FUN-MAZA-MASTI
वासना का नंगा नाच--4
अब आगे
‘ जो हो चुका है, वो हो चुका है, काश मुझे पता होता वो कहाँ गई है , और वापस आएगी या नही’
सोनी का दिल उछल पड़ा ये जान कर की ये मोनी का दोस्त था, शायद उसका प्रेमी भी. मोनी की दोस्ती हमेशा इंटिमेट हुआ करती थी. खैर जो भी इनका आपस में रिश्ता था , ये तो सॉफ था की सेमुअल, कितना भी चार्मिंग हो, उसका कोई हाथ नही था मोनी के गायब होने में.
‘मिस……..?’
‘ मुझे सोनी कह कर बुलाओ, मुझे लगता है जैसे मैं तुम्हें जानती हूँ – अपनी बहन के द्वारा’
‘ बिल्कुल सोनी, मैं सोच रहा था … क्या तुम रात को यहीं रुक रही हो?’
‘हां’
‘ अगर तुम रात को मेरे साथ मेरे विला में डिन्नर करो तो मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत समझूंगा’
सोनी के जिस्म में एक ठंडी सिहरन फैलती चली गई, जिसका खुले दरवाजे से आती हुई ठंडी हवा से कोई लेना नही था. सेमुअल, वाक्य में एक आकर्षक आदमी था, चोडी छाती, उभरी हुई सकत मास्सपेशियाँ, भारी सेक्सी आवाज़, उसके कामुक होंठ सामने वाले के होंठों को अपनी और खींचते हैं चुंबन के लिए.
उसकी आँखों में जो चमक थी वो सॉफ सॉफ उसका रुझाव सोनी की तरफ दिखा रही थी.
अगर वो उसके साथ डिन्नर के लिए उसके विला गई, कौन कह सकता है क्या दोनो के बीच हो जाएगा?
लेकिन रूको……ये आदमी मोनी का दोस्त है, नही उसका प्रेमी. ये ठीक नही होगा. उसे नही जाना चाहिए, बिल्कुल नही.
‘वेल……’वो मुस्कुराइ , उत्तेजना की सिहरन ने उसे हिला दिया और वो खुद को बोलते हुए सुनी ‘ शुक्रिया सेमुअल, मुझे बहुत खुशी होगी’
सेमुअल का विला वलाज़ूर के एक दम कोने में था ऑलिव और नीम्बो के पेड़ों से घिरा हुआ चारों और द्रखतों से भरे हुए पहाड़.
सोनी ने ऐसा विला आज तक नही देखा था, किसी मॅगज़ीन के कवर पे भी नही. वो किसी ल्ग्ज़ुरी होटेल की तरहा फैला हुआ लग रहा था न की किसी एक आदमी का घर. एक लंबी ड्राइववे पे घूमते हुए वो पहुँचे और उसने कार विला के सामने रोक दी.
‘मेरे पास और भी कार हैं पर इसमे कुछ रोमॅन्स का मज़ा जिंदगी में जुड़ जाता है, तुम क्या सोचती हो?’
‘मैं……हाँ’ सोनी को लगा जैसे उसकी ज़ुबान पे ताला लग गया हो, वो इस हालत में नही थी की मोनी के बारे में कुछ सवाल पूछ सके. बार में उसने उसे खूब शेम्पेन पिलाई थी, जो सोनी के लिए ल्ग्ज़ुरी थी, पर सेमुअल के लिए जिंदगी की ज़रूरत.
सेमुअल ने जब उसका दरवाजा खोला तो उसे अपना सर हल्का लग रहा था ऐसा नही के नशा चॅड गया हो, वो कार से बाहर निकली और हल्के सरूर में थी, सारे संकोच वो भुला चुकी थी ………और विशाल.
एक काले सूट में बट्लर इंतज़ार कर रहा था उनके कोट लेने के लिए और उन्हें सिट्टिंग रूम में ले जाने के लिए.सिट्टिंग रूम में दुनिया की नायाब आर्ट कलेक्षन थी. कोई डाइनिंग टेबल नही थी.. दीवार के साथ एक छोटी साइड टेबल थी सफेद कपड़े से ढकी हुई और चाँदी की चमकती हुई कट्लरी.
‘प्लीज़ सोनी, आराम से बी कंफर्टेब्ल. क्या तुम ड्रिंक लेना चाहोगी जब तक जोसेफ डिन्नर ले के आता है.?’
‘नही मुझे नही लगता मुझे और लेनी चाहिए, इतनी पहले लेने……..’
‘नॉनसेन्स, शेम्पेन कोई मना करता है, इससे कोई नशा नही होता’ वो टेबल के पास गया और बरफ में लगी हुई बॉटल उठा कर उसका कॉर्क खोलने लगा ---- कोई शक़ नही – जोसेफ को तेलिपेथि द्वारा मेसेज मिल चुका होगा बॉटल को बरफ में लगाने के लिए.
‘ओह सेमुअल, नही सच मुझे नही लेनी चाहिए, ज़यादा शेम्पेन. मेरे ख़याल से मैं पहले ही बहुत ले चुकी हूँ.
‘
उसने उसकी आँखों में देखा और उसे अचानक ऐसा लगा की वो खो चुकी है, तैरती जा रही वासना के समुद्र में’
‘शेम्पेन से कभी किसी का दिल नही भरता, और ना ही प्यार भारी रातों से एक खूबसूरत लड़की के साथ’
उसके शब्द एक तेज़ सर्जिकल छुरी की तरहा उसके दिल को चीर कर , बेरहमी से देख रहे थे, ढूंड रहे उसके अंदर छुपी वासना को और उसे नंगा कर बाहर निकाल रहे थे.
वो महसूस कर रही थी की जो भी थोड़ी बहुत प्रतिरोधिक क्षमता उसके अंदर बची थी वो हर पल कमजोर पड़ती जा रही थी.
उसने अपने आप को समेटने की कोशिश करी और अपनी आवाज़ धीमी और शांत कर ली.
‘क्या ये तुम्हारी जिंदगी का सिधान्त है सेमुअल?’
वो हस पड़ा, लेकिन उसके पीछे एक गहराई थी संजीदगी की, आनंद की पर, उसकी ब्लू-ग्रे आँखें शनील की तरहा नर्म , और बहुत, बहुत अपनी तरफ खींचती हुई.
‘जिंदगी के लिए, प्यार के लिए …………सबके लिए, हर चीज़ के लिए., मैं जिंदगी को खुल के पूरा जीना चाहता हूँ और मज़े लेने चाहता हूँ हर अच्छी चीज़ के और जैसे ये शॅंपेन उधारण के लिए सबसे बाड़िया है जो पैसा खरीद सकता है.और तुम, मेरी प्यारी सोनी, अत्यधिक सुंदर औरत हो.’
इस बार सोनी ने उसकी आँखों में गौर से देखा, उसे लगा उसके अंदर उत्तेजना फूट के बाहर आ रही है जैसे पानी किसी डॅम से फूट कर निकलता है, उसका प्रतिरोध टूट रहा था, मजबूर हो रही थी वो मानने के लिए, उसका जिस्म जवाब दे रहा था पूरे ज़ोर से खुशी के साथ सेमुअल को.
कॉर्क के निकलते ही ज़ोर की आवाज़ हुई और शॅंपेन बॉटल में से उठने लगी एक झाग की तरहा, जिससे सेमुअल ने कारीगरी की तरहा ग्लास में डालना शुरू कर दिया और उपर तक भर कर सोनी को पकड़ा दिया.
सोनी ने अब कोई इनकार नही किया सेमुअल ठीक था- शॅंपेन बहुत ही बाड़िया थी और सेमुअल का साथ उस से भी ज़यादा अच्छा था. कोई फ़ायदा नही था, अपनी उत्तेजना को रोकने का, उसकी झांघों के अंदर खुजली मच चुकी थी,उसकी चूत में गीलापन आ चुका था, वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अपनी झांघें आपस में भींच रही थी.
सेमुअल ने शॅंपेन का एक सीप लिया , सोनी की तरफ कुछ सोचते हुए देखने लगा.
‘कितनी अजीब बात है. तुम बिल्कुल अपनी बहन जैसी दिखती हो………….पर कितनी अलग हो उस से’
सोनी मुस्कुरा उठी.
मनप्रीत बहुत ही तेज़ है, मैं तो बिल्कुल सीधी सॉदी हूँ. एक आम लड़की की तरहा’
‘सच में ?’ सेमुएल ने संशय करते हुए बोहेन उठाई. ‘ये सच है, शायद उपर से तुम बहुत शांत दिखती हो…..खामोशी का जमा पहने हुए अपनी बहन के मुक़ाबले में. बहुत परिपक्व (मेच्यूर) भी हो.
