Monday, May 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI वासना का नंगा नाच--2

FUN-MAZA-MASTI

 वासना का नंगा नाच--2


 विशाल उसे चिड़ा रहा था, तडपा रहा था, वो अपनी झांग उसकी चूत के आसपास रगड़ रहा था और उसकी चूत से दूर रख रहा था जो फुदक रही थी अपना मुँह खोल और बंद कर रही थी उसके जिस्म का अहसास पाने के लिए.

सोनी ने खुद को उठाने की कोशिश करी ताकि उसकी झांग की रगड़ उसकी चूत तक पहुँचे पर विशाल के ज़ोर की आगे उसकी एक ना चली , वो उसकी गुलाम थी, उसके पॅशन की गुलाम, वो मनचाहे तरीके से उस से खेल रहा था और उसकी उत्तेजना को भड़काता ही चला जा रहा था.

उसके होंठों ने उसके निपल को ज़ोर से चूसना शुरू किया और खींचने लगे, उसकी ज़ुबान निपल के टिप को चूस्ते चाटते हुई निकल जाती और एक तेज़ उत्तेजना की लहर उसके जिस्म को हिला के रख देती. हर नये चुंबन के साथ एक नये किस्म की लहर उठ जाती उसके जिस्म में, हर बार जब भी उसकी ज़ुबान उसके निपल को छूती एक अलग ही अहसास होता.

और अब तो उसने उसके निपल्स को काटना शुरू कर दिया, पहले हल्के हल्के फिर तेज़ तेज़ पर धयान रखते हुए की उसे चोट ना लगे. पहले दर्द होता फिर दर्द के बाद एक ऐसे आनंद की अनुभूति होती जो ब्यान नही करी जा सकती.

‘आह और नही तद्पाओ ……….प्लीज़ अब दे दो …….अब डाल दो अहह’

सोनी ईस्वक़्त खुद को वो मामूली लड़की नही समझ रही थी,जिसका एक बार मोनी की वजह से स्कॅंडल बन गया था, क्यूंकी मोनी ने कॉलेज के किसी प्रोफेसर को अपने हुस्न के जाल में फसाने से नही छोड़ा था. जब सोनी ** साल की हुई थी तो वो गुडसवारी और जिम जाती थी, और मोनी ने राइडिंग सीखानेवाले के साथ ही अफएयर कर लिया था.

विश्वास नही हो रहा है की आज सोनी एक नयी दुनिया में खुद कदम रख चुकी है.

विशाल का बाँया हाथ उसके दाएँ उरोज़ को निचोड़, और दबोच रहा था और उसके होंठ दूसरे को प्रताड़ित कर रहे थे, उसके निपल को चूस,काट और चाट रहे थे और हाथ उसे दबा दबा के ईक सफेद ग्लोब की शक्ल दे रहा था.
उत्तेजना का तूफान सोनी के जिस्म में उठता ही जा रहा था जबकि उसने अभी तक उसके क्लिट को छुआ नही था.
जैसे ही उसने सोचा की आनंद की ये लहरें कभी ख़तम नही होंगी, विशाल ने उसके निपल को अपने मुँह से बाहर निकल लिया.

‘ आह नही ……रूको मत करते रहो’ उसकी आँखें जल रही थी, और याचना कर रही थी, जब उसने विशाल को घूरा तो उसकी आँखों में भी एक आग थी.

‘अब वक़्त आ गया है सोनी की तुम मुझे कुछ आनंद दो’

वो सोनी के जिस्म के उपर फिसलता गया जब तक वो उसके दोनो उरोज़ के पास घुटनो के बल नही आ गया, और उसका लंड एक साँप की तरहा लहराने लगा सोनी के होंठों के उपर, जो तयार थे उसे निगलने के लिए.
उसने उसके लंड को सहलाया फिर उसके टट्टों को सहलाने लगी दबाने लगी. विशाल का जिस्म अकड़ने लगा. वो उसके टट्टों को चाटने लगी.

‘ और पास आओ ताकि मैं अच्छी तरहा चूम सकूँ’ उसने विशाल से इल्तीज़ा करी.

