Monday, November 1, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ अंजानी डगर पार्ट--13



हिंदी सेक्सी कहानियाँ अंजानी डगर पार्ट--13

 गतान्क से आगे....................

 दोस्तो किस्मत बबलू पर मेहरबान थी. रश्मि और निशा तो पहले ही उसकी हो चुकी थी. और पता नही आगे कितनी चूत उसके लंड पर प्रेम रस बरसाने वाली थी. बबलू उस तालाब मे डुबकिया लगा रहा था जिसमे एक से एक मस्त मछली भरी थी अब ये उस पर था की किस मछली को दाना डाले और किस को छोड़ दे बेचारी मल्लिका मेडम की साँसे अटकी हुई थीबबलू डरते डरते मल्लिका मेडम की बड़ी बड़ी चूचियो को हथेलियो मे भर कर अंदर की और दबाने लगा. उसके हाथो और मेडम के मम्मो के बीच अब केवल एक पतला सा ब्लाउस का कपड़ा था. मम्मो के हर कटाव को बबलू महसूस कर सकता था क्योकि मेडम ने ब्लाउस के टाइट हाइन की वजह से ब्रा नही पहनी थी. बबलू दबाए जा रहा था और मेडम के मक्खन जैसे मम्मे उसके हाथो का दबाव पाकर दब्ते जा रहे थे. अपने मम्मो पर पराए मर्द का दबाव पड़ने से मल्लिका मेडम के शरीर मे चींतिया सी रेंगने लगी, जिसका प्रभाव ब्लाउस मे उभर चुके निप्पलो पर साफ दिख रहा था. बबलू मेडम के बूब्स को सामने खड़ा होकर ही दबा रहा था और उसकी नज़रे मेडम की गहरी होती जा रही क्लीवेज मे गढ़ी हुई थी. दरअसल बबलू के हाथ कॉर्सेट का काम कर रहे थे और दबाव पड़ने से मेडम के माममे ब्लाउस के उपर से बाहर निकल कर मेडम की जबरदस्त क्लीवेज बना रहे थे. ये मदहोशी भरा नज़ारा देख कर बबलू के होठ सूखने लगे. उसने अपने होंठो पर जीभ फेर कर उन्हे गीला किया. सख़्त हो चुके निप्पलो पर मल्लिका मेडम को ये दबाव अजीब सा सुख दे रहा था. उनकी आँखे धीरे धीरे मूंद रही थी. पर निशा सारा माजरा समझ चुकी थी. निशा- मेडम आप...हुक खोलिए. मल्लिका- आ...अरे तुम ग़लत दबा रहे हो. ऐसे तो और मुश्किल होगी. मुझे तो आगे कुछ नही दिख रहा है. हुक कैसे खोलू. मल्लिका मेडम की गहराइयो मे तैरने के बाद भी बबलू का हलक सूखा हुआ था. वो कुछ नही बोल पाया. निशा- मेडम मिरर उधर है. मल्लिका- हा. उधर ही चलते है. पर बबलू तो जैसे जड़ हो गया था और उसके हाथ अभी भी मल्लिका मेडम के बूब्स को जकड़े हुए थे. निशा ने बबलू की हथेलियो को मेडम के मम्मो से हटाया और उसका हाथ पकड़ कर मिरर के आगे खड़ा कर दिया. फिर मल्लिका मेडम खुद बबलू की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी और मिरर मे से उसको देखने लगी.. मल्लिका- अब तुम पीछे से ही दबाओ. यहा से हुक सही दिखाई दे रहे है. बबलू खोया हुआ सा उठा और अपने हाथ मेडम की बगल मे घुसा दिए और फिर से मेडम के तने हुए मम्मो को पकड़ लिया. अबकी बार मेडम के खड़े हुए निपल बबलू की हथेलियो से दब गये. बबलू ने जैसे मेडम की गिटार का कोई तार छेड़ दिया हो. इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स- मल्लिका मेडम अपनी सीत्कार को रोक नही पाई- क..क्या कर रहे हो...ढंग से दबाओ ना. ऐसे तो मैं.... मेडम पर भी सुरूर चढ़ रहा था. बबलू ने दबाव और बढ़ा दिया. मेडम फिर से सिसक उठी पर बोली कुछ नही. मेडम की सिसकारिया बबलू की उत्तेजना को और बढ़ा रही थी. उसका लंड अब पत्थर बन चुका था. उसने मेडम के मम्मो का मसाज सा शुरू कर दिया और बबलू को रोकने बजाए मेडम खुद भी बहकति जा रही थी. दोनो के जिस्म अब पूरी तरह गरम हो चुके थे. बात कुछ आगे बढ़ती इससे पहले ही निशा बोल उठी - मेडम आप हुक खोल लेंगी या मैं खोल दू. निशा की बात सुन कर मेडम वास्तविक दुनिया मे लौट आई. उनका गोरा चेहरा शरम से लाल हो चुका था. मेडम को बबलू ने इतना उत्तेजित कर दिया था कि उनको जगह और समय का ध्यान ही नही रहा. बबलू के हाथ भी रुक गये और मेडम के मम्मे बेचारे दबे रह गये. मेडम के मम्मे पूरी तरह दबे हुए थे. उन्होने जल्दी से हुक खोलदीए और बबलू ने अपने हाथ हटा लिए. बबलू के हाथ हटते ही जैसे 2 कबूतर पिंजरे से आज़ाद हो गये. मेडम के मम्मे आज़ाद होकर फुदकाने का सीन बबलू ने मिरर मे देख लिया था और मेडम ने भी बबलू का खुला हुआ मूह देख लिया था. पर वो चुप ही रही और गहरी सांस ली. निशा टांग नही अड़ाती तो आज बबलू एक बार फिर बिन ब्याहे सुहाग रात मना चुका होता. ( चाहे ये दुल्हन कुँवारी नही थी ). निशा वाहा पर कबाब मे हड्डी का काम करने के लिए ही तो खड़ी थी. उसने बबलू की पॅंट का तंबू और मेडम की सिसकारिया सुन ली थी. उसे पता था कि बबलू का लंड कितनी जल्दी फुफ्कारने लगता है. इसीलिए वो रश्मि के साथ नही गयी थी. खैर मल्लिका मेडम का ब्लाउस तो आख़िरकार उतर गया था और वो दूधिया रंग के मम्मो को अपनी छाती पर मेडल्स की तरह टाँगे खड़ी थी. उनके गुलाबी निपल अब तक कड़े थे. निशा- मेडम आपने ब्रा भी नही पहनी. बबलू – एक कड़क आवाज़ सुनाई दी. जी....