Monday, November 1, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ अंजानी डगर पार्ट--6



हिंदी सेक्सी कहानियाँ अंजानी डगर पार्ट--6

गतान्क से आगे....................
 दीपा एक बार फिर मेरे सामने बेसूध पड़ी थी. मैने उसको बाई तरफ पलटा और उसके सूट की बॅक की चैन नीचे खींच दी. अब उसको सीधा बैठा कर उसकी कमर से सूट को उपर किया. मेरे हाथ उसके कपड़े उतार रहे थे पर मेरी नज़रे उसकी आँखो पर टिकी थी. मैं पूरी तरह सतर्क था. सूट निकालने के लिए मैने दीपा के दोनो हाथ कंधो से उपर उठा दिए. अगले ही पल दीपा का सूट अलग हो चुका था और मैने दीपा को लिटा दिया. फिर मैने पहले सलवार उतारने के लिए नीचे की तरफ गया और सलवार का नाडा खोल दिया. अब धीरे से सलवार को भी निकाल दिया. उसकी वाइट ब्रा और पॅंटी भी एक दम भीगी हुई थी. पहले मैने उसके घुटने मोड और पॅंटी निकाल दी. सब कुछ इतनी तेज़ी से हो रहा था कि दीपा के शरीर की ओर ध्यान ही नही रहा. मैं अपनी मालकिन को नंगा कर रहा था पर मन मे कोई वासना नही थी. हा, डर सा ज़रूर था. अब अंत मे ब्रा की बारी थी. ब्रा उतारने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी. दीपा की छोटी सी ब्रा मे दो कबूतर बाहर झाँक रहे थे. अंत मे हिम्मत जुटा कर मैने दीपा को पलटा और उसके ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसे सीधा लिटा कर उसके कंधो से उसकी ब्रा के स्ट्रॅप्स नीचे खिचा पर ब्रा का हुक उसके बालो मे अटक गया. हुक निकालने के लिए मैं दीपा उपर थोड़ा झुक गया. डर के मारे मेरी साँसे तेज हो गयी थी. अगले ही पल मेरी सांस उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी और मैं एक दम जड़ हो गया. मेरी दोनो टाँगे दीपा के दोनो तरफ थी और घुटने कमर के पास थे. मेरे हाथ दीपा के बालो मे थे. यदि कोई भी मुझे इस हालत मे देख ले तो बस यहे समझता की मैं दीपा का रेप कर रहा हू. अचानक एक हाथ ने मेरी बनियान को कस कर पकड़ लिया और दूसरे ने मेरी गिरेबान पकड़ ली और एक तीखी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी- क्या कर रहे हो. डर के मारे मेरी आँखे भी बंद हो गयी थी और घिग्घी बंद गयी थी. शायद इतना तो मैं कॉलेज मे फैल होने पर भी नही डरा था. पूरा शरीर पसीने से भीग गया था. अब मैं केवल जैल जाने की सोच रहा था. बेटा अब तो तुम गये, तुम्हे तो अब भगवान भी नही बचा सकता, जैल मे चक्की तेरा इंतेजार कर रही थी..........यही सब विचार मन मे आ जा रहे थे. पता नही कोई शक्ति मुझे नीचे खींच रही थी मैं नीचे झुकता जा रहा था, पर मुझे इसका एहसास नही हुआ. दोबारा आवाज़ आई- तुम्हारी हिम्मत की तो दाद देनी पड़ेगी. अब मेरी सिट्टी पिटी गुम हो चुकी थी. पर अचानक मुझे झटका सा लगा. ये आवाज़ जानी-पहचानी सी लगी रही थी. ये तो दीपा की ही आवाज़ थी. मैने आँखे खोली तो मेरा चेहरा दीपा के चेहरे के एक दम पास था और दीपा मुझे खा जाने वाली नज़रो से घूर रही थी. दीपा- आज तो तुम रंगे हाथो पकड़े गये, क्यो ? आज का क्या बहाना है ? आशु- ज..जी..म...मैं...व...वो... दीपा- घिग्घी क्यो बाँध गयी तुम्हारी. आशु- म..मेडम...मैं..आपके... वो... कपड़े उतार रहा था. दीपा- हा इसके लिए तुम्हे मेडल दिया जाए क्या . आशु- मेडम आपका आक्सिडेंट हो गया था और आप भीग गयी थी. दीपा- आक्सिडेंट हा..आक्सिडेंट हो गया था तो मुझे डॉक्टर के पास ले जाते मेरा इलाज करते. पर नही, तुम तो मुझे अंदर ले आए और मुझे नंगा कर दिया. तुम मेरी बेबसी का फायेदा उठा कर मेरा रेप करना चाहते थे. आशु- मेडम कैसी बात कर रही हो आप. मैने तो आपकी इज़्ज़त बचाई थी. दीपा- तो इससे तुम्हे मेरी इज़्ज़त लूटने का लाइसेन्स मिल गया क्या. आशु- ज..जी वो बरसात हो रही थी और कोई कन्वेयन्स नही मिल रहा था और आप एकदम भीग गयी थी. आपको ठंड लग जाती इसलिए कपड़े उतार रहा था. दीपा- इस तरह मेरे उपर चढ़ कर ? आशु- ज..जी..म...मैं...व...वो...