Monday, May 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI वासना का नंगा नाच--3

FUN-MAZA-MASTI

 वासना का नंगा नाच--3


 पता नही कितने घंटे वो यूँही लेटे रहते एक दूसरे के जिस्म को सहलाते हुए,अगर रात में अचानक बाधा ना आती एक ज़ोर की आवाज़ जो कमरे के बाहर से आई, कोई चिल्ला चिल्ला कर उसे पुकार रहा था.
मिस सोनी ? मिस सोनलप्रीत कौर?
सोनी एक आह भर उठी, अपना गाउन पहना, जो एक लाग्ज़ूरी इस ट्रिप पे उसने अपने पास रखी थी, वहाँ से उठा कर जहाँ रात को बेखायाली में फर्श पर उत्तार फेंका था.
‘ओह नो’ हमने ज़रूर पड़ोसियों को जगा दिया होगा, मुझे यकीन है साथ वाली बुढ्डी ने शिकायत करी होगी हमारे शोर की……’
विशाल उठा और फटाफट अपनी जीन पहनी.
‘मिस कौर ! पुलिस’
‘अच्छा, अच्छा, आ रही हूँ’
सोनी ने दरवाजा खोला सामने दो टर्किश पुलिस वाले खड़े थे, अपने सामने खूबसूरत सीखनी को देख उनका बुरा हाल होने लगा, उसके उभार, उसके जिस्म का हर मोड़ उसके गाउन से झलक रहा था.
‘येस? वॉट इस इट? इफ़ इट’स अबाउट दा नाय्स……..’
उनमे से जो लंबा पुलिसे वाला था अपना सर ना में हिल्लाया और हाथ खड़ा कर बोला
‘नो, नो,इट इस नोट डेट’ सोनी खुश थी की वो अच्छी इंग्लीश बोल रहा था, क्यूंकी अरबी लोग जिस तरहा इंग्लीश बोलते हैं आधी बात तो समझ में ही नही आती.
‘यू विल पर्मिट अस टू एंटर?’
सोनी ने एक ठंडी साँस भरी.
‘हेल्प युवरसेल्फ’
वो मूडी और उन्हें अंदर आने का इशारा किया.
‘वॉट’स दा मॅटर?’ विशाल ने अपने जूते पहनते हुए पूछा. वो कुछ परेशान सा हो गया था. डिग्गिंग साइट से कुछ आर्टिफाक्ट गायब थे. और विशाल उसके बारे में बहुत कुछ जानता था पर ये नही चाहता था की पुलिस को पता चले.
सोनी ने कंधे झटकाए.
‘नो आइडिया. समथिंग एंड नथिंग, आई एक्सपेक्ट. इट यूष्यूयली इस मे बी सम कार इस स्टोलन’
‘ई आम अफ्रेड वी हॅव सम वरिन्ग न्यूज़ फॉर यू मिस कौर’ पुलिस वाला बोल पड़ा. Fरेन्चPओलिcए थ्रू फ्रेंच गूव्ट इनफॉर्म्ड इंडियन गूव्ट. आंड इंडियन एंबसी हास टोल्ड उस तो कॉंटॅक्ट योउ’
सोनी के गर्दन के बॉल खड़े हो गये.
‘फ्रेंच पोलीस? इंडियन गूव्ट ? वॉट इस तीस ऑल अबौट?’
‘इट’स अबौट युवर सिस्टर’
‘मोनी!!!’ सोनी के चेहरे का खून सूख गया. वाइ? वॉट हॅपंड? हेज़ देअर बिन सम सॉर्ट ऑफ आक्सिडेंट?’ सोनी को वो सारे परेशान करने वाले सपने याद आने लगे. उसे अभी पता चला की कुछ बुरा होने वाला है.
‘आइ एम अफ्रेड, वी डॉन’त, नो, एस पर दा मेसेज वी रिसीव्ड , इट वुड अपीयर देट शी हेज़….डिसपीयर्ड’
सोनी धम से कुर्सी पे गिर सी पड़ी.
‘डिसपीयर्ड? बट…. शोर्लि यू मस्ट नो समथिंग’
‘वेरी लिट्ल, मेडम , दा फ्रेंड शी वाज़ स्टेयिंग विद इन वलाज़ूर, रिपोर्टेड हर टू बी मिस्सिंग ए फ्यू वीक्स अगो, नथिंग हेज़ बिन हर्ड सिन्स’
‘परहेप्स शी मूव्ड आउट’ सोनी ने कुछ कारण सोचा ‘ शी नेवेर स्टेज़ लोंग एट वन प्लेस’
‘वेरी अनलाइक्ली मेडम डेट हर डिपार्चर वाज़ प्लॅंड. ऑल हर क्लोद्स एंड पोज़ेशन्स वर लेफ्ट बिहाइंड. शी जस्ट वॅनिश्ड विदाउट ट्रेस’
‘नो!’ सोनी ने विशाल के हाथ अपने कंधों पे महसूस किए, पर उसने विशाल की तरफ कोई धयान नही दिया. ‘डेट कॅन’त बी ट्रउ’
‘आई एम शूयर् फ्रेंच पोलीस विल डू एवेरितिंग तो फाइंड हर एंड इफ़ एनितिंग न्यू इस डिसकवर्ड…..’
सोनी ने विशाल के हाथ अपने कंधों से हटाए और खड़ी हो गई.
उसने बड़ी मजबूती और विश्वास के साथ कहा ‘ नो ! डेट रियली इस्न’त गुड एनफ. देअर हेज़ टू बी सम्तिंग आई कॅन डू’
‘लेकिन क्या?’ विशाल ने पूछा झलते हुए. वो मोनी के बारे मे काफ़ी कुछ सुन चक्का था सोनी से. उसे लग रहा था की ये मोनी का कोई नया खेल है, लापरवाह और गैरजिम्मेदार तो वो है ही, कहीं भी चली जाती है बिना किसी को कुछ बताए. ‘तुमने मुझे अपनी बहन के बारे में बताया था, सोनी. वो सेफ होगी. मुझे यकीन है. तुम्हें कोई चिंता नही……….’
सोनी की नज़रें विशाल से मिली.
‘इस बार सच में कुछ बुरा हुआ है.’ वो बोली ‘ मैं महसूस कर सकती हूँ. मुझे कई दिनो से पता था….तुम जानते हो जुड़वे कैसे होते हैं. कई बार हमारे बीच में टेलीपेठी होती है. कुछ हुआ है मोनी को और मैं पता कर के रहूंगी क्या.’
‘लेकिन कैसे?’
‘तुम कैसे सोचते हो? मैं वलाज़ूर जा रही हूँ.


