FUN-MAZA-MASTI
नौकरी हो तो ऐसी--20
गतान्क से आगे…………………………………….
मैने कहानी शुरू की तो दोनो भी मस्त ध्यान लगाके कहानी सुनने लगी… जैसे ही कहानी आगे बढ़ने लगी वैसे वो लोग और मशगूल हो गये…. अभी कहानी मे नाटकीय पड़ाव आया जिसमे लड़का लड़की को ढूँढ रहा है बीच घने जंगल मे और वो उसे मिल नही रही है… थोड़ा सा डरावना प्रसंग था...
इतने मे मालंबंती और नसरीन मेरे बाजू आई मैने कहा – क्या हुआ
दोनो – डर लग रहा है
मैं – अरे येतो सिर्फ़ कहानी है
नसरीन- नही पर ये डरावनी है
मालंबंती - हम दोनो आपके पास बैठे?
मैं – क्यू
नसरीन – आप के पास आपका हाथ पकड़ कर बैठेंगे तो हमे डर नही लगेगा… दादी जब हमे कहानी सुनाती है और हम डर जाते है तो हम उनका हाथ थाम के बैठ जाते है
मैं – ठीक है ….आओ बैठो मेरे पास
दोनो एक एक बाजू से मुझसे चिपक गयी… वैसे ही मेरे शरीर मे लहर दौड़ गयी… उन हसीन जवान स्पर्शा ने मेरे अन्ग अन्ग मे ज्वाला लगा डाली… मैं सोचने लगा इस अवस्था मे हवेली मे मुझे किसीने देख लिया तो मेरे तो लग जाएँगे.. मैं बोला – एक काम करो ये दरवाजा बंद कर लो
नसरीन – हाँ मुझे भी ऐसे ही लग रहा है क्यू कि ऐसा लगता है कि दरवाजे के बाहर से कुछ तो आवाज़े आ रही है
मालंबंती उठी और गांद हिलाते हुए जाके दरवाजा बंद कर दिया अब मैं निश्चिंत हो गया. अभी ये दोनो मुझसे कितनी भी चिपके मुझे कोई फ़र्क नही पड़नेवाला था.. मेरा लंड नीचे अभी सलामी देने लगा था…
हम तीनो साथ मे बैठ गये वैसे मैने आगे कहानी बताना शुरू किया, जैसे ही कहानी आगे बढ़ी मैने कहानी मे और थोड़े डरावने किस्से डाल दिए इस वजह से वो दोनो मुझसे और चिपक गयी…
नसरीन ने अपना सर मेरे बाए कंधे से पूरी तरह चिपका लिया मानो जैसे कंधे पे रख दिया हो… उसकी वो गरम साँसे मुझे उत्तेजित करने लगी. मेरी छाती पे उसकी हर एक गरम साँस मेरी शर्ट को भेदकर हलचल मचाने लगी…. उसके वो मुलायम गाल मुझसे कुछ इंच की दूरी पे थे… पर मैने अपने पे काबू रखा हुआ था….
उधर मालंबति बोली – मुझे आपकी गोद मे बैठना है
मैं – अरे क्या हुआ............अब?????????