लेकिन मैं तुम्हारे अंदर एक बहुत बड़े जनूंन को महसूस कर सकता हूँ. तुम एक बहुत ही कामुक लड़की हो सोनलप्रीत कौर’
वो उसे घूर्ने लगी,स्तब्ध और उत्तेजित उसके शब्दों से. किसी आदमी ने आज तक उसके साथ ऐसे बात नही करी थी और वो सेमुएल से अभी मिली थी. वो बिल्कुल अजनबी थे – और वो ये भी नही जानती थी की वो उसे पसंद भी करती है या नही.लेकिन सोनी ने जो उसे कहा था वो भी सच था – उसे लगता था जैसे वो उसे जानती है, सिर्फ़ उस दोस्ती के कारण जो उसकी मोनी के साथ थी.
‘तुम बहुत नरम दिल हो’ कहते हुए उसकी आवाज़ काँपने लगी क्यूंकी सेमुएल ने अपना हाथ उसके हाथ पे रख दिया था.
‘मैं कभी नरम दिल नही होता हूँ. नरम दिल होने का मतलब है की तुम दगाबाज़ हो. मैं सिर्फ़ वो कह रहा हूँ जो मैं देख सकता हूँ’ कहते हुए वो बाहर हरे भरे बाग पे नज़रें घुमाने लगा, नर्म गहरा हरा जो ढलते हुए सूरज की रोशनी में चमक सा रहा था. ‘ क्या तुम डिन्नर से पहले मेरे साथ बाग में चलना पसंद करोगी?’
उसके जवाब का इंतेज़ार किए बिना, उसने एक छुपा हुआ बटन दबाया, और शीशे के दरवाजे बिना आवाज़ किए एक रोलर पे खुलते चले गये, भीनी महक वाली हवा अंदर आने लगी. वो आगे बड़ा और उसका हाथ थाम कर उसे बाहर ले चला, जैसे वो कोई छोटी बच्ची हो. उसने कभी इतना अजीब सा महसूस नही किया था एक आदमी के साथ, क्यूंकी वो अपनी टीनेज में वर्जिन ही रही. जब वो ** साल की थी तो उसके राइडिंग सिखाने वाले ने उसे उत्तेजित किया था पर अंत में मोनी थी जिसने अपना कोमरया भंग करवा लिया था. मोनी के लिए कुँवारापन एक रुकावट थी मज़े लेने के लिए.
सेमुएल में कुछ खास बात थी जो उसे अपनी यादों में ले गई और वो मोनी के पहले प्रेमी के बारे में सोचने लगी. शायद इसमे भी वोही गुण हैं जो मोनी इसकी तरफ खीची चली गई और अब वो खुद भी उसके लिए उत्तेजित होती जा रही है. या शायद वो इन हालात को लेकर कुछ ज़यादा ही सोच रही थी.
शायद सेमुएल उसे इसलिए मस्का मार रहा था, क्यूंकी वो मोनी के गायब होने में खुद को कसूरवार समझता था. या फिर वो वाक्य में उसे चाहता था. और जैसे ही उसने सेमुएल की आँखों में देखा, कितनी चमक के साथ वो उसकी चाहत और इच्छा को बता रही थी.
उसकी आँखों में झलकती हुई अपने लिए तड़प,उसका हल्के से उसके बूब्स की स्तेह पर हाथ फिरना, सोनी के जिस्म में नशे को बड़ाने लगा जो शराब से भी ज़यादा था. सोनी बातों को दूसरी तरफ मोड़ने के लिए सोचने लगी क्यूंकी सोनी भी चाहने लगी थी की वो उसे छूले.
‘तुम्हारा घर बहुत अच्छा है सेमुएल’
‘माई डियर, मैं कभी 100% से कम नही देता’ उसने सोनी की आँखों में देखते हुए कहा ‘ किसी भी काम में’
विला के गार्डन बहुत ही अच्छी तरहा रखे हुए थे, एक नज़ाकत की पहचान करा रहे थे.
‘चलो में तुम्हें अपने बाग की सबसे खूबसूरत जगह दिखाता हूँ’
एक कमान की तरहा बने हुए रास्ते पे चलते हुए वो एक जगह पहुँचे जो पत्तों और फूलों से ढका हुआ था और बाहर से नज़र नही आता अगर किसी को उस जगह के बारे में पता ना होता. वो अंदर चले गये और वहाँ बीच में एक तलाब बना हुआ था, जिसमे चमकीली चाँदी के रंग वाली मछलियाँ तेर रही थी. जब वो अपने पर फैलती तो सतरंगी इंद्रधनुष का आभास होता. एक छोटा फव्वारा और झरना तलाब के पानी को ताज़ा करता रहता. रोमन और ग्रीक की मूर्तियाँ वहाँ की शोभा बड़ा रही थी. उनकी मुद्राएँ संभोग की मुद्राएँ दिखा रही थी.
‘ये सब मूर्तियाँ पॉंपीयियी से लाई गई हैं’ सेमुएल ने समझाया ‘तुम्हें मेरी कामुक आर्ट में रूचि से कोई आपत्ति तो नही?’
‘मैं….’
‘नही, माइ डियर सोनी, यक़ीनन तुम्हें कोई आपत्ति नही है. क्यूंकी तुम शेर करती हो बहन का प्यार अच्छी और कामुक चीज़ों में’ उसने सोनी का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा. वो सोच रही थी की क्या वो उसके जिस्म में उठती हुई प्यास जो उसके दिल से निकल रही थी को महसूस कर रहा है.
‘ आओ मेरे साथ बैठो सोनी’
दोनो पत्थर के एक तराशे हुए बेंच पर बैठ गये, जो काफ़ी ठंडा था और समय के साथ उसपे कहीं कहीं काई जम गई थी.
सोनी का हाथ अभी भी उसके हाथ में था और सोनी की कोई इच्छा नही हो रही थी अपना हाथ वापस खींचने की.
वो यहाँ मोनी के बारे में सवाल करने आई थी, ना की उसके जाल में फस के चुदने के लिए.
लेकिन सेमुएल कोई आम आदमी नही था, था क्या?
वो बहुत ही सुंदर था, कोई भी लड़की उसकी तरफ खीची चली जाए, खास कर सोनी जैसे लड़की . लेकिन वो आगे नही बड़ना चाहती थी. नही .उसे आगे नही बड़ना था…………
‘मुझे मोनी के लिए दुख है और मैं तुम्हारी हर संभव मदद करूँगा उसे ढूँडने के लिए’
अचानक उसने सोनी के चेहरे को अपने हाथों में थामा और बड़े प्यार से उसके होंठों को चूम लिया. सोनी का जिस्म कांप उठा और वो पीछे हट गई जब की वो नही चाहती थी की ये किस टूटे, वो बड़ी शिदत से इस चुंबन को महसूस करना चाहती थी.
‘क्या तुम्हें मुझ से डर लग रहा है?’
सोनी ने ना में गर्दन हिलाई, जब की दिल ही दिल में उसे सेमुएल से थोड़ा डर लग रहा था.
‘डर नही, में खुद को मोनी की कसूरवार नही बनाना चाहती’
‘मैं समझा नही’
‘मेरी बहन. तुम और वो ……..’ वो सेमुएल के चेहरे पे जवाब ढूंड रही थी. ‘ थे ना?’
सेमुएल ने अपने हाथ उपर उठा कर अपनी झंघों पे गिरा दिए.
‘ये सच है हम दोनो ने एक बार चुदाई करी थी’ उसने जवाब दिया.
‘एक रात, बस एक रात लेकिन वो एक ग़लती थी सोनी. मोनी और मैं सिर्फ़ दोस्त थे, हमने इस बारे में बात भी करी, उसने मुझे बताया की वो समझती है. हम कभी प्रेमी नही थे, सोनी, जिस तरहा मैं और तुम हो सकते हैं’
उसने फिर सोनी को छुआ. उसका जिस्म बस छूने भर से काँपने लगा, हल्की सी छुअन भी उसके जिस्म में उत्तेजना का संचार कर देती.
‘सेमुएल…… प्लीज़ नही…….तुम्हें नही …..’
‘लेकिन सोनी , मेरी जान, तुम जानती हो तुम मुझे पाना चाहती हो, उतना ही जितना मैं तुम्हें. जब मैने पहली बार तुम्हें देखा था, मुझे पता चल गया था,हम दोनो को नियती एक करेगी, एक खूबसूरत प्यार को आपस में बाँटने के लिए’
‘सेमुएल……ओह……’
सेमुएल ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और ज़ोर से अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए, उसकी ज़ुबान सोनी के होंठों के बीच रास्ता ढूँडने लगी, जैसे कोई छोटा लंड अपनी ताक़त से अंदर घुस रहा हो. सोनी को ऐसे दमदार चुंबन का अहसास पहले कभी नही हुआ था – विशाल के साथ भी नही. उसने भी सेमुएल की तरहा उसे कभी नही चूमा था ना ही उसके चुंबनो में वो बात थी जो सेमुएल की है.