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वलाज़ूर उस वक़्त दोपहर की गर्मी से तप रहा था, सोनी ने ड्राइवर का शुक्रिया अदा किया जिसने उसे यहाँ तक छोड़ा.
अब सोनी के पास इतने पैसे तो नही थे की कार हायर करके आती, किसी भी तरहा, कहीं लिफ्ट, कहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करते करते आख़िर वलाज़ूर पहुँच ही गई. कोई और समय होता तो वो इस तरहा कभी ना ट्रॅवेल करती, पर अब तो उसके लिए एमर्जेन्सी थी.
फ्रेंच रिवीयेरा के आलीशान रिज़ॉर्ट्स से कुछ मील अंदर वलाज़ूर गाँव एकदम अकेला सा पड़ता था. चारों तरफ पेड़ों से लदे पहाड़ और वॅली के बीच में बसा, लाल क्ले से बनी छतेन सूरज की सीधी किरणों से तप रही थी.
वलाज़ूर उसके लिए एक आश्चर्य साबित हुआ, दोपहर को सड़के एक दम सुन सान,किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि नही. लंच समय के दोरान यहाँ सब आराम करते हैं, कोई भी हो, कोई काम नही करता है और इससे ये सीएसटा कहते हैं.
ताज़ूब की बात थी की रिवीयेरा, नाइस और आंटिब्स के इतने पास होते हुए भी, वलज़ूर दोपहर में सोता हुआ दिख रहा था. सोनी को जल्दी ही समझ में आ गया क्यूँ ऐसा हो रहा था. थोड़ी ही देर में उसके पैर तपने लगे, और उसकी गर्दन जैसे जलने ही लगी थी सड़क पे खड़ा होना भी मुहाल हो रहा था. ये जगह काम करने के लिए नही थी – ये तो अर्ध नग्न हो कर सुसताने और मस्ती मारने के लिए थी. कोई आश्चर्य नही लग रहा था की मोनी को ये जगह बहुत पसंद आई थी.
मनप्रीत कौर. सोचते ही उसका दिमाग़ उसे यथार्थ में ले आया, वो यहाँ छुट्टियाँ मानने नही आई थी, जैसा की उसका सीनियर ऑफीसर सोच रहा था. वो आई थी पता करने की उसकी जुड़वा बहन मोनी के साथ क्या हुआ.
सड़क पे धीरे धीरे चलते हुए वो दुकानों पे नज़र डाल रही थी . भूख और प्यास के मारे उसका बुरा हाल था, लेकिन दोपहर में सब दुकाने बंद थी, कुछ की ब्लाइंड्स नीचे गिरी हुई थी तो कुछ ने तो शटर ही नीचे गिरा रखे थे.
कुछ भी नही खुलने वाला कम से कम दो-ढाई बजे तक. और शायद इतनी देर तक भूखा प्यासा रहना उसके बस में नही था. और उसे रात में रुकने के लिए ठिकाना भी ढूंडना था.
एक दुकान उसे खुली नज़र आई, जहाँ से कुछ आवाज़ें आ रही थी, और अच्छी सुगंध आ रही थी पेटिस और सॉसेजस की. हान लंच!!!
जैसे ही उसने अंदर कदम रखा,आह क्या ठंडक थी, सब कुछ जैसे जम गया. सब की आँखें मूड के उसपे जम गई., मुँह खुले रह गये. एक के हाथ से वाइन ग्लास छूट कर तड़क ज़मीन पे गिरा और टुकड़े टुकड़े हो गया.
‘पोर ल’अमौर डू बॉन ड्यू….!’ ( मतलब फॉर गोद’स सेक!!!)
बार के पीछे से विस्मय से भरी आवाज़ आई, एक पतला, स्लेटी रंग वाले बॉल लिए आदमी एक ग्लास में किसी तरहा की शराब डाल रहा था. उसके चेहरे पे हैरानी थी, कुछ भयभीत सा दिख रहा था.
सोनी को समझने में कुछ पल लगे की क्यूँ सभी एक दम हैरान हो गये. वो बार के काउंटर पे गई और एक 50 फ्रॅंक का नोट रखते हुए कुछ खाने का ऑर्डर दिया. ( अपने पर्स से एक इंग्लीश टू फ्रेंच की डिक्षनरी निकाली कुछ पल देखा और बोली “बोनसिउर जे म'अप्पेल्ले मॅडमज़ेल कौर . मॅडमज़ेल सोनलप्रीत कौर. “ ( गुड दे . मेरा नाम है मिस कौर. सोनलप्रीत कौर)