विशाल को और कहने की ज़रूरत नही पड़ी वो और पास आ गया की उसकी गोलाइयाँ सोनी के मुँह के पास आ गई, सोनी ने अपने होंठ खोल दिए और उसकी एक गोलाई को मुँह में भर लिया. विशाल तड़प उठा और उसके मुँह से पता नही क्या क्या निकालने लगा. सोनी सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकती थी की विशाल को कितना आनंद आ रहा होगा अपने टट्टों को चुसवाने और चटवाने में.

आदमी के जिस्म का सबसे नाज़ुक हिस्सा एक औरत के मुँह के अंदर था और वो उसे निगलने की कोशिश कर रही थी, कितनी उत्तेजना उठ रही होगी इस वक़्त विशाल के जिस्म में.

‘ओह……..ओह सोनी……..ओह येस’

सोनी सोच रही थी की काश वो दोनो टट्टों को एक साथ अपने मुँह में भर सकती. ये सोच ही उसकी चूत में तूफान उठा बैठी जो सिकुड और फैल रही थी अपने चर्म तक पहुँचने के लिए. पर इतनी आसानी से उसका ओर्गसम कहाँ होना था.

सोनी ने उसके टट्टों को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया इतना के उसे एक हसीन दर्द हो पर चोट ना लगे.
एक डर उठ जाए की उसके टटटे उखड़ जाएँगे और ये डर उसे अपनी पिचकारी छोड़ने पे मजबूर कर दे.

‘सोनी ……….ओह सोनी में तुम्हारे अंदर अपना माल निकालना चाहता हूँ. आह मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ अभी इसी वक़्त'


उसने अपनी टटटे उसके मुँह से निकालने की कोशिश करी पर सोनी ने सकती से होंठ बंद कर लिए. उसकी आँखों में एक मुस्कान थी.
नही. मैं तुम्हें नही छोड़ूँगी. मैं तुम्हें वो नही करने दूँगी जो तुम कह रहे हो की तुम चाहते हो. क्यूंकी असल में तो तुम चाहते हो की मैं और चुसून.

ये सब सोनी अपनी आँखों से कह रही थी.
मैं तुम्हारी टट्टों को तब तक चुसुन्गि जब तक तुम बर्दाश्त कर सकते हो, और उसके बाद भी और चुसुन्गि. और जब मेरा दिल भर जाएगा इन्हें चूसने में तब अगर तुम में दम बाकी रहा तो तुम्हारे लंड को चुसुन्गि.
सोनलप्रीत (सोनी) ठीक थी. वो जानती थी. उसने विशाल की आँखों में उभरते हुए भावों को पॅड लिया था. उसके सहलाने के तरीके से, उसकी भारी होती हुई साँसों से, उसके कड़क होते हुए लंड से जो उसके मुँह के चारों और डॅन्स कर अपनी इच्छा जाता रहा था मुँह में लेने के लिए , उसके निकलते हुए प्रेकुं से.
कितना खूबसूरत लग रहा था उसका लंड. सोनी को तो उसे टेस्ट करना ही था. अपने होंठों को थोड़ा खोलते हुए उसने आराम से विशाल के टटटे को बाहर निकालने दिया. वो पूरा गीला हो चुका था उसकी थूक से और अपनी थेलि में उसका वजन बड़ा हुआ था, एक सख़्त पत्थर की तरहा.
अहह विशाल के होंठों से ऐसी आवाज़ निकली जैसे उसका कुछ खो गया हो. पर तब उसे अहसास हुआ की सोनी क्या करने जा रही है.