जी – बबलू हड़बड़ा कर बोला. मल्लिका मेडम रेड ब्लाउस पहने खड़ी थी और मस्टेरज़ी गुस्से से चिल्ला रहे थे. दोस्तो अपना बबलू खड़ा खड़ा सपना देख रहा था म्‍मास्टर जी की आवाज़ ने उसे धरातल पर ला दिया था मस्टेरज़ी- अबे मेडम को क्यो देखे जा रहा है ? बबलू- म...म..मैं वो... मस्टेरज़ी- अबे मल्लिका मेडम कितनी देर से खड़ी है और तू दिन मे कौन से सपने देख रहा है नमकूल. बबलू- ज..जी मेडम का ब्लाउस टाइट था और वो ब्लाउस चेंज करने गयी थी. और मैं.... मस्टेरज़ी- रश्मि कहा गयी और ये निशा यहा क्या कर रही है. साले तूने नाप लेने की प्रॅक्टीस भी की थी ? बबलू- जी मस्टेरज़ी मैने पूरी प्रॅक्टीस कर ली थी. बबलू अब तक संभाल चुका था. मस्टेरज़ी- चल अभी पता चल जाएगा कि तूने कितनी प्रॅक्टीस की है. मेडम के ब्लाउस का नाप लेना शुरू कर. बबलू- जी. मस्टेरज़ी- मेडम इसकी ग़लती के लिए मैं शर्मिंदा हू. बेचारा नया-नया है. नीचे मुझे रश्मि ने बताया कि आप आई है तो मैं भागा-भागा उपर चला आया. आप प्लीज़ इसको नाप दे दीजिए. बबलू मल्लिका मेडम का नाप लेने लगा. सबसे पहले उसने मेडम की ब्रेस्ट का नाप लेने के लिए मल्लिका मेडम के हाथ उपर किए और नाप लिया - 32 मल्लिका- अरे नही मेरी ब्रेस्ट का साइज़ तो 38 है. ब्लाउस टाइट है इसलिए कम आ रहा होगा. मस्टेरज़ी- मेडम आपने ये टाइट वाला ब्लाउस पहना ही क्यो है. इससे नाप कैसे सही मिलेगा. आप अंदर जाइए और चेंज करके ब्रा पहन लीजिए. मेडम- इस लड़के ने ही तो कहा था....चलो कोई बात नही. पर ब्लाउस मुझे आज ही चाहिए. मेडम पैर पटकते अंदर चली गयी और चेंज करके बाहर आई. बबलू की नज़र गेट पर ही टिकी हुई थी. मेडम ने बाहर निकलते ही कहर ढा दिया था. मेडम के हर बढ़ते कदम के साथ उनके ब्रा के कप्स मे सजे हुए बूब्स फुदकते और बबलू का दिल बैठ जाता. मेडम की क्लीवेज की गहराई वाकई मे जानलेवा थी. एक बार फिर बबलू अपने ख़यालो की दुनिया मे डूबने लगा था. पर मस्टेरज़ी की आवाज़ ने उसे वापस ला कर पटक दिया. मस्टेरज़ी- अब ठीक से नाप लियो. कोई ग़लती मत करियो. यह कह कर मस्टेरज़ी ऑर्डर बुक लेकर बैठ गये. बबलू के हाथ कांप रहे थे. निशा और रश्मि की जवानी मल्लिका मेडम के हुस्न के आगे फीकी पड़ गयी थी. मल्लिका मेडम का अंग-अंग शायद काफ़ी फ़ुर्सत मे गढ़ा गया था. उनके बूब्स एक दम तने हुए थे और ब्रा पर ज़रा भी दबाव नही डाल रहे थे. बबलू ने फिर से मेडम के हाथ उठवाए. मेडम की बगल से मनमोहक सेंट की खुश्बू आ रही थी. उनकी कांख एक दम गोरी और बाल रहित थी. बबलू ने हाथ बढ़ाए और इंचिटपे को उनकी ब्रेस्ट पर लपेट दिया – 38 – बबलू बोला. मल्लिका मेडम ने राहत की सांस ली. जैसे कोई इम्तिहान पास कर लिया हो. मस्टेरज़ी- मेडम आपका पहले का नाप तो 32 ही लिखा है. नही नही 2 महीने मे साइज़ कैसे बढ़ जाएगा. शायद पहले वाले लड़के ने ही ग़लत लिख लिया होगा. मेडम- नही नही मास्टर जी. पहले का साइज़ 32 ही था. मैने ब्रेस्ट इम्प्लान्ट का ऑपरेशन करवाया है. पूरे 2 लाख खर्च हुए है. मस्टेरज़ी का मूह खुला का खुला ही रह गया था. ऐसा भी होता है ! बबलू- कमर 28. मेडम ब्लाउस की लेंग्थ तो उतनी ही रहेगी. नेक कितना डीप रहेगा. मल्लिका- ये ब्रा जितना ही डीप रखना. पहले बहुत कम डीप था. मैं तो बहुत डीप पहनती हू. बबलू ने इंचिटपे था सिरा मेडम के कंधे पर रखा और उसे खींच कर मेडम के क्लीवेज की लाइन के सिरे से लगा दिया. फिर धीरे धीरे नीचे आने लगा. 8 9 10 11 मेडम 11 इंच तक आएगा. मल्लिका- और डीप नही हो सकता. बबलू- फिर आपकी ब्रा दिखेगी. मल्लिका- चलो बॅक से ज़्यादा डीप रखना. बबलू- मेडम 14 इंच मे 11 इंच से ज़्यादा क्या डीप होगा. मस्टेरज़ी- मेडम बॅकलेस बना दे. मल्लिका- हा वही ठीक रहेगा. मस्टेरज़ी- ये नाप तो हो गया. और सेवा बताइए. मल्लिका- और कुछ नही बस 6 बजे से पहले मेरे पास भिजवा देना मुझे फिर पार्लर भी जाना है. मस्टेरज़ी- आप चिंता ना करे. अब ये मेरी ज़िम्मेदारी है. मल्लिका- थॅंक यू मस्टेरज़ी. यह कह मल्लिका मेडम निशा के साथ नीचे चली गयी और मस्टेरज़ी ब्लाउस को उधेड़ने लगे. और बबलू मल्लिका मेडम के सम्मोहन मे खोया गया. वॉल क्लॉक मे 5 बज चुके थे. मस्टेरज़ी- बबलू. बबलू अपने ख़यालो से बाहर आया- जी मस्टेरज़ी. मस्टेरज़ी- ये ब्लाउस तैयार हो गया है. पर