एक राहत भरी साँस सब ने ली और बार में फिर पहले जैसी हलचल शुरू हो गई, जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
बार मेन ने एक वाइन का ग्लास और हेम और चीज़ बर्गर सोनी के सामने रख दिया. चेंज उसके हाथ में पकड़ाते हुए बोला
‘तो मिस कौर, आप शायद बहन हैं मनप्रीत कौर की?’
सोनी ने वाइन का सिप लिया.
‘बिल्कुल ठीक. मैं यहाँ आई हूँ जानने के लिए की क्या हुआ उसके साथ. क्या आपको कुछ पता है?’
उसने सीधा बार मेन की तरफ देखा पर वो नज़रें बचाने लगा.
‘नही. यहाँ कोई नही जानता. बहुत दुख की बात है. हम सोच भी नही सकते वो कहाँ गायब हो गई. हमने पुलिस को इनफॉर्म कर दिया था…पर….’
‘ह्म्म’ सोनी हैरान थी की सबके कान उनकी बातों पे लगे हुए थे पर हर कोई उसे अवाय्ड कर रहा था.
सोनी अपने चारों तरफ के वातावरण को ले कर बहुत ही सेन्सिटिव थी. और यहाँ उसे एक अजीब सा महॉल मिल रहा था. दुश्मनी तो नही पर दोस्ती जैसा भी नही , बस अनोखा….जैसे …..शायद ….एक षड्यंत्र हो खामोशी का.
उसने सोचा की बातों का सिलसिला कुछ बदल लेना चाहिए इसी में इस वक़्त अकल्मंदी है.
‘मैं कुछ रहने का ठिकाना ढूंड रही हूँ वलाज़ूर में, क्या आसपास कुछ है यहाँ …. महँगा नही ?’
बार मेन ने कंधे उचकाय.
‘हमारे पास कुछ कमरे हैं. ल्ग्ज़ुरी नही, पर कॉम्फर्टेब्ल हैं’
‘मैं यहाँ रह सकती हूँ, कुछ रातों के लिए?’
बर्मन ग्लासस सॉफ करता रहा और सोनी की तरफ धयान ना देते हुए बोला
‘काम वू वोलेज़’ - (जैसी आपकी मर्ज़ी)
सोनी को बार मेन की ये बेरूख़ी कुछ अखरी. वो बात ही नही करना चाहता था. वो अपनी प्लेट उठा कर एक टेबल की तरफ बड़ी. सबकी नज़रें उसी पर टिकी हुई थी. वो अचानक मूडी , सब कहीं और देख रहे थे – उसमे कोई भी कोई इंटेरस्ट नही दिखा रहा था.
सोनी बिल्कुल कोने की टेबल पे चली गई, अपने बॅक पे लटका हुआ बॅग उतारा और बैठ गई. उसने अपनी नज़रें वहाँ बैठे लोगो पे डाली. ज़यादा तर सब आदमी 30-40 की उम्र के बीच के थे, एक के साथ एक औरत थी जिसने एक सफेद शॉर्ट और एक टाइट टॉप पहना हुआ था जो उसके छोटे पर उन्नत उरोज़ दर्शा रहा था. उस औरत के साथ अधेड़ उम्र का आदमी था जो उसकी झांगें सहला रहा था पर उसकी नज़रें सोनी पे ही टिक्की हुई थी.
सोनी इस अजीब से महॉल को समझने की कोशिश कर रही थी और उसे पता ही नही चला की कोई उसके पास आ के बैठ गया है, जब तक उसने एक हाथ अपने कंधे पे महसूस ना किया और उसकी आवाज़ अपने कानो में ना सुनी.
‘मिस कौर? सोनलप्रीत?’ वो इंग्लीश में बोला
‘क्या?’ सोनी एक दम मूडी और सामने एक जवान 25-26 साल का लड़का था, चेहरे पे मुस्कान , बिखरे भूरे बॉल,दोस्ती सा अपनत्व. उसने डेनिम्स और चेक शर्ट पहनी हुई थी. कमीज़ के बाजू कोहनी तक रोल किए हुए थे और शर्ट के उप्पर वाले दो बटन खुले थे.
‘सॉरी, मैने शायद आपको डरा दिया’