दोनो की ज़ुबाने आपस में मिली और एक दूसरे पे फिसलती चली गई, उनकी थूक आपस में घुलने लगी और शॅंपेन का स्वाद उस गीलेपन के अंदर दोनो को महसूस होने लगा. सेमुएल की भूख उसके लिए आश्चर्यजनक, डरावनी और मजेदार सब एक साथ थी और सोनी ने उसी वक़्त जवाब देना शुरू कर दिया, उसकी ज़ुबान सेमुएल के मुँह के अंदर घूमने लगी, उसके होंठ गीले हो चुके थे उनकी चाहत के असर से.
ये चुंबन चलता ही गया, चलता ही गया, ना जाने कितनी देर तक, जब दोनो के होंठ अलग हुए ना चाहते हुए भी बहुत ही धीमी गति से. सोनी की लाल लिपस्टिक ने अपना रास्ता सेमुएल के गाल तक बना लिया और एक छोटा सा धबभा उसके गाल पे चमक रहा था. सोनी ने अपनी ज़ुबान बाहर निकली और उसे चाट कर सॉफ करने लगी, सेमुएल के खुरदरे गाल का अहसास अपनी ज़ुबान पर पा कर एक अजीब सी सनसनी उसके जिस्म में ढोड गई. वो हाँफ रही थी, कभी तेज़ साँस लेती कभी धीमे.
सेमुएल ने उसकी उंगलियों को पकड़ लिया और अपने होंठों से लगा लिया, पहले हल्के हल्के चुंबन उंगलियों के टिप पर किए, फिर अपना मुँह खोल कर उन्हें अंदर फिसलने दिया, जीने वो चूसने, चाटने और हल्के हल्के काटने लगा. सोनी काँपने लगी एक अंजानी सी उत्तेजना का अहसास लेते हुए, पहली बार उसे पता चल रहा था की उसकी उंगलियाँ भी इतनी संवेदनशील हैं जो उसके जिस्म में उत्तेजना का संचार कर देती है.
आख़िर उसने उंगलियों को छोड़ा और उसके हाथ के तलवे पे चुंबन बरसाने लगा, उसकी उंगलियों से शुरू हो कर उसकी रिस्ट तक और बदते हुए उसकी बाजू तक.
सोनी कुछ नही बोल पा रही थी. सेमुएल ने जैसे उसके शब्द ही छीन लिए थे, अपने इस अहसास को बताने के लिए. सिर्फ़ उंगलियों के टिप पर एक चुंबन से ही उसने सोनी को काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. अब वो जानती थी, की वो कुछ भी करेगी, कुछ भी, उस अहसास को पाने के लिए जब सेमुएल का लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतरेगा, जिसने अपने होंठ खोलने शुरू कर दिए थे और बहुत ज़ोर से कुलबुला रही थी.
वो उसके कंधों पे पहुँचा और चुंबन बरसाने लगा साथ ही साथ उसके टॉप को नीचे सरकने लगा जो स्ट्रॅप के हटते ही उसकी बाजू पर दलक गया, और उसके गुलाबी उरोज़ झलकने लगे.
‘कितनी मोहक मासूमियत है तुम मे मेरी जान,’ सेमुएल फुसफुसाया. ‘मोनी एक फ्लर्ट है,जो आदमियों को अपने बस में करना चाहती है. लेकिन तुम सोनी, एक संवेदनशील बच्ची की तरहा हो जो औरत के जिस्म में है, भूखी है प्यार के लिए और फिर भी कितनी अछूती’
सोनी के जिस्म में खुशी की तरंगे उठ रही थी जब उसने उसे छुआ और उसकी ड्रेस का दूसरा स्ट्रॅप भी नीचे खिसका दिया,और उसके दाएँ कंधे को चूमने और चाटने लगा.
‘सेमुएल……ओह सेमुएल…..’ वो सिसक उठी, सेमुएल के बालों में अपनी उंगलियाँ फेरते हुए, उसके उदर में वासना हिलोरे लेने लगी. और सेमुएल ने उसका दया हाथ पकड़ा और नीचे लेता गया जब तक वो उसकी झंघों के बीच नही आ गया.
‘महसूस करो, तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है. ये तुम्हारे लिए ही है. और ये तुम्हारे अंदर जाना चाहता है’
सोनी अपनी उंगलियाँ उसके पेंट के उपर से उसके लंड पर फिरने लगी. वो बहुत मोटा था और उसके हाथ में नही समा सकता था. मास की एक रोड जो किसी भी चूत को फैला के रख दे, चाहे वो कितनी भी गीली क्यूँ ना हो.
‘तुम्हारा लंड बहुत खूबसूरत है’ उसने खुद को फुसफुसते हुए सुना. शराब और वासना के दोहरे नशे से उसका सर घूम रहा था और उसे अपनी आवाज़ ही किसी और औरत की आवाज़ लग रही थी.
‘नही इतना खूबसूरत नही जीतने तुम्हारे उरोज़ हैं’ सेमुएल ने जवाब दिया. ‘ये बहुत ही सकत और भरे हुए हैं. क्या तुम मुझे इन्हें देखने दोगि?’
‘हन, ऑश हन प्लीज़……..’
उसने बहुत धीरे धीरे उसके टॉप को उतारा, जैसे संतरे के छिलके को बहुत आराम से अलग कर रहा हो और उसके जिस्म पे कहीं हाथ नही लगाया. सोनी ने अंदर ब्रा नही पहनी, उत्तेजना के कारण उसके निपल्स तन के खड़े हो चुके थे और चीख चीख कर चूमने का आग्रह कर रहे थे. पर कोई चुंबन नही आया. सेमुएल उन्हें देखता रहा , बस देखता रहा और अपनी आँखों की प्यास भुजाता रहा. सोनी के लिए इंतेज़ार असहनीय हो गया.
‘क्या मैं तुम्हारे उरोज़ छू सकता हूँ, सोनी?’ इस बार जवाब का इंतेज़ार किए बिना, उसने दोनो उरोज़ अपने हाथों में थाम लिए और उनका वजन लेने लगा जैसे किसी भारी फल का वजन जाँच रहा हो,उसके अंदर भरे रस को महसूस कर रहा हो.
‘तुम्हारे उरोज़ आश्चर्यजनक रूप से बहुत ही सुंदर हैं. कितने भरे हुए, कितने सख़्त, कितने गुलाबी,प्यार करने लायक. मैं इन्हें चूमना चाहता हूँ’
‘ले लो अपने मुँह में, मेरे निपल्स को चूसो, जल्दी करो , मैं और इंतेज़ार नही कर सकती.
जैसे सेमुएल के होंठों ने उसके निपल को छुआ सोनी की चूत अपना रस छोड़ने लगी और उसकी पेंटी गीली होने लगी.
सोनी ने थोड़ा खुद को हिल्लाया पत्थर के बेंच की ठंडक अपनी नंगी पीठ पर महसूस करने लगी, पर वो ठंडक इतनी नही थी की उसके अंदर फैलती हुई गर्मी को शांत कर दे और उसकी बहती हुई चूत को राहत पहुँचा दे.
सेमुएल के हाथ नीचे बॅड गये और उसकी जीन को ढीला करने लगे वो इतने आराम से कर रहा था की सोनी की तड़प बदती ही जा रही थी. जब सेमुएल ने उसकी जीन को नीचे सरका दिया और उसकी झंगों पे हाथ फेरने लगा. सोनी की सारी शर्म-ओ-हया कभ की उसका साथ छोड़ चुकी थी. सोनी के हाथ सेमुएल के लंड को सहलाते हुए उसकी जीप तक पहुँच गये और उसने जीप नीचे सरका दी. फिर अंदर हाथ डाल कर उसके लंबे मोटे लंड को उसकी क़ैद से आज़ाद कर दिया. सोनी तड़प रही थी उसे अपने अंदर लेने के लिए. सेमुएल के जिस्म में तरंगे उठ गई जब सोनी ने उसके लंड को अपनी कोमल उंगलियों से पकड़ा.
सोनी को उसका लंड अपने हाथ में बहुत गरम और नरम महसूस हो रहा था, एक जीते जागते पत्थर की तरहा सकत माफ़ ना करनेवाला.
कितनी तड़प उठ रही थी सोनी के अंदर उसको अपनी चूत में सामने के लिए, अपनी बदती हुई भूख को मिटाने के लिए, जिसकी वजह से वो अपनी गंद बेंच पर रगड़ने लगी और उसकी पीठ सेमुएल की छुअन से ही कमान की तरहा उठ गई.
सेमुएल ने उसके निपल को छोड़ दिया अपने दाँतों की पकड़ से और उसके पूरे उरोज़ को चाटने लगा, फिर वो दोनो उरोज़ के बीच की घाटी को चाटने लगा और काफ़ी थूक बीच में छोड़ दिया जो सोनी को ठंडा सा लग रहा था और चारों और बहती गरम हवा के बीच.