बेटा मुझे अपने दोस्त के बेटे की शादी मे जाना है. तू नीचे से मल्लिका मेडम का अड्रेस लेले और 6 बजे से पहले इसे पहुचा देना. बबलू- मस्टेरज़ी मैं तो मुंबई मे नया हू. मैं कैसे जाउन्गा. और मुझे अभी अपना रहने का ठिकाना भी तो खोजना है अभी. मस्टेरज़ी- जगह के लिए तू निशा से बात कर ले. वो कोई ना कोई बंदोबस्त कर देगी. बस तू ये टाइम पर पहुचा ज़रूर देना. बबलू- जी जैसा आप कहे. बबलू ने ब्लाउस लिया और नीचे निशा के पास पहुच गया. निशा- चले ? बबलू- कहा चले ? निशा- जहा तुम ले चलो. बबलू- मुझे तो ये ब्लाउस डेलिवरी करने जाना है. मल्लिका मेडम का अड्रेस दे दो. निशा- क्यो तुम अपना प्रॉमिस भूल गये क्या ? बबलू- कौन सा प्रॉमिस ? निशा- अच्छा बच्चू. अब वो भी मुझे ही याद दिलाना पड़ेगा क्या ? बबलू- अच्छा वो. अभी तो मुझे काम से जाना है. फिर कभी पूरा कर दूँगा. निशा- फिर कभी क्या ? मुझे तो आज ही करना है. बबलू- आज तो मुश्किल है. मस्टेरज़ी कह रहे थे कि तुम रूम का अरेंज्मेंट करा दोगि.... निशा- रूम देखना है तो अभी चलना होगा. नही तो रात हो जाएगी. बबलू- रूम तो चाहिए पर पहले ये ब्लाउस 6 बजे तक पहुचना ज़रूरी है. निशा- हा तो ठीक है. ये ब्लाउस डेलिवरी करके यही पर वापस आ जाना. फिर कमरा देखने चलेंगे. बबलू- पहले अड्रेस तो दो. निशा- ये तो पास मे ही है. 1 घंटे मे वापस आ जाओगे. ये लो बाहर मेरी किनेटिक खड़ी है. वो ले जाओ. बबलू- ना जान ना पहचान. पहले ही दिन इतना विश्वास. कही मैं तुम्हारी किनेटिक लेकर भाग गया तो. निशा- अरे मैं तुझे भागने दूँगी तब ना. बबलू- अच्छा-अच्छा. मैं आता हू. मेडम के जाने के बाद पूरे दिन बबलू की आँखो के आगे मेडम का मादक जिस्म तैरता रहा. मेडम की लचकदार कमर और कातिल गोलाइया. पूरे दिन उसने अपने ख्वाबो मे मल्लिका मेडम के जिस्म को तरह-तरह से चोद लिया था. लंड तो बेचारा पता नही कितनी बार आकड़ा और फिर शांत हुआ. उसकी तो बस ये ही तम्माना थी की उसका सपना एक बार सच हो जाए और मेडम उसे अपने मादक जिस्म को प्यार करने की किसी तरह इजाज़त दे दे. बबलू को बाहर वेटिंग रूम मे बिठाया गया था पर वाहा से कोठी के अंदर की शानदार स्जावट दिख सकती थी. रामू चाइ और बिस्कट दे गया था. बबलू ने चाइ ख़तम ही की थी कि रामू पास आकर बोला कि मेडम आपको बुला रही है. इतना सुनते ही बबलू का लंड फिर से झटके खाने लगा. उसे फिर से मेडम के मादक शरीर के दर्शन होने वाले थे. बबलू उठा और रामू के पीछे हो लिया. कोठी वाकई जानदार थी. रामू बबलू को ग्राउंड फ्लोर पर ही एक रूम के बाहर तक पहुचा कर बोला- अंदर चले जाइए. मेडम अंदर ही है. यह कमरा शायद मल्लिका मेडम का बेडरूम था. पर रूम मे मेडम दिखाई नही दी. अंदर एक और दरवाजा खुला हुआ था. बबलू उसके अंदर चल गया. ये शायद मेडम का ड्रेसिंग रूम था. पूरे कमरे मे अलमारिया बनी थी और एक तरफ बड़ी सी ड्रेसिंग टेबल पर मल्लिका मेडम मिरर के सामने खड़ी थी और ब्लाउस पहनने की कोशिश कर रही थी. मेडम को देख कर बबलू की उत्तेजना और बढ़ गयी. मेडम ने नीचे तो पेटिकॉट पहन रखा था पर उपर उनके जिस्म केवल एक लो नेक लाइन ब्रा थी. निपल को छोड़ कर लगभग पूरे ही बूब्स की झलक मिरर मे दिखाई दे रही थी. बबलू के शरीर मे जैसे लावा सा बहने लगा था. बबलू मल्लिका मेडम को घुरे जा रहा था. मेडम ने उसे घूरते हुए देख तो लिया था पर उन्होने इसे अनदेखा कर दिया और बोली- ये ब्लाउस तो मुझे समझ नही आ रहा. पता नही कैसे पहना जाएगा. प्लीज़ तुम मेरी थोड़ी मदद कर दो ना. मेडम की आवाज़ मे रूमानियत भी थी और रिक्वेस्ट भी. बबलू उन्हे मना नही कर पाया. उसने मेडम से ब्लाउस ले लिया और उसकी डोरी ढीली करने लगा. बीच बीच वो नज़र चुरा कर मेडम की छातियो का भी नज़ारा ले लेता. मेडम सब देख रही थी पर पता नही उनके मन मे क्या चल रहा था. वो शांत खड़ी रही. बबलू- मेडम आप हाथ सामने कर लीजिए. मेडम- अरे मेरे सिर मे दर्द है. मैने अभी गोली ली है. तुम्हे जो करना है चुपचाप करते जाओ. बोलो नही. बबलू- जी आप बस खड़ी होकर इसमे बाजू डाल लीजिए बाकी फिटिंग मैं देख लूँगा. मेडम ने हाथो मे ब्लाउस की बाजू पहन ली और ब्लाउस को उपर तक चढ़ा लिया. बबलू मेडम के पीछे आ गया और डोरी टाइट करने लगा. बॅक लेस ब्लाउस मे मेडम की गोरी कमर बड़ी मस्त लग रही थी. डोरी टाइट करने के बाद बबलू सामने की तरफ आया. मेडम का ब्लाउस का गला बहुत डीप था. लाल रंग के डीप नेक ब्लाउस मे मेडम कयामत लग रही थी. बबलू तो बस देखता ही रह गया. मेडम- आ... क्या चुभ रहा है यहा पर. बबलू- मेडम कहा पर. मेडम- ये देखो यहा पर. ये क्या है. आअह... बबलू ने ध्यान से देखा की ब्लाउस मे कोई चीज़ घुसी हुई थी. मेडम- अरे जल्दी कुछ करो. बहुत दर्द हो रहा है....