‘वेल-----‘
‘देखो ये बहुत अजीब लग रहा होगा, इतनी दूर से यहाँ तक आना, और एक बार में एक क्रेज़ी अँग्रेज़ से टकरा जाना. जैसे ही मुझे पता चला तुम कौन हो. मैं रुक नही सका, मुझे तुमसे बात करनी है’
‘किस बारे में?’
‘ह्म…….. देखो, कुछ मुश्किल है यहाँ बात करना. ये जगह सेफ नही है’
सोनी उसकी तरफ देखने लगी कुछ उत्सुकता और कुछ संशय के साथ. वो हैरान हो रही थी की वलाज़ूर में क्या हो रहा है.
‘क्या मतलब है आपका की ये जगह सेफ नही है?’

‘कुछ बातें हैं जो तुम्हें जानी चाहिए. सच में अच्छा यही होता की तुम यहाँ ना आती. पर अब जब तुम आ ही गई हो तो ……’
‘क्या आप मुझे डरना चाहते हैं?’
‘नही, कम से कम, ऐसा तो नही जैसा तुम सोच रही हो.मुझे सिर्फ़ तुम्हारी सेफ्टी की चिंता है’
‘मैं बड़ी औरत हूँ, अपना ख़याल खुद रख सकती हूँ. थॅंकयू वेरी मच’
‘हन, मुझे यकीन है मनप्रीत ने भी यही कहा था’ उसने अपने ग्लास की तरफ देखते हुए कहा.
‘क्या जानते हो आप मनप्रीत के बारे में? क्या आप जानते हो क्या हुआ उसके साथ?’
‘मैं……नही,मुझे नही मालूम. लेकिन ये कह सकते हैं मुझे कुछ शक़ है. मैं तुम्हें बता सकता हूँ जितना मैं जानता हूँ……लेकिन मैं यहाँ कोई बात नही कर सकता. मैने कॅप कार्लोट्ते में कमरा लिया हुआ है, यहाँ से कुछ मील दूर समुद्र के किनारे के पास. अगर तुम मेरे साथ चलो…….’
सोनी ने अपना सर हिल्लाया.’ एक .मिंट एक मिंट. आप जो भी हो, जो भी आपका नाम है. मैं किसी अजनबी के साथ बिल्कुल नही जानेवाली. और तब तक तो बिल्कुल नही जब तक आप मुझे कुछ और ना बताओ. और मुझे क्या पता की कहीं आप ही तो नही मोनी के गायब होने के पीछे?’
उस अजनबी ने एक लंबी साँस छोड़ी ‘ देखो मैं समझता हूँ तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा है. लेकिन जैसा मैने पहले कहा यहाँ बात करना ख़तरनाक है. मेरा नाम इवान पीटरसन है और मैं एक फ्रीलॅन्स पत्रकार हूँ.इतना ही तुम्हें बता सकता हूँ’ वो टेबल पी आगे झुका और हल्की आवाज़ में बोला ‘ इस जगह से निकल जाओ सोनलप्रीत, यहाँ मत रूको. अगर तुम रुकी, तो बाद में तुम्हें पछताना पड़ेगा’
सोनी खड़ी हो गई . उसे बातों का रुख़ अच्छा नही लग रहा था. ‘क्या आप मुझे धमकी दे रहे हो मिस्टर. इवान पीटरसन?’
इवान ने हताश होते हुए गहरी साँस ली. ‘ ये बकवास मत करो, मैं कोई धमकी नही दे रहा ना डरा रहा. मैं सिर्फ़ तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा हूँ. बस और कुछ नही’
‘ मैं अपना धयान रख सकती हूँ’ सोनी जाने के लिए मूडी.’ अगर तुम्हारे पास इतनी जानकारी है तो तुम पुलिस को क्यूँ नही बताते?’
इवान अपनी कुर्सी पे पीछे सरक गया और बालों में हाथ फेरते हुए बोला’ जाओ, जा के बात करो उनसे अपने आप सोनलप्रीत. जा के इनस्पेक्टर डेफ़रगे से मिलना. शायद तब तुम्हें कुछ समझ में मेरी बातें आए’