मैं पहली बार किसी के कपड़े उतार रहा था. मेरा मासूम सा जवाब सुन कर दीपा के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी. उसने मुझे एक ओर धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और खुद मेरी छाती पर मेरी तरह चढ़ बैठी. वो एक दम नंगी थी. उसकी टाँगे मेरी छाती के दोनो ओर थी और उसकी चूत के सॉफ दर्शन हो रहे थे. उसके बड़े सेबो के आकर के बूब्स एक दम तने हुए थे. उनमे हल्का सा भी ढीला पन नही था. दीपा ने दोनो हाथ मेरे गले पर लगा दिए. दीपा- कपड़े उतार कर क्या करने वाले थे तुम, बोलो ? आशु- जी मैं..क...कुछ नही...मैं क्या करता. दीपा- हाई मेरी जान. 3-3 बार मुझे पूरा नंगा देख कर भी तुम्हारा मन कुछ करने को नही करता ? आशु- जी मैं क्या कर सकता था ? दीपा- वही जो एक लड़का एक लड़की को नंगा कर के करता है. दीपा के आवाज़ मे मादकता भरती जा रही थी. उसकी आँखो मे लाल डोरे सॉफ दिखाई दे रहे थे. दीपा मेरी तरफ बड़े प्यार से देख रही थी पर मेरा दिमाग़ काम नही कर रहा था. आशु- जी क्या करते है. दीपा- बुद्धू प्यार करते है, और क्या. आशु- जी आप मेरी मालकिन है. भला कभी मलिक-नौकर मे प्यार होता है. दीपा- क्या मालकिन इंसान नही होती. उसे प्यार करने का कोई हक़ नही ?............क्या मैं तुम्हे पसंद नही हू ? आशु- मेडम आप ये क्या कह रही है. आपके हुस्न का तो मैं पहले दिन से ही दीवाना हो गया था. अगर आप मेरी हो जाए तो मुझे इस जिंदगी मे और कुछ नही चाहिए. पर आपकी और मेरी हसियत के फ़र्क को देख कर खुद को रोक लिया था. दीपा- अब तुम्हारी मालकिन तुम्हारे सामने एकदम नंगी है. तुम भी नंगे हो. उसकी हसियत तुम्हारे बराबर हो गयी ना. तुम्हारी मालकिन तुमसे अपने प्यार की भीख माँग रही है. प्लीज़ आज तुम मुझे अपनी बना लो. मुझे इतना प्यार करो की मैं मर ही जाउ. आशु- मेडम...मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा...मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नही हो रहा... यह सुन कर दीपा ने झुक कर मेरे होंठो पर किस कर दिया. आशु- मेडम, आपने ये क्या किया ? दीपा- आइ लव यू...तुम्हे मेरे प्यार सबूत चाहिए था ना ? ये है मेरे प्यार की मोहर. आशु- मेडम आपने मुझे मेरे जीवन की सबसे बड़ी दौलत दे दी. दीपा- ये मेडम-मेडम क्या लगा रखा है. मेरा नाम दीपा है. तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाओ. आशु- मेडम आप इतनी सुंदर और दौलतमंद है और मैं ग़रीब और साधारण सा लड़का. आपको भला मुझसे कैसे प्यार हो गया. दीपा- ह्म्म...मैने बहुत से लड़को को परख कर देखा है. किसी को मेरी दौलत चाहिए तो किसी को मेरा शरीर. किसी को मुझसे प्यार नही था. पर तुम ही एक ऐसे हो जिसने मुझे 3-3 बार पूरा नंगा बेहोश देख लिया, फिर भी तुम्हारे मन मे वासना का अंश भी ना आया ..तुम्हारी आँखो की सच्चाई पर ही तो मैं मर मिटी हू...ऐसा जीवनसाथी मुझे कहा मिलेगा भला..भगवान ने आज मेरी झोली मे खुशिया डाल ही दी. आशु- और ये ड्रग्स...और वो दोनो लड़के दीपा- भचपन मे मा-बाप के बिछूड़ जाने की वजह से मैं अकेली थी. बाय्फ्रेंड तो सब भूखे थे. मुझे कोई भी समझने को तैय्यार नही था. धीरे-धीरे मैं डिप्रेशन मे आती जा रही थी. एक दिन मेरे बाय्फ्रेंड अभी ने मुझे डिप्रेशन से बचने की मेडिसिन बताकर कोकेन दे दी. पिछले 15 दीनो मे मैं पूरी तरह इस नशे की गुलाम हो चुकी थी. पर अब मुझे तुम मिल गये हो तो मुझे किसी नशे की ज़रूरत नही है. क्या तुम मेरा अतीत भुला कर अपना लोगे. दीपा की नज़रे कातर हो चुकी थी. मैने कुछ कहे बिना उठ कर बैठ गया. दीपा मेरी जाँघो पर आ गयी थी. मैने दीपा को अपनी बाँहो मे भर लिया. इससे दीपा एकदम भावुक हो गयी. उसने मुझे कस कर जाकड़ लिया और मेरे चेहरे पर बेतहाशा चूमने लगी. फिर उसने अपने होठ मेरे होंठो से चिपका दिए. उसकी जीभ मेरे मूह के हर कोने मे घूम रही थी. दीपा की इस हरकत से मुझे भी खुमारी चढ़ने लगी. मैं भी उसका बराबर साथ देने लगा. दीपा मेरे बालो मे अपने हाथ चला रही थी. उसके पिंक निपल एक दम कड़े हो चुके थे और मेरी छाती पर गढ़ रहे थे. उनकी चुभन से मैं मदहोश होता जा रहा था. उसके रसीले अधरो का रस चूस-चूस कर मैं पागल सा हो रहा था. 3 मिनिट तक एक दूसरे को बेतहाशा चूमने के बाद हम दोनो रुक गये पर एक दूसरे के साथ चिपके रहे. हम दोनो की आँखे मदहोशी के कारण बंद हो चुकी थी. अचानक दीपा थोड़ा उपर उठी और अपना छोटा सा पिंक निपल मेरे मूह मे डाल दिया. मैं छोटे से बच्चे की तरह उसे चूसने लगा. दीपा- चूस ले...