आ... बबलू- मेडम ब्लाउस उतरना पड़ेगा. शायद कोई चीज़ ब्लाउस मे चली गयी है. मेडम- अब ब्लाउस उतारने का टाइम नही है मेरे पास. तुम ऐसे ही निकाल दो. बबलू- ऐसे कैसे निकाल दू. वो ब्लाउस मे नीचे की तरफ है. मेडम- कैसे क्या ? भगवान ने ये हाथ क्यो दिए है तुम्हे ? इनका इस्तेमाल नही जानते क्या...आ...जल्दी करो...आइईए बेचारा बबलू मरता क्या ना करता. उसने मेडम के ब्लाउस को थोड़ा सा खीचा और उस चीज़ की सही जगह का अंदाज़ा लगाया. वो जगह मेडम के निपल के ठीक नीचे थी. बबलू मेडम के पीछे गया और ब्लाउस की डोरी को ढीला कर दिया. फिर उसने मेडम को चेर पर बैठा दिया. इसके बाद बबलू बाई ओर आया और मेडम के ब्लाउस और ब्रा के बीच मे अपनी काँपति हुई उंगलिया डाल दी. जैसे मक्खन से जमे हुए गोल च्यूक पर हाथ दिया हो. मेडम के मम्मो मे काफ़ी कसाव था. बबलू के लिए इतना ही काफ़ी था. उसका दिल धड़-धड़ करके बज रहा था. लंड बुरी तरह सूज कर अकड़ चुका था. केवल मेडम के जिस्म की चुअन से ही बबलू के शरीर के रौंगटे खड़े हो चुके थे. बबलू ने दूसरे हाथ से अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया और थोडा सहलाने लगा. लंड मे ध्यान लगने से बबलू ब्लाउस को भूल सा गया था. पर मेडम का दर्द बढ़ता जा रहा था. मेडम- ज़ल्दिकरो ना प्लीज़. मेडम की दर्द भरी आवाज़ सुन कर बबलू ने लंड को छोड़ दिया और एक हाथ से ब्लाउस को आगे खींच लिया और उसमे देखने की कोशिश करने लगा. पर वाहा देखने के लिए जगह ही नही थी. बबलू धीरे-धीरे अपना दूसरा हाथ मेडम के ब्लाउस मे सरका रहा था. आख़िर मे उसका हाथ से कोई सख़्त चीज़ टकराई. उसने उसे थोड़ा सा सहला कर देखा, शायद कोई चने का दाना था. बबलू ने उसे थोड़ा ज़ोर से दबा दिया. इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स- मेडम की सिसकारी नकल गयी – ये क्या कर रहे हो. मेरी तो जान ही निकल गयी. मेडम के हाथ बबलू के हाथो पर पहुच गये थे और चेहरे पर पसीना आ गया था. बबलू- मेडम आपके ब्लाउस मे जो चुभ रहा वही निकल रहा हू. पता नही ये चने जैसा दाना आपके ब्लाउस मे कैसे आ गया. मेडम- ईडियट ऐसे नट्स तो हर औरत की छाती पर होते है. बबलू- मेडम किस लिए ? देखो अब आपको चुभ रहा है ना. मेडम- चुभ तो उसके नीचे रहा है...स्टुपिड. बबलू ने हाथ थोड़ा और नीचे सरकया तो अचानक उसकी उंगली पर चुबी. उसने तुरंत हाथ बाहर निकाल लिया और हिलाने लगा. शायद कोई नीडल चुभि थी. उसके उंगली पर खून उभर आया था. मेडम ने उसकी उंगली पर खून देखते ही चिल्ला उठी – खून. और उंगली को अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. बबलू- मेडम शायद कोई नीडल रह गया है अंदर. आपको ब्लाउस उतारना ही पड़ेगा. मेडम ने सिर हिला कर हामी भर दी. बबलू ने धीरे से मेडम के मूह से अपनी उंगली निकाली और मेडम के ब्लाउस की डोरी खोल दी. खून बंद हो चुका था. शायद मेडम के चूसने से ऐसा हुआ था. मेडम ने धीरे से ब्लाउस उतारा तो देखा वाकई मे नीडल थी. नीडल चुभने से ब्रा पर भी खून का धब्बा आ गया था. मेडम- अरे ये ब्रा तो खराब हो गयी. चेंज करनी पड़ेगी. तुम प्लीज़ स्ट्रॅप खोल दो. बबलू ने ब्रा के स्ट्रॅप खोल दिए. ब्रा खुलते ही मेडम के बूब्स कबूतरो की तरह आज़ाद होकर फुदकने लगे. उसकी आँखे फटी रह गयी. होठ सूखने लगे. उसने जीभ से अपने होठ गीले किए. तभी मेडम की निपल के नीचे खून की एक बूँद उभर आई. बबलू उसे देखते ही बोला- खून. क्रमशः........... part--13 gataank se aage.................... Kismat Bablu par meharbaan thi. Rashmi aur Nisha to pehle hi uski ho chuki thi. Aur pata nahi aage kitni chutey uske lund par prem ras barsane wali thi. Bablu us talab me dubkiya laga raha tha jisme ek se ek machli bhari thi. Ab ye us par tha ki kis machali ko dana dale aur kise chor de.... Bechari Mallika Madam ki sanse ataki huyi thi. Bablu darte-darte Mallika Madam ke bade bade mummo ko hatheliyo me bhar kar andar ki aur dabane laga. Uske hatho aur Madam ke mummo ke beech ab kewal ek patla sa blouse ka kapda tha. Mummo ke har kataav ko Bablu mehsoos kar sakta tha kyoki Madam ne Blouse ke tight hine ki wajah se Bro nahi pehni thi. Bablu dabaye ja raha tha aur Madam ke makhhan jaise mumme uske hatho