‘ ले ले मुँह में मेरी सीखनी, चूस इसे, हां ऐसे ही …..ओह सोनी …….ज़ोर से चूस’

विशाल का जिस्म गथा हुआ था, उसकी मास्सपेशियाँ स्टील की तरहा जानदार थी और उसके जिस्म की सुंदरता देखते ही बनती थी. पर सबसे खूबसूरत हिस्सा उसके जिस्म का उसका लंड था. बड़ा स्मूद्ली कर्व्ड, उसकी नसें चमक रही थी जो हाथ लगते ही हिलने लगती और खाल गुलाबी थी.
उसका ख़तना किया हुआ लंड, और उसके टटटे चमक रहे थे, 7” लंबा मोटा लंड अपनी इक्लोटी आँख से कामरस निकल रहा था और सोनी के मुँह के अंदर जाने को बेकरार था.
सोनी ने उसे अपने होंठों में लिया और विशाल ने लंड अंदर सरका दिया, जो सीधा सोनी के गले तक पहुँच गया और उसके टटटे सोनी की थॉडी से चिपक गये. कुछ पल तो सोनी को लगा की उसका दम घुट जाएगा. लेकिन अगले ही पल विशाल ने अपना लंड पीछे सरका लिया और अराम से उसके मुँह को चोदने लगा. सोनी की थूक और उसके निकलते कामरस से उसका लंड बहुत चिकना हो गया और सोनी के होंठों की गिरिफ़्ट में मज़े से अंदर बाहर हो रहा था.
सोनी ने अपनी उंगलियों और अंगूठे से लंड की जड़ को पकड़ लिया और हल्के हल्के दबाने लगी , उसकी बाकी उंगलियों ने उसके टट्टों को लिया और उन्हें निचोड़ने लगी. विशाल अहह भर उठा, उसका अपने उपर काबू ख़तम होता जा रहा था, बड़ी कोशिश कर रहा था की जल्दी ना झड़े. उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और इस आनंदमयी मुखचुदाई में खोता चला

सोनी चाहती थी की वो अब झड़ जाए, और उसके उफ्फांते हुए कामरस को अपनी ज़ुबान पे महसूस करना चाहती थी. अपनी कामुकता का असर उसपे देखना चाहती थी. महसूस करना चाहती थी की कैसे वो अपना काबू खोता है और उसकी कामुकता के आगे दम तोड़ देता है.
विशाल से सोनी के मुँह की गर्माहट और उसकी उंगलियों का करतब अपने लंड और टट्टों पे सहा नही गया और उसका लावा फूट पड़ा सफेद पिचकारी सोनी के मुँह के अंदर छूटती रही और सोनी उसे निगलती रही . वो इतना वीर्य छोड़ रहा था की सोनी का मुँह फूल गया और सोनी ने जानभुझ कर कुछ कतरे अपने होंठों से बाहर निकालने दिए जो उसकी थोडी तक एक कतर बनाते हुए उसके गले तक पहुँच गये.

विशाल धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था,एक धीमी लेयबद गति, और अपने ओर्गसम के सुख को बड़ाता जा रहा था. सोनी महसूस कर रही थी की कितनी मुश्किल से उसने खुद को रोका हुआ था उसके गले को रोन्दने के लिए, और एक झटके में अपने ओर्गसम को ख़तम ना कर के धीरे धीरे उसकी अवधि बड़ा रहा था.
एसा पहली बार था की वो विशाल के साथ मुखमैथून कर रही थी, और वो हैरान थी की वो कितनी उत्तेजित होती जा रही थी. उसे कितनी संतुष्टि और खुशी मिली की विशाल उसके हाथों का खिलोना बन के रह गया. अपनी कामुकता का प्रभाव उसने आज पहचाना. विशाल ने खुद को रोकने की कितनी कोशिश करी पर सोनी की कामुकता की आगे सब बेकार गई, अगर सोनी चाहती तो सिर्फ़ एक बार अपनी ज़ुबान से चाटती तो भरभरा के डेह जाता.  


विशाल का आनंद खुद उसका अपना भी था, और हर पल के साथ उसका आनंद बढ़ता ही जा रहा था.
जब वो झडा तो ऐसा लगा की सारी दुनिया चक्कर खा के उल्टी हो गयी, जलती भुजती बिज़लियाँ आँखों के आगे तैरती रही, कुछ भी समझ नही आ रहा था सिवाय चरमानंद के जिसने दोनो को अपनी लप्पेट में ले लिया था.


