रहा था… अब मैं जहाँ पहुचा उधर बल्ब लगा था और मैं जहाँ था वही से नीचे से बोरियोके बीच मे से आवाज़ आ रही थी..


मैने थोड़ी हिम्मत करके नीचे देखा… नीचे कोई और नही कल जिसने मेरा लंड मुँह मे लिया था वोही ताइजी का पति था…. गन्दू साला… पर मुझे समझ नही आ रहा था ये इस औरत के साथ जो उलटी खड़ी होने के कारण मैं देख नही पा रहा था… उसके साथ ये यहा क्या कर रहा है…

थोड़ी देर वो बाते करते रहे … मेरी धड़कन अभी शांत हुई आख़िर इस गन्दू से कौन डरनेवाला था… मैं इधर उधर करके देखा मुझे अंदाज़ा आ आ गया ये औरत दूसरी तीसरी कोई नही कॉंट्रॅक्टर बाबू की पत्नी है जिनको सब मैनी(माई) बुलाते है.. जब कल रात को हम खाना खा रहे थे तब ये भी वही थी….


पर ये यहाँ इस गन्दू के साथ क्या कर रही है..यही मुझे समझ नही आ रहा था… तभी वो थोड़ी तेज आवाज़ मे बात करने लगे और मैं सुनने लगा…

मैनी – पर इधर बुलाने की क्या ज़रूरत थी..

ताइजी का पति – ज़रूरत थी…. मेरा ये काम बस तुम कर सकती हो


मैनी – पर कैसा काम

ताइजी का पति – वोही काम

मैनी – वोही काम वोही कौनसा?

ताइजी का पति – जो मैने तुम्हे कुछ दिनो पहले बोला था

मैनी – वो काम मुझसे नही होगा… किसी को खबर लग गयी तो… नही बाबा नही नही…

ताइजी का पति – अरे नही किसी को पता नही लगेगी.. इसलिए तो तुम्हे यहाँ लेके आया हू…

मैनी – नही मैं पकड़ी गयी तो बहुत मुश्किल हो जाएगी


ताइजी का पति – अरे कुछ नही होगा…. अगर तुम मेरी ये बात नही मनोगी तो

मैं सेठ जी को तुम्हारी झोपड़ी वाली बात बता दूँगा

मैनी- अरे नही नही… ऐसा मत करना


ताइजी का पति – ठीक है तो मेरी बात मान जाओ जाना रंडी फिर

मैनी – पर तुम किसी को कुछ बताओगे तो नही ना..

ताइजी का पति – नही मेरी रानी… किसी को नही बताउन्गा…. तुम्हारे इन बिना ब्रा पहने आमो की कसम… जाओ तुम उस बोरी के पीछे खड़ी रहो जब मैं बुलाऊ.. तब आना…ठीक है……

मैं इस द्रुश्य को देख के दंग रह गया… आख़िर क्या चाहता था ताइजी का पति … कॉंट्रॅक्टर बाबू की पत्नी से… 


वो पिछले दरवाजे से बाहर निकल गया और उसके निकलने के बाद पूरी गोदाम मे शांति हो गयी…

थोड़ी देर बाद पिछले दरवाजे से थोड़ी आहट हुई मैने देखा तीन बड़े बड़े लोग अंदर आ रहे है… उनके साथ ताइजी का पति भी है…… वो तीनो बड़े ही काले ख़ूसट मालूम हो रहे थे… शरीर एक दम घाटीला और मजबूत लग रहा था… एक से एक भरे हुए बदन थे उनके…. दो चार अनाज की बोरिया एक ठुसे मे नीचे गिरा दे ऐसे उनके हाथ थे….काले कपड़ो मे और काले शरीर से उनके शरीर चमक रहे थे… मैने इन्हे पहले नही देखा था…

उनमे से एक बोला – यहा तो कोई नही है बे गन्दू…

दूसरा ताइजी के पति की गर्देन पकड़ते हुए बोला – एडा बना रहा है क्या साले हमे यहाँ लाके…

ताइजी का पति – (खांसने लगा …) है यही है बस एक मिनट एक मिनट
दूसरे ने उसकी गर्दन छोड़ दी… ताइजी के पति ने आवाज़ दी ..मैनी जी बाहर निकल के आई और देखते ही ये कौन लोग है कौन लोग है पूछने लगी…..
ताइजी का पति – वोही जो मैने तुम्हे बोला था

मैनी – नही नही बाबा ये लोग तो बहुत ही ख़तरनाक लग रहे है मुझेसे ये नही होगा

एक बोला – क्यू नही होगा….