मेरा बेबी...ये तेरे लिए ही तो है...चूस ले...अपनी प्यास बुझा ले... दीपा की मदहोशी हद पर पहुच चुकी थी. मैने दीपा का दूसरा बूब हाथ मे पकड़ा और उसका निपल मूह मे ले लिया. जितनी बार मेरी जीभ उसके निपल टकराती वो चिहुन्क उठती. दीपा- काट लो...छोड़ना नही...सब कुछ चूस लो...इनको पूरा मूह मे भर लो...प्लीज़ काटो इनको... दीपा बावरी सी हो गयी थी. उसने मेरे दोनो हाथ उठा कर अपने बूब्स पर रख लिए और खुद ही दबवाने लगी. मैं अब एक एक्सपीरियेन्स्ड मर्द था. थॅंक्स टू दीपिका मेडम . मुझे पता था कि लड़की को कैसे मज़ा आता है. मैने दीपा के हाथ हटा दिए और उसके बूब्स को मसल्ने लगा. दीपा- प्लीज़ दबाओ ना...प्ल्ज़ तेज दबाओ... दीपा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी. मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो चुका था. दीपा की चूत अंजाने मे मेरे लंड के उपर थी और मेरा लंड दीपा की गंद और चूत के भीच फँसा था. मदहोशी मे वो अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ने लगी. मैं समझ गया की इसकी चिड़िया कुछ ज़्यादा ही फड़फदा रही है और उसे मारने का समय आ चुका है. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और टाँगे अपने कंधो पर रख ली. अब उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी. उसकी चूत एकदम टाइट थी. कल वो तक जिस चूत को बचाती फिर रही थी आज मेरे सामने परोस रखी थी. मैने उसकी चूत को सूँघा तो एकदम मस्त हो गया. ऐसी खुश्बू मैने आज तक नही सूँघी थी. उसकी चिड़िया इतनी कोमल थी की हाथ लगाने की हिम्मत ही नही हो रही थी. अचनांक कुछ सोच कर मैने अपने जीभ बाहर निकाली और उसकी कुँवारी चिड़िया को चाटने लगा. चिड़िया के जीभ छूते ही दीपा के शरीर मे जबरदस्त तरंग दौड़ गयी. दीपा- क्या कर रहे हो मेरी जान. बहुत मज़ा आ रहा है. मैं धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाता जा रहा था. भीच-बीच मे उसकी चिड़िया को अपने होंठो से दबा लेता तो कभी उसकी चूत का फ्रेंच किस कर लेता. बेचारी दीपा जल-बिन मछली की तरह तड़प रही थी. बार-बार वो अपनी जंघे उछाल रही थी जिससे उसकी चिड़िया मेरे मूह से टकरा जाती थी. दीपा- मेरी जान. क्यो तडपा रहे हो. प्लीज़ कुछ करो ना. मैं पागल हो जाउन्गी. प्लीज़ कुछ तो करो ना. मुझे उसकी हालत पर तरस आ गया. मैने अपने बाए हाथ से उसकी चूत की फांको को खोला और दाए हाथ की 2 उंगलियो को काम पर लगा दिया. दीपा की हालत बयान करना संभव नही है. मेरी उंगलियो ने अपना कमाल दिखाया और 1 मिनिट के अंदर ही दीपा का रस का फव्वारा फुट गया. दीपा ने जोरदार दहाड़ के साथ रस का प्याला उडेल दिया था. अबकी बार मैं सतर्क था. सारा रस मेरे मूह मे समा गया और मैने एक भी बूँद बर्बाद नही की. मैने सिर उठाकर दीपा के चेहरे को देखा. उसके माथे पर बल पड़े थे और आँखे भीची हुई थी. शायद वो अपने पहले ऑर्गॅज़म का आनंद ले रही थी. मैने उसे छेड़ा नही और उठ कर अपने कमरे मे जाकर लेट गया. मेरे मन मे ज़रा भी वासना नही थी पर मेरा लंड पता नही क्यो विद्रोह पर आमादा था. मैं नंगा ही अपने बेड पर जे की शेप मे लेट गया था. दीपा का प्यार पाकर मुझे जो आनंद मिला था वो मैं शब्दो मे नही बता सकता. और फिर मैं इन्ही ख्यालो मे खो गया. दीपा अपने बेड पर मदहोश पड़ी थी. उसको इतना मज़ा जीवन मे पहली बार जो आया था. थोड़ी देर बाद जब उसने आँखे खोली तो मुझे नदारद पाया. वो उठकर बाथरूम मे गयी. पर मैं वाहा भी नही मिला. फिर उसने एक शॉर्ट ब्लू कोलूर की शॉर्ट जीन्स और वाइट कलर का बिकिनी-टॉप पहन लिया और अपने कमरे से बाहर निकल गयी. मेरे कमरे का गेट खुला देख कर, वो सीधे मेरे कमरे मे ही घुस आई. मैं बेड पर सीधा लेटे हुए, दीपा के ख़यालो मे खोया हुआ था. दीपा चुपचाप मेरे बेड पर टाँगो के पास आकर बैठ गयी. वो एकटक मेरे एकदम तने हुए 9 इंच के लंड को देख रही थी. अपने ख़यालो मे मैं दीपा के साथ तरह-तरह से सेक्स कर रहा था, शायद उसी की उत्तेजना से मेरा लंड क़ुतुब मीनार की तरह तना हुआ था. दीपा कुछ बोले बिना ही मेरा लंड की पास पहुच गयी. आज मेरे लंड का सूपड़ा बिना खाल खीछे ही पूरा बाहर निकला हुआ था और इसलिए लंबाई भी 9 इंच से