ka dabaav pakar dabte ja rahe the. Apne mummo par paraye mard ka dabav padne se Mallika Madam ke sharir me chintiya si rengne lagi, jiska prabhav blouse me ubhar chuke nippalo par saaf dikh raha tha. Bablu Madam ke boobs ko samne khada hokar hi daba raha tha aur uski najre Madam ki gehri hoti ja rahi cleavage me gadi huyi thi. Darasal Bablu ke hath corsett ka kam kar rahe the aur dabav padne se Madam ke mumme blouse ke upar se bahar nikal kar Madam ki jabardast Cleavage bana rahe the. Ye madhoshi bhara najara dekh kar Bablu ke hoth sukhne lage. Usne apne hotho par jeebh fer kar unhe geela kiya. Sakht ho chuke nippalo par Mallika Madam ko ye dabav ajeeb sa sukh de raha tha. Unki aankhe dhire dhire mundne rahi thi. Par Nisha mirror sara majra samajh chuki thi. Nisha- Madam aap...Hook kholiye. Mallika- Aah...Arey tum galat daba rahe ho. Aise to aur mushkil hogi. Mujhe to aage kuch nahi dikh raha hai. Hook kaise kholu. Mallika Madam ki gehrayiyo me tairne ke bad bhi Bablu ka halak sukha hua tha. Wo kuch nahi bol paya. Nisha- Madam mirror udhar hai. Mallika- Ha. udhar hi chalte hai. Par Bablu to jaise jad ho gaya tha aur uske hath abhi bhi Mallika Madam ke boobs ko jakde huye the. Nisha ne Bablu ki hatheliyo ko Madam ke mummo se hataya aur uska hath pakad kar mirror ke aage khada kar diya. Fir Mallika Madam khud Bablu ki aor peeth karke khadi ho gayi aur mirror me se usko dekhne lagi.. Mallika- Ab tum piche se hi dabao. Yaha se hook sahi dikhai de rahe hai. Bablu khoya hua sa utha aur apne hath Madam ki bagal me ghusa diye aur fir se Madam ke tane huye mummo ko pakad liya. Abki baar Madam ke khade huye nipple Bablu ki hatheliyo se dab gaye. Bablu ne jaise Madam ki guitar ka koi tar ched diya ho. Isssssssssssssssssssss- Mallika Madam apni seetkar ko rok nahi payi- k..kya kar rahe ho...dhang se dabao na. Aise to mai.... Madam par bhi surur chadh raha tha. Bablu ne dabav aur badha diya. Madam fir se sisak uthi par boli kuch nahi. Madam ki siskariya Bablu ki uttejana ko aur badha rahi thi. Uska lund ab pathar ban chuka tha. Usne Madam ke Mummo ka massage sa shuru kar diya aur Bablu ko rokne bajaye Madam khud bhi behakti ja rahi thi. Dono ke jism ab puri tarah garam ho chuke the. Baat kuch aage badhti isse pehle hi Nisha bol uthi - Madam aap hook khol lengi ya mai khol du. Nisha ki baat sun kar Madam vastvik duniya me laut aayi. Unka gora chehra sharam se lal ho chuka tha. Madam ko Bablu ne itna uttejit kar diya tha ki unko jagah aur samay ka dhyan hi nahi raha. Bablu ke hath bhi ruk gaye aur Madam ke mumme bechare dabe reh gaye. Madam ke mumme puri tarah dabe huye the. Unhone jaldi se hook kholdiye aur Bablu ne apne hath hata liye. Bablu ke hath hate hi jaise 2 kabutar pinjare se azad ho gaye. Madam ke mummo ke azad hokar fudakane ka scene Bablu ne mirror me dekh liya tha aur madam ne bhi Bablu ka khula hua muh dekh liya tha. Par wo chup hi rahi aur gehri sans li. Nisha tang nahi adati to aaj Bablu ek bar fir bin byahe suhag raat mana chuka hota. ( chahe ye dulhan kunwari nahi thi ). Nisha waha par kabab me haddi ka kam karne ke liye hi to khadi thi. Usne Bablu ki pant ka tambu aur Madam ki siskariya sun li thi. Use pata tha ki Bablu ka lund kitni jaldi fufkarne lagta hai. Isiliye wo Rashmi ke sath nahi gayi thi. Khair Mallika Madam ka blouse to akhirkar utar gaya tha aur wo dudhiya rang ke mummo ko apni chati par Medals ki tarah tange khadi thi. Unke gulabi nipple ab tak kade the. Nisha- Madam aapne bra bhi nahi pehni. BABLU – ek kadak awaaj sunayi di. Ji....Ji – Bablu hadbada kar bola. Mallika Madam Red Blouse pehne khadi thi aur Masterji gusse se chilla rahe the. Masterji- Abey Madam ko kyo dekhe ja raha hai ? Bablu- M...M..Mai Wo... Masterji- Abey Mallika Madam kitini der se khadi hai aur