सोनी को परमानंद की अनुभूति हुई अपनी कामुकता से विशाल पे विजय पा कर और विशाल के लिए जिस्मानी मज़े की इंतिहा थी.
जैसे ही उसके वीर्य ने सोनी के मुँह में निकलना आरंभ किया , उसे लगा की उसकी रूह सोनी के मुँह के रास्ते उसके अंदर समाती जा रही है किसी सतरंगी लहरों की तरहा.
सोनी उसका वीर्य निगलती रही, उसके अंदर विशाल केवीर्य के लिए जो प्यास जग चुकी थी, वो कभी भुजनेवाली नही थी. वो चाहती थी और, और, और . और जब आखरी बूँदें उसकी ज़ुबान पे रह गई, तो उसका दिल कर रहा था की ये दौर फिर शुरू हो जाए.
विशाल नीचे सरक कर उसके जिस्म के साथ चिपक गया और अपनी झांग उसकी झांगो के साथ रगड़ने लगा.
सोनी की उत्तेजना का बेरोमीटर टूटने की कगार पे पहुँच गया , वो इतनी गरम हो चुकी थी, की उसे लगा मार ही जाएगी.
विशाल उसके उरोज़ से खेलने लगा
अहह उूुुुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईई म्*म्म्मममममममाआआआआआआआआअ
सोनी अपनी बड़ी हुई प्यास और अपने उरोज़ से उठती हुई तरंगों की वजह से सिसक उठी. अब बाजी विशाल के हाथों में थी और सोनी ये बखूबी जानती थी इसलिए वो विशाल के हाथों का खिलोना बनती चली गई.
‘लोग कहते हैं जो सोनी ते सीखनी , वो ये नही जानते जितनी कामुक सीखनी होती है उतनी दुनिया की कोई लड़की नही , जितनी भूख वासना की सीखनी के जिस्म में होती और किसी में नही ‘ विशाल उसके निपल्स को अपनी उंगलियों में निचोड़ कर बोला.’मैं जानता हूँ सीखनी कितनी गरम होती है, क्यूँ मेरी जान?’
सोनी सिसकियाँ भरती जा रही थी, उसकी गंद इधर सेउदर हिल रही थी, जिसकी वजह से उसकी गंद के पाट खुल गये और कंबल बीच में घुस्स गया, कंबल के रेशे उसकी गंद में चुब कर उसे एक और ही मज़ा दे रहे थे.

‘आह विशाल मुझे ऐसे मत छोड़ो, मेरी प्यास भुझा दो, मुझे झड़ना है अब, और बर्दस्त नही हो रहा’

‘ इतनी जल्दबाज़ी अच्छी नही सोनी, तुम जानती हो मैं तुम्हें सातवें आसमान की सैर करा दूँगा. क्यूँ इतनी जल्दी मचा रही हो, सब जल्दी ख्तम हो जाएगा तो फिर हमे ऐसा मोका कब मिलिगा कल काम में जुट जाएँगे फिर 24 घंटे का इंतेज़ार जब मैं फिर तुम्हारे साथ बिस्तर पे हुंगा’

वो उसके नेवेल को सहलाने लगा और हल्के हल्के पिंच करने लगा, उसका जिस्म इस मज़े को पहले से ही पाने के लिए उत्सुक था , आनंद की लहरें सोनी के जिस्म में जवरभाते की तरहा उठती रही.

‘मैं सोच रहा हूँ अब मुझे तुम्हारे क्लिट के साथ खेलना चाहिए, सोनी, तुम्हें अच्छा लगे गा ना ?’

‘विशाल, मुझे टिज़ मत करो’ सोनी ने कंबल अपनी मुठियों में ज्क्ड लिया, कुछ राहत पाने के लिए, उसके जिस्म में उठती हुई तड़पाने वाली तरंगे उसके जिस्म के तापमान को बड़ाती जा रही थी.