ज़्यादा हो गयी थी. दीपा ने अपनी जीभ निकाली और जीभ की नोक को मेरे सूपदे के छेद से टच करने लगी. मैं अपने ख़यालो मे इतना खोया था कि मुझे लगा की, मेरे ख़यालो मे ही दीपा ऐसा कर रही है. दीपा के शरीर मे सुरसुरी दौड़ गयी. धीरे-दीरे उसने मेरे सूपदे को अपने मूह मे भर लिया और उसे चूसने लगी. हर सेकेंड के साथ दीपा की प्यास और रफ़्तार दोनो बढ़ती जा रही थी. मेरा लंड केवल 3 इंच ही दीपा के मूह मे था पर उसमे भी वो लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी. वो केवल जीभ और होंठो का इस्तेमाल कर रही थी. फिर दीपा ने अपने बाए हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और लंड को अपने मूह मे गोल गोल घुमाने लगी. उसका मेरे टट्टो पर ध्यान गया. उसने मेरी दोनो गोलियो को एक एक कर के मूह मे लेकर चूसने लगी. मैं अपनी तंद्रा मे ही इसका आनंद ले रहा था, और मैं कर भी क्या सकता था . थोड़ी देर बाद दीपा वापस अपने पुराने मोर्चे पर आ डटी. आख़िर बकरे की माँ कब तक खैर मनाती. 10 मिनिट के बाद मेरे अंदर एक ज्वालामुखी सा उभरने लगा. दीपा भूखे बच्चे की तरह मेरे लंड से दूध की बूँद निकालने के लिए उसे बुरी तरह से चूस रही थी. चूसते चूस्ते पता नही कब मेरा लंड 7 इंच तक उसके मूह मे समा चुका था. अंदर बाहर- अंदर बाहर. बारबार सूपड़ा दीपा के हलक से टकरा रहा था पर इससे दीपा की रफ़्तार पर कोई फरक नही पड़ रहा था. दीपा पूरे ज़ोर-शोर से लंड को चूस रही थी और मैं आँखे बंद किए अपने सपने का आनंद ले रहा था. अनंतत: वही हुआ जो होना था. मेरे लंड ने तेज बौछारो के साथ अपना रस उगलना शुरू कर दिया. दीपा के छोटे से मूह मे मेरा वीर्य भर गया और बाहर छलकने लगा. पर उसने चूसना जारी रखा. मैं अचानक इतना मज़ा बर्दाश्त नही कर पाया और मेरे मूह से ज़ोर की आवाज़ निकल गयी. इसी के साथ मेरी आँखे खुल चुकी थी. सामने दीपा मेरे मुरझाते हुए लंड को कुलफी की तरह चूस रही थी. एक बार वीर्यापत होने के बाद भी चुसाई बर्दाश्त के बाहर थी. दीपा ने मेरे लंड से वीर्य की आखरी बूँद तक चूस ली थी. आशु- य..ये क्या...कर रही हो. दीपा-...म्‍म्म्मम...मज़ा आ गया.. आशु- अरे हटो. और कितना चुसोगी. बेचारे का सारा रस तो तुमने निकाल लिया. अब कुछ नही बचा है. दीपा ने ये सुन कर अपना सिर उपर उठाया और अपने होठ चाटते हुए बोली- क्या है. इस पर मेरा अधिकार है. मैं जो चाहे करू. आशु- इसको चूसना किसने सिखाया. (मेरे मूह से निकल ही गया) दीपा- तुम मुझे ऐसे ही छोड़ आए थे. तुम्हारे पीछे मैं यहा आ गयी पर तुम बेशार्मो की तरह नंगे लेटे हुए थे और मुझ पर अपनी बंदूक तान रखी ही. आशु- वो...मैं...तुम सो गयी थी, इसीलिए...चला आया था. दीपा- मैं अंदर आई तो देखा की तुम्हारी बंदूक तो पूरी लोडेड है. मैने सोचा की कोई अनहोनी ना हो जाए इसलिए इसको अनलोड कर रही थी. देखो मैने तुम्हारी बंदूक को अनलोड कर दिया है. दीपा की मुस्कान एकदम कॅटिली थी. वो लंड से तो उपर उठ गयी थी पर उसके हाथो ने मेरे लंड को पकड़े रखा था. उसकी छोटी सी वाइट बिकिनी मे से उसके बूब्स बाहर झाँकने की कोशिश कर रहे थे. उसके कड़े निपल बिकिनी मे उभरे हुए साफ दिखाई दे रहे थे. तभी दीपा ने एक हाथ से अपने बाए निपल को उमेथ दिया. उसकी इस हरकत को देख कर मेरे लंड ने एक बार फिर बग़ावत कर डाली. दीपा के हाथो मे ही मेरा लंड अंगड़ाइया लेता हुआ फिर से तनने लगा. दीपा इस तेज परिवर्तन को देख कर हत-प्रथ थी. दीपा- क्या बात है. तुम्हारी गन तो फिर से लोड हो गयी. ऑटोमॅटिक है क्या ?
 क्रमशः..........

. part--6 gataank se aage.................... Deepa ek bar fir mere samne besudh padi thi. maine usko bayi taraf palta aur uske suit ki back ki chain niche kheench di. ab usko sidha baitha kar uski kamar se suit ko upar kiya. mere hath uske kapde utar rahe the par meri najre uski aankho par tiki thi. Mai puri tarah satark tha. suit nikalne ke liye maine Deepa ke dono hath kandho se upar utha diye. agle hi pal Deepa ka suit alag ho chuka tha aur maine Deepa ko lita diya. fir maine pehle salwar utarne ke liye niche ki taraf gaya aur salwar ka nada