‘तुम्हारी उंगलियों में दानव है’ आहह भर कर सेमुएल बोला क्यूंकी सोनी आहिस्ता आहिस्ता उसके लंड पे हाथ फेरते हुए उसकी मुठ मार रही थी., उसके सहलाने और मुठ मारने की वजह से उसका लंड और भी मोटा और सकत हो गया.सॉफ चमकता हुआ जूस उसके लंड से निकल रहा था जिसे सोनी उसके लंड पे मलती जा रही थी उसे और चिकना बनाती जा रही थी और सेमुएल मज़े से आ भर उठता.
“अब मैं तुम्हें चोद ना चाहता हूँ, तुम्हारे अंदर अपना लंड डाल ना चाहता हूँ.”
“आह डाल दो, मैं कब से तड़प रही हूँ तुम्हारे लंड को अंदर लेने के लिए.”
‘क्या तुम मुझे अपना माल तुम्हारी चूत के अंदर छोड़ने डोगी?’
‘हन हन, जल्दी करो , मैं अब और नही रुक सकती’
वो पीछे बेंच के उपर पसर गई. सेमुएल उसके उपर था और उसकी ढीली जीन को अपने पैरों से नीचे खींच रहा था. सोनी ने जीन उतरने में उसकी मदद की और अब सोनी सिर्फ़ एक पेंटी में रह गई थी जो काफ़ी गीली हो चुकी थी. सोनी को विश्वास नही हो रहा था की वो कितनी शिदत से चुदना चाहती थी. अब ये सिर्फ़ इच्छा की बात नही रह गई थी, एक भयंकर भूख थी, और उसने अगर अभी इसी वक़्त उसे चोदा नही तो वो मर जाएगी निराश होकर.
सेमुएल उसकी झंघो को सहलाते हुए उसकी पेंटी की तरफ बड़ा, उसकी पेंटी गीली होने की वजह से पारदर्शी हो चुकी थी और उसकी कुलबुलाती चूत सेमुएल को सॉफ दिख रही थी, उसके चूत के होंठ खुल और बंद हो रहे थे, उसका क्लाइटॉरिस बाहर निकलता और वापस अंदर जाता, टॅप टॅप उसकी चूत लगातार आँसू बहाए जा रही थी.
सेमुएल उसकी पेंटी की लाइनिंग पे हाथ फेरते हुए उसकी चूत पे पहुँच गया और उसके गीलेपन को सॉफ महसूस कर रहा था.
‘कितना प्यारा नज़ारा है सोनी’ वो फुसफुसाया. उसकी आवाज़ कहीं दूर से आती हुई लग रही थी, जैसे दोनो किसी कामुक सपने को जी रहे हों, जहाँ उसकी हर इच्छा हर सोच पूरी हो रही थी. ‘ कितना सुंदर लगता है एक औरत की चूत को उसकी गीली पेंटी में से देखना, उसकी कामीच्छा को सुंगना, उसकी चूत को गीली पेंटी के साथ ही रगड़ना ताकि वो और गीली हो जाए’
उसकी उंगलियाँ उसके चूत पे हल्के हल्के हलचल मचा रही थी, वो बिल्कुल भी ज़ोर से नही कर रहा था ताकि सोनी झड़ ना जाए, अपने सहलाने से उसे वो और तडपा रहा था और उत्तेजित कर रहा था इतना की कोई सोच भी नही सकता.
‘छुओ मुझे ज़ोर से छुओ मुझे’ सोनी इल्तीज़ा कर रही थी, उसे मजबूर कर रही थी की वो उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़े.
‘क्या ऐसे मेरी जान’ वो उसकी छूट के चारों तरफ गोल गोल अपने हाथ को फिरने लगा पर उसके क्लाइटॉरिस को नही छू रहा था और आसपास्स के सारे हिस्से को रग़ाद रहा था जो बहुत ही संवेदनशील हो चक्का था.
‘अहह हन ऐसे ही, और और और हन हन ‘ सोनी अपनी गंद उछाल रही थी ताकि उसकी उंगलियाँ किसी तरहा उसकी चूत में घुस्स जाए और उसका रुका हुआ बाँध टूट जाए.
‘मैं तुम्हें चोद्नना चाहता हूँ’ वो बहुत ही प्यार से बुदबुडाया, झुकते हुए अपने चेहरे को उसके चेहरे के बिल्कुल पास ला कर. उसने सोनी के गले पे चुंबन करने शुरू कर दिए. ‘ मैं तुम्हें अभी इसी वक़्त चोदना चाहता हूँ सोनलप्रीत कौर’
अपनी उंगलियों को उसकी पेंटी के अंदर डाल कर वो सीधा अब उसकी गीली चूत पे हाथ रख बैठा.
‘मेरे ख़याल से अब तुम भी चुदना चाहती हो’ वो मुस्कुराया.
कैसे वो मना कर सकती थी? उसका बेचारा क्लाइटॉरिस तरस रहा था रगड़ा जाने के लिए, उसकी चूत कुलबुला रही थी भरे जाने के लिए, उसका रस इतना बह चुका था की पेंटी से बाहर निकलने लगा था. हां वो चुदना चाहती थी. वो इतनी तड़प रही थी लंड के लिए की उस से साँस भी नही लिया जा रहा था.
‘आजाओ मेरे अंदर’ वो फुस्फुसाई.
उसने सोनी की पेंटी को साइड में किया, उसकी उभरी हुई चूत की साइड में, अब वो सिर्फ़ एक गीला रूई का कपड़ा रह गई ही, जिसे उत्तारने की कोई ज़रूरत नही थी. सोनी की चूत खुल के सेमुएल के सामने आ गई. उसने अपनी चूत बिल्कुल सॉफ रखी हुई थी, एक भी बॉल नही था, शायद आज सुबह ही उसने सारे बॉल सॉफ किए थे.
उसकी चूत अंदर से गहरा गुलाबी रंग लिए हुए थी, क्यूंकी खून सारी नसों में इकट्ठा हो चुक्का था, उसके क्लाइटॉरिस एक नोक की तरहा खड़ा था और तड़प रहा था. ओर्गसम, उसे अब ओर्गसम चाहिए था किसी भी कीमत पर, अब और अभी, ये उसकी ज़रूरत बन चुकी थी, वो अभी लंड अंदर चाहती थी, बस अभी.
सॅम्यूल के लंड ने जब उसकी चूत के अंदर आराम से घुसना शुरू किया , बिल्कुल आराम से कोई जल्दी नही , उसकी चूत के रस से लंड के सुपादे को चिकना करते हुए……
‘ अहह ओह ,सेमुएल नही मैं नही……..’
सोनी ने हटना चाहा, पर सेमुएल की पकड़ अब सकत हो चुकी थी. सोनी ने सोचा नही था की उसका मोटा लंड इतना मोटा साबित होगा की उसकी चूत फटने के कगार पे पहुँच जाएगी. वो महसूस कर रही थी उसके मोटे लंड को चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर जाते हुए. बस मेरी जान हो गया सेमुएल उसे चूमता रहा और अपना लंड अंदर घुसाता रहा. जब उसका लंड पूरा अंदर घुस गया तो उसे ऐसा लगा जैसे एक टाइट चमड़े के ग्लव के अंदर डाल दिया गया हो.
अब जब वो अंदर घुस्स चक्का था, तो सोनी का डर थोड़ा कम हुआ. वो धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगा, उसे कोई जल्दी नही थी.
जब उसका लंड अंदर बाहर होता तो सोनी की चूत में संवेदना की नसों को छेड़ता रहता और सोनी की उत्तेजना में आग लगती रहती. सोनी भी उसका साथ दे रही थी उसी लेय में अपनी गांद उछाल कर. जब उसका लंड पूरा अंदर घुसता तो उसके भारी टटटे सोनी की चूत के बिल्कुल नीचे टकराते.
आह आह उम उम उम आह आह उफफफ्फ़ एस एस फास्टर फास्टर , और और तेज़तेज़ , सोनी के मुँह में जो आ रहा था वो बोल रही थी. सिसक रही थी. उसके मोटे लंड से चुद्ते हुए महसूस कर रही थी. अब वो तेर रही थी, गरम और मीठी लहरों के उप्पर. क्यूँ लड़े वो ?
मोनी और सेमुएल दोस्त थे और कुछ नही. और अब सोनी और सेमुएल प्रेमी बन चुके थे………कम से कम एक रात के लिए. वो इतनी बेवकूफ़ नही थी की सेमुएल को अपने सपनो का शहज़ादा समझ ले – सेमुएल जैसा आदमी उसके लिए नही था – लेकिन आज की रात – उसका सपना सच हो रहा था – वो किसी और दुनिया में पहुँच चुकी थी. चुदाई का ऐसा आनंद उसने पहले कभी महसूस नही किया था. उसे कोई परवाह नही थी अगर वो नही जागती . बस ऐसे ही चुदती रहे और सपनो की दुनिया में खोई रहे.