मालंबति - दादीजी हमे जब भी कहानी सुनाती है तो और हमे बहुत ज़्यादा डर लगने लगता है तो अपने गोद मे बिठा के कहानी सुनाती है
मैं – क्या …. गोद मे
नसरीन – हां… और वो हमे कभी ना नही बोलती
मैं – पर मैं तुम्हे गोद मे नही बिठा सकता
मालंबंती – अरे आप हमे गोद मे नही बिठाएँगे तो मैं दादाजी को बोल दूँगी
मैं – ठीक है आओ बैठो
मैने अपनी टाँगे मोड़ ली… और पालती डालकर उसको अपने गोद मे बिठा दिया… बाजू मे नसरीन अपना सर पूरा मेरे कंधे पे टिकाए आँखे लगाकर मस्त हो रही थी… उसके शरीर मे मेरे स्पर्श से ज़रूर कुछ तो हलचल हो रही थी इसलिए उसने आँखे बंद कर रखी थी…. मालंबंती जैसे ही मेरी गोद मे बैठ गयी मेरी जाँघो मे एक दम से उर्जा दौड़ गयी…. उनमे अचानक से ताक़त आ गयी मानो…. मेरी जंघे उसकी वो मस्त गांद से मदमस्त होके चिपक रही थी…
मेरे लंड महाराजा का हाल बहुत ही ज़्यादा बुरा हो चुका था…. वो चुदाई से पहले वाला रस उगल रहा था और मेरी पॅंट मे तंबू बनाके बैठा था
मैं बहुत ही बड़ी कशमकश मे था कुछ करू तो दुविधा नही करू तो लंड दुविधा… कहानी से ध्यान काफ़ी भटक रहा था तब भी मैं सुना रहा था… तभी मैने देखा नसरीन का हाथ मेरी पॅंट पे है और वो मेरी पॅंट के उपर से हल्के हल्के हाथ घुमा रही है… मेरी उत्तेजना की सीमाए बढ़ रही थी उधर मैं कहानी बताए जा रहा था
तभी मैने पाया मालंबंती का हाथ भी मेरी पॅंट पे घूम रहा है वो मूड के थोड़ा चेहरा मेरी तरफ करके फिरसे मेरी एक टाँग पे गांद रख के बैठ गयी और दोनो मिलके मेरी पॅंट को सहलाने लगे…
मैं मदहोश हुए जा रहा था मैं तो यही चाहता था…. पर थोड़ा विरोध दर्शाना मैने ठीक समझा
मैने कहा –अरे कककक .. क्या ………????
नसरीन – कुछ नही आप बस कहानी सुनाइए….
मैं अपनी कहानी बड़बड़ाने लगा. दोनो ने नीचे मेरी पॅंट की चैन खोल दी… और मेरे लंड को बाहर निकाल के उससे खेलने लगी दोनो के निपल्स एक दम टाइट हो गये थे.. और चेहरे पूरे लाल… मैने भी थोडिसी हरकत करना ठीक समझा और मालंबंती की पीठ को पीछे से सहलाने लगा…. वो और गरम हो रही थी…. दोनो मिलके मेरे सूपदे की चमड़ी उपर नीचे खिच रही थी….
तभी मालंबंती उठी और उसने दीवान पर खड़े होके अपनी सलवार निकाल दी और बाद मे पॅंटी भी मैं देखते रह गया वो गोरी गोरी मांसल जंघे ओए वो कमसिन जवानी …वाह क्या माल थी वो सलवार निकाल के वो मेरे पास आई और मेरी पॅंट का हुक खोल दिया नसरीन थोड़ा बाजू सरक गयी और मालंबंती ने मेरी पॅंट के साथ मेरी अंडरवेर भी पाव से बाहर खिच ली मैं नीचे पूरा नंगा हो गया….
मालंबंती ने फिरसे मुझे गोद मे बिठा ने कहा और मैने पालती मार के उसे गोद मे बिठा लिया उधर नसरीन ने अपनी कमीज़ निकाल दी…. वाह क्या नज़ारा बन रहा था उसने कमीज़ निकाली और उसके वो मस्त संतरे जैसे दूध एक दम सख़्त अवस्था मे थे…. वो निपल्स अपने गुलाबी लाल रंग से मुझे मदहोश करने लगे…
मेरा कहानी सुनाना अभी भी जारी था… और कहानी मे एक से एक सुरीले पड़ाव लाके सुना रहा था….
मालंबंती की गोरी गोरी जंघे मेरी जाँघो पे घिस रही थी और मेरे हाथोसे नसरीन के कोमल स्थान… मालंबति की गांद के बीच की दारर मे मेरा लंड फिट बैठ था और संभोग पूर्व पानी छोड़ रहा था…. नसरीन से रहा नही गया उसने मेरे गालो पे चूमना शुरू किया इसका असर ये हुवा कि मेरा बोलना बंद हो गया… कहानी रुक गयी और हक़ीकत रंग लाने लगी… नसरीन के कोमल होठ मेरे गालो पे फूल के अनुभव जैसा रोमांच पैदा कर रहे थे… मेरे गोद मे मालंबंती गरमा हो हो के लावा बन चुकी थी.. उसका पूरा चेहरा काम वासना से भर गया था…. और नसरीन अभी मेरी छाती को चूमे जा रही थी….
उतने मे मैने कहा – चलो अभी कुछ अलग करते है
नसरीन – अलग…. अलग क्या?
मैं – अलग मतलब कुछ …तुम्हे पता है जैसे…
मालंबंती – जैसे ??... जैसे तैसे क्या… ये मस्त है
मैं – ये तो है ही पर इससे भी कुछ अच्छा है… अगर तुम चाहो तो?