tu din me kaun se sapne dekh raha hai namakool. Bablu- J..Ji Madam ka blouse tight tha ur wo blouse change karne gayi thi. Aur Mai.... Masterji- Rashmi kaha gayi aur Ye Nisha yaha kya kar rahi hai. Sale tune naap lene ki practice bhi ki thi ? Bablu- Ji Masterji maine puri practice kar li thi. Bablu ab tak sambhal chuka tha. Masterji- Chal abhi pata chal jayega ki tune kitni practice ki hai. Madam ke blouse ka naap lena shuru kar. Bablu- Ji. Masterji- Madam iski galti ke liye mai sharminda hu. Bechara naya-naya hai. Niche mujhe Rashmi ne bataya ki aap aayi hai to mai bhaga-bhaga upar chala aaya. Aap please isko naap de dijiye. Bablu Mallika Madam ka naap lene laga. Sabse pehle usne Madam ki breast ka nap lene ke liye Mallika Madam ke hath upar kiye aur naap liya - 32 Mallika- arey nahi meri breast ka size to 38 hai. Blouse tight hai isliye kam aa raha hoga. Masterji- Madam aapne ye tight wala blouse pehna hi kyo hai. Isse naap kaise sahi milega. Aap andar jayiye aur change karke bra pehan lijiye. Madam- Is ladke ne hi to kaha tha....Chalo koi baat nahi. Par Blouse mujhe aaj hi chahiye. Madam pair patakte andar chali gayi aur change karke bahar aayi. Bablu ki najar gate par hi tiki huyi thi. Madam ne bahar nikalte hi kahar dha diya tha. Madam ke har badhte kadam ke sath unke bra ke cups me saje huye boobs fudakte aur Bablu ka dil baith jata. Madam ki cleavage ki gehrayi wakai me jaanleva thi. Ek baar fir Bablu apne khayalo ki duniya me dubne laga tha. Par Masterji ki awaaj ne use wapas la kar patak diya. Masterji- Ab theek se naap liyo. Koi galti mat kariyo. Yeh keh kar Masterji Order Book lekar Baith gaye. Bablu ke hath kanp rahe the. Nisha aur Rashmi ki jawani Mallika Madam ke husn ke aage fiki pad gayi thi. Mallika Madam ka ang-ang shayad kafi fursat me gadha gaya tha. Unke boobs ek dum tane huye the aur bra par jara bhi dabav nahi daal rahe the. Bablu ne fir se Madam ke hath uthwaye. Madam ki bagal se manmohak scent ki khushbu aa rahi thi. Unki kankh ek dum gori aur bal rahit thi. Bablu ne hath badhaye aur Inchitape ko unki breast par lapet diya – 38 – Bablu bola. Mallika Madam ne rahat ki sans li. Jaise koi imtihaan paas kar liya ho. Masterji- Madam aapka pehle ka naap to 32 hi likha hai. nahi nahi 2 mahine me size kaise badh jayega. Shayad pehle wale ladke ne hi galat likh liya hoga. Madam- Nahi Nahi Master ji. Pehle ka size 32 hi tha. Maine Breast Implant ka Operation karwaya hai. Pure 2 lakh kharch huye hai. Masterji ka muh khula ka khula hi reh gaya tha. Aisa bhi hota hai ! Bablu- Kamar 28. Madam Blouse ki length to utni hi rahegi. Neck kitna deep rahega. Mallika- Ye bra jitna hi deep rakhna. Pehle bahut kam deep tha. Mai to bahut deep pehanti hu. Bablu ne inchitape tha sira Madam ke kandhe par rakha aur use kheench kar madam ke cleavage ki line ke sire se laga diya. Fir dhire dhire niche aane laga. 8 9 10 11 Madam 11 inch tak aayega. Mallika- Aur deep nahi ho sakta. Bablu- fir aapki bra dikhegi. Mallika- chalo back se jyada deep rakhna. Bablu- Madam 14 inch me 11 inch se jyada kya deep hoga. Masterji- Madam Backless bana de. Mallika- Ha Wahi theek rahega. Masterji- Ye naap to ho gaya. Aur sewa batayiye. Mallika- Aur kuch nahi bas 6 baje se pehle mere paas bhijwa dena mujhe fir Parlour bhi jana hai. Masterji- Aap chinta na kare. Ab ye meri jimmedari hai. Mallika- Thank you Masterji. Yeh keh Mallika Madam Nisha ke sath niche chali gayi aur Masterji blouse ko udhedne lage. Aur Bablu Mallika Madam ke sammohan me khoya gaya. Wall Clock me 5 baj chuke the. Masterji- Bablu. Bablu apne khayalo se bahar aaya- Ji Masterji. Masterji- ye blouse taiyaar ho gaya hai. par Beta mujhe apne dost ke bete ki shadi me jana hai. Tu niche se Mallika Madam ka address lele aur 6 baje se pehle ise pahucha