और वो मैनी जी के पास जाके उनका सौन्दर्य निहारने लगा

और बोला – वाह क्या माल है …कब्से इसे चोदने की चाह लगा रखी है हम ने

ताइजी का पति –तुम्हे अब मेरा काम करना होगा …अभी बोल दो हाँ या नही… नही तो तुम इसे छू भी नही सकते

उनमे से एक बोला – तुम्हारा काम हो गया समझो, ऐसे चूतरो के लिए हम तुम्हारा कुछ भी काम कर देंगे

मैनी जी देखते रह गयी, उन्हे कुछ समझ ही नही आ रहा था… और मुझे पूरी बात पता ना होनेके कारण मैं भी भ्रमित हो गया था….


एक ने ताइजी के पति को खिचा और बोला चल अब बाजू हट….

मैनी जी वही खड़ी थी… और वो थोड़ी डर भी गयी थी… ऐसे काले बन्दरो को देख के कोई भी डर सकता था

मैनी – नही ये मुझसे नही होगा… मुझे नही पता था तुम्हारी ऐसी करतूत करने तक मज़ाल जाएगी………

ताइजी का पति – तो क्या हुआ… मेरा मुँह बंद रखवाना है कि नही …
इतने मे उनमे से एक चिल्लाया – आए चल ज़्यादा बात मत कर चुपचाप खड़ी रह नहितो…

मैनी जी चुपचाप हो गयी. वो तीनो उसके पास आ गये… एक पीछे से चिपक गया… और गांद से अपना लंड घिसने लगा… एक ने सामने से जाके गालो को चाटना शुरू किया तो एक कपड़े उतारने लगा

जैसे ही उसने कपड़े उतारे वो जाके सामने से मैनी जी से चिपक गया और बाकियोने भी कपड़े उतार दिए… और मैने देखा… मा कसम …. क्या लंड थे उनके….लंबाई मे बिल्कुल मेरे जितने और मोटाई मेतो मेरे लंड से भी बड़े… उनके लंड देख के मैनी जी बोलने लगी ये क्या है इतने बड़े लंड मैने जिंदगी मे कभी नही देखे… मेरी चूत ने इतने बड़े लंड कभी नही देखे है ….

एक बोला तो अब देखेगी तेरी बुर हमारे लंड और तेरी इस मस्त बुर को मदमस्त बना देंगे ये…. और हसने लगे……

तीनो नंगो ने मैनी जी को बीच मे जाकड़ लिया….एक ने पीछे से हाथ डाल के सारी उपर उठा ली और पॅंटी के बीच से चूत मे उंगली करना शुरू किया ….आहह आआअहह… आवाज़े निकल रही थी…. तीन शरीर के बीच मे मैनी जी बहुत गरम हो रही थी तीनो उसे दबा रहे थे….. मैनी जी ने ब्रा नही पहनी थी इसलिए उनके लाल लाल निपल बाहर से अस्पष्ट दिख रहे थे एक ने उनके ब्लाउस के उपर से उनको चूसना शुरू किया और चबाना भी शुरू किया आहह आआआआअहह की आवाज़ अब बढ़ने लगी …इतने बलिष्ठ शरीरो के बीच का मज़ा अब मैनी जी को आने लगा था….

अब एक नीचे बैठ गया और पॅंटी पाँव से बाहर निकाल के बुर मे घुस गया और उन घने बालो की बनी उस दरार मे अपना मुँह घुसा दिया….. उपर दोनो ने ब्लाउज निकाल दिया और एक एक आम को मुँह मे लेके चूसने लगे…. आअहह आहह की आवाज़ अभी गोदाम मे गूंजने लगी…. उपरके दोनो ने भी अपने हाथ नीचे लाके बुर के बालो को सहलाना शुरू किया… तीन तीन बड़े काले हाथ बुर को घिसने से मैनी जी पूरी पागल हुए जा रही थी … नीचे जो बैठा था उसने बुर के लाल लाल होंठो को चाटने के साथ बुर मे एक उंगली घुसा दी और मस्त अंदर बाहर करने लगा… बुर थूक से चमक रही थी …उपर दोनो निपल्स को अपने मुँह मे भरके चुसते चुसते पप्पिया लेते हुए उम्म्म्म… उम्म्म्मम आवाज़े निकाल रहे थे….

अब उन्होने उसे घोड़ी की तरह झुका दिया और गांद और बुर मे उंगलिया डालना शुरू किया… सामने से एक ने लंड मैनी जी के मुँह घुसा के चुसवाने लगा….

अब एक काले ने मैनी जी को अपने हाथो से उठाया और छोटी बच्ची की तरह उपर उठा कर कमर के उपर तक ले आया… और नीचेसे बराबर निशाना लगा के मैनी जी की बुर मे अपना लॉडा घुसेड दिया…. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्
र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईई बचााआआआआाआऊऊऊ…. इस जुन्गाआआआआअलिईईए से बचाआााू……. एक दम आवाज़ आई… वो काला लंड नीचे से एक दम बुर मेघुसने के कारण पूरा अंदर तक घुस गया था इस वजह से वो चिल्ला रही थी… और वो कला मैनी जी की एक ना सुनते हुए उनको अपने बड़े काले हाथो मे उठाए लंड पे उपर नीचे करते जा रहा था ….. मैनी जी एक दम बड़ी साँसे ले रही थी… और अपनी आवाज़ को नियंत्रण मे लाने की कोशिस कर रही थी …उस काले ने अब और ज़ोर्से दबा के गपॉगप लंड अंदर बाहर चालू किया और मैनी जी की पीठ को एक अनाज की बोरी से चिपका के झटके मारने लगा…. उसके झटको के प्रहार से मैनी जी की आँख से पानी निकल आया था, वो लगभा कसमसा रही थी… पाँव अकड़ रहे थे …अभी ऐसी चुदाई का अनुभव ना होने के कारण ये सब हो रहा था…..

उस पहले काले ने अपने पूरे लंड को उस कोमल मुलायम बालोसे भरी बुर मे उतार दिया था और घुड़सवारी किए जा रहा था… झटको की गति अचानक बहुत बढ़ गयी…मैनी जी पूरी कोशिश के साथ अपनी आवाज़ पे नियंत्रण पा रही थी … क्यूँ कि उनकी आवाज़े अगर कोई सुन लेता तो पूरा भंडा फुट जाता…. उस काले ने मैनी जी को नीचे उतारा और सारी उपर कर दी…. एक पैर हवा मे उठा के उसे एक हाथ से पकड़ लिया अब मैनी जी के दोनो हाथ सामने वाली बोरी पे थे…. और एक पैर हवा मे और एक ज़मीन पर…. उस काले ने पीछे से आके ज़ोर्से धक्के मारने शुरू किए… मैनी जी के चूतर और दूध बहुत ज़्यादा गति से आगे पीछे हो रहे थे… तभी वो काला रुक गया.. और उसने अपना पानी मैनी जी की चूत के अंदर छोड़ दिया …कुछ पानी नीचे टपकने लगा….

अब दूसरा आया और उपर मुँह करके नीचे सो गया और मैनी जी को लंड पे बिठाया. मैनी जी के हाथ अपने हाथो मे लिए और जमके पकड़के दबा के, नीचेसे बुर मे लंड घुसा दिया और अपनी गांद को उपर हिलाते हुए, उस बहती बुर के अंदर घुसाने लगा….. लंड अंदर घुसते गया… मैनी जी की साँसे बढ़ती गयी थोड़ी देर मे वो भी मैनी जी की बुर के अंदर ढेर हो गया और अब उस सूजी हुई बुर से और ज़्यादा पानी बहने लगा…..


तीसरा भी कहाँ रुकने वाला था उसने मैनी जी की घोड़ी बना दी और सवार हो गया…. मानो जैसे कोई लड़ाई करने जा रहा है ..एक पल मे उसने अपना पूरा लंड मैनी जी की चिकनी फूली सूजी बुर मे घुसा दिया और अपने रथ को बुर की सीमा की तरफ दौड़ने लगा…. ग्ाअपप्प्प्प्प्प…गाप्प्प्पालक्

कक्कक…..पकचह पापक्चह….पचाकककक पकक्ककचहाककक…. आवाज़े आ रही थी…. मैनी जी अभी भी अपनी आवाज़ पे काबू पाई हुई थी … पर उनका शरीर बहुत ही ज़्यादा कसमसा रहा था….. वो एक दम से अकड़ गयी थी … इसलिए एक ने आके मैनी जी की गांद को फैलाया और फिर तीसरे ने अपने धक्के फिरसे पूर्ववत करारे झटके मारने शुरू किए…. उपर से बुर एक दम लाल लाल और फूली हुई दिख रही थी… इन काले लुंडो का प्रहार उससे सहा नही जा रहा था….. आख़िर मे तीसरा भी गिर पड़ा उसने पूरा वीर्य अंदर तक छोड़ दिया….. मैनी जी के बुर के बाल पूरे सफेद लग रहे थे उनपे पूरा वीर्य जम गया था…. और सब बाल एक दूसरे से चिपक गये थे अभी घोड़ी अवस्था मे होनेके कारण तीनो का रस मैनी जी की बुर से नीचे गिर रहा था…..

क्रमशः...................










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