सोनी ने विशाल के हाथ को नीचे सरकते हुए महसूस किया और वो उसकी चूत तक पहुँच गया.
अहह सोनी सिसक पड़ी और विशाल उसकी चूत पे हाथ फेरने लगा. सोनी की झांगे फैलती चली गई और विशाल को अपना रास्ता खुलता हुआ मिला. सोनी की साफाचट चूत पे रेंगता हुआ विशाल का हाथ सोनी को और तड़पने पर मजबूर कर गया. सोनी की चूत मजबूर हो कर आँसू बहाने लगी और उसके लब खुलने और बंद होने लगे. उसकी चूत में एक साथ हज़ारों चिंटियाँ रेंगने लगी . सोनी का कामरस उसकी चूत से बहने लगा और बिस्तर पे सैलाब बनने लगा.
‘ मुझे तुम्हारी चूत से बहुत अच्छी खुश्बू आ रही है, दिल कर रहा है तुम्हारी चूत को खा जाउन
विशाल कभी उसकी झंघों के अन्द्रुनि हिस्से को सहलाता, कभी उसकी चूत के पास हाथ फेरता , अभित तक उसने उसकी चूत को सिर्फ़ सरसरी तौर पे एक बार छुआ था और सोनी की चूत इंतेज़ार में कुलबुला रही थी. विशाल उसकी चूत के पास निकले छोटे छोटे बालों को खींचने लगा आराम से पर मजबूती से और सोनी के जिस्म को नई नई भावनाओं का आभास कराने लगा.
फिर उसने अचाचानक अपनी एक उंगली सोनी की चूत में घुस्सा दी, सोनी की चूत ने तड़प कर उसकी उंगली को ज्क्ड लिया.
विशाल ने यहीं पर बस नही किया, पहले एक उंगली अंदर घुस्साई थी, फिर एक और डाल दी और थोड़ी देर में तीसरी भी अंदर डाल दी. उसकी टाइट चूत में उसे दर्द और मज़े का एक साथ अनुभव हुआ .
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
सोनी सिसक पड़ी और विशाल अपनी उंगलियों से सोनी की चूत के अंदर खलबली मचाने लगा.
‘ ओह! नही , मत करो. प्लीज़ मत करो. मैं नही ले सकती अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्शच में मैं नही ले सकती ‘
विशाल का आनंद खुद उसका अपना भी था, और हर पल के साथ उसका आनंद बढ़ता ही जा रहा था.
जब वो झडा तो ऐसा लगा की सारी दुनिया चक्कर खा के उल्टी हो गयी, जलती भुजती बिज़लियाँ आँखों के आगे तैरती रही, कुछ भी समझ नही आ रहा था सिवाय चरमानंद के जिसने दोनो को अपनी लप्पेट में ले लिया था.