dena. Bablu- Masterji mai to Mumbai me naya hu. Mai kaise jaunga. Aur mujhe abhi apna rehne ka thikana bhi to khojna hai abhi. Masterji- Jagah ke liye tu Nisha se baat kar le. Wo koi na koi bandobast kar degi. Bas tu ye time par pahucha jarur dena. Bablu- Ji jaisa aap kahe. Bablu ne Blouse liya aur niche Nisha ke pas pahuch gaya. Nisha- Chale ? Bablu- Kaha chale ? Nisha- Jaha tum le chalo. Bablu- Mujhe to ye blouse delivery karne jana hai. Mallika Madam ka Address de do. Nisha- Kyo tum apna promise bhool gaye kya ? Bablu- Kaun sa promise ? Nisha- Accha Bacchu. Ab wo bhi mujhe hi yaad dilana padega kya ? Bablu- Accha wo. Abhi to mujhe kam se jana hai. Fir kabhi pura kar dunga. Nisha- Fir kabhi kya ? Mujhe to aaj hi karna hai. Bablu- Aaj to mushkil hai. Masterji keh rahe the ki tum room ka arrangement kara dogi.... Nisha- Room dekhna hai to abhi chalna hoga. Nahi to rat ho jayegi. Bablu- Room to chahiye par pehle ye blouse 6 baje tak pahuchana jaruri hai. Nisha- Ha to theek hai. Ye blouse delivery karke yahi par wapas aa jana. Fir kamra dekhne chalenge. Bablu- Pehle address to do. Nisha- Ye to paas me hi hai. 1 ghante me wapas aa jaoge. Ye lo bahar meri Kinetic khadi hai. Wo le jao. Bablu- Na jaan na pehchan. Pehle hi din itna vishwas. Kahi mai tumhari kinetic lekar bhag gaya to. Nisha- Arey mai tujhe bhagne dungi tab na. Bablu- Accha-Achha. Mai aata hu. Madam ke jane ke bad pure din Bablu ki aanko ke aage Madam ka madak jism tairta raha. Madam ki lachakdar kamar aur katil golayiya. Pure din usne apne khwabo me Mallika Madam ke jism ko tarah-tarah se chod liya tha. Lund to bechara pata nahi kitni bar akda aur fir shant hua. Uski to bas ye hi tammana thi ki uska sapna ek bar sach ho jaye aur Madam use apne Madak Jism ko pyar karne ki kisi tarah ijajat de de. Bablu ko bahar waiting Room me bithaya gaya tha par waha se kothi ke andar ki shandar sjawat dikh sakti thi. Ramu chai aur biscuit de gaya tha. Bablu ne chai khatam hi ki thi ki Ramu pas aakar bola ki Madam aapko bula rahi hai. Itna sunte hi Bablu ka lund fir se jhatke khane laga. Use fir se Madam ke Madak shareer ke darshan hone wale the. Bablu utha aur Ramu ke piche ho liya. Kothi wakai jandaar thi. Ramu Bablu ko ground floor par hi ek room ke bahar tak pahucha kar bola- andar chale jayiye. Madam andar hi hai. Yeh kamra shayad Mallika Madam ka Bedroom tha. Par room me Madam dikhayi nahi di. Andar ek aur darwaja khula hua tha. Bablu uske andar chal gay. Ye shayad Madam ka Dressing room tha. Pure kamre me Almariya bani thi aur ek taraf badi si dressing table par Mallika Madam Mirror ke samne khadi thi aur Blouse pehanne ki koshish kar rahi thi. Madam ko dekh kar Bablu ki uttejana aur badh gayi. Madam ne niche to peticott pehan rakha tha par upar unke jism kewal ek low neck line bra thi. Nipple ko chor kar lagbhag pure hi boobs ki jhalak mirror me dikhayi de rahi thi. Bablu ke shareer me jaise lava sa behne laga tha. Bablu Mallika Madam ko ghure ja raha tha. Madam ne use ghurte huye dekh to liya tha par unhone ise undekha kar diya aur boli- ye blouse to mujhe samajh nahi aa raha. Pata nahi kaise pehna jayega. Please tum meri thodi madad kar do na. Madam ki awaaj me rumaniyat bhi thi aur request bhi. Bablu unhe mana nahi kar paya. Usne Madam se Blouse le liya aur uski dori dheeli karne laga. Beech beech wo najar chura kar Madam ki chatiyo ka bhi najara le leta. Madam sab dekh rahi thi par pata nahi unke man me kya chal raha tha. Wo shant khadi rahi. Bablu- Madam aap hath samne kar lijiye. Madam- Are Mere sir me dard hai. Maine abhi goli li hai. Tumhe jo karna hai chupchap kate jao. Bolo nahi. Bablu- Ji aap bas khadi hokar isme baju dal lijiye baki fitting mai dekh lunga. Madam ne hatho me blouse ki baju pehan li aur blouse ko upar tak chadha