नसरीन – हाँ हाँ हमे चाहिए बताओ ना और क्या और क्या ….
मैं – वो जो तुम्हारी बुर है उसमे ….
मालंबंती – उसमे क्या…. उसमे तो मेरी उंगली भी नही जाती…. और उधर बहुत कुछ होता है
मैं – हाँ वो जो होता है… उससे भी ज़्यादा मज़ा आता है ….
नसरीन – नही पर उधर नही… उधर उंगली डालने पे बहुत दुखता है… इससे अच्छा आप हमे बस गोद मे बिठा के कहानी सूनाओ
मालंबंती – हाँ हमे आप की गोद मे ही मज़ा आता है….
मैं इन दोनो लड़कियो को कैसे समझाऊ कि जो तुम कर रहे हो वो तो बस काम क्रीड़ा की पहली सीढ़ी है… पर समझाना इतना आसान नही लग रहा था क्यू कि ये तो उधर उंगली डालने को भी नही दे रही थी… मैने कुछ सोचा और उनकी तरफ मूड के बोला
मैं – ठीक है…. पर उधर अगर तुम्हे दर्द होता है तो और …
मालंबति – और क्या…..???
मैं – और एक जगह है जहा तुम्हे उंगली डालने से कम दर्द होगा..
नसरीन – कहाँ कहाँ…..???
मैने मालंबंती को थोड़ा सा उपर उठाया और उसकी गांद के छेद पे उंगली रख के दोनो से कहा यहाँ
दोनो एक साथ बोली – यहाँ …. यहाँ कैसे…. यहा तो कुछ छेद दिखता भी नही
मैं – पर तुम लोगोने कभी यहा उंगली डाल के देखा है
दोनो – नही तो …
मैं – इसलिए तुम्हे पता नही ….
दोनो – क्या???
मैं – यही कि इधर उंगली डालने से बहुत कम दर्द होता है और मज़ा भी बहुत आता है …. और इससे तुम्हारा जो उपर वाला जो छेद है उसको भी खोलने की ज़रूरत नही ….मालंबती के छेद के उपर हाथ रखते हुए कहा
नसीन – पर ये कैसे होगा …इधर तो कुछ छेद है ही नही ???
मैं – मैं दिखाता हू ना तुम्हे ….
मैने मालंबंती को घोड़ी के जैसी अवस्था मे झुकाया.. नसरीन को उसके चूतरो को फैलाने को कहा और मालंबंती की नाज़ुक गोरी लाल लाल गांद के छेद पे नसरीन को बोला
मैं – ये देखो…. है ना छेद
नसरीन – पर ये तो बहुत छोटा है …इधर उंगली कैसे जाएगी
मैं – यहा उंगली नही मेरा लंड भी जाएगा
मालंबनती – क्या तुम इधर अपना लंड डालोगे?
मैं – हां… और तुम्हे सबसे ज़्यादा मज़ा आएगा
मालंबंती – नही नही नही बाबा मुझे नही इतना बड़ा लंड अपने इतने छोटे से छेद मे डलवाना है मेरा दिल बोल रहा है कि इसमे आप की कोई चाल है
नसरीन – अगर इसमे बहुत मज़ा है तो आप मेरी गाड़ के छेद मे ये लंड डाल दो… पर मज़ा आएगा ना बहुत …जैसे गोद मे बैठने से आया था (मालंबती नसरीन की हिम्मत और तंग शरीर की तरफ देखती रह गयी)
मैं – (नसरीन की चुचियाँ हाथ मे मसलते हुए)हाँ तुम्हे बहुत मज़ा आएगा पर उससे पहले हमे कुछ करना पड़ेगा…
मालंबती – क्या करना पड़ेगा…
मैं – तुम कपड़े पहेन कर जाओ … और किचन से तेल की शीशी लेके आओ
मालंबनती – क्यू तेल क्यू…
मैं – इसमे लगाने के लिए …तभी तो मेरा लंड इसमे जाएगा….. नहितो फिर दर्द होगा…
नसरीन – नही नही दर्द नही होना चाहिए… मालू तू जा गुपचुपसे किचन से तेल की सीशी लेके आजा
मैं – पर ख़याल रहे चुपके से लाना और किसिको नही बताना….. और कोई पूछ भी ले तो बोलना कि पाव मे मोच आई है इसलिए लगाने लेके जा रही हू
क्रमशः...................