khol diya. ab dhire se salwar ko bhi nikal diya. uski white bra aur panty bhi ek dum bheegi huyi thi. pehle maine uske ghutne mode aur panty nikal di. sab kuch itni teji se ho raha tha ki Deepa ke shareer ki aor dhyan hi nahi raha. Mai apni malkin ko nanga kar raha tha par man me koi wasna nahi thi. ha, dar sa jarur tha. ab ant me bra ki bari thi. Bra utarne ki meri himmat nahi ho rahi thi. Deepa ki choti si bra me do kabutar bahar jhank rahe the. ant me himmat juta kar maine Deepa ko palta aur uske Bra ka hook khol diya. fir use sidha lita kar uske kandho se uski bra ke straps niche khicha par bra ka hook uske balo me atak gaya. hook nikalne ke liye mai Deepa upar thoda jhuk gaya. Dar ke mare meri sanse tej ho gayi thi. agle hi pal meri sans upar ki upar aur niche ki niche rah gayi aur mai ek dum jad ho gaya. meri dono tange Deepa ke dono taraf thi aur ghutne kamar ke paas the. Mere hath Deepa ke balo me the. Yadi koi bhi mujhe is halat me dekh le to bas yahe samajhta ki mai Deepa ka rape kar raha hu. Achanak ek hath ne meri baniyan ko kas kar pakad liya aur dusre ne meri gireban pakad li aur ek teekhi awaaj mere kano me padi- kya kar rahe ho. Dar ke mare meri aankhe bhi bad ho gayi thi aur ghigghi band gayi thi. Shayad itna to mai College me fail hone par bhi nahi dara tha. Pura sharir paseene se bheeg gaya tha. Ab mai kewal jail jane ki soch raha tha. Beta ab to tum gaye, tumhe to ab bhagwan bhi nahi bacha sakta, jail me chakki tera intejaar kar rahi thi..........yahi sab vichar man me aa ja rahe the. Pata nahi koi shakti mujhe niche khinch rahi thi Mai niche jhukta ja raha tha, par mujhe iska ehsaas nahi hua. Dobara awaaj aayi- tumhari himmat ki to daad deni padegi. Ab meri sitti pitti gum ho chuki thi. par achanak mujhe jhatka sa laga. ye awaaj jani-pehchani si lagi rahi thi. Ye to Deepa ki hi awaaj thi. Maine aankhe kholi to mera chehra Deepa ke chehre ke ek dum paas tha aur Deepa mujhe kha jane wali najaro se ghoor rahi thi. Deepa- aaj to tum range hatho pakde gaye, kyo ? aaj ka kya bahana hai ? Ashu- J..Ji..M...Mai...W...wo... Deepa- Ghigghi kyo bandh gayi tumhari. Ashu- M..Madam...Mai..aapke... wo... kapde utar raha tha. Deepa- ha iske liye tumhe medal diya jaye kya . Ashu- Madam aapka accident ho gaya tha aur aap bheeg gayi thi. Deepa- Accident ha..Accident ho gaya tha to mujhe Doctor ke paas le jate mera ilaaj karate. Par nahi, tum to mujhe andar le aaye aur mujhe nanga kar diya. tum meri bebasi ka fayeda utha kar mera rape karna chahte the. Ashu- madam kaisi baat kar rahi ho aap. maine to aapki ijjat bachayi thi. Deepa- To isse tumhe meri ijjat lootne ka licence mil gaya kya. Ashu- J..Ji wo barsaat ho rahi thi aur koi conveyance nahi mil raha tha aur aap ekdum bheeg gayi thi. Aapko thand lag jati isliye kapde utar raha tha. Deepa- is tarah mere upar chadh kar ? Ashu- J..Ji..M...Mai...W...wo...Mai pehli baar kisi ke kapde utar raha tha. Mera masoom sa jawab sun kar Deepa ke chehre par muskaan tair gayi. usne mujhe ek aor dhakka dekar bed par gira diya aur khud meri chati par meri tarah chad baithi. wo ek dum nangi thi. uski tange meri chati ke dono aor thi aur uski chut ke saaf darshan ho rahe the. Uske bade sebo ke aakar ke boobs ek dum tane huye the. unme halka sa bhi dhila pan nahi tha. Deepa ne dono hath mere gale par laga diye. Deepa- Kapde utar kar kya karne wale the tum, bolo ? Ashu- Ji Mai..k...kuch nahi...mai kya karta. Deepa- Hai meri jaan. 3-3 baar mujhe pura nanga dekh kar bhi tumhara man kuch karne ko nahi karta ? Ashu- Ji