liya. Bablu Madam ke piche aa gaya aur dori tight karne laga. Back less Blouse me Madam ki gori kamar badi mast lag rahi thi. Dori tight karne ke baad Bablu samne ki taraf aaya. Madam ka blouse ka gala bahut deep tha. Lal rang ke deep neck blouse me Madam kayamat lag rahi thi. Bablu to bas dekhta hi reh gaya. Madam- Aah... Kya chubh raha hai yaha par. Bablu- Madam kaha par. Madam- ye dekho yaha par. ye kya hai. Aah... Bablu ne dhyan se dekha ki Blouse me koi cheej ghusi huyi thi. Madam- Arey jaldi kuch karo. Bahut dard ho raha hai....aah... Bablu- Madam Blouse utarna padega. Shayad koi cheej Blouse me chali gayi hai. Madam- Ab blouse utarne ka time nahi hai mere paas. Tum aise hi nikal do. Bablu- Aise kaise nikal du. Wo blouse me niche ki taraf hai. Madam- kaise kya ? Bhagwan ne ye hath kyo diye hai tumhe ? inka istemal nahi jante kya...aah...jaldi karo...aiyeee Bechara Bablu marta kya na karta. Usne Madam ke blouse ko thoda sa kheecha aur us cheej ki sahi jagah ka andaja lagaya. Wo jagah madam ke nipple ke theek niche thi. Bablu Madam ke piche gaya aur Blouse ki dori ko dhila kar diya. Fir usne Madam ko chair par baitha diya. Iske bad Bablu bayi aor aaya aur Madam ke blouse aur bra ke beech me apni kampti huyi ungliya dal di. Jaise Makkhan se jame huye gol tuke par hath diya ho. Madam ke mumme me kafi kasaav tha. Bablu ke liye itna hi kafi tha. Uska dil dhad-dhad karke baj raha tha. lund buri tarah sooj kar akad chuka tha. Kewal Madam ke jism ki chuan se hi Bablu ke sharir ke raungte khade ho chuke the. Bablu ne dusre hath se apni pant ki zip khol kar lund ko bahar nikal liya aur thoda sehlane laga. Lund me dhyan lagne se Bablu Blouse ko bhool sa gaya tha. Par Madam ka dard badhta ja raha tha. Madam- Jaldikaro na please. Madam ki dard bhari awaaj sun kar Bablu ne lund ko chor diya aur ek hath se Blouse ko aage kheench liya aur usme dekhne ki koshish karne laga. Par waha dekhne ke liye jagah hi nahi thi. Bablu dhire-dhire apna dusra hath Madam ke blouse me sarka raha tha. Akhir me uska hath se koi sakht cheej takrayi. Usne use thoda sa sehla kar dekha, shayad koi chane ka dana tha. Bablu ne use thoda jor se daba diya. Issssssssssssss- Madam ki siskari nakal gayi – Ye kya kar rahe ho. Meri to jaan hi nikal gayi. Madam ke hath Bablu ke hatho par pahuch gaye the aur Chehre par pasina aa gaya tha. Bablu- Madam aapke blouse me jo chubh raha wahi nikal raha hu. Pata nahi ye chane jaisa dana aapke blouse me kaise aa gaya. Madam- Idiot aise nuts to har aurat ki chati par hote hai. Bablu- Madam kis liye ? Dekho ab aapko chubh raha hai na. Madam- Chubh to uske niche raha hai...stupid. Bablu nee hath thoda aur niche sarkaya to achanak uski ungli par chubhi. Usne turant hath bahar nikal liya aur hilane laga. Shayad koi needle chubhi thi. Uske ungli par khoon ubhar aaya tha. Madam ne uski ungli par khoon dekhte hi chilla uthi – khoon. Aur ungli ko apne muh me le liya aur chusne lagi. Bablu- Madam shayad koi needle reh gay hai andar. Aapko blouse utarna hi padega. Madam ne sir hila kar hami bhar di. Bablu ne dhire se Madam ke muh se apni ungli nikali aur Madam ke Blouse ki dori khol di. Khoon band ho chuka tha. Shayad Madam ke chusne se aisa hua tha. Madam ne dhire se blouse utara to dekha wakai me needle thi. Needle chubhne si bra par bhi khoon ka dhabba aa gaya tha. Madam- Arey ye bra to kharab ho gayi. Change karni padegi. Tum please strap khol do. Bablu ne bra ke strap khol diye. Bra khulte hi Madam ke Boobs kabutaro ki tarah azad hokar fudakne lage. Uski aankhe fati reh gayi. Hoth sukhne lage. Usne jeebh se apne hoth geele kiye. Tabhi Madam ki nipple ke niche khoon ki ek boond ubhar aayi. Bablu use dekhte hi bola- khoon. kramashah........... 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