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वासना का नंगा नाच--4
अब आगे
‘ जो हो चुका है, वो हो चुका है, काश मुझे पता होता वो कहाँ गई है , और वापस आएगी या नही’
सोनी का दिल उछल पड़ा ये जान कर की ये मोनी का दोस्त था, शायद उसका प्रेमी भी. मोनी की दोस्ती हमेशा इंटिमेट हुआ करती थी. खैर जो भी इनका आपस में रिश्ता था , ये तो सॉफ था की सेमुअल, कितना भी चार्मिंग हो, उसका कोई हाथ नही था मोनी के गायब होने में.
‘मिस……..?’
‘ मुझे सोनी कह कर बुलाओ, मुझे लगता है जैसे मैं तुम्हें जानती हूँ – अपनी बहन के द्वारा’
‘ बिल्कुल सोनी, मैं सोच रहा था … क्या तुम रात को यहीं रुक रही हो?’
‘हां’
‘ अगर तुम रात को मेरे साथ मेरे विला में डिन्नर करो तो मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत समझूंगा’
सोनी के जिस्म में एक ठंडी सिहरन फैलती चली गई, जिसका खुले दरवाजे से आती हुई ठंडी हवा से कोई लेना नही था. सेमुअल, वाक्य में एक आकर्षक आदमी था, चोडी छाती, उभरी हुई सकत मास्सपेशियाँ, भारी सेक्सी आवाज़, उसके कामुक होंठ सामने वाले के होंठों को अपनी और खींचते हैं चुंबन के लिए.
उसकी आँखों में जो चमक थी वो सॉफ सॉफ उसका रुझाव सोनी की तरफ दिखा रही थी.
अगर वो उसके साथ डिन्नर के लिए उसके विला गई, कौन कह सकता है क्या दोनो के बीच हो जाएगा?
लेकिन रूको……ये आदमी मोनी का दोस्त है, नही उसका प्रेमी. ये ठीक नही होगा. उसे नही जाना चाहिए, बिल्कुल नही.
‘वेल……’वो मुस्कुराइ , उत्तेजना की सिहरन ने उसे हिला दिया और वो खुद को बोलते हुए सुनी ‘ शुक्रिया सेमुअल, मुझे बहुत खुशी होगी’
सेमुअल का विला वलाज़ूर के एक दम कोने में था ऑलिव और नीम्बो के पेड़ों से घिरा हुआ चारों और द्रखतों से भरे हुए पहाड़.
सोनी ने ऐसा विला आज तक नही देखा था, किसी मॅगज़ीन के कवर पे भी नही. वो किसी ल्ग्ज़ुरी होटेल की तरहा फैला हुआ लग रहा था न की किसी एक आदमी का घर. एक लंबी ड्राइववे पे घूमते हुए वो पहुँचे और उसने कार विला के सामने रोक दी.
‘मेरे पास और भी कार हैं पर इसमे कुछ रोमॅन्स का मज़ा जिंदगी में जुड़ जाता है, तुम क्या सोचती हो?’
‘मैं……हाँ’ सोनी को लगा जैसे उसकी ज़ुबान पे ताला लग गया हो, वो इस हालत में नही थी की मोनी के बारे में कुछ सवाल पूछ सके. बार में उसने उसे खूब शेम्पेन पिलाई थी, जो सोनी के लिए ल्ग्ज़ुरी थी, पर सेमुअल के लिए जिंदगी की ज़रूरत.
सेमुअल ने जब उसका दरवाजा खोला तो उसे अपना सर हल्का लग रहा था ऐसा नही के नशा चॅड गया हो, वो कार से बाहर निकली और हल्के सरूर में थी, सारे संकोच वो भुला चुकी थी ………और विशाल.
एक काले सूट में बट्लर इंतज़ार कर रहा था उनके कोट लेने के लिए और उन्हें सिट्टिंग रूम में ले जाने के लिए.सिट्टिंग रूम में दुनिया की नायाब आर्ट कलेक्षन थी. कोई डाइनिंग टेबल नही थी.. दीवार के साथ एक छोटी साइड टेबल थी सफेद कपड़े से ढकी हुई और चाँदी की चमकती हुई कट्लरी.
‘प्लीज़ सोनी, आराम से बी कंफर्टेब्ल. क्या तुम ड्रिंक लेना चाहोगी जब तक जोसेफ डिन्नर ले के आता है.?’
‘नही मुझे नही लगता मुझे और लेनी चाहिए, इतनी पहले लेने……..’
‘नॉनसेन्स, शेम्पेन कोई मना करता है, इससे कोई नशा नही होता’ वो टेबल के पास गया और बरफ में लगी हुई बॉटल उठा कर उसका कॉर्क खोलने लगा ---- कोई शक़ नही – जोसेफ को तेलिपेथि द्वारा मेसेज मिल चुका होगा बॉटल को बरफ में लगाने के लिए.
‘ओह सेमुअल, नही सच मुझे नही लेनी चाहिए, ज़यादा शेम्पेन. मेरे ख़याल से मैं पहले ही बहुत ले चुकी हूँ.
‘
उसने उसकी आँखों में देखा और उसे अचानक ऐसा लगा की वो खो चुकी है, तैरती जा रही वासना के समुद्र में’
‘शेम्पेन से कभी किसी का दिल नही भरता, और ना ही प्यार भारी रातों से एक खूबसूरत लड़की के साथ’
उसके शब्द एक तेज़ सर्जिकल छुरी की तरहा उसके दिल को चीर कर , बेरहमी से देख रहे थे, ढूंड रहे उसके अंदर छुपी वासना को और उसे नंगा कर बाहर निकाल रहे थे.
वो महसूस कर रही थी की जो भी थोड़ी बहुत प्रतिरोधिक क्षमता उसके अंदर बची थी वो हर पल कमजोर पड़ती जा रही थी.
उसने अपने आप को समेटने की कोशिश करी और अपनी आवाज़ धीमी और शांत कर ली.
‘क्या ये तुम्हारी जिंदगी का सिधान्त है सेमुअल?’
वो हस पड़ा, लेकिन उसके पीछे एक गहराई थी संजीदगी की, आनंद की पर, उसकी ब्लू-ग्रे आँखें शनील की तरहा नर्म , और बहुत, बहुत अपनी तरफ खींचती हुई.
‘जिंदगी के लिए, प्यार के लिए …………सबके लिए, हर चीज़ के लिए., मैं जिंदगी को खुल के पूरा जीना चाहता हूँ और मज़े लेने चाहता हूँ हर अच्छी चीज़ के और जैसे ये शॅंपेन उधारण के लिए सबसे बाड़िया है जो पैसा खरीद सकता है.और तुम, मेरी प्यारी सोनी, अत्यधिक सुंदर औरत हो.’
इस बार सोनी ने उसकी आँखों में गौर से देखा, उसे लगा उसके अंदर उत्तेजना फूट के बाहर आ रही है जैसे पानी किसी डॅम से फूट कर निकलता है, उसका प्रतिरोध टूट रहा था, मजबूर हो रही थी वो मानने के लिए, उसका जिस्म जवाब दे रहा था पूरे ज़ोर से खुशी के साथ सेमुअल को.
कॉर्क के निकलते ही ज़ोर की आवाज़ हुई और शॅंपेन बॉटल में से उठने लगी एक झाग की तरहा, जिससे सेमुअल ने कारीगरी की तरहा ग्लास में डालना शुरू कर दिया और उपर तक भर कर सोनी को पकड़ा दिया.
सोनी ने अब कोई इनकार नही किया सेमुअल ठीक था- शॅंपेन बहुत ही बाड़िया थी और सेमुअल का साथ उस से भी ज़यादा अच्छा था. कोई फ़ायदा नही था, अपनी उत्तेजना को रोकने का, उसकी झांघों के अंदर खुजली मच चुकी थी,उसकी चूत में गीलापन आ चुका था, वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अपनी झांघें आपस में भींच रही थी.
सेमुअल ने शॅंपेन का एक सीप लिया , सोनी की तरफ कुछ सोचते हुए देखने लगा.
‘कितनी अजीब बात है. तुम बिल्कुल अपनी बहन जैसी दिखती हो………….पर कितनी अलग हो उस से’
सोनी मुस्कुरा उठी.
मनप्रीत बहुत ही तेज़ है, मैं तो बिल्कुल सीधी सॉदी हूँ. एक आम लड़की की तरहा’
‘सच में ?’ सेमुएल ने संशय करते हुए बोहेन उठाई. ‘ये सच है, शायद उपर से तुम बहुत शांत दिखती हो…..खामोशी का जमा पहने हुए अपनी बहन के मुक़ाबले में. बहुत परिपक्व (मेच्यूर) भी हो.