एक लंबी हतोत्साहित (फ्रस्ट्रेटिंग) दोपहर के बाद, शाम को सोनी फिर बार में वापस आइी.
उसे अहसास होने लगा था की उसे इवान के साथ इतना रूखा नही पेश आना चाहिए था. अब उसे समझ में आ गया था की वो लोकल पुलिस पे क्यूँ विश्वास नही कर रहा था.
उप्पर से तो वो काफ़ी मिलनसार थे – शायद मदद करने वाले भी. हाँ, वो सब कुछ कर रहे हैं मोनी को ढूँडने के लिए. नही, उनके पास कोई सुराग नही. नही, कुछ भी नही, फिर भी वो पूरी कोशिश कर रहे हैं , अगर कोई खबर मिली तो…..
लेकिन वो इनस्पेक्टर डेफ़्रागे कुछ बाधक था. कुछ ऐसा था जो वो छुपा रहा था, लगभग ऐसा संशय था जैसे मोनी के साथ कुछ बहुत बुरा हो चुका है, पर वो बता नही रहा था.
उसने सोनी पे लाइन मारने की कोशिश करी, ये कहते हुए की वो बहुत खूबसूरत है, और उसके उरोज़ को छेड़ने की कोशिश करी. ऐसा लग रहा था जैसे वलाज़ूर का हर इंसान सिर्फ़ वासना का पुजारी था.


बार में बैठी वो अकेली वाइन पी रही थी, और सोच रही थी की आगे क्या करे. ऐसा वो क्या कर सकती है जो अब तक पुलिस ने नही किया? या वाक्य में उन्होने ने कुछ किया भी है?

शायद उसे इवान के साथ उसके रूम में जाना चाहिए था? कोई बात नही वो दुबारा ज़रूर दिखेगा.