सोनी को परमानंद की अनुभूति हुई अपनी कामुकता से विशाल पे विजय पा कर और विशाल के लिए जिस्मानी मज़े की इंतिहा थी.
जैसे ही उसके वीर्य ने सोनी के मुँह में निकलना आरंभ किया , उसे लगा की उसकी रूह सोनी के मुँह के रास्ते उसके अंदर समाती जा रही है किसी सतरंगी लहरों की तरहा.
सोनी उसका वीर्य निगलती रही, उसके अंदर विशाल केवीर्य के लिए जो प्यास जग चुकी थी, वो कभी भुजनेवाली नही थी. वो चाहती थी और, और, और . और जब आखरी बूँदें उसकी ज़ुबान पे रह गई, तो उसका दिल कर रहा था की ये दौर फिर शुरू हो जाए.
विशाल नीचे सरक कर उसके जिस्म के साथ चिपक गया और अपनी झांग उसकी झांगो के साथ रगड़ने लगा.
सोनी की उत्तेजना का बेरोमीटर टूटने की कगार पे पहुँच गया , वो इतनी गरम हो चुकी थी, की उसे लगा मार ही जाएगी.
विशाल उसके उरोज़ से खेलने लगा
अहह उूुुुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईई म्*म्म्मममममममाआआआआआआआआअ
सोनी अपनी बड़ी हुई प्यास और अपने उरोज़ से उठती हुई तरंगों की वजह से सिसक उठी. अब बाजी विशाल के हाथों में थी और सोनी ये बखूबी जानती थी इसलिए वो विशाल के हाथों का खिलोना बनती चली गई.
‘लोग कहते हैं जो सोनी ते सीखनी , वो ये नही जानते जितनी कामुक सीखनी होती है उतनी दुनिया की कोई लड़की नही , जितनी भूख वासना की सीखनी के जिस्म में होती और किसी में नही ‘ विशाल उसके निपल्स को अपनी उंगलियों में निचोड़ कर बोला.’मैं जानता हूँ सीखनी कितनी गरम होती है, क्यूँ मेरी जान?’
सोनी सिसकियाँ भरती जा रही थी, उसकी गंद इधर सेउदर हिल रही थी, जिसकी वजह से उसकी गंद के पाट खुल गये और कंबल बीच में घुस्स गया, कंबल के रेशे उसकी गंद में चुब कर उसे एक और ही मज़ा दे रहे थे.
‘आह विशाल मुझे ऐसे मत छोड़ो, मेरी प्यास भुझा दो, मुझे झड़ना है अब, और बर्दस्त नही हो रहा’
‘ इतनी जल्दबाज़ी अच्छी नही सोनी, तुम जानती हो मैं तुम्हें सातवें आसमान की सैर करा दूँगा. क्यूँ इतनी जल्दी मचा रही हो, सब जल्दी ख्तम हो जाएगा तो फिर हमे ऐसा मोका कब मिलिगा कल काम में जुट जाएँगे फिर 24 घंटे का इंतेज़ार जब मैं फिर तुम्हारे साथ बिस्तर पे हुंगा’
वो उसके नेवेल को सहलाने लगा और हल्के हल्के पिंच करने लगा, उसका जिस्म इस मज़े को पहले से ही पाने के लिए उत्सुक था , आनंद की लहरें सोनी के जिस्म में जवरभाते की तरहा उठती रही.
‘मैं सोच रहा हूँ अब मुझे तुम्हारे क्लिट के साथ खेलना चाहिए, सोनी, तुम्हें अच्छा लगे गा ना ?’
‘विशाल, मुझे टिज़ मत करो’ सोनी ने कंबल अपनी मुठियों में ज्क्ड लिया, कुछ राहत पाने के लिए, उसके जिस्म में उठती हुई तड़पाने वाली तरंगे उसके जिस्म के तापमान को बड़ाती जा रही थी.