लेकिन मैं तुम्हारे अंदर एक बहुत बड़े जनूंन को महसूस कर सकता हूँ. तुम एक बहुत ही कामुक लड़की हो सोनलप्रीत कौर’
वो उसे घूर्ने लगी,स्तब्ध और उत्तेजित उसके शब्दों से. किसी आदमी ने आज तक उसके साथ ऐसे बात नही करी थी और वो सेमुएल से अभी मिली थी. वो बिल्कुल अजनबी थे – और वो ये भी नही जानती थी की वो उसे पसंद भी करती है या नही.लेकिन सोनी ने जो उसे कहा था वो भी सच था – उसे लगता था जैसे वो उसे जानती है, सिर्फ़ उस दोस्ती के कारण जो उसकी मोनी के साथ थी.
‘तुम बहुत नरम दिल हो’ कहते हुए उसकी आवाज़ काँपने लगी क्यूंकी सेमुएल ने अपना हाथ उसके हाथ पे रख दिया था.
‘मैं कभी नरम दिल नही होता हूँ. नरम दिल होने का मतलब है की तुम दगाबाज़ हो. मैं सिर्फ़ वो कह रहा हूँ जो मैं देख सकता हूँ’ कहते हुए वो बाहर हरे भरे बाग पे नज़रें घुमाने लगा, नर्म गहरा हरा जो ढलते हुए सूरज की रोशनी में चमक सा रहा था. ‘ क्या तुम डिन्नर से पहले मेरे साथ बाग में चलना पसंद करोगी?’
उसके जवाब का इंतेज़ार किए बिना, उसने एक छुपा हुआ बटन दबाया, और शीशे के दरवाजे बिना आवाज़ किए एक रोलर पे खुलते चले गये, भीनी महक वाली हवा अंदर आने लगी. वो आगे बड़ा और उसका हाथ थाम कर उसे बाहर ले चला, जैसे वो कोई छोटी बच्ची हो. उसने कभी इतना अजीब सा महसूस नही किया था एक आदमी के साथ, क्यूंकी वो अपनी टीनेज में वर्जिन ही रही. जब वो ** साल की थी तो उसके राइडिंग सिखाने वाले ने उसे उत्तेजित किया था पर अंत में मोनी थी जिसने अपना कोमरया भंग करवा लिया था. मोनी के लिए कुँवारापन एक रुकावट थी मज़े लेने के लिए.
सेमुएल में कुछ खास बात थी जो उसे अपनी यादों में ले गई और वो मोनी के पहले प्रेमी के बारे में सोचने लगी. शायद इसमे भी वोही गुण हैं जो मोनी इसकी तरफ खीची चली गई और अब वो खुद भी उसके लिए उत्तेजित होती जा रही है. या शायद वो इन हालात को लेकर कुछ ज़यादा ही सोच रही थी.
शायद सेमुएल उसे इसलिए मस्का मार रहा था, क्यूंकी वो मोनी के गायब होने में खुद को कसूरवार समझता था. या फिर वो वाक्य में उसे चाहता था. और जैसे ही उसने सेमुएल की आँखों में देखा, कितनी चमक के साथ वो उसकी चाहत और इच्छा को बता रही थी.
उसकी आँखों में झलकती हुई अपने लिए तड़प,उसका हल्के से उसके बूब्स की स्तेह पर हाथ फिरना, सोनी के जिस्म में नशे को बड़ाने लगा जो शराब से भी ज़यादा था. सोनी बातों को दूसरी तरफ मोड़ने के लिए सोचने लगी क्यूंकी सोनी भी चाहने लगी थी की वो उसे छूले.
‘तुम्हारा घर बहुत अच्छा है सेमुएल’
‘माई डियर, मैं कभी 100% से कम नही देता’ उसने सोनी की आँखों में देखते हुए कहा ‘ किसी भी काम में’
विला के गार्डन बहुत ही अच्छी तरहा रखे हुए थे, एक नज़ाकत की पहचान करा रहे थे.
‘चलो में तुम्हें अपने बाग की सबसे खूबसूरत जगह दिखाता हूँ’
एक कमान की तरहा बने हुए रास्ते पे चलते हुए वो एक जगह पहुँचे जो पत्तों और फूलों से ढका हुआ था और बाहर से नज़र नही आता अगर किसी को उस जगह के बारे में पता ना होता. वो अंदर चले गये और वहाँ बीच में एक तलाब बना हुआ था, जिसमे चमकीली चाँदी के रंग वाली मछलियाँ तेर रही थी. जब वो अपने पर फैलती तो सतरंगी इंद्रधनुष का आभास होता. एक छोटा फव्वारा और झरना तलाब के पानी को ताज़ा करता रहता. रोमन और ग्रीक की मूर्तियाँ वहाँ की शोभा बड़ा रही थी. उनकी मुद्राएँ संभोग की मुद्राएँ दिखा रही थी.
‘ये सब मूर्तियाँ पॉंपीयियी से लाई गई हैं’ सेमुएल ने समझाया ‘तुम्हें मेरी कामुक आर्ट में रूचि से कोई आपत्ति तो नही?’
‘मैं….’
‘नही, माइ डियर सोनी, यक़ीनन तुम्हें कोई आपत्ति नही है. क्यूंकी तुम शेर करती हो बहन का प्यार अच्छी और कामुक चीज़ों में’ उसने सोनी का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा. वो सोच रही थी की क्या वो उसके जिस्म में उठती हुई प्यास जो उसके दिल से निकल रही थी को महसूस कर रहा है.
‘ आओ मेरे साथ बैठो सोनी’
दोनो पत्थर के एक तराशे हुए बेंच पर बैठ गये, जो काफ़ी ठंडा था और समय के साथ उसपे कहीं कहीं काई जम गई थी.
सोनी का हाथ अभी भी उसके हाथ में था और सोनी की कोई इच्छा नही हो रही थी अपना हाथ वापस खींचने की.
वो यहाँ मोनी के बारे में सवाल करने आई थी, ना की उसके जाल में फस के चुदने के लिए.
लेकिन सेमुएल कोई आम आदमी नही था, था क्या?
वो बहुत ही सुंदर था, कोई भी लड़की उसकी तरफ खीची चली जाए, खास कर सोनी जैसे लड़की . लेकिन वो आगे नही बड़ना चाहती थी. नही .उसे आगे नही बड़ना था…………
‘मुझे मोनी के लिए दुख है और मैं तुम्हारी हर संभव मदद करूँगा उसे ढूँडने के लिए’
अचानक उसने सोनी के चेहरे को अपने हाथों में थामा और बड़े प्यार से उसके होंठों को चूम लिया. सोनी का जिस्म कांप उठा और वो पीछे हट गई जब की वो नही चाहती थी की ये किस टूटे, वो बड़ी शिदत से इस चुंबन को महसूस करना चाहती थी.
‘क्या तुम्हें मुझ से डर लग रहा है?’
सोनी ने ना में गर्दन हिलाई, जब की दिल ही दिल में उसे सेमुएल से थोड़ा डर लग रहा था.
‘डर नही, में खुद को मोनी की कसूरवार नही बनाना चाहती’
‘मैं समझा नही’
‘मेरी बहन. तुम और वो ……..’ वो सेमुएल के चेहरे पे जवाब ढूंड रही थी. ‘ थे ना?’
सेमुएल ने अपने हाथ उपर उठा कर अपनी झंघों पे गिरा दिए.
‘ये सच है हम दोनो ने एक बार चुदाई करी थी’ उसने जवाब दिया.
‘एक रात, बस एक रात लेकिन वो एक ग़लती थी सोनी. मोनी और मैं सिर्फ़ दोस्त थे, हमने इस बारे में बात भी करी, उसने मुझे बताया की वो समझती है. हम कभी प्रेमी नही थे, सोनी, जिस तरहा मैं और तुम हो सकते हैं’
उसने फिर सोनी को छुआ. उसका जिस्म बस छूने भर से काँपने लगा, हल्की सी छुअन भी उसके जिस्म में उत्तेजना का संचार कर देती.
‘सेमुएल…… प्लीज़ नही…….तुम्हें नही …..’
‘लेकिन सोनी , मेरी जान, तुम जानती हो तुम मुझे पाना चाहती हो, उतना ही जितना मैं तुम्हें. जब मैने पहली बार तुम्हें देखा था, मुझे पता चल गया था,हम दोनो को नियती एक करेगी, एक खूबसूरत प्यार को आपस में बाँटने के लिए’
‘सेमुएल……ओह……’
सेमुएल ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और ज़ोर से अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए, उसकी ज़ुबान सोनी के होंठों के बीच रास्ता ढूँडने लगी, जैसे कोई छोटा लंड अपनी ताक़त से अंदर घुस रहा हो. सोनी को ऐसे दमदार चुंबन का अहसास पहले कभी नही हुआ था – विशाल के साथ भी नही. उसने भी सेमुएल की तरहा उसे कभी नही चूमा था ना ही उसके चुंबनो में वो बात थी जो सेमुएल की है.