mai kya kar sakta tha ? Deepa- Wahi jo ek ladka ek ladki ko nanga kar ke karta hai. Deepa ke awaaj me madakta bharti ja rahi thi. uski aanko me lal dore saaf dikhayi de rahe the. Deepa meri par mera dimaag kam nahi kar raha tha. Ashu- Ji kya karte hai. Deepa- Buddhu pyar karte hai, aur kya. Ashu- Ji aap meri malkin hai. bhala kabhi malik-naukar me pyar hota hai. Deepa- Kya malkin insaan nahi hoti. use pyar karne ka koi haq nahi ?............Kya mai tumhe pasand nahi hu ? Ashu- madam aap ye kya keh rahi hai. aapke husn ka to mai pehle din se hi deewana ho gaya tha. Agar aap meri ho jaye to mujhe is jindagi me aur kuch nahi chahiye. Par aapki aur meri hasiyat ke fark ko dekh kar khud ko rok liya tha. Deepa- ab tumhari malkin tumhare samne ekdum nangi hai. tum bhi nange ho. uski hasiyat tumhare barabar ho gayi na. tumhari malkin tumse apne pyar ki bhikh mang rahi hai. Please aaj tum mujhe apni bana lo. Mujhe itna pyar karo ki mai mar hi jau. Ashu- Madam...meri samajh me kuch nahi aa raha...mujhe apni kismat par vishwas nahi ho raha... Yeh sun kar Deepa ne jhuk kar mere hotho par kiss kar diya. Ashu- Madam, Aapne ye kya kiya ? Deepa- I Love You...tumhe mere pyar saboot chahiye tha na ? Ye hai mere pyar ki mohar. Ashu- Madam aapne mujhe mere jiwan ki sabse badi daulat de di. Deepa- ye madam-madam kya laga rakha hai. Mera naam Deepa hai. Tum mujhe mere naam se hi bulao. Ashu- Madam aap itni sunder aur daulatmand hai aur mai garib aur sadharan sa ladka. aapko bhala mujhse kaise pyar ho gaya. Deepa- Hmm...Maine bahut se ladko ko parakh kar dekha hai. kisi ko meri daulat chahiye to kisi ko mera sharir. kisi ko mujhse pyar nahi tha. par tum hi ek aise ho Jisne mujhe 3-3 baar pura nanga behosh dekh liya, fir bhi tumhare man me wasna ka ansh bhi na aaya ..tumhari aankho ki sacchayi par hi to mai mar miti hu...aisa jeewansathi mujhe kaha milega bhala..Bhagwan ne aaj meri jholi me khushiya dal hi di. Ashu- Aur ye drugs...aur wo dono ladke Deepa- Bhachpan me ma-baap ke bichud jane ki wajah se mai akeli thi. Boyfriend to sab bhukhe the. Mujhe koi bhi samajhane ko taiyyar nahi tha. dhire-dhire mai depression me aati ja rahi thi. ek din mere boyfriend Abhi ne mujhe Depression se bachne ki medicine batakar Cocaine de di. pichle 15 dino me mai puri tarah is nashe ki gulam ho chuki thi. Par ab mujhe tum mil gaye hi to mujhe kisi nashe ki jarurat nahi hai. kya tum mera ateet bhula kar apna loge. Deepa ki najre katar ho chuki thi. Maine kuch kahe bina uth kar baith gaya. Deepa meri jangho par aa gayi thi. Maine Deepa ko apni banho me bhar liya. Isse Deepa ekdum bhavuk ho gayi. usne mujhe kas kar jakad liya aur mere chehre par betahasha chumne lagi. fir usne apne hoth mere hotho se chipka diye. uski jeebh mere muh ke har kone me ghoom rahi thi. Deepa ki is harkat se mujhe bhi khumari chadhne lagi. Mai bhi uska barabar sath dene laga. Deepa mere balo me apne hath chala rahi thi. uske pink nipple ek dum kade ho chuke the aur meri chati par gad rahe the. unki chubhan se mai madhosh hota ja raha tha. uske rasile adharo ka ras choos-choos kar mai pagal sa ho raha tha. 3 minute tak ek dusre ko betahasha chumne ke bad hum dono ruk gaye par ek dusre ke sath chipke rahe. hum dono ki aankhe madhoshi ke karan band ho chuki thi. Achanak Deepa thoda upar uthi aur apna chota sa pink nipple mere muh me dal diya. Mai chote se bacche ki tarah use chusne laga. Deepa- choos le...mera baby...ye tere liye hi to hai...choos le...apni pyaas bujha le... Deepa ki madhoshi had par