सोनी ने विशाल के हाथ को नीचे सरकते हुए महसूस किया और वो उसकी चूत तक पहुँच गया.
अहह सोनी सिसक पड़ी और विशाल उसकी चूत पे हाथ फेरने लगा. सोनी की झांगे फैलती चली गई और विशाल को अपना रास्ता खुलता हुआ मिला. सोनी की साफाचट चूत पे रेंगता हुआ विशाल का हाथ सोनी को और तड़पने पर मजबूर कर गया. सोनी की चूत मजबूर हो कर आँसू बहाने लगी और उसके लब खुलने और बंद होने लगे. उसकी चूत में एक साथ हज़ारों चिंटियाँ रेंगने लगी . सोनी का कामरस उसकी चूत से बहने लगा और बिस्तर पे सैलाब बनने लगा.
‘ मुझे तुम्हारी चूत से बहुत अच्छी खुश्बू आ रही है, दिल कर रहा है तुम्हारी चूत को खा जाउन
विशाल कभी उसकी झंघों के अन्द्रुनि हिस्से को सहलाता, कभी उसकी चूत के पास हाथ फेरता , अभित तक उसने उसकी चूत को सिर्फ़ सरसरी तौर पे एक बार छुआ था और सोनी की चूत इंतेज़ार में कुलबुला रही थी. विशाल उसकी चूत के पास निकले छोटे छोटे बालों को खींचने लगा आराम से पर मजबूती से और सोनी के जिस्म को नई नई भावनाओं का आभास कराने लगा.
फिर उसने अचाचानक अपनी एक उंगली सोनी की चूत में घुस्सा दी, सोनी की चूत ने तड़प कर उसकी उंगली को ज्क्ड लिया.
विशाल ने यहीं पर बस नही किया, पहले एक उंगली अंदर घुस्साई थी, फिर एक और डाल दी और थोड़ी देर में तीसरी भी अंदर डाल दी. उसकी टाइट चूत में उसे दर्द और मज़े का एक साथ अनुभव हुआ .
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
सोनी सिसक पड़ी और विशाल अपनी उंगलियों से सोनी की चूत के अंदर खलबली मचाने लगा.
‘ ओह! नही , मत करो. प्लीज़ मत करो. मैं नही ले सकती अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्शच में मैं नही ले सकती ‘
विशाल की उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर ही घूमने लगी और उसकी बच्चेदानी की गर्दन पे दबाव डालने लगी.
फिर अछा वोस्के उप्पर झुका उसकी टाँगों को और फैलाया और उसकी छूट पे अपना मुँह लगा दिया.
अहह
विशाल ने यहीं बस नही किया अपनी जीब उसकी छूट में घुस्सा दी, और उसकी जीब छूट की दीवारों को घर्षण देने लगी.
आाआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईई उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
अब सोनी गला फाड़ के सिसकियाँ लेने लगी , उसकी आवाज़ इतनी तेज़ थी की कमरे के बाहर जेया रही थी और उसे इस बात की कोई चिंता नही थी. उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही बात का अहसास था विशाल की जीब जो उसकी क्लिट को छेड़ रही थी उसकी छूट में अपने करतब दिखा रही थी, उसका क्लिट छूट के अंदर वापस घुसता और बाहर आता. जिस्म में बिज़लियाँ कोंधने लगी. वो अपनी छूट का दबाव विशाल के मुँह पे बड़ाने लगी.
‘आ जाओ मेरी जान, झड़ जाओ’
‘आह नही, ये बहुत ज़्यादा हो रहा है, मैं झड़ नही पा रही हूँ आह आह ओह माआअ’
‘मेरे लिए झड़ जाओ जानेमन, क्या तुम महसूस नही कर रही? महसूस करो आनंद की अंतिम सीमा को सोनी. मेरी उंगलियाँ तुम्हारी चूत के अंदर हैं और तुम्हारा क्लिट मेरी जीब का खिलोना है. तुम्हें सिर्फ़ अपने जिस्म को ढीला छोड़ना है , और होने दो जो होता है, बॅडने दो अपनी उत्तेजना को मत रुक उसे , और बादने दो, हन ऐसे ही, बस रिलॅक्स करो, फील करो . मुझे तुमको प्रमआनंद पहुँचाने दो ……….’

उसकी उंगलियों और उसकी जीब ने उसपे कब्जा किया हुआ था, उसकी जिस्म में उठी हुई तरंगों में एक लेय पैदा कर दी……….और अचानक उसका जिस्म अक्डा और वो झड़ने पे मजबूर हो गई. उसकी चूत ने सारे बाँध तोड़ दिए. उसके जिस्म से परम आनंद को खींच कर बाहर निकल लिए बड़ी प्रफूलता से
.
आह आइी आइी आइी. वो महसूस करने लगी जिस्म में उठते हुए बवंडर को, साँसे जैसे रुक सी गई आनंदीकरेक के कारण, वो पल था असमंजस का, जब धरती ने घूमना बंद कर दिया, सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही चीज़ बाकी रह गई एक हताश ज़रूरत अपने प्रॅमॅनंड को समेटने की.

‘एस ! ओह एस!’

उसका ओर्गसम उसके जिस्म को चीरने लगा जैसे हवा रेगिस्तान को चीरती है, जिस्म एक पत्ते की तरहा फड़फाड़ने लगा, जिस्म की हर मसपेशी सकत होती चली गई, एक एक नस चिल्ला रही थी , एक नग्न खुशी उफ्फन्ति हुई नदियों के बाँध तोड़ने की.

जिस्म में उठी हुई तरंगो को शीतिल होने में बहुत ही समय लगा. उसे सातवें आसमान पे जहाँ सोनी घूम रही थी, अपने परम आनंद की लहरों के थपेड़े खाते हुए, वापस आने में उसे काफ़ी समय लगा. और जब वो वापस आइी तो जिस्म से जैसे जान निकल चुकी थी, एक नशा था, जो सर चॅड के बोल रहा था , ऐसा होता है परम आनंद जो ओर्गसम के बाद महसूस होता है.
 








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