दोनो की ज़ुबाने आपस में मिली और एक दूसरे पे फिसलती चली गई, उनकी थूक आपस में घुलने लगी और शॅंपेन का स्वाद उस गीलेपन के अंदर दोनो को महसूस होने लगा. सेमुएल की भूख उसके लिए आश्चर्यजनक, डरावनी और मजेदार सब एक साथ थी और सोनी ने उसी वक़्त जवाब देना शुरू कर दिया, उसकी ज़ुबान सेमुएल के मुँह के अंदर घूमने लगी, उसके होंठ गीले हो चुके थे उनकी चाहत के असर से.
ये चुंबन चलता ही गया, चलता ही गया, ना जाने कितनी देर तक, जब दोनो के होंठ अलग हुए ना चाहते हुए भी बहुत ही धीमी गति से. सोनी की लाल लिपस्टिक ने अपना रास्ता सेमुएल के गाल तक बना लिया और एक छोटा सा धबभा उसके गाल पे चमक रहा था. सोनी ने अपनी ज़ुबान बाहर निकली और उसे चाट कर सॉफ करने लगी, सेमुएल के खुरदरे गाल का अहसास अपनी ज़ुबान पर पा कर एक अजीब सी सनसनी उसके जिस्म में ढोड गई. वो हाँफ रही थी, कभी तेज़ साँस लेती कभी धीमे.
सेमुएल ने उसकी उंगलियों को पकड़ लिया और अपने होंठों से लगा लिया, पहले हल्के हल्के चुंबन उंगलियों के टिप पर किए, फिर अपना मुँह खोल कर उन्हें अंदर फिसलने दिया, जीने वो चूसने, चाटने और हल्के हल्के काटने लगा. सोनी काँपने लगी एक अंजानी सी उत्तेजना का अहसास लेते हुए, पहली बार उसे पता चल रहा था की उसकी उंगलियाँ भी इतनी संवेदनशील हैं जो उसके जिस्म में उत्तेजना का संचार कर देती है.
आख़िर उसने उंगलियों को छोड़ा और उसके हाथ के तलवे पे चुंबन बरसाने लगा, उसकी उंगलियों से शुरू हो कर उसकी रिस्ट तक और बदते हुए उसकी बाजू तक.
सोनी कुछ नही बोल पा रही थी. सेमुएल ने जैसे उसके शब्द ही छीन लिए थे, अपने इस अहसास को बताने के लिए. सिर्फ़ उंगलियों के टिप पर एक चुंबन से ही उसने सोनी को काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. अब वो जानती थी, की वो कुछ भी करेगी, कुछ भी, उस अहसास को पाने के लिए जब सेमुएल का लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतरेगा, जिसने अपने होंठ खोलने शुरू कर दिए थे और बहुत ज़ोर से कुलबुला रही थी.
वो उसके कंधों पे पहुँचा और चुंबन बरसाने लगा साथ ही साथ उसके टॉप को नीचे सरकने लगा जो स्ट्रॅप के हटते ही उसकी बाजू पर दलक गया, और उसके गुलाबी उरोज़ झलकने लगे.
‘कितनी मोहक मासूमियत है तुम मे मेरी जान,’ सेमुएल फुसफुसाया. ‘मोनी एक फ्लर्ट है,जो आदमियों को अपने बस में करना चाहती है. लेकिन तुम सोनी, एक संवेदनशील बच्ची की तरहा हो जो औरत के जिस्म में है, भूखी है प्यार के लिए और फिर भी कितनी अछूती’
सोनी के जिस्म में खुशी की तरंगे उठ रही थी जब उसने उसे छुआ और उसकी ड्रेस का दूसरा स्ट्रॅप भी नीचे खिसका दिया,और उसके दाएँ कंधे को चूमने और चाटने लगा.
‘सेमुएल……ओह सेमुएल…..’ वो सिसक उठी, सेमुएल के बालों में अपनी उंगलियाँ फेरते हुए, उसके उदर में वासना हिलोरे लेने लगी. और सेमुएल ने उसका दया हाथ पकड़ा और नीचे लेता गया जब तक वो उसकी झंघों के बीच नही आ गया.
‘महसूस करो, तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है. ये तुम्हारे लिए ही है. और ये तुम्हारे अंदर जाना चाहता है’
सोनी अपनी उंगलियाँ उसके पेंट के उपर से उसके लंड पर फिरने लगी. वो बहुत मोटा था और उसके हाथ में नही समा सकता था. मास की एक रोड जो किसी भी चूत को फैला के रख दे, चाहे वो कितनी भी गीली क्यूँ ना हो.
‘तुम्हारा लंड बहुत खूबसूरत है’ उसने खुद को फुसफुसते हुए सुना. शराब और वासना के दोहरे नशे से उसका सर घूम रहा था और उसे अपनी आवाज़ ही किसी और औरत की आवाज़ लग रही थी.
‘नही इतना खूबसूरत नही जीतने तुम्हारे उरोज़ हैं’ सेमुएल ने जवाब दिया. ‘ये बहुत ही सकत और भरे हुए हैं. क्या तुम मुझे इन्हें देखने दोगि?’
‘हन, ऑश हन प्लीज़……..’
उसने बहुत धीरे धीरे उसके टॉप को उतारा, जैसे संतरे के छिलके को बहुत आराम से अलग कर रहा हो और उसके जिस्म पे कहीं हाथ नही लगाया. सोनी ने अंदर ब्रा नही पहनी, उत्तेजना के कारण उसके निपल्स तन के खड़े हो चुके थे और चीख चीख कर चूमने का आग्रह कर रहे थे. पर कोई चुंबन नही आया. सेमुएल उन्हें देखता रहा , बस देखता रहा और अपनी आँखों की प्यास भुजाता रहा. सोनी के लिए इंतेज़ार असहनीय हो गया.
‘क्या मैं तुम्हारे उरोज़ छू सकता हूँ, सोनी?’ इस बार जवाब का इंतेज़ार किए बिना, उसने दोनो उरोज़ अपने हाथों में थाम लिए और उनका वजन लेने लगा जैसे किसी भारी फल का वजन जाँच रहा हो,उसके अंदर भरे रस को महसूस कर रहा हो.
‘तुम्हारे उरोज़ आश्चर्यजनक रूप से बहुत ही सुंदर हैं. कितने भरे हुए, कितने सख़्त, कितने गुलाबी,प्यार करने लायक. मैं इन्हें चूमना चाहता हूँ’
‘ले लो अपने मुँह में, मेरे निपल्स को चूसो, जल्दी करो , मैं और इंतेज़ार नही कर सकती.
जैसे सेमुएल के होंठों ने उसके निपल को छुआ सोनी की चूत अपना रस छोड़ने लगी और उसकी पेंटी गीली होने लगी.
सोनी ने थोड़ा खुद को हिल्लाया पत्थर के बेंच की ठंडक अपनी नंगी पीठ पर महसूस करने लगी, पर वो ठंडक इतनी नही थी की उसके अंदर फैलती हुई गर्मी को शांत कर दे और उसकी बहती हुई चूत को राहत पहुँचा दे.
सेमुएल के हाथ नीचे बॅड गये और उसकी जीन को ढीला करने लगे वो इतने आराम से कर रहा था की सोनी की तड़प बदती ही जा रही थी. जब सेमुएल ने उसकी जीन को नीचे सरका दिया और उसकी झंगों पे हाथ फेरने लगा. सोनी की सारी शर्म-ओ-हया कभ की उसका साथ छोड़ चुकी थी. सोनी के हाथ सेमुएल के लंड को सहलाते हुए उसकी जीप तक पहुँच गये और उसने जीप नीचे सरका दी. फिर अंदर हाथ डाल कर उसके लंबे मोटे लंड को उसकी क़ैद से आज़ाद कर दिया. सोनी तड़प रही थी उसे अपने अंदर लेने के लिए. सेमुएल के जिस्म में तरंगे उठ गई जब सोनी ने उसके लंड को अपनी कोमल उंगलियों से पकड़ा.
सोनी को उसका लंड अपने हाथ में बहुत गरम और नरम महसूस हो रहा था, एक जीते जागते पत्थर की तरहा सकत माफ़ ना करनेवाला.
कितनी तड़प उठ रही थी सोनी के अंदर उसको अपनी चूत में सामने के लिए, अपनी बदती हुई भूख को मिटाने के लिए, जिसकी वजह से वो अपनी गंद बेंच पर रगड़ने लगी और उसकी पीठ सेमुएल की छुअन से ही कमान की तरहा उठ गई.
सेमुएल ने उसके निपल को छोड़ दिया अपने दाँतों की पकड़ से और उसके पूरे उरोज़ को चाटने लगा, फिर वो दोनो उरोज़ के बीच की घाटी को चाटने लगा और काफ़ी थूक बीच में छोड़ दिया जो सोनी को ठंडा सा लग रहा था और चारों और बहती गरम हवा के बीच.