pahuch chuki thi. Maine Deepa ka dusra boob hath me pakda aur uska nipple muh me le liya. Jitni bar meri jeebh uske nipple takrati wo chihunk uthti. Deepa- Kat lo...chodna nahi...sab kuch choos lo...inko pura muh me bhar lo...please kato inko... Deepa bawari si ho gayi thi. usne mere dono hath utha kar apne boobs par rakh liye aur khud hi dababne lagi. mai ab ek experienced mard tha. Thanks to Deepika Madam . mujhe pata tha ki ladki ko kaise maja aata hai. maine Deepa ke hath hata diye aur uske boobs ko masalne laga. Deepa- Please dobao na...Plz tej dabao... Deepa ab puri tarah horny ho chuki thi. Mera lund bhi puri tarah khada ho chuka tha. Deepa ki chut anjane me mere lund ke upar thi aur mera lund Deepa ki gand aur chut ke bheech fansa tha. Madhoshi me wo apni chut mere lund par ragadne lagi. Mai samajh gaya ki iski chidiya kuch jyada hi fadfada rahi hai aur use marne ka samay aa chuka hai. Maine use bed par lita diya aur tange apne kandho par rakh li. ab uski gulabi chut mere samne thi. Uski chut ekdum tight thi. Kal wo tak jis chut ko bachati fir rahi thi aaj mere samne paros rakhi thi. Maine uski chut ko sungha to ekdum mast ho gaya. aisi khushbu maine aaj tak nahi sunghi thi. uski chidiya itni komal thi ki hath lagane ki himmat hi nahi ho rahi thi. Achanank kuch soch kar maine apne jeebh bahar nikali aur uski kunwari chidiya ko chatne laga. Chidiya ke jeebh choote hi Deepa ke sharir me jabardast tarang daud gayi. Deepa- Kya kar rahe ho meri jaan. Bahut maja aa raha hai. Mai dhire dhire apni raftar badhata ja raha tha. bheech-beech me uski chidiya ko apne hitho se daba leta to kabhi uski choot ka french kiss kar leta. Bechari Deepa jal-bin machli ki tarah tadap rahi thi. bar-bar wo apni janghe uchal rahi thi jisse uski chidiya mere muh se takra jati thi. Deepa- meri jaan. kyo tadpa rahe ho. Please kuch karo na. Mai pagal ho jaungi. Please kuch to karo na. Mujhe uski halat par taras aa gaya. maine apne baye hath se uski chut ki phanko ko khola aur daye hath ki 2 ungliyo ko kaam par laga diya. Deepa ki halat bayan karna sambhav nahi hai. Meri ungliyo ne apna kamal dikhaya aur 1 minute ke andar hi Deepa ka ras ka favvara foot gaya. Deepa ne jordar dahad ke sath ras ka pyala udel diya tha. abki baar mai satark tha. sara ras mere muh me sama gaya aur maine ek bhi boond barbad nahi ki. maine sir uthakar Deepa ke chehre ko dekha. Uske mathe par bal pade the aur ankhe bhichi huyi thi. Shayad wo apne pehle orgasm ka anand le rahi thi. maine use cheda nahi aur uth kar apne kamre me jakar let gaya. Mere man me jara bhi wasna nahi thi par mera lund pata nahi kyo vidroh par amaada tha. Mai nanga hi apne bed par X ki shape me let gaya tha. Deepa ka pyaar pakar mujhe jo anand mila tha wo mai shabdo me nahi bata sakta. Aur fir mai inhi khyalo me kho gaya. Deepa apne bed par madhosh padi thi. Usko itna maja jeewan me pehli baar jo aaya tha. Thodi der bad jab usne aankhe kholi to mujhe nadarad paya. wo uthkar bathroom me gayi. par mai waha bhi nahi mila. fir usne ek short blue colur ki short jeans aur white colour ka bikini-top pehan liya aur apne kamre se bahar nikal gayi. Mere kamre ka gate khula dekh kar, Wo sidhe mere kamre me hi ghus aayi. Mai bed par seedha lete huye, Deepa ke khayalo me khoya hua tha. Deepa chupchap mere bed par tango ke paas aakar baith gayi. Wo ektak mere ekdum tane huye 9 inch ke lund ko dekh rahi thi. Apne khayalo me mai Deepa ke sath tarah-tarah se sex kar raha tha, shayad usi ki uttejana se mera lund Qutub Minar ki tarah tana