बार का मलिक बहुत रूखा बर्ताव कर रहा था और साथ साथ नींबू के छोटे छोटे स्लाइस काटता जा रहा था.

‘तो आज कोई कामयाबी नही मिली मिस कौर?’

‘ ना आज किस्मत अच्छी नही थी’

‘तो अब हिन्दुस्तान वापस जा रही हो?’

‘अभी नही’ सोनी थोड़ी खुश और थोड़ी हताश थी, हर कोई उस से पीछा छुड़ाना चाहता था. ‘ मैं हार मानने वाली नही. अभी तो सिर्फ़ एक दिन ही हुआ है’

बार मेन के चेहरे के भाव बदल गये, कोई कस्टमर आ गया था.

‘आह मोस्यूवर सॅम्यूल!’ वो ऐसे बोला जैसे कुत्ता अपने मालिक को खुश करना चाहता हो.

वो नया आदमी लंबा, शायद 30 के करीब होगा और बहुत ही हॅंडसम, घुँगराले ,गोलडेन ब्राउन बॉल, ग्रे-ब्लू चमकती हुई आँखें और बहुत ही शार्प चेहरे के फीचर्स थे.

केसुअल कपड़ों में भी बहुत परिष्कृत ( सोफिस्टीकेटेड) लग रहा था. उसकी शर्ट और ट्राउज़र के कट बता रहे थे की वो अथलेटिक जिस्म का मालिक है.
जब वो बार के पास आया तो उसने सोनी को एक तारीफ करती हुई स्माइल दी.

सोनी ने उसकी स्माइल का जवाब सर हिल्ला के दिया, उसने एक बियर ली ग्लास में डाली, सोनी की तरफ मुड़ा और बार के काउंटर पे अपनी कोहनी टीका कर उसकी तरफ थोड़ा झुक गया.

‘मोस्यूवर’ सोनी अपने दिमाग़ की नसों के अंदर अपनी यादश्त में कुछ पहचानने की कोशिश कर रही थी. सेमुअल? ये नाम उसे सुना हुआ लग रहा था. कहाँ सुना था?

‘ ये मिस सोनलप्रीत कौर हैं, मोन्सिीएउर सेमुअल’ बार मेन ने नये आदमी की कोहनी को थोड़ा हिलाया और सोनी की तरफ इशारा किया. ‘ मनप्रीत कौर की बहन…..’

‘इनडीड’ सेमुअल ने अपना ग्लास रखा और सोनी का हाथ थाम कर थोड़ा दबाया और अपने होंठों से लगा कर किस किया.

‘आह दोनो में कितनी समानता है. मुझे इज़ाज़त दो कुछ अपने बारे में बताने के लिए. मेरा नाम सेमुअल ले रोकक़ , हिन्दी में इसलिए बोल रहा हूँ क्यूंकी मेरी मा हिन्दुस्तानी थी. मेरा एक विला गोआ में है और एक यहाँ. मोनी मेरे साथ ही यहाँ आई थी.

मोनी और मैं अच्छे दोस्त थे इस से पहले की………’ वो कुछ झिहका ‘ शायद तुम जानती हो की मोनी मेरे विला में मेरी गेस्ट थी जब वो गायब हुई’


सोनी को याद आ गया मोनी ने अपनी चिठ्ठी में सेमुअल का ज़िक्र किया था. जिसकी वो मेहमान बन कर रह रही थी. तो ये है सेमुअल. सोनी को ये अहसास हो गया की कोई भी लड़की इस इंसान के लिए पागल तक हो सकती है इतना आकर्षण था इस इंसान में……………………..

‘ क्या तुम वहाँ थे जब वो गायब हुई?’

बदक़िस्मती से नही. जब मैं अपने बिज़्नेस टूर से वापस पहुँचा तो पूर गाँव में तहलका मचा हुआ था. ऐसा अनुमान है की वो रात में कहीं निकल गई वापस ना आने के लिए.

हम सब को बहुत शॉक लगा. खास कर मुझे क्यूंकी मैं खुद को ज़िम्मेदार समझता हूँ इस सब के लिए, ना मैं उसे यहाँ ले के आता ना ये हादसा होता. मुझे बहुत दुख है. ‘ वो कुछ देर रुका अपने ग्लास से एक लंबा घूँट भरा .
 
 






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