‘तुम्हारी उंगलियों में दानव है’ आहह भर कर सेमुएल बोला क्यूंकी सोनी आहिस्ता आहिस्ता उसके लंड पे हाथ फेरते हुए उसकी मुठ मार रही थी., उसके सहलाने और मुठ मारने की वजह से उसका लंड और भी मोटा और सकत हो गया.सॉफ चमकता हुआ जूस उसके लंड से निकल रहा था जिसे सोनी उसके लंड पे मलती जा रही थी उसे और चिकना बनाती जा रही थी और सेमुएल मज़े से आ भर उठता.
“अब मैं तुम्हें चोद ना चाहता हूँ, तुम्हारे अंदर अपना लंड डाल ना चाहता हूँ.”
“आह डाल दो, मैं कब से तड़प रही हूँ तुम्हारे लंड को अंदर लेने के लिए.”
‘क्या तुम मुझे अपना माल तुम्हारी चूत के अंदर छोड़ने डोगी?’
‘हन हन, जल्दी करो , मैं अब और नही रुक सकती’
वो पीछे बेंच के उपर पसर गई. सेमुएल उसके उपर था और उसकी ढीली जीन को अपने पैरों से नीचे खींच रहा था. सोनी ने जीन उतरने में उसकी मदद की और अब सोनी सिर्फ़ एक पेंटी में रह गई थी जो काफ़ी गीली हो चुकी थी. सोनी को विश्वास नही हो रहा था की वो कितनी शिदत से चुदना चाहती थी. अब ये सिर्फ़ इच्छा की बात नही रह गई थी, एक भयंकर भूख थी, और उसने अगर अभी इसी वक़्त उसे चोदा नही तो वो मर जाएगी निराश होकर.
सेमुएल उसकी झंघो को सहलाते हुए उसकी पेंटी की तरफ बड़ा, उसकी पेंटी गीली होने की वजह से पारदर्शी हो चुकी थी और उसकी कुलबुलाती चूत सेमुएल को सॉफ दिख रही थी, उसके चूत के होंठ खुल और बंद हो रहे थे, उसका क्लाइटॉरिस बाहर निकलता और वापस अंदर जाता, टॅप टॅप उसकी चूत लगातार आँसू बहाए जा रही थी.
सेमुएल उसकी पेंटी की लाइनिंग पे हाथ फेरते हुए उसकी चूत पे पहुँच गया और उसके गीलेपन को सॉफ महसूस कर रहा था.
‘कितना प्यारा नज़ारा है सोनी’ वो फुसफुसाया. उसकी आवाज़ कहीं दूर से आती हुई लग रही थी, जैसे दोनो किसी कामुक सपने को जी रहे हों, जहाँ उसकी हर इच्छा हर सोच पूरी हो रही थी. ‘ कितना सुंदर लगता है एक औरत की चूत को उसकी गीली पेंटी में से देखना, उसकी कामीच्छा को सुंगना, उसकी चूत को गीली पेंटी के साथ ही रगड़ना ताकि वो और गीली हो जाए’
उसकी उंगलियाँ उसके चूत पे हल्के हल्के हलचल मचा रही थी, वो बिल्कुल भी ज़ोर से नही कर रहा था ताकि सोनी झड़ ना जाए, अपने सहलाने से उसे वो और तडपा रहा था और उत्तेजित कर रहा था इतना की कोई सोच भी नही सकता.
‘छुओ मुझे ज़ोर से छुओ मुझे’ सोनी इल्तीज़ा कर रही थी, उसे मजबूर कर रही थी की वो उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़े.
‘क्या ऐसे मेरी जान’ वो उसकी छूट के चारों तरफ गोल गोल अपने हाथ को फिरने लगा पर उसके क्लाइटॉरिस को नही छू रहा था और आसपास्स के सारे हिस्से को रग़ाद रहा था जो बहुत ही संवेदनशील हो चक्का था.
‘अहह हन ऐसे ही, और और और हन हन ‘ सोनी अपनी गंद उछाल रही थी ताकि उसकी उंगलियाँ किसी तरहा उसकी चूत में घुस्स जाए और उसका रुका हुआ बाँध टूट जाए.
‘मैं तुम्हें चोद्नना चाहता हूँ’ वो बहुत ही प्यार से बुदबुडाया, झुकते हुए अपने चेहरे को उसके चेहरे के बिल्कुल पास ला कर. उसने सोनी के गले पे चुंबन करने शुरू कर दिए. ‘ मैं तुम्हें अभी इसी वक़्त चोदना चाहता हूँ सोनलप्रीत कौर’
अपनी उंगलियों को उसकी पेंटी के अंदर डाल कर वो सीधा अब उसकी गीली चूत पे हाथ रख बैठा.
‘मेरे ख़याल से अब तुम भी चुदना चाहती हो’ वो मुस्कुराया.
कैसे वो मना कर सकती थी? उसका बेचारा क्लाइटॉरिस तरस रहा था रगड़ा जाने के लिए, उसकी चूत कुलबुला रही थी भरे जाने के लिए, उसका रस इतना बह चुका था की पेंटी से बाहर निकलने लगा था. हां वो चुदना चाहती थी. वो इतनी तड़प रही थी लंड के लिए की उस से साँस भी नही लिया जा रहा था.
‘आजाओ मेरे अंदर’ वो फुस्फुसाई.
उसने सोनी की पेंटी को साइड में किया, उसकी उभरी हुई चूत की साइड में, अब वो सिर्फ़ एक गीला रूई का कपड़ा रह गई ही, जिसे उत्तारने की कोई ज़रूरत नही थी. सोनी की चूत खुल के सेमुएल के सामने आ गई. उसने अपनी चूत बिल्कुल सॉफ रखी हुई थी, एक भी बॉल नही था, शायद आज सुबह ही उसने सारे बॉल सॉफ किए थे.
उसकी चूत अंदर से गहरा गुलाबी रंग लिए हुए थी, क्यूंकी खून सारी नसों में इकट्ठा हो चुक्का था, उसके क्लाइटॉरिस एक नोक की तरहा खड़ा था और तड़प रहा था. ओर्गसम, उसे अब ओर्गसम चाहिए था किसी भी कीमत पर, अब और अभी, ये उसकी ज़रूरत बन चुकी थी, वो अभी लंड अंदर चाहती थी, बस अभी.
सॅम्यूल के लंड ने जब उसकी चूत के अंदर आराम से घुसना शुरू किया , बिल्कुल आराम से कोई जल्दी नही , उसकी चूत के रस से लंड के सुपादे को चिकना करते हुए……
‘ अहह ओह ,सेमुएल नही मैं नही……..’
सोनी ने हटना चाहा, पर सेमुएल की पकड़ अब सकत हो चुकी थी. सोनी ने सोचा नही था की उसका मोटा लंड इतना मोटा साबित होगा की उसकी चूत फटने के कगार पे पहुँच जाएगी. वो महसूस कर रही थी उसके मोटे लंड को चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर जाते हुए. बस मेरी जान हो गया सेमुएल उसे चूमता रहा और अपना लंड अंदर घुसाता रहा. जब उसका लंड पूरा अंदर घुस गया तो उसे ऐसा लगा जैसे एक टाइट चमड़े के ग्लव के अंदर डाल दिया गया हो.
अब जब वो अंदर घुस्स चक्का था, तो सोनी का डर थोड़ा कम हुआ. वो धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगा, उसे कोई जल्दी नही थी.
जब उसका लंड अंदर बाहर होता तो सोनी की चूत में संवेदना की नसों को छेड़ता रहता और सोनी की उत्तेजना में आग लगती रहती. सोनी भी उसका साथ दे रही थी उसी लेय में अपनी गांद उछाल कर. जब उसका लंड पूरा अंदर घुसता तो उसके भारी टटटे सोनी की चूत के बिल्कुल नीचे टकराते.
आह आह उम उम उम आह आह उफफफ्फ़ एस एस फास्टर फास्टर , और और तेज़तेज़ , सोनी के मुँह में जो आ रहा था वो बोल रही थी. सिसक रही थी. उसके मोटे लंड से चुद्ते हुए महसूस कर रही थी. अब वो तेर रही थी, गरम और मीठी लहरों के उप्पर. क्यूँ लड़े वो ?
मोनी और सेमुएल दोस्त थे और कुछ नही. और अब सोनी और सेमुएल प्रेमी बन चुके थे………कम से कम एक रात के लिए. वो इतनी बेवकूफ़ नही थी की सेमुएल को अपने सपनो का शहज़ादा समझ ले – सेमुएल जैसा आदमी उसके लिए नही था – लेकिन आज की रात – उसका सपना सच हो रहा था – वो किसी और दुनिया में पहुँच चुकी थी. चुदाई का ऐसा आनंद उसने पहले कभी महसूस नही किया था. उसे कोई परवाह नही थी अगर वो नही जागती . बस ऐसे ही चुदती रहे और सपनो की दुनिया में खोई रहे.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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