hua tha. Deepa kuch bole bina hi mera lund ki paas pahuch gayi. aaj mere lund ka supada bina khal khiche hi pura bahar nikla hua tha aur isliye lambayi bhi 9 inch se jyada ho gayi thi. Deepa ne apni jeebh nikali aur jeebh ki nok ko mere supade ke ched se touch karane lagi. Mai apne khayalo me itna khoya tha ki mujhe laga ki, Mere khayalo mi hi Deepa aisa kar rahi hai. Deepa ke sharir me sursuri daud gayi. Dhire-dire usne mere supade ko apne muh me bhar liya aur use choosne lagi. har second ke sath Deepa ki pyas aur raftar dono badhti ja rahi thi. Mera lund kewal 3 inch hi Deepa ke muh me tha par usme bhi wo lund ko lolipop ki tarah choos rahi thi. Wo kewal jeebh aur hotho ka istemal kar rahi thi. fir Deepa ne apne baye hath se mera lund pakad liya aur lund ko apne muh me gol gol ghumane lagi. uska mere tatto par dhyan gaya. usne meri dono goliyo ko ek ek kar ke muh me lekar choosne lagi. Mai apni tandra me hi iska anand le raha tha, aur mai kar bhi kya sakta tha . thodi der bad Deepa wapas apne purane morche par aa dati. Akhir bakre ki mai kab tak khair manati. 10 minute ke bad mere andar ek jwalamukhi sa ubharne laga. Deepa bhukhe bacche ki tarah mere lund se doodh ki boond nikalane ke liye use buri tarah se choos rahi thi. Chooste chooste pata nahi kab mera lund 7 inch tak uske muh me sama chuka tha. andar bahar- andar bahar. baarbaar supada Deepa ke halak se takra raha tha par isse Deepa ki raftar par koi farak nahi pad raha tha. Deepa pure jor-shor se lund ko choos rahi thi aur mai ankhe band kiye apne sapne ka anand le raha tha. Anantat: wahi hua jo hona tha. Mera lund ne tej baucharo ke sath apna ras ugalana shuru kar diya. Deepa ke chote se muh me mera veerya bhar gaya aur bahar chalakne laga. Par usne choosna jari rakha. Mai Achanak itna maja bardasht nahi kar paya aur mere muh se jor ki awaaj nikal gayi. Isi ke sath meri ankhe khul chuki thi. Samne Deepa mere murjhate huye lund ko kulfi ki tarah choos rahi thi. Ek baar veeryapat hone ke bad bhi chusayi bardasht ke bahar thi. Deepa ne mere lund se veerya ki aakhri boond tak choos li thi. Ashu- Y..ye kya...kar rahi ho. Deepa-...Mmmmm...maja aa gaya.. Ashu- are hato. aur kitna chusogi. bechare ka sara ras to tumne nikal liya. ab kuch nahi bacha hai. Deepa ne ye sun kar apna sir upar uthaya aur apne hoth chatate huye boli- Kya hai. Is par mera adhikar hai. Mai jo chahe karu. Ashu- isko chusna kisne sikhaya. (mere muh se nikal hi gaya) Deepa- Tum mujhe aise hi chor aaye the. Tumhare piche mai yaha aa gayi par tum besharmo ki tarah nange lete huye the aur mujh par apni bandook tan rakhi hi. Ashu- Wo...mai...tum so gayi thi, isiliye...chala aaya tha. Deepa- Mai andar aayi to dekha ki tumhari bandook to puri loaded hai. Maine socha ki koi unhoni na ho jaye isliye isko unload kar rahi thi. Dekho maine tumhari bandook ko unload kar diya hai. Deepa ki muskaan ekdum katili thi. wo lund se to upar uth gayi thi par uske hatho ne mere lund ko pakde rakha tha. uski choti si white bikini me se uske boobs bahar jhankne ki koshish kar rahe the. uske kade nipple bikini me ubhre huye saaf dikhayi de rahe the. Tabhi Deepa ne ek hath se apne baye nipple ko umeth diya. uski is harkat ko dekh kar mere lund ne ek bar fir bagawat kar dali. Deepa ke hatho me hi mera lund angdayiya leta hua fir se tanne laga. Deepa is tej parivartan ko dekh kar hat-prabh thi. Deepa- Kya baat hai. Tumhari gun to fir se load ho gayi. Automatic hai kya ? kramashah........... 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