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नौकरी हो तो ऐसी--20
गतान्क से आगे…………………………………….
मैने कहानी शुरू की तो दोनो भी मस्त ध्यान लगाके कहानी सुनने लगी… जैसे ही कहानी आगे बढ़ने लगी वैसे वो लोग और मशगूल हो गये…. अभी कहानी मे नाटकीय पड़ाव आया जिसमे लड़का लड़की को ढूँढ रहा है बीच घने जंगल मे और वो उसे मिल नही रही है… थोड़ा सा डरावना प्रसंग था...
इतने मे मालंबंती और नसरीन मेरे बाजू आई मैने कहा – क्या हुआ
दोनो – डर लग रहा है
मैं – अरे येतो सिर्फ़ कहानी है
नसरीन- नही पर ये डरावनी है
मालंबंती - हम दोनो आपके पास बैठे?
मैं – क्यू
नसरीन – आप के पास आपका हाथ पकड़ कर बैठेंगे तो हमे डर नही लगेगा… दादी जब हमे कहानी सुनाती है और हम डर जाते है तो हम उनका हाथ थाम के बैठ जाते है
मैं – ठीक है ….आओ बैठो मेरे पास
दोनो एक एक बाजू से मुझसे चिपक गयी… वैसे ही मेरे शरीर मे लहर दौड़ गयी… उन हसीन जवान स्पर्शा ने मेरे अन्ग अन्ग मे ज्वाला लगा डाली… मैं सोचने लगा इस अवस्था मे हवेली मे मुझे किसीने देख लिया तो मेरे तो लग जाएँगे.. मैं बोला – एक काम करो ये दरवाजा बंद कर लो
नसरीन – हाँ मुझे भी ऐसे ही लग रहा है क्यू कि ऐसा लगता है कि दरवाजे के बाहर से कुछ तो आवाज़े आ रही है
मालंबंती उठी और गांद हिलाते हुए जाके दरवाजा बंद कर दिया अब मैं निश्चिंत हो गया. अभी ये दोनो मुझसे कितनी भी चिपके मुझे कोई फ़र्क नही पड़नेवाला था.. मेरा लंड नीचे अभी सलामी देने लगा था…
हम तीनो साथ मे बैठ गये वैसे मैने आगे कहानी बताना शुरू किया, जैसे ही कहानी आगे बढ़ी मैने कहानी मे और थोड़े डरावने किस्से डाल दिए इस वजह से वो दोनो मुझसे और चिपक गयी…
नसरीन ने अपना सर मेरे बाए कंधे से पूरी तरह चिपका लिया मानो जैसे कंधे पे रख दिया हो… उसकी वो गरम साँसे मुझे उत्तेजित करने लगी. मेरी छाती पे उसकी हर एक गरम साँस मेरी शर्ट को भेदकर हलचल मचाने लगी…. उसके वो मुलायम गाल मुझसे कुछ इंच की दूरी पे थे… पर मैने अपने पे काबू रखा हुआ था….
उधर मालंबति बोली – मुझे आपकी गोद मे बैठना है
मैं – अरे क्या हुआ............अब?????????
मालंबति - दादीजी हमे जब भी कहानी सुनाती है तो और हमे बहुत ज़्यादा डर लगने लगता है तो अपने गोद मे बिठा के कहानी सुनाती है
मैं – क्या …. गोद मे
नसरीन – हां… और वो हमे कभी ना नही बोलती
मैं – पर मैं तुम्हे गोद मे नही बिठा सकता
मालंबंती – अरे आप हमे गोद मे नही बिठाएँगे तो मैं दादाजी को बोल दूँगी
मैं – ठीक है आओ बैठो
मैने अपनी टाँगे मोड़ ली… और पालती डालकर उसको अपने गोद मे बिठा दिया… बाजू मे नसरीन अपना सर पूरा मेरे कंधे पे टिकाए आँखे लगाकर मस्त हो रही थी… उसके शरीर मे मेरे स्पर्श से ज़रूर कुछ तो हलचल हो रही थी इसलिए उसने आँखे बंद कर रखी थी…. मालंबंती जैसे ही मेरी गोद मे बैठ गयी मेरी जाँघो मे एक दम से उर्जा दौड़ गयी…. उनमे अचानक से ताक़त आ गयी मानो…. मेरी जंघे उसकी वो मस्त गांद से मदमस्त होके चिपक रही थी…
मेरे लंड महाराजा का हाल बहुत ही ज़्यादा बुरा हो चुका था…. वो चुदाई से पहले वाला रस उगल रहा था और मेरी पॅंट मे तंबू बनाके बैठा था
मैं बहुत ही बड़ी कशमकश मे था कुछ करू तो दुविधा नही करू तो लंड दुविधा… कहानी से ध्यान काफ़ी भटक रहा था तब भी मैं सुना रहा था… तभी मैने देखा नसरीन का हाथ मेरी पॅंट पे है और वो मेरी पॅंट के उपर से हल्के हल्के हाथ घुमा रही है… मेरी उत्तेजना की सीमाए बढ़ रही थी उधर मैं कहानी बताए जा रहा था
तभी मैने पाया मालंबंती का हाथ भी मेरी पॅंट पे घूम रहा है वो मूड के थोड़ा चेहरा मेरी तरफ करके फिरसे मेरी एक टाँग पे गांद रख के बैठ गयी और दोनो मिलके मेरी पॅंट को सहलाने लगे…
मैं मदहोश हुए जा रहा था मैं तो यही चाहता था…. पर थोड़ा विरोध दर्शाना मैने ठीक समझा
मैने कहा –अरे कककक .. क्या ………????
नसरीन – कुछ नही आप बस कहानी सुनाइए….
मैं अपनी कहानी बड़बड़ाने लगा. दोनो ने नीचे मेरी पॅंट की चैन खोल दी… और मेरे लंड को बाहर निकाल के उससे खेलने लगी दोनो के निपल्स एक दम टाइट हो गये थे.. और चेहरे पूरे लाल… मैने भी थोडिसी हरकत करना ठीक समझा और मालंबंती की पीठ को पीछे से सहलाने लगा…. वो और गरम हो रही थी…. दोनो मिलके मेरे सूपदे की चमड़ी उपर नीचे खिच रही थी….
तभी मालंबंती उठी और उसने दीवान पर खड़े होके अपनी सलवार निकाल दी और बाद मे पॅंटी भी मैं देखते रह गया वो गोरी गोरी मांसल जंघे ओए वो कमसिन जवानी …वाह क्या माल थी वो सलवार निकाल के वो मेरे पास आई और मेरी पॅंट का हुक खोल दिया नसरीन थोड़ा बाजू सरक गयी और मालंबंती ने मेरी पॅंट के साथ मेरी अंडरवेर भी पाव से बाहर खिच ली मैं नीचे पूरा नंगा हो गया….
मालंबंती ने फिरसे मुझे गोद मे बिठा ने कहा और मैने पालती मार के उसे गोद मे बिठा लिया उधर नसरीन ने अपनी कमीज़ निकाल दी…. वाह क्या नज़ारा बन रहा था उसने कमीज़ निकाली और उसके वो मस्त संतरे जैसे दूध एक दम सख़्त अवस्था मे थे…. वो निपल्स अपने गुलाबी लाल रंग से मुझे मदहोश करने लगे…
मेरा कहानी सुनाना अभी भी जारी था… और कहानी मे एक से एक सुरीले पड़ाव लाके सुना रहा था….
मालंबंती की गोरी गोरी जंघे मेरी जाँघो पे घिस रही थी और मेरे हाथोसे नसरीन के कोमल स्थान… मालंबति की गांद के बीच की दारर मे मेरा लंड फिट बैठ था और संभोग पूर्व पानी छोड़ रहा था…. नसरीन से रहा नही गया उसने मेरे गालो पे चूमना शुरू किया इसका असर ये हुवा कि मेरा बोलना बंद हो गया… कहानी रुक गयी और हक़ीकत रंग लाने लगी… नसरीन के कोमल होठ मेरे गालो पे फूल के अनुभव जैसा रोमांच पैदा कर रहे थे… मेरे गोद मे मालंबंती गरमा हो हो के लावा बन चुकी थी.. उसका पूरा चेहरा काम वासना से भर गया था…. और नसरीन अभी मेरी छाती को चूमे जा रही थी….
उतने मे मैने कहा – चलो अभी कुछ अलग करते है
नसरीन – अलग…. अलग क्या?
मैं – अलग मतलब कुछ …तुम्हे पता है जैसे…
मालंबंती – जैसे ??... जैसे तैसे क्या… ये मस्त है
मैं – ये तो है ही पर इससे भी कुछ अच्छा है… अगर तुम चाहो तो?
नसरीन – हाँ हाँ हमे चाहिए बताओ ना और क्या और क्या ….
मैं – वो जो तुम्हारी बुर है उसमे ….
मालंबंती – उसमे क्या…. उसमे तो मेरी उंगली भी नही जाती…. और उधर बहुत कुछ होता है
मैं – हाँ वो जो होता है… उससे भी ज़्यादा मज़ा आता है ….
नसरीन – नही पर उधर नही… उधर उंगली डालने पे बहुत दुखता है… इससे अच्छा आप हमे बस गोद मे बिठा के कहानी सूनाओ
मालंबंती – हाँ हमे आप की गोद मे ही मज़ा आता है….
मैं इन दोनो लड़कियो को कैसे समझाऊ कि जो तुम कर रहे हो वो तो बस काम क्रीड़ा की पहली सीढ़ी है… पर समझाना इतना आसान नही लग रहा था क्यू कि ये तो उधर उंगली डालने को भी नही दे रही थी… मैने कुछ सोचा और उनकी तरफ मूड के बोला
मैं – ठीक है…. पर उधर अगर तुम्हे दर्द होता है तो और …
मालंबति – और क्या…..???
मैं – और एक जगह है जहा तुम्हे उंगली डालने से कम दर्द होगा..
नसरीन – कहाँ कहाँ…..???
मैने मालंबंती को थोड़ा सा उपर उठाया और उसकी गांद के छेद पे उंगली रख के दोनो से कहा यहाँ
दोनो एक साथ बोली – यहाँ …. यहाँ कैसे…. यहा तो कुछ छेद दिखता भी नही
मैं – पर तुम लोगोने कभी यहा उंगली डाल के देखा है
दोनो – नही तो …
मैं – इसलिए तुम्हे पता नही ….
दोनो – क्या???
मैं – यही कि इधर उंगली डालने से बहुत कम दर्द होता है और मज़ा भी बहुत आता है …. और इससे तुम्हारा जो उपर वाला जो छेद है उसको भी खोलने की ज़रूरत नही ….मालंबती के छेद के उपर हाथ रखते हुए कहा
नसीन – पर ये कैसे होगा …इधर तो कुछ छेद है ही नही ???
मैं – मैं दिखाता हू ना तुम्हे ….
मैने मालंबंती को घोड़ी के जैसी अवस्था मे झुकाया.. नसरीन को उसके चूतरो को फैलाने को कहा और मालंबंती की नाज़ुक गोरी लाल लाल गांद के छेद पे नसरीन को बोला
मैं – ये देखो…. है ना छेद
नसरीन – पर ये तो बहुत छोटा है …इधर उंगली कैसे जाएगी
मैं – यहा उंगली नही मेरा लंड भी जाएगा
मालंबनती – क्या तुम इधर अपना लंड डालोगे?
मैं – हां… और तुम्हे सबसे ज़्यादा मज़ा आएगा
मालंबंती – नही नही नही बाबा मुझे नही इतना बड़ा लंड अपने इतने छोटे से छेद मे डलवाना है मेरा दिल बोल रहा है कि इसमे आप की कोई चाल है
नसरीन – अगर इसमे बहुत मज़ा है तो आप मेरी गाड़ के छेद मे ये लंड डाल दो… पर मज़ा आएगा ना बहुत …जैसे गोद मे बैठने से आया था (मालंबती नसरीन की हिम्मत और तंग शरीर की तरफ देखती रह गयी)
मैं – (नसरीन की चुचियाँ हाथ मे मसलते हुए)हाँ तुम्हे बहुत मज़ा आएगा पर उससे पहले हमे कुछ करना पड़ेगा…
मालंबती – क्या करना पड़ेगा…
मैं – तुम कपड़े पहेन कर जाओ … और किचन से तेल की शीशी लेके आओ
मालंबनती – क्यू तेल क्यू…
मैं – इसमे लगाने के लिए …तभी तो मेरा लंड इसमे जाएगा….. नहितो फिर दर्द होगा…
नसरीन – नही नही दर्द नही होना चाहिए… मालू तू जा गुपचुपसे किचन से तेल की सीशी लेके आजा
मैं – पर ख़याल रहे चुपके से लाना और किसिको नही बताना….. और कोई पूछ भी ले तो बोलना कि पाव मे मोच आई है इसलिए